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*महाराष्ट्र में बड़ा सियासी फेरबदल, अजित पवार बने डिप्टी सीएम, इन नेताओं ने ली मंत्री पद की शपथ

डेस्क: महाराष्ट्र में बड़ा सियासी फेरबदल हुआ है। अजित पवार अपने 30 विधायकों के साथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए हैं। अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है। इसके अलावा 9 विधायक मंत्री बने हैं, जिसमें छगन भुजबल, दिलीप वलसे, हसन मुश्रिफ, धनंजय मुंडे, धर्मराव बाबा, अदिति तटकरे, संजय बनसोडे और अनिल पाटील का नाम शामिल है। ये शपथ ग्रहण कार्यक्रम महाराष्ट्र राजभवन में आयोजित किया जा रहा है।

कैसे हुआ ये पूरा सियासी खेल!

अजित पवार ने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है। सूत्रों में मुताबिक, दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, एकनाथ शिंदे और अजित पवार की सीक्रेट मीटिंग हुई थी, उसी में इस सियासी बदलाव की रणनीति तैयार हुई। 

पहले ही शुरू हो गई थी सुगबुगाहट!

अजित पवार ने अपने सरकारी निवास स्थान देवगिरी पर विधायकों की बैठक बुलाई थी। अजित ने नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी छोड़कर संगठन में किसी पद पर काम करने की इच्छा जाहिर की थी। इसी के बाद से एनसीपी में अजित पवार के महाराष्ट्र अध्यक्ष बनने की चर्चा जोर पकड़ने लगी थी। 

अजित पवार के सरकारी निवास पर मौजूद विधायकों ने अजित पवार को महाराष्ट्र के पार्टी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपने की बात रखी थी। विधायकों ने मांग की थी कि जल्द से जल्द नए अध्यक्ष का चुनाव हो। इस बैठक में जो लोग मौजूद थे, उसमें दिलीप वलसे पाटील, हसन मुश्रीफ, छगन भुजबल, किरण लहमाटे, निलेश लंके, धनंजय मुंडे, रामराजे निंबालकर, दौलत दरोडा, मकरंद पाटील, अतुल बेणके, सुनिल टिंगरे, अमोल मिटकरी, अदिति तटकरे, सुप्रिया सुले (सांसद), अमोल कोल्हे (सांसद), शेखर निकम और निलय नाईक मौजूद थे। 

बैठक खत्म होते ही सभी विधायक एक साथ अपनी-अपनी गाड़ी मे बाहर निकले थे। इसके बाद ये खबर आने लगी कि महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ बड़ा बदलाव होने वाला है। इसी दौरान अजित पवार भी आवास से बाहर निकले और सीधा राजभवन की ओर निकल गए।

आप’ के बाद अब मायावती ने भी UCC को दिया समर्थन, बसपा नागरिक संहिता के खिलाफ नहीं

डेस्क: समान नागरिक संहिता पर अब धीरे-धीरे कई विपक्षी पार्टियां देर सेवर अपना समर्थन देने की ओर बढ़ रही हैं। पहले आम आदमी पार्टी और अब बसपा ने भी यूसीसी को अपना सपोर्ट देने के लिए कहा है। बीएसपी की ओर से खुद पार्टी की सुप्रीमो मायावती मीडिया के सामने आईं और कहा कि हमारी पार्टी (BSP) यूसीसी लागू करने के खिलाफ नहीं है।

"हम UCC के खिलाफ नहीं लेकिन..."

समान नागरिक संहिता पर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा, "हमारी पार्टी (बसपा) यूसीसी लागू करने के खिलाफ नहीं है, लेकिन जिस तरह से बीजेपी देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की कोशिश कर रही है, हम उसका समर्थन नहीं करते हैं। इस मुद्दे का राजनीतिकरण करना और जबरदस्ती यूसीसी को देश में लागू करना ठीक नहीं है।"

"इससे देश कमजूर नहीं, मजबूत होगा" 

मायावती ने कहा कि इस विशाल आबादी वाले भारत देश में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी और बौध आदि विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। जिनके हर मामले में, रहन-सहन और जीवन शैली आदि के अपने अलग-अलग तौर तरीके, नियम और रस्मो रिवाज हैं, जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ ये बात भी सोचने वाली है कि यदि यहां सभी धर्मों को मानने वाले लोगों पर हर मामले में एक समान कानून लागू होता है तो उससे देश कमजोर नहीं बल्कि मजबूत ही होगा।   

संविधान की धारा 44 में यूसीसी का जिक्र

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि इससे लोगों में आपसी संप्रदायिक, सद्भाव और भाईचारा पैदा होगा। इस बात को ध्यान में रखकर ही भारतीय संविधान की धारा 44 में समान सिविल संहिता यानी कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को बनाने की बात कही गई है। लेकिन इसे जबरन थोपने का प्रविधान बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के संविधान में निहित नहीं है और इसके लिए जागरुकता और आम सहमति को श्रेष्ठ माना गया है।

शादी को लेकर पीएम मोदी ने युवाओं को दी सलाह, कहा- ‘कुंडली मिलाओ या ना मिलाओ... ये जरूर मिलाओ’

डेस्क: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन’ का शुभारंभ करने जा रहे हैं. यह एक ऐसी बीमारी है, जिसने देश के 17 राज्यों में रहने वाली 7 करोड़ से ज्यादा आदिवासी आबादी को अपना शिकार बना लिया है.

पीएम मोदी ने कहा 'कुंडली मिलाओ या ना मिलाओ लेकिन सिकल सेल की जांच का जो रिपोर्ट है, जो कार्ड दिया जा रहा है उसको जरूर मिलाना और उसके बाद शादी करना. साथियों, तभी इस बिमारी को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने से रोका जा सकेगा.'

अगर दो सिकल सेल एनीमिया पीड़ित शादी करते हैं, तो उनसे पैदा होने वाले बच्चे को सिकल सेल बीमारी होने की बहुत ज्यादा संभावना है. अगर पहले ही स्क्रीनिंग करके ऐसे 2 लोगों को शादी करने से रोका जाए तो इस बीमारी का प्रसार रोका जा सकता है.

सिकल सेल एनीमिया एक आनुवांशिक बीमारी है, जिसका मतलब है कि यह माता-पिता से बच्चों में आसानी से फैल सकता है. यह एक प्रकार का रक्त विकार है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बदल जाता है. इससे लाल रक्त कोशिकाएं अपना काम ठीक से नहीं कर पाती हैं और पूरे शरीर में खून की कमी हो जाती है. इसके कारण एनीमिया रोग हो जाता है.

कांग्रेस नेता ने कसा तंज : वंदे भारत को ले जाता दिखा रेलवे इंजन! कांग्रेस का दावा- 9 सालों के झूठ को खींच रहा 70 सालों का इतिहास

कांग्रेस ने वंदे भारत ट्रेन के एक वीडियो के जरिए केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता कृष्णा अल्लावारू ने शुक्रवार (29 जून) को एक वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें वंदे भारत ट्रेन को रेलवे का एक पुराना इंजन खींच कर ले जाता नजर आ रहा है। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि वंदे भारत ट्रेन को रेलवे का इलेक्ट्रिक इंजन खींच कर ले जा रहा है।

कांग्रेस नेता कृष्णा अल्लावारू ने ट्वीट में लिखा है कि पिछले 9 सालों के झूठ को खींच कर ले जाता 70 सालों का इतिहास। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (27 जून) को मध्य प्रदेश के भोपाल से 5 नई वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई थी।

रेलवे का शाइनिंग स्टार है वंदे भारत

वंदे भारत ट्रेनों को भारतीय रेलवे का शाइनिंग स्टार कहा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (27 जून) को भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से पांच वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई। इन नई ट्रेनों को जोड़कर अब भारत में कुल 23 वंदे भारत हो गई हैं। सेमी-हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत रेलवे की प्रीमियम ट्रेनों में से एक है।

इन सबके बीच वंदे भारत ट्रेन से कई बार मवेशियों के भिड़ने के कई मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल समेत कई जगहों पर वंदे भारत ट्रेनों पर पत्थरबाजी की घटनाएं भी सुर्खियों में आती रहती हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमपी के भोपाल में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर 5 वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई थी। इनमें रानी कमलापति-जबलपुर वंदे भारत, खजुराहो से भोपाल के रास्ते इंदौर, गोवा के मडगांव से मुंबई, धारवाड़ से बेंगलुरू और झारखंड के हटिया से बिहार के पटना के बीच पांचों ट्रेनें चलेंगी।

सिद्ध पीठ बालाजी को 2700 किलो के रोटे का महाभोग किया गया अर्पित, 25000 भक्तों को किया जाएगा प्रसाद वितरण

राजस्थान के शेखावाटी के इतिहास में पहली दफा आज सिद्ध पीठ बालाजी को 2700 किलो के रोटे का महाभोग अर्पित किया गया। खास बात यह है कि रोट बनाने में क्रेन की सहायता ली गई। लगभग 20 रसोइयों की मेहनत से यह रोट तैयार किया गया। इसमें सवा 11 क्विंटल आटा, लगभग इतना ही मेवा, 400-400 लीटर गाय का दूध और घी का इस्तेमाल किया गया। साथ ही सवा सौ किलो सूजी भी रोट में डाला गया। 

बता दें कि सीकर शहर स्थित देवीपुरा सिद्ध पीठ बालाजी मंदिर में पिछले 24 घंटे से धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन हो रहे हैं और सुबह से ही भक्तों के आने का सिलसिला जारी है। इस महाभोग से लगभग 25000 भक्तों को प्रसाद वितरण किया जाएगा। पुजारी ने कहा कि यह शेखावटी का ऐतिहासिक और धार्मिक आयोजन है, जहां 2700 किलो रोटे का महाभोग लगाया गया है। बालाजी के महाभोग के वक़्त शहर देश और राज्य की खुशहाली की प्राथना की गई. बालाजी महाराज की कृपा के कारण ही इतना बड़ा आयोजन हो सका। आशा है कि बालाजी महाराज की कृपा से सभी लोग खुश रहेंगे और हमेशा देश में खुशहाली का वातावरण रहेगा।

बालाजी महाराज से कामना की गई है कि देश के हर व्यक्ति को जीवन में खुशियां मिले। इस महाआयोजन में सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया था कि मंदिर आकर बालाजी महाराज का प्रसाद ग्रहण करें. मंदिर परिसर में दो दिन से निरंतर धार्मिक कार्यक्रम चल रहे हैं।

देशभर की 450 बेटियां बनीं शिवप्रिया, संयम के पथ पर चलते हुए ईश्वरीय सेवा में समर्पित किया जीवन, 15 हजार बाराती इस दिव्य विवाह के साक्षी बने

ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में दिव्य अलौकिक विवाह हुआ। विवाह भी ऐसा जिसमें एक दूल्हा (परमात्मा शिव) थे और 450 दुल्हनें थी। इन दुल्हनों में किसी ने सीए किया तो कोई डॉक्टर, इंजीनियर, एमटेक, एमएससी, फैशन डिजाइनर, स्कूल शिक्षिका थी। 15 हजार बाराती इस दिव्य विवाह के साक्षी बने। खुशी में भावुक माता-पिता बोले-आज हमारा जीवन धन्य हो गया। परमात्मा से यही कामना है कि हर जन्म में ऐसी शक्ति स्वरूपा, कुल उद्धार करने वाली बेटी मिले। खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं कि आज मेरी बेटी समाज कल्याण के लिए संयम का मार्ग अपना रही है। अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन मेरी बेटी अब विश्व कल्याण के लिए जिएगी।

संस्थान के इतिहास में पहली बार एक साथ 450 बेटियों ने ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर ब्रह्माकुमारी के रूप में आजीवन समाजसेवा का संकल्प लिया। इन बेटियों को खुशी में नाचते देख हर कोई भावुक हो उठा। इनके चेहरों पर कुछ पाने की खुशी को साफ देखा जा सकता था। समारोह में बेटियों के माता-पिता ने अपनी-अपनी लाड़लियों का हाथ संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मुन्नी दीदी, राजयोगिनी संतोष दीदी के हाथों में सौंपा। परमात्मा पर अपना जीवन समर्पण करने वालीं सभी बहनों की दिनचर्या अलसुबह ब्रह्ममुहूर्त में 3.30 बजे से शुरू हुई। सबसे पहले सभी बहनों ने परमपिता शिव परमात्मा, शिव बाबा का एक घंटे ध्यान किया। इसके बाद सुबह 7 बजे से आठ बजे तक सत्संग (मुरली क्लास) में भाग लिया। इसके बाद दिनभर में अपने साथ आए नाते-रिश्तेदारों के साथ बिताया। एक-दूसरे को बधाइयों का दौर चलता रहा। शाम 4 बजे से दिव्य अलौकिक समर्पण समारोह में मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। समारोह में देशभर से आए लोगों को खाने में स्पेशल पनीर, हलुवा आदि का ब्रह्माभोजन कराया गया।

समारोह में संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी ने कहा कि आज एक साथ इतनी बहनों का समर्पण देखकर मन खुशी से झूम रहा है। ये बेटियां बहुत भाग्यशाली हैं। महासचिव बीके निर्वैर भाई ने कहा कि सभी बहनों जीवन में अपने कर्मों से समाज में नए उदाहरण प्रस्तुत करें। अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन भाई ने कहा कि अपना जीवन परमात्मा पर अर्पण करने से बड़ा भाग्य कुछ नहीं हो सकता है। कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय भाई ने कहा कि आपकी वाणी दुनिया के कल्याण का माध्यम बने। आपका एक-एक कर्म उदाहरणमूर्त हो। धरती से अंधकार मिटाने और ज्ञान प्रकाश फैलाने में शिव की शक्ति, भुुजा बनकर, साथी बनकर सदा जीवन में आगे बढ़ते रहें। मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने गीत प्रस्तुत किया। समारोह में विशेष रूप से कटक से आए कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। खासतौर पर एंजल ग्रुप की आठ साल की बालिकाओं की प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया। 

समर्पण समारोह डायमंड हॉल में आयोजित किया गया। समारोह के लिए खासतौर पर सौ फीट लंबी और 40 फीट चौड़ी स्टेज तैयार की गई। इसमें समर्पित होने वालीं वरिष्ठ बहनों को स्टेज पर बैठाया गया, वहीं छोटी बहनों को सामने बैठाया गया। सभी 450 बहनें श्वेत वस्त्रों में चुनरी ओढक़र, माला पहनकर, बिंदी के साथ सज-धजकर पहुंचीं। जहां एक-एक बहनों ने अपने परिजनों के साथ मुलाकात कर फोटो निकलवाई। साथ ही खुशी में डांस किया। ब्रह्माकुमारीज से जुडऩे की शुरुआत राजयोग मेडिटेशन के सात दिवसीय कोर्स से होती है। जो संस्थान के देश-विदेश में स्थित सेवाकेंद्रों पर नि:शुल्क सिखाया जाता है। राजयोग ध्यान ब्रह्माकुमारीज की शिक्षा का मुख्य आधार है। राजयोग की शिक्षा ही संस्था का मूल आधार और उद्देश्य है। संस्थान का मुख्य नारा है-स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन। हम बदलेंगे, जग बदलेगा। नैतिक मूल्यों की पुरुत्र्थान और भारत की पुरातन स्वर्णिम संस्कृति की स्थापना करना।

राजयोग मेडिटेशन कोर्स के बाद छह माह तक नियमित सत्संग, राजयोग ध्यान के अभ्यास के बाद सेंटर इंचार्ज दीदी द्वारा सेवाकेंद्र पर रहने की अनुमति दी जाती है। तीन साल तक सेवाकेंद्र पर रहने के दौरान संस्थान की दिनचर्या और गाइडलाइन का पालन करना जरूरी होता है। बहनों का आचरण, चाल-चलन, स्वभाव, व्यवहार देखा-परखा जाता है। इसके बाद ट्रॉयल के लिए मुख्यालय शांतिवन के लिए माता-पिता का अनुमति पत्र भेजा जाता है। ट्रॉयल पीरियड के दो साल बाद फिर ब्रह्माकुमारी के रूप में समर्पण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। समर्पण के बाद फिर बहनें पूर्ण रूप से सेवाकेंद्र के माध्यम से ब्रह्माकुमारी के रूप में अपनी सेवाएं देती हैं। 

वर्ष 1937 में ब्रह्माकुमारीज की नींव रखी गई। तब से लेकर अब तक 87 वर्ष में संस्थान में 50 हजार ब्रह्माकुमारी बहनों ने अपनी जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित किया है। ये बहनें तन-मन-धन के साथ समाजसेवा, विश्व कल्याण और सामाजिक, आध्यात्मिक सशक्तीकरण के कार्य में जुटी हैं। 

संस्थान द्वारा संपूर्ण भारतवर्ष को 12 विभिन्न जोन में बांटा गया है। इन जोन में एक मुख्य निदेशिका और फिर स्थानीय सेवाकेंद्र में जिला स्तर पर मुख्य निदेशिका होती हैं जो अपने-अपने जिलों में सेवाएं देती हैं। शुरुआत में नई बहनें बड़ी बहनों के मार्गदर्शन में रहती हैं फिर उन्हें नया सेवाकेंद्र खोलने की अनुमति प्रदान की जाती है। 

ब्रह्माकुमारीज के मुख्यालय शांतिवन में साल एक बार ही बहनों का समर्पण समारोह आयोजित किया जाता है। इसके अलावा जोनल सेवाकेंद्रों, सबजोन सेवाकेंद्रों पर समय प्रति समय अलग से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिनमें 11, 21, 51 बहनों का समर्पण किया जाता है। सभी जगह समर्पण के कार्यक्रम में एक ही प्रक्रिया अपनाई जाती है। जिसमें संस्थान के मुख्यालय से वरिष्ठ दीदी-दादियां शामिल होती हैं। जिस सेवा स्थान से यह बहनें आती हैं वहीं पर ही वह समर्पण होने के बाद अपनी सेवाएं देती हैं। ब्रह्माकुमारी बहनों के लिए विशेष शैक्षणिक योग्यता का नियम नहीं है। जो भी बहन संस्थान के नियमों का पूरी तरह से पांच साल तक पालन करती हैं तो वह समर्पित हो सकती हैं।

क्रिकेट जगत से अाई चौंकाने वाली खबर, दो बार की चैम्पियन वेस्टइंडीज वर्ल्ड कप से बाहर, स्कॉटलैंड ने किया बड़ा उलटफेर

क्रिकेट जगत से चौंकाने वाली खबर शनिवार को सामने आई। दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज टीम इस साल भारत में होने वाले आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप का हिस्सा नहीं बन पाएगी। ये टीम मेन टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई करने में विफल रही।

जिम्बाब्वे में खेले जा रहे आईसीसी वर्ल्ड कप

 क्वालिफायर्स के अहम मुकाबले में वेस्टइंडीज को स्कॉटलैंड ने 7 विकेट से हरा दिया। हारारे स्पोर्ट्स क्लब में इस हार के साथ वेस्टइंडीज का सपना टूट गया। अब ये टीम वनडे वर्ल्ड कप का हिस्सा नहीं होगी। वेस्टइंडीज ने स्कॉटलैंड को 182 रनों का लक्ष्य दिया था, जिसे उसने 39 गेंद बाकी रहते हासिल कर लिया।

क्रिकेट इतिहास में ऐसा पहली बार हुई, जब वेस्टइंडीज वनडे वर्ल्ड कप में भाग नहीं लेगा. साल 1975 में वनडे वर्ल्ड कप की शुरुआत हुई थी, तब से लेकर अब तक हर बार वेस्टइंडीज टीम टूर्नामेंट का हिस्सा रही। इससे पहले वेस्टइंडीज ने वनडे वर्ल्ड कप के सभी 12 एडिशन में हिस्सा लिया। इतना ही नहीं, शुरुआती दो एडिशन यानी 1975 और 1979 के वर्ल्ड कप में विंडीज ने क्लाइव लॉयड की कप्तानी में खिताब भी जीता।

हरारे में खेले गए सुपर-6 के मुकाबले की बात करें तो टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी वेस्टइंडीज टीम 43.5 ओवर में सिर्फ 181 रन के मामूली स्कोर पर पर सिमट गई। उसके लिए जेसन होल्डर (45) और रोमारियो शेफर्ड (36) ही कुछ संघर्ष कर सके। स्कॉटलैंड के ब्रैंडन मैकमुलेन ने 3 विकेट झटके। फिर स्कॉटलैंड ने 43.3 ओवरों में ही लक्ष्य हासिल कर लिया। विकेटकीपर बल्लेबाज मैथ्यू क्रॉस 74 रन बनाकर नाबाद लौटे। मैकमुलेन ने 8 चौके और एक छक्के की मदद से 69 रनों की पारी खेली।

बता दें कि भारत की मेजबानी में 5 अक्टूबर से शुरू हो रहे वनडे वर्ल्ड कप में कुल 10 टीमें हिस्सा लेंगी। आठ टीम पहले ही क्वालिफाई कर चुकी हैं। अन्य दो का चयन जिम्बाब्वे में खेले जा रहे वर्ल्ड कप क्वालिफायर्स के जरिए होना है। फिलहाल सुपर-6 राउंड जारी है।

बड़ी राहत, इलेक्ट्रॉनिक आइटम खरीदने जा रहे हैं तो पढ़ लें यह खबर, केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम की खरीद पर घटाया GST

अगर आप भी कोई इलेक्ट्रॉनिक आइटम खरीदने का मन बना रहे हैं, तो यह खबर पढ़ लीजिए। दरअसल, आज से स्मार्टफोन, टीवी, फ्रिज या वाशिंग मशीन जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद सस्ते हो गए हैं। केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम की खरीद पर GST घटा दिया है। अब लोगों को इन वस्तुओं को खरीदने के लिए 31.3 फीसदी GST नहीं चुकाना होगा। सरकार ने इन सभी उत्पादों पर GST को तक़रीबन आधा कर दिया है। 

केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स, जैसे वॉशिंग मशीन, मोबाइल फोन, रेफ्रिजरेटर, होम एप्लायंसेज, UPS और अन्य पर GST कम करते हुए आम लोगों को बड़ी राहत दी है। बता दें कि, अभी तक इन सभी चीजों पर 31.3 फीसदी तक GST वसूला जा रहा था। मगर अब इसे घटाकर 12 से 18 फीसद तक कर दिया गया है। वित्त मंत्रालय ने होम एप्लायंसेज और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स पर घटाए गए GST की जानकारी ट्विटर के जरिए दी है। इससे ये डिवाइस आम जनता के लिए अधिक किफायती हो जाएंगे। ट्विटर पर उन सभी चीजों की सूची भी दी गई है, जो नए GST रेट के कारण सस्ती हो जाएंगी।

भारत सरकार ने 27 इंच या उससे कम स्क्रीन साइज वाले TV पर GST 31.3 फीसद से घटाते हुए 18 फीसद कर दिया है। सरकार ने मोबाइल फोन पर GST घटा दिया है, जिससे अब मोबाइल खरीदने के लिए कम दाम चुकाने होंगे। इससे पहले उपभोक्ता को मोबाइल फोन खरीदते वक़्त 31.3 फीसद GST चुकाना होता था, जो अब घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे मोबाइल फोन कंपनियां अपने फोन की कीमत में कटौती कर पाएंगी।

वहीं, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसे घरेलू उपकरणों के साथ ही पंखे, कूलर, गीजर आदि भी सस्ते होंगे। इन घरेलू उपकरणों पर GST 31.3 प्रतिशत से घटाकर 18 फीसद किया गया है, यानी कीमत में 12 फीसद तक कटौती होगी। अन्य घरेलू उपकरण जैसे मिक्सर, जूसर, वैक्यूम क्लीनर, LED, वैक्यूम फ्लास्क और वैक्यूम बर्तनों पर भी GST घटाया गया है। मिक्सर, जूसर आदि पर GST 31.3 फीसद से घटकर 18 फीसद हो गया है, जबकि LED पर जीएसटी 15 फीसद से घटकर 12 फीसद कर दिया गया है।

 

इसके साथ ही घरेलु उत्पादों पर भी GST घटाकर आम जनता को राहत दी गई है। डिटर्जेंट, कास्मेटिक, परफ्यूम्स, हर तरह की पोलिश आदि पर जो पहले 28 फीसद GST लगता था, उसे अब 18 फीसद कर दिया गया है। वहीं, टूथ पाउडर, हेयर आयल, साबुन, फुटवेयर, मूवी टिकट आदि पर भी GST घटाया गया है , जिसकी पूरी सूची आप ऊपर देख सकते हैं।

फ्रांस में बेकाबू होते जा रहे हालात, चौथे दिन भी जारी रही हिंसा, हजार के करीब लोग गिरफ्तारी, 45000 जवान तैनात

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फ्रांस की राजधानी पेरिस समेत पूरा देश पिछले 3 दिनों से खतरनाक हिंसा की चपेट में है। 17 साल के युवक नाहेल की मौत के बाद फ्रांस, पिछले एक दशक का सबसे भयानक दंगे की आग में धधक रहा है।मंगलवार को पेरिस के पास ट्रैफिक चेकिंग के दौरान पुलिस ने गोली मारकर एक किशोर की हत्या कर दी थी। इसके बाद पूरे देश में दंगा भड़क गया।हिंसक विरोध प्रदर्शन की लगातार चौथी रात प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए फ्रांस ने शुक्रवार को हल्के बख्तरबंद वाहनों के साथ 45,000 अधिकारियों को तैनात किया। बताया जा रहा है कि इस हिंसक विरोध प्रदर्शन में 200 से ज्यादा पुलिस अफसर घायल हो चुके हैं, वहीं हजार के करीब प्रदर्शनकारी गिरफ्तार हुए हैं। 

देश में इमरजेंसी जैसे हालात

नेनटेरे क्षेत्र में 17 वर्षीय मृतक किशोर नाहेल के सम्मान में एक शांति मार्च निकालने के दौरान टकराव बढ़ गया। यह तनाव पूरे फ्रांस में कई जगहों पर दिखाई दिया। पेरिस सहित कई शहरों में हालात बेकाबू हो चुके हैं। हजारों की तादाद में प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं। कई इमारतों में आग लगा दी गई। गाड़ियां फूक दी गई हैं।देश में इमरजेंसी जैसे हालात हो गए हैं। अगर स्थिति नहीं सुधरी तो आपातकाल घोषित कर दिया जाएगा। कहा जा रहा है कि फ्रांस में हालात 2005 के दंगों से भी ज्यादा खराब हो सकते हैं।

पेरिस बीते 72 घंटों से सुलग रही है

मंगलवार को पेरिस से शुरू हुआ ये प्रदर्शन अब पूरे देश में फैल चुका है। स्थिति अब आउट ऑफ कंट्रोल हो रही है। हालात ये है कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थानों तक को फूंक डाला। कई गाड़ियों में आग लगा दी। पेरिस के ज्यादातर इलाकों को आग के हवाले कर दिया गया है। फ्रांस की राजधानी पेरिस बीते 72 घंटों से सुलग रही है। पुलिस हालातों पर काबू करने की कोशिश कर रही है पर स्थिति जस की तस बनी हुई है।

बच्चों को घर पर रखने की सलाह

इस बीच फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने शुक्रवार को माता-पिता से किशोरों को घर पर रखने का आग्रह किया और पूरे फ्रांस में फैल रहे दंगों को रोकने के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा। वरिष्ठ मंत्रियों के साथ दूसरी आपात बैठक के बाद, मैक्रों ने कहा कि 'स्नैपचैट' और 'टिकटॉक' जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने इस हफ्ते हिंसा की गतिविधियों को बढ़ावा देने में भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार 'सबसे संवेदनशील सामग्री को हटाने' के लिए प्रौद्योगिकी कंपनियों के साथ काम करेगी।

मध्यप्रदेश से अाई चौंकाने वाली खबर, बाघ का सिर काटकर ले गए शिकारी, जलाशय के समीप मिला सिर रहित बाघ का सड़ा-गला शव, मचा हड़कंप

मध्य प्रदेश से एक चौंकाने वाली घटना सामने अा रही है। मिली जानकारी के अनुसार सतपुड़ा बाघ अभयारण्य के कोर क्षेत्र में एक वयस्क बाघ को शिकारियों ने मार दिया तथा उसका सिर ले गए। मीडिया को शुक्रवार को यह खबर एक अफसर ने दी थी। सतपुड़ा बाघ अभयारण्य के क्षेत्र संचालक एल कृष्णमूर्ति ने एक मीडिया समूह को बताया कि सोमवार को सतपुड़ा बाघ अभयारण्य के कोर क्षेत्र में एक जलाशय के समीप एक सिर रहित बाघ का सड़ा-गला शव मिला।

अफसर ने कहा, 'निश्चित तौर पर यह अवैध शिकार का मामला है। हमने इस बाघ के सिर की तलाश की, मगर वह नहीं मिला। परिस्थितिजन्य साक्ष्य बताते हैं कि इसे जहर नहीं दिया गया था। तालाब में जहां बाघ पाया गया था, हमने उस स्थान के पानी के सैंपल को जांच के लिए भेजा है।' उन्होंने कहा कि बाघ के शरीर के अंगों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है तथा इस घटना की सभी कोणों से तहकीकात की जा रही है। वहीं, मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जेएस चौहान से जब कथित अंतरराष्ट्रीय शिकारी जय तमांग की संलिप्तता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह संसार चंद (एक कुख्यात शिकारी जिस पर सरिस्का में बाघों का सफाया करने का आरोप है) के पश्चात् बाघ के शरीर के अंगों का सबसे बड़ा तस्कर है। उन्होंने कहा, 'हमने तिब्बत के रहने वाले तमांग को इससे पहले (2015 में) पूर्वोत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया था। हमें तमांग के ठिकाने के बारे में खबर नहीं है क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करता रहता है।'

अफसरों ने बताया, 2016 में इंटरपोल की अंतरराष्ट्रीय अपराध पुलिस की पर्यावरण अपराध शाखा ने तमांग के खिलाफ 'रेड कॉर्नर' नोटिस जारी किया था, जबकि 2018 में मध्य प्रदेश वन विभाग ने सतपुड़ा बाघ अभयारण्य में रेडियो कॉलर वाले बाघ तथा मध्य प्रदेश में सैकड़ों पैंगोलिन के शिकार के सिलसिले में वांछित तमांग को पकड़ने के लिए नेपाल से सहायता मांगी थी। चौहान ने कहा कि उन्हें बाघ का शिकार करने के पीछे किसी बड़े गैंग का संदेह नहीं है। उन्होंने कहा, 'यदि शिकार के पीछे पेशेवर शिकारी होते तो वे बाघ के शरीर के सभी अंगों को (बिक्री के लिए) ले जाते। सिर्फ सिर ही क्यों ले जाते। ऐसा लगता है कि इस मामले का कोई स्थानीय संबंध है। मुझे अभी इसके पीछे कोई संगठित गिरोह नजर नहीं आता।' चौहान ने कहा कि कुछ लोगों का कहना है कि बाघ के अंगों का इस्तेमाल जादू-टोना में करने से समृद्धता आती है। वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत में एक बाघ की निगरानी एवं संरक्षण में सालाना तकरीबन 5 लाख रुपये खर्च होते हैं।