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तंज : वंदे भारत को ले जाता दिखा रेलवे इंजन! कांग्रेस का दावा- 9 सालों के झूठ को खींच रहा 70 सालों का इतिहास

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने वंदे भारत ट्रेन के एक वीडियो के जरिए केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता कृष्णा अल्लावारू ने शुक्रवार (29 जून) को एक वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें वंदे भारत ट्रेन को रेलवे का एक पुराना इंजन खींच कर ले जाता नजर आ रहा है. 

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि वंदे भारत ट्रेन को रेलवे का इलेक्ट्रिक इंजन खींच कर ले जा रहा है. 

कांग्रेस नेता कृष्णा अल्लावारू ने ट्वीट में लिखा है कि पिछले 9 सालों के झूठ को खींच कर ले जाता 70 सालों का इतिहास. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (27 जून) को मध्य प्रदेश के भोपाल से 5 नई वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई थी. 

रेलवे का शाइनिंग स्टार है वंदे भारत

वंदे भारत ट्रेनों को भारतीय रेलवे का शाइनिंग स्टार कहा जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (27 जून) को भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से पांच वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई. इन नई ट्रेनों को जोड़कर अब भारत में कुल 23 वंदे भारत हो गई हैं. सेमी-हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत रेलवे की प्रीमियम ट्रेनों में से एक है.

इन सबके बीच वंदे भारत ट्रेन से कई बार मवेशियों के भिड़ने के कई मामले सामने आ चुके हैं. वहीं, पश्चिम बंगाल समेत कई जगहों पर वंदे भारत ट्रेनों पर पत्थरबाजी की घटनाएं भी सुर्खियों में आती रहती हैं.

 हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमपी के भोपाल में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर 5 वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई थी. इनमें रानी कमलापति-जबलपुर वंदे भारत, खजुराहो से भोपाल के रास्ते इंदौर, गोवा के मडगांव से मुंबई, धारवाड़ से बेंगलुरू और झारखंड के हटिया से बिहार के पटना के बीच पांचों ट्रेनें चलेंगी.

देशभर की 450 बेटियां बनीं शिवप्रिया, संयम के पथ पर चलते हुए ईश्वरीय सेवा में समर्पित किया जीवन


नई दिल्ली: ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में एक दिव्य अलौकिक विवाह हुआ। विवाह भी ऐसा जिसमें एक दूल्हा (परमात्मा शिव) थे और 450 दुल्हनें थी।

इन दुल्हनों में किसी ने सीए किया तो कोई डॉक्टर, इंजीनियर, एमटेक, एमएससी, फैशन डिजाइनर, स्कूल शिक्षिका थी। 15 हजार बाराती इस दिव्य विवाह के साक्षी बने।

 खुशी में भावुक माता-पिता बोले-आज हमारा जीवन धन्य हो गया। परमात्मा से यही कामना है कि हर जन्म में ऐसी शक्ति स्वरूपा, कुल उद्धार करने वाली बेटी मिले। खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं कि आज मेरी बेटी समाज कल्याण के लिए संयम का मार्ग अपना रही है। अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन मेरी बेटी अब विश्व कल्याण के लिए जिएगी।

संस्थान के इतिहास में पहली बार एक साथ 450 बेटियों ने ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर ब्रह्माकुमारी के रूप में आजीवन समाजसेवा का संकल्प लिया। इन बेटियों को खुशी में नाचते देख हर कोई भावुक हो उठा। इनके चेहरों पर कुछ पाने की खुशी को साफ देखा जा सकता था। समारोह में बेटियों के माता-पिता ने अपनी-अपनी लाडलियों का हाथ संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मुन्नी दीदी, राजयोगिनी संतोष दीदी के हाथों में सौंपा।

 परमात्मा पर अपना जीवन समर्पण करने वालीं सभी बहनों की दिनचर्या अलसुबह ब्रह्ममुहूर्त में 3.30 बजे से शुरू हुई। सबसे पहले सभी बहनों ने परमपिता शिव परमात्मा, शिव बाबा का एक घंटे ध्यान किया। इसके बाद सुबह 7 बजे से आठ बजे तक सत्संग (मुरली क्लास) में भाग लिया। इसके बाद दिनभर में अपने साथ आए नाते-रिश्तेदारों के साथ बिताया। 

एक-दूसरे को बधाइयों का दौर चलता रहा। शाम 4 बजे से दिव्य अलौकिक समर्पण समारोह में मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। समारोह में देशभर से आए लोगों को खाने में स्पेशल पनीर, हलुवा आदि का ब्रह्माभोजन कराया गया।

समारोह में संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी ने कहा कि आज एक साथ इतनी बहनों का समर्पण देखकर मन खुशी से झूम रहा है। ये बेटियां बहुत भाग्यशाली हैं। महासचिव बीके निर्वैर भाई ने कहा कि सभी बहनों जीवन में अपने कर्मों से समाज में नए उदाहरण प्रस्तुत करें। अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन भाई ने कहा कि अपना जीवन परमात्मा पर अर्पण करने से बड़ा भाग्य कुछ नहीं हो सकता है। 

कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय भाई ने कहा कि आपकी वाणी दुनिया के कल्याण का माध्यम बने। आपका एक-एक कर्म उदाहरणमूर्त हो। धरती से अंधकार मिटाने और ज्ञान प्रकाश फैलाने में शिव की शक्ति, भुुजा बनकर, साथी बनकर सदा जीवन में आगे बढ़ते रहें। मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने गीत प्रस्तुत किया। समारोह में विशेष रूप से कटक से आए कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। खासतौर पर एंजल ग्रुप की आठ साल की बालिकाओं की प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया। 

समर्पण समारोह डायमंड हॉल में आयोजित किया गया। समारोह के लिए खासतौर पर सौ फीट लंबी और 40 फीट चौड़ी स्टेज तैयार की गई। इसमें समर्पित होने वालीं वरिष्ठ बहनों को स्टेज पर बैठाया गया, वहीं छोटी बहनों को सामने बैठाया गया। सभी 450 बहनें श्वेत वस्त्रों में चुनरी ओढक़र, माला पहनकर, बिंदी के साथ सज-धजकर पहुंचीं। जहां एक-एक बहनों ने अपने परिजनों के साथ मुलाकात कर फोटो निकलवाई। साथ ही खुशी में डांस किया। ब्रह्माकुमारीज से जुडऩे की शुरुआत राजयोग मेडिटेशन के सात दिवसीय कोर्स से होती है। जो संस्थान के देश-विदेश में स्थित सेवाकेंद्रों पर नि:शुल्क सिखाया जाता है। 

राजयोग ध्यान ब्रह्माकुमारीज की शिक्षा का मुख्य आधार है। राजयोग की शिक्षा ही संस्था का मूल आधार और उद्देश्य है। संस्थान का मुख्य नारा है-स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन। हम बदलेंगे, जग बदलेगा। नैतिक मूल्यों की पुरुत्र्थान और भारत की पुरातन स्वर्णिम संस्कृति की स्थापना करना।

राजयोग मेडिटेशन कोर्स के बाद छह माह तक नियमित सत्संग, राजयोग ध्यान के अभ्यास के बाद सेंटर इंचार्ज दीदी द्वारा सेवाकेंद्र पर रहने की अनुमति दी जाती है। तीन साल तक सेवाकेंद्र पर रहने के दौरान संस्थान की दिनचर्या और गाइडलाइन का पालन करना जरूरी होता है। बहनों का आचरण, चाल-चलन, स्वभाव, व्यवहार देखा-परखा जाता है। इसके बाद ट्रॉयल के लिए मुख्यालय शांतिवन के लिए माता-पिता का अनुमति पत्र भेजा जाता है। ट्रॉयल पीरियड के दो साल बाद फिर ब्रह्माकुमारी के रूप में समर्पण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। समर्पण के बाद फिर बहनें पूर्ण रूप से सेवाकेंद्र के माध्यम से ब्रह्माकुमारी के रूप में अपनी सेवाएं देती हैं। 

वर्ष 1937 में ब्रह्माकुमारीज की नींव रखी गई। तब से लेकर अब तक 87 वर्ष में संस्थान में 50 हजार ब्रह्माकुमारी बहनों ने अपनी जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित किया है। ये बहनें तन-मन-धन के साथ समाजसेवा, विश्व कल्याण और सामाजिक, आध्यात्मिक सशक्तीकरण के कार्य में जुटी हैं। संस्थान द्वारा संपूर्ण भारतवर्ष को 12 विभिन्न जोन में बांटा गया है। इन जोन में एक मुख्य निदेशिका और फिर स्थानीय सेवाकेंद्र में जिला स्तर पर मुख्य निदेशिका होती हैं जो अपने-अपने जिलों में सेवाएं देती हैं। शुरुआत में नई बहनें बड़ी बहनों के मार्गदर्शन में रहती हैं फिर उन्हें नया सेवाकेंद्र खोलने की अनुमति प्रदान की जाती है। 

ब्रह्माकुमारीज के मुख्यालय शांतिवन में साल एक बार ही बहनों का समर्पण समारोह आयोजित किया जाता है। इसके अलावा जोनल सेवाकेंद्रों, सबजोन सेवाकेंद्रों पर समय प्रति समय अलग से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिनमें 11, 21, 51 बहनों का समर्पण किया जाता है। सभी जगह समर्पण के कार्यक्रम में एक ही प्रक्रिया अपनाई जाती है। जिसमें संस्थान के मुख्यालय से वरिष्ठ दीदी-दादियां शामिल होती हैं। जिस सेवा स्थान से यह बहनें आती हैं वहीं पर ही वह समर्पण होने के बाद अपनी सेवाएं देती हैं। ब्रह्माकुमारी बहनों के लिए विशेष शैक्षणिक योग्यता का नियम नहीं है।

 जो भी बहन संस्थान के नियमों का पूरी तरह से पांच साल तक पालन करती हैं तो वह समर्पित हो सकती हैं।

अद्भुत : एक नदी ऐसा जिसमें पानी की जगह होते हैं पत्थर, जानिए कहां बहती है ये अनोखी स्टोन रिवर


नयी दिल्ली : आपको दुनिया में बहने वाली विभिन्न नदियों के बारे में जानकारी होगी. कुछ नदियाँ विशाल हैं, जबकि कुछ नदियाँ छोटी हैं. हर नदी का अपना अत्यंत महत्वपूर्ण इतिहास और महत्व होता है. हालांकि, क्या आपको दुनिया की एक अनोखी पत्थरों से भरी नदी के बारे में जानकारी है? यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस नदी के बारे में थोड़ा और ज्यादा जानेंगे, जहां पानी की जगह पत्थर ही पत्थर होते हैं. यह नदी अन्य नदियों से अलग है और इसकी लंबाई कई किलोमीटर तक फैली हुई है.

पानी की जगह नदी में बहते हैं पत्थर

दुनियाभर के देशों में बहुत-सी नदियां बहती हैं. भारत की बात करें, तो यहां प्रमुख नदियों की संख्या लगभग 200 है. इसके अलावा, देश के विभिन्न राज्यों में छोटी से लेकर बड़ी नदियों का प्रवाह होता है. अब तक आपने देखा होगा कि नदियों में पानी के साथ विभिन्न आकार के पत्थर देखने को मिलते हैं. लेकिन रूस में एक ऐसी नदी है जहां पानी के बजाय नदी में पत्थरों का प्रवाह होता है. यहां पर नदी में बहुत सारे पत्थर भरे हुए हैं.

स्टोन रिवर

यह अद्वितीय नदी रूस में "स्टोन रिवर" या "स्टोन रन" के नाम से भी प्रसिद्ध है, क्योंकि यहां नदी में पत्थरों का नदी में प्रवाह होने की वजह से उनका अधिकारिक नाम रखा गया है. इस नदी के आसपास देवदार के वृक्षों के घने जंगल भी हैं और इसके पास एक वन क्षेत्र है, जिसमें विविध प्राणियों की एक अद्वितीय जीवन-पद्धति है.

मिलते हैं 10 टन तक वजनी पत्थर

इस अनोखी नदी की लंबाई लगभग छह किलोमीटर है. कुछ जगहों पर इसकी चौड़ाई 20 मीटर तक है, जबकि कुछ जगहों पर इसकी चौड़ाई 200 मीटर से भी अधिक है. इस नदी में मौजूद पत्थरों का वजन 10 टन तक होता है और इन पत्थरों का आकार भी अलग-अलग होता है. इसलिए, लोग इस नदी को देखने के लिए विभिन्न भूभागों से यहां पहुंचते हैं.

कहां से आए ये पत्थर?

वैज्ञानिकों ने इस नदी के बारे में अध्ययन किए हैं, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. कुछ शोधार्थी विचार करते हैं कि करीब 10,000 साल पहले पर्वतों की ऊंचाइयों से टूटे ग्लेशियर के पत्थर पानी के साथ यहां बहकर जमा हो गए.

जानकारी : दुनिया के सबसे मीठे आम का नाम कैसे पड़ा `लंगड़ा`? बड़ी दिलचस्प है कहानी

 नयी दिल्ली : लंगड़ा आम को दुनिया सबसे मीठा आम बताया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस आम का नाम लंगड़ा आम क्यों रखा गया?

 भारत में आम की 1500 से ज्यादा किस्में पाई जाती हैं. लंगड़ा और दशहरी जैसे आम लोगों को खूब पसंद होते हैं. लंगड़ा आम का नाम सुनकर आपको बहुत हंसी आती होगी लेकिन क्या आपको पता है कि इसका नाम लंगड़ा ही क्यों हैं? इस आम का नाम लंगड़ा आम कैसे पड़ा? दावा किया जाता है कि लंगड़ा आम का इतिहास करीब 300 साल पुराना है. लंगड़ा आम का कनेक्शन यूपी के वाराणसी से बताया जाता है. लंगड़ा आम के नाम का इतिहास बेहद दिलचस्प है, आइए इसके बारे में जानते हैं.

सबसे मीठे आम का नाम लंगड़ा क्यों?

बताया जाता है कि बनारस में साधु रहते थे. उन्होंने एक आम की बाग लगाई थी. इसकी देखभाल की जिम्मेदारी उन्होंने एक पुजारी को दी थी. पुजारी दिव्यांग थे. इलाके के लोग उन्हें लंगड़ा पुजारी कहकर बुलाते थे. और शायद इसी वजह से उनके बाग के आमों को लोग लंगड़ा आम कहने लगे. इसीलिए आम की इस प्रजाति को लंगड़ा आम या बनारसी आम कहते हैं.

लंगड़ा आम के नाम का इतिहास

बता दें कि लंगड़ा आम दुनिया भर में फेमस है. भारत से इसका बड़े पैमाने पर एक्सपोर्ट होता है.एन एफ। लंगड़ा बेहद रसीला और स्वादिष्ट होता है. भारत में हर साल लाखों टन लंगड़ा आम का उत्पादन होता है. यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश में लंगड़ा प्रजाति का आम प्रमुख तौर से उगाया जाता है.

लंगड़ा आम की कैसे करें पहचान?

लंगड़ा आम अंडाकार आकार का होता है. लंगड़ा आम नीचे से हल्का नुकीला होता है. इस कारण से इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है. लंगड़ा आम पकने के बाद भी हरे रंग का ही रहता है. लंगड़ा आम की गुठली चौड़ी और पतली होती है.

फिल्म अभिनेता विवेक ओबेरॉय ने की ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि शुनक से मुलाकात,पीएम शुनक के साथ उनकी तस्बीर हो रही है वायरल


नई दिल्ली: यूके के पीएम द्वारा लंदन में दिए गए रिसेप्शन में सोनम कपूर और विवेक ओबेरॉय ने भाग लिया है। उन्होंने यूके-इंडिया वीक कार्यक्रम के सम्मान में इस रिसेप्शन का आयोजन किया था। इस अवसर पर विवेक ओबेरॉय ने यूके के पीएम ऋषि सुनक से मुलाकात की और थैंक्स कहा।

पीएम ऋषि शुनक के साथ अभिनेता विवेक ओबरॉय की तस्वीरें वायरल हो रही है। इसमें उन्होंने यूके के प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास और कार्यालय 10 डाउनिंग स्ट्रीट में देखा जा रहा है।

अभिनेता विवेक ओबरॉय ने यूके के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ तस्वीरें शेयर की और अपने अनुभव के बारे में बताया है। विवेक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी सम्मान करने के लिए ऋषि सुनक का आभार व्यक्त किया है। इंडिया यूके वीक 2023 जून महीने के 26 से 30 के बीच आयोजित किया गया था।

विवेक ओबरॉय इस कार्यक्रम में भाग लेने डार्क ब्लू कुर्ता और कलरफुल जैकेट पहने पहुंचे थे। वह फोटो में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के पास खड़े होकर मुस्कुराते हुए नजर आ रहे हैं। तस्वीरें शेयर करते हुए विवेक का लिखा है,

"थैंक्यू प्राइम मिनिस्टर ऋषि सुनक। आपने 10 डाउनिंग स्ट्रीट में बहुत ही अच्छे से स्वागत किया है। आप, आपका परिवार और पूरी टीम बहुत ही अच्छे मेजबान हो। आपने भारत और इंडिया के रिश्ते को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत की है। आपने दो देशों के बीच हमें एक पुल बताया है जो कि बहुत बड़ी बात है। जब आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कहते हुए प्राइम मिनिस्टर मोदी जी कहते हैं तो यह हमारे दिल को छू लेता है क्योंकि आप भारतीय संस्कार दर्शाते हो। मुझे पूरा विश्वास है कि सभी भारतीय और भारतीय मूल के लोग इस बात से खुश होंगे। मैं अक्षत मूर्ति और सुधा मूर्ति जी का भी विशेष आभार व्यक्त करता हूं।"

देविका नदी को बोला जाता है गंगा की बहन,जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले की पहाड़ी स्थित महादेव मंदिर से निकलती है यह नदी

नयी दिल्ली : भारत की किस नदी को बोला जाता है गंगा की बहन, जानें भारत की सबसे लंबी नदी की बात करें, तो वह गंगा नदी है। इसकी कुल लंबाई 2525 किलोमीटर है, जो कि पहाड़ों से लेकर मैदानों से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक का सफर पूरी करती है। भारत में गंगा की कई सहायक नदियां हैं, जो कि इसके बहाव में मिलकर इसे बहाने में मदद करती हैं। ये नदियां देश के अलग-अलग राज्यों के जिलों से होकर निकलती हैं। हालांकि, क्या आपको पता है कि भारत की किस नदी को गंगा की बहन बोला जाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे

भारत में यदि प्रमुख नदियों की बात करें, तो करीब 200 प्रमुख नदियां हैं। इन नदियों में यदि भारत की सबसे लंबी नदी की बात होती है, तो सबसे ऊपर नाम गंगा नदी का आता है, जो कि पहाड़ों से होते हुए मैदानी इलाकों को पार कर 2525 किलोमीटर का सफर पूरा करने के बाद बंगाल की खाड़ी में जाकर गिर जाती है।

वहीं, गंगा की कई सहायक नदियां हैं, जो कि इसे बहने में सहायता प्रदान करती हैं। ये नदियां भारत के अलग-अलग राज्यों के जिलों से होते हुए गंगा में मिलती हैं। हालांकि, क्या आपको भारत की ऐसी नदी के बारे में पता है, जिसे गंगा की बहन कहा जाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम गंगा की बहन कहे जाने वाली नदी के बारे में जानेंगे। कौन-सी है यह नदी और कहां से कहां तक बहती है, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें। 

इस नदी को कहा जाता है गंगा की बहन


भारत में नदियां हिंदू धर्म में लोगों की आस्था का केंद्र हैं। इन्हीं नदियों में शामिल है देविका नदी, जिसे पौराणिक मान्याताओ के मुताबिक गंगा नदी की बहन के रूप में जाना जाता है। 

कहां से निकलती है यह नदी देविका नदी जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले की पहाड़ी सुध महादेव मंदिर से निकलती है। यहां से निकलने के बाद यह नदी पश्चिमी पंजाब(वर्तमान पाकिस्तान) में जाकर रावी नदी में जाकर मिल जाती है। यहां से इसका पानी रावी नदी में मिलकर बहता है। इस तरह देविका नदी रावी की सहायक नदी बन जाती है। 

क्या है देविका नदी परियोजना


देविका नदी को लेकर मार्च 2019 में राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत काम शुरू किया गया था। इसका प्रमुख उद्देश्य नदी के तटों को विकसित करने के साथ इसके तट पर मौजूद दाह संस्कार स्थल, प्राकृतिक पानी की निकासी और स्नान घाटों का विकास के साथ सीवेज उपचार संयंत्र, जलविद्युत संयंत्र और सौर उर्जा संयंत्र स्थापित करना था। 

गुप्त गंगा के नाम से जानी जाती है यह नदी


देविका नदी का धार्मिक महत्व अधिक है। यही वजह है कि जहां से यह नदी निकलती है, उसे देवकनगरी के रूप में भी जाना जाता है। वहीं, अपने उद्गम स्थल से निकलने के बाद यह नदी कई जगहों पर लुप्त और कई जगहों पर प्रकट होती है।

ऐसे में इस नदी को गुप्त गंगा के नाम से भी जाना जाता है। पौरणाकि मान्याताओं में इस नदी को गंगा की बड़ी बहन देविका बताया गया है। 

बैसाखी की पूर्व संध्या पर लगता है मेला


इस नदी के किनारे पर बैसाखी की पूर्व संध्या पर मेले का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें जगह-जगह से लोग पहुंचते हैं।

वहीं, इस नदी के तट पर अंतिम संस्कार का भी अधिक महत्व है। इस वजह से यहां लोग अपनों का अंतिम संस्कार करने के लिए भी आते हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था पेश करती है लचीलेपन की तस्वीर, मजबूत वित्तीय प्रणाली से विकास को मिला बढ़ावा

नई दिल्ली :भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत व्यापक आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों द्वारा समर्थित लचीलेपन की तस्वीर पेश करती है. RBI Report , जो वित्तीय संस्थानों के स्वास्थ्य का अर्ध-वार्षिक रिपोर्ट कार्ड है, वित्तीय क्षेत्र का अवलोकन करते हुए कहती है : "निरंतर विकास की गति, मुद्रास्फीति में कमी और मुद्रास्फीति की उम्मीदों का स्थिरीकरण, चालू खाता घाटे (सीएडी) में कमी और बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार, चल रहा राजकोषीय समेकन और एक मजबूत वित्तीय प्रणाली अर्थव्यवस्था को निरंतर विकास के पथ पर स्थापित कर रही है."

इसमें कहा गया है, "बैंकों और कॉरपोरेट्स की स्वस्थ बैलेंस शीट एक नए क्रेडिट और निवेश चक्र को जन्म दे रही हैं. मजबूत राजस्व वृद्धि, उच्च लाभ और कम उत्तोलन कॉरपोरेट्स को अपनी निचली रेखा में सुधार करने में मदद कर रहे हैं." RBI Report में कहा गया है कि बैंक और गैर-बैंक वित्तीय मध्यस्थ मजबूत बफर के साथ मजबूत आय और मजबूत ऋण वृद्धि दर्ज कर रहे हैं. RBI दस्तावेज़ में कहा गया है कि ये सुधार बढ़ती गति से मजबूत होकर भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को उज्ज्वल कर रहे हैं.

हालांकि उसने साथ ही आगाह किया कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली की स्थिरता की परीक्षा उच्च मुद्रास्फीति, तंग वित्तीय स्थिति और बैंकिंग प्रणाली की कमज़ोरियों से होती है. इसके साथ ही, भूराजनीतिक तनाव और आर्थिक विखंडन व्यापक आर्थिक स्थिरता को खतरे में डाल रहे हैं. निवेशकों की भावनाओं में तेजी से बदलाव के बीच वित्तीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ गई है. इसमें बताया गया है कि उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) को महत्वपूर्ण स्पिलओवर जोखिमों और मैक्रोफाइनेंशियल अस्थिरता के असममित प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है.

28 ट्रेन के बराबर ये एक रेल! इंजन से आखिरी कोच तक पहुंचने में लग जाए सवा घंटा

कुल लंबाई 7.3 किलोमीटर, 682 डिब्बे को खींचने के लिए लगाए गए थे 8 लोकोमोटिव इंजन

नयी दिल्ली : जून 2001 में चली दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन की कुल लंबाई 7.3 किलोमीटर थी और इसमें 682 डिब्बे लगे थे. इस ट्रेन को खींचने के लिए 8 लोकोमोटिव इंजन लगाए गए थे. आइये जानते हैं इस ट्रेन से जुड़ी कई और खासियतें और रोचक तथ्य .

भारत समेत दुनियाभर में रेल को यातायात का सबसे सस्ता और अच्छा साधन माना जाता है. रेल से रोजाना करोड़ों यात्री सफर करते हैं. वहीं, लाखों टन माल की ढुलाई होती है. क्या आपको पता है कि दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन कौन-सी है. अगर नहीं, तो आइये आपको बताते हैं इस रेल का नाम और रूट भारत समेत दुनियाभर में रेल को यातायात का सबसे सस्ता और अच्छा साधन माना जाता है. रेल से रोजाना करोड़ों यात्री सफर करते हैं. वहीं, लाखों टन माल की ढुलाई होती है. क्या आपको पता है कि दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन कौन-सी है. अगर नहीं, तो आइये आपको बताते हैं इस रेल का नाम और रूट

 'द ऑस्ट्रेलियन बीएचपी आयरन ओर' को दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन कहा जाता है. 

21 जून 2001 में चली इस रेल ने सबसे भारी ट्रेन के साथ-साथ सबसे लंबी ट्रेन का विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया था, क्योंकि इसकी कुल लंबाई 7.3 किलोमीटर थी.

'द ऑस्ट्रेलियन बीएचपी आयरन ओर' को दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन कहा जाता है. 21 जून 2001 में चली इस रेल ने सबसे भारी ट्रेन के साथ-साथ सबसे लंबी ट्रेन का विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया था, क्योंकि इसकी कुल लंबाई 7.3 किलोमीटर थी.

 दरअसल यह एक मालगाड़ी थी और इसमें 682 डिब्बे लगे हुए थे. 99,734 टन वजनी इस ट्रेन को खींचने के लिए 8 लोकोमोटिव इंजन लगाए गए थे. यह ट्रेन यांडी और पोर्ट हेडलैंड के बीच 275 किलोमीटर तक चली थी और इससे 82,000 टन लौह अयस्क ढोया गया था.

दरअसल यह एक मालगाड़ी थी और इसमें 682 डिब्बे लगे हुए थे. 99,734 टन वजनी इस ट्रेन को खींचने के लिए 8 लोकोमोटिव इंजन लगाए गए थे. यह ट्रेन यांडी और पोर्ट हेडलैंड के बीच 275 किलोमीटर तक चली थी और इससे 82,000 टन लौह अयस्क ढोया गया था.

 दुनिया की इस सबसे लंबी ट्रेन को एक ही ड्राइवर ने चलाया था और 275 किलोमीटर की दूरी तय करने में इसे 10 घंटे और 4 मिनट लगे थे. इस ट्रेन का रिकॉर्ड फिलहाल अभी तक कोई नहीं तोड़ पाया है.

दुनिया की इस सबसे लंबी ट्रेन को एक ही ड्राइवर ने चलाया था और 275 किलोमीटर की दूरी तय करने में इसे 10 घंटे और 4 मिनट लगे थे. इस ट्रेन का रिकॉर्ड फिलहाल अभी तक कोई नहीं तोड़ पाया है.

 इस ट्रेन ने 1991 में दक्षिण अफ्रीका में बनाए गए दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन के रिकॉर्ड को तोड़ दिया था. उस मालगाड़ी में 660 डिब्बे थे और उसकी लंबाई 7.19 किलोमीटर थी.

इस ट्रेन ने 1991 में दक्षिण अफ्रीका में बनाए गए दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन के रिकॉर्ड को तोड़ दिया था. उस मालगाड़ी में 660 डिब्बे थे और उसकी लंबाई 7.19 किलोमीटर थी.

 बता दें कि भारत की सबसे लंबी ट्रेनों में शेषनाग और सुपर वासुकी शामिल हैं. सुपर वासुकी 295 डिब्बों के साथ 3.5 किलोमीटर लंबी देश की सबसे बड़ी ट्रेन है, जबकि शेषनाग ट्रेन की लंबाई लगभग 2.8 किलोमीटर है और इसे चलाने के लिए 4 इंजन लगाए जाते हैं.

बता दें कि भारत की सबसे लंबी ट्रेनों में शेषनाग और सुपर वासुकी शामिल हैं. सुपर वासुकी 295 डिब्बों के साथ 3.5 किलोमीटर लंबी देश की सबसे बड़ी ट्रेन है, जबकि शेषनाग ट्रेन की लंबाई लगभग 2.8 किलोमीटर है और इसे चलाने के लिए 4 इंजन लगाए जाते है.

सीरियलों में काम म‍िलना हुआ बंद, तो घर खर्च के ल‍िए न‍िकाला तोड़, ऐसे अपना घर चला रही हैं ये 6 टीवी एक्‍ट्रेसें

 मुंबई : टीवी इंडस्ट्री में कई ऐसी एक्ट्रेस हैं, जिन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. मेकर्स और प्रोड्यूसर ने उन्हें कोई ऑफर नहीं दे रहे हैं. कुछ एक्ट्रेस अच्छे ऑफर नहीं मिलने की वजह से भी काम नहीं कर रही हैं. इनमें अंकिता लोखंडे , देवोलीना भट्टाचार्जी, अनिता हस्सनंदानी समेत कई एक्ट्रेस शामिल हैं.

 यहां हम आपको टीवी की उन पॉपुलर एक्ट्रेस के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें टीवी शोज के ऑफर नहीं मिल रहे और वह घर पर खाली बैठी हैं. ऐसे में उन्होंने घर चलाने और लाइमलाइट में बने रहने के लिए तोड़ निकाल लिया है.

 देबीना बनर्जी ने रामायण में सीता का किरदार निभाकर पॉपुलैरिटी हासिल की. लेकिन पिछले 3-4 साल से वह टीवी की दुनिया से गायब हैं. लेकिन वह लाइमलाइट में बनी हुई हैं. वजह उनकी दो बेटियां- लियाना और दिविशा और उनका व्लॉग देबीना डिकोड्स. अपने व्लॉग के जरिए वह यूट्यूब से अर्निंग के अलावा फैशन और किड ब्रांड एंडोर्स कर रही हैं.

 रति पांडे ने 'हिटलर दीदी' से पॉपुलैरिटी हासिल की. उन्होंने 'शादी मुबारक', 'देवी आदि पराशक्ति' जैसी टीवी शोज में काम किया. लेकिन पिछले 3 साल से उनके पास कोई काम नहीं है. इसके बाद से उन्होंने रति पांडे डायरीज नाम का व्लॉग शुरू किया और इसी को अर्निंग का माध्यम बनाया है. वह घूमने-फिरने और अपनी पर्सनल लाइफ के एक्सपीरिएंस शेयर करती हैं.

दीपिका ककड़ ने हाल में एक बेबी को जन्म दिया है. वह लंबे समय से टीवी पर काम कर नहीं कर रही हैं. लेकिन लाइमलाइट में बनी हुईं हैं. वह 'दीपिका की दुनिया' नाम का व्लॉग चलाती हैं. उनके पति शोएब इब्राहिम और ननद भी व्लॉगिंग की दुनिया में कदम रखा हुआ है. 

मोहेना कुमारी सिंह ने 'डांस इंडिया डांस सीजन 3', कुबुल है, गुमराहः एंड ऑफ इनोसेंस जैसे कई टीवी शोज में काम किया. साल 2019 में वह खतरा खतरा खतरा में दिखी थीं. इसके बाद वह टीवी की दुनिया से दूर हैं. वह रीवा की राजकुमारी हैं. वह मोहेना व्लॉग्स नाम का यूट्यूब चैनल चलाती हैं. हालांकि वह पिछले 1 साल से एक्टिव नहीं हैं. 

'अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजे', 'संतोषी मां', 'राधा की बेटियां कुछ कर दिखाएंगी' जैसे टीवी शोज में काम कर चुकीं रतन राजपूत ने खूब पॉपुलैरिटीज हासिल की. लेकिन पिछले कुछ सालों उन्हें कोई ऑफर नहीं मिल रहा. वह अभी व्लॉगिंग की दुनिया में हाथ आजमा रही हैं. यूट्यूब एडवर्टीजमेंट के जरिए लाखों कमा रही हैं.

संभावना सेठ भोजपुरी की टॉप एक्ट्रेस रही हैं. उन्होंने कई फिल्मों में भी काम किया है. वह बिग बॉस के दूसरे सीजन में बतौर कंटेस्टेंट भी शामिल हुई थीं. संभावना ने व्लॉगिंग के जरिए अपनी रूटीन लाइफ को फैंस को साथ शेयर करती हैं.

दिल्ली: दिल्ली के सड़कों से 300 पुरानी बसों को हटाया गया,अब नए कंपनी से हुआ एकरारनामा, नये बसों का होगा परिचालन

नई दिल्ली :अब दिल्ली के सड़कों पर नही दिखेगी नारंगी रंग की बसें, दिल्ली सरकार ने इन बसों का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया दूसरे कंपनी के साथ हुए करारनामा के बाद अगले तीन महीने में निये बसों का परिचालन क्षुरु होगी।

 जानकारी के अनुसार सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने के बाद 300 क्लस्टर बसों के संचालन पर रोक लगा दी है। विभाग के एक अधिकारी के अनुसार परिवहन विभाग ने इन बसों को कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने के बाद रोक दिया है।

उन्होंने कहा कि नारंगी बसों को साल 2011 के आसपास डीटीसी की सेवाओं में शामिल किया गया था और अब वह ओवरएज हो गई थीं। अधिकारियों के अनुसार, इन बसों का कॉन्ट्रैक्ट डेढ़ साल पहले ही खत्म हो गया था, लेकिन इसको आगे बढ़ा दिया गया था।  

क्लस्टर बसों की निगरानी और प्रबंधन दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मॉडल ट्रांजिट लिमिटेड यानी (DIMTS) द्वारा किया जाता है। इन बसों को साल 2012 में ब्लू लाइन बसों को बदलने के लिए उद्देश्य से दिल्ली में संचालित किया गया था।

बसें पुरानी हो गयी थी,इसके जगह नई बसें चलेगी

एक अधिकारी ने कहा, कि "ऐसी 330 बसें हैं जो सड़कों से गायब हो गई हैं। ये ओवरएज हो गई थीं और जल्द ही नई बसों से बदल दी जाएंगी। डीआईएमटीएस ने एक कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किए हैं और जल्द ही दिल्ली की सड़कों पर नई बसें दिखेंगी।"

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इन बसों को बदलने के लिए डीआईएमटीएस ने पहले ही एक नई कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट कर लिया है। उन्होंने कहा कि आवश्यक औपचारिकताएं पूरी होने के बाद अगले दो से तीन महीने में नई बसें सड़कों पर उतरेंगी। नई बसें सीएनजी से चलेंगी। साथ ही DIMTS क्लस्टर बसों के बेड़े में इलेक्ट्रिक बसें भी शामिल की जाएगी।

अभी बस रद्द होने से इस रूट में यात्रियों को होगी परेशानी

परिवहन विभाग द्वारा बंद की यह 300 क्लस्टर बसें दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम और बाहरी दिल्ली में चलती थीं। अब इन यात्रियों को कुछ दिनों तक खासी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। दिल्ली में 400 से अधिक मार्गों पर लगभग 3,000 क्लस्टर बसों सहित 7,300 से अधिक चलती हैं, जिसमें लाखों लोग यात्रा करते हैं।