वज्रपात से मरने वाले व्यक्ति को मिलने वाले मुआवजा से कम कीमत पर बचाई जा सकती है लोगों की जन्दगी,कैसे..?जानने के लिए पढिये पूरी खबर...?
राँची: बज्रपात के कारण मारने वाले को सरकार की कार्यशैली और उचित प्रबंधन से कई समस्याओं का हल हो सकता है।लेकिन सरकारें कोई भी हो इस दिशा में कोई काम ही नही करना चाहता है।आइये ऐसे हीं एक मिस मैनेजमेंट की बात करए हैं।
झारखंड में लगातार वज्रपात से मौत हो रही है। मरने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को सरकार 4 लाख रुपए मुआवजा तो देती है। एक मृतक के परिवार को जितना मुआवजा बांटा जाता है, उतने में 2 तड़ित चालक लगाकर सैकड़ों की जान बचाई जा सकती है।
मौत में मुआवजे से कम कीमत पर बच सकती है सैकड़ों जिंदगी, वज्रपात से निजात का ये है उपाय
झारखंड में मानसून की आहट के साथ वज्रपात का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। बचाव के उपाय और जागरुकता की कमी के कारण इसकी चपेट में आकर लोगों की जान तक चली जा रही है। राज्य में पिछले 1 पखवाड़े में 50 लोगों की मौत हो चुकी है। वज्रपात से मरने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को सरकार 4 लाख रुपए मुआवजा तो देती है। लेकिन, एक मृतक के परिवार को जितना मुआवजा बांटा जाता है, उतनी ही राशि में 2 तड़ित चालक लगाकर सैकड़ों लोगों की जान बचाई जा सकती है। वज्रपात से बचाव के लिए लगाए जाने वाले तड़ित चालक पर मात्र 1.5 से 2 लाख ही खर्च आता है। राज्य में अभी खेतीबाड़ी का समय है। किसान जब खेतों में उतरेंगे तो उनकी वज्रपात की चपेट में उनके आने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में वज्रपात से बचाव के लिए जागरुक करने का यही सही समय है।
सरकारी प्रतिष्ठानों में अनिवार्य है तड़ित चालक
राज्य के सरकारी भवनों, देवालयों व स्कूल भवनों पर तड़ित चालक लगाना आवश्यक है। तभी ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाने में तड़ित चालक मददगार साबित हो सकता है। लेकिन राज्य का आपदा प्रबंधन विभाग और प्राधिकार इस पर गंभीर नहीं है। लोगों को सर्तक करना जिला प्रशासन का काम मौसम विभाग वज्रपात को लेकर भी पूर्वानुमान जारी करता है। इस पूर्वानुमान को आम लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेवारी जिला प्रशासन की है। यह सूचना जितनी जल्दी और तेजी से संभावित इलाके के लोगों तक पहुंचाए जाने पर वज्रपात की चपेट में लोगों को आने से रोका जा सकता है। इससे उनकी जान बच सकती है।
वज्रपात से बचाव पर विशेषज्ञों की राय
झारखंड संग कई राज्यों में ठनका से बचाव पर काम करने वाले विशेषज्ञ कर्नल संजय श्रीवास्तव ने कहा कि जागरुकता से ही लोगों की जान बचायी जा सकती है। झारखंड की टीम ने विशेष ऐप विकसित किया है। इससे माध्यम से वज्रपात होने के 4-6 घंटे पूर्व इसकी सूचना मिल जाती है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान में भी इस जानकारी का उल्लेख रहता है। जिला प्रशासन जागरुकता रथा निकालता है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को वज्रपात से बचने के उपाय बताए जाते हैं।
मानसून से पहले नहीं की जाती है तैयारी
1. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की मौसम पूर्वानुमान की जानकारी जिलों के माध्यम से ग्रामीणों और किसानों तक पहुंचाने की फौरी व्यवस्था बंद हो गयी।
2. अखबारों और अन्य संचार माध्यमों से लोगों को वज्रपात से बचने के उपायों की जानकारी नहीं दी जा रही है।
3. राज्य के 18 जिलों में आपदा प्रबंधन अधिकारी नहीं हैं। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ही प्रभार में है। इस विभाग को स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिए।
Jun 24 2023, 13:03