मणिपुर में नहीं थम रही हिंसा, आखिर बीजेपी नेताओं को क्यों बनाया जा रहा है निशाना?
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मणिपुर में हिंसा की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही है। राज्य में पिछले डेढ़ महीने से आक्रोश की “आग” में जल रहा है।विद्रोहियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प जारी है। हिंसा और आगजनी की इन घटनाओं के बीच बीजेपी नेताओं के घरों और ऑफिस को निशाना बनाया गया है।भाजपा सासंद और केंद्रीय मंत्री आर के रंजन सिंह समेत कई नेताओं के घर पर हमले हो चुके हैं। केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के आवास को गुस्साई भीड़ को आग के हवाले के किए जाने के अगले ही दिन बीजेपी के कई ऑफिस में तोड़फोड़ की खबर सामने आई।ऐसे में सवाल उठ रहा है कि मणिपुर हिंसा में भीड़ भाजपा नेताओं को क्यों निशाना बना रही है।
बीजेपी नेताओं के खिलाफ गुस्सा
जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में भीड़ ने शुक्रवार को भी भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपना निशाना बनाया। मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के क्वाकटा और चुराचांदपुर जिले के कंगवई से पूरी रात गोलीबारी हुई। इंफाल पश्चिम के इरिंगबाम पुलिस थाने में लूट की कोशिश की गई। हालांकि, इस दौरान कोई हथियार चोरी नहीं हुआ। दंगाइयों को इकट्ठा होने से रोकने के लिए सेना, असम राइफल्स और मणिपुर द्रुत कार्य बल (आरएएफ) ने इंफाल में आधी रात तक संयुक्त मार्च निकाला। इस बीच लगभग 1,000 लोगों की भीड़ ने महल परिसर के पास स्थित इमारतों में आग लगाने की कोशिश की। भीड़ ने विधायक बिस्वजीत के घर में आग लगाने का भी प्रयास किया। आरएएफ ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और रबड़ की गोलियां चलाईं।
इसके बाद भीड़ ने सिंजेमाई में मध्य रात्रि के बाद भाजपा कार्यालय का घेराव किया, लेकिन वह उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकी, क्योंकि सेना ने भीड़ को तितर-बितर कर दिया। इसी तरह, इंफाल में आधी रात के करीब पोरमपेट के पास भाजपा की महिला इकाई की अध्यक्ष शारदा देवी के घर में भीड़ ने तोड़फोड़ करने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षाबलों ने भीड़ को खदेड़ दिया 25 मई को मंत्री कोंथौजम गोविंददास के घर पर धावा बोला गया था और वहां भी तोड़फोड़ की गई थी। इसके बाद पिछले बुधवार को मंत्री नेमचा किपगेन के आधिकारिक आवास को आग के हवाले कर दिया गया। इसके बाद गुरुवार की रात केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन सिंह के निजी आवास को आग को जलाया गया। गनीमत रही कि जिस समय उग्र भीड़ ने घर को आग के हवाले किया उस समय रंजन सिंह वहां मौजूद नहीं थे. उनका पूरा परिवार बाहर गया हुआ था।
भीड़ बीजेपी के नेताओं को ही क्यों निशाना बना रही है?
मणिपुर में बीजेपी की सरकार है। जिस तरीके से तेजी से बीजेपी नेताओं के खिलाफ गुस्सा बढ़ा है उसके पीछे वजह बताई जा रही है मैतेई समुदाय का गुस्सा। प्रदेश में 60 में से 40 विधायक मैतेई समुदाय के ही है और इस समुदाय के लोगों कहना है कि इन विधायकों ने पीएम मोदी तक उनकी बात ठीक से नहीं पहुंचाई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि भीड़ सड़कों पर अपना गुस्सा निकाल रही हैं क्योंकि सरकार बढ़ती महंगाई को रोकने, सामान्य स्थिति बहाल करने और हिंसा में शामिल आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही है।
अमित शाह की पहल का भी असर नहीं
मणिपुर में एक महीने से अधिक समय से जातीय हिंसा जारी है। 3 मई से अब तक जातीय हिंसा में 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। 50 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी पिछले महीने मणिपुर का दौरा किया था और राज्य में शांति बहाल करने के अपने प्रयासों के तहत विभिन्न वर्गों के लोगों से मुलाकात की थी। बावजूद इसके हिंसा की घटनाएं कम नहीं हुई और विपक्षी दल इसको लेकर बीजेपी पर हमलावर हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्थिति का आकलन करने और केंद्रीय बलों के बेहतर इस्तेमाल के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक एस. एल. थाउसेन को मणिपुर भेजा गया है। वर्तमान में, राज्य पुलिस बलों के अलावा मणिपुर में लगभग 30,000 केंद्रीय सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। इन बलों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की लगभग आठ बटालियन, सेना की 80 टुकड़ियां और असम राइफल्स की 67 टुकड़ियां शामिल हैं। इतना सब होने के बाद भी हिंसा पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका है।
बवाल की वजह
मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में मणिपुर के पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुईं थीं। मैतेई राज्य में प्रमुख समुदाय है। ये इंफाल घाटी में रहते हैं। इस समुदाय में हिंदू शामिल हैं और इनकी आबादी करीब 53 प्रतिशत हैं। वहीं, नागा और कुकी जनजातियां मणिपुर की आबादी का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो ‘अनुसूचित जनजाति’ श्रेणी में आती हैं। ये समुदाय पहाड़ी जिलों में रहता है। मैतेई समुदाय मणिपुर में अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों की मांग कर रहा है, जो उन्हें मणिपुर में पहाड़ियों और जंगलों में भूमि का अधिकार प्रदान करेगा। इसी कारण उनके और नागा व कुकी समुदायों के बीच दरार पैदा हो गई। हिंसा के शुरुआत होने की असल जड़ यही है।
Jun 19 2023, 20:12