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हवीबगंज है देश का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन, 45 साल के लिए दिया गया है लीज, धीरे धीरे बढ़ेगी निजी रेलवे स्टेशन की संख्या

 रेलवे भारत की जीवन रेखा है। जितनी आस्ट्रेलिया महादेश की जनसंख्या है, उतने लोग तो हर रोज भारतीय रेल के ट्रेनों से यात्रा करते हैं। इसके पास 7,000 से भी ज्यादा रेलवे स्टेशन हैं। पर एक को छोड़ कर सभी स्टेशन सरकार के हैं। इस समय देश में मात्र एक स्टेशन ही प्राइवेट है। आप जानते हैं कि देश का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन कौन-सा है।

रेलवे इन दिनों खूब चर्चा में है। चर्चा में रहने की वजह ओडिशा में हुआ कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसा है। इसमें 280 से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई है। इस हादसे के बाद भी रेलगाड़ियों से हर रोज करोड़ों लोग इससे यात्रा करते हैं। दरअसल, रेलगाड़ी यात्रा की सबसे सस्ती और भरोसेमंद सुविधा है। दुनिया के कई देशों में में रेलवे प्राइवेट कंपनी के हाथों में है। लेकिन भारत में यह अभी तक सरकारी है। हालांकि धीरे धीरे इसमें भी प्रावइेट को बढ़ावा दिया जा रहा है। एक स्टेशन का प्राइवेटाइजेशन भी किया जा चुका है।

रेल मंत्रालय के दो पीएसयू IRCON and RLDA ने मिल कर Indian Railway Stations Development Corporation (IRSDC) का गठन किया है। इसी संगठन ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित हबीबगंज रेलवे जय जय जय स्टेशन को रिडेवलपमेंट के लिए दिया है। इस रेलवे स्टेशन को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) फार्मूले पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के रेलवे स्टेशन के रूप में विकसित किया गया है। इसे जर्मनी के Heidelberg रेलवे स्टेशन के तर्ज पर विकसित किया गया है।

कौन है इस स्टेशन का डेवलपर

इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कारपोरेशन ने हबीबगंज रेलवे स्टेशन के रिडेवलपमेंट के लए एक Developer Consortium का चयन किया है। इस कंसोर्टियम में M/s Bansal Construction Works Pvt. Ltd. लीड मेंबर के रूप में शामिल है। इसके साथ ही कंसोर्टियम मेंबर के रूप में M/s Prakash Asphaltings & Toll Highways (India) Ltd. शामिल है।

कितने साल की लीज पर मिला 

हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर जो कामर्शियल डेवलपमेंट हुआ है, उसका लीज पीरियड 45 साल के लिए है। इसके साथ ही रेलवे स्टेशन का ऑपरेशन एंड मेंटनेंस भी इस समय प्राइवेट पार्टी के पास ही है। इसकी अविध कुल आठ साल की है। इनमें तीन साल की कंस्ट्रक्शन अवधि और पांच साल की बाद की अवधि शामिल है।

आठ रेलवे स्टेशनों का हो रहा है रिडेवलपमेंट

इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कारपोरेशन इस समय आठ रेलवे स्टेशनों का रिडेवलपमेंट कर रहा है। इनमें चंडीगढ़, भोपाल के पास हबीबगंज, पुणे के पास शिवाजीनगर, नई दिल्ली के पास बिजवासन, नई दिल्ली के पास ही आनंद विहार, गुजरात का सूरत, पंजाब का एसएएस नगर (मोहाली) और गुजरात का गांधीनगर शामिल है।

इन स्टेशनों पर क्या मिलेगी सुविधा

प्रावइेट स्टेशनों पर वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन जैसी सुविधा मिलने का दावा किया गया है। इनमें रेस्तरां, शॉपिंग स्टोर, केटरिंग शॉप व पार्किंग शामिल है। इसके अलावा महिला यात्रियों के लिए अलग से कुछ अन्य सुविधाओं का भी जिक्र है। इन स्टेशनों पर नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दिया गया है। साथ ही इन स्टेशनों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की भी विशेष व्यवस्था होगी।

हबीबगंज का अब बदल गया है नाम

हबीबगंज रेलवे स्टेशन का जब रिडेवलपमेंट वर्क पूरा हो गया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2021 में इसका उद‌घाटन किया था। उसी समय हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन कर दिया गया है। रानी कमलापति एक गोंड रानी थीं, जिनका विवाह गिन्नोरगढ़ के राजा निजाम शाह के साथ हुआ था। वह निजाम शाह की 7 पत्नियों में से एक थी।

वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की आठ बोगियां पहुंची बिहार, पटना स्टेशन पर लोगों ने ताली बजाकर किया स्वागत, सेल्फी लेने वालों की लगी भीड़

पटना से रांची के बीच चलने वाली पहली वंदे भारत एक्सप्रेस के ट्रेन की आठ कोच मंगलवार की शाम 6:35 बजे पटना जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या 7 पर पहुंची। बोगियां के पहुंचते ही वहां उपस्थित लोगों में खुशी का माहौल देखा गया। बताया गया कि देर रात यह ट्रेन पटना जंक्शन से राजेंद्र नगर टर्मिनल के कोचिंग कॉम्प्लेक्स में पहुंची। इस ट्रेन का ट्रायल पटना से रांची के बीच बुधवार या गुरुवार को किया जाएगा। 

आईएफसी चेन्नई के सीनियर अभियंता और अधिकारी भी ट्रायल में शामिल रहेंगे। इसमें 5 सामान्य और 1 लग्जरी कोच है जिसमें 530 यात्रियों के बैठने की क्षमता है। 2 चालक कोच में यात्रियों के साथ दिव्यांग के बैठने के विशेष सुविधा है। लग्जरी कोच में 52, सामान्य कोच में 78 और चालक कोच में 44 यात्रियों के बैठने की सुविधा है। यह ट्रेन 128 से 130 के स्पीड में चलेगी। ट्रेन पूरी तरह से फायर प्रूफ है।

वंदे भारत एक्सप्रेस के पटना जंक्शन पहुंचते ही स्टेशन पर मौजूद लोगों ने ताली बजाकर स्वागत किया और ट्रेन रुकते ही सेल्फी लेने का सिलसिला शुरू हो गया। वंदे भारत एक्सप्रेस चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री से पटना के लिए 3 जून को 5:10 बजे शाम में रवाना हुई थी।

महासागर में महासमर की तैयारी कर रहा हिंदुस्तान, नौसेना की स्वदेशी टॉरपीडो ने पानी में लाया तूफान

डेस्क: तेजी से बदले वैश्विक परिवेश और युद्ध की आशंकाओं के मद्देनजर भारत ने भी अपनी तीनों सेनाओं को सशक्त बनाने की जिद ठान ली है। जल, थल और वायु तीनों ही सेनाओं को मोदी सरकार हथियारों से सुसज्जित, आत्मनिर्भर और ताकतवर बना रही है। 

इस क्रम में भारतीय नौसेना को महासागर में महासमर के लिए तैयार किया जा रहा है। आइएनएस विक्रांस से लेकर, कलावरी पनडुब्बियां और बैलिस्टिक मिसाइलें, परमाणु पनडुब्बी समेत अन्य घातक युद्ध पोत दुश्मनों को ललकार रहे हैं। इसी क्रम में भारतीय नौसेना ने स्वदेशी टॉरपीडो विकसित किया है, जिसने समुद्र के भीतर सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य को भेद कर सबको चौंका दिया है।

बता दें कि भारतीय नौसेना के स्वदेश में विकसित भारी वजन वाले टॉरपीडो ने पानी के भीतर एक लक्ष्य को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। नौसेना ने इस सफलता को ‘‘महत्वपूर्ण मील का पत्थर’’ करार दिया है। नौसेना ने मंगलवार को एक संक्षिप्त बयान में कहा कि टॉरपीडो के अचूक निशाने से आत्मनिर्भरता के जरिए भविष्य की उत्कृष्ट युद्ध तैयारियों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का पता चलता है।

टॉरपीडो सफलता मील का पत्थर

नौसेना के अनुसार स्वदेशी रूप से विकसित भारी वजन वाले टॉरपीडो द्वारा पानी के भीतर लक्ष्य को निशाना बनाया जाना पानी के नीचे के क्षेत्र में लक्ष्य को नष्ट करने संबंधी आयुध की सटीक प्रदायगी की भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ललक को दिखाने वाला एक ‘‘महत्वपूर्ण मील का पत्थर’’ है। 

नौसेना ने कहा, ‘‘यह आत्मनिर्भरता के माध्यम से भविष्य की युद्ध तैयारियों के प्रमाण के प्रति हमारी वचनबद्धता को प्रदर्शित करता है।’’ पिछले कुछ वर्षों से नौसेना संबंधित क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती आक्रामकता के मद्देनजर विशेष रूप से हिंद महासागर में अपनी युद्ध तैयारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

उत्तराखंड के पुरोला में मुसलमानों की दुकानों पर चिपकाए गए धमकी भरे पोस्टर

डेस्क: उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के पुरोला क्षेत्र में इन दिनों बवाल मचा हुआ है। दरअसल, कुछ दिन पहले अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति समेत 2 लोगों ने एक नाबालिग लड़की को किडनैप करने की नाकाम कोशिश की थी। अब इस इलाके में मुसलमानों की दुकानों पर पोस्टर चिपके हुए मिले हैं, जिनमें उन्हें तुरंत इस इलाके से चले जाने को कहा गया है। पुरोला के थाना प्रभारी खजान सिंह चौहान ने कहा कि रविवार शाम दुकानों पर ये पोस्टर चिपकाए गए, जिनमें दुकानदारों से जल्द से जल्द पुरोला छोड़कर चले जाने के लिए कहा गया है।

पुलिस ने कहा- मामले की जांच शुरू

पुलिस ने हालात को गंभीरता से लेते हुए पुरोला के जिम्मेदार लोगों से मुलाकात कर उनसे शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है। चौहान ने कहा कि कथित तौर पर पोस्टर लगाने वाले ‘देवभूमि रक्षा अभियान’ के अज्ञात लोगों के खिलाफ क्षेत्र की शांति भंग करने का षड़यंत्र रचने और विशेष समुदाय की भावनाएं भड़काने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि पोस्टर चिपकाने के मामले की जांच शुरू कर दी गई है और देवभूमि रक्षा अभियान से जुड़े लोगों से पूछताछ की जा रही है।

मुसलमानों ने SDM को दिया ज्ञापन

इससे पहले मुसलमानों के एक ग्रुप ने पुरोला के SDM देवानंद शर्मा तथा एसएचओ चौहान से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि मुस्लिम परिवार पिछले कई सालों से स्थानीय लोगों के साथ शांति से रह रहे हैं और व्यापार कर रहे हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षों से अपराधी प्रवृत्ति के लोग बाहर से आ रहे हैं और व्यापार करने के नाम पर सामाजिक माहौल को खराब कर रहे हैं। उन्होंने आपराधिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की व्यापार मंडल की मांग का समर्थन किया।

पुरोला में आखिर ऐसा क्या हुआ था?

पुरोला में अल्पसंख्यक समुदाय के एक युवक पर आरोप है कि उसने अपने मामा के घर आई एक नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर उसका अपहरण किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दो युवक खरसाड़ी क्षेत्र की एक कक्षा 9 की नाबालिग छात्रा को बहला-फुसला कर भगा कर ले जा रहे थे। दोनों युवक छात्रा को शादी का झांसा देकर विकासनगर लेकर भागने की फिराक में थे, तभी परिजनों और स्थानीय लोगों ने इन्हें देख लिया और बाद में पुलिस के हवाले कर दिया। इसके बाद से ही पुरोला में 'लव जिहाद' को लेकर जबरदस्त गुस्सा है।

मध्य प्रदेश के दमोह में जिला शिक्षा अधिकारी पर फेंकी गई स्याही, लगे 'जय श्री राम' के नारे

डेस्क: मध्य प्रदेश के दमोह में जिला शिक्षा अधिकारी पर स्याही फेंकने का मामला सामने आया है। कुछ लोगों के एक समूह ने दमोह जिला शिक्षा अधिकारी एसके मिश्रा पर स्याही फेंकी और 'जय श्री राम' के नारे लगाए। 

अधिकारी का कहना है, 'मैं उनके नाम नहीं जानता लेकिन वे स्थानीय लोग हैं। वे गंगा जमुना स्कूल के मुद्दे (हिजाब विवाद) के बारे में बात कर रहे थे। मुझे न तो इसकी जांच दी गई है और न ही मैंने रिपोर्ट दर्ज की है। इसे एक हाई पावर कमेटी को सौंपा गया है। मैंने उनमें से कुछ चेहरों को देखा जिनके पास कुछ बकाया बिल थे। इसलिए, उन्होंने बदला लेने के लिए ऐसा किया होगा। बिल कुछ स्कूलों की मरम्मत के रखरखाव से संबंधित थे।'

वीडियो में देखा जा सकता है कि दमोह जिला शिक्षा अधिकारी अपनी गाड़ी में बैठे होते हैं, इसी दौरान कुछ लोग आते हैं और उनसे बात करने के बहाने उनके ऊपर स्याही फेंक देते हैं। इस दौरान अधिकारी और उनके ड्राइवर, दोनों पर स्याही गिरती है।

मणिपुर में थम नहीं रही हिंसा, बीएसएफ का एक जवान शहीद, असम राइफल्स के दो जवान घायल

डेस्क: मणिपुर में पिछले एक महीने से हिंसा का दौर जारी है। काकचिंग जिले के सेरौ इलाके में विद्रोहियों के साथ गोलीबारी में बीएसएफका एक जवान शहीद हो गया जबकि असम राइफल्स के दो जवान गोली लगने से घायल हो गए। सेना ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सेना के दीमापुर स्थित स्पीयर कोर मुख्यालय ने ट्वीट कर बताया कि घायलों को हवाई मार्ग से मंत्रिपुखरी ले जाया गया है और तलाश अभियान जारी है। सेना के स्पीयर कोर मुख्यालय ने यह भी कहा कि विस्तृत जानकारी का इंतजार है। 

सुरक्षा बलों और विद्रोहियों के बीच गोलीबारी 

ट्वीट के मुताबिक, ‘मणिपुर में सुगनू/सेरौ के इलाकों में असम राइफल्स, बीएसएफ तथा पुलिस द्वारा चलाए गए व्यापक अभियान के दौरान पांच-छह जून की दरमियानी रात सुरक्षा बलों और विद्रोहियों के बीच गोलीबारी हुई। सुरक्षा बल ने गोलीबारी का माकूल जवाब दिया।’’ पुलिस ने बताया कि इंफाल पश्चिम जिले के फायेंग से सुरक्षा बलों तथा संदिग्ध कुकी उग्रवादियों के बीच गोलीबारी की भी सूचना है। हालांकि किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है। 

ग्रामीणों ने शिविर को आग के हवाले किया

मणिपुर के काकचिंग जिले के सुगनू में नाराज ग्रामीणों ने खाली पड़े उस शिविर में रविवार को आग लगा दी थी, जहां यूनाइटेड कुकी लिबरेशन फ्रंट (यूकेएलएफ) के उग्रवादी सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद ठहरे थे।

 उग्रवादियों द्वारा काकचिंग जिले के सेरौ में सुगनू से कांग्रेस विधायक के.रंजीत के आवास सहित कम से कम 100 मकानों को शनिवार रात आग के हवाले किए जाने के बाद से ग्रामीण गुस्से में थे। आगजनी से पहले रविवार को भारतीय रिज़र्व बटालियन और सीमा सुरक्षा बल सहित राज्य पुलिस के संयुक्त बलों की ग्राम स्वयंसेवकों के साथ नाज़रेथ शिविर में उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ हुई, जिसके बाद उग्रवादी अपना शिविर छोड़कर भाग गए। ग्रामीणों ने बाद में रविवार रात शिविर को आग के हवाले कर दिया, जिसमें नए भर्ती हुए कुकी उग्रवादियों को प्रशिक्षण भी दिया जाता था। 

मणिपुर में जातीय हिंसा में अबतक 98 लोगों की मौत 

मणिपुर में एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 98 लोगों की मौत हुई है और 310 अन्य घायल हुए हैं। कुल 37,450 लोग वर्तमान में 272 राहत शिविरों में रह रहे हैं। गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं। मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 10,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।

बाबा बागेश्वर से शादी की जिद, परिवार समेत MBBS की छात्रा ने शुरू की पदयात्रा, पिता और भाई भी साथ, जानें कौन है ये बाबा की दीवानी

 बागेश्वर धाम सरकार के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों सुर्खियों में हैं। उनके हर कार्यक्रम लाखों लोगों की भीड़ लगती है। देश के साथ ही विदेशों में भी उनके भक्त मौजूद हैं।

अब लड़कियों में भी पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का क्रेज देखने को मिल रहा है। इसी कड़ी में एक एमबीबीएस की छात्रा ने बाबा से शादी करने इच्छा जाहिर की है। छात्रा ने अपनी इच्छा पूर्ति के लिए गंगोत्री धाम से सिर पर गंगाजल लेकर बागेश्वर धाम के लिए पदयात्रा शुरू कर दी है। छात्रा के पिता और भाई भी उसके साथ पदयात्रा कर रहे हैं। 

दरअसल, बाबा धीरेंद्र शास्त्री से विवाह की कामना लेकर आ रही एमबीबीएस छात्रा शिवरंजनी तिवारी हैं। वह धीरेंद्र शास्त्री ये विवाह करना चाहती हैं। शिवरंजनी ने पदयात्रा शुरू करते हुए चित्रकूट स्थित संतोष अखाड़ा पहुंचकर साधू संतों का आशीर्वाद लिया। उन्होंने यहां भजन आरती भी की और आगे के लिए चल पड़ी हैं।

धीरेंद्र शास्त्री से करना चाहती हैं मनोकामना

शिवरंजीन तिवारी सिर पर गंगाजल का कलश लेकर पद यात्रा करते हुए चित्रकुट से बागेश्वर धाम के लिए निकल चुकी हैं। उन्होंने कहा कि​ मैं बाबा धीरेंद्र शास्त्री के पास जा रही हूं। हालांकि उन्होंने शादी को बात खुलकर नहीं की लेकिन बातों में उन्होंने कहा कि मैंने धीरेंद्र शास्त्री को अपना प्राणनाथ मान लिया है। मनोकामना पूर्ति के लिए बागेश्वर धाम जा रही हूं।

धीरेंद्र शास्त्री के सामने रखेंगी अपनी इच्छा

शिवरंजनी का कहना है कि वह 16 तारीख को बागेश्वर धाम पहुंचेगी। यहां पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के समक्ष की अपने मन की बात रखेंगी। उन्होंने कहा कि सभी को उसी दिन पता चल जाएगा कि मैं ये पदयात्रा क्यों कर रही हूं। पदयात्रा में शिवरंजनी अकेले नहीं हैं। उनके साथ उनके पिता और भाई भी शामिल है। पहले पिता और भाई के आशीर्वाद के बाद ही छात्रा ने यात्रा शुरू की है।

ओडिशा रेल हादसा कोई साजिश की शिकार ! रेल मंत्रालय की सिफारिश पर सीबीआई ने दर्ज किया केस

डेस्क: ओडिशा रेल हादसे को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। सीबीआई ने ओडिशा के बहानागा बाजार में ट्रेन दुर्घटना से संबंधित मामला दर्ज किया। सीबीआई ने रेल मंत्रालय की सिफारिश, ओडिशा सरकार की सहमति और डीओपीटी (भारत सरकार) के अगले आदेशों पर मामला दर्ज किया है।

 गौरतलब है कि 2 जून, 2023 को ओडिशा राज्य के बहनागा बाजार में कोरोमंडल एक्सप्रेस, यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी से संबंधित ट्रेन दुर्घटना का मामला सामने आया था।

ओडिशा के बालासोर में दुखद तिहरे ट्रेन हादसे के तीन दिन बाद रेलवे का बयान, कोरोमंडल एक्सप्रेस के लोको पायलट और सहायक लोको पायलट दोनों जीवित, पढ़ि

ओडिशा के बालासोर में हुए दुखद तिहरे ट्रेन हादसे के तीन दिन बाद पता चला कि 2 जून को हुए भीषण हादसे का शिकार हुए कोरोमंडल एक्सप्रेस के लोको पायलट और सहायक लोको पायलट जीवित हैं। उनका इलाज चल रहा है। कोरोमंडल एक्सप्रेस के लोको पायलट गुणांधी मोहंती और सहायक लोको पायलट हजारी बेहरा को चोटें आई हैं और उनका भुवनेश्वर के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है।

दक्षिण पूर्व रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) आदित्य कुमार चौधरी ने कहा कि उनकी स्वास्थ्य स्थिति स्थिर और खतरे से बाहर बताई गई है। बताया कि मालगाड़ी के गार्ड की हालत भी स्थिर है। चौधरी ने कहा कि लोको पायलट और सहायक लोको पायलट, दोनों ने घटना के बारे में अपने बयान दिए हैं।

रेलवे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने पहले कहा था कि हरी झंडी मिलने के बाद पायलट लूप लाइन की ओर आगे बढ़ा।

 जया वर्मा ने नई दिल्ली में कहा, "हमने ड्राइवर से बात की थी और उसने पुष्टि की कि सिग्नल हरा था। हमारा स्टाफ समर्पित है और समर्पण के साथ काम करता है। सिग्नल के लाल होने पर न तो वह गुजरा था और न ही ओवरस्पीडिंग कर रहा था। ड्राइवर को गंभीर चोटें आईं। उसने कहा कि सिग्नल हरा था।"

जया वर्मा के मुताबिक, डेटा रिकॉर्ड (सीलबंद रिकॉर्ड जो जांच का हिस्सा है) भी बताता है कि सिग्नल हरा था। दूसरा, हर लोको में एक स्पीडोमीटर और चार्ट होता है जो गति को रिकॉर्ड करता है। स्पीडोमीटर ग्राफ को हटा दिया गया है और वह (ड्राइवर) अपनी अनुमेय गति सीमा में था। जया वर्मा ने कहा कि यह एक हाई-स्पीड सेक्शन (130 किमी प्रति घंटे की अनुमति) है और ट्रेन चालक 128 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चला रहा था।

इस बीच, रेलवे सुरक्षा के मुख्य आयुक्त शैलेश कुमार पाठक ने सोमवार को दुर्घटनास्थल का दौरा किया और कहा कि भारतीय रेलवे सुरक्षा के दक्षिण-पूर्वी सर्कल ने ट्रेन दुर्घटना की स्वतंत्र जांच शुरू कर दी है। पाठक ने मीडियाकर्मियों से कहा, रेलवे सुरक्षा दक्षिण-पूर्वी सर्कल के आयुक्त ने अपनी स्वतंत्र जांच शुरू कर दी है और जैसे ही रिपोर्ट पूरी हो जाएगी, हम विवरण साझा करेंगे। जांच पूरी होने के साथ कुछ भी कहना असंभव और सही नहीं है।

 जीआरपी ने बालासोर जीआरपी उप-निरीक्षक (एसआई) द्वारा दायर एक शिकायत के बाद आईपीसी की धारा 337, 338, 304-ए और 34 आईपीसी, 1980 और धारा 153, 154 और 175 रेलवे अधिनियम 1989 के तहत मामला दर्ज किया है। जीआरपी के पप्पू कुमार नाइक ने अपनी प्राथमिकी में रेलवे की ओर से लापरवाही का जिक्र किया है।

द केरल स्टोरी फिल्म के बाद अजमेर 92 पर बवाल, यहां पढ़िए, क्यों हो रही फिल्म पर बैन लगाने की मांग


द केरल स्टोरी के बाद एक और फिल्म रिलीज से पहले विवादों में अा गई है। इस मूवी का नाम है अजमेर 92। फिल्म पर बैन की मांग की जा रही है। वहीं विवाद शुरू होने के बाद सोशल मीडिया पर भी लोग अलग अलग राय दे रहे हैं। बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि ये फिल्म देश के लोगों को भ्रमित करने और समाज में फूट डालने वाली है।

क्यों बैन की मांग 

फिल्म अजमेर में 250 से ज्यादा लड़कियों के रेप की वारदात पर आधारित है। मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी की दरगाह हिन्दू मुस्लिम एकता की बेहतरीन मिसाल है जो लोगों के दिलों पर सदियों से राज कर रहे हैं। दरगाह अजमेर शरीफ से हमेशा अमन व शांति का पैगाम दिया जाता है और टूटे दिलों को जोड़ने का काम होता है।

 मौलाना ने फिल्म के बारे में बताया कि जो मुझे जानकारी प्राप्त हुई है कि मौजूदा वक्त में समाज में फूट डालने और नफरत फ़ैलाने जैसी घटनाओं को धर्म के नाम से वाबस्ता करने के लिए फिल्मों और सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है।