*सराहनीय पहल : मेडिकल कॉलेज काे जान बचाने वाले मरीजों का अब देना होगा हिसाब*
लखनऊ । यूपी के मेडिकल कालेजों में तैनात चिकित्सकों और कर्मचारियों की अब मनमानी नहीं चल पाएगी। अब सभी मेडिकल कालेजों में अति गंभीर मरीजों में से कितनी की जान बचाई। इसका कालेज प्रशासन को हिसाब देना होगा। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ से यह आदेश सभी मेडिकल कालेजों को जारी कर दिया गया है।ताकि जहां कमियां हो उसे सुधारा जा सके। साथ ही यह भी कहना है कि स्कोरिंग व्यवस्था से कालेजों की आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था में सुधार होगा।
आपात कालीन चिकित्सा व्यवस्था को सुधारने की बनाई रणनीति
मेडिकल कॉलेजों की आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था सुधारने की नई रणनीति बनाई गई है। अब सभी कॉलेजों को अति गंभीर मरीजों की जान बचाने का हिसाब देना होगा। यदि तीमारदार अपनी मर्जी से डिस्चार्ज (लामा) कराकर मरीज ले जाता है तो उसकी भी समीक्षा होगी। इसी आधार पर आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था की स्कोरिंग होगी। प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के आपातकालीन चिकित्सा केंद्र (इमरजेंसी) में हर दिन करीब पांच हजार मरीज आते हैं। जिला अस्पतालों व कॉलेजों से रेफर होने वाले करीब पांच से सात सौ मरीज लखनऊ के एसजीपीजीआई, केजीएमयू, लोहिया संस्थान के ट्रामा सेंटर पहुंचते हैं।
लखनऊ के मेडिकल कालेजों में लोड कम करने के लिए उठाया गया कदम
प्रमुख सचिवव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार का कहना है कि केजीएमयू, लोहिया और एसजीपीजीआई में लोड कम करने व मेडिकल कॉलेजों की इमरजेंसी सेवा सुधारने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नई रणनीति अपनाई है। इसमें नए कॉलेजों पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि नए कॉलेजों की इमरजेंसी में मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिलने से लोगों का विश्वास बढ़ेगा। ऐसे में सभी मेडिकल कॉलेजों की इमरजेंसी में मौजूद सुविधाओं, डॉक्टर व अन्य स्टाफ, सामान्य व अति गंभीर मरीजों, दवा की व्यवस्था, भर्ती होने के बाद दम तोड़ने वालों की संख्या और भर्ती के बाद उपचार शुरू होने में लगे वक्त का हर दिन ब्योरा तैयार किया जाएगा।
मेडिकल कॉलेजों की इमरजेंसी में लागू होगी स्कोरिंग व्यवस्था
प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों को आपातकालीन चिकित्सा केंद्र द्वारा बताया जाएगा कि कितने अति गंभीर मरीज आए और कितनों की जान बचा ली गई। फिर शासन की ओर से निर्धारित की गई टीम पत्रावलियों की जांच कर देखेगी कि संबंधित मरीज को बचाने के लिए डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की भूमिका क्या रही? इसकी हर माह स्कोरिंग भी की जाएगी।
नहीं चलेगी मनमानी, मर्जी से डिस्चार्ज वाले मरीजों से लेंगे फीडबैक
इमरजेंसी स्कोर के आधार पर संबंधित कॉलेज के आपातकालीन चिकित्सा केंद्र की व्यवस्थाओं में सुधार किया जाएगा। जहां की टीम लगातार बेहतर कार्य करेगी, उसे सम्मानित भी किया किया जाएगा। वहीं, लीव अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस (लामा) यानी जो तीमारदार अपनी मर्जी से मरीज डिस्चार्ज कराकर ले जाते हैं, उनसे पूरा विवरण लिखवाया जाएगा। फिर उनके मोबाइल नंबर पर कॉल करके डिस्चार्ज कराने के कारणों की जानकारी ली जाएगी। तीमारदार से मिले फीडबैक के आधार पर व्यवस्था में सुधार कराया जाएगा। अभी डिस्चार्ज फाइल पर सिर्फ लामा लिखवाया जाता है, लेकिन फीडबैक नहीं लिया जाता है। ऐसे मामलों में आए दिन चिकिस्तकों और पैरामेडिकल स्टाफ पर दबाव बनाने के आरोप लगते हैं।
Jun 05 2023, 13:32