आदिवासी का पर्व सेंदरा शुरू, आज शिकार पर जाने से पहले आदिवासियों ने की पूजा,जंगल के लिए हुए रवाना
सरायकेला : चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में आदिवासी की परंपरागत चले आ रहे हैं विशु शिकार (सेंदरा) पर्व का आयोजन किया गया।
राकेश हेंब्रम द्वारा शिकार पर जाने से पूर्व पूजा अर्चना किया गया है ।उसके बाद सैकड़ो सेंदरा वीर शिकारी अपने -अपने कुल देवता को प्रणाम करके आधुनिक हथियार तीर धनुष,बल्ला, टांगी, टोटा,तलबार,आदि सामग्री लेकर जंगल में चढ़ने लगा ।
आज शाम को सेंदरा वीर जंगल में प्रवेश करेंगे एक मई को शिकार करेंगे । सेंचुरी 193.22 वर्गमीटर में फैला है ।यह क्ष्रेत्र गज परियोजना के नाम से जाना जाता है ।
दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी में जल,वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा जंगली जानवरों का शिकार न हो इसको लेकर कड़ाई की गई है। इसके लिए कई जगह पर नाकाबंदी की गई है।
नाका का नाम :चाकुलिया चेकनाका मुख्य गेट । दाढ़ीसोल नाका बहरागोड़ा, बहरागोड़ा चैक नाका, धालभूम चेक नाका,काली मंदिर चेक नाका एन एच 33 घाटशिला हाता हल्दी फोकर चेकनाका ,देवघर भिलपहड़ी चेक नाका, डाहुबेडा चेक नाका,चांडिल रेलवे स्टेशन ,रघुनाथपुर नीमडीह चेक नाका ,भादुडीह चेक नाका ,गेरुआ चेक नाका में वन विभाग द्वारा कर्मचारी तैनात किया गया है।
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला के मेदनीपुर जिला के विभिन्न जगहों से आदिवासी लोग पहुंचते हैं ।साथ ही उड़ीसा राज्य ,बिहार राज्य से सैकडो सेंद्ररा वीर पहुंचते हैं। जेसे ट्रेन व बस आदि द्वारा शिकारी आते है जिसकी रोकथाम के लिए चेक नाका लगाया गया । सभी गाड़ी को जांच करते है ।शिकारी के पास से फंदा आदि को जप्त करते है।
कौन कौन रहेंगें तैनात ..?
वाइल्डलाइफ पीसीएफ, सीसीएफ, ऐसीएफ, 12 डिएफओ साथ ही रेंजर 25/30 व वनपाल ,वन रक्षित , ईको विकास समिति के संदेश तथा दैनिक भोगी मजदूर । सेंचुरी के अंदर गाड़ी से पेट्रोलिंग का कड़ी व्यबस्था रखा गया है। कोई भी शिकारी एक भी वन्य जीवजंतु का शिकार न कर पाएं। इसको लेकर सेंचुरी में प्रतिबंध रखा गया। बंदूक फंदा बिस्फोटक से ये लोग शिकार किया करते है।
चीतल , हिरण, कोटरा डियर ,सुअर, मोर,जंगली मुर्गा,खरगोस ,लाल गिलहरी,बंदर, लंगूर आदि वन्य जीवों का शिकार करता है।
विभाग का प्रयास रहता सेंचुरी में शिकार न जिसको देखते हुए लाखो रुपया खर्चा करने के वाबजूद शिकार को रोक नहीं पाए। लगातार दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी में झापा शिकार करते रहते तराई के आदिवासी लोग ।
एक समय था जंगल से वन्य जीव जंतु गांव मैं पहुंच जाते थे। वन्य जीवों का शिकार होने के कारण जंगल में लोमड़ी भी देखने को नहीं मिलता । वन्य जीवजंतु की आवाज से पूरे जंगल में गूंज उठाता था।आज आवाज सुनने को कान तरसता है।
इस सेंचुरी में गजराज ,चिता, भालू, रॉयल बंगाल टाईगर, लोमड़ी, हिरण,कोटरा, मोर, लाल गिलहरी,बांज,गिद्ध ओर विभिन्न प्रकार के जीवजंतु व पंछी सांप आदि देखने को मिलता था ।अब देखने को कम ही मिलता है। विभाग की लाख प्रयास के बाबजूद सेंदरा वीरों ने शिकार करके चोरी छिपे निकल जाते हैं। देखना यह है कि 1 मई 2023 में कितने वन्य जीवों का सुरक्षा कर पाते विभाग के पदाधिकारी कल होगा सेंदरा।एक दिन सेंदरा के नाम पर पूरे गर्मी शिकार होता है।
Apr 30 2023, 16:30