मुम्बई के लिये लीची का पहला खेप रवाना, शाही लीची के लिए अभी करना होगा इंतजार
मुजफ्फरपुर : लीची का नाम सुनते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है पानी आए भी तो क्यों नहीं क्योंकि इसके रंग से लेकर स्वाद तक आपको अपने तरफ आकर्षित करती हैं, आज कोलकाता एयरपोर्ट से मुम्बई के लिये लीची का पहला खेप रवाना हुआ है लेकिन विश्व विख्यात बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर की शाही लीची के लिए अभी इंतजार करना होगा। आइये क्यों करना होगा इंतजार और भारत में कहाँ कहाँ पर लीची की खेती होती हैं इसकी अहम जानकारियां भी दे रहे है।
आपको बताते चले कि लीची की सबसे पहले सीजन का शुरुआत उड़ीसा से होती है उसके बाद दूसरे खेप में पश्चिम बंगाल कोलकाता उसके बाद बड़े पैमाने पर बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर का शाही और चाइना उसके बाद उतर प्रदेश के कुछ स्थानों से लीची मिलने लगती है। जब वह समाप्त होने के कगार पर होती है तो पठान कोर्ट का लीची निकलना शुरू हो जाता है। इतना ही नहीं पठान कोर्ट के बाद कश्मीर और उसके बाद केरल के कुछ जगहों से भी लीची मिलती है। सितम्बर तक लेकिन सबसे मसहूर बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर का शाही लीची ही है।
शाही लीची को खास बनाने के लिए यहाँ का जलवायु खास मायने रखता है। क्योंकि सबसे खास जैसे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए भी बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर का शाही लीची ही खास पसंद है। इसके बावजूद किसान परेशान रहते है। एक बाजार उपलब्ध नहीं होने की वजह से।
भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के द्वारा उद्यान रत्न प्राप्त लीची के किसान भोलानाथ झा ने कहा कि किसान अपने दामों को लेकर मासूस न होने अच्छी किम्मत पर व्यापारियों से बात करे, कम से कम 40 पेड़ का कीमत एक लाख बीस हजार से कम नही ले काफी कीमती जमीन पर यह लीची का उत्पादन होता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि 20 से 25 मई के बीच स्वादिष्ट लीची खाने वाली मिलने लगेगी , इसके साथ ही कई सवाल राज्य व केंद्र सरकार के सामने मीडिया के माध्यम से रखा है।
मुजफ्फरपुर से संतोष तिवारी
Apr 26 2023, 18:48