*तर्कों का स्वागत पर कुतर्क अस्वीकार्य: स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती*
लखनऊ। जानकीपुरम विस्तार में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि जहां विभिन्न पंथों या मजहबों में तर्क पूरी तरह निषेध है, वहीं सनातन धर्म ने सार्थक, तार्किक, मौलिक तथा कल्याणकारी परिवर्तनों का सदैव स्वागत और सम्मान किया है, परन्तु कुतर्क कतई अस्वीकार्य हैं।
दुर्भाग्य से आज कुछ मूढ मति लोग अधकचरे ज्ञान के चलते हमारे शास्त्रों, परंपराओं और आस्था पर तर्कहीन बातों के जरिए प्रहार कर सामाजिक ताने-बाने को विनष्ट करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चाहे राम चरित मानस हो,चाहे मनुस्मृति और तो और परम ज्ञान के सागर हमारे पूज्य वेद हैं, सभी पर दुराग्रह वश कटाक्ष कर सनातन समाज को आहत किया जा रहा है।
स्वामी जी ने कहा कि ऐसे दुराग्रही ग्रंथों या शास्त्रों की किसी एक पंक्ति को पकड़ कर आलोचना करने लगते हैं जबकि किसी बात की व्याख्या के लिए स्थान,काल और संदर्भ का विशेष महत्व है।
उन्होंने कहा कि राजनीति चमकाने के लिए तमाम राजनेता ऐसे दुराग्रहों की धृष्टता करते आए दिन देखे जा सकते हैं। बीते दिनों मानस की ढोल, गंवार चोपाई को लेकर विवाद पैदा करने वालों को आड़े हाथ लेते हुए महाराज श्री ने कहा कि इस तरह के कुभाव प्रकट करने से पहले इन नेताओं को शबरी क्यों नहीं दिखती।शबरी तो नारी भी है,वह नीच जाति भी है,मगर तुलसी दास जी पारब्रह्म रुप भगवान राम को न केवल उसकी कुटिया में ले जाते हैं बल्कि उसके जूठे बेर भी चखाते हैं। गजब यह भी कि उस गरीब भीलनी की कुटिया में पधारे राम दंडकारण्य में रहते कभी किसी ऋषि के आश्रम में नहीं गए । इसी तरह सीता वनवास के बहाने राम के चरित्र को दागदार साबित करने की धृष्टता करने वाले आधे अधूरे ज्ञान को परोसने से बाज नहीं आ रहे हैं। इनमें तमाम ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने इन ग्रंथों को पढ़ना तो दूर शायद आज तक देखा भी नहीं है।
ऐसे कुबुद्धिजीवियों के विरुद्ध आवाज न उठाने से यह निरंतर मनबढ़ हो रहे हैं।
आज भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का लालित्यपूर्ण वर्णन करते हुए स्वामी जी इन लीलाओं की तार्किकता की विशद चर्चा की। कृष्ण लीलामृत की सरस वर्षा से सराबोर श्रोता वृंद आज जमकर थिरके। इस दौरान सुमधुर भक्ति गीतों ने वह समां बांधा कि पूरा पाण्डाल भक्ति की गंगा में डुबकी लगाने लगा। आरती के बाद प्रसाद वितरण के बाद कथा विश्राम हुआ।
Apr 25 2023, 17:50