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नेपाल राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल की तबीयत बिगड़ी , काठमांडू से दिल्ली एम्स के लिए किया रेफर

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नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल की तबीयत बिगड़ी गई है। उन्हें बेहतर इलाज के लिए महाराजगंज स्थित नामी त्रिभुवन यूनिवर्सिटी टीचिंग हॉस्पिटल से दिल्ली एम्स लाया जा रहा है। राष्ट्रपति रामचंद्र को फेफड़ों में संक्रमण के बाद सांस लेने में समस्या हो रही है। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 

राष्ट्रपति के सलाहकार के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑक्सीजन का स्तर कम होने के बाद हम उन्हें अस्पताल ले गए। वह 15 दिनों से एंटीबायोटिक्स ले रहे हैं, लेकिन उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।रात तक बताया जा रहा था कि उनका इलाज हो रहा है और उम्मीद है कि वो जल्द स्वस्थ्य हो जाएंगे मगर सुबह तक भी उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। जिसके बाद हॉस्पिटल ने उनको दिल्ली एम्स के लिए रेफर कर दिया है।

डॉक्टरों का कहना है कि उनके फेफड़ों में इंफेक्शन हो गया है। एक महीने के अंदर दूसरी बार राष्ट्रपति की तबीयत बिगड़ी है।इससे पहले 2 अप्रैल को राष्ट्रपति को पेट में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। राष्ट्रपति के चीफ एडवाइजर सुरेश चालीसे ने कहा था कि राम चंद्र पौडेल ने पेट में तेज दर्द की शिकायत की थी। उस समय भी उन्हें डॉक्टरों कि निगरानी में रखा गया था।

लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने खालिस्तानी समर्थकों के प्रदर्शन मामले की जांच एनआईए के हाथ

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ब्रिटेन की राजधानी लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने हुए प्रदर्शन मामले की जांच अब केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए करेगी।अधिकारियों की ओर से मंगलवार को जारी की गई जानकारी के मुताबिक दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा दर्ज मामले को अब एनआईए संभालेगी।दरअसल, प्रदर्शन मामले में पाकिस्तानी और खालिस्तानी समर्थकों से जुड़ी साजिश के इनपुट्स मिले है जिसके बाद एनआईए ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा दर्ज मामले को टेकओवर कर लिया है।गृह मंत्रालय के आदेश पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भारतीय दूतावास के समक्ष प्रदर्शन करने वाले खलिस्तानी व उनके समर्थकों के खिलाफ 24 मार्च को मुकदद्दमा दर्ज किया

खालिस्तानी समर्थकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, UAPA और PDPP एक्ट के तहत मामला दर्ज कर किया गया था।विदेश मंत्रालय ने लंदन में भारतीय दूतावास पर हुए प्रदर्शन के बाद कार्रवाई करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखा था जिसके बाद गृह मंत्रालय ने उचित कानूनी कार्रवाई करने के लिए दिल्ली पुलिस को आदेश दिया था।अब यह मामला एनआईए के पास चला गया है। एनआईए सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई समेत खालिस्तानी आंतकियों की भूमिका देखने को मिली है जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से मामले में जांच की हरी झंडी मिली है।हालांकि, एनआईए की ओर से अभी तक इस मामले में आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

बता दें कि, 19 मार्च को लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान तिरंगे का अपमान भी होते दिखा था। खालिस्तानी समर्थकों ने लंदन में भारतीय उच्चायोग में तोड़फोड़ करने और परिसर में लगे भारतीय तिरंगे को हटाने की कोशिश की थी. पंजाब पुलिस द्वारा पंजाब में अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के एक दिन यह घटना हुई थी। इस घटना के बाद गृह मंत्रालय के आदेश पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने खालिस्तानी और उनके समर्थकों के खिलाफ 24 मार्च को मुकदमा दर्ज किया था।

बिलकिस बानो केसःसुप्रीम कोर्ट ने कहा-भयानक था बिलकिस के खिलाफ अपराध, दोषियों को पैरोल पर उठाए सवाल

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सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को गुजरात के बिलकिस बानो केस की सुनवाई हुई। इस दौरान जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने राज्य सरकार से दोषियों को समय से पहले रिहाई देने का कारण पूछा। साथ ही रिहाई से जुड़ी फाइल दिखाने के लिए कहा।दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार को निर्देश दिया था कि वो 11 दोषियों को रिहा करने संबंधी दस्तावेज पेश करें। अब दोनों ही सरकारों ने इससे इनकार कर दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को चुनौती भी दी जा सकती है।

केंद्र और गुजरात सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि मामले में दोषियों को छूट पर मूल फाइलें मांगने के 27 मार्च के आदेश की समीक्षा के लिए याचिका दायर की जा सकती है।केंद्र और गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ये बात कही। दोषियों को दी गई छूट के संबंध में जो भी फाइलें हैं, सरकारें उन्हें विशेषाधिकार का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं करना चाहती हैं।

बिलकिस बानो केस में दोषियों को पैरोल देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है। कोर्ट ने कहा कि अपराध की गंभीरता पर राज्य को विचार करना चाहिए था। जिस तरह से ‘सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती’। ठीक वैसे ही नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट गुजरात सरकार से जानना चाहती है कि आखिर वो क्या कारण थे, जिनके आधार पर दोषियों को जल्द रिहा करने का फैसला किया गया। सुनवाई कर रहे जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि जब इस तरह के जघन्य अपराधों में छूट दी जाती है तो उससे समाज पर असर पड़ता है।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये जिस तरह का अपराध था, वो भयानक था। इस मामले के हर दोषी को 1000 दिन से अधिक की पैरोल मिली। यहां तक की एक दोषी को तो 1500 दिन की पैरोल मिली। कोर्ट ने कहा कि आपकी शक्ति का उपयोग जनता की भलाई के लिए होना चाहिए।उच्चतम न्यायालय ने ये भी कहा कि ये एक समुदाय और समाज के खिलाफ अपराध है। आप क्या संदेश दे रहे हैं? आज बिलकिस है, कल कोई और हो सकता है।

मुंबई में खुला देश का पहला एपल स्टोर, जानिए इसमें क्या है खास

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आईफोन निर्माता एपल ने मंगलवार को भारत में अपने पहले एपल स्टोर की शुरुआत कर दी है। एपल के सीईओ टिम कुक ने मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में भारत के पहले एपल स्टोर का उद्घाटन किया। स्टोर के उद्घाटन के बाद कुक खुद ग्राहकों से गर्मजोशी से मिले।

सीईओ टिम कुक ने उद्घाटन करते हुए भारत में एपल के पहले रिटेल स्टोर ने ग्राहकों के लिए दरवाजे खोले। करीब 100 से अधिक कर्मचारियों और अन्य लोगों के जोशीले नारों के बीच कुक स्टोर के अंदर से दरवाजे खोलकर बाहर निकले और मेहमानों का स्वागत किया। कुक ने स्टोर में वापस जाने से पहले करीब सात मिनट तक लगभग एक दर्जन ग्राहकों का स्वागत किया। कुक ने ग्राहकों के साथ सेल्फी भी खिंचवाई। 20 हजार स्क्वेअर फीट क्षेत्र में बने इस स्टोर का किराया 42 लाख रुपए प्रति माह है।

एपल स्टोर का डिजाइन काफी शानदार और एनर्जी-एफिशिएंट है। एपल स्टोर को रिन्यूएबल एनर्जी के हिसाब से डिजाइन किया गया है। यानी यह पूरी तरह से रिन्यूएबल एनर्जी पर चलता है। स्टोर में न के बराबर लाइट का इस्तेमाल किया गया है।

20 अप्रैल को दूसरा स्टोर दिल्ली में खुलेगा

यह देश में एपल का पहला आधिकारिक स्टोर है। कंपनी 20 तारीख को दिल्ली में भी अपना स्टोर खोलने जा रही है। एपल के पास भारत के लिए बहुत बड़ी योजनाएं हैं, जिसमें एक मजबूत एप डेवलपर इकोसिस्टम, स्थिरता के लिए समर्पण, कई स्थानों पर सामुदायिक कार्यक्रम और स्थानीय निर्माण शामिल हैं। एपल भारतीय मार्केट को लेकर काफी उत्साहित है। यही कारण है कि एपल के सीईओ टिम कुक पहले एपल स्टोर की लॉन्चिंग के लिए एक दिन पहले ही भारत आ गए थे

22 ब्रांड की नो एंट्री

कंपनी ने लीज एंग्रीमेंट में 22 कंपनियों को रिलायंस जिओ वर्ल्ड ड्राइव मॉल में एंट्री से रोक लगाने के प्रावधान तय कर दिए हैं। इसमें अमेजन, फेसबुक, एलजी,गूगल, सोनी, ट्विटर जैसे ब्रांड पूरे एरिया में न तो अपने स्टोर खोल पाएंगे, न तो होर्डिंग लगा पाएंगे और न ही विज्ञापन कर पाएंगे। जाहिर है इस एंग्रीमेंट के जरिए एप्पल भारत में अपने पहले स्टोर को पूरी तरह एक्सक्लूसिव बनाना चाहता है और अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों को कंप्टीशन से दूर रखना चाहता है।

बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को अजित पवार ने नकारा, कहा-'एनसीपी में हूं और यहीं रहूंगा'

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एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार ने बीजेपी में शामिल होने की अटकलों पर चुप्पी तोड़ी है। भाजपा में जाने की अटकलों को अजित पवार ने खारिज कर दिया है। अजित पवार ने कहा है कि वह एनसीपी में हैं और एनसीपी में ही रहेंगे।

एनसीपी नेता और नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने दोपहर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी के साथ जाने की खबर को सिरे से खारिज कर दिया। अजीत पवार ने पार्टी छोड़ने की सभी खबरों को केवल एक अफवाह बताया। उन्होंने कहा कि जो खबर दिखाई जा रही उसमें कोई तथ्य नहीं है। बिना वजह ऐसी गलतफहमी पैदा करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा जो खबर फैलाई जा रही है, उसमें इंच भर भी सच्चाई नहीं है।

अजित पवार ने कहा कि खबर में कहा जा रहा है कि मैंने एनसीपी के 40 विधायकों की सहमति भी हासिल कर ली है। हस्ताक्षर भी करवा लिए हैं। राज्यपाल को अपने समर्थकों की सूची देने जा रहा हूं। ये सारी खबरें बेबुनियाद है। जो विधायक मुझसे मिलने आज आ रहे हैं, उनके बारे में इसी तरह के कयासों को हवा दी जा रही है। ये बातें बेबुनियाद हैं। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी खबरों से कार्यकर्ता के मन में भ्रम पैदा होता है। शरद पवार के नेतृत्व में हम सब साथ हैं। जानबूझकर ऐसी खबरों को फैलाया जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसी खबरें असामयिक बारिश, मंहगाई , बेरोजगारी जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए फैलाई जाती हैं। 

इससे पहले एनसीपी मुखिया शरद पवार भी अजित पवार के भाजपा में जाने की अटकलों को खारिज कर चुके हैं। शरद पवार ने कहा कि 'इन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है। अजित पवार ने कोई बैठक नहीं बुलाई है, वह पार्टी के कार्यकर्ता हैं और ये सब उनके दिमाग की उपज है। 

बता दें कि प्रकाश अंबेडकर ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा है कि अगले 15 दिनों में दो बड़े राजनीतिक धमाके होने वाले हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रिया सुले ने कहा है कि 'इनमें से एक धमाका दिल्ली में होगा और एक महाराष्ट्र में। जिसके बाद से महाराष्ट्र की राजनीति गलियारों में खलीबली मची हुई थी।

लापता होने के दावे के बीच मुकुल रॉय दिल्ली पहुंचे, बेटे ने संपर्क नहीं होने पर पुलिस में दर्ज कराई थी शिकायत

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तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सीनियर लीडर मुकुल रॉय के बेटे शुभ्रांशु रॉय ने बीते सोमवार को अपने पिता के लापता होने की शिकायत दर्ज करवाई थी। मुकुल के बेटे शुभ्रांशु रॉय ने यह दावा किया था कि रॉय का सोमवार शाम से कोई पता नहीं है। उनसे संपर्क भी नहीं हो पा रहा है।हालांकि, इन खबरों के बीच खबरों के बीच मुकुल रॉय ने अपने दिल्ली में मौजूद होने की जानकारी खुद दी है। मुकुल रॉय ने खुद बताया कि वह अपने निजी काम से दिल्ली आए है। 

टीएमसी नेता मुकुल रॉय ने बता कि वे निजी काम से दिल्ली आए हैं। रॉय ने पत्रकारों से कहा कि वो राष्ट्रीय राजधानी पहुंच गए हैं लेकिन उनका ‘‘कोई खास एजेंडा’’ नहीं है। रॉय बोले, ‘‘मैं कई सालों तक संसद सदस्य रहा हूं। क्या मैं दिल्ली नहीं आ सकता? पहले भी, मैं नियमित तौर पर दिल्ली आता रहता था।

भले ही मुकुल रॉय अपने दिल्ली दौरे को ‘‘कोई खास एजेंडा’’ नहीं बता रहे हों, लेकिन पश्चिम बंगाल के राजनीतिक गलियारों में उनके राजनीतिक कदम को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।मुकुल रॉय का अचानक दिल्ली पहुंचना कई सारे संदेश दे रहा है। इसको लेकर सियासी सुगबुगाहट तेज हो गई है। बंगाल में टीएमसी भी उनके अचानक दिल्ली पहुंचने से हैरान है। कहा जा रहा है कि मुकुल रॉय कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।

इससे पहले बेटे शुभ्रांशु रॉय ने यह दावा किया था कि रॉय का सोमवार शाम से कोई पता नहीं है। उनसे संपर्क भी नहीं हो पा रहा है। शुभ्रांशु ने बताया कि रॉय सोमवार शाम को इंडिगो की फ्लाइट (6E-898) से दिल्ली के लिए निकले थे। उन्हें रात 9.55 बजे तक दिल्ली लैंड होना था, लेकिन अब उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। बीते कल शुभ्रांशु ने कोलकाता एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन में इसे लेकर शिकायत भी दर्ज कराई थी।

बता दें कि मुकुल रॉय ने 2017 में तृणमूल कांग्रेस से मतभेद के बाद भाजपा के साथ जुड़े थे। 2020 में वह भाजपा के राष्ट्र उप अध्यक्ष भी थे। 2021 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा की तरफ से जीत भी हासिल की थी, लेकिन बाद परिणाम मिलने के एक महीने बाद ही वह तृणमूल कांग्रेस में वापस चले गए।हालांकि, टीएमसी में वापसी के बाद से ही वह लोगों की नजरों से दूर रह रहे हैं।कभी मुकुल रॉय का कद टीएमसी में कभी ममता बनर्जी के बाद दूसरे नंबर का हुआ करता था।

केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग पहुंचे ऊखीमठ, उनकी मौजूदगी में 25 अप्रैल को खुलेंगे बाबा केदारनाथ धाम के कपाट


केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंच गए हैं। उनकी मौजूदगी में 25 अप्रैल को सुबह 6:10 बजे केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। इससे पूर्व रावल 20 अप्रैल को ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान भैरवनाथ की पूजा-अर्चना में शामिल होंगे।

सोमवार दोपहर करीब ढाई बजे रावल भीमाशंकर लिंग अपने शिष्य केदार लिंग के साथ ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचे। यहां पुजारी शिव शंकर लिंग, बागेश लिंग और टी. गंगाधर लिंग और मंदिर के वेदपाठियों ने उनका स्वागत किया। 21 अप्रैल को रावल भीमाशंकर लिंग भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली को चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान कराएंगे।

रावल 24 अप्रैल को केदारनाथ पहुंचे

इसके बाद केदारनाथ धाम के लिए नियुक्त मुख्य पुजारी बागेश लिंग को धाम की छह माह की पूजा का संकल्प कराएंगे और पगड़ी व अचकन पहनाएंगे। इसके बाद रावल भगवान केदारनाथ की पंचमुखी मूर्ति को स्वर्ण मुकुट पहनाएंगे। वे देवदर्शनी तक डोली को धाम के लिए विदा करेंगे। इसके बाद, रावल 24 अप्रैल को केदारनाथ पहुंचेंगे।

25 अप्रैल को सुबह 5.30 बजे रावल भीमाशंकर लिंग बाबा केदार की पंचमुखी डोली व छड़ी के साथ मंदिर में प्रवेश करेंगे। सभी औपचारिकताओं को पूरा करने बाद सुबह 6:10 बजे केदारनाथ मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। इसके बाद रावल ओंकारेश्वर मंदिर लौट आएंगे और जरूरी अवसरों पर धाम जाएंगे। पुजारी शिव शंकर लिंग ने बताया कि रावल पूरी तरह से स्वस्थ हैं।

महाराष्ट्र में आने वाला है सियासी भूचाल! "अगले 15 दिनों में दिल्ली और महाराष्ट्र में होंगे दो बड़े राजनीतिक विस्फोट", सुप्रिया सुले के बयान से म

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महाराष्ट्र में अजित पवार को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। दरअसल उनके बीजेपी के साथ जाने की अकटलों ने जोर पकड़ लिया है। अगर ये अटकले सही होती हैं तो महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है। दरअसल, अजित पवार के साथ 11 से 12 विधायक हैं।यही नहीं, एनसीपी के टॉप नेताओं के बयान आने वाले भूचाल की आहट दे रहे हैं। पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने प्रधानमंत्री मोदी और सावरकर की तारीफ की। इसके बाद खबर आई की अजित पवार और अमित शाह की मुलाकात हुई है।इसके अलावा अजित पवार ने महाराष्ट्र के सीएम एकनाश शिंदे और देवेन्र फडणवीस से भी मुलाकरात की। जिसके बाद इस तरह की अटकलों ने जोर पड़का। अबअटकलों के बीच एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने भी बड़ा दावा किया है। सुप्रिया सुले ने कहा है कि अगले दो हफ्ते में दो बड़े सियासी विस्फोट होंगे।

शरद पवार ने अटकलों को किया खारिज

एनसीपी प्रमुख शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले ने एक बयान देकर महाराष्ट्र की सियासत में खलबली ला दी है। हालांकि, शरद पवार ने अजित पवार के बीजेपी के साथ जाने की खबर को खारिज किया।उन्होंने कहा कि अजित पवार समेत एनसीपी का हर नेता कैसे पार्टी को मजबूत किया जाए, इसकी पूरी ताकत से कोशिशें कर रहे है। अजित पवार ने इस संबंध में अभी तक कोई मीटिंग नहीं बुलाई है। इसलिए अजित पवार की खबर में कोई तथ्य नहीं है।अपने समर्थकों के साथ मुझे लेकर जो नए राजनीतिक समीकरण की खबर सामने आ रही है, वो सिर्फ एक खबर है। उसमें कोई तथ्य नहीं है। अजित पवार कल देवगिरी में थे। आज वे फिलहाल विधानभवन में पहुंचे हैं। थोड़ी देर में वे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी स्थिति साफ करने वाले हैं।

सुप्रिया सुले ने क्या कहा?

बता दें कि सुले ने कहा है कि आने वाले 15 दिनों में दो बड़े राजनीतिक विस्फोट होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि एक विस्फोट दिल्ली और दूसरा महाराष्ट्र में होगा। हालांकि ये विस्फोट कैसे होने वाले हैं, इसके बारे में उन्होंने नहीं बताया है। सुले का ये बयान ऐसे वक्त में सामने आया है जब अजित पवार के बीजेपी में जाने के कयास लगाए जा रहे हैं।  

दरअसल, उद्धव गुट के नेता के बयान के बाद ये अटकलें तेज हो गई हैं कि अजित पवार बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।कुछ दिन पहले प्रकाश अंबेडकर ने कहा था कि पंद्रह दिनों में राज्य में राजनीतिक भूचाल आ जाएगा। इस बारे में पूछे जाने पर सुप्रिया सुले ने कहा कि एक नहीं बल्कि दो राजनीतिक भूचाल आएंगे, एक दिल्ली में और दूसरा महाराष्ट्र में।

राजस्थान कांग्रेस में हलचल तेज, अशोक गहलोत ने विधायकों से लिया फीडबैक, नहीं पहुंचे सचिन पायलट, कहा- किस मुंह से जनता से मांगेंगे वोट

 राजस्थान कांग्रेस में हलचल तेज है। राजस्थान प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सोमवार को कांग्रेस विधायकों से जयपुर स्थित वार रूम में एक एक कर फीडबैक लिया। तीनों नेताओं ने दस जिलों के विधायकों से उनके खुद और सरकार के बारे में फीडबैक लिया। वहीं दूसरी तरफ पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट इस फीडबैक कार्यक्रम में नहीं पहुंचे।

डोटासरा ने कहा, पायलट विधायक हैं,इसलिए उन्हे बुलाया गया था। पायलट ने जयपुर जिले के शाहपुरा और झुंझुंनूं का दौरा किया। पायलट ने झुंझुनूं के खेतड़ी में शहीद श्योराम की मृर्ति का अनावरण करने के बाद कहा, जनता से किए वादे अब तक पूरे नहीं हुए हैं, चुनाव के वक्त किस मुंह से वोट मांगेंगे। उन्होंने कहा, पिछली भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार के मुददे पर मैने एक दिन का अनशन किया, लेकिन सरकार ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया।

यह सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करता है। यह सरकार की नाकामी को दर्शाता है। उधर रंधावा ने मीडिया से बातचीत में पायलट के अनशन के बाद उठे विवाद में मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलाथ के दखल से इन्कार किया है। रंधावा बोले, मैं प्रभारी हूं तो समाधान मैं ही निकालूंगा ।

प्रदेशाध्यक्ष के बयान से पायलट समर्थक विधायक भड़के

विधायकों के फीडबैक कार्यक्रम के दौरान डोटासरा के बयान पर पायलट समर्थक विधायक भड़क गए। दरअसल, डोटासरा ने रंधावा से पायलट समर्थक हरीश मीणा और राकेश पारीक का परिचय करवाया। डोटासरा ने मीणा के लिए कहा, यह राज्य के पुलिस महानिदेशक और भाजपा से सांसद रहे हैं। पायलट के साथ विद्रोह कर मानेसर जाने वालों में शामिल थे।

इस पर मीणा भड़क गए और बोले, इस तरह बार-बार यह बोलेंगे तो जीतना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होगा। हमें प्रियंका गांधी और स्व. अहमद पटेल ने बुलाकर बात की थी। ये उनसे बड़े हो गए क्या? इस पर रंधावा ने मीणा को शांत किया। पारीक बोले, चुनावी साल में क्या संदेश देना चाहते हैं। जब राहुल गांधी ने पायलट को असेट बता दिया तो अब ये सवाल उठाना ही गलत है। रघु शर्मा ने पायलट के अनशन का समर्थन करते हुए कहा हमने तत्कालीन भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार के मुददे पर चुनाव लड़ा था।

विधायकों से यह सवाल पूछे

फीडबैक के दौरान 13 सवालों का एक परिपत्र विधायकों को दिया गया। अब तक सीएम कहते रहे हैं कि सरकार के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी नहीं है। लेकिन विधायकों ने माना कि चुनावी साल में एंटी इंकम्बेंसी है। विधायकों से उनके निर्वाचन क्षेत्र में धार्मिक एवं जातिगत समीकरण, सरकार की योजनाओं, पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को मुददा बनाने के लिए अब तक क्या किया गया।

क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा के अतिरिक्त कोई अन्य पार्टी मजबूत है क्या? सोशल मीडिया पर विधायकों से सक्रियता के बारे में भी पूछा गया। मंगलवार को 14 और बृहस्पतिवार को नौ जिलों के विधायकों से फीडबैक लिया जाएगा। चुनावी रणनीति बनाने को लेकर जयपुर में बुधवार को मंत्रियों, विधायकों, लोकसभा व विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशियों का सम्मेलन होगा।

वित्तीय लेन-देन में सत्यनिष्ठा नियम है, अपवाद नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम वैधानिक आदेश से समान रूप से बंधे हैं


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वित्तीय लेन-देन में सत्यनिष्ठा नियम होना चाहिए अपवाद नहीं। कहा कि पारदर्शिता के उद्देश्य को विफल करने वाले वैधानिक आदेश को प्रभावी होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। जस्टिस एसके कौल, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने ये टिप्पणियां उस फैसले में की जिसमें उसने महाराष्ट्र की धुले जिला परिषद के एक सदस्य वीरेंद्र सिंह की अपील को खारिज कर दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वीरेंद्र सिंह ने नासिक के डिविजनल कमिश्नर के आदेश को चुनौती दी थी। जिसने अपने पुत्र को ठेका देने के लिए वीरेंद्र सिंह को अयोग्य ठहरा दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा, 'यह निस्संदेह सत्य है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को कमजोर आधारों पर अयोग्य नहीं ठहराया जाना चाहिए। लेकिन, हम वैधानिक आदेश से समान रूप से बंधे हैं, जिसके तहत पारदर्शिता के उद्देश्य को विफल करने वाली गतिविधियों को प्रभावी होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।'

वीरेंद्र सिंह को नासिक के डिविजनल कमिश्नर के आठ नवंबर, 2021 के आदेश पर अयोग्य ठहराया गया था। वीरेंद्र ¨सह से जिला परिषद का चुनाव हारने वाले उसके प्रतिद्वंद्वी ने इस बाबत शिकायत की थी।