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गृह मंत्रालय ने ऑक्सफैम इंडिया के खिलाफ की सीबीआई जांच की सिफारिश, विदेशों से चंदा लेने का मामला

#centre_asks_cbi_to_probe_oxfam_over_alleged_violations_of_foreign_funds

गृह मंत्रालय ने गुरुवार को एनजीओ ऑक्सफैम इंडिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। विदेशों से चंदा लेने के मामले में गृह मंत्रालय ने ऑक्सफैम इंडिया के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं।ऑक्सफैम इंडिया ने विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2020 के लागू होने के बाद भी विदेशी अंशदान को विभिन्न संस्थाओं को हस्तांतरित करना जारी रखा था। यह नियम इस तरह के हस्तांतरण को बैन करता है। यह संशोधन 29 सितंबर, 2020 को लागू हुआ था। 

सूत्रों ने कहा कि आयकर विभाग द्वारा किए गए एक ‘सर्वेक्षण’ के दौरान कई ई-मेल पाए गए, जिनसे पता चला कि ऑक्सफैम इंडिया अन्य एफसीआरए-पंजीकृत संगठनों को धन भेजकर या लाभकारी परामर्श मार्ग के माध्यम से एफसीआरए के प्रावधानों को दरकिनार करने की कथित तौर पर योजना बना रहा था। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण ने ऑक्सफैम इंडिया को विदेशी संगठनों या इकाइयों की विदेश नीति के एक संभावित साधन के रूप में ‘उजागर’ किया, जिन्होंने वर्षों से संगठन को उदारतापूर्वक वित्त पोषित किया है। 

सूत्रों ने कहा कि सामाजिक गतिविधियों के लिए पंजीकृत ऑक्सफैम इंडिया ने कथित तौर पर कमीशन के रूप में अपने सहयोगियों और कर्मचारियों के माध्यम से सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) को धन भेजा। उन्होंने कहा कि इन निष्कर्षों के बाद, गृह मंत्रालय ने ऑक्सफैम इंडिया के कामकाज की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की।यह ऑक्सफैम इंडिया के टीडीएस डेटा से भी साफ होता है। डेटा में धारा 194जे के तहत 2019-20 वित्तीय वर्ष में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च को 12,71,188 रुपये का भुगतान दिख रहा है।

जांच में पाया है कि ऑक्सफैम इंडिया विदेशी देशों और विदेशी संस्थाओं के लिए विदेश नीति तैयार कराने में भी एक माहौल बनाने की कोशिश करता है। ऑक्सफैम इंडिया ने अपने अपने एफसीआरए अकाउंट की जगह अपने एफसी यूटिलाइजेशन अकाउंट में 1.50 करोड़ रुपये लिए हैं, जो गैरकानूनी है।

पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी भाजपा में हुए शामिल, बीजेपी को कितना होगा फायदा?

#ak_antony_son_anil_joining_bjp

कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी गुरुवार को बीजेपी में शामिल हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादास्पद बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की आलोचना करने वाले उनके ट्वीट के बाद जनवरी में उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से भी अनिल एंटनी के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थी। 

भाजपा नेता पीयूष गोयल, वी मुरलीधरन और पार्टी की केरल इकाई के प्रमुख के सुरेंद्रन ने आज एक औपचारिक कार्यक्रम में पूर्व कांग्रेस नेता का अपनी पार्टी में स्वागत किया। पीयूष गोयल ने अनिल एंटनी का पार्टी में स्वागत करते हुए उनकी जमकर तारीफ की। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अनिल एंटनी स्टैनफोर्ड से पढ़े हैं। उनका क्रेडेंशियल्स बहुत उम्दा है। गोयल ने कहा कि अनिल केरल और भारत के भविष्य के लिए चिंतित रहते हैं। इन्होंने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का विरोध किया था, जिसमें मोदी पर आधारहीन आरोप लगाए गए थे।

बता दें कि पार्टी छोड़ने से पहले अनिल एंटनी केरल में कांग्रेस का सोशल मीडिया सेल चलाते थे। उन्होंने पार्टी छोड़ने से पहले बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को "भारत के खिलाफ पक्षपातपूर्ण" कहा था। गुजरात दंगों पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के विरोध में उन्होंने ट्वीट किया था और बीबीसी की इस हरकत को भारत की संप्रभुता को कम करने से जोड़ते हुए एक ट्वीट किया था। उसके अगले ही दिन उन्होंने 25 जनवरी को कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। जनवरी में इस्तीफा देने के बाद से ही अनिल एंटनी लगातार कांग्रेस को लेकर हमलावर थे और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की प्रशंसा में जुटे हुए थे।

अनिल एंटनी का बीजेपी में शामिल होना केरल की राजनीति के लिहाज से महत्व बढ़ जाता है। हम सब जानते हैं कि अनिल के पिता ए के एंटनी का केरल की राजनीति में बहुत बड़ा कद रहा है। उनकी गिनती उन चुनिंदा नेताओं में होती रही है, जिनके कारण केरल में पिछले 6 दशक से कांग्रेस का जनाधार कायम रहा है। के करुणाकरण और ए के एंटनी ही वो नेता हैं, जिन पर केरल की जनता 70 के दशक से भरोसा करते आ रही थी। ऐसे में ए के एंटनी के बेटे अनिल का ये रुख बीजेपी के साउथ मिशन के लिए बेहद अहम हो जाता है।

विरोध के बावजूद चीन ने अरुणाचल प्रदेश को फिर बताया अपना हिस्सा, कहा- अपने अधिकारों के तहत नाम बदले, भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया

भारत के कड़े विरोध के बावजूद चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश पर अपना हक जताया है। चीन ने मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश पर अपनी संप्रभुता का दावा किया। एक प्रेस कॉफ्रेंस में चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा है कि जेंगनेन (अरुणाचल प्रदेश) चीन का हिस्सा है। उन्होंने कहा- स्टेट काउंसिल के जियोग्राफिकल नामों के प्रशासन की शर्तों के मुताबिक, चीनी अधिकारियों ने जेंगनेन (अरुणाचल प्रदेश) के कुछ हिस्सों के नाम बदले हैं। चीन ने ऐसा अपने अधिकारों के तहत किया है। चीन ने सोमवार को अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदले थे।

अरुणाचल प्रदेश भारत का आतंरिक हिस्सा है और रहेगा: विदेश मंत्रालय

चीन के नाम बदलने वाले कदम पर पलटवार करते हुए भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मंगलवार को कहा था- हमारे सामने चीन की इस तरह की हरकतों की रिपोर्ट्स पहले भी आई हैं। हम इन नए नामों को सिरे से खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का आतंरिक हिस्सा था, हिस्सा है और रहेगा। इस तरह से नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलेगी।

अमेरिका ने भी किया चीन का विरोध

अमेरिका ने भी भारतीय क्षेत्र पर चीन के दावे का विरोध किया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी करीन जीन-पियरे ने कहा- अमेरिका ने उस क्षेत्र को लंबे समय से मान्यता दी हुई है। हम जगहों के नाम बदलकर क्षेत्र पर दावा करने की एकतरफा कोशिशों का विरोध करते हैं।

अरुणाचल की राजधानी ईटानगर के नजदीकी इलाके का नाम भी बदला दरअसल, चीन ने कभी अरुणाचल प्रदेश को भारत के राज्य के तौर पर मान्यता नहीं दी। वो अरुणाचल को ‘दक्षिणी तिब्बत’ का हिस्सा बताता है। उसका आरोप है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया है।

चीन के सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' के मुताबिक सोमवार को चीन की सिविल अफेयर मिनिस्ट्री ने 11 नाम बदले जाने को मंजूरी दे दी। यह सभी इलाके जेंगनेन (चीन के दक्षिण राज्य शिजियांग का हिस्सा) में आते हैं। इनमें से 4 रिहायशी इलाके हैं। इनमें से एक इलाका अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के बेहद करीब है। 5 पहाड़ी क्षेत्र और दो नदियां हैं। चीन ने इन इलाकों के नाम मन्दारिन और तिब्बती भाषा में रखे हैं।

कांग्रेस बोली- चीन की इस हरकत के लिए PM मोदी जिम्मेदार

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने चीन के अरुणाचल की जगहों का नाम बदलने का जिम्मेदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ठहराया है। कांग्रेस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि PM मोदी ने जून 2020 में चीन को क्लीन चिट दे दी थी। अब हमें उसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। चीन की सेना देसपांग के मैदान में भारत के पेट्रोलिंग के अधिकारों को खारिज कर रही है। जबकि पहले इस इलाके में बिना रोक-टोक भारत की पहुंच थी।

2021 में भी चीन ने बदले थे 15 जगहों के नाम

नाम बदलने के पीछे चीन का क्या दावा है?

2021 में चीन ने अरूणाचल प्रदेश की 15 जगहों के नाम बदले थे। इनमें से 8 रिहायशी इलाके थे, 4 पर्वत, 2 नदियां और एक पहाड़ों से निकलने वाला रास्ता था। चीन अरुणाचल के इलाकों के नाम क्यों बदलता है इसका अंदाजा वहां के एक रिसर्चर के बयान से लगाया जा सकता है।

2015 में चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंस के रिसर्चर झांग योंगपान ने ग्लोबल टाइम्स को कहा था, 'जिन जगहों के नाम बदले गए हैं वो कई सौ सालों से हैं। चीन का इन जगहों का नाम बदलना बिल्कुल जायज है। पुराने समय में जेंगनेन ( चीन में अरुणाचल को दिया नाम) के इलाकों के नाम केंद्रीय या स्थानीय सरकारें ही रखती थीं।

इसके अलावा इलाके के जातीय समुदाय जैसे तिब्बती, लाहोबा, मोंबा भी अपने अनुसार जगहों के नाम बदलते रहते थे। जब जैंगनेम पर भारत ने गैर कानूनी तरीके से कब्जा जमाया तो वहां की सरकार ने गैर कानूनी तरीकों से जगहों के नाम भी बदल दिए।'

झांग ने ये भी कहा था कि अरुणाचल के इलाकों के नाम बदलने का हक केवल चीन को होना चाहिए।

क्या इससे सच में नाम बदल जाएंगे?

इसका जवाब है- नहीं। दरअसल, इसके लिए तय रूल्स और प्रॉसेस है। अगर किसी देश को, किसी जगह का नाम बदलना है तो उसे UN ग्लोबल जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन मैनेजमेंट को पहले से जानकारी देनी होती है।

इसके बाद, UN के जियोग्राफिक एक्सपर्ट उस इलाके का दौरा करते हैं। इस दौरान प्रस्तावित नाम की जांच की जाती है। स्थानीय लोगों से बातचीत की जाती है। तथ्य सही होने पर नाम बदलने को मंजूरी दी जाती है और इसे रिकॉर्ड में शामिल किया जाता है।

अरुणाचल और अक्साई चिन पर भी विवाद

दोनों देशों में 3488 किलोमीटर लंबी LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) को लेकर विवाद है। हालांकि चीन अरुणाचल प्रदेश वाले हिस्से को भी विवादित मानता है।

अरुणाचल प्रदेश की 1126 किलोमीटर लंबी सीमा चीन के साथ और 520 किलोमीटर लंबी सीमा के साथ मिलती है।

चीन का दावा है कि अरुणाचल पारंपरिक तौर पर दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है, वहीं भारत अक्साई चिन इलाके को अपना बताता है।

1962 के युद्ध में चीन ने अक्साई चिन वाले हिस्से पर कब्जा कर लिया था।

ज्योतिरादित्य सिंधिया का जयराम रमेश पर पलटवार, कहा- कविताएं कम, इतिहास ज्यादा पढ़ें

#jyotiradityascindiasattackonjairam_ramesh 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच ट्विटर पर वॉर शुरू हो गई है। कांग्रेस नेता ने बुधवार को दिन में सिंधिया और गुलाम नबी आजाद पर हमला करते हुए ट्वीट किया। जयराम रमेश के हमलों के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पलटवार किया है। 

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को राहुल गांधी और कांग्रेस पर तीखा हमला किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि पार्टी के पास देश के खिलाफ काम करने वाले "गद्दार" के अलावा कोई विचारधारा नहीं बची है। बीजेपी नेता ने मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद राहुल गांधी को "स्पेशल ट्रीटमेंट" देने के लिए कांग्रेस पर हमला किया और पार्टी पर न्यायपालिका पर दबाव डालने और प्रासंगिक बने रहने के लिए हर संभव प्रयास करने का आरोप लगाया।

इस पर पलटवार करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सिंधिया पर निशाना साधा था। उन्होंने ट्वीट कर कहा, " क्या वे झांसी की रानी पर सुभद्रा कुमारी चौहान की अमर कविता भूल गए हैं? अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह ने सुनी थी कहानी, खूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।" उनके इसी ट्वीट पर सिंधिया ने पलटवार किया है और उन्हें इतिहास पढ़ने की सलाह दी है। सिंधिया ने अपने ट्वीट में मराठा और मराठा साम्राज्य के गौरवशाली इतिहास के कुछ अंश की भी चर्चा की। 

उन्होंने जवाहरलाल नेहरू की किताब, ‘Glimpses of World History' का एक अंश ट्वीट कर कहा " कविताएं कम और इतिहास ज़्यादा पढ़ें।" किताब का अंश जो उन्होंने ट्वीट किया है, उसमें लिखा है कि इस प्रकार उन्होंने (मराठों ने) दिल्ली साम्राज्य को जीता। मराठा ब्रिटिश वर्चस्व को चुनौती देने के लिए बने रहे। लेकिन मराठा शक्ति ग्वालियर के महादजी सिंधिया की मृत्यु के बाद टुकड़े-टुकड़े हो गई।

क्या कहा था जयराम रमेश ने?

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने गुलाम नबी आजाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर कहा, "गुलाम नबी आजाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों ही कांग्रेस सिस्टम और पार्टी नेतृत्व के बड़े लाभभोगी रहे हैं, लेकिन अब हर गुजरते दिन के साथ, वे प्रमाण देते हैं कि इस उदारता के वे योग्य नहीं थे. वे अपना असली चरित्र दिखा रहे हैं, जिसे उन्होंने इतने लंबे समय तक छुपा कर रखा था."

तेलंगाना BJP अध्यक्ष बंदी संजय कुमार उनके आवास से किए गए गिरफ्तार, कार्यकर्ताओं ने किया बवाल तो पुलिस ने भांजी लाठियां

 तेलंगाना भाजपा के अध्यक्ष बंदी संजय कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बंदी संजय को पुलिस ने करीमनगर में उनके आवास से देर रात करीब 12.45 बजे हिरासत में लिया था। इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पुलिस का विरोध किया था।

भाजपा कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज

पुलिस ने जंगांव में भाजपा कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया है। दरअसल, पुलिस बंदी संजय को मेडिकल जांच के लिए पलकुर्थी के एक अस्पताल लेकर जा रही थी। तभी भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस को रोकने की कोशिश की। कार्यकर्ताओं पर काबू पाने के लिए पुलिस ने उन पर लाठियां बरसाई।

कानून विकल्पों पर विचार कर रहे शीर्ष नेता

उधर, भाजपा के शीर्ष नेताओं ने बंदी संजय से मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि पार्टी नेता संभावित कानूनी विकल्पों को लेकर विचार कर रहे हैं।

बंदी संजय की गिरफ्तारी अवैध: भाजपा

भाजपा नेता तरुण चुघ ने बंदी संजय की गिरफ्तारी को अवैध बताया है। उन्होंने कहा कि मैं बंदी संजय कुमार की अवैध गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करता हूं। गिरफ्तारी के कारणों का खुलासा करने में पुलिस विफल रही है। ये सत्ता के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग की ओर इशारा करती है।

उत्तराखंड की किताबों से हटाया गया मुगलों का इतिहास, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा- कर रहे आकलन

 उत्तराखंड के बच्चे भी अब मुगलों का इतिहास नहीं पढ़ेंगे। यहां सरकारी स्कूलों में एनसीईआरटी का पैटर्न लागू है, जिसके तहत इसी साल से एनसीईआरटी का बदलाव लागू हो जाएगा। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने आगामी शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए इतिहास की किताबों से मुगलों का इतिहास हटाने का निर्णय लिया है। एनसीईआरटी ने 11 वीं की किताब से इस्लाम का उदय, संस्कृतियों में टकराव, औद्योगिक क्रांति, समय की शुरुआत के चैप्टर सिलेबस से हटाए हैं।

12वीं इतिहास की किताब से ‘अकबरनामा’ (अकबर के शासनकाल का आधिकारिक इतिहास) और ‘बादशाहनामा’ (मुगल सम्राट शाहजहां का इतिहास) के चैप्टर को हटाया गया है। इसके अलावा, नागरिक शास्त्र की किताब स्वतंत्र भारत में राजनीति से जन आंदोलनों का उदय और एक दल (सीपीएम) के प्रभुत्व के दौर के चैप्टर में भी बदलाव किया गया है। चूंकि राज्य में पहले से ही सभी राज्य बोर्ड के स्कूलों में भी एनसीईआरटी पैटर्न लागू है। लिहाजा, यह बदलाव इसी सत्र से यहां भी लागू हो जाएंगे।

गरमाई सियासत

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट का कहना है कि सीएम धामी भी इस बात पर फोकस कर रहे हैं कि बच्चों को वही पढ़ना चाहिए जो बच्चों के लिए प्रेरक हो। बच्चों को जो पढ़ाएंगे या सिखाएंगे, वह उसी अनुरूप आचरण करते हैं। उन्होंने कहा मुगल न तो प्रेरक हो सकते और न ही प्रेरणा स्त्रोत। लिहाजा, मुगलकाल का चैप्टर हटाना स्वागत योग्य कदम है। दूसरी ओर, कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि किसका इतिहास गायब हुआ और किसका रखा गया ये बातें बेमानी हैं। लेकिन बात बस इतनी है कि 2014 के बाद भारत देश आजाद हुआ है। एक नए तरीके से इतिहास को लिखा जा रहा है। ऐसे में इस इतिहास में किसको महान और किसको गौण कर दिया जाएगा, ये जिसके हाथ में सत्ता है वो तय करेगी।

सीएम ने कहा, कर रहे आकलन

एनसीईआरटी से मुगल इतिहास हटाने और उस बदलाव को यूपी सरकार के लागू करने के सवाल पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यहां इस बदलाव का आकलन किया जा रहा है। जो भी बेस्ट प्रैक्टिस होगी, वह लागू की जाएगी।

रुड़की में खानपुर बॉर्डर पर चेकिंग कर रही पुलिस की यूपी की ओर से आ रहे दो बदमाशों से मुठभेड़, एक के पैर में लगी गोली

रुड़की के खानपुर लक्सर हाईवे पर चेकिंग कर रही पुलिस टीम की बदमाशों से मुठभेड़ हो गई। बदमाश पुलिस पर फायरिंग करते हुए खेतों में छुप गए। पुलिस ने कांबिंग अभियान चलाकर जवाबी फायरिंग की। इसमें एक बदमाश के पैर में गोली लग गई। उसे पकड़ लिया गया है। दूसरा बदमाश फरार है। घायल को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एसपी देहात स्वप्न किशोर सिंह ने अस्पताल पहुंच घायल बदमाश से पूछताछ की।

 खानपुर थाने के गोवर्धनपुर पुलिस चौकी प्रभारी नवीन सिंह चौहान दो पुलिसकर्मियों के साथ खानपुर लक्सर हाईवे पर ब्राह्मणवाला गांव की पुलिया के पास चेकिंग कर रहे थे। इसी दौरान पुलिस ने एक बाइक सवार को रुकने का इशारा किया। वह बाइक मोड़कर पीछे भागने लगे। शक होने पर पुलिस टीम भी उनका पीछा करने लगी। इसी दौरान उनकी बाइक फिसल गई। बदमाशों ने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी।

गनीमत रही कि किसी भी पुलिसकर्मी को गोली नहीं लगी। इसके बाद बदमाश सड़क से थोड़ी दूरी पर गन्ने के खेत में घुस गए। पुलिस ने खानपुर थाने को सूचना दी। सूचना पर थाने से सशस्त्र पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे और खेत में छिपे बदमाशों को घेर लिया। इसपर बदमाशों ने दोबारा से गोली चलानी शुरू कर दी। जवाब में पुलिस ने तीन राउंड फायर किए। पुलिस की गोली पैर में लगने से एक बदमाश घायल होकर गिर पड़ा।

पुलिस ने उसे हिरासत में लेने के बाद अस्पताल भिजवा दिया। दूसरा बदमाश फरार हो गया। बड़ी संख्या में पुलिस उसकी तलाश में खेतों में कांबिंग कर रही है। चौकी प्रभारी नवीन चौहान का कहना है कि पकड़े गए बदमाश का नाम नीरज निवासी ककराला थाना भोपा जिला मुजफ्फरनगर है। उसके दूसरे साथी की भी गिरफ्तारी की कोशिश की जा रही है। आरोपी के पास से तमंचा बरामद हुआ है।

हत्या, डकैती के आठ मुकदमे दर्ज

मुठभेड़ में पकड़ा गया बदमाश पेशेवर शातिर अपराधी है। सूत्रों के अनुसार बदमाश क्षेत्र में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए पहुंचा था। इसी दौरान पुलिस मुठभेड़ में हत्थे चढ़ गया। एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि गिरफ्तार बदमाश के खिलाफ यूपी में हत्या और डकैती के आठ मुकदमे दर्ज हैं।

पांच किन्नरों ने अपने गुरु से किया अनोखा विवाह, लोक कल्याण के लिए तीन दिवसीय कार्यक्रम भी किया, पढ़िए पूरी कहानी

जांजगीर जिले के कोसा कांसा कंचन की नगरी चांपा में अनोखी शादी देखने को मिली। यहां पांच किन्नरों ने अपने गुरु से विवाह किया। किन्नरों की ओर से पहली बार लोक कल्याण के लिए तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

पहले दिन रविवार को किन्नरों ने अपने आराध्य देव बहुचरा माता की पूजा की, दूसरे दिन सोमवार को माता के सामने हल्दी रस्म निभाई और तीसरे दिन मंगलवार को प्रदेश भर से पहुचे किन्नरों ने कलश यात्रा निकाली।

रविवार को बहुचरा माता की पूजा अर्चना के बाद पांच किन्नर माही, ज्योति, रानी, काजल, सौम्या की शादी की रस्में निभाई गई, जिसमें बकायदा उनके परिवार के लोग भी शामिल हुए और सभी किन्नरों के शरीर पर तेल, हल्दी चढ़ाया गया। उनका विवाह उनके ही किन्नर गुरु शारदा नायक से कराने की रस्म की गई। किन्नर इस विवाह में वधु की तरह साड़ी पहन रखी थी। वहीं किन्नर द्वारा वर के रूप में भी हाथ में कटार लेकर हल्दी रस्म को पूरा किया गया।

ग्रेजुएशन तक पढ़ी है किन्नर माही

इन किन्नरों में माही ने ग्रेजुएशन तक की शिक्षा ली है। अपने इस रूप को ही अपना सहारा बना कर अन्य किन्नरों को इज्जत की जिंदगी देने के लिए प्रेरित कर रही है। माही ने बताया कि किन्नर भी मनुष्य के अंग हैं और उन्हें भी अपनी जिंदगी जीने का अधिकार है, जो सभी महिला पुरुष करते हैं।

उस वैवाहिक रस्म को भी किया जा रहा है. जिनकी आज शादी हो रही है, वे अपने गुरु से शादी कर रहे हैं। अब गुरु के नाम का ही सिंदूर और शृंगार करेंगे। इस आयोजन में किन्नरों के परिजन भी शामिल हुए और शादी का आनंद लिया।

मुलायम सिंह को पद्म विभूषण मिलने पर CM योगी ने की तारीफ, बोले- इस बात के लिए नेताजी हमेशा किए जाएंगे याद

राष्ट्रपति भवन में बुधवार को एक विशेष कार्यक्रम के तहत पद्म पुरस्कार का वितरण किया गया। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से सम्मानित किया।

 उनकी तरफ से यह सम्मान ग्रहण करने उनके बेटे अखिलेश यादव राष्ट्रपति भवन पहुंचे। अखिलेश यादव ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों यह सम्मान लिया।

वहीं, मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण दिए जाने के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया। ट्वीट में सीएम योगी ने मुलायम सिंह यादव की तारीफ की। राष्ट्रपति द्वारा आज पूर्व रक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव जी को 'पद्म विभूषण' (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया। समाज की मुख्यधारा से शोषितों, वंचितों और पिछड़ों को जोड़ने के लिए वे सदैव याद किए जाएंगे। 

मुलायम ने वंचितों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ाः योगी

सीएम योगी ने ट्वीट कर कहा, “माननीय राष्ट्रपति जी द्वारा आज पूर्व रक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव जी को ‘पद्म विभूषण’ (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया। समाज की मुख्यधारा से शोषितों, वंचितों और पिछड़ों को जोड़ने के लिए वे सदैव याद किए जाएंगे।

अखिलेश यादव ने सभी नेताओं को अभिवादन किया

पिता के नाम पर मिला सम्मान लेने अखिलेश यादव जब राष्ट्रपति भवन पहुंचे तो रोचक नजारा भी देखने को मिला। जब अखिलेश यादव का नाम पुकारा गया, तो वह अपनी जगह से उठे और प्रोटोकॉल के मुताबिक आगे बढ़े। इस दौरान वह सबका अभिवादन करते जा रहे थे, तभी सामने की पंक्ति में बैठे पीएम मोदी से उनकी नजरें मिलीं। पीएम मोदी संग लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, गृहमंत्री अमित शाह समेत अन्य नेता भी बैठे थे। अखिलेश यादव ने पीएम मोदी समेत सभी नेताओं को अभिवादन करते हुए नमस्कार किया।

पीएम मोदी ने भी उनके अभिवादन का जवाब देते हुए नमस्कार किया। इसके बाद अखिलेश यादव आगे बढ़कर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास पहुंचे और अभिवादन किया। राष्ट्रपति ने अखिलेश यादव के हाथ में उनके पिता मुलायम सिंह यादव का पद्म विभूषण सम्मान सौंप दिया।

पिछले साल हुआ था मुलायम सिंह का निधन

गौरतलब है कि पिछले साल 10 अक्टूबर को मुलायम सिंह यादव का 82 साल की उम्र में निधन हो गया था। उन्होंने गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली थी। वह लंबे समय से बीमार थे। बता दें कि पद्म सम्मान देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं और यह तीन श्रेणियों- पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री में प्रदान किए जाते हैं।

दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई को भेजा नोटिस, मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर मांगा जवाब

#delhi_high_court_notice_to_cbi_on_manish_sisodia_bai 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को आबकारी नीति मामले में आप नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया। जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने मामले को 20 अप्रैल को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और जांच एजेंसी को अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।

मनीष सिसोदिया ने निचली अदालत के उस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की है, जिसमें उन्हें सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था। बुधवार को सीबीआई जज एम.के. नागपाल (राउज एवेन्यू कोर्ट) ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। न्यायाधीश नागपाल ने उनकी न्यायिक हिरासत भी 17 अप्रैल तक बढ़ा दी थी। अदालत ने कहा था कि पहली नजर में आपराधिक साजिश के मनीष सिसोदिया लगते हैं. इस समय उनकी रिहाई से जारी जांच प्रभावित हो सकता है। मनीष सिसोदिया ने आपराधिक साजिश में सबसे महत्वपूर्ण और बड़ी भूमिका निभाई। मनीष सिसोदिया ने दिल्ली हाईकोर्ट के कोर्ट के इस रुख के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत देने की मांग की थी।

मनीष सिसोदिया के खिलाफ कथित शराब घोटाला मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं। दोनों ही मामलों में सिसोदिया न्यायिक हिरासत में हैं। सिसोदिया 26 फरवरी से गिरफ्तार हैं।

वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन और उनके दो सहयोगियों की ईडी द्वारा जांच किए जा रहे धन शोधन मामले में जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने 22 मार्च को उनकी जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।