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धनबाद: तोपचांची पुलिस और गोमो जीआरपी को परेशान करने वाले गोवा का अंतर प्रांतीय ठग डिसिल्वा को बिहार के गया से किया गिरफ्तार

धनबाद : वह फराटे दार अंग्रेजी बोलता है. पुलिस वालों को ही ठगता है. वह अग्रेजी बोलता है. पुलिस ने जब कढ़ाई की तो वह हिंदी बोलने लगा. इसके पहले कहता रहा कि उसे हिंदी आती ही नहीं है. लेकिन जब पुलिस ने अपना रौद्र रूप दिखाया तो सब कुछ उगल दिया.

जी हां,धनबाद के तोपचांची पुलिस और गोमो जीआरपी को परेशान करने वाला गोवा का अंतर प्रांतीय ठग डिसिल्वा को बिहार के गया पुलिस ने जेल भेज दिया है. झूठी शिकायत कर सहानुभूति से पुलिस अधिकारियों से पैसा ठगने वाला आखिरकार गया पुलिस के चंगुल में फंस गया.

पुलिस ने मामला दर्ज कर उसे जेल भेज दिया. जानकारी के अनुसार बिहार के गया जिले के सिविल लाइंस थाना में रविवार को गया और बैग चोरी होने की शिकायत पुलिस से की. शिकायत पर पुलिस जांच करने घटनास्थल पर गई.

लोगों ने घटना से इनकार किया. सीसीटीवी फुटेज जांच में डिसिल्वा को एक व्यक्ति से बात करते हुए देखा गया. पुलिस ने उस व्यक्ति को खोज कर पूछताछ की तो उसने बताया कि डिसिल्वा ने ट्रेन में बैग चोरी होने की बात बताई. उसके अनुरोध पर उसे कुछ आर्थिक मदद की. पुलिस को शक होने पर डिसिल्वा से कड़ाई से पूछताछ की तो उसने बताया कि वह पिछले साल सासाराम टाउन थाना तथा दिल्ली के थानों में झूठी प्राथमिकी दर्ज करवा कर सहानुभूति से पुलिस को ठग चुका है.

7 मार्च को वह धनबाद के भूली थाने में जाकर झूठी शिकायत की थी. उसके झांसे में आकर पुलिसकर्मियों ने उसे आर्थिक मदद की थी. हरिहरपुर थाना में भी झूठी शिकायत कर पुलिस को भरमाने का प्रयास किया. लेकिन हरिहरपुर थाना पुलिस को ठग नहीं पाया. पुलिस सूत्रों के अनुसार लूट की झूठी शिकायत दर्ज कर पुलिस कर्मियों को ठगने का वह काम करता था ,लेकिन बिहार के गया पुलिस को ठग नहीं पाया और उसे जेल जाना पड़ा. उसकी करनी से हरिहरपुर पुलिस को घंटों परेशान रहना पड़ा था. उसके बाद पुलिस को यह बता कर वह गया कि वह कोलकाता जा रहा है लेकिन कोलकाता नहीं जाकर वह बिहार के गया पहुंच गया और वहां पुलिस के हत्थे चढ़ गया.

मामूली सी बात पर खाया जहर इलाज के दौरान हुई मौत

धनबाद : बलियापुर के परघा, सुफलडीह में निर्मल रवानी उर्फ साजन रवानी के 15 वर्षीय पुत्र समीर कुमार रवानी ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली. पोस्टमार्टम के बाद आज उसका शव घर पहुंचा तो पूरे गांव में मातम पसर गया. उसका दाहसंस्कार सिंदरी के डोमगढ़ घाट पर किया गया.

मृतक ने बीते मंगलवार बीती रात मामूली सी बात पर जहर खा ली थी. पता चलने पर घरवालों ने उसे एसएनएमएमसीएच धनबाद में भर्ती कराया, लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया. मृतक पुटकी थाना क्षेत्र के धोबनी गांव का निवासी है. परघा, सुफलडीह उसका मामा घर है. पिछले कुछ दिनों से सपरिवार यहां घर बनाकर रह रहा था. वो दो भाईयों में बड़ा था.

तत्कालीन बिहार की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाली धनबाद को।कोयले के प्रचुर भंडार के कारण पूरे देश में मिली पहचान

धनबाद : राज्य पुनर्निर्माण आयोग की सिफारिश पर धनबाद जिला 24.10.1956 को बनाया गया था। धनबाद के तत्कालीन जिले में दो अनुमंडल होते थे, अर्थात् धनबाद सदर एवं बाघमारा। 01.04.1991 को चास के नाम से जाना जाने वाला बाघमारा अनुमंडल बोकारो जिले का हिस्सा बन गया।

झारखंड में एक बड़ा कोयला क्षेत्र है। झरिया 19.4 बिलियन टन कोकिंग कोल के अनुमानित भंडार वाले भारत में सबसे बड़े कोयला भंडार का प्रतिनिधित्व करता है।भारत के सबसे अमीर कोयला खानों में से एक के लिए प्रसिद्ध है जिसमें कोकिंग कोयला की अच्छी गुणवत्ता की सबसे बड़ी जमा है। यह टिस्को और आईआईएससीओ की गुणवत्ता खनन और वॉशरी के लिए भी मान्यता प्राप्त गोविन्द नाथ शर्मा, झरिया हैं । लगभग 350 साल पुराना झारखंड का ऐतिहासिक झरिया शहर काले हीरे की नगरी और आग के ऊपर बसे शहर के रूप में देश ही नहीं विदेशों में भी मशहूर है। झरिया की और कई बातें इस शहर को खास और मशहूर बनाता है।

आज इसके बारे में आपको विस्तार से अवगत कराते हैं। इस ऐतिहासिक शहर की और अधिक जानकारी पाकर आपका भी मन बाग- बाग हो जाएगा। आग के ऊपर बसा काले हीरे की नगरी झरिया अभी भी आबाद है। लेकिन इस ऐतिहासिक शहर में जमीनी आग के कारण चारों ओर से खतरा मंडरा रहा है। झरिया लगभग 77 हजार एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार झरिया की आबादी पांच लाख 41 हजार है। वर्तमान समय में झरिया धनबाद नगर निगम के अधीन है। झरिया अंचल में 34 से 53 नंबर तक वार्ड हैं। जबकि विधानसभा में एक वार्ड कम 52 तक ही है।

मतदाताओं की संख्या अभी लगभग तीन लाख 25 हजार है। कांग्रेस की पूर्णिमा नीरज सिंह अभी झरिया की विधायक है। पांच लाख से अधिक की आबादी वाले आग के ऊपर बसे कोयले की इस नगरी के बारे में कई खास जानकारी पाकर आप भी कह उठेंगे वाह झरिया।झरिया की जमीन के नीचे उच्च कोटि के कोकिंग कोल का है भंडार।

झरिया में सबसे उच्च कोटि के कोकिंग कोल का अथाह भंडार यहां की जमीन के नीचे है। 1900 के पहले निजी खान मालिकों ने यहां से कोयला निकालना शुरु किया। कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया जब भारत में कोयला खानों का राष्ट्रीयकरण 1971 – 72 में किया जा रहा था। यह राष्ट्रीयकरण इंदिरा गांधी के सरकार राज में हुआ था ।होने के बाद से भारत कोकिंग कोल लिमिटेड की ओर से यहां कोयले का खनन किया जा रहा है। अधिकांश क्षेत्रों में भारत कोकिंग कोल लिमिटेड की ही खदानें व परियोजनाएं हैं। 90 प्रतिशत भूमिगत खदानें बंद हो चुकी हैं। अब आउटसोर्सिंग परियोजना के माध्यम से कोयला खनन किया जा रहा है। झरिया में बीसीसीएल के अलावा स्टील अथॉरिटी इंडिया लिमिटेड सेल और निजी कंपनी टाटा स्टील की ओर से भी यहां की खदानों से कोयले का खनन किया जा रहा है। यह कोयला देश के विभिन्न बिजली संयंत्रों और स्टील कंपनियों को मालगाड़ी से भेजा जाता है। कोयला खान विशेषज्ञों का कहना है कि झरिया में अभी भी इतना कोयले का भंडार है कि दशकों तक इसे निकालने के बाद भी यह समाप्त नहीं होगा।

दशकों तक राजाओं ने झरिया में किया राज

झरिया राजाओं का शहर रहा। झरिया राजा परिवार के लोग दशकों तक यहां शासन किए। 350 वर्ष पूर्व रीवा राजघराना के चार भाई अपने शासन का विस्तार करने के लिए झरिया पहुंचे थे।

एक शताब्दी से आग के ऊपर बसा है झरिया

आज भी आग के ऊपर झरिया बसा है। एक शताब्दी से भी अधिक समय से यहां की जमीन में लगी आग आज भी धधक रही है। वर्ष 1916 में पहली बार झरिया के भौंरा कोलियरी की कोयला खान में आग लगी थी। इसके बाद धीरे-धीरे अन्य क्षेत्रों में भी आग लग गई। लगातार ऑक्सीजन मिलने के कारण आग धधकती चली गई। एक शताब्दी के बाद भी अरबों-खरबों रुपये खर्च करने के बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। आज भी झरिया के दर्जनों इलाके में आग लगी है।

अग्नि व भू धंसान इलाके में दशकों से हजारों लोग रहते आ रहे हैं। केंद्र सरकार के झरिया मास्टर प्लान के तहत अभी तक इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पूरी तरह से पुनर्वास नहीं किया जा सका है। लोग जान हथेली पर रखकर रहने को मजबूर हैं। आग दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है।

ऊपर मकान नीचे दुकान यही है झरिया बाजार की पहचान

लगभग साढ़े पांच लाख की आबादी वाले झरिया कोयलांचल का मुख्य प्राचीन बाजार झरिया शहर में स्थित है। शुरू में इस प्राचीन शहर के बाजार को कोलकाता के बाजार के रूप में बसाया गया था। मात्र एक किलोमीटर के अंदर ही झरिया का मुख्य बाजार स्थित है। यहां लगभग पांच हजार हर तरह की दुकानें हैं। हर तरह के सामान इस बाजार में मिलते हैं। झरिया के बाजार की खासियत यह है कि ऊपर मकान और नीचे दुकान है। ऐसा लगभग एक शताब्दी से चलता आ रहा है। एक समय झरिया बाजार में झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल के लोग भी खरीदारी करने आते थे। लेकिन तीन दशक पहले यहां के मुख्य बाजार अनाज व फल मंडी को धनबाद स्थानांतरित कर दिए जाने के कारण इसकी रौनक कुछ फीकी हो गई है। इसके अलावा झरिया बाजार के आसपास छोटे-छोटे बाजार हो गए हैं ।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद भी आए थे झरिया

देश में चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तीन बार झरिया की धरती पर पांव रखे थे। उनके साथ देशबंधु चितरंजन दास व अन्य स्वतंत्र सेनानी भी थे। गया में कांग्रेस के अधिवेशन के दौरान महात्मा गांधी यहां के निजी कोयला खान मालिक, उद्योगपति, समाजसेवी रामजश अगरवाला के घर आर्थिक सहयोग के लिए पहुंचे थे। इस दौरान उद्योगपति रामजश अग्रवाला ने महात्मा गांधी को ब्लैंक चेक देकर झरिया का नाम रोशन किया था।

इलियास और गयास अहमद ने साहित्य में झरिया को दिलाई पहचान

झरिया शहर के गद्दी मोहल्ला में रहने वाले गयास अहमद गद्दी और इनके भाई इलियास अहमद गद्दी ने साहित्य के क्षेत्र में झरिया को प्रसिद्धि दिलाई। दोनों सहोदर भाई साहित्य के क्षेत्र में ऐसा नाम किए हैं कि आज भी देश-विदेश के लोग झरिया को साहित्य की उर्वरा भूमि के रूप में जानते हैं। गयास अहमद गद्दी ने अपनी उर्दू कहानियों से देश और विदेश में प्रसिद्धि पाई। इनकी कहानियां परिंदा पकड़ने वाली गाड़ी व अन्य देश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती हैं। वहिं इलियास अहमद गद्दी ने फायर एरिया उर्दू उपन्यास लिखा। इसके लिए इलियास को साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला। दोनों भाई अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन दोनों की रचनाएं आज भी जीवित हैं। दोनों साहित्यकारों के परिवार वाले आज भी झरिया में ही रह रहे हैं।

झरिया की आग को देखने आते हैं हर साल दर्जनों विदेशी

आग के ऊपर बसे काले हीरे की नगरी झरिया को देखने के लिए हर साल दर्जनों विदेशी यहां आते हैं।

झरिया की मिठाई मेसु हर जगह है मशहूर

बेसन और चीनी से बनी झरिया की मिठाई मेसु हर जगह मशहूर है। लगभग 75 वर्षों से इसे झरिया में बनाया जा रहा है। यह मात्र 120 रुपये प्रति किलो की दर से मिलता है। झरिया की मेसु मिठाई की प्रसिद्धि का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि झरिया बाजार में इसके 50 थोक और पांच सौ खुदरा की दुकानें हैं। थोक मेसु बेचने वाले गोलघर के महेश गुप्ता और सुरेश गुप्ता ने बताया कि दादा देवनारायण साव ने इस मिठाई को बेचने की शुरुआत की थी। इसके बाद पिता मुंशी साव इसे बेचने का कार्य किया। अभी हम दोनों भाई थोक में इसका कारोबार करते हैं। झरिया की यह मिठाई इतनी प्रसिद्ध है कि इसकी डिमांड झारखंड और बिहार के कई जिलों में है। झरिया में हर दिन लगभग 20 क्विंटल मेसु की बिक्री होती है। संदेश के रूप में भी इसे ज्यादातर लोग ले जाते हैं।

झरिया मे ही बना था फिल्म कला पत्थर*

साल 1979 में रिलीज हुई काला पत्थर एक एक्शन फिल्म थी। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर मुख्य भूमिका में थे। काला पत्थर यश चोपड़ा द्वारा अभिनीत थी और चासनाला खनन आपदा पर आधारित थी। वास्तविक घटना 27 दिसंबर 1975 को झारखंड के धनबाद के पास चासनाला में एक कोयला खदान में हुई थी।

धनबाद: एक करोड़ की रंगदारी के लिए गोविंदपुर में कोयला कारोबारी के घर फायरिंग, प्रिंस खान ने ली जिम्मेदारी

धनबाद : गोविंदपुर थाना क्षेत्र के बहादुरपुर में कोयला कारोबारी बंटी सिंह चौधरी (25 वर्ष) के घर पर मंगलवार रात 10 बजे अज्ञात अपराधियों ने ताबड़तोड़ सात राउंड फायरिंग कर दहशत फैला दी.

दो गोलियां घर के गेट पर लगीं, जबकि पांच राउंड हवाई फायरिंग की गयी. बंटी चौधरी अपराधियों के निशाने पर थे. घटना में घरवालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है, हालांकि पूरा परिवार काफी डरा-सहमा है.

कतरास में कोयला का कारोबार करते हैं बंटी चौधरी

बंटी के पिता सच्चिदानंद सिंह चौधरी ने पत्रकारों को बताया कि अपराधी दो मोटरसाइकिलों पर सवार होकर आये थे. गोलीबारी की आवाज सुनकर उन लोगों को ऐसा लगा कि कोई बरात जा रही है और खुशी में पटाखे फोड़े जा रहे हैं. जब गोली उनके गेट पर लगी, तब जाकर अपराधियों द्वारा फायरिंग किये जाने का एहसास हुआ. बंटी चौधरी कतरास इलाके में कोयला का कारोबार करते हैं और उनके एक सहयोगी पर पिछले दिनों फायरिंग की घटना हो चुकी है.

झारखंड में एक दर्जन से अधिक ठिकानों पर ईडी का छापा, हजारीबाग के कोयला कारोबारी के घर मिले 3 करोड़ रुपये

सोशल मीडिया पर प्रिंस खान ने पोस्ट किया ऑडियो

इस घटना को कतरास की घटना से जोड़ कर देखा जा रहा है. इस बीच, वासेपुर के गैंगस्टर प्रिंस खान ने घटना को लेकर सोशल मीडिया में एक ऑडियो पोस्ट किया है. इसमें बंटी सिंह चौधरी से एक करोड़ रुपये नकद देने तथा 200 रुपये प्रति टन रंगदारी की मांग की गयी है. उसने एक पत्र भी जारी किया है. उसमें लिखा है कि आज धमकी देने के लिए गेट पर गोली मारी गयी है. रंगदारी नहीं देने पर हत्या कर दी जायेगी.

कुछ देर पहले धनबाद से लौटे थे बंटी

सच्चिदानंद सिंह चौधरी ने बताया कि उनका पुत्र बंटी सिंह चौधरी घटना से आधा घंटे पहले धनबाद से लौटा था. संयोग से किसी प्रकार के जानमाल की क्षति नहीं हुई. सूचना मिलते ही गोविंदपुर थाना प्रभारी उमेश प्रसाद सिंह दलबल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और मामले की तहकीकात शुरू कर दी. पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय वन अमर कुमार पांडेय भी मौके पर पहुंचे. बताया जाता है कि सच्चिदानंद सिंह चौधरी ने दो-तीन दिन पूर्व ही नये घर में प्रवेश किया था.

धनबाद :आद्रा डिवीजन की जीएम ने महुदा रेलवे परिसर का निरीक्षण किया

महुदा : आज महुदा रेलवे परिसर का दौरा करने आई आद्रा डिवीजन की जीएम श्रीमती अर्चना जोशी और चिल्ड्रेन गार्डन (महुदा) का उद्घाटन फीता काट कर किया। उनका भव्य स्वागत धनबाद जिला परिषद अध्यक्ष श्रीमती शारदा सिंह ने किया। महुदा रेलवे स्टेशन की समस्याओं को लेकर आद्रा डिवीजन की जीएम श्रीमती अर्चना जोशी को ज्ञापन सौंपा।

NH-32 के चौड़ीकरण के कारण मुचिरायडीह रेलवे क्रॉसिंग के बंद होने से छः पंचायत के 30,000 लोगों को काफी परेशानी होती हैं।

• छात्र-छात्राओं, मजदूर को जान जोखिम में डालकर रेलवे पटरी पार कर जाना पड़ता है।

• महुदा स्टेशन में पर परिचालित एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं होने से महुदा एवं आस-पास के लगभग 1.5 लाख की सुविधा से वंचित हैं।

महुदा स्टेशन के पूर्व की ओर पदुगोडा में अंडर पास का निर्माण।

• महुदा स्टेशन पर यात्रियों की सुविधा के लिए पेयजल, शौचालय, फुड कोर्ट इत्यादि की सुविधा होनी चाहिए।

• महुदा स्टेशन के समीप अवस्थित महुदा रेलवे ग्राउंड का उन्नयन करते हुए अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त एक स्टेडियम का निर्माण कराया जाय। जिससे स्थानीय स्तर पर खेल प्रतिभा का विकास हो।

• 18627/18628 हावड़ा रांची इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन कोp प्रतिदिन चलाया जाय।

GM अर्चना जोशी जी ने आश्वासन दिया कि जल्द ही सारी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।

मौके पर महुदा रेलवे की यूनियन कमिटी सदस्य, पत्रकार बंधु सहित दर्जनों ग्रामीण उपस्थित थे।

भौंरा ओपी पुलिस ने अवैध लोहा लदा पिकअप वैन किया जब्त, तस्कर फरार..

धनबाद : झरिया के भौंरा ओपी पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, गुप्त सूचना के आधार पर एक पिकअप वैन का पीछा करते हुए धर दबोचा है, उस पिकअप वैन का नंबर है JH 02 BK 6953, जिसपर गैस कटर और अवैध लोहा लदा था ,जिसे भौंरा ओपी पुलिस ने पिकअप वैन को जब्त कर लिया है..

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भौरा पुलिस ने पिकअप वैन का पीछे करके धर दबोचा है, पीछे से पुलिस को आता देख चोरों ने पिकअप वैन को छोड़कर फरार हो गए, वहीं भौरा पुलिस ने पिकअप वैन को जब्त कर थाने ले आई और जांच में जुट गई है.

टुण्डी विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने विधानसभा में उठाया पंडुकी व राजगंज को प्रखंड बनाये जाने का मुद्दा



 धनबाद: टुण्डी विधायक एवं झामुमो के सचेतक पूर्व मंत्री मथुरा प्रसाद महतो ने शून्यकाल के दौरान विधानसभा में धनबाद

जिलान्तर्गत गोविन्दपुर प्रखण्ड के तिलैया, मरचो, बिराजपुर, आसनबनी-1, कुलबेडा,

खरनी, उदयपुर, बड़ा पिछाड़ी, दामकारा बरवा, जयनगर, कंचनपुर, पंडुकी, भितिया,

जियलगढा, आसनबनी-2, जमडीहा को मिला कर नया प्रखण्ड पंडुकी तथा बाघमारा

प्रखण्ड के टुंडी विधानसभा क्षेत्र के तहत पड़ने वाले पंचायतों को मिला कर नया प्रखण्ड राजगंज बनाये जाने की मांग रखी। 

श्री महतो ने अपने तारांकित प्रश्न संख्या 33 के संबंध में यह जानना चाहा कि क्या यह बात सही है कि धनबाद जिला अंतर्गत तोपचांची प्रखण्ड के ग्राम+पो. रामाकुण्डा निवासी जानकी गोसाई के पुत्र प्रदीप गोसाई

का निधन दिनांक 08.09.2022 को बज्रपात से हो गया था,और 

क्या यह बात सही है कि बज्रपात से निधन होने पर आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा आश्रित परिजनों को सरकारी सहयोग एवं मुआवजा राशि उपलब्ध कराने का प्रावधान है; क्या यह बात सही है कि स्व. प्रदीप गोसाई परिवार के एक मात्र धनोपार्जन करने वाले व्यक्ति थे, उनके निधन के उपरांत आश्रित

परिजनों को सरकारी सहयोग एवं मुआवजा राशि नहीं मिलने के कारण आर्थिक स्थिति अति दयनीय हो गयी है;

यदि उपर्युक्त खण्डों के उत्तर

स्वीकारात्मक है, तो क्या सरकार स्व. प्रदीप गोसाई के आश्रित परिजनों को सरकारी सहयोग

एवं मुआवजा राशि उपलब्ध कराने का विचार रखती है, हाँ, तो कब तक, नहीं तो क्यों ? इस प्रश्न के आलोक में बन्ना गुप्ता, मंत्री, आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि उपायुक्त धनबाद के पत्रांक-779 दिनांक-09.03.2023 से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार स्व. प्रदीप गोसाई के आश्रित / परिजन को राज्य आपदा मोचन निधि से

अनुग्रह अनुदान की राशि 4,00,000/- चार लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया है।

वित्तीय वर्ष समाप्ति के दिन नजदीक आते ही यातायात विभाग राजस्व वसूली के लिए पकड़ी रफ्तार, वसूले 71 दिन में 67 लाख 39 हजार


धनबाद : वित्तीय वर्ष की समाप्ति के दिन नजदीक आते ही विभिन्न विभागों में राजस्व वसूली ने भी रफ्तार पकड़ ली है. धनबाद यातायात पुलिस भी उसमें पीछे नहीं है. वित्तीय वर्ष समाप्ति के एक पखवारा पहले ही यातायात पुलिस लक्ष्य प्राप्त करने में जी जान से भिड़ी हुई है. जगह-जगह वाहनों की जांच हो रही है, चालान काटे जा रहे हैं और जुर्माना वसूला जा रहा है. हालांकि ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई से कुछ वर्ग नाराज भी हो रहा है. परंतु राजस्व वसूली का रिकार्ड भी तो सुधारना है.

जांच अभियान का हो रहा है विरोध

आम लोग भले नाराज हों, सरकार तो इस वसूली से खुश होगी ही. जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने धनबाद की यातायात व्यवस्था सुधारने और सरकारी नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना करने का निर्देश दे रखा है. दो पहिया वाहनों के लिए हर चौक चौराहे पर ऑटो मीटर से यातायात पुलिस फाइन वसूलने में लगी है. हालांकि आंख के सामने धमा चौकड़ी मचा रहे ऑटो व टोटो चालकों के प्रति मेहरबान है. अति व्यस्त व्सायायिक इलाके में जांच अभियान का व्यावसायिक संगठनों ने भी विरोध शुरू कर दिया है. व्यवसायिक संगठनों का कहना है कि इससे कारोबार पर असर पड़ रहा है. जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए यातायात पुलिस सड़कों पर तैनात है. लेकिन जाम की समस्या का निदान कम, जुर्माना वसूली अभियान में ज्यादा पसीना बहा रही है.

  ट्रैफिक नियमों के पालन से अधिक वसूली पर ध्यान

शहर में ट्रैफिक व्यवस्था का बुरा हाल है. वाहन चालक हर दिन ट्रैफिक नियम तोड़ते हैं, मगर नियम टूटने के बाद ही जुर्माना वसूली का टारगेट भी पूरा हो पाता है. ट्रैफिक व्यवस्था की कमान संभालने वाले जुर्माना वसूली में व्यस्त रहेंगे ही, फिर चाहे सड़क जाम की समस्या ही क्यों ना हो. सड़क दुर्घटना कैसे रोकी जाए, इस पर न तो ट्रैफिक पुलिस का ध्यान रहता है और न ही प्रशासिक अधिकारियों का. हर माह दर्जनों लोगों की जान सड़क दुर्घटना में जाती है. पुलिस के सामने चालक नियम तोड़ते हैं और फायदा के चक्कर में पुलिसकर्मी चुपचाप खड़े होकर तमाशा देखते हैं. वाहन चालकों से जुर्माना वसूल कर पुलिस संतुष्ट हो जाती है.

  तेज है जुर्माना वसूली का अभियान

वही 71 दिनों में 4254 वाहनों से 67 लाख 39 हजार 450 रुपया जुर्माना वसूला गया. यातायात विभाग के द्वारा जनवरी में 1261 गाड़ी से 20 लाख 90 हजार 6 सौ, फरवरी में 2199 गाड़ी से 34 लाख 50 हजार 3 सौ 50 रुपये, मार्च 1 तारीख से लेकर 12 तारीख तक 794 वाहनों से 11 लाख 98 हजार 500 जुर्माना वसूला गया है.

झरिया विधायक ने विस में उठाया एसडीआरएफ गठन में विलंब का मुद्दा


झरिया : विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने 13 मार्च को विधानसभा में स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एसडीआरएफ) के गठन में विलंब का मुद्दा उठाया. एसडीआरएफ का गठन नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) की तर्ज पर होना है.उन्होंने कहा कि बताया कि राज्य में एसडीआरएफ का गठन नहीं होने से असामयिक घटनाओं में क्षति अधिक हो रही है. 

इन घटनाओं पर नियंत्रण के लिए एनडीआरएफ पर निर्भर रहना पड़ता है. उन्होंने विभागीय मंत्री से पूछा कि राज्य के सभी जिलों में एसडीआरएफ का गठन कब तक किया जाएगा.

इसके जवाब में प्रभारी मंत्री ने बताया कि एसडीआरएफ के लिए वर्ष 2016 में 132 पदों का सृजन किया गया था. वर्तमान में झारखंड सशस्त्र बल के 66 जवान इसमें कार्यरत हैं. वहीं, संविदा के 66 कर्मियों का पद खाली है. पूर्णिमा नीरज सिंह ने मंत्री से कहा कि धनबाद जिले में अग्निशमन पदाधिकारी का पद लंबे समय से खाली है. प्रभार काम चलाया जा रहा है.

धनबाद के 259 पंचायतों में खुलेगी जेनेरिक दवा की दुकान,गरीबों को मिलेगी सस्ती दवा

धनबाद। राज्य सरकार के निर्देश के बाद अब धनबाद के कुल 259 पंचायतों में जेनेरिक दवा दुकान खोलने की कवायद स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की ओर से शुरू की जा रही है। 

पंचायतों के लिए जल्द युवाओं से आवेदन लिए जाएंगे। इस काम में जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग के अलावा ड्रग इंस्पेक्टर कार्यालय के पदाधिकारी शामिल रहेंगे। पिछले दिनों सरकार ने घोषणा की थी कि पंचायत स्तर पर जेनेरिक दवा दुकान खोलने के लिए किसी भी प्रकार की फार्मासिस्ट की जरूरत नहीं होगी। पंचायत से योग्‍य युवाओं को जैविक दवा दुकान के लिए रखा जाएगा। 

सबसे ज्यादा पंचायत बाघमारा में 61 है, इसके बाद तोपचांची में 28 पंचायत है। धनबाद सदर में सबसे कम 12 पंचायत है।

 गरीबों को मिलेगी बेहद सस्ती दवा

जैविक दवा दुकान के लिए तमाम खर्च राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत केंद्र और राज्य सरकार करेगी। इसमें लाभुक अथवा दूसरे किसी को राशि लगाने की आवश्यकता नहीं होगी।

सिविल सर्जन डॉ आलोक विश्वकर्मा ने बताया कि जेनेरिक दवा दुकान पंचायतों में खुलने से इसका सीधा फायदा ग्रामीण इलाकों के लोगों को होगी, जहां उन्हें बाजार से 5 से 10 गुनी सस्ती दवा उपलब्ध हो पाएगी। उन्होंने कहा कि दवा दुकान के लिए स्वास्थ्य विभाग की अलग से टीम निगरानी करेगी।