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बिहार की स्नातक छात्राओं के लिए खुशखबरी, राज्य सरकार देने जा रही यह तोहफा

डेस्क : बिहार के छात्राओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। स्नातक करने वाली छात्राओं को राज्य सरकार एक बड़ा तोहफा देने जा रही है। राज्य सरकार प्रोत्साहन योजना के तहत 31 अक्टूबर 2022 के बाद स्नातक करने वाली छात्राओं को भी शीघ्र प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए शिक्षा विभाग ने कार्ययोजना बनायी है। 

फिलहाल जिनके लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू की गयी है, उन्हें यह राशि दी जाएगी और फिर उपलब्धता के आधार पर अन्य छात्राओं को भी प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इस समय 31 मार्च 2021 से 31 अक्टूबर 2022 तक की समय सीमा तय है। इस अवधि में स्नातक करने वाली छात्राओं को स्नातक प्रोत्साहन योजना के तहत 50 हजार दिए जाने हैं।

इस समय आवेदन की प्रक्रिया चल रही है। छात्राएं राशि के लिए 28 फरवरी तक आवेदन कर सकती हैं। हालांकि अभी तक अपेक्षित संख्या में आवेदन नहीं मिले हैं। तय अवधि के लिए प्रदेश के 25 विश्वविद्यालयों से स्नातक उत्तीर्ण 1.78 लाख छात्राओं के रिजल्ट पोर्टल पर अपलोड हैं। इनमें लगभग 50 फीसदी ने ही आवेदन किया है। पिछले तीन सत्रों 2015-18, 2016-19 और 2017-20 में उत्तीर्ण 1.60 लाख छात्राओं को 400 करोड़ की राशि दी गई है। 

शिक्षा विभाग ने आवेदन के लिए विशेष पोर्टल तैयार किया है। इसमें वैसी कोई भी छात्रा आवेदन ही नहीं कर सकेगी, जो योग्य नहीं हैं। गलत नाम से भी आवेदन नहीं हो सकेगा। आवेदन के समय ही आवेदक के नाम, कॉलेज, विश्वविद्यालय के साथ ही किस विषय के लिए मान्यता मिली है, जांच हो जाएगा। 

गौरतलब है कि छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने को इंटरमीडिएट और स्नातक कन्या प्रोत्साहन योजना 2018 से चल रही है। इसके तहत स्नातक पास करने वाली छात्राओं को पहले 25 हजार मिलते थे, लेकिन पहली अप्रैल 2021 के बाद स्नातक करने वाली छात्राओं को 50 हजार की राशि दी जा रही है।

प्रदेश में 39 लाख 36 हजार मनरेगा मजदूरों का जॉब कार्ड रद्द, आधार से लिंक करने के दौरान पकड़े गये फर्जी या दोहरे कार्ड

डेस्क : बिहार में नये प्रावधान के अनुसार ऐसे मजदूरों को ही मनरेगा के तहत किए गए कार्य का भुगतान होना है जिनका जॉब कार्ड आधार से लिंक है। सभी सक्रिय मजदूरों के कार्ड को आधार से लिंक करने की अनिवार्यता कर दी गई है, इसीलिए प्रदेश में अभियान के तौर पर यह काम किया जा रहा है।

इधर प्रदेश में आधार से लिंक करने के दौरान बड़े पैमाने पर ऐसे मनरेगा कार्ड पकड़े गये है। जो या तो फर्जी है या फिर दोहरा बनाये गये है। जिसके बाद 39 लाख 36 हजार मनरेगा मजदूरों का जॉब कार्ड रद्द कर दिया गया है। इनमें ज्यादातर जॉब कार्ड फर्जी या दोहरे थे। 

कुछ ऐसे मजदूरों का भी जॉब कार्ड रद्द किया गया है जो प्रदेश से लंबे समय से बाहर हैं और पिछले तीन सालों में मनरेगा के तहत एक दिन भी काम नहीं किया है। 

राज्य के छह जिले ऐसे हैं जहां सबसे अधिक जॉब कार्ड को रद्द किया गया है। इसमें पटना, वैशाली, समस्तीपुर, भागलपुर, भोजपुर और दरभंगा शामिल हैं। छानबीन में यह भी पता चला है कि कई मजदूरों ने इंदिरा आवास योजना या प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए जॉब कार्ड तो बना लिया था लेकिन उस कार्ड के आधार पर पिछले तीन वर्षों में एक दिन भी मजदूरी नहीं की है।

गौरतलब है कि 88 लाख 31 हजार जॉब कार्ड आधार से जोड़े गए सूबे में मनरेगा मजदूरों की संख्या दो करोड 35 लाख थी। इसमें केवल 91 लाख 79 हजार मजदूर ही सक्रिय पाए गए। इनमें 88 लाख 31 हजार मजदूरों के जॉब कार्ड आधार से लिंक कर दिए गए हैं। सूबे के कुल मनरेगा मजदूरों में 39 लाख 36 हजार ऐसे पाए गए जिनका जॉब कार्ड फर्जी, दोहरा या अन्य कारणों से योग्य नहीं था। इसके बाद इन्हें रद्द कर दिया गया। शेष जॉब कार्ड का सत्यापन चल रहा है। अभी और भी जॉब कार्ड रद्द होने की संभावना है। जैसे- जैसे जिलों से सत्यापन रिपोर्ट और आधार कार्ड से लिंक करने का काम समाप्त हो रहा है, वैसे-वैसे असक्रिय मजदूरों को चिन्हित कर कार्ड रद्द किया जा रहा है।

आयुक्त राहुल ने बताया के जो मजदूर लंबे समय से सक्रिय नहीं थे या आधार से लिंक करने के दौरान जिनका जॉब कार्ड सही नहीं पाया गया, उसे रद्द कर दिया गया है। इसमें ऐसे मजदूर भी शामिल हैं जो प्रदेश से लंबे समय से बाहर काम कर रहे हैं और पिछले दो-तीन सालों से मनरेगा के तहत उन्होंने मजदूरी नहीं की है। 

अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में मनरेगा मजदूरों के कार्ड सबसे अधिक वर्ष 2005-06 में बनाए गए थे। उस समय मनरेगा मजदूरों का जॉब कार्ड बनाने के लिए अभियान चलाया गया था। इस दौरान पंचायत स्तर पर कई गलतियां की गई थीं जो जॉब कार्ड को आधार से लिंक करने के दौरान पकड़ में आई है। कुछ ऐसे कार्ड भी रद्द किए गए हैं जिसमें कार्ड धारक मजदूरों की मौत हो गई है।

*पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी का सीएम पर बड़ा हमला, कहा-राजद का साथ छोड़ने की तैयारी कर रहे है नीतीश कुमार*

डेस्क : बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम व बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने एकबार फिर सीएम नीतीश कुमार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार फिर राजद का साथ छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। 

सुशील मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार पहले स्वयं तेजस्वी को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और अब पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह से बयान दिलवा रहे हैं कि ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ है। वर्ष 2025 में निर्णय होगा। 

वहीं, जदयू नेता केसी त्यागी कह रहे हैं कि वर्ष 2030 में भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री रहेंगे। उधर, राजद विधायक होली बाद तेजस्वी की ताजपोशी की घोषणा कर रहे हैं। लेकिन, सच्चाई यह है कि वर्ष 2024 में नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री और वर्ष 2025 में भाजपा का बिहार में मुख्यमंत्री बनना तय है।

आरोप लगाया है कि जदयू और राजद के उक्त विरोधाभासी बयानों से राज्य में नौकरशाही पसोपेश में पड़ गई है। विकास ठप हो गए हैं। राजनैतिक अस्थिरता का खतरा पैदा हो गया।

सत्ता परिवर्तन की आहट से जनता सशंकित है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हस्तक्षेप कर सारी स्थिति स्पष्ट करना चाहिए। बिहार की जनता को यह जानने का अधिकार है कि किसका बयान सच है। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को भी अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए।

डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का बड़ा बयान, कहा-सीएम बनने की नहीं है कोई जल्दबाजी, हमारी पहली प्राथमिकता भाजपा को रोकना है

डेस्क : पिछले कुछ दिनों के बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के जल्द ही सीएम बनने की चर्चा एकबार फिर जोरो पर है। जब से सीएम नीतीश कुमार ने यह एलान किया है कि उनका उतराधिकारी तेजस्वी यादव होंगे तब यह चर्चा और भी जोरो पर है। राजद के कई नेता तो महीने भर के अंदर तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने का दावा कर रहे है। 

इधर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा है कि मुझे मुख्यमंत्री बनने की कोई जल्दबाजी नहीं है। हमारी पहली प्राथमिकता भाजपा को रोकना है। बिहार में महागठबंधन अटूट है। सरकार सही दिशा में काम कर रही है। हमारी कोशिश है कि 2024 के चुनाव में भाजपा एक भी सीट नहीं जीते।

जहानाबाद के बराबर पर्यटन स्थल पर धर्मशाला (यात्री निवास केंद्र) का उद्घाटन करने के बाद उप मुख्यमंत्री पत्रकारों से बात कर रहे थे। मुख्यमंत्री के लिए 2030 तक कोई वैकेंसी नहीं होने के मीडिया के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमें अभी सीएम बनने की हड़बड़ी नहीं है। तेजस्वी यादव जहानाबाद से करीब दो बजे बोधगया पहुंचे। वहां पर्यटन से जुड़े लोगों के साथ बैठक की। 

टूरिस्ट गाइड, टूर ऑपरेटर व होटल कारोबारियों से उनकी समस्याएं जानी। वहां भी उन्होंने दोहराया कि हमें सीएम बनने की कोई हड़बड़ी नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अच्छा काम कर रहे हैं। हम जब भी सीएम बनेंगे तो आपलोगों को सूचना मिल ही जाएगी। उन्होंने कहा कि मैं यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम करने आया हूं। बिहार में पर्यटकों की संख्या बढ़े, यही हमारा उद्देश्य है।

तेजस्वी यादव बोले, मुझे सीएम बनने की अभी कोई जल्दी नहीं, मुख्य लड़ाई 2024 में भाजपा को सत्ता से भगाना है

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के बिहार के मुख्यमंत्री बनने को लेकर महागठबंधन में तनातनी जारी है। जहां आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को जल्द मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं। तो जदयू की राय इस मामले में अलग है। इसी बीच तेजस्वी यादव ने कहा है कि उन्हें कोई जल्दी नहीं है। महागठबंधन का लक्ष्य 2024 में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने का है।

तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन में कोई भी दिक्कत नहीं है। हमारा लक्ष्य 2024 में बीजेपी को केंद्र की सत्ता से बेदखल करने का है। अभी महागठबंधन सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रही है. मुझे कोई जल्दी (सीएम बनने की) नहीं है।

नीतीश कुमार तेजस्वी को बागडोर देने के दे चुके संकेत 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले साल बीजेपी से नाता तोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गए थे। इसके बाद से उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में सक्रियता बढ़ाई है। तभी से कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार बिहार में महागठबंधन की बागडोर तेजस्वी को सौंपकर पूरी तरह से दिल्ली की राजनीति में अपनी दखल बढ़ा सकते हैं। खुद नीतीश कुमार ने पिछले दिनों इसके संकेत दिए थे।

नीतीश कुमार ने पिछले दिनों विधायक दल की बैठक में कहा था कि 2025 में महागठबंधन को डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव लीड करेंगे। उन्हें ही महागठबंधन को आगे बढ़ाना है।

 नेताओं में बयानबाजी जारी

आरजेडी के पास 80 विधायक हैं और नीतीश कुमार के 43 विधायक हैं। इसी आधार पर आरजेडी के नेता तेजस्वी को सीएम की कुर्सी पर बैठाने की मांग उठा रहे हैं। आरजेडी के नेता लगातार मांग कर रहे हैं कि नीतीश कुमार को चाहिए कि सीएम की कुर्सी तेजस्वी यादव को सौंपकर 'दिल्ली कूच' करे। हालांकि, नीतीश कुमार की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह इससे सहमत नजर नहीं आ रहे हैं।

ललन सिंह के बयान के बाद घमासान

ललन सिंह से जब पूछा गया था कि क्या 2025 में तेजस्वी बिहार के सीएम बनेंगे? इस पर उन्होंने कहा कि अभी 2025 आने में समय है। ललन सिंह से जब पूछा गया कि 2025 में मुख्यमंत्री कौन होगा? इस पर उन्होंने कहा कि 2025 में महागठबंधन का नेतृत्व किसके हाथ होगा ये उस वक्त देखा जाएगा. उन्होंने कहा कि हमने कभी नहीं कहा कि तेजस्वी मुख्यमंत्री होंगे। इससे पहले महागठबंधन में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी अपने बेटे को बाकी उम्मीदवारों से ज्यादा शिक्षित और बेहतर बता चुके हैं।

आज पटना के बापू सभागार में किसान समागम का होगा आयोजन, सीएम नीतीश कुमार चौथे कृषि रोड मैप पर किसानों की जानेंगे राय

डेस्क : आज यानी मंगलवार को पटना के बापू सभागार में किसान समागम का आयोजन किया जा रहा है. इसकी अध्यक्षता CM करेंगे. CM नीतीश राज्य के लगभग 50 हजार के करीब किसानों के साथ संवाद करेंगे. और कृषि रोडमैप पर उनकी राय जानेंगे.

वही इस मौके पर CM के कृषि सलाहकार मंगला राय के साथ कृषि विभाग के मंत्री और सचिव, पशुपालन विभाग, सहकारिता विभाग, खाद्य आपूर्ति, जल संसाधन, लघु जल संसाधन, उद्योग विभाग, गन्ना उद्योग, ग्रामीण कार्य, राजस्व एवं भूमि सुधार, ऊर्जा, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री और सचिव भी मौजूद रहेंगे.

गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों से पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह कृषि रोड मैप पर लगातार सवाल उठा रहे हैं, और नीतीश कुमार के सामने सवाल खड़ा कर रहे हैं कि किसानों के हित में या कृषि रोडमैप नहीं बल्कि कागजों पर है. सीएम नीतीश कुमार के कृषि रोड मैप पर सवाल उठाते हुए सुधाकर सिंह ने कहा है कि इस बार बजट सत्र में नीतीश कुमार जवाब देने के लिए तैयारी कर ले.

बता दे बिहार के कृषि रोड मैप-4 को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इसे एक अप्रैल 2023 से लागू किया जाना है..

लगातार पाचवीं बार भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव बने दीपांकर भट्टाचार्य, केंद्रीय कमेटी के नवनिर्वाचित सदस्यों ने किया चुनाव*


डेस्क : दीपंकर भट्टाचार्य एक बार फिर भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव चुन लिए गए हैं। पार्टी महाधिवेशन के अंतिम दिन सोमवार को केंद्रीय कमेटी के नवनिर्वाचित सदस्यों ने उन्हें अगले पांच साल के लिए महासचिव चुना है।

दीपांकर भट्टाचार्य लगातार पांचवीं बार महासचिव बने हैं। महासचिव निर्वाचन के साथ ही पटना में 16 फरवरी से चल रहे पार्टी के 11वें महाधिवेशन का समापन हो गया। इससे पहले अधिवेशन में भाग ले रहे 1639 प्रतिनिधियों ने केंद्रीय कमेटी के 76 सदस्यों के लिए वोट डाले। 

सोमवार देर शाम तक वोटिंग प्रक्रिया चली। राज्यवार प्रतिनिधियों ने वोट डाले। निर्वाचन संपन्न कराने के लिए बनी टीम में एसके शर्मा, राधिका मेनन, प्रशांत शुक्ला आदि शामिल रहे। 

महाधिवेशन में 1639 प्रतिनिधियों के अलावा 160 पर्यवेक्षकों व अतिथियों ने हिस्सा लिया।

*जदयू से अलग होकर तीसरी बार बनाई अपनी नई पार्टी, नाम रखा रालोजद*

डेस्क : पूर्व केन्द्रीय मंत्री व् जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने सोमवार को जदयू की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। बिहार विधान परिषद की सदस्यता भी वे शीघ्र त्याग देंगे। अपने समर्थकों संग तकरीबन डेढ़ दिन के मंथन के बाद सोमवार दोपहर प्रेस कांफ्रेंस कर उन्होंने जदयू से तीसरी बार राह जुदा होने तथा नई पार्टी के गठन का एलान किया। पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोक जनता दल (रालोजद) रखा गया है। उपेन्द्र इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए हैं।

कुशवाहा ने तीसरी बार नई पार्टी बनाई है। अपने समर्थकों के साथ बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि जमीर बेचकर हम अमीर नहीं बन सकते। हमलोगों के सामने दो रास्ते थे। पहला, या तो हम मूकदर्शक बनकर जननायक कर्पूरी ठाकुर की विरासत को उन हाथों में जाते देखते, जिन्होंने (राजद) बिहार को नोच-मरोड़ दिया। दूसरा, बिहार उन हाथों में न जाए, इसके लिए संघर्ष करें। साथियों ने प्रस्ताव पारित कर दूसरा रास्ता चुनने और कर्पूरी ठाकुर की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए नई राजनीतिक पार्टी बनाने का निर्णय लिया। 

गौरतलब है कि उपेन्द्र कुशवाहा मार्च 2021 में जेडीयू में शामिल हुए थे। इसी के साथ अपनी पार्टी रालोसपा का जेडीयू में विलय कर दिया था. विलय की घोषणा करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि यह देश और राज्य के हित में है. 

उन्होंने कहा था कि विलय वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति की मांग थी. इसके पहले वे 2013 में जेडीयू से अलग हुए थे और अलग पार्टी रालोसपा बनाई थी. साल 2014 में कुशवाहा एनडीए में शामिल हो गए थे, जबकि नीतीश कुमार आरजेडी के साथ चले गए थे. 

2014 में उपेंद्र कुशवाहा को तीन लोकसभा सीटें बिहार में मिली थीं और सभी पर जीत हुई थी. कुशवाहा मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री भी बनाए गए. साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में कुशवाहा की पार्टी ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन महज़ तीन सीटों पर ही खाता खोल पाई थी इसके बाद साल 2018 में कुशवाहा एनडीए से अलग हो गए थे और केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था

*आशा और ममता दीदियों के लिए बड़ी खुशखबरी, डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने किया यह बड़ा एलान

डेस्क : उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि सरकार आशा और ममता दीदियों का मानदेय बढ़ाएगी। इस पर गंभीरता से काम हो रहा है। तेजस्वी रविवार को रविदास चेतना मंच के तत्वावधान में संत शिरोमणि गुरु रविदास जी की 646वीं जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। 

कहा कि 10 लाख सरकारी नौकरी देने का वायदा हमें याद है। शीघ्र ही बड़ी संख्या में बहाली की प्रक्रिया शुरू होगी।

गौरतलब है कि कार्यक्रम रवीन्द्र भवन में किया गया। अध्यक्षता राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष और रविदास चेतना मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवचन्द्र राम ने किया। संचालन लालबावू राम ने किया। उद्योग मंत्री समीर महासेठ ने कहा कि लालू प्रसाद व तेजस्वी प्रसाद के नेतृत्व में जातीय जनगणना के बाद जो सबसे बड़ा लाभ होगा वो हम सब को होगा। 

समारोह को राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता, विधायक सतीश कुमार दास, मुकेश कुमार रौशन, मनोज कुमार यादव, संगीता कुमारी, राजेन्द्र राम, सुबेदार दास, चन्दन राम, सुरेन्द्र यादव, लालबाबू राम ने भी संबोधित किया। 

शिवचन्द्र राम ने कहा कि अनुसूचित जाति का आरक्षण 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया जाए। श्री राम ने तेजस्वी यादव को 10 सूत्री मांग पत्र सौंपा। उन्होंने विकास मित्रों को 40 हजार और ममता दीदी को 20 हजार मानदेय देने, निजी क्षेत्र सहित न्यायपालिका में आरक्षण लागू करने आदि शामिल है।

सीएम नीतीश कुमार द्वारा विपक्ष के एकजुट होने के प्रस्ताव का कांग्रेस ने किया स्वागत, पार्टी के तीन दिवसीय पूर्ण अधिवेशन में होगी चर्चा

डेस्क : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास सफल होता नजर आ रहा है। पिछले दिनों सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा से बने माहौल का लाभ उठाते हुए विपक्षी एकजुट पर जल्द फैसला लेना चाहिए। इससे उसको भी फायदा होगा और यह देश हित में भी है। उनका प्रस्ताव था कि अगर ऐसी विपक्षी एकजुटता हुई तो अभी 300 से ज्यादा सीटों वाली भाजपा को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में 100 से भी कम सीटों पर समेटा जा सकता है।

इधर कांग्रेस ने उनके प्रस्ताव का स्वागत किया है। कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि 24 फरवरी से शुरू हो रहे पार्टी के तीन दिवसीय पूर्ण अधिवेशन में 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी एकजुटता के संदर्भ में चर्चा की जाएगी। चर्चा के आधार पर आगे का रुख तय किया जाएगा। हालांकि, उसने इस पर भी जोर दिया कि उसकी मौजूदगी के बिना देश में विपक्षी एकता की कोई भी कवायद सफल नहीं हो सकती। कांग्रेस का यह अधिवेशन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में होने जा रहा है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जदयू के शीर्ष नेता ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के प्रभाव को स्वीकार किया है। नीतीश कुमार ने शनिवार को पटना में भाकपा (माले) के मंच से कहा था कि कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा से बने माहौल का लाभ उठाते हुए भाजपा विरोधी दलों को एकजुट कर गठबंधन बनाना चाहिए। उनका प्रस्ताव था कि अगर ऐसी विपक्षी एकजुटता हुई तो अभी 300 से ज्यादा सीटों वाली भाजपा को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में 100 से कम सीट पर समेटा जा सकता है। 

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, रमेश ने पार्टी अधिवेशन के बारे में कुछ ब्योरा सामने रखा। मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार पार्टी का पूर्ण अधिवेशन हो रहा है। कांग्रेस का पिछला पूर्ण अधिवेशन 2018 में दिल्ली में हुआ था। वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस कार्य समिति के चुनाव के संदर्भ में 24 फरवरी को पार्टी की संचालन समिति की बैठक में फैसला होगा।

नीतीश कुमार के बयान के संदर्भ में वेणुगोपाल ने कहा, हमने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान समान विचार वाले दलों को आमंत्रित किया। ज्यादातर दल आए। संसद सत्र के दौरान अडानी समूह के मामले में विपक्षी दलों को साथ लिया। उन्होंने कहा, अधिवेशन एक ऐसा मंच होगा, जहां इस पर चर्चा होगी। निश्चित तौर पर इस बारे में (नेतृत्व का) निर्देश आएगा। रमेश ने कहा, हम मानते हैं कि विपक्षी एकता जरूरी है। लेकिन, विपक्ष की एकता के लिए यात्रा नहीं निकाली गई थी, यह इसका परिणाम हो सकता है। अधिवेशन में इस पर विचार होगा। यह क्या रूप लेगा, हम नहीं कह सकते।

वहीं रमेश ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान का हम स्वागत करते हैं, क्योंकि उन्होंने माना है कि भारत जोड़ो यात्रा का असर न सिर्फ कांग्रेस पर, बल्कि भारतीय राजनीति पर हुआ है। यह भारतीय राजनीति के लिए परिवर्तनकारी क्षण है, यह उन्होंने स्वीकारा है। रमेश ने कहा, हम अपनी भूमिका अच्छी तरह जानते हैं। कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसने भाजपा के साथ कहीं भी समझौता नहीं किया है