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अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के तेज होने पर चीन ने 'टैरिफ 104' का उल्लेख करने वाले हैशटैग को किया सेंसर

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Img source: Stabroeknews

जैसे-जैसे अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध तेज होता जा रहा है, बीजिंग ने सोशल मीडिया पर टैरिफ से संबंधित कुछ सामग्री को सेंसर करना शुरू कर दिया है, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर "टैरिफ" या "104" (प्रतिशत में टैरिफ राशि) के लिए हैशटैग और खोजों को ब्लॉक कर दिया गया है, जिसके पेज पर एक त्रुटि संदेश दिखाई दे रहा है। हैशटैग ने एक त्रुटि संदेश लौटाया जिसमें कहा गया था: "क्षमा करें, इस विषय की सामग्री प्रदर्शित नहीं की जा रही है," न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया।

सेंसरशिप वीचैट तक भी फैली हुई है, जहां ट्रम्प के टैरिफ के नकारात्मक प्रभाव को उजागर करने वाली चीनी कंपनियों की कई पोस्ट को हटा दिया गया था, रॉयटर्स द्वारा की गई समीक्षा में पाया गया।

सेंसर किए गए पोस्ट पर एक ही लेबल लगा था, जिसमें लिखा था कि "सामग्री पर संबंधित कानूनों, विनियमों और नीतियों का उल्लंघन करने का संदेह है"। दूसरी ओर, रॉयटर्स के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका का मज़ाक उड़ाने वाले और उत्तरी अमेरिकी देश में अंडों की कमी का सुझाव देने वाले हैशटैग वीबो पर सबसे ज़्यादा देखे गए।

चीनी सरकारी प्रसारक CCTV ने भी इसी तर्ज पर एक हैशटैग शुरू किया: "#UShastradewarandaneggshortage।"

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध

जनवरी में पदभार ग्रहण करने के बाद से, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीनी वस्तुओं पर टैरिफ में पाँच बार वृद्धि की है।

10% की पहली दो बढ़ोतरी को विश्लेषकों ने चीन की ओर से एक संतुलित प्रतिक्रिया के रूप में वर्णित किया, जिसने बातचीत के लिए दरवाज़ा खुला छोड़ दिया। लेकिन ट्रम्प द्वारा पिछले सप्ताह अपने "मुक्ति दिवस" ​​पर अन्य देशों पर टैरिफ के साथ-साथ चीनी वस्तुओं पर अतिरिक्त 34% शुल्क की घोषणा करने के बाद, चीन ने अमेरिका से आयात पर 34% टैरिफ के साथ इसकी बराबरी की।

चीन की जवाबी कार्रवाई के बाद, ट्रम्प ने चीन से आने वाले सामानों पर 50% टैरिफ जोड़ दिया, और कहा कि बातचीत समाप्त हो गई है, और संचयी अमेरिकी टैरिफ को 104% तक ले आया।

चीन ने फिर से अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ को उसी राशि से बढ़ाकर जवाब दिया, जिससे इसकी कुल दर 84% हो गई।

फिर ट्रम्प ने व्यापार भागीदारों पर उच्च टैरिफ पर 90-दिवसीय रोक की घोषणा की, लेकिन चीन पर शुल्क बढ़ाकर 125% कर दिया।

इस बीच, दोनों देशों के बीच तनाव के बीच, चीन ने अपने नागरिकों को संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करने से पहले "जोखिमों का आकलन" करने की चेतावनी दी है।

लागू हो गया ट्रंप का नया टैरिफ: चीन पर फिर चला अमेरिकी “चाबुक”

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ बुधवार आधी रात के बाद पूरी तरह से लागू हो गए।अमेरिका के स्थानीय समयानुसार मंगलवार आधी रात से भारत समेत दर्जनों देशों पर ट्रंप का जवाबी टैरिफ लागू हो गया है।इसके तहत भारत पर अब 26 फीसदी टैरिफ प्रभावी हो गया है। इसके साथ ही उन लगभग 60 देशों पर भी टैरिफ लग गए, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका पर 'सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले सबसे खराब देश' बताया था। ट्रंप ने 2 अप्रैल को जवाबी टैरिफ का एलान किया था।

नया टैरिफ लागू होने से पहले अमेरिका ने चीन पर एक बार फिर “चाबुक” चलाया है। अमेरिका ने चीनी सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ को प्रभावी करने का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है और अतिरिक्त शुल्क मंगलवार आधी रात यानी 9 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। यह वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी ट्रेड वॉर में अब तक उठाए गए सबसे आक्रामक कदमों में से एक है। फॉक्स बिजनेस के अनुसार, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि चीन ने अमेरिका पर अपने प्रतिशोधी टैरिफ को नहीं हटाया है। ऐसे में अमेरिका कल, 9 अप्रैल से चीनी आयात पर कुल 104% टैरिफ लगाना शुरू कर देगा।

चीन की धमकी के बाद यूएस का एक्शन

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चीन पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही थी। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाए गए 34% टैरिफ को वापस नहीं लिया, तो अमेरिका भी उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। अब व्हाइट हाउस की ओर से इस धमकी को अमलीजामा पहनाते हुए कुल 104% टैरिफ की घोषणा कर दी गई है।

बता दें कि ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिकी सामानों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने के बाद ये चेतावनी दी थी।

चीन ने कहा था- अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला रवैया

ट्रंप के बयान पर कल चीन ने कहा था कि हमारे ऊपर लगे टैरिफ को और बढ़ाने की धमकी देकर अमेरिका गलती के ऊपर गलती कर रहा है। इस धमकी से अमेरिका का ब्लैकमेलिंग करने वाला रवैया सामने आ रहा है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने हिसाब से चलने की जिद करेगा तो चीन भी आखिर तक लड़ेगा।

रविवार को चीन ने दुनिया के लिए साफ संदेश भेजा था- ‘अगर ट्रेड वॉर हुआ, तो चीन पूरी तरह तैयार है- और इससे और मजबूत होकर निकलेगा।‘ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने रविवार को एक टिप्पणी में लिखा: 'अमेरिकी टैरिफ का असर जरूर होगा, लेकिन 'आसमान नहीं गिरेगा।'

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते का उद्देश्य व्यापार बाधाओं को कम करना और बाजार पहुंच बढ़ाना: विदेश मंत्रालय

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MEA spokesperson Randhir Jaiswal

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते का उद्देश्य टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना, बाजार पहुंच का विस्तार करना और आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण को मजबूत करना है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि चर्चा वस्तुओं और सेवाओं में दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देने और पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौता सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

पिछले महीने प्रधानमंत्री मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों ने घोषणा की कि वे एक बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करेंगे," उन्होंने कहा।जयसवाल भारत के खिलाफ जवाबी टैरिफ पर ट्रम्प प्रशासन की टिप्पणी पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे। जयसवाल ने यह भी कहा कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की हाल की अमेरिका यात्रा समझौते को आगे बढ़ाने के चल रहे प्रयासों का हिस्सा थी। उन्होंने कहा, "दोनों सरकारें वस्तुओं और सेवाओं के बीच व्यापार को बढ़ाने, बाजार पहुंच में सुधार करने, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने और आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण को गहरा करने के लिए काम कर रही हैं।" 

विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की यात्रा के दौरान सुरक्षा उल्लंघन पर ब्रिटेन के अधिकारियों को अपनी गहरी चिंता से अवगत कराया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर को लंदन में उस समय तनावपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ा, जब खालिस्तानी चरमपंथियों ने चैथम हाउस में चर्चा से बाहर निकलते समय उन्हें निशाना बनाने का प्रयास किया। खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारी कार्यक्रम स्थल के बाहर एकत्र हुए, झंडे लहराए और जयशंकर की यात्रा के खिलाफ नारे लगाए। एएनआई ने बताया कि उन्होंने उनके कार्यक्रमों में हस्तक्षेप करने की कोशिश की।

रणधीर जयसवाल ने कहा, "हम ऐसे तत्वों द्वारा लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की निंदा करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे मामलों में मेजबान सरकार अपने राजनयिक दायित्वों का पूरी तरह से पालन करेगी।" अप्रैल 2023 में, भारत ने ब्रिटेन से खालिस्तान समर्थकों की निगरानी बढ़ाने का आग्रह किया, जब प्रदर्शनकारियों ने राजनयिक मिशन की इमारत से भारतीय ध्वज हटा दिया था।

इस बीच, जयसवाल ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय रक्षा बलों की टुकड़ी और भारतीय नौसेना के एक जहाज के साथ मॉरीशस में राष्ट्रीय दिवस समारोह में भाग लेंगे।

पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच सीधे व्यापार शुरू, 1971 के बाद पहली बार हुआ ऐसा, भारत पर होगा असर?

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शेख हसीना के तख्तापलट के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों में गरमाहट आई है। भारत के दोनों पड़ोसी देशों के बीच सुधरते रिश्ते नया आयाम गढ़ रहे हैं। अब पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधा व्यापार शुरू हो चुका है।पाकिस्तान और बांग्लादेश ने 1971 के विभाजन के बाद पहली बार प्रत्यक्ष व्यापारिक संबंधों की बहाली की है। इस ऐतिहासिक कदम के तहत,पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से सरकारी स्वीकृति मिलने के बाद पहला मालवाहक जहाज बांग्लादेश के लिए रवाना हुआ है। 

पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट एक्सप्रेस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से पहली बार सरकार से मंजूरी मिला हुआ माल रवाना किया गया है। बांग्लादेश ने ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ पाकिस्तान के माध्यम से 50,000 टन पाकिस्तानी चावल खरीदने पर सहमति व्यक्त की है। इस समझौते को फरवरी की शुरुआत में अंतिम रूप दिया गया था। चावल की खेप को दो चरणों में पहुंचाया जाएगा, जिसमें 25000 टन की पहली खेप बांग्लादेश के रास्ते में है। दूसरी खेप मार्च की शुरुआत में रवाना होने वाली है।

हसीना के बाद द्विपक्षीय संबंधों में आई नरमी

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, पिछले वर्ष शेख हसीना को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ होने के बाद दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान के साथ द्विपक्षीय संबंधों में नरमी आई। अखबार ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शांति प्रस्ताव पेश किया, जिस पर पाकिस्तान ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

यह पहली बार होगा जब सरकारी माल ले जाने वाला पाकिस्तान नेशनल शिपिंग कॉरपोरेशन का जहाज बांग्लादेश के बंदरगाह पर डॉक करेगा। हालांकि, दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क बीते साल ही हुआ था, जब पाकिस्तानी जहाज माल लेकर बांग्लादेश पहुंचा था, लेकिन वह निजी कंपनी का जहाज था।

क्षेत्रीय राजनीति होगी प्रभावित

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हालिया घटनाक्रम को आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और दशकों से निष्क्रिय व्यापार मार्गों को दोबारा सक्रिय करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नवीनतम व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और प्रत्यक्ष नौवहन मार्ग सुगम होंगे। हालांकि, इस घटनाक्रम का क्षेत्रीय राजनीति पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

भारत-बांग्लादेश व्यापार पर असर

बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक परिवर्तन और पाकिस्तान के साथ बढ़ते संबंधों के कारण भारत जरूर प्रभावित होगा। पाकिस्तान के साथ कारोबार बढ़ने की दशा में भारत से बांग्लादेश का व्यापार कमजोर होने की आशंका है। बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थों का आयात बांग्लादेश भारत से करता रहा है, लेकिन अब वह पाकिस्तान के ज्यादा करीब जा रहा है। ऐसे में भारत के नजरिए से क्षेत्रीय व्यापारिक संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। इस कदम का भारत पर कई प्रकार से प्रभाव पड़ेगा।

बांग्लादेश में “करवट” ले रहा आईएसआई

बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार भारत विरोध के सारे पैतरे आजमाने में लगी है। इसमें पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाना भी शामिल है। इसी साल की शुरुआत में बांग्लादेश की सेना के एक टॉप रैंकिंग जनरल ने पाकिस्तान का दौरान किया था, जहां पाकिस्तानी आर्मी चीफ सैयद आसिफ मुनीर समेत अन्य शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। इसके ठीक बाद पाकिस्तान की आईएसआई के अधिकारियों ने बांग्लादेश का दौरा किया था।

रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तानी आईएसआई एक बार फिर से बांग्लादेश में 1971 के पहले के रणनीतिक ठिकानों का एक्टिव करना चाहती है। पाकिस्तान का उद्येश्य बांग्लादेश के पड़ोसी भारतीय राज्यों में उग्रवादियों को मदद पहुंचाकर दिल्ली को चोट देना है। मोहम्मद यूनुस को समर्थन देने वाली कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी इसमें पूरा साथ देने के लिए तैयार है।

ट्रंप ने बढ़ाई भारत की मुश्किलें, चाबहार में निवेश पर प्रतिबंध के बाद भारतीय कंपनी पर लगाया बैन

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही हड़कंप मचा रखा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने को लेकर फिर से अभियान शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में भी इस देश पर दबाव बनाने के लिए तमाम प्रतिबंध लगाए थे। ट्रंप ने मंगलवार रात एक आदेश पर हस्ताक्षर किए। आदेश के तहत ईरान के तेल निर्यात को रोकने और ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने का आह्वान किया गया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह उन प्रतिबंधों को लागू नहीं करना चाहते और ईरान के साथ एक समझौते पर पहुंचना चाहते हैं। इसी क्रम में अमेरिका ने ईरान के चाबहार पोर्ट पर भारत को दी गई छूट को जहां खत्‍म करने का फैसला किया है, वहीं अब भारत की कंपनी मार्शल शिप मैनेजमेंट कंपनी और एक नागरिक पर भी बैन लगा दिया है।

ट्रंप ने क्यों उठाया ये कदम?

अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने भारतीय कंपनी पर आरोप लगाया है कि वह ईरान को चीन को तेल बेचने में मदद कर रही है। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने गुरुवार को इन नए प्रतिबंधों का ऐलान किया है। इसमें एक पूरे अंतरराष्‍ट्रीय नेटवर्क को निशाना बनाया गया है। बयान में अमेरिका ने कहा कि यह तेल ईरान की सेना की कंपनी की ओर से भेजे जा रहे थे और इस पर प्रतिबंध लगा हुआ था। इस प्रतिबंध के दायरे में चीन, भारत और यूएई की कई कंपनियां और जहाज शामिल हैं। इस अमेरिकी बयान में कहा गया है कि ईरान हर साल तेल बेचकर अरबों डॉलर कमा रहा है और इससे पूरे इलाके में अस्थिरता फैलाने वाली गतिव‍िधियों को अंजाम दे रहा है। ईरान हमास, हिज्‍बुल्‍लाह और हूतियों को मदद दे रहा है जो इजरायल और अमेरिका पर हमले कर रहे हैं। ईरानी सेना विदेशी में बनी छद्म कंपनियों की मदद से यह तेल बेच पा रही है।

ईरान के प्रभाव को भी कम करने की कोशिश

इससे पहले 4 फरवरी को अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने ईरान के खिलाफ अधिकतम आर्थिक दबाव बनाने का आदेश दिया था। भारतीय कंपनी और अधिकारी के खिलाफ उठाया गया यह ताजा कदम ट्रंप के इसी आदेश का हिस्‍सा है। अमेरिका चाहता है कि इन दबावों के जरिए ईरान के प्रभाव को भी कम किया जा सके।

भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती

ट्रंप के इस कदम से भारत के सामने नई कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। चाबहार बंदरगाह परियोजना भारत की सामरिक और व्यापारिक रणनीति के लिए अहम है। भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह पर 10 साल का समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत, भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) इस बंदरगाह का संचालन करेगी। यह समझौता 13 मई, 2024 को हुआ था। अब देखना होगा कि भारत इस नए दबाव के बीच अपनी रणनीति कैसे तय करता है।

भारत का चाबहार बंदरगाह के लिए 10 साल का समझौता

ईरान के चाबहार में शाहिद बेहेशती पोर्ट को भारत ने 10 साल के लिए लीज पर ले लिया है। इससे पोर्ट का पूरा मैनेजमेंट भारत के पास होगा। भारत को इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से व्यापार करने के लिए नया रूट मिला है। जिससे कि पाकिस्तान की जरूरत खत्म हो जाएगी। यह पोर्ट भारत और अफगानिस्तान को व्यापार के लिए वैकल्पिक रास्ता है। डील के तहत भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) चाबहार पोर्ट में 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी।

चाबहार पोर्ट के समझौते के लिए भारत से केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को ईरान भेजा गया था। भारत और ईरान दो दशक से चाबहार पर काम कर रहे हैं। चाबहार विदेश में लीज पर लिया गया भारत का पहला पोर्ट है।

चाबहार पोर्ट भारत के लिए क्यों जरूरी है ?

भारत दुनियाभर में अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। चाबाहार पोर्ट इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। ईरान और भारत ने 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का समझौता किया था। पहले भारत से अफगानिस्तान कोई भी माल भेजने के लिए उसे पाकिस्तान से गुजरना होता था। हालांकि, दोनों देशों में सीमा विवाद के चलते भारत को पाकिस्तान के अलावा भी एक विकल्प की तलाश थी। चाबहार बंदरगाह के विकास के बाद से अफगानिस्तान माल भेजने का यह सबसे अच्छा रास्ता है। भारत अफगानिस्तान को गेंहू भी इस रास्ते से भेज रहा है।

अफगानिस्तान के अलावा यह पोर्ट भारत के लिए मध्य एशियाई देशों के भी रास्ते खोलेगा इन देशों से गैस और तेल भी इस पोर्ट के जरिए लाया जा सकता है। वहीं ये बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी जरूरी है। क्योंकि ग्वादर को बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन विकसित कर रहा है। ऐसे में ये रूट भारत को चीन खिलाफ यहां से एक रणनीतिक बढ़त भी दे रहा है।

शुरू हुआ ट्रे़ड वॉरः ट्रंप ने कनाडा-चीन-मैक्सिको को दिया आयात शुल्क का झटका, मिला करारा जवाब

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मेक्सिको और चीन पर नए टैरिफ लगा दिए हैं। ट्रंप ने कनाडा, मेक्सिको और चीन से आयातित वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है, जो शनिवार शाम से लागू हो गया। शनिवार को उन्होंने कनाडा और मैक्सिको से आयात होने वाले सामानों पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाने के आदेश पर साइन किया। ट्रंप ने चीन से आने वाले सामानों पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगाया है। अमेरिका के इस फैसले से एक ट्रे़ड वॉर (व्यापार युद्ध) छिड़ गया है। ट्रेड के क्षेत्र में ये तनातनी आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ने जा रही है। ऐसा होता है तो सालाना 2.1 ट्रिलियन डॉलर ( करीब 181.72 लाख करोड़ रुपए) से अधिक का कारोबार प्रभावित होगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको से आने वाले समान पर टैरिफ और चीनी प्रोडक्ट्स पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला किया है। ट्रंप के इस ऐलान का कई देशों में विरोध किया जा रहा है और कनाडा, मेक्सिको से लेकर चीन तक ने अमेरिका को करारा जवाब दिया है।

कनाडा- मेक्सिके ने दिखाए कड़े तेवर

कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि कनाडा भी अमेरिकी सामानों पर 25% शुल्क लगाएगा। ट्रूडो ने ऐलान किया कि ओटावा भी इसी तरह जवाब देगा और 155 बिलियन डॉलर तक के अमेरिकी आयातों पर 25 फीसद टैरिफ लगाएगा। ट्रूडो ने कहा कि इन टैरिफ में अमेरिकी बीयर, वाइन और बॉर्बन के साथ-साथ फल और फलों के जूस भी शामिल होंगे, जिसमें ट्रम्प के गृह राज्य फ्लोरिडा का संतरे का जूस भी शामिल है। कनाडा कपड़ों, खेल के प्रोडक्ट और घरेलू उपकरणों सहित अन्य समान को भी लक्षित करेगा।

अमेरिकी सरकार के मुताबिक 2022 में कनाडा देश के सामानों का सबसे बड़ा खरीदार था, जिसकी खरीद 356.5 बिलियन डॉलर है। अनुमान है कि 2023 में हर दिन 2.7 बिलियन डॉलर का सामान और सर्विस अमेरिका-कनाडा के बीच हुआ है।

इसी तरह मैक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने भी घोषणा की कि उन्होंने अपने अर्थव्यवस्था मंत्री को मैक्सिकन निर्यात पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए व्यापक शुल्कों के विरुद्ध नई टैरिफ और गैर-टैरिफ नीतियां लागू करने का आदेश दिया है।

चीन ने जताया विरोध

चीनी वस्तुओं पर टैरिफ लगाने के अमेरिकी आदेश को लेकर चीन ने तीखा विरोध दर्ज कराया है। रविवार को वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि चीन विश्व व्यापार संगठन में मुकदमा दायर करेगा और अपने हितों की रक्षा के लिए उचित जवाबी कदम उठाएगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय ने कहा, अमेरिका की ओर से एकतरफा टैरिफ वृद्धि विश्व व्यापार संगठन के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। यह कदम न केवल अमेरिका के अपने मुद्दों को हल करने में नाकाम है बल्कि चीन-अमेरिका के सामान्य आर्थिक और व्यापार सहयोग को भी बाधित करता है। चीन अमेरिकी फैसले का कड़ा विरोध करता है और इससे बेहद असंतुष्ट है।

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स्विट्जरलैंड ने भारत से छीना ये खास दर्जा? जानें क्या हो सकता है असर?
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स्विट्ज़रलैंड ने भारत को दिए 'सर्वाधिक तरजीही देश' यानी मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्ज़ा रद्द कर दिया है। स्विट्ज़रलैंड ने यह फ़ैसला नेस्ले विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद लिया है। इस फैसले में कहा गया था कि डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) तब तक लागू नहीं होगा जब तक इसे इनकम टैक्स एक्ट के तहत अधिसूचित नहीं किया जाता। इस फैसले का सीधा असर नेस्ले जैसी अन्य स्विस कंपनियों पर पड़ेगा, जिन्हें अब डिविडेंड पर अधिक टैक्स चुकाना होगा। इसका असर देश में मौजूद स्विस कंपनियों और स्विट्जरलैंड में काम कर रही भारतीय कंपनियों पर भी होगा। नेस्ले के खिलाफ अदालत के प्रतिकूल फैसले के बाद स्विट्जरलैंड ने भारत को दिया गया एमएफएन का दर्जा वापस ले लिया। स्विट्जरलैंड ने एक बयान में आय पर करों के संबंध में दोहरे कराधान से बचने के लिए स्विस परिसंघ और भारत के बीच समझौते में एमएफएन खंड का प्रावधान निलंबित करने की घोषणा की। स्विट्जरलैंड ने अपने इस फैसले के लिए नेस्ले से संबंधित एक मामले में भारत के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया। *क्या होता है मोस्ट-फेवर्ड-नेशन?* मोस्ट फेवर्ड नेशन यानी एमएफएन एक खास दर्जा होता है। टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते (जीएटीटी), 1994 के अनुच्छेद 1 के अनुसार, प्रत्येक डब्ल्यूटीओ (World Trade Organization) सदस्य देश को अन्य सभी सदस्य देशों को एमएफएन का दर्जा (या टैरिफ और व्यापार बाधाओं के संबंध में तरजीही व्यापार शर्तें) प्रदान करना आवश्यक है। इसमें एमएफएन राष्ट्र को भरोसा दिलाया जाता है कि उसके साथ भेदभाव रहित व्यापार किया जाएगा। डब्ल्यूटीओ के नियमों के अनुसार ऐसे दो देश एक-दूसरे से किसी भी तरह का भेदभाव नहीं कर सकते। इसमें यह भी कहा गया है कि अगर व्यापार सहयोगी को खास दर्जा दिया जाता है तो डब्ल्यूटीओ के सभी सदस्य राष्ट्रों को भी वैसा ही दर्जा दिया जाना चाहिए। *क्‍या है इस फैसले का मतलब?* एमएफएन का दर्जा वापस लेने का मतलब है कि स्विट्जरलैंड एक जनवरी, 2025 से भारतीय कंपनियों के उस देश में अर्जित लाभांश पर 10 फीसदी टैक्‍स लगाएगा। जब किसी देश को यह दर्जा दिया जाता है तो उससे उम्मीद की जाती है कि वह शुल्कों में कटौती करेगा। अलावा उन दोनों देशों के बीच कई वस्तुओं का आयात और निर्यात भी बिना किसी शुल्क के होता है। मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा जिस किसी भी देश को दिया जाता है, उस देश को व्यापार में अधिक प्राथमिकता दी जाती है। विकासशील देशों के लिए एमएफएन फायदे का सौदा है। इससे इन देशों को एक बड़ा बाजार मिलता है। जिससे वे अपने सामान को वैश्विक बाजार में आसानी से पहुंचा सकते हैं। *भारतीय सुप्रीम कोर्ट के नेस्ले के फैसले से जुड़ा है ये कदम* यह कदम भारत के सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल आए एक फैसले के बारे में उठाया गया है। स्विट्जरलैंड ने अपने इस फैसले के लिए 2023 में नेस्ले से जुड़े एक मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में अपने फैसले में कहा था कि डीटीएए तब तक लागू नहीं हो सकता जब तक कि इसे भारतीय इनकम टैक्स एक्ट के तहत नोटिफाई ना किया जाए। स्विस सरकार के बयान के मुताबिक नेस्ले मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने 2021 में डबल टैक्स अवॉइडेंस एग्रीमेंट (डीटीएए) में मोस्ट फेवर्ड सेगमेंट को ध्यान में रखते हुए बकाया टैक्स रेट के कंप्लाइंस को बरकरार रखा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 19 अक्टूबर, 2023 के एक फैसले में इस आदेश को पलट दिया था। पैकेज्ड फूड के कारोबार में लगी नेस्ले का हैडक्वार्टर स्विट्जरलैंड के वेवे शहर में है। स्विस वित्त विभाग ने अपने बयान में इनकम पर टैक्स के डबल टैक्सेशन से बचने के लिए दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत एमएफएन प्रोविजन को निलंबित करने की घोषणा की है।
भारत से FTA वार्ता फिर शुरू करेगा ब्रिटेन, मोदी-स्टार्मर मुलाकात के बाद डाउनिंग स्ट्रीट का बड़ा एलान, क्या है इसका मतलब?

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ब्राजील में चल रहे जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिटेन ने नए साल में भारत के साथ फिर से व्यापार वार्ता शुरू करने की बात कही है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने पीएम मोदी से मीटिंग के बाद इस बात की घोषणा कर दी। पीटीआई की खबर के मुताबिक, डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा कि ब्रिटेन भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी की तलाश करेगा, जिसमें व्यापार समझौता और सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करना शामिल है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के प्रवक्ता ने कहा, ब्रिटेन भारत के साथ एफटीए पर बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है, जो दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यस्थाओं में से एक है। डाउनिंग स्ट्रीट ने स्टार्मर के हवाले से एक बयान में कहा, भारत के साथ एक नए एफटीए से ब्रिटेन में रोजगार और समृद्धि बढ़ेगी और यह हमारे देश में विकास और अवसर लाने के हमारे मिशन को एक कदम आगे ले जाएगा।

पीएम मोदी ने भी पहल को सराहा

प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन की तरफ से किए गए इस ऐलान का स्वागत किया और कहा कि भारत के लिए, यू.के. के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी अत्यधिक प्राथमिकता वाली है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मोदी ने कहा कि हम व्यापार के साथ-साथ सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत करना चाहते हैं। भारत के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने भी कहा कि द्विपक्षीय बैठक ने भारत-यू.के. व्यापक रणनीतिक साझेदारी को नई गति दी है।

भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट

आपको बता दें, कि भारत और यूके जनवरी 2022 से मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं और इस साल की शुरुआत में दोनों देशों में आम चुनावों के दौरान से बातचीत रुकी हुई है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जून तक 12 महीनों में द्विपक्षीय व्यापार संबंध 42 बिलियन ब्रिटिश पाउंड के बराबर था। मुक्त व्यापार समझौते से इस आंकड़े में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। यू.के. में लेबर पार्टी की सरकार घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साधन के रूप में व्यापार अनुकूल संदेश को उजागर करने में दिलचस्पी रखती है।

यह घोषणा दोनों देशों के बीच प्रमुख क्षेत्रों में संबंधों को गहरा करने के लिए नए सिरे से प्रयास को दर्शाती है। डाउनिंग स्ट्रीट ने भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी स्थापित करने के यूके के इरादे को सामने रखा है, जिसमें व्यापक व्यापार समझौते और सुरक्षा, शिक्षा, टेक्नोलॉजी और जलवायु परिवर्तन में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा

भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद नहीं किया’, अमेरिका में बोले पीयूष गोयल, आतंकवाद पर भी रखी बात*
#piyush_goyal_said_that_india_has_not_stopped_trade_with_pak *
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं। अमेरिका के दौरे पर गए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत और अमेरिका ने आपूर्ति श्रृंखलाओं को खुला रखने और दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण खनिजों से जुड़े एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण बैठकें कीं। भारत-अमेरिका संबंधों पर चर्चा के दौरान उन्होंने पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर खुलकर बात की। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के मकसद से वाशिंगटन पहुंचे पीयूष गोयल ने पाकिस्तान के मसले पर कहा, साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने पाकिस्तान के साथ देश के रिश्ते सुधारने को लेकर हर संभव कदम उठाए थे। पीएम मोदी ने साल 2014, 2015 और 2016 में पड़ोसी मुल्क के साथ रिश्ते बेहतर करने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन अगर पाकिस्तान अपने यहां आतंकी गतिविधियां बंद नहीं करेगा। हमारे नागरिकों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा तो यह स्वाभाविक है कि भारत उसका जमकर मुकाबला करेगा। हमने वही किया, चाहे वो सर्जिकल स्ट्राइक हो या एयर स्ट्राइक हो। पीयूष गोयल ने आगे कहा कि जहां तक व्यापार का सवाल है, भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद नहीं किया है। यह पाकिस्तान ही है जिसने भारत के साथ व्यापार बंद कर दिया है। भारत ने कभी भी किसी देश के साथ अपने रिश्ते ख़राब करने वाला कोई कदम नहीं उठाया है। हम कोई विस्तारवादी देश नहीं हैं। हमने हमेशा बातचीत, कूटनीति और दुनिया की समस्याओं का समाधान ढूंढने में विश्वास किया है और हम वैश्विक विकास के लिए संवाद और कूटनीति को अपने उपकरण के रूप में कायम रखने और हर संभव प्रयास करना जारी रखेंगे, अगर कोई आतंकवाद को बढ़ावा देगा तो उसे भारत के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे।
अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के तेज होने पर चीन ने 'टैरिफ 104' का उल्लेख करने वाले हैशटैग को किया सेंसर

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Img source: Stabroeknews

जैसे-जैसे अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध तेज होता जा रहा है, बीजिंग ने सोशल मीडिया पर टैरिफ से संबंधित कुछ सामग्री को सेंसर करना शुरू कर दिया है, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर "टैरिफ" या "104" (प्रतिशत में टैरिफ राशि) के लिए हैशटैग और खोजों को ब्लॉक कर दिया गया है, जिसके पेज पर एक त्रुटि संदेश दिखाई दे रहा है। हैशटैग ने एक त्रुटि संदेश लौटाया जिसमें कहा गया था: "क्षमा करें, इस विषय की सामग्री प्रदर्शित नहीं की जा रही है," न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया।

सेंसरशिप वीचैट तक भी फैली हुई है, जहां ट्रम्प के टैरिफ के नकारात्मक प्रभाव को उजागर करने वाली चीनी कंपनियों की कई पोस्ट को हटा दिया गया था, रॉयटर्स द्वारा की गई समीक्षा में पाया गया।

सेंसर किए गए पोस्ट पर एक ही लेबल लगा था, जिसमें लिखा था कि "सामग्री पर संबंधित कानूनों, विनियमों और नीतियों का उल्लंघन करने का संदेह है"। दूसरी ओर, रॉयटर्स के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका का मज़ाक उड़ाने वाले और उत्तरी अमेरिकी देश में अंडों की कमी का सुझाव देने वाले हैशटैग वीबो पर सबसे ज़्यादा देखे गए।

चीनी सरकारी प्रसारक CCTV ने भी इसी तर्ज पर एक हैशटैग शुरू किया: "#UShastradewarandaneggshortage।"

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध

जनवरी में पदभार ग्रहण करने के बाद से, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीनी वस्तुओं पर टैरिफ में पाँच बार वृद्धि की है।

10% की पहली दो बढ़ोतरी को विश्लेषकों ने चीन की ओर से एक संतुलित प्रतिक्रिया के रूप में वर्णित किया, जिसने बातचीत के लिए दरवाज़ा खुला छोड़ दिया। लेकिन ट्रम्प द्वारा पिछले सप्ताह अपने "मुक्ति दिवस" ​​पर अन्य देशों पर टैरिफ के साथ-साथ चीनी वस्तुओं पर अतिरिक्त 34% शुल्क की घोषणा करने के बाद, चीन ने अमेरिका से आयात पर 34% टैरिफ के साथ इसकी बराबरी की।

चीन की जवाबी कार्रवाई के बाद, ट्रम्प ने चीन से आने वाले सामानों पर 50% टैरिफ जोड़ दिया, और कहा कि बातचीत समाप्त हो गई है, और संचयी अमेरिकी टैरिफ को 104% तक ले आया।

चीन ने फिर से अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ को उसी राशि से बढ़ाकर जवाब दिया, जिससे इसकी कुल दर 84% हो गई।

फिर ट्रम्प ने व्यापार भागीदारों पर उच्च टैरिफ पर 90-दिवसीय रोक की घोषणा की, लेकिन चीन पर शुल्क बढ़ाकर 125% कर दिया।

इस बीच, दोनों देशों के बीच तनाव के बीच, चीन ने अपने नागरिकों को संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करने से पहले "जोखिमों का आकलन" करने की चेतावनी दी है।

लागू हो गया ट्रंप का नया टैरिफ: चीन पर फिर चला अमेरिकी “चाबुक”

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ बुधवार आधी रात के बाद पूरी तरह से लागू हो गए।अमेरिका के स्थानीय समयानुसार मंगलवार आधी रात से भारत समेत दर्जनों देशों पर ट्रंप का जवाबी टैरिफ लागू हो गया है।इसके तहत भारत पर अब 26 फीसदी टैरिफ प्रभावी हो गया है। इसके साथ ही उन लगभग 60 देशों पर भी टैरिफ लग गए, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका पर 'सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले सबसे खराब देश' बताया था। ट्रंप ने 2 अप्रैल को जवाबी टैरिफ का एलान किया था।

नया टैरिफ लागू होने से पहले अमेरिका ने चीन पर एक बार फिर “चाबुक” चलाया है। अमेरिका ने चीनी सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ को प्रभावी करने का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है और अतिरिक्त शुल्क मंगलवार आधी रात यानी 9 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। यह वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी ट्रेड वॉर में अब तक उठाए गए सबसे आक्रामक कदमों में से एक है। फॉक्स बिजनेस के अनुसार, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि चीन ने अमेरिका पर अपने प्रतिशोधी टैरिफ को नहीं हटाया है। ऐसे में अमेरिका कल, 9 अप्रैल से चीनी आयात पर कुल 104% टैरिफ लगाना शुरू कर देगा।

चीन की धमकी के बाद यूएस का एक्शन

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चीन पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही थी। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाए गए 34% टैरिफ को वापस नहीं लिया, तो अमेरिका भी उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। अब व्हाइट हाउस की ओर से इस धमकी को अमलीजामा पहनाते हुए कुल 104% टैरिफ की घोषणा कर दी गई है।

बता दें कि ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिकी सामानों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने के बाद ये चेतावनी दी थी।

चीन ने कहा था- अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला रवैया

ट्रंप के बयान पर कल चीन ने कहा था कि हमारे ऊपर लगे टैरिफ को और बढ़ाने की धमकी देकर अमेरिका गलती के ऊपर गलती कर रहा है। इस धमकी से अमेरिका का ब्लैकमेलिंग करने वाला रवैया सामने आ रहा है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने हिसाब से चलने की जिद करेगा तो चीन भी आखिर तक लड़ेगा।

रविवार को चीन ने दुनिया के लिए साफ संदेश भेजा था- ‘अगर ट्रेड वॉर हुआ, तो चीन पूरी तरह तैयार है- और इससे और मजबूत होकर निकलेगा।‘ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने रविवार को एक टिप्पणी में लिखा: 'अमेरिकी टैरिफ का असर जरूर होगा, लेकिन 'आसमान नहीं गिरेगा।'

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते का उद्देश्य व्यापार बाधाओं को कम करना और बाजार पहुंच बढ़ाना: विदेश मंत्रालय

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MEA spokesperson Randhir Jaiswal

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते का उद्देश्य टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना, बाजार पहुंच का विस्तार करना और आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण को मजबूत करना है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि चर्चा वस्तुओं और सेवाओं में दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देने और पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौता सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

पिछले महीने प्रधानमंत्री मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों ने घोषणा की कि वे एक बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करेंगे," उन्होंने कहा।जयसवाल भारत के खिलाफ जवाबी टैरिफ पर ट्रम्प प्रशासन की टिप्पणी पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे। जयसवाल ने यह भी कहा कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की हाल की अमेरिका यात्रा समझौते को आगे बढ़ाने के चल रहे प्रयासों का हिस्सा थी। उन्होंने कहा, "दोनों सरकारें वस्तुओं और सेवाओं के बीच व्यापार को बढ़ाने, बाजार पहुंच में सुधार करने, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने और आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण को गहरा करने के लिए काम कर रही हैं।" 

विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की यात्रा के दौरान सुरक्षा उल्लंघन पर ब्रिटेन के अधिकारियों को अपनी गहरी चिंता से अवगत कराया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर को लंदन में उस समय तनावपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ा, जब खालिस्तानी चरमपंथियों ने चैथम हाउस में चर्चा से बाहर निकलते समय उन्हें निशाना बनाने का प्रयास किया। खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारी कार्यक्रम स्थल के बाहर एकत्र हुए, झंडे लहराए और जयशंकर की यात्रा के खिलाफ नारे लगाए। एएनआई ने बताया कि उन्होंने उनके कार्यक्रमों में हस्तक्षेप करने की कोशिश की।

रणधीर जयसवाल ने कहा, "हम ऐसे तत्वों द्वारा लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की निंदा करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे मामलों में मेजबान सरकार अपने राजनयिक दायित्वों का पूरी तरह से पालन करेगी।" अप्रैल 2023 में, भारत ने ब्रिटेन से खालिस्तान समर्थकों की निगरानी बढ़ाने का आग्रह किया, जब प्रदर्शनकारियों ने राजनयिक मिशन की इमारत से भारतीय ध्वज हटा दिया था।

इस बीच, जयसवाल ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय रक्षा बलों की टुकड़ी और भारतीय नौसेना के एक जहाज के साथ मॉरीशस में राष्ट्रीय दिवस समारोह में भाग लेंगे।

पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच सीधे व्यापार शुरू, 1971 के बाद पहली बार हुआ ऐसा, भारत पर होगा असर?

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शेख हसीना के तख्तापलट के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों में गरमाहट आई है। भारत के दोनों पड़ोसी देशों के बीच सुधरते रिश्ते नया आयाम गढ़ रहे हैं। अब पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधा व्यापार शुरू हो चुका है।पाकिस्तान और बांग्लादेश ने 1971 के विभाजन के बाद पहली बार प्रत्यक्ष व्यापारिक संबंधों की बहाली की है। इस ऐतिहासिक कदम के तहत,पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से सरकारी स्वीकृति मिलने के बाद पहला मालवाहक जहाज बांग्लादेश के लिए रवाना हुआ है। 

पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट एक्सप्रेस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से पहली बार सरकार से मंजूरी मिला हुआ माल रवाना किया गया है। बांग्लादेश ने ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ पाकिस्तान के माध्यम से 50,000 टन पाकिस्तानी चावल खरीदने पर सहमति व्यक्त की है। इस समझौते को फरवरी की शुरुआत में अंतिम रूप दिया गया था। चावल की खेप को दो चरणों में पहुंचाया जाएगा, जिसमें 25000 टन की पहली खेप बांग्लादेश के रास्ते में है। दूसरी खेप मार्च की शुरुआत में रवाना होने वाली है।

हसीना के बाद द्विपक्षीय संबंधों में आई नरमी

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, पिछले वर्ष शेख हसीना को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ होने के बाद दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान के साथ द्विपक्षीय संबंधों में नरमी आई। अखबार ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शांति प्रस्ताव पेश किया, जिस पर पाकिस्तान ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

यह पहली बार होगा जब सरकारी माल ले जाने वाला पाकिस्तान नेशनल शिपिंग कॉरपोरेशन का जहाज बांग्लादेश के बंदरगाह पर डॉक करेगा। हालांकि, दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क बीते साल ही हुआ था, जब पाकिस्तानी जहाज माल लेकर बांग्लादेश पहुंचा था, लेकिन वह निजी कंपनी का जहाज था।

क्षेत्रीय राजनीति होगी प्रभावित

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हालिया घटनाक्रम को आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और दशकों से निष्क्रिय व्यापार मार्गों को दोबारा सक्रिय करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नवीनतम व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और प्रत्यक्ष नौवहन मार्ग सुगम होंगे। हालांकि, इस घटनाक्रम का क्षेत्रीय राजनीति पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

भारत-बांग्लादेश व्यापार पर असर

बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक परिवर्तन और पाकिस्तान के साथ बढ़ते संबंधों के कारण भारत जरूर प्रभावित होगा। पाकिस्तान के साथ कारोबार बढ़ने की दशा में भारत से बांग्लादेश का व्यापार कमजोर होने की आशंका है। बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थों का आयात बांग्लादेश भारत से करता रहा है, लेकिन अब वह पाकिस्तान के ज्यादा करीब जा रहा है। ऐसे में भारत के नजरिए से क्षेत्रीय व्यापारिक संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। इस कदम का भारत पर कई प्रकार से प्रभाव पड़ेगा।

बांग्लादेश में “करवट” ले रहा आईएसआई

बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार भारत विरोध के सारे पैतरे आजमाने में लगी है। इसमें पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाना भी शामिल है। इसी साल की शुरुआत में बांग्लादेश की सेना के एक टॉप रैंकिंग जनरल ने पाकिस्तान का दौरान किया था, जहां पाकिस्तानी आर्मी चीफ सैयद आसिफ मुनीर समेत अन्य शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। इसके ठीक बाद पाकिस्तान की आईएसआई के अधिकारियों ने बांग्लादेश का दौरा किया था।

रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तानी आईएसआई एक बार फिर से बांग्लादेश में 1971 के पहले के रणनीतिक ठिकानों का एक्टिव करना चाहती है। पाकिस्तान का उद्येश्य बांग्लादेश के पड़ोसी भारतीय राज्यों में उग्रवादियों को मदद पहुंचाकर दिल्ली को चोट देना है। मोहम्मद यूनुस को समर्थन देने वाली कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी इसमें पूरा साथ देने के लिए तैयार है।

ट्रंप ने बढ़ाई भारत की मुश्किलें, चाबहार में निवेश पर प्रतिबंध के बाद भारतीय कंपनी पर लगाया बैन

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही हड़कंप मचा रखा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने को लेकर फिर से अभियान शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में भी इस देश पर दबाव बनाने के लिए तमाम प्रतिबंध लगाए थे। ट्रंप ने मंगलवार रात एक आदेश पर हस्ताक्षर किए। आदेश के तहत ईरान के तेल निर्यात को रोकने और ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने का आह्वान किया गया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह उन प्रतिबंधों को लागू नहीं करना चाहते और ईरान के साथ एक समझौते पर पहुंचना चाहते हैं। इसी क्रम में अमेरिका ने ईरान के चाबहार पोर्ट पर भारत को दी गई छूट को जहां खत्‍म करने का फैसला किया है, वहीं अब भारत की कंपनी मार्शल शिप मैनेजमेंट कंपनी और एक नागरिक पर भी बैन लगा दिया है।

ट्रंप ने क्यों उठाया ये कदम?

अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने भारतीय कंपनी पर आरोप लगाया है कि वह ईरान को चीन को तेल बेचने में मदद कर रही है। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने गुरुवार को इन नए प्रतिबंधों का ऐलान किया है। इसमें एक पूरे अंतरराष्‍ट्रीय नेटवर्क को निशाना बनाया गया है। बयान में अमेरिका ने कहा कि यह तेल ईरान की सेना की कंपनी की ओर से भेजे जा रहे थे और इस पर प्रतिबंध लगा हुआ था। इस प्रतिबंध के दायरे में चीन, भारत और यूएई की कई कंपनियां और जहाज शामिल हैं। इस अमेरिकी बयान में कहा गया है कि ईरान हर साल तेल बेचकर अरबों डॉलर कमा रहा है और इससे पूरे इलाके में अस्थिरता फैलाने वाली गतिव‍िधियों को अंजाम दे रहा है। ईरान हमास, हिज्‍बुल्‍लाह और हूतियों को मदद दे रहा है जो इजरायल और अमेरिका पर हमले कर रहे हैं। ईरानी सेना विदेशी में बनी छद्म कंपनियों की मदद से यह तेल बेच पा रही है।

ईरान के प्रभाव को भी कम करने की कोशिश

इससे पहले 4 फरवरी को अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने ईरान के खिलाफ अधिकतम आर्थिक दबाव बनाने का आदेश दिया था। भारतीय कंपनी और अधिकारी के खिलाफ उठाया गया यह ताजा कदम ट्रंप के इसी आदेश का हिस्‍सा है। अमेरिका चाहता है कि इन दबावों के जरिए ईरान के प्रभाव को भी कम किया जा सके।

भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती

ट्रंप के इस कदम से भारत के सामने नई कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। चाबहार बंदरगाह परियोजना भारत की सामरिक और व्यापारिक रणनीति के लिए अहम है। भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह पर 10 साल का समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत, भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) इस बंदरगाह का संचालन करेगी। यह समझौता 13 मई, 2024 को हुआ था। अब देखना होगा कि भारत इस नए दबाव के बीच अपनी रणनीति कैसे तय करता है।

भारत का चाबहार बंदरगाह के लिए 10 साल का समझौता

ईरान के चाबहार में शाहिद बेहेशती पोर्ट को भारत ने 10 साल के लिए लीज पर ले लिया है। इससे पोर्ट का पूरा मैनेजमेंट भारत के पास होगा। भारत को इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से व्यापार करने के लिए नया रूट मिला है। जिससे कि पाकिस्तान की जरूरत खत्म हो जाएगी। यह पोर्ट भारत और अफगानिस्तान को व्यापार के लिए वैकल्पिक रास्ता है। डील के तहत भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) चाबहार पोर्ट में 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी।

चाबहार पोर्ट के समझौते के लिए भारत से केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को ईरान भेजा गया था। भारत और ईरान दो दशक से चाबहार पर काम कर रहे हैं। चाबहार विदेश में लीज पर लिया गया भारत का पहला पोर्ट है।

चाबहार पोर्ट भारत के लिए क्यों जरूरी है ?

भारत दुनियाभर में अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। चाबाहार पोर्ट इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। ईरान और भारत ने 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का समझौता किया था। पहले भारत से अफगानिस्तान कोई भी माल भेजने के लिए उसे पाकिस्तान से गुजरना होता था। हालांकि, दोनों देशों में सीमा विवाद के चलते भारत को पाकिस्तान के अलावा भी एक विकल्प की तलाश थी। चाबहार बंदरगाह के विकास के बाद से अफगानिस्तान माल भेजने का यह सबसे अच्छा रास्ता है। भारत अफगानिस्तान को गेंहू भी इस रास्ते से भेज रहा है।

अफगानिस्तान के अलावा यह पोर्ट भारत के लिए मध्य एशियाई देशों के भी रास्ते खोलेगा इन देशों से गैस और तेल भी इस पोर्ट के जरिए लाया जा सकता है। वहीं ये बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी जरूरी है। क्योंकि ग्वादर को बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन विकसित कर रहा है। ऐसे में ये रूट भारत को चीन खिलाफ यहां से एक रणनीतिक बढ़त भी दे रहा है।

शुरू हुआ ट्रे़ड वॉरः ट्रंप ने कनाडा-चीन-मैक्सिको को दिया आयात शुल्क का झटका, मिला करारा जवाब

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मेक्सिको और चीन पर नए टैरिफ लगा दिए हैं। ट्रंप ने कनाडा, मेक्सिको और चीन से आयातित वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है, जो शनिवार शाम से लागू हो गया। शनिवार को उन्होंने कनाडा और मैक्सिको से आयात होने वाले सामानों पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाने के आदेश पर साइन किया। ट्रंप ने चीन से आने वाले सामानों पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगाया है। अमेरिका के इस फैसले से एक ट्रे़ड वॉर (व्यापार युद्ध) छिड़ गया है। ट्रेड के क्षेत्र में ये तनातनी आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ने जा रही है। ऐसा होता है तो सालाना 2.1 ट्रिलियन डॉलर ( करीब 181.72 लाख करोड़ रुपए) से अधिक का कारोबार प्रभावित होगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको से आने वाले समान पर टैरिफ और चीनी प्रोडक्ट्स पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला किया है। ट्रंप के इस ऐलान का कई देशों में विरोध किया जा रहा है और कनाडा, मेक्सिको से लेकर चीन तक ने अमेरिका को करारा जवाब दिया है।

कनाडा- मेक्सिके ने दिखाए कड़े तेवर

कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि कनाडा भी अमेरिकी सामानों पर 25% शुल्क लगाएगा। ट्रूडो ने ऐलान किया कि ओटावा भी इसी तरह जवाब देगा और 155 बिलियन डॉलर तक के अमेरिकी आयातों पर 25 फीसद टैरिफ लगाएगा। ट्रूडो ने कहा कि इन टैरिफ में अमेरिकी बीयर, वाइन और बॉर्बन के साथ-साथ फल और फलों के जूस भी शामिल होंगे, जिसमें ट्रम्प के गृह राज्य फ्लोरिडा का संतरे का जूस भी शामिल है। कनाडा कपड़ों, खेल के प्रोडक्ट और घरेलू उपकरणों सहित अन्य समान को भी लक्षित करेगा।

अमेरिकी सरकार के मुताबिक 2022 में कनाडा देश के सामानों का सबसे बड़ा खरीदार था, जिसकी खरीद 356.5 बिलियन डॉलर है। अनुमान है कि 2023 में हर दिन 2.7 बिलियन डॉलर का सामान और सर्विस अमेरिका-कनाडा के बीच हुआ है।

इसी तरह मैक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने भी घोषणा की कि उन्होंने अपने अर्थव्यवस्था मंत्री को मैक्सिकन निर्यात पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए व्यापक शुल्कों के विरुद्ध नई टैरिफ और गैर-टैरिफ नीतियां लागू करने का आदेश दिया है।

चीन ने जताया विरोध

चीनी वस्तुओं पर टैरिफ लगाने के अमेरिकी आदेश को लेकर चीन ने तीखा विरोध दर्ज कराया है। रविवार को वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि चीन विश्व व्यापार संगठन में मुकदमा दायर करेगा और अपने हितों की रक्षा के लिए उचित जवाबी कदम उठाएगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय ने कहा, अमेरिका की ओर से एकतरफा टैरिफ वृद्धि विश्व व्यापार संगठन के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। यह कदम न केवल अमेरिका के अपने मुद्दों को हल करने में नाकाम है बल्कि चीन-अमेरिका के सामान्य आर्थिक और व्यापार सहयोग को भी बाधित करता है। चीन अमेरिकी फैसले का कड़ा विरोध करता है और इससे बेहद असंतुष्ट है।

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स्विट्जरलैंड ने भारत से छीना ये खास दर्जा? जानें क्या हो सकता है असर?
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स्विट्ज़रलैंड ने भारत को दिए 'सर्वाधिक तरजीही देश' यानी मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्ज़ा रद्द कर दिया है। स्विट्ज़रलैंड ने यह फ़ैसला नेस्ले विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद लिया है। इस फैसले में कहा गया था कि डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) तब तक लागू नहीं होगा जब तक इसे इनकम टैक्स एक्ट के तहत अधिसूचित नहीं किया जाता। इस फैसले का सीधा असर नेस्ले जैसी अन्य स्विस कंपनियों पर पड़ेगा, जिन्हें अब डिविडेंड पर अधिक टैक्स चुकाना होगा। इसका असर देश में मौजूद स्विस कंपनियों और स्विट्जरलैंड में काम कर रही भारतीय कंपनियों पर भी होगा। नेस्ले के खिलाफ अदालत के प्रतिकूल फैसले के बाद स्विट्जरलैंड ने भारत को दिया गया एमएफएन का दर्जा वापस ले लिया। स्विट्जरलैंड ने एक बयान में आय पर करों के संबंध में दोहरे कराधान से बचने के लिए स्विस परिसंघ और भारत के बीच समझौते में एमएफएन खंड का प्रावधान निलंबित करने की घोषणा की। स्विट्जरलैंड ने अपने इस फैसले के लिए नेस्ले से संबंधित एक मामले में भारत के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया। *क्या होता है मोस्ट-फेवर्ड-नेशन?* मोस्ट फेवर्ड नेशन यानी एमएफएन एक खास दर्जा होता है। टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते (जीएटीटी), 1994 के अनुच्छेद 1 के अनुसार, प्रत्येक डब्ल्यूटीओ (World Trade Organization) सदस्य देश को अन्य सभी सदस्य देशों को एमएफएन का दर्जा (या टैरिफ और व्यापार बाधाओं के संबंध में तरजीही व्यापार शर्तें) प्रदान करना आवश्यक है। इसमें एमएफएन राष्ट्र को भरोसा दिलाया जाता है कि उसके साथ भेदभाव रहित व्यापार किया जाएगा। डब्ल्यूटीओ के नियमों के अनुसार ऐसे दो देश एक-दूसरे से किसी भी तरह का भेदभाव नहीं कर सकते। इसमें यह भी कहा गया है कि अगर व्यापार सहयोगी को खास दर्जा दिया जाता है तो डब्ल्यूटीओ के सभी सदस्य राष्ट्रों को भी वैसा ही दर्जा दिया जाना चाहिए। *क्‍या है इस फैसले का मतलब?* एमएफएन का दर्जा वापस लेने का मतलब है कि स्विट्जरलैंड एक जनवरी, 2025 से भारतीय कंपनियों के उस देश में अर्जित लाभांश पर 10 फीसदी टैक्‍स लगाएगा। जब किसी देश को यह दर्जा दिया जाता है तो उससे उम्मीद की जाती है कि वह शुल्कों में कटौती करेगा। अलावा उन दोनों देशों के बीच कई वस्तुओं का आयात और निर्यात भी बिना किसी शुल्क के होता है। मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा जिस किसी भी देश को दिया जाता है, उस देश को व्यापार में अधिक प्राथमिकता दी जाती है। विकासशील देशों के लिए एमएफएन फायदे का सौदा है। इससे इन देशों को एक बड़ा बाजार मिलता है। जिससे वे अपने सामान को वैश्विक बाजार में आसानी से पहुंचा सकते हैं। *भारतीय सुप्रीम कोर्ट के नेस्ले के फैसले से जुड़ा है ये कदम* यह कदम भारत के सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल आए एक फैसले के बारे में उठाया गया है। स्विट्जरलैंड ने अपने इस फैसले के लिए 2023 में नेस्ले से जुड़े एक मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में अपने फैसले में कहा था कि डीटीएए तब तक लागू नहीं हो सकता जब तक कि इसे भारतीय इनकम टैक्स एक्ट के तहत नोटिफाई ना किया जाए। स्विस सरकार के बयान के मुताबिक नेस्ले मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने 2021 में डबल टैक्स अवॉइडेंस एग्रीमेंट (डीटीएए) में मोस्ट फेवर्ड सेगमेंट को ध्यान में रखते हुए बकाया टैक्स रेट के कंप्लाइंस को बरकरार रखा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 19 अक्टूबर, 2023 के एक फैसले में इस आदेश को पलट दिया था। पैकेज्ड फूड के कारोबार में लगी नेस्ले का हैडक्वार्टर स्विट्जरलैंड के वेवे शहर में है। स्विस वित्त विभाग ने अपने बयान में इनकम पर टैक्स के डबल टैक्सेशन से बचने के लिए दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत एमएफएन प्रोविजन को निलंबित करने की घोषणा की है।
भारत से FTA वार्ता फिर शुरू करेगा ब्रिटेन, मोदी-स्टार्मर मुलाकात के बाद डाउनिंग स्ट्रीट का बड़ा एलान, क्या है इसका मतलब?

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ब्राजील में चल रहे जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिटेन ने नए साल में भारत के साथ फिर से व्यापार वार्ता शुरू करने की बात कही है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने पीएम मोदी से मीटिंग के बाद इस बात की घोषणा कर दी। पीटीआई की खबर के मुताबिक, डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा कि ब्रिटेन भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी की तलाश करेगा, जिसमें व्यापार समझौता और सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करना शामिल है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के प्रवक्ता ने कहा, ब्रिटेन भारत के साथ एफटीए पर बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है, जो दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यस्थाओं में से एक है। डाउनिंग स्ट्रीट ने स्टार्मर के हवाले से एक बयान में कहा, भारत के साथ एक नए एफटीए से ब्रिटेन में रोजगार और समृद्धि बढ़ेगी और यह हमारे देश में विकास और अवसर लाने के हमारे मिशन को एक कदम आगे ले जाएगा।

पीएम मोदी ने भी पहल को सराहा

प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन की तरफ से किए गए इस ऐलान का स्वागत किया और कहा कि भारत के लिए, यू.के. के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी अत्यधिक प्राथमिकता वाली है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मोदी ने कहा कि हम व्यापार के साथ-साथ सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत करना चाहते हैं। भारत के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने भी कहा कि द्विपक्षीय बैठक ने भारत-यू.के. व्यापक रणनीतिक साझेदारी को नई गति दी है।

भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट

आपको बता दें, कि भारत और यूके जनवरी 2022 से मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं और इस साल की शुरुआत में दोनों देशों में आम चुनावों के दौरान से बातचीत रुकी हुई है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जून तक 12 महीनों में द्विपक्षीय व्यापार संबंध 42 बिलियन ब्रिटिश पाउंड के बराबर था। मुक्त व्यापार समझौते से इस आंकड़े में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। यू.के. में लेबर पार्टी की सरकार घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साधन के रूप में व्यापार अनुकूल संदेश को उजागर करने में दिलचस्पी रखती है।

यह घोषणा दोनों देशों के बीच प्रमुख क्षेत्रों में संबंधों को गहरा करने के लिए नए सिरे से प्रयास को दर्शाती है। डाउनिंग स्ट्रीट ने भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी स्थापित करने के यूके के इरादे को सामने रखा है, जिसमें व्यापक व्यापार समझौते और सुरक्षा, शिक्षा, टेक्नोलॉजी और जलवायु परिवर्तन में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा

भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद नहीं किया’, अमेरिका में बोले पीयूष गोयल, आतंकवाद पर भी रखी बात*
#piyush_goyal_said_that_india_has_not_stopped_trade_with_pak *
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं। अमेरिका के दौरे पर गए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत और अमेरिका ने आपूर्ति श्रृंखलाओं को खुला रखने और दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण खनिजों से जुड़े एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण बैठकें कीं। भारत-अमेरिका संबंधों पर चर्चा के दौरान उन्होंने पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर खुलकर बात की। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के मकसद से वाशिंगटन पहुंचे पीयूष गोयल ने पाकिस्तान के मसले पर कहा, साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने पाकिस्तान के साथ देश के रिश्ते सुधारने को लेकर हर संभव कदम उठाए थे। पीएम मोदी ने साल 2014, 2015 और 2016 में पड़ोसी मुल्क के साथ रिश्ते बेहतर करने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन अगर पाकिस्तान अपने यहां आतंकी गतिविधियां बंद नहीं करेगा। हमारे नागरिकों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा तो यह स्वाभाविक है कि भारत उसका जमकर मुकाबला करेगा। हमने वही किया, चाहे वो सर्जिकल स्ट्राइक हो या एयर स्ट्राइक हो। पीयूष गोयल ने आगे कहा कि जहां तक व्यापार का सवाल है, भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद नहीं किया है। यह पाकिस्तान ही है जिसने भारत के साथ व्यापार बंद कर दिया है। भारत ने कभी भी किसी देश के साथ अपने रिश्ते ख़राब करने वाला कोई कदम नहीं उठाया है। हम कोई विस्तारवादी देश नहीं हैं। हमने हमेशा बातचीत, कूटनीति और दुनिया की समस्याओं का समाधान ढूंढने में विश्वास किया है और हम वैश्विक विकास के लिए संवाद और कूटनीति को अपने उपकरण के रूप में कायम रखने और हर संभव प्रयास करना जारी रखेंगे, अगर कोई आतंकवाद को बढ़ावा देगा तो उसे भारत के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे।