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टाइम मैगजीन की टॉप 100 प्रभावशाली हस्तियों की लिस्ट में यूनुस को जगह, एक भी भारतीय नहीं

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हाल के सालों में वैश्विक स्तर पर भारत ने अलग पहचान बनाई है। देश का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दुनियाभर के कई देशों ने अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया है। हालांकि, हैरानी की बात है कि इस साल टाइम की टॉप 100 वाली लिस्ट में एक भी भारतीय को जगह नहीं दी गई है। जी हां, टाइम मैगजीन की 2025 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में टैरिफ से टेंशन देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से लेकर भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले बांग्लादेश के मुखिया मोहम्मद यूनुस का नाम है।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का नाम भी

17 अप्रैल को जारी की गई टाइम मैगजीन की 2025 की वार्षिक सूची में राजनीति, विज्ञान, कला और सक्रियता के क्षेत्र से जुड़े लोगों को शामिल किया गया है। मैगजीन की इस एनुअल लिस्ट को 'लीडर्स', 'आइकॉन्स' और 'टाइटन्स' जैसी कई कैटेगरी में बांटा गया है। 'लीडर्स' की लिस्ट में अन्य प्रमुख हस्तियों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का नाम भी शामिल है।

मोहम्मद यूनुस प्रभावशाली लोगों की सूची में

मोहम्मद यूनुस को टाइम मैगजीन की 100 प्रभावशाली हस्तियों की सूची में जगह पिछले साल छात्रों के विद्रोह के चलते शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश का मुख्य सलाहकार बनने के बाद दी गई है। वहीं, इस साल किसी भारतीय को दुनिया के सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में जगह नहीं मिली है।

भारतीय मूल की रेशमा केवलरमानी शामिल

हालांकि इस साल भारतीय मूल की रेशमा केवलरमानी को इस सूची में जगह दी गई है। टाइम मैग्जीन ने अपने लीडर्स खंड में रेशमा को शामिल किया है। रेशमा केवलरमानी फार्मास्यूटिकल कंपनी वर्टेक्स की सीईओ हैं। वह जब 11 साल की थी, तभी उनका परिवार अमेरिका में बस गया था। रेशमा अमेरिका की सबसे बड़ी दवा कंपनियों में से एक वर्टेक्स की पहली महिला सीईओ भी हैं।

2024 में इन भारतीयों को मिली थी जगह

बता दें कि 2024 में बॉलीवुड एक्टर आलिया भट्ट और ओलंपियन पहलवान साक्षी मलिक इस लिस्ट में शामिल होने वाले कुछ भारतीय चेहरों में से थे। इस साल किसी भी भारतीय के इस लिस्ट में न होने पर सबको हैरानी हो रही है। सोशल मीडिया पर बहस हो रही है। यह तब है जब टेक, कूटनीति और कला के क्षेत्र में भारत हर दिन नए आयाम गढ़ रहा है।

आग से खेलोगे तो जल जाओगे…', किसपर भड़कीं शेख हसीना?

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर मोहम्मद यूनुस पर निशाना साधा है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग पार्टी की नेता शेख हसीना ने देश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस पर कड़ा हमला बोला है। हसीना ने यूनुस को आत्मकेंद्रित और सत्ता का भूखा इंसान बताया। यही नहीं, हसीना ने यूनुस को चेताया है कि अगर आप आग से खेलेंगे तो यह आपको भी जलाकर राख कर देगी।

8 मिनट के एक ऑनलाइन वीडियो में शेख हसीना ने कहा, यूनुस एक पैसों के लालची और सत्ता के भूखो शख्स है जो बांग्लादेश को बर्बाद करने पर तुले हुए है। उसने विदेशी ताकतों के साथ मिलकर साजिश रची है। हसीना ने यह भी आरोप लगाया कि यूनुस, बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी पार्टी के साथ मिलकर अवामी लीग के नेताओं को परेशान कर रहा है और उन्हें मार रहा है।

हसीने ने यूनुस को चेताया

हसीना ने गुस्से में पूछा, युनूस सरकार में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई से जुड़े निशान मिटाए जा रहे हैं। हमने हर जिले में मुक्ति योद्धा स्मारक बनाए थे, लेकिन उन्हें जलाया जा रहा है। आजादी के नायकों का अपमान हो रहा है। क्या यूनुस इसका जवाब दे सकेंगे? उन्होंने चेतावनी दी, यूनुस, अगर आग से खेलेंगे, तो वह आग उन्हें ही जला देगी।

अबू सईद की मौत पर उठाया सवाल

अपने भाषण में शेख हसीना ने कोटा आंदोलन के दौरान मारे गए अबू सईद की मौत को लेकर भी बड़ा दावा किया। अबू सईद को आंदोलन का हीरो माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सईद की मौत पुलिस की जानबूझकर की गई हत्या थी। शेख हसीना ने इस बात को पूरी तरह नकार दिया और कहा कि ये आरोप गलत और भड़काने वाले हैं।

यूनुस पर साजिश रचने का आरोप

शेख हसीना ने कहा, जब प्रदर्शनकारी पुलिस पर पत्थर फेंक रहे थे, तब पुलिस ने सिर्फ रबर की गोलियां चलाई थीं। अबू सईद के सिर पर पत्थर से चोट लगी थी, लेकिन सवाल ये है कि 7.62 एमएम की असली गोली कहां से आई? वो गोली किसने चलाई?

हसीना ने आरोप लगाया कि जब एक अफसर ने इस मामले की जांच शुरू की तो यूनुस ने उसे हटा दिया। उन्होंने कहा, अगर अबू सईद का शव दोबारा निकाला जाए और सही जांच हो तो पता चल जाएगा कि सारी हत्याएं एक साजिश थीं। हसीना ने साफ कहा, ना मैंने, ना अवामी लीग ने और ना ही पुलिस ने सईद को मारा, बल्कि पुलिस खुद हिंसा की शिकार थी। इसके बावजूद हिंसा करने वालों को मुआवजा दिया गया। क्या उन्हें सज़ा मिलेगी? नहीं क्योंकि ये सब यूनुस की सोची-समझी चाल थी।

बांग्लादेश बर्बादी की कगार पर पहुंच गया-हसीना

हसीना ने कहा कि यूनुस के राज में बांग्लादेश बर्बादी की कगार पर पहुंच गया और मेहनतकश बांग्लादेशियों की उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं। हजारों कारखाने बंद हो गए। अवामी लीग के नेताओं से जुड़े बिजनेस, होटल और अस्पताल तक जला दिए गए। उन्होंने कहा, टॉप डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया गया। राजनीतिक कार्यकर्ताओं को पुलिस की वर्दी दी गई है। क्या वे नौकरी के लिए योग्य हैं? किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया और बीएनपी लूटपाट में व्यस्त है।

बता दें कि शेख हसीना पिछले साल अगस्त में तख्तापलट के बाद भारत आ गई थीं। निर्वासन में रहते हुए वह सोशल मीडिया के जरिए अपनी पार्टी के नेताओं से बात करती हैं।

आखिर पूरी हुई मुरादः बैंकॉक में पीएम मोदी से मिले मोहम्मद यूनुस, जानें क्या हुई बात?

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में मुलाकात हुई है। पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाए जाने के बाद यह उनकी पहली मुलाकात थी। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रशासक नियुक्त किया गया था। ऐसे में दोनों नेताओं की यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है।

पीएम मोदी और यूनुस बिम्सटेक के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने बैंकॉक पहुंचे हैं। इसी दौरान विम्सटेक से इतर दोनों नेताओं ने मुलाकात की। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच की मुलाकात में वो बात नजर नहीं आई, जैसे मोदी के दूसरे वैश्विक नेताओं के साथ मुलाकात के दौरान देखी जाती है। पीएम मोदी अक्सर वैश्विक नेताओं से गर्मजोशी से मिलते हैं। लेकिन मोहम्मद यूनुस के साथ बैठक के दौरान ये गर्मजोशी नहीं दिख रही थी।

पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस के मुलाकात के वीडियो में दिख रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए जब मोहम्मद यूनुस आ रहे होते हैं, तो पीएम मोदी पहले भारतीय परंपरा को दर्शाते हुए हाथ जोड़कर अभिनंदन करते हैं और मोहम्मद यूनुस के पहुंचने के बाद उनसे हाथ मिलाते हैं।

वहीं, दूसरे विदेशी नेताओं से मुलाकात के वक्त प्रधानमंत्री मोदी का हावभाव काफी अलग रहता है। किसी दूसरे नेता से मिलते वक्त प्रधानमंत्री मोदी को खुद आगे बढ़कर उनका स्वागत करते हुए देखा गया है। इस दौरान वो उनसे गले भी मिलते हैं और भारी मुस्कुराहट के साथ उनका स्वागत करते हैं। लेकिन मोहम्मद यूनुस के साथ मुलाकात के दौरान ऐसा कुछ नहीं दिखा।

यूनुस और मोदी के बीच मुलाकात के दौरान क्या बातचीत हुई है, इसकी जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। इस मुलाकात में दोनों देशों के शीर्ष राजनयिक भी मौजूद थे। ऐसे में माना जा रहा है कि ये बातचीत समसमायिक मुद्दे और दोनों देशों के व्यापार समझौते को लेकर हो सकता है।

दरअसल, शेख हसीना सरकार के सत्ता से बाहर हो जाने के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में काफी कड़वाहट आ चुकी है। मोहम्मद यूनुस के शासन में बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यकों (हिंदुओं) पर अत्याचार के कई मामले सामने आ चुके हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले को लेकर खुद पीएम मोदी ने चिंता जताई है।

वहीं, बांग्लादेश ने भारत को दरकिनार कर पाकिस्तान और चीन से रिश्तों को प्रगाढ़ किया है। पिछले हफ्ते ही जब मोहम्मद यूनुस बीजिंग में थे तो उन्होंने एंटी-इंडिया बात करते हुए खुद को बंगाल की खाड़ी का गार्जियन बताया था। पिछले हफ्ते चीन की अपनी यात्रा के दौरान यूनुस ने बीजिंग से बांग्लादेश में अपना आर्थिक प्रभाव बढ़ाने का आग्रह किया और विवादास्पद रूप से उल्लेख किया कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का भूमि से घिरा होना एक अवसर साबित हो सकता है।

बांग्लादेश में नया विवाद, हसीना विरोधी छात्र नेता ने सेना को लेकर किया बड़ा दावा, भारत का भी आया नाम

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बांग्लादेश में एक नया विवाद शुरू हो गया है। बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से हटाने के लिए आंदोलन करने वाले छात्र नेताओं और सेना के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।बांग्लादेश की नई गठित जातीय नागरिक पार्टी (एनसीपी) के मुख्य आयोजक हसनत अब्दुल्ला ने देश के सेना प्रमुख के बारे में एक बड़ा दावा किया है। एक वीडियो में हसनत ने कहा कि सेना प्रमुख जनरल वकार उज-जमान नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त करने के इच्छुक नहीं थे।

एक वायरल वीडियो में हसनत अब्दुल्ला ने कहा कि सेना प्रमुख ने मोहम्मद यूनुस की साख पर सवाल उठाते हुए उन्हें इस भूमिका के लिए उपयुक्त नहीं माना। जनरल जमान ने यह भी कहा कि यूनुस का नोबेल पुरस्कार विजेता होना और उनकी सुधारवादी छवि के बावजूद, वह इस जिम्मेदारी के लिए सही व्यक्ति नहीं थे। सेना प्रमुख ने देश की बागडोर सही हाथों में सौंपने की जरूरत पर जोर दिया था।

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल सिटिजन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ढाका यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन करते हुए सेना पर आरोप लगाया कि सेना, शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को फिर से सत्ता में लाने की कोशिश कर रही है। हसनत ने दावा किया कि पाँच अगस्त को अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बांग्लादेश का सैन्य नेतृत्व भारत के प्रभाव में अवामी लीग को फिर से मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है।

बता दें कि अवामी लीग शेख़ हसीना की पार्टी है और जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश समेत कई राजनीतिक धड़े अवामी लीग के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं।अब्दुल्ला ने फेसबुक पर लिखा कि भारत के इशारे पर अवामी लीग की मदद की जा रही है। अब्दुल्ला ने सेना को चेताते हुए कहा कि आर्मी को छावनी के अंदर तक ही रहना चाहिए। बांग्लादेश में सेना का राजनीति में कोई हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा।

इस पर सेना ने अपने बयान कहा कि एनसीपी के आरोप सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट हैं। सेना पर राजनीतिक हस्तक्षेप के इस आरोप से बांग्लादेश में सियासी तनाव बढ़ गया है।

बता दें कि बांग्लादेश की सेना के अंदर दो गुट बने हुए हैं। एक गुट जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों का समर्थन करता है, जबकि दूसरा अवामी लीग के साथ जुड़ा हुआ है। इन गुटों के बीच उभरे तनाव ने सेना के अंदर मतभेदों को और गहरा दिया है, जिससे स्थिति अस्थिर हो गई है।

ढीली पड़ी बांग्लादेश की ऐंठन, पीएम मोदी से मुलाकात चाहते हैं मोहम्मद यूनुस

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बांग्लादेश एक तरफ तो भारत के दुश्मनों से नजदीकियां बढ़ा रहा है, वहीं भारत के साथ बेवजह की दुश्मनी पाल रहा है। अल्पसंख्यकों पर हिंसा और भारत के साथ संबंधों में तनाव के बीच बांग्लादेश ने भारत से संपर्क किया है। बांग्लादेश की तरफ से इच्छा जाहिर की गई है कि अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के साथ पीएम नरेन्द्र मोदी की मुलाकात हो जाए। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस अगले महीने थाईलैंड में आमने-सामने होने वाले हैं, लेकिन इस दौरान दोनों के बीच औपचारिक मुलाकात की संभावना नहीं है। मुलाकात को लेकर भारत की तरफ से इस बारे में कोई उत्साह नहीं दिखाया गया है।

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश ने अप्रैल के पहले हफ्ते में बैंकॉक में मोहम्मद यूनुस और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच एक द्विपक्षीय बैठक कराने को लेकर भारत से संपर्क किया है। दरअसल, दोनों देशों के नेता 2 से 4 अप्रैल तक बैंकॉक में आयोजित 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग ले सकते हैं। इसे देखते हुए बांग्लादेश ने दोनों नेताओं के बीच बैठक आयोजित कराने के लिए संपर्क किया है।

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बांग्लादेश के अंतरिम सरकार में विदेशी मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहिद हुसैन ने कहा, हमने बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक आयोजित कराने को लेकर भारत के साथ कूटनीतिक संपर्क किया है।

भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव

बता दें कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से ही भारत के साथ रिश्तों में तनाव देखा जा रहा है। भारत ने बांग्लादेश के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों के साथ ही बिगड़ती कानून व्यवस्था और चरमपंथियों की जेलों से रिहाई को लेकर चिंताओं को अंतरिम सरकार के सामने रखा है। वहीं, यूनुस सरकार ने भारत में मौजूद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मौजूदगी के बारे में चिंता जाहिर की है और उनके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है। इसके अलावा नदियों के पानी बंटवारे और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने जैसे मुद्दों को लेकर दोनों के बीच गतिरोध है।

बांग्लादेशी राजदूत ने अपनी ही सरकार को घेरा, मोहम्मद यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

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शेख हसीने के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। मोहम्मद यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरता अपने चरम पर है। मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने से दुनिया भर में यूनुस सरकार की निंदा हुई है। भारत ने भी हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर कई बार बांग्लादेश सरकार को कड़े कदम उठाने को लेकर बोल चुका है। लेकिन यूनुस सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस बीच मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा है।

राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाया है। रशीद का कहना है कि यूनुस बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष संरचना को तोड़ने और शेख हसीना की सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं।

हारुन अल रशीद ने फेसबुक पर पोस्ट कर मोहम्मद यूनुस पर जमकर निशाना साधा। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

कौन हैं हारुन अल रशीद?

बांग्लादेश सरकार ने अक्टूबर, 2023 में मोहम्मद हारुन अल रशीद को मोरक्को में बांग्लादेश का राजदूत नियुक्त किया था। मोहम्मद हारुन अल रशीद बांग्लादेश सिविल सेवा (विदेश मामले) कैडर के 20वें बैच से आते हैं। उन्होंने 2001 में सेवा में शामिल होने के बाद कनाडा में बांग्लादेश उच्चायोग में मंत्री और उप उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है। वह रोम, काहिरा, मैक्सिको सिटी और मैड्रिड में बांग्लादेश मिशनों में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।

पाक के बाद चीन के करीब हो रहा बांग्लादेश, भारत के बिगड़ते संबंधों के बीच मोहम्मद यूनुस का चीन दौरा

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शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश के दोस्तो की फेहरिस्त बदल रही है। कभी शेख हसीना के लिए भारत सबसे करीबी दोस्त हुआ करता था। मोहम्मद यूनुस के मुख्य सलाहकार बनते ही यही भारत बांग्लादेश की आंखों को खटकने लगा है। मोहम्मद यूनुस पाकिस्तान से गलबहियां करने के बाद अब ढाका को बीजिंग के करीब ले जाने में जुट गए हैं। इसी क्रम में मोहम्मद यूनुस चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं। मुहम्मद यूनुस द्विपक्षीय बैठक के लिए 26 मार्च को चीन का दौरा करेंगे। यूनुस 26 से 29 मार्च तक चीन के दौरो पर रहेंगे।

नोबेल पुरस्कार विजेता, जिन्होंने शेख हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश के अंतरिम नेता के रूप में पदभार संभाला था।7 अगस्त, 2024 को पदभार संभालने के बाद यूनुस की यह पहली चीन यात्रा होगी। रिपोर्ट के अनुसार, 28 मार्च को बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात कर सकते हैं। यूनुस सबसे पहले 25 मार्च को हैनान प्रांत में बोआओ फोरम फॉर एशिया (बीएफए) सम्मेलन में भाग लेंगे। बीएफए के महासचिव झांग जून ने मुख्य सलाहकार को चीन में सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। बाद में, चीनी अधिकारियों ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बीजिंग में यूनुस की मेजबानी करने का प्रस्ताव रखा।

रविवार को द डेली स्टार को ढाका में एक राजनयिक सूत्र ने बताया, हम मुख्य सलाहकार के दौरे की तैयारी कर रहे हैं और सहयोग के संभावित क्षेत्रों की तलाश में हैं, जिसमें द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर की संभावना भी शामिल हैष बीएफए सम्मेलन, जिसे अक्सर ‘एशियन दावोस’ कहा जाता है, चीन के दक्षिणी हैनान प्रांत के बोआओ में होता है। प्रोफेसर यूनुस को बीएफए के महासचिव झांग जुन से निमंत्रण मिला है और वह 26 मार्च की शाम को चीनी अधिकारियों की ओर से आयोजित विशेष उड़ान से हैनान जाएंगे। विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, पिछले सप्ताह, ढाका में चीनी दूतावास ने विदेश मंत्रालय को पुष्टि की कि राष्ट्रपति शी के साथ बैठक निर्धारित है। इसके बाद, मुख्य सलाहकार ने अपनी भागीदारी की पुष्टि की।

नई दिल्ली चीन और पाकिस्तान के साथ ढाका के बढ़ते संबंधों पर कड़ी नज़र रख रही है। हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद, बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते खराब हो गए हैं।अभी दो दिन पहले, भारत ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सत्र में आरोप लगाया था कि बांग्लादेश पर संयुक्त राष्ट्र की तथ्य-खोजी रिपोर्ट ने “अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ बदले की हिंसा” की अवधारणा को “मुख्यधारा में ला दिया है।”

मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार बांग्लादेश को तेजी से चीन के करीब ले जा रही है। इसके पहले यूनुस सरकार ने तीस्ता नदी के प्रबंधन के लिए चीन की तरफ हाथ बढ़ाया था। इसके लिए चीन की सरकारी कंपनी को इस साल दिसम्बर तक कॉन्सेप्ट नोट और 2026 के आखिर तक रिसर्च तैयार करने को कहा गया है। यह वही प्रोजेक्ट है, जिसे पूर्व पीएम शेख हसीना की सरकार भारत के साथ आगे बढ़ाना चाहती थी। अब 1 अरब डॉलर की इस परियोजना को लेकर यूनुस सरकार चीन के साथ आगे बढ़ी है।

बांग्लादेश में क्या कर रहा है जॉज सोरोस का बेटा? 'भारत के दुश्मन' के साथ दिखे मोहम्मद यूनुस

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बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार भारत के दुश्मनों के साथ नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। अब भारत विरोधी एजेंडा चलाने के लिए कुख्यात जॉर्ज सोरोस के बेटे एलेक्स सोरोस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को साथ देखा गया है। बुधवार को जॉर्ज सोरोस के बेटे एलेक्स सोरोस ने ढाका में मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की। एलेक्स सोरोस अपने पिता जॉर्ज सोरोस के एनजीओ द ओपन सोसायटी फाउंडेशन के चेयरमैन हैं। बता दें कि सेरोस ने यूनुस सरकार को आर्थिक मदद देने का वादा किया है।जॉर्ज सोरोस ने बांग्लादेश को तब मदद का भरोसा दिया है, जब अमेरिका ने अपने हाथ खींच लिए हैं।

ढाका में हुई मुलाकात के बाद मोहम्मद यूनुस ने कहा, कि सोरोस और ओपन सोसायटी फाउंडेशन के प्रेसिडेंट बिनैफर नौरोजी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने बांग्लादेश में सुधार के लिए अंतरिम सरकार के एजेंडे को अपना समर्थन दिया है।

मोहम्मद यूनुस के कार्यालय ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है, कि "ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के नेतृत्व ने बुधवार को मुख्य अंतरिम सलाहकार से मुलाकात की और देश की इकोनॉमी के फिर से निर्माण, गबन की गई संपत्तियों का पता लगाने, गलत सूचनाओं से निपटने और महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों को लागू करने के बांग्लादेश की कोशिशों पर चर्चा की है।" वहीं, इस मुलाकात के बाद बांग्लादेशी मीडिया की रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि बैठक में आर्थिक सुधार, मीडिया की आजादी, संपत्ति की वसूली, नये साइबर सुरक्षा कानून और रोहिंग्या संकट पर बात की गई है।

बांग्‍लादेश की सरकार के साथ जॉर्ज सोरोस का रिश्ता चिंता पैदा करता है। शेख हसीना ने इसी ओर इशारा क‍िया था, जब उन्‍होंने कहा था क‍ि कुछ गोरे लोगों के साथ वे तालमेल नहीं बिठा पाईं, जो बांग्‍लादेश को नोचना चाहते थे। इनमें से कई ऐसे थे, जिन्‍होंने बांग्‍लादेश को कमजोर क‍िया। हालांकि, तब शेख हसीना ने क‍िसी का नाम नहीं ल‍िया था।

जब पिछले साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए थे, जिसमें उन्हें देश से भागना पड़ा था, उसके बाद से ही आशंका जताई जा रही थी, कि इस प्रदर्शन के पीछे एक टूलकिट गैंग काम कर रही है। एक्‍सपर्ट ने तब माना था क‍ि अमेर‍िकी डेमोक्रेटिक पार्टी के वामपंथी सदस्‍यों, जॉर्ज सोरोस और ढाका में बीआरएसी यूनिवर्सिटी के छात्रों के बीच एक साठगांठ बन गई है। सब जानते हैं क‍ि इस यूनिवर्सिटी को ओपन सोसाइटी का नेटवर्क फंड करता है। वही ओपन सोसाइटी फाउंडेशन, जिसके चेयरमैन जॉर्ज सोरोस के बेटे एलेक्‍स सोरोस हैं। पिछले साल जब ढाका में विरोध प्रदर्शन चरम पर थे, तब यह खुलकर सामने आ गया था। क्‍योंक‍ि तब 22 अमेर‍िकी सीनेटरों ने अमेर‍िकी विदेश मंत्री एंटनी ब्‍ल‍िंकन को पत्र लिखकर शेख हसीना सरकार के ख‍िलाफ कार्रवाई करने को कहा था। इन सीनेटरों में से एक इल्हान उमर भी थे, जो अमेरिकी कांग्रेस में सोरोस कैंप के कट्टर मेंबर थे।

वहीं, शेख हसीना के पतन के बाद सत्ता में आए जब मोहम्मद यूनुस ने पिछले साल अक्टूबर में यूनाइटेड नेशंस के एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अमेरिका की यात्रा की थी, उस वक्त उन्होंने न्यूयॉर्क में जॉर्ज सोरोस से भी मुलाकात की थी। यानि, पिछले चार महीनों के बीच सोरोस परिवार के साथ मोहम्मद यूनुस की दूसरी मुलाकात है।

मोहम्मद यूनुस सार्क को फिर जिंदा करना चाहते हैं, पाकिस्तान बना मददगार, लेकिन भारत क्यों नहीं चाहता?

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने एक बार फिर दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) को पुनर्जीवित करने की जरूरत पर जोर दिया।संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग में उन्होंने सार्क को पुनर्जीवित करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि दक्षिण एशिया के नेताओं को क्षेत्रीय लाभ के लिए सार्क को सक्रिय बनाना चाहिए, भले ही भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चली आ रही शत्रुता जैसी चुनौतियां मौजूद हों।उन्होंने कहा है कि इन दोनों देशों के बीच की समस्याओं का असर दक्षिण एशिया के अन्य देशों पर नहीं पड़ना चाहिए और क्षेत्र में एकता और सहयोग का आह्वान किया।

सार्क संगठन की शिखर बैठक वर्ष 2016 में होने वाली थी लेकिन भारत समेत इसके अन्य सभी देशों ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ इसका विरोध किया और बैठक नहीं हो सकी। उसके बाद सार्क की बात भी कोई देश नहीं कर रहा था लेकिन पूर्व पीएम शेख हसीना को सत्ता से बाहर करने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इसको हवा देने में जुटी है

19 दिसंबर को मिस्त्र में बांग्लादेश के सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के बीच एक महत्वपूर्ण मुलाकात हुई थी। इस बैठक में सार्क को फिर से सक्रिय करने की बात कही गई। पाकिस्तानी पीएम ने बांग्लादेश को सुझाव दिया कि वह सार्क सम्मेलन की मेजबानी करे। इस पर मोहम्मद यूनुस ने भी सहमति जताई और दोनों नेताओं ने इस योजना को आगे बढ़ाने की बात कही। पाकिस्तान की मंशा थी कि इस मंच के बहाने अलग थलग पड़े पाकिस्तान को दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अपनी भूमिका मजबूत करने का मौका मिल सके।

बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया (मुख्य सलाहकार) प्रोफेसर मोहम्मद युनूस की तरफ से दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) को ठंडे बस्ते से निकालने की कोशिश पर भारत ने बेहद ठंडी प्रतिक्रिया जताई है।भारत ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वर्तमान में सार्क को पुनर्जीवित करने का कोई औचित्य नहीं है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल से पूछा गया तो उनका जवाब था कि, “जहां तक क्षेत्रीय सहयोग की बात है तो भारत इसके लिए लगातार कोशिश करता रहा है। इसके लिए हम कई प्लेटफॉर्म के जरिए आगे बढ़ना चाहते हैं। इसमें बिम्सटेक (भारत, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार और थाइलैंड का संगठन) है जिसमें कई हमारे पड़ोसी देश जुड़े हुए हैं। सार्क भी ऐसा ही एक संगठन है लेकिन यह लंबे समय से ठंडा पड़ा हुआ है और क्यों ठंडा पड़ा हुआ है, इसके बारे में सब जानते हैं।'

भारत ने इसलिए सार्क से बनाई दूरी

दक्षिण एशिया में सार्क का महत्व यूरोपीय संघ (EU), आसियान और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) जैसे वैश्विक संगठनों की सफलता के उदाहरणों से प्रेरित है। हालांकि पाकिस्तान के साथ तनाव के कारण भारत ने धीरे-धीरे इसमें दिलचस्पी कम कर दी। 2016 में पाकिस्तान में हुए शिखर सम्मेलन में भारत ने हिस्सा नहीं लिया था। भारत ने 2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना के शिविर पर हुए हमले के बाद पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन दिए जाने पर चिंता जताई थी। उस हमले में उन्नीस भारतीय सैनिक मारे गए थे। हमले के बाद भारत ने शिखर सम्मेलन से अपना नाम वापस ले लिया। भारत जैसे बड़े देश की ओर से दूरी बनाने के बाद नेपाल, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, मालदीव और शेख हसीना के नेतृत्व वाले बांग्लादेश ने भी सार्क में अपनी दिलचस्पी कम कर दी।

पाकिस्तान ने पहले भी सार्क को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया है

यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान ने सार्क को पुनर्जीवित करने की इच्छा व्यक्त की है।डॉन के अनुसार, दिसंबर 2023 में तत्कालीन कार्यवाहक प्रधान मंत्री अनवारुल हक काकर ने भी सार्क के पुनरुद्धार की आशा व्यक्त की थी। काकर ने कहा, "मैं इस अवसर पर सार्क प्रक्रिया के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता को दोहराना चाहूंगा। मुझे विश्वास है कि संगठन के सुचारू संचालन में मौजूदा बाधाएं दूर हो जाएंगी, जिससे सार्क सदस्य देश पारस्परिक रूप से लाभकारी क्षेत्रीय सहयोग के मार्ग पर आगे बढ़ सकेंगे।" लेकिन भारत सार्क के पुनरुद्धार के खिलाफ रहा है।

बांग्लादेश और पाकिस्तान सार्क को पुनर्जीवित क्यों करना चाहते हैं?

यह व्यापार और अर्थव्यवस्था ही है जिसके कारण बांग्लादेश और पाकिस्तान सार्क के पुनरुद्धार के पक्ष में हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है और वह अपने दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कर्ज ले रहा है। उसने खाड़ी देशों से भी कर्ज लिया है।शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश ने अच्छी आर्थिक वृद्धि देखी थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह बुरी तरह से विफल हो गया है। इसकी आर्थिक दुर्दशा के लिए भ्रष्टाचार को दोषी ठहराया जाता है। अपनी अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस और शरीफ दोनों ही सार्क पर नज़र गड़ाए हुए हैं। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि सार्क की बात करते समय उनके दिमाग में व्यापार का मुद्दा था।इसमें कहा गया, "शरीफ ने बांग्लादेश के कपड़ा और चमड़ा क्षेत्र में निवेश करने में पाकिस्तान की रुचि व्यक्त की।"

क्यों नहीं है भारत को सार्क की जरूरत?

हमें यह याद रखना होगा कि इस समूह में सबसे बड़ा खिलाड़ी भारत है, जो एक आर्थिक महाशक्ति है। भारत उन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जो अभी भी उच्च दर से बढ़ रही है जबकि बड़ी अर्थव्यवस्थाएं लड़खड़ा रही हैं। एसएंडपी का अनुमान है कि सालाना 7% से अधिक की दर से बढ़ते हुए भारत 2030-31 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारत जी-20 और ब्रिक्स सहित कई समूहों का भी हिस्सा है। व्यापार और व्यवसाय के मामले में, सार्क को भारत की जरूरत है, न कि इसके विपरीत। भारत को अपने सदस्यों के साथ संबंध बनाए रखने के लिए, यदि आवश्यक हो, तो समूह की जरूरत है। यह काम नई दिल्ली द्विपक्षीय रूप से भी कर सकता है, बिना किसी बहुपक्षीय मंच के।

अमेरिका ने घुमाया बांग्लादेश के यूनुस को फोन, जयशंकर के यूएस दौरे से पहले हिंदू हिंसा को लेकर लगाई फटकार

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बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा के लिए अमेरिका ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को कड़ी फटकार लगाई है। अमेरिका ने मोहम्मद यूनुस को नसीहत दी है और अल्पसंख्यकों पर किसी तरह के अत्याचार न करने के लिए खबरदार किया है। ये सब तब हुआ है जब एक दिन पहले ही बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने भारत सरकार को पत्र लिखा है। इस पत्र में बांग्लादेश ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस भेजने यानी प्रत्यर्पण की मांग की है। इन दोनों घटनाक्रमों के बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर आज से 6 दिन के अमेरिकी दौरे पर हैं। उनके अमेरिका पहुंचने से पहले ही भारत का ग्लोबल पावर देखने को मिला है।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने सोमवार को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से बातचीत की। अमेरिकी सरकार द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज के अनुसार सुलिवन ने चुनौतीपूर्ण समय में बांग्लादेश का नेतृत्व करने के लिए यूनुस को धन्यवाद भी दिया। प्रेस रिलीज में कहा गया कि दोनों नेताओं ने सभी लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान करने और उनकी रक्षा करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।

बाइडेन प्रशासन द्वारा डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता हस्तांतरण के पहले बांग्लादेश में की गई इस कॉल के कई मायने निकाले जा रहे हैं। सुलिवन की ये बातचीत बाइडेन प्रशासन के आखिरी महीने में हुई है, जिससे संदेश मिल रहे हैं कि व्हाइट हाउस में आने वाला नया प्रशासन यूनुस को मनमर्जी नहीं करने देगा।

भारत की बड़ी कूटनीतिक!

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी आज से 6 दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा का मुद्दा भारत ने जोर-शोर से उठाया है। माना जा रहा है कि जयशंकर अमेरिका में भी इस बात को रखेंगे। लेकिन इधर जयशंकर की फ्लाइट उड़ी, उधर पहले ही बांग्लादेश में फोन खनखनाने लगा। अमेरिका में यूनुस को डांट लगाई, तो उन्होंने सुरक्षा देने पर हामी भी भर दी। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक पारी का परिणाम माना जा रहा है

बांग्लादेश के मुद्दे पर भारत का सख्त संदेश

जयशंकर का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा चिंता का मुख्य विषय बनी हुई है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों से भारत में गहरा असंतोष है। इन हालातों में भारत सरकार ने बांग्लादेश पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई है। माना जा रहा है कि जयशंकर अपनी इस यात्रा में अमेरिका के सहयोग से बांग्लादेश को कड़ा संदेश देंगे। इससे पहले अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी साफ कर चुके हैं क‍ि बांग्‍लादेश को ह‍िन्‍दुओं की सुरक्षा करनी ही होगी।

अमेरिकी संसद में उठा मुद्दा

सुलिवन और यूनुस के बीच बातचीत ऐसे समय पर हुई है जब हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस (संसद) में भारतीय मूल के सदस्य श्री थानेदार ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों का मुद्दा उठाया था। थानेदार ने कहा था कि अब समय आ गया है कि संसद इस मामले पर कार्रवाई करे। थानेदार ने अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में कहा था, बहुसंख्यक भीड़ ने हिंदू मंदिरों, हिंदू देवी-देवताओं और शांतिपूर्वक अपने धर्म का पालन करने वाले हिंदुओं को बर्बाद कर दिया है। उन्होंने कहा था, अब समय आ गया है कि अमेरिकी कांग्रेस और अमेरिकी सरकार कार्रवाई करे।

टाइम मैगजीन की टॉप 100 प्रभावशाली हस्तियों की लिस्ट में यूनुस को जगह, एक भी भारतीय नहीं

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हाल के सालों में वैश्विक स्तर पर भारत ने अलग पहचान बनाई है। देश का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दुनियाभर के कई देशों ने अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया है। हालांकि, हैरानी की बात है कि इस साल टाइम की टॉप 100 वाली लिस्ट में एक भी भारतीय को जगह नहीं दी गई है। जी हां, टाइम मैगजीन की 2025 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में टैरिफ से टेंशन देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से लेकर भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले बांग्लादेश के मुखिया मोहम्मद यूनुस का नाम है।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का नाम भी

17 अप्रैल को जारी की गई टाइम मैगजीन की 2025 की वार्षिक सूची में राजनीति, विज्ञान, कला और सक्रियता के क्षेत्र से जुड़े लोगों को शामिल किया गया है। मैगजीन की इस एनुअल लिस्ट को 'लीडर्स', 'आइकॉन्स' और 'टाइटन्स' जैसी कई कैटेगरी में बांटा गया है। 'लीडर्स' की लिस्ट में अन्य प्रमुख हस्तियों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का नाम भी शामिल है।

मोहम्मद यूनुस प्रभावशाली लोगों की सूची में

मोहम्मद यूनुस को टाइम मैगजीन की 100 प्रभावशाली हस्तियों की सूची में जगह पिछले साल छात्रों के विद्रोह के चलते शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश का मुख्य सलाहकार बनने के बाद दी गई है। वहीं, इस साल किसी भारतीय को दुनिया के सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में जगह नहीं मिली है।

भारतीय मूल की रेशमा केवलरमानी शामिल

हालांकि इस साल भारतीय मूल की रेशमा केवलरमानी को इस सूची में जगह दी गई है। टाइम मैग्जीन ने अपने लीडर्स खंड में रेशमा को शामिल किया है। रेशमा केवलरमानी फार्मास्यूटिकल कंपनी वर्टेक्स की सीईओ हैं। वह जब 11 साल की थी, तभी उनका परिवार अमेरिका में बस गया था। रेशमा अमेरिका की सबसे बड़ी दवा कंपनियों में से एक वर्टेक्स की पहली महिला सीईओ भी हैं।

2024 में इन भारतीयों को मिली थी जगह

बता दें कि 2024 में बॉलीवुड एक्टर आलिया भट्ट और ओलंपियन पहलवान साक्षी मलिक इस लिस्ट में शामिल होने वाले कुछ भारतीय चेहरों में से थे। इस साल किसी भी भारतीय के इस लिस्ट में न होने पर सबको हैरानी हो रही है। सोशल मीडिया पर बहस हो रही है। यह तब है जब टेक, कूटनीति और कला के क्षेत्र में भारत हर दिन नए आयाम गढ़ रहा है।

आग से खेलोगे तो जल जाओगे…', किसपर भड़कीं शेख हसीना?

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर मोहम्मद यूनुस पर निशाना साधा है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग पार्टी की नेता शेख हसीना ने देश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस पर कड़ा हमला बोला है। हसीना ने यूनुस को आत्मकेंद्रित और सत्ता का भूखा इंसान बताया। यही नहीं, हसीना ने यूनुस को चेताया है कि अगर आप आग से खेलेंगे तो यह आपको भी जलाकर राख कर देगी।

8 मिनट के एक ऑनलाइन वीडियो में शेख हसीना ने कहा, यूनुस एक पैसों के लालची और सत्ता के भूखो शख्स है जो बांग्लादेश को बर्बाद करने पर तुले हुए है। उसने विदेशी ताकतों के साथ मिलकर साजिश रची है। हसीना ने यह भी आरोप लगाया कि यूनुस, बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी पार्टी के साथ मिलकर अवामी लीग के नेताओं को परेशान कर रहा है और उन्हें मार रहा है।

हसीने ने यूनुस को चेताया

हसीना ने गुस्से में पूछा, युनूस सरकार में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई से जुड़े निशान मिटाए जा रहे हैं। हमने हर जिले में मुक्ति योद्धा स्मारक बनाए थे, लेकिन उन्हें जलाया जा रहा है। आजादी के नायकों का अपमान हो रहा है। क्या यूनुस इसका जवाब दे सकेंगे? उन्होंने चेतावनी दी, यूनुस, अगर आग से खेलेंगे, तो वह आग उन्हें ही जला देगी।

अबू सईद की मौत पर उठाया सवाल

अपने भाषण में शेख हसीना ने कोटा आंदोलन के दौरान मारे गए अबू सईद की मौत को लेकर भी बड़ा दावा किया। अबू सईद को आंदोलन का हीरो माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सईद की मौत पुलिस की जानबूझकर की गई हत्या थी। शेख हसीना ने इस बात को पूरी तरह नकार दिया और कहा कि ये आरोप गलत और भड़काने वाले हैं।

यूनुस पर साजिश रचने का आरोप

शेख हसीना ने कहा, जब प्रदर्शनकारी पुलिस पर पत्थर फेंक रहे थे, तब पुलिस ने सिर्फ रबर की गोलियां चलाई थीं। अबू सईद के सिर पर पत्थर से चोट लगी थी, लेकिन सवाल ये है कि 7.62 एमएम की असली गोली कहां से आई? वो गोली किसने चलाई?

हसीना ने आरोप लगाया कि जब एक अफसर ने इस मामले की जांच शुरू की तो यूनुस ने उसे हटा दिया। उन्होंने कहा, अगर अबू सईद का शव दोबारा निकाला जाए और सही जांच हो तो पता चल जाएगा कि सारी हत्याएं एक साजिश थीं। हसीना ने साफ कहा, ना मैंने, ना अवामी लीग ने और ना ही पुलिस ने सईद को मारा, बल्कि पुलिस खुद हिंसा की शिकार थी। इसके बावजूद हिंसा करने वालों को मुआवजा दिया गया। क्या उन्हें सज़ा मिलेगी? नहीं क्योंकि ये सब यूनुस की सोची-समझी चाल थी।

बांग्लादेश बर्बादी की कगार पर पहुंच गया-हसीना

हसीना ने कहा कि यूनुस के राज में बांग्लादेश बर्बादी की कगार पर पहुंच गया और मेहनतकश बांग्लादेशियों की उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं। हजारों कारखाने बंद हो गए। अवामी लीग के नेताओं से जुड़े बिजनेस, होटल और अस्पताल तक जला दिए गए। उन्होंने कहा, टॉप डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया गया। राजनीतिक कार्यकर्ताओं को पुलिस की वर्दी दी गई है। क्या वे नौकरी के लिए योग्य हैं? किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया और बीएनपी लूटपाट में व्यस्त है।

बता दें कि शेख हसीना पिछले साल अगस्त में तख्तापलट के बाद भारत आ गई थीं। निर्वासन में रहते हुए वह सोशल मीडिया के जरिए अपनी पार्टी के नेताओं से बात करती हैं।

आखिर पूरी हुई मुरादः बैंकॉक में पीएम मोदी से मिले मोहम्मद यूनुस, जानें क्या हुई बात?

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में मुलाकात हुई है। पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाए जाने के बाद यह उनकी पहली मुलाकात थी। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रशासक नियुक्त किया गया था। ऐसे में दोनों नेताओं की यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है।

पीएम मोदी और यूनुस बिम्सटेक के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने बैंकॉक पहुंचे हैं। इसी दौरान विम्सटेक से इतर दोनों नेताओं ने मुलाकात की। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच की मुलाकात में वो बात नजर नहीं आई, जैसे मोदी के दूसरे वैश्विक नेताओं के साथ मुलाकात के दौरान देखी जाती है। पीएम मोदी अक्सर वैश्विक नेताओं से गर्मजोशी से मिलते हैं। लेकिन मोहम्मद यूनुस के साथ बैठक के दौरान ये गर्मजोशी नहीं दिख रही थी।

पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस के मुलाकात के वीडियो में दिख रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए जब मोहम्मद यूनुस आ रहे होते हैं, तो पीएम मोदी पहले भारतीय परंपरा को दर्शाते हुए हाथ जोड़कर अभिनंदन करते हैं और मोहम्मद यूनुस के पहुंचने के बाद उनसे हाथ मिलाते हैं।

वहीं, दूसरे विदेशी नेताओं से मुलाकात के वक्त प्रधानमंत्री मोदी का हावभाव काफी अलग रहता है। किसी दूसरे नेता से मिलते वक्त प्रधानमंत्री मोदी को खुद आगे बढ़कर उनका स्वागत करते हुए देखा गया है। इस दौरान वो उनसे गले भी मिलते हैं और भारी मुस्कुराहट के साथ उनका स्वागत करते हैं। लेकिन मोहम्मद यूनुस के साथ मुलाकात के दौरान ऐसा कुछ नहीं दिखा।

यूनुस और मोदी के बीच मुलाकात के दौरान क्या बातचीत हुई है, इसकी जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। इस मुलाकात में दोनों देशों के शीर्ष राजनयिक भी मौजूद थे। ऐसे में माना जा रहा है कि ये बातचीत समसमायिक मुद्दे और दोनों देशों के व्यापार समझौते को लेकर हो सकता है।

दरअसल, शेख हसीना सरकार के सत्ता से बाहर हो जाने के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में काफी कड़वाहट आ चुकी है। मोहम्मद यूनुस के शासन में बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यकों (हिंदुओं) पर अत्याचार के कई मामले सामने आ चुके हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले को लेकर खुद पीएम मोदी ने चिंता जताई है।

वहीं, बांग्लादेश ने भारत को दरकिनार कर पाकिस्तान और चीन से रिश्तों को प्रगाढ़ किया है। पिछले हफ्ते ही जब मोहम्मद यूनुस बीजिंग में थे तो उन्होंने एंटी-इंडिया बात करते हुए खुद को बंगाल की खाड़ी का गार्जियन बताया था। पिछले हफ्ते चीन की अपनी यात्रा के दौरान यूनुस ने बीजिंग से बांग्लादेश में अपना आर्थिक प्रभाव बढ़ाने का आग्रह किया और विवादास्पद रूप से उल्लेख किया कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का भूमि से घिरा होना एक अवसर साबित हो सकता है।

बांग्लादेश में नया विवाद, हसीना विरोधी छात्र नेता ने सेना को लेकर किया बड़ा दावा, भारत का भी आया नाम

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बांग्लादेश में एक नया विवाद शुरू हो गया है। बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से हटाने के लिए आंदोलन करने वाले छात्र नेताओं और सेना के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।बांग्लादेश की नई गठित जातीय नागरिक पार्टी (एनसीपी) के मुख्य आयोजक हसनत अब्दुल्ला ने देश के सेना प्रमुख के बारे में एक बड़ा दावा किया है। एक वीडियो में हसनत ने कहा कि सेना प्रमुख जनरल वकार उज-जमान नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त करने के इच्छुक नहीं थे।

एक वायरल वीडियो में हसनत अब्दुल्ला ने कहा कि सेना प्रमुख ने मोहम्मद यूनुस की साख पर सवाल उठाते हुए उन्हें इस भूमिका के लिए उपयुक्त नहीं माना। जनरल जमान ने यह भी कहा कि यूनुस का नोबेल पुरस्कार विजेता होना और उनकी सुधारवादी छवि के बावजूद, वह इस जिम्मेदारी के लिए सही व्यक्ति नहीं थे। सेना प्रमुख ने देश की बागडोर सही हाथों में सौंपने की जरूरत पर जोर दिया था।

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल सिटिजन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ढाका यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन करते हुए सेना पर आरोप लगाया कि सेना, शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को फिर से सत्ता में लाने की कोशिश कर रही है। हसनत ने दावा किया कि पाँच अगस्त को अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बांग्लादेश का सैन्य नेतृत्व भारत के प्रभाव में अवामी लीग को फिर से मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है।

बता दें कि अवामी लीग शेख़ हसीना की पार्टी है और जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश समेत कई राजनीतिक धड़े अवामी लीग के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं।अब्दुल्ला ने फेसबुक पर लिखा कि भारत के इशारे पर अवामी लीग की मदद की जा रही है। अब्दुल्ला ने सेना को चेताते हुए कहा कि आर्मी को छावनी के अंदर तक ही रहना चाहिए। बांग्लादेश में सेना का राजनीति में कोई हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा।

इस पर सेना ने अपने बयान कहा कि एनसीपी के आरोप सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट हैं। सेना पर राजनीतिक हस्तक्षेप के इस आरोप से बांग्लादेश में सियासी तनाव बढ़ गया है।

बता दें कि बांग्लादेश की सेना के अंदर दो गुट बने हुए हैं। एक गुट जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों का समर्थन करता है, जबकि दूसरा अवामी लीग के साथ जुड़ा हुआ है। इन गुटों के बीच उभरे तनाव ने सेना के अंदर मतभेदों को और गहरा दिया है, जिससे स्थिति अस्थिर हो गई है।

ढीली पड़ी बांग्लादेश की ऐंठन, पीएम मोदी से मुलाकात चाहते हैं मोहम्मद यूनुस

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बांग्लादेश एक तरफ तो भारत के दुश्मनों से नजदीकियां बढ़ा रहा है, वहीं भारत के साथ बेवजह की दुश्मनी पाल रहा है। अल्पसंख्यकों पर हिंसा और भारत के साथ संबंधों में तनाव के बीच बांग्लादेश ने भारत से संपर्क किया है। बांग्लादेश की तरफ से इच्छा जाहिर की गई है कि अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के साथ पीएम नरेन्द्र मोदी की मुलाकात हो जाए। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस अगले महीने थाईलैंड में आमने-सामने होने वाले हैं, लेकिन इस दौरान दोनों के बीच औपचारिक मुलाकात की संभावना नहीं है। मुलाकात को लेकर भारत की तरफ से इस बारे में कोई उत्साह नहीं दिखाया गया है।

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश ने अप्रैल के पहले हफ्ते में बैंकॉक में मोहम्मद यूनुस और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच एक द्विपक्षीय बैठक कराने को लेकर भारत से संपर्क किया है। दरअसल, दोनों देशों के नेता 2 से 4 अप्रैल तक बैंकॉक में आयोजित 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग ले सकते हैं। इसे देखते हुए बांग्लादेश ने दोनों नेताओं के बीच बैठक आयोजित कराने के लिए संपर्क किया है।

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बांग्लादेश के अंतरिम सरकार में विदेशी मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहिद हुसैन ने कहा, हमने बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक आयोजित कराने को लेकर भारत के साथ कूटनीतिक संपर्क किया है।

भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव

बता दें कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से ही भारत के साथ रिश्तों में तनाव देखा जा रहा है। भारत ने बांग्लादेश के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों के साथ ही बिगड़ती कानून व्यवस्था और चरमपंथियों की जेलों से रिहाई को लेकर चिंताओं को अंतरिम सरकार के सामने रखा है। वहीं, यूनुस सरकार ने भारत में मौजूद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मौजूदगी के बारे में चिंता जाहिर की है और उनके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है। इसके अलावा नदियों के पानी बंटवारे और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने जैसे मुद्दों को लेकर दोनों के बीच गतिरोध है।

बांग्लादेशी राजदूत ने अपनी ही सरकार को घेरा, मोहम्मद यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

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शेख हसीने के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। मोहम्मद यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरता अपने चरम पर है। मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने से दुनिया भर में यूनुस सरकार की निंदा हुई है। भारत ने भी हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर कई बार बांग्लादेश सरकार को कड़े कदम उठाने को लेकर बोल चुका है। लेकिन यूनुस सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस बीच मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा है।

राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाया है। रशीद का कहना है कि यूनुस बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष संरचना को तोड़ने और शेख हसीना की सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं।

हारुन अल रशीद ने फेसबुक पर पोस्ट कर मोहम्मद यूनुस पर जमकर निशाना साधा। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

कौन हैं हारुन अल रशीद?

बांग्लादेश सरकार ने अक्टूबर, 2023 में मोहम्मद हारुन अल रशीद को मोरक्को में बांग्लादेश का राजदूत नियुक्त किया था। मोहम्मद हारुन अल रशीद बांग्लादेश सिविल सेवा (विदेश मामले) कैडर के 20वें बैच से आते हैं। उन्होंने 2001 में सेवा में शामिल होने के बाद कनाडा में बांग्लादेश उच्चायोग में मंत्री और उप उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है। वह रोम, काहिरा, मैक्सिको सिटी और मैड्रिड में बांग्लादेश मिशनों में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।

पाक के बाद चीन के करीब हो रहा बांग्लादेश, भारत के बिगड़ते संबंधों के बीच मोहम्मद यूनुस का चीन दौरा

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शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश के दोस्तो की फेहरिस्त बदल रही है। कभी शेख हसीना के लिए भारत सबसे करीबी दोस्त हुआ करता था। मोहम्मद यूनुस के मुख्य सलाहकार बनते ही यही भारत बांग्लादेश की आंखों को खटकने लगा है। मोहम्मद यूनुस पाकिस्तान से गलबहियां करने के बाद अब ढाका को बीजिंग के करीब ले जाने में जुट गए हैं। इसी क्रम में मोहम्मद यूनुस चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं। मुहम्मद यूनुस द्विपक्षीय बैठक के लिए 26 मार्च को चीन का दौरा करेंगे। यूनुस 26 से 29 मार्च तक चीन के दौरो पर रहेंगे।

नोबेल पुरस्कार विजेता, जिन्होंने शेख हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश के अंतरिम नेता के रूप में पदभार संभाला था।7 अगस्त, 2024 को पदभार संभालने के बाद यूनुस की यह पहली चीन यात्रा होगी। रिपोर्ट के अनुसार, 28 मार्च को बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात कर सकते हैं। यूनुस सबसे पहले 25 मार्च को हैनान प्रांत में बोआओ फोरम फॉर एशिया (बीएफए) सम्मेलन में भाग लेंगे। बीएफए के महासचिव झांग जून ने मुख्य सलाहकार को चीन में सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। बाद में, चीनी अधिकारियों ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बीजिंग में यूनुस की मेजबानी करने का प्रस्ताव रखा।

रविवार को द डेली स्टार को ढाका में एक राजनयिक सूत्र ने बताया, हम मुख्य सलाहकार के दौरे की तैयारी कर रहे हैं और सहयोग के संभावित क्षेत्रों की तलाश में हैं, जिसमें द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर की संभावना भी शामिल हैष बीएफए सम्मेलन, जिसे अक्सर ‘एशियन दावोस’ कहा जाता है, चीन के दक्षिणी हैनान प्रांत के बोआओ में होता है। प्रोफेसर यूनुस को बीएफए के महासचिव झांग जुन से निमंत्रण मिला है और वह 26 मार्च की शाम को चीनी अधिकारियों की ओर से आयोजित विशेष उड़ान से हैनान जाएंगे। विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, पिछले सप्ताह, ढाका में चीनी दूतावास ने विदेश मंत्रालय को पुष्टि की कि राष्ट्रपति शी के साथ बैठक निर्धारित है। इसके बाद, मुख्य सलाहकार ने अपनी भागीदारी की पुष्टि की।

नई दिल्ली चीन और पाकिस्तान के साथ ढाका के बढ़ते संबंधों पर कड़ी नज़र रख रही है। हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद, बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते खराब हो गए हैं।अभी दो दिन पहले, भारत ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सत्र में आरोप लगाया था कि बांग्लादेश पर संयुक्त राष्ट्र की तथ्य-खोजी रिपोर्ट ने “अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ बदले की हिंसा” की अवधारणा को “मुख्यधारा में ला दिया है।”

मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार बांग्लादेश को तेजी से चीन के करीब ले जा रही है। इसके पहले यूनुस सरकार ने तीस्ता नदी के प्रबंधन के लिए चीन की तरफ हाथ बढ़ाया था। इसके लिए चीन की सरकारी कंपनी को इस साल दिसम्बर तक कॉन्सेप्ट नोट और 2026 के आखिर तक रिसर्च तैयार करने को कहा गया है। यह वही प्रोजेक्ट है, जिसे पूर्व पीएम शेख हसीना की सरकार भारत के साथ आगे बढ़ाना चाहती थी। अब 1 अरब डॉलर की इस परियोजना को लेकर यूनुस सरकार चीन के साथ आगे बढ़ी है।

बांग्लादेश में क्या कर रहा है जॉज सोरोस का बेटा? 'भारत के दुश्मन' के साथ दिखे मोहम्मद यूनुस

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बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार भारत के दुश्मनों के साथ नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। अब भारत विरोधी एजेंडा चलाने के लिए कुख्यात जॉर्ज सोरोस के बेटे एलेक्स सोरोस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को साथ देखा गया है। बुधवार को जॉर्ज सोरोस के बेटे एलेक्स सोरोस ने ढाका में मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की। एलेक्स सोरोस अपने पिता जॉर्ज सोरोस के एनजीओ द ओपन सोसायटी फाउंडेशन के चेयरमैन हैं। बता दें कि सेरोस ने यूनुस सरकार को आर्थिक मदद देने का वादा किया है।जॉर्ज सोरोस ने बांग्लादेश को तब मदद का भरोसा दिया है, जब अमेरिका ने अपने हाथ खींच लिए हैं।

ढाका में हुई मुलाकात के बाद मोहम्मद यूनुस ने कहा, कि सोरोस और ओपन सोसायटी फाउंडेशन के प्रेसिडेंट बिनैफर नौरोजी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने बांग्लादेश में सुधार के लिए अंतरिम सरकार के एजेंडे को अपना समर्थन दिया है।

मोहम्मद यूनुस के कार्यालय ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है, कि "ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के नेतृत्व ने बुधवार को मुख्य अंतरिम सलाहकार से मुलाकात की और देश की इकोनॉमी के फिर से निर्माण, गबन की गई संपत्तियों का पता लगाने, गलत सूचनाओं से निपटने और महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों को लागू करने के बांग्लादेश की कोशिशों पर चर्चा की है।" वहीं, इस मुलाकात के बाद बांग्लादेशी मीडिया की रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि बैठक में आर्थिक सुधार, मीडिया की आजादी, संपत्ति की वसूली, नये साइबर सुरक्षा कानून और रोहिंग्या संकट पर बात की गई है।

बांग्‍लादेश की सरकार के साथ जॉर्ज सोरोस का रिश्ता चिंता पैदा करता है। शेख हसीना ने इसी ओर इशारा क‍िया था, जब उन्‍होंने कहा था क‍ि कुछ गोरे लोगों के साथ वे तालमेल नहीं बिठा पाईं, जो बांग्‍लादेश को नोचना चाहते थे। इनमें से कई ऐसे थे, जिन्‍होंने बांग्‍लादेश को कमजोर क‍िया। हालांकि, तब शेख हसीना ने क‍िसी का नाम नहीं ल‍िया था।

जब पिछले साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए थे, जिसमें उन्हें देश से भागना पड़ा था, उसके बाद से ही आशंका जताई जा रही थी, कि इस प्रदर्शन के पीछे एक टूलकिट गैंग काम कर रही है। एक्‍सपर्ट ने तब माना था क‍ि अमेर‍िकी डेमोक्रेटिक पार्टी के वामपंथी सदस्‍यों, जॉर्ज सोरोस और ढाका में बीआरएसी यूनिवर्सिटी के छात्रों के बीच एक साठगांठ बन गई है। सब जानते हैं क‍ि इस यूनिवर्सिटी को ओपन सोसाइटी का नेटवर्क फंड करता है। वही ओपन सोसाइटी फाउंडेशन, जिसके चेयरमैन जॉर्ज सोरोस के बेटे एलेक्‍स सोरोस हैं। पिछले साल जब ढाका में विरोध प्रदर्शन चरम पर थे, तब यह खुलकर सामने आ गया था। क्‍योंक‍ि तब 22 अमेर‍िकी सीनेटरों ने अमेर‍िकी विदेश मंत्री एंटनी ब्‍ल‍िंकन को पत्र लिखकर शेख हसीना सरकार के ख‍िलाफ कार्रवाई करने को कहा था। इन सीनेटरों में से एक इल्हान उमर भी थे, जो अमेरिकी कांग्रेस में सोरोस कैंप के कट्टर मेंबर थे।

वहीं, शेख हसीना के पतन के बाद सत्ता में आए जब मोहम्मद यूनुस ने पिछले साल अक्टूबर में यूनाइटेड नेशंस के एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अमेरिका की यात्रा की थी, उस वक्त उन्होंने न्यूयॉर्क में जॉर्ज सोरोस से भी मुलाकात की थी। यानि, पिछले चार महीनों के बीच सोरोस परिवार के साथ मोहम्मद यूनुस की दूसरी मुलाकात है।

मोहम्मद यूनुस सार्क को फिर जिंदा करना चाहते हैं, पाकिस्तान बना मददगार, लेकिन भारत क्यों नहीं चाहता?

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने एक बार फिर दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) को पुनर्जीवित करने की जरूरत पर जोर दिया।संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग में उन्होंने सार्क को पुनर्जीवित करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि दक्षिण एशिया के नेताओं को क्षेत्रीय लाभ के लिए सार्क को सक्रिय बनाना चाहिए, भले ही भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चली आ रही शत्रुता जैसी चुनौतियां मौजूद हों।उन्होंने कहा है कि इन दोनों देशों के बीच की समस्याओं का असर दक्षिण एशिया के अन्य देशों पर नहीं पड़ना चाहिए और क्षेत्र में एकता और सहयोग का आह्वान किया।

सार्क संगठन की शिखर बैठक वर्ष 2016 में होने वाली थी लेकिन भारत समेत इसके अन्य सभी देशों ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ इसका विरोध किया और बैठक नहीं हो सकी। उसके बाद सार्क की बात भी कोई देश नहीं कर रहा था लेकिन पूर्व पीएम शेख हसीना को सत्ता से बाहर करने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इसको हवा देने में जुटी है

19 दिसंबर को मिस्त्र में बांग्लादेश के सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के बीच एक महत्वपूर्ण मुलाकात हुई थी। इस बैठक में सार्क को फिर से सक्रिय करने की बात कही गई। पाकिस्तानी पीएम ने बांग्लादेश को सुझाव दिया कि वह सार्क सम्मेलन की मेजबानी करे। इस पर मोहम्मद यूनुस ने भी सहमति जताई और दोनों नेताओं ने इस योजना को आगे बढ़ाने की बात कही। पाकिस्तान की मंशा थी कि इस मंच के बहाने अलग थलग पड़े पाकिस्तान को दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अपनी भूमिका मजबूत करने का मौका मिल सके।

बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया (मुख्य सलाहकार) प्रोफेसर मोहम्मद युनूस की तरफ से दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) को ठंडे बस्ते से निकालने की कोशिश पर भारत ने बेहद ठंडी प्रतिक्रिया जताई है।भारत ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वर्तमान में सार्क को पुनर्जीवित करने का कोई औचित्य नहीं है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल से पूछा गया तो उनका जवाब था कि, “जहां तक क्षेत्रीय सहयोग की बात है तो भारत इसके लिए लगातार कोशिश करता रहा है। इसके लिए हम कई प्लेटफॉर्म के जरिए आगे बढ़ना चाहते हैं। इसमें बिम्सटेक (भारत, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार और थाइलैंड का संगठन) है जिसमें कई हमारे पड़ोसी देश जुड़े हुए हैं। सार्क भी ऐसा ही एक संगठन है लेकिन यह लंबे समय से ठंडा पड़ा हुआ है और क्यों ठंडा पड़ा हुआ है, इसके बारे में सब जानते हैं।'

भारत ने इसलिए सार्क से बनाई दूरी

दक्षिण एशिया में सार्क का महत्व यूरोपीय संघ (EU), आसियान और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) जैसे वैश्विक संगठनों की सफलता के उदाहरणों से प्रेरित है। हालांकि पाकिस्तान के साथ तनाव के कारण भारत ने धीरे-धीरे इसमें दिलचस्पी कम कर दी। 2016 में पाकिस्तान में हुए शिखर सम्मेलन में भारत ने हिस्सा नहीं लिया था। भारत ने 2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना के शिविर पर हुए हमले के बाद पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन दिए जाने पर चिंता जताई थी। उस हमले में उन्नीस भारतीय सैनिक मारे गए थे। हमले के बाद भारत ने शिखर सम्मेलन से अपना नाम वापस ले लिया। भारत जैसे बड़े देश की ओर से दूरी बनाने के बाद नेपाल, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, मालदीव और शेख हसीना के नेतृत्व वाले बांग्लादेश ने भी सार्क में अपनी दिलचस्पी कम कर दी।

पाकिस्तान ने पहले भी सार्क को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया है

यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान ने सार्क को पुनर्जीवित करने की इच्छा व्यक्त की है।डॉन के अनुसार, दिसंबर 2023 में तत्कालीन कार्यवाहक प्रधान मंत्री अनवारुल हक काकर ने भी सार्क के पुनरुद्धार की आशा व्यक्त की थी। काकर ने कहा, "मैं इस अवसर पर सार्क प्रक्रिया के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता को दोहराना चाहूंगा। मुझे विश्वास है कि संगठन के सुचारू संचालन में मौजूदा बाधाएं दूर हो जाएंगी, जिससे सार्क सदस्य देश पारस्परिक रूप से लाभकारी क्षेत्रीय सहयोग के मार्ग पर आगे बढ़ सकेंगे।" लेकिन भारत सार्क के पुनरुद्धार के खिलाफ रहा है।

बांग्लादेश और पाकिस्तान सार्क को पुनर्जीवित क्यों करना चाहते हैं?

यह व्यापार और अर्थव्यवस्था ही है जिसके कारण बांग्लादेश और पाकिस्तान सार्क के पुनरुद्धार के पक्ष में हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है और वह अपने दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कर्ज ले रहा है। उसने खाड़ी देशों से भी कर्ज लिया है।शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश ने अच्छी आर्थिक वृद्धि देखी थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह बुरी तरह से विफल हो गया है। इसकी आर्थिक दुर्दशा के लिए भ्रष्टाचार को दोषी ठहराया जाता है। अपनी अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस और शरीफ दोनों ही सार्क पर नज़र गड़ाए हुए हैं। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि सार्क की बात करते समय उनके दिमाग में व्यापार का मुद्दा था।इसमें कहा गया, "शरीफ ने बांग्लादेश के कपड़ा और चमड़ा क्षेत्र में निवेश करने में पाकिस्तान की रुचि व्यक्त की।"

क्यों नहीं है भारत को सार्क की जरूरत?

हमें यह याद रखना होगा कि इस समूह में सबसे बड़ा खिलाड़ी भारत है, जो एक आर्थिक महाशक्ति है। भारत उन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जो अभी भी उच्च दर से बढ़ रही है जबकि बड़ी अर्थव्यवस्थाएं लड़खड़ा रही हैं। एसएंडपी का अनुमान है कि सालाना 7% से अधिक की दर से बढ़ते हुए भारत 2030-31 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारत जी-20 और ब्रिक्स सहित कई समूहों का भी हिस्सा है। व्यापार और व्यवसाय के मामले में, सार्क को भारत की जरूरत है, न कि इसके विपरीत। भारत को अपने सदस्यों के साथ संबंध बनाए रखने के लिए, यदि आवश्यक हो, तो समूह की जरूरत है। यह काम नई दिल्ली द्विपक्षीय रूप से भी कर सकता है, बिना किसी बहुपक्षीय मंच के।

अमेरिका ने घुमाया बांग्लादेश के यूनुस को फोन, जयशंकर के यूएस दौरे से पहले हिंदू हिंसा को लेकर लगाई फटकार

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बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा के लिए अमेरिका ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को कड़ी फटकार लगाई है। अमेरिका ने मोहम्मद यूनुस को नसीहत दी है और अल्पसंख्यकों पर किसी तरह के अत्याचार न करने के लिए खबरदार किया है। ये सब तब हुआ है जब एक दिन पहले ही बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने भारत सरकार को पत्र लिखा है। इस पत्र में बांग्लादेश ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस भेजने यानी प्रत्यर्पण की मांग की है। इन दोनों घटनाक्रमों के बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर आज से 6 दिन के अमेरिकी दौरे पर हैं। उनके अमेरिका पहुंचने से पहले ही भारत का ग्लोबल पावर देखने को मिला है।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने सोमवार को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से बातचीत की। अमेरिकी सरकार द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज के अनुसार सुलिवन ने चुनौतीपूर्ण समय में बांग्लादेश का नेतृत्व करने के लिए यूनुस को धन्यवाद भी दिया। प्रेस रिलीज में कहा गया कि दोनों नेताओं ने सभी लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान करने और उनकी रक्षा करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।

बाइडेन प्रशासन द्वारा डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता हस्तांतरण के पहले बांग्लादेश में की गई इस कॉल के कई मायने निकाले जा रहे हैं। सुलिवन की ये बातचीत बाइडेन प्रशासन के आखिरी महीने में हुई है, जिससे संदेश मिल रहे हैं कि व्हाइट हाउस में आने वाला नया प्रशासन यूनुस को मनमर्जी नहीं करने देगा।

भारत की बड़ी कूटनीतिक!

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी आज से 6 दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा का मुद्दा भारत ने जोर-शोर से उठाया है। माना जा रहा है कि जयशंकर अमेरिका में भी इस बात को रखेंगे। लेकिन इधर जयशंकर की फ्लाइट उड़ी, उधर पहले ही बांग्लादेश में फोन खनखनाने लगा। अमेरिका में यूनुस को डांट लगाई, तो उन्होंने सुरक्षा देने पर हामी भी भर दी। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक पारी का परिणाम माना जा रहा है

बांग्लादेश के मुद्दे पर भारत का सख्त संदेश

जयशंकर का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा चिंता का मुख्य विषय बनी हुई है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों से भारत में गहरा असंतोष है। इन हालातों में भारत सरकार ने बांग्लादेश पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई है। माना जा रहा है कि जयशंकर अपनी इस यात्रा में अमेरिका के सहयोग से बांग्लादेश को कड़ा संदेश देंगे। इससे पहले अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी साफ कर चुके हैं क‍ि बांग्‍लादेश को ह‍िन्‍दुओं की सुरक्षा करनी ही होगी।

अमेरिकी संसद में उठा मुद्दा

सुलिवन और यूनुस के बीच बातचीत ऐसे समय पर हुई है जब हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस (संसद) में भारतीय मूल के सदस्य श्री थानेदार ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों का मुद्दा उठाया था। थानेदार ने कहा था कि अब समय आ गया है कि संसद इस मामले पर कार्रवाई करे। थानेदार ने अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में कहा था, बहुसंख्यक भीड़ ने हिंदू मंदिरों, हिंदू देवी-देवताओं और शांतिपूर्वक अपने धर्म का पालन करने वाले हिंदुओं को बर्बाद कर दिया है। उन्होंने कहा था, अब समय आ गया है कि अमेरिकी कांग्रेस और अमेरिकी सरकार कार्रवाई करे।