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जम्मू-कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया देखने आए 16 देशों के राजनयिक, नाराज उमर बोले- यह अच्छा नहीं

#omarabdullahondelegationofdiplomatsvisitingjammukashmir_elections

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में मतदान हो रहा है। इसी बीच विदेशों से वरिष्ठ राजनयिकों का एक हाई लेवल डेलिगेशन जम्मू-कश्मीर पहुंचा, जो जम्मू-कश्मीर में चल रहे चुनाव की प्रक्रिया को देखने पहुंचे। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको, गुयाना, दक्षिण कोरिया, सोमालिया, पनामा, सिंगापुर, नाइजीरिया, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, नॉर्वे, तंजानिया, रवांडा, अल्जीरिया समेत 16 देशों के राजनयिक जम्मू-कश्मीर दौरे पर हैं। लेकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि यह बात अच्छी नहीं है।

विदेशी राजनायिकों के दौरे पर विवाद

जम्मू-कश्मीर में मतदान प्रक्रिया देखने के लिए आए विदेशी प्रतिनिधिमंडल के दौरे पर जेकेएनसी के उपाध्यक्ष और उम्मीदवार उमर अब्दुल्ला ने कहा, "मैं इसे समझ नहीं पा रहा हूं। जब वही लोग जम्मू-कश्मीर पर टिप्पणी करते हैं, तो भारत सरकार एक बयान जारी करती है कि जम्मू-कश्मीर हमारा आंतरिक मामला है और दूसरों को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अगर आप हस्तक्षेप या उनकी टिप्पणियों को नहीं चाहते हैं, तो उन्हें यहां क्यों लाया जा रहा है?

उमर अब्दुल्ला ने उठाया सवाल

उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि सरकार ने पिछले 6-7 वर्षों में लोगों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन भारत सरकार सारा श्रेय चाहती है। अगर राजनयिकों को यहां लाया जा सकता है, तो विदेशी पत्रकारों को यहां आकर चुनाव कवर करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है। राजनयिकों को गाइडेड टूरिस्ट के तौर पर यहां लाया जा रहा है। यह अच्छा नहीं है।

'वोट डालने के लिए यहां आए लोगों के बीच होना अद्भुत है'

श्रीनगर के बेमिना में एसडीए मतदान केंद्र पर भारत में दक्षिण कोरियाई दूतावास के डीसीएम लिम सांग वू कहते हैं, "मैं पहली बार यहां आया हूं। यह बहुत खूबसूरत है। वोट डालने के लिए यहां आए लोगों के बीच होना अद्भुत है। मैं वाकई जोश से भरा उत्साह देख रहा हूं और यह वास्तव में लोकतंत्र का काम है। इसलिए, बधाई। यह अच्छी तरह से आयोजित किया गया है। मैं छोटे बच्चों को उनके माता-पिता के साथ देखकर खुश था... मुझे लगता है कि वे अपने माता-पिता से यह सीखने आए हैं कि लोकतंत्र कैसे काम करता है। यह वाकई प्रभावशाली था..."

तंजानिया के राजनयिक ने क्या कहा?

श्रीनगर के बेमिना में एसडीए मतदान केंद्र पर तंजानिया के एक राजनयिक देव कहते हैं, "मैं देख रहा हूं कि लोग मतदान करने के लिए उत्साहित हैं और वे अपने साथ बच्चों को भी ला रहे हैं ताकि वे सीख सकें कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया क्या है, मैंने इस तरह की प्रथा पहले कभी नहीं देखी, यह मेरा पहला मौका है। इसलिए, यह बहुत अच्छा है। "

सिंगापुर राजनयिक ने क्या कहा?

श्रीनगर के बेमिना में SDM मतदान केंद्र पर, सिंगापुर हाईकमीशन की ऐलिस चेंग ने कहा कि संगठन सिंगापुर के से काफी मिलता-जुलता है. जहां आप लोगों के लिए इसे सरल बनाने के लिए सरकारी बिल्डिंग का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए, हम इस यात्रा के आयोजन के लिए विदेश मंत्रालय के शुक्रगुजार हैं. हम आएं और चल रहे मतदान को देखा

अमेरिका में भारत विरोधी इल्हान उमर से राहुल गांधी ने क्यों की मुलाकात? बीजेपी ने घेरा

#america_rahul_gandhi_ilhan_omar_meeting

राहुल गांधी अमेरिका के तीन दिनों के दौरे पर हैं। अमेरिकी दौरे पर गए कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों से मुलाकात की है। इसी क्रम में वो वाशिंगटन के रेबर्न हाउस में अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों से मिले। इस मुलाकात के बाद एक तस्वीर सामने आई है। इस तस्वीर में राहुल के साथ एक ऐसा चेहरा नजर आया, जिसे लेकर विवाद हो गया। दरअशल, वो चेहरा चेहरा इल्हान उमर का है,जो भारत और हिंदुओं से घृणा को लेकर अक्सर चर्चा में रहती हैं।उमर अमेरिकी संसद के निचले सदन की सदस्य हैं।

इल्हान उमर अमेरिकी सांसदों के उस समूह का हिस्सा थीं जिसने वाशिंगटन डीसी के रेबर्न हाउस में कॉन्ग्रेस नेता के साथ बैठक की। इसकी मेजबानी अमेरिकी सांसद ब्रेडली जेम्स शेरमन ने की। उमर के अलावा इस बैठक में सांसद जोनाथन जैकसन, रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति, बारबरा ली, श्री थानेदार, जीसस जी ग्रासिया, हैंक जॉनसन और जैन शाकोवस्की भी शामिल थे। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार सूत्रों ने बताया कि राहुल गाँधी ने अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू से भी मुलाकात की है।

राहुल की इल्हान की मुलाकात पर भारतीय जनता पार्टी ने सवाल उठाया है।बीजेपी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा है कि सिख विरोधी, आरक्षण विरोधी बयान देने और विदेशी जमीन से भारतीय संस्थानों पर सवाल उठाने के बाद, राहुल गांधी अब एक पार्टी का विरोध करते हुए भारत विरोधी तत्वों से मिल रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। कौन हैं इल्हान उमर? अमेरिकी कांग्रेस में भारत के खिलाफ प्रस्ताव लाईं, पाकिस्तान के दौरे पर गईं। प्रायोजित यात्रा और भारत की संप्रभुता का उल्लंघन किया।

बता दें कि अपने भारत विरोधी बयान के लिए पहचाने जाने वाली इल्हान उमर पाकिस्‍तान की चहेती है। वो जम्‍मू-कश्‍मीर को पाकिस्‍तान का हिस्‍सा बता चुकी हैं। उमर 2022 में पाकिस्‍तान गई थी. इस दौरान वो पाकिस्‍तानी अधिकृत कश्‍मीर में भी पहुंची। यह पूरा दौरा पाकिस्‍तान द्वारा प्रयोजित था। वो पाकिस्‍तान के पीएम शाहबाज शरीफ से भी मिली थी। तब इल्हान उमर ने यह बयान भी दिया था कि पीओके पाकिस्‍तान का अहम हिस्‍सा है। इसपर भारत का कोई हक नहीं है।

इतना ही नहीं जब पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिकी संसद में भाषण दे रहे थे, तब इल्हान उमर ने इसका विरोध किया था। यही वजह है कि राहुल गांधी के साथ तस्‍वीर वायरल होने के बाद अब इसपर विवाद भी शुरू हो गया है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जारी की 32 उम्मीदवारों की लिस्ट, उमर अब्दुल्ला इस सीट से लड़ेंगे विधानसभा चुनाव

#national_conference_32_candidates_list_omar_abdullah_ganderbal_seat

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तारीखें सामने चुकी हैं। सभी दल अपनी-अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं और उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भी कर रहे हैं। इस बीच जम्मू -कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 32 उम्मीदवारों की एक और लिस्ट जारी की है। इससे पहले पार्टी ने 18 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। खास बात ये भी है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला भी चुनाव लड़ेंगे।

नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा जारी दूसरी सूची के अनुसार, उमर अब्दुल्ला गांदरबल से, तनवीर सादिक जदीबल से, मियां मेहर अली कंगन से, सलमान सागर हजरतबल से, अली मोहम्मद सागर खानयार से, शमीमा फिरदौस हब्बा कदल से, मुश्ताक गुरु चनापोरा से चुनाव लड़ेंगे। लाल चौक से अहसान परदेसी और ईदगाह से मुबारक गुल चुनाव लडे़ंगे।

गांदरबल सीट काफी दिलचस्प होने वाली है।गंदेरबल को नेशनल कॉन्फ्रेंस का मजबूत गढ़ माना जाता है, क्योंकि इस सीट से अब्दुल्ला परिवार की तीन पीढ़ियों ने जीत दर्ज की है। 1977 में नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला यहां से जीते थे। 1983, 1987 और 1996 में उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला और 2008 में उमर अब्दुल्ला ने यहां से जीत दर्ज की। 2014 में नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर ही शेख इश्फाक जब्बार ने गंदेरबल से सीट जीती थी। इससे पहले वे कांग्रेस के टिकट पर इसी सीट से हार चुके हैं।

कराब 5 साल बाद हो रहे जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है।दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। कुल 90 विधानसभा सीटों में से नेशनल कॉन्फ्रेंस 51 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस 32 सीटों पर फाइट करेगी, जबकि पांच सीटों पर फ्रेंडली फाइट होगी। इसके अलावा दो सीट सहयोगी दल सीपीआईएम और पैंथर्स के लिए छोड़ी गई है।

फारूख अब्दुल्ला या उमर कौन लड़ेगा चुनाव? नेशनल कांफ्रेंस में पिता-पुत्र को लेकर असमंजस बरकरार
#national_conference_farooq_or_omar_who_will_contest_assembly_election

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का एलान हो चुका है। पहले चरण का चुनाव 18 सितंबर को होगा, दूसरे चरण का चुनाव 25 सितंबर तो तीसरे चरण का चुनाव 1 अक्टूबर को होगा। चुनाव की घोषणा के बाद से जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। इस बीच नेशनल कांफ्रेंस में असमंजस की स्थिति बरकरार है। सवाल उठ रहे हैं कि नेशनल कांफ्रेंस से पिता पारूख अब्दुल्ला और बेटे उमर के बीच कौन चुनावी मैदान में नजर आएगा?

चुनाव की तारीखों के एलान के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मैं ये चुनाव लड़ूंगा, उमर अब्दुल्ला चुनाव नहीं लड़ेंगे। जब राज्य का दर्जा मिल जाएगा तो मैं पद छोड़ दूंगा और उस सीट पर उमर अब्दुल्ला चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हम राज्य का दर्जा चाहते हैं, न केवल एनसी बल्कि जम्मू-कश्मीर की सभी पार्टियां ऐसा चाहती हैं। यह भारत सरकार का वादा है कि पूर्ण राज्य का दर्जा होगा।

दरअसल, विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर उमर को लेकर असमंजस इसलिए है क्योंकि उन्होंने 2020 में यह दावा कर दिया था कि जबतक जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता, वह विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। 2019 में जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद इसे राज्य से बदलकर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। उमर ने इसी के विरोध में यह सियासी प्रतिज्ञा कर ली थी। लेकिन, परिस्थितियां दावे के विपरीत दिखने लगीं तो उन्होंने हाल ही एक बयान दिया, जिसमें इस बात के संकेत दिए थे कि वह अपने वादे को दूर रखकर चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं।

नेशनल कॉन्फ्रेंस लोकसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन का हिस्सा थी, लेकिन पार्टी को उमर अब्दुल्ला जैसे नेता के रूप में बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा, जहां बारामुला में वह यूएपीए केस में जेल में बंद इंजीनियर राशिद से हार गए। अब उनके विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर भी संशय है।
गया के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) में कमांडेंट अवार्ड समारोह का हुआ आयोजन, कैडेट्स को मेडल देकर किया गया पुरस्कृत

गया। गया-बोधगया मुख्य सड़क मार्ग पर पहाड़पुर गांव के पास स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) परिसर में कमांडेंट अवार्ड समारोह का आयोजन किया गया. इस समारोह में वैसे कैडेट्स को पुरस्कृत किया गया, जिन्होंने अपने प्रशिक्षण के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है. गया ओटीए के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह मिन्हास द्वारा कैडेट्स को विभिन्न प्रकार के मेडल से पुरस्कृत किया गया. 

इस मौके पर उन्होंने अपने संबोधन में यहां से पासआउट होने वाले ऑफिसर्स को शुभकामनाएं दी. मालूम हो कि इस बार यहां पासिंग आउट परेड आगामी 8 जून को है. उसके पूर्व संध्या पर मल्टी एक्टिविटी डिस्प्ले का आयोजन किया जाएगा. जिसमें बहादुर जवानों द्वारा एक-से-बढ़कर एक रोमांचक करतब प्रस्तुत किया जाएगा. इस बार गया ओटीए से 118 कैडेट्स पास आउट हो रहे है.

खून के बदले रक्त लेने के बाद ही दिया जाता है खून, ब्लड बैंकों द्वारा कहीं कालाबाजारी तो नहीं किया जा रहा : मनीष पंकज

गया। आज राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन द्वारा शहर के कई सरकारी एवं गैर-सरकारी अस्पतालों एवं ब्लड बैंकों में मरीजों को मिलने वाले सुविधाओं, ब्लड कि कमी एवं मरीजों को हो रहें दिक्कत एवं शोषण मामले को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा सर्वेक्षण किया गया। 

प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रदेश अध्यक्ष डॉ मनीष पंकज मिश्रा एवं कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष राणा रंजीत सिंह द्वारा इस संबंध में आयोजित बैठक में कहा कि खून के बदले रक्त लेने के बाद ही जब खून दिया जाता है तो खून का कृत्रिम संकट दिखला कर कहीं ब्लड बैंकों द्वारा कालाबाजारी तो नहीं हो रहा है। इसकी जांच होनी चाहिए। 

क्या है जमात-ए-इस्लामी? केन्द्र ने लगाया है प्रतिबंध, अब उमर अब्दुल्ला ने की बैन हटाने की मांग*
#omar_abdullah_demand_lift_ban_jamaat_e_islami

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित से जमात-ए-इस्लामी से प्रतिबंध हटाने की मांग की है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र को जमात-ए-इस्लामी पर से प्रतिबंध हटा देना चाहिए ताकि संगठन जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में हिस्सा ले सके। इससे पहले दिन में, संगठन के पूर्व प्रमुख गुलाम कादिर वानी ने कहा था कि अगर केंद्र 2019 में संगठन पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा लेता है तो उनका संगठन विधानसभा चुनाव में भाग लेगा। उत्तरी कश्मीर के बारामुला जिले के टंगमर्ग में चुनाव प्रचार के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वो केंद्रीय गृह मंत्री से आग्रह करते हैं कि जमात-ए-इस्लामी पर से फौरन प्रतिबंध को हटा लिया जाए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी जो वो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से दूसरी पार्टियों या उम्मीदवारों के लिए काम करती है उसे भी चाहिए कि वो चुनावी मैदान में वह अपने उम्मीदवार उतारकर अपनी किस्मत आमाए। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मरकज से उनकी गुजारिश है कि जमात-ए-इस्लामी पर जो प्रतिबंध लगाया गया है उसे हटा देना चाहिए ताकि आने वाले विधानसभा चुनाव जो जुलाई-अगस्त में होने हैं उसमें इस संगठन की तरफ से उनके अपने उम्मीदवार खड़े हो सकें। उन्होंने कहा कि कई बार खबरें ऐसी खबरें सामने आई हैं कि जमात-ए-इस्लामी ने कई उम्मीदवारों की या पार्टियों की मदद की है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जमात को आगे होवे वाले चुनावों में पूरे जोर के साथ हिस्सा लेना चाहिए। इससे पहले जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के पूर्व प्रमुख गुलाम कादिर वानी ने भी बुधवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार 2019 में संगठन पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा देती है तो उनका संगठन आगामी विधानसभा चुनावों में भाग ले सकता है। श्रीनगर लोकसभा सीट पर बीते सोमवार को मतदान करने बाद वानी ने कहा था कि उनका संगठन लोकतांत्रिक प्रक्रिया में यकीन रखता है, और पहले हुए चुनावों में भी हिस्सा ले चुका है।
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ChaiApps is all about providing the pleasant, aromatic flavor of traditional Indian tea, which warms hearts everywhere. In fact, ChaiApps proudly sells over 2 lacs kulhad chai every day in India alone, demonstrating its everlasting devotion to delighting tea lovers with every drink.

ChaiApps, founded by CEO Satvir Singh and co-founder Nitin Tomar, originated in 2017 as a concept in the corridors of Indira Gandhi Airport. Driven by a desire to deliver real Indian flavours, the founders set out on a quest to transform the tea industry. Years of extensive research and effort culminated in the opening of the first ChaiApps location in Gurgaon in 2020.

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As ChaiApps continues to write its success narrative, the brand stays dedicated to its fundamental values of excellence, customer satisfaction, and building long term connections. With its headquarters in the heart of New Delhi, ChaiApps is more than just a brand; it represents the rich tapestry of Indian flavours and hospitality.

In a world where tastes evolve and trends fade, ChaiApps stands out as a symbol of tradition, flavor, and innovation. ChaiApps, with its consistent commitment to quality, transparency, and customer satisfaction, ChaiApps invites newbies to join its journey of spreading happiness and flavours. As the aroma of Indian spices fills the air, ChaiApps continues to transform the culinary landscape, one sip at a time.

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पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस की राहें जुदा, महबूबा मुफ्ती की पार्टी घाटी की सभी 3 लोकसभा सीटों पर लड़ेगी चुनाव

#mehbooba_mufti_denied_alliance_with_omar_abdullah_national_conference_in_jammu_kashmir

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग में कुछ ही दिन बाकी है और उससे पहले जम्मू- कश्मीर भी उस सूची में शामिल हो गया है जहां इंडिया गठबंधन के सहयोगी एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कश्मीर में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी कश्मीर की तीनों सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। इसके लिए मंथन चल रहा है। एक से दो दिन में प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की जाएगी।

दरअसल, जब नेशनल कॉन्फ्रेंस ने लोकसभा चुनाव को लेकर अपने उम्मीदवारों की घोषणा करनी शुरू कर दी। इस पर महबूबा मुफ्ती ने भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। पीडीपी मुखिया नेशनल कॉन्फ्रेंस के फैसले से आहत हैं। उन्होंने अपना दर्द भी बयां किया है। महबूबा ने कहा, उमर अब्दुल्ला के रवैये से मैं और मेरी पार्टी के कार्यकर्ता आहत हैं। आहत कार्यकर्ताओं से नेशनल कॉन्फ्रेंस को समर्थन देने की बात कैसे कहूं। हमारे बीच इंडिया गठबंधन में फारूक अब्दुल्ला वरिष्ठ नेता थे। वो कॉल करके बता सकते थे कि वो खुद चुनाव लडेंगे। हमने निर्णय लिया है कि हम लोकसभा चुनाव लडेंगे।

मुफ्ती ने कहा, उमर अब्दुल्ला ने पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के साथ हुई बातचीत का भी अनादर किया और पीडीपी पर यह आरोप लगाया कि पार्टी का कोई वजूद नहीं। ऐसे में नेशनल कॉन्फ्रेंस की तरफ हाथ बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है। अब नेशनल कांफ्रेंस की तरफ से दोस्ती का हाथ बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है। पीडीपी सभी तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी लेकिन जम्मू की दो सीट पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। 

दरअसल, पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस देश स्तर पर विपक्षी गठबंधन इंडिया का हिस्सा हैं और प्रदेश स्तर पर ‘पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन’ यानी पीएजीडी में साथ हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस पहले ही एलान कर चुकी है कि जम्मू कश्मीर की पांच सीटों में से तीन पर उम्मीदवार उतारेगी, जो कश्मीर घाटी में आती हैं। इनमें अनंतनाग-राजोरी, श्रीनगर, बारामुला सीट शामिल है।नेकां ने जम्मू संभाग की दो लोकसभा सीटों को कांग्रेस को समर्थन दिया है। कांग्रेस ने जम्मू में रमण भल्ला और उधमपुर में चौधरी लाल सिंह को मैदान में उतारा है। मंगलवार को फारूक अब्दुल्ला रमण भल्ला के नामांकन के दौरान जम्मू पहुंचे थे। सोमवार को उमर अब्दुल्ला ने अनंतनाग-राजोरी सीट से अपने पहले उम्मीदवार मियां अल्ताफ के नाम की घोषणा कर दी है।

जम्मू कश्मीर ही नहीं विपक्षी दलों का गठबंधन 'इंडिया' में दूसरे राज्यों में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। बंगाल और पंजाब में पहले ही इंडिया गठबंधन के बीच बात नहीं बनी। इंडिया गठबंधन में शामिल दल यहां अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे। बिहार में सीट बंटवारे के ऐलान के बाद भी सब कुछ ठीक नहीं। भले ही बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) 26 और कांग्रेस 9, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) तीन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) एक-एक सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है लेकिन पूर्णिया सीट सीट ने पूरे बिहार में महागठबंधन की टेंशन बढ़ा दी है। घोषणा के अनुसार, कांग्रेस को पूर्णिया लोकसभा छोड़ने के लिए मजबूर किया गया जहां से पप्पू यादव को चुनाव लड़ने की उम्मीद थी। पप्पू यादव ने दावा किया है कि उन्हें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने कांग्रेस से टिकट मिलने का आश्वासन दिया था। पूर्णिया सीट से बीमा भारती को उम्मीदवार बनाया है जिन्होंने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। वहीं पप्पू यादव अब भी अपनी जिद पर कायम हैं और कहा है कि मर जाएंगे लेकिन पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे।

वहीं यूपी जैसे बड़े राज्य में एक नया गठबंधन बनने से 'इंडिया' गठबंधन की चुनौती और भी बढ़ गई है। 'इंडिया' गठबंधन से अलग होकर अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल ने एक नया गठबंधन बनाया है। अपना दल (कमेरावादी) और मजलिस ए इत्तेहाद उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के बीच नया गठबंधन बना है।

जम्मू-कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया देखने आए 16 देशों के राजनयिक, नाराज उमर बोले- यह अच्छा नहीं

#omarabdullahondelegationofdiplomatsvisitingjammukashmir_elections

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में मतदान हो रहा है। इसी बीच विदेशों से वरिष्ठ राजनयिकों का एक हाई लेवल डेलिगेशन जम्मू-कश्मीर पहुंचा, जो जम्मू-कश्मीर में चल रहे चुनाव की प्रक्रिया को देखने पहुंचे। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको, गुयाना, दक्षिण कोरिया, सोमालिया, पनामा, सिंगापुर, नाइजीरिया, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, नॉर्वे, तंजानिया, रवांडा, अल्जीरिया समेत 16 देशों के राजनयिक जम्मू-कश्मीर दौरे पर हैं। लेकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि यह बात अच्छी नहीं है।

विदेशी राजनायिकों के दौरे पर विवाद

जम्मू-कश्मीर में मतदान प्रक्रिया देखने के लिए आए विदेशी प्रतिनिधिमंडल के दौरे पर जेकेएनसी के उपाध्यक्ष और उम्मीदवार उमर अब्दुल्ला ने कहा, "मैं इसे समझ नहीं पा रहा हूं। जब वही लोग जम्मू-कश्मीर पर टिप्पणी करते हैं, तो भारत सरकार एक बयान जारी करती है कि जम्मू-कश्मीर हमारा आंतरिक मामला है और दूसरों को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अगर आप हस्तक्षेप या उनकी टिप्पणियों को नहीं चाहते हैं, तो उन्हें यहां क्यों लाया जा रहा है?

उमर अब्दुल्ला ने उठाया सवाल

उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि सरकार ने पिछले 6-7 वर्षों में लोगों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन भारत सरकार सारा श्रेय चाहती है। अगर राजनयिकों को यहां लाया जा सकता है, तो विदेशी पत्रकारों को यहां आकर चुनाव कवर करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है। राजनयिकों को गाइडेड टूरिस्ट के तौर पर यहां लाया जा रहा है। यह अच्छा नहीं है।

'वोट डालने के लिए यहां आए लोगों के बीच होना अद्भुत है'

श्रीनगर के बेमिना में एसडीए मतदान केंद्र पर भारत में दक्षिण कोरियाई दूतावास के डीसीएम लिम सांग वू कहते हैं, "मैं पहली बार यहां आया हूं। यह बहुत खूबसूरत है। वोट डालने के लिए यहां आए लोगों के बीच होना अद्भुत है। मैं वाकई जोश से भरा उत्साह देख रहा हूं और यह वास्तव में लोकतंत्र का काम है। इसलिए, बधाई। यह अच्छी तरह से आयोजित किया गया है। मैं छोटे बच्चों को उनके माता-पिता के साथ देखकर खुश था... मुझे लगता है कि वे अपने माता-पिता से यह सीखने आए हैं कि लोकतंत्र कैसे काम करता है। यह वाकई प्रभावशाली था..."

तंजानिया के राजनयिक ने क्या कहा?

श्रीनगर के बेमिना में एसडीए मतदान केंद्र पर तंजानिया के एक राजनयिक देव कहते हैं, "मैं देख रहा हूं कि लोग मतदान करने के लिए उत्साहित हैं और वे अपने साथ बच्चों को भी ला रहे हैं ताकि वे सीख सकें कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया क्या है, मैंने इस तरह की प्रथा पहले कभी नहीं देखी, यह मेरा पहला मौका है। इसलिए, यह बहुत अच्छा है। "

सिंगापुर राजनयिक ने क्या कहा?

श्रीनगर के बेमिना में SDM मतदान केंद्र पर, सिंगापुर हाईकमीशन की ऐलिस चेंग ने कहा कि संगठन सिंगापुर के से काफी मिलता-जुलता है. जहां आप लोगों के लिए इसे सरल बनाने के लिए सरकारी बिल्डिंग का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए, हम इस यात्रा के आयोजन के लिए विदेश मंत्रालय के शुक्रगुजार हैं. हम आएं और चल रहे मतदान को देखा

अमेरिका में भारत विरोधी इल्हान उमर से राहुल गांधी ने क्यों की मुलाकात? बीजेपी ने घेरा

#america_rahul_gandhi_ilhan_omar_meeting

राहुल गांधी अमेरिका के तीन दिनों के दौरे पर हैं। अमेरिकी दौरे पर गए कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों से मुलाकात की है। इसी क्रम में वो वाशिंगटन के रेबर्न हाउस में अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों से मिले। इस मुलाकात के बाद एक तस्वीर सामने आई है। इस तस्वीर में राहुल के साथ एक ऐसा चेहरा नजर आया, जिसे लेकर विवाद हो गया। दरअशल, वो चेहरा चेहरा इल्हान उमर का है,जो भारत और हिंदुओं से घृणा को लेकर अक्सर चर्चा में रहती हैं।उमर अमेरिकी संसद के निचले सदन की सदस्य हैं।

इल्हान उमर अमेरिकी सांसदों के उस समूह का हिस्सा थीं जिसने वाशिंगटन डीसी के रेबर्न हाउस में कॉन्ग्रेस नेता के साथ बैठक की। इसकी मेजबानी अमेरिकी सांसद ब्रेडली जेम्स शेरमन ने की। उमर के अलावा इस बैठक में सांसद जोनाथन जैकसन, रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति, बारबरा ली, श्री थानेदार, जीसस जी ग्रासिया, हैंक जॉनसन और जैन शाकोवस्की भी शामिल थे। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार सूत्रों ने बताया कि राहुल गाँधी ने अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू से भी मुलाकात की है।

राहुल की इल्हान की मुलाकात पर भारतीय जनता पार्टी ने सवाल उठाया है।बीजेपी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा है कि सिख विरोधी, आरक्षण विरोधी बयान देने और विदेशी जमीन से भारतीय संस्थानों पर सवाल उठाने के बाद, राहुल गांधी अब एक पार्टी का विरोध करते हुए भारत विरोधी तत्वों से मिल रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। कौन हैं इल्हान उमर? अमेरिकी कांग्रेस में भारत के खिलाफ प्रस्ताव लाईं, पाकिस्तान के दौरे पर गईं। प्रायोजित यात्रा और भारत की संप्रभुता का उल्लंघन किया।

बता दें कि अपने भारत विरोधी बयान के लिए पहचाने जाने वाली इल्हान उमर पाकिस्‍तान की चहेती है। वो जम्‍मू-कश्‍मीर को पाकिस्‍तान का हिस्‍सा बता चुकी हैं। उमर 2022 में पाकिस्‍तान गई थी. इस दौरान वो पाकिस्‍तानी अधिकृत कश्‍मीर में भी पहुंची। यह पूरा दौरा पाकिस्‍तान द्वारा प्रयोजित था। वो पाकिस्‍तान के पीएम शाहबाज शरीफ से भी मिली थी। तब इल्हान उमर ने यह बयान भी दिया था कि पीओके पाकिस्‍तान का अहम हिस्‍सा है। इसपर भारत का कोई हक नहीं है।

इतना ही नहीं जब पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिकी संसद में भाषण दे रहे थे, तब इल्हान उमर ने इसका विरोध किया था। यही वजह है कि राहुल गांधी के साथ तस्‍वीर वायरल होने के बाद अब इसपर विवाद भी शुरू हो गया है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जारी की 32 उम्मीदवारों की लिस्ट, उमर अब्दुल्ला इस सीट से लड़ेंगे विधानसभा चुनाव

#national_conference_32_candidates_list_omar_abdullah_ganderbal_seat

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तारीखें सामने चुकी हैं। सभी दल अपनी-अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं और उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भी कर रहे हैं। इस बीच जम्मू -कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 32 उम्मीदवारों की एक और लिस्ट जारी की है। इससे पहले पार्टी ने 18 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। खास बात ये भी है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला भी चुनाव लड़ेंगे।

नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा जारी दूसरी सूची के अनुसार, उमर अब्दुल्ला गांदरबल से, तनवीर सादिक जदीबल से, मियां मेहर अली कंगन से, सलमान सागर हजरतबल से, अली मोहम्मद सागर खानयार से, शमीमा फिरदौस हब्बा कदल से, मुश्ताक गुरु चनापोरा से चुनाव लड़ेंगे। लाल चौक से अहसान परदेसी और ईदगाह से मुबारक गुल चुनाव लडे़ंगे।

गांदरबल सीट काफी दिलचस्प होने वाली है।गंदेरबल को नेशनल कॉन्फ्रेंस का मजबूत गढ़ माना जाता है, क्योंकि इस सीट से अब्दुल्ला परिवार की तीन पीढ़ियों ने जीत दर्ज की है। 1977 में नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला यहां से जीते थे। 1983, 1987 और 1996 में उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला और 2008 में उमर अब्दुल्ला ने यहां से जीत दर्ज की। 2014 में नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर ही शेख इश्फाक जब्बार ने गंदेरबल से सीट जीती थी। इससे पहले वे कांग्रेस के टिकट पर इसी सीट से हार चुके हैं।

कराब 5 साल बाद हो रहे जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है।दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। कुल 90 विधानसभा सीटों में से नेशनल कॉन्फ्रेंस 51 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस 32 सीटों पर फाइट करेगी, जबकि पांच सीटों पर फ्रेंडली फाइट होगी। इसके अलावा दो सीट सहयोगी दल सीपीआईएम और पैंथर्स के लिए छोड़ी गई है।

फारूख अब्दुल्ला या उमर कौन लड़ेगा चुनाव? नेशनल कांफ्रेंस में पिता-पुत्र को लेकर असमंजस बरकरार
#national_conference_farooq_or_omar_who_will_contest_assembly_election

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का एलान हो चुका है। पहले चरण का चुनाव 18 सितंबर को होगा, दूसरे चरण का चुनाव 25 सितंबर तो तीसरे चरण का चुनाव 1 अक्टूबर को होगा। चुनाव की घोषणा के बाद से जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। इस बीच नेशनल कांफ्रेंस में असमंजस की स्थिति बरकरार है। सवाल उठ रहे हैं कि नेशनल कांफ्रेंस से पिता पारूख अब्दुल्ला और बेटे उमर के बीच कौन चुनावी मैदान में नजर आएगा?

चुनाव की तारीखों के एलान के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मैं ये चुनाव लड़ूंगा, उमर अब्दुल्ला चुनाव नहीं लड़ेंगे। जब राज्य का दर्जा मिल जाएगा तो मैं पद छोड़ दूंगा और उस सीट पर उमर अब्दुल्ला चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हम राज्य का दर्जा चाहते हैं, न केवल एनसी बल्कि जम्मू-कश्मीर की सभी पार्टियां ऐसा चाहती हैं। यह भारत सरकार का वादा है कि पूर्ण राज्य का दर्जा होगा।

दरअसल, विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर उमर को लेकर असमंजस इसलिए है क्योंकि उन्होंने 2020 में यह दावा कर दिया था कि जबतक जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता, वह विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। 2019 में जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद इसे राज्य से बदलकर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। उमर ने इसी के विरोध में यह सियासी प्रतिज्ञा कर ली थी। लेकिन, परिस्थितियां दावे के विपरीत दिखने लगीं तो उन्होंने हाल ही एक बयान दिया, जिसमें इस बात के संकेत दिए थे कि वह अपने वादे को दूर रखकर चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं।

नेशनल कॉन्फ्रेंस लोकसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन का हिस्सा थी, लेकिन पार्टी को उमर अब्दुल्ला जैसे नेता के रूप में बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा, जहां बारामुला में वह यूएपीए केस में जेल में बंद इंजीनियर राशिद से हार गए। अब उनके विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर भी संशय है।
गया के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) में कमांडेंट अवार्ड समारोह का हुआ आयोजन, कैडेट्स को मेडल देकर किया गया पुरस्कृत

गया। गया-बोधगया मुख्य सड़क मार्ग पर पहाड़पुर गांव के पास स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) परिसर में कमांडेंट अवार्ड समारोह का आयोजन किया गया. इस समारोह में वैसे कैडेट्स को पुरस्कृत किया गया, जिन्होंने अपने प्रशिक्षण के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है. गया ओटीए के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह मिन्हास द्वारा कैडेट्स को विभिन्न प्रकार के मेडल से पुरस्कृत किया गया. 

इस मौके पर उन्होंने अपने संबोधन में यहां से पासआउट होने वाले ऑफिसर्स को शुभकामनाएं दी. मालूम हो कि इस बार यहां पासिंग आउट परेड आगामी 8 जून को है. उसके पूर्व संध्या पर मल्टी एक्टिविटी डिस्प्ले का आयोजन किया जाएगा. जिसमें बहादुर जवानों द्वारा एक-से-बढ़कर एक रोमांचक करतब प्रस्तुत किया जाएगा. इस बार गया ओटीए से 118 कैडेट्स पास आउट हो रहे है.

खून के बदले रक्त लेने के बाद ही दिया जाता है खून, ब्लड बैंकों द्वारा कहीं कालाबाजारी तो नहीं किया जा रहा : मनीष पंकज

गया। आज राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन द्वारा शहर के कई सरकारी एवं गैर-सरकारी अस्पतालों एवं ब्लड बैंकों में मरीजों को मिलने वाले सुविधाओं, ब्लड कि कमी एवं मरीजों को हो रहें दिक्कत एवं शोषण मामले को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा सर्वेक्षण किया गया। 

प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रदेश अध्यक्ष डॉ मनीष पंकज मिश्रा एवं कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष राणा रंजीत सिंह द्वारा इस संबंध में आयोजित बैठक में कहा कि खून के बदले रक्त लेने के बाद ही जब खून दिया जाता है तो खून का कृत्रिम संकट दिखला कर कहीं ब्लड बैंकों द्वारा कालाबाजारी तो नहीं हो रहा है। इसकी जांच होनी चाहिए। 

क्या है जमात-ए-इस्लामी? केन्द्र ने लगाया है प्रतिबंध, अब उमर अब्दुल्ला ने की बैन हटाने की मांग*
#omar_abdullah_demand_lift_ban_jamaat_e_islami

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित से जमात-ए-इस्लामी से प्रतिबंध हटाने की मांग की है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र को जमात-ए-इस्लामी पर से प्रतिबंध हटा देना चाहिए ताकि संगठन जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में हिस्सा ले सके। इससे पहले दिन में, संगठन के पूर्व प्रमुख गुलाम कादिर वानी ने कहा था कि अगर केंद्र 2019 में संगठन पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा लेता है तो उनका संगठन विधानसभा चुनाव में भाग लेगा। उत्तरी कश्मीर के बारामुला जिले के टंगमर्ग में चुनाव प्रचार के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वो केंद्रीय गृह मंत्री से आग्रह करते हैं कि जमात-ए-इस्लामी पर से फौरन प्रतिबंध को हटा लिया जाए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी जो वो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से दूसरी पार्टियों या उम्मीदवारों के लिए काम करती है उसे भी चाहिए कि वो चुनावी मैदान में वह अपने उम्मीदवार उतारकर अपनी किस्मत आमाए। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मरकज से उनकी गुजारिश है कि जमात-ए-इस्लामी पर जो प्रतिबंध लगाया गया है उसे हटा देना चाहिए ताकि आने वाले विधानसभा चुनाव जो जुलाई-अगस्त में होने हैं उसमें इस संगठन की तरफ से उनके अपने उम्मीदवार खड़े हो सकें। उन्होंने कहा कि कई बार खबरें ऐसी खबरें सामने आई हैं कि जमात-ए-इस्लामी ने कई उम्मीदवारों की या पार्टियों की मदद की है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जमात को आगे होवे वाले चुनावों में पूरे जोर के साथ हिस्सा लेना चाहिए। इससे पहले जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के पूर्व प्रमुख गुलाम कादिर वानी ने भी बुधवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार 2019 में संगठन पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा देती है तो उनका संगठन आगामी विधानसभा चुनावों में भाग ले सकता है। श्रीनगर लोकसभा सीट पर बीते सोमवार को मतदान करने बाद वानी ने कहा था कि उनका संगठन लोकतांत्रिक प्रक्रिया में यकीन रखता है, और पहले हुए चुनावों में भी हिस्सा ले चुका है।
ChaiApps: Crafting a Global Culinary Legacy.

In a world full of foodies, one name is quickly becoming the most popular: ChaiApps. ChaiApps, a unique combination of classic and inventive tastes with new age twists, is about more than simply amazing taste; it's about feeling well. ChaiApps has been identified with quality and authenticity, offering over 25 organic tea varieties that are quite popular in India. From humble beginnings to become India's favorite culinary brand in the world.

ChaiApps is all about providing the pleasant, aromatic flavor of traditional Indian tea, which warms hearts everywhere. In fact, ChaiApps proudly sells over 2 lacs kulhad chai every day in India alone, demonstrating its everlasting devotion to delighting tea lovers with every drink.

ChaiApps, founded by CEO Satvir Singh and co-founder Nitin Tomar, originated in 2017 as a concept in the corridors of Indira Gandhi Airport. Driven by a desire to deliver real Indian flavours, the founders set out on a quest to transform the tea industry. Years of extensive research and effort culminated in the opening of the first ChaiApps location in Gurgaon in 2020.

ChaiApps has grown rapidly since its inception, with plans to open over 100 stores across India by 2022. But ChaiApps' aims go well beyond national borders. The brand's objective is to promote the joy of Indian flavours over the world by making its famous Kulhad Chai a household name. ChaiApps plans to establish 150 shops in India over the next two years, as well as 25 outlets in the UAE, Oman, Qatar, and Saudi Arabia, as part of its international expansion.

ChaiApps distinguishes itself in the competitive market with its unique offerings and business model. Operating with a chef-less approach provides consistency and quality, while ChaiApps' low-risk management and quick return on investment of 8-10 months make it an appealing opportunity for aspiring entrepreneurs. ChaiApps uses technology for data and inventory management, resulting in efficient operations and seamless customer experiences. ChaiApps develops confidence and credibility among its partners and consumers by maintaining complete transparency and avoiding hidden charges.

Aside from its signature Kulhad Chai, ChaiApps has a diverse menu, catering to every craving imaginable. From delectable burgers and pizzas to soothing Maggie and momos, each dish is meticulously prepared using unique and effective raw materials, resulting in an average gross profit of 50-60%.

As ChaiApps continues to write its success narrative, the brand stays dedicated to its fundamental values of excellence, customer satisfaction, and building long term connections. With its headquarters in the heart of New Delhi, ChaiApps is more than just a brand; it represents the rich tapestry of Indian flavours and hospitality.

In a world where tastes evolve and trends fade, ChaiApps stands out as a symbol of tradition, flavor, and innovation. ChaiApps, with its consistent commitment to quality, transparency, and customer satisfaction, ChaiApps invites newbies to join its journey of spreading happiness and flavours. As the aroma of Indian spices fills the air, ChaiApps continues to transform the culinary landscape, one sip at a time.

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In a world full of foodies, one name is quickly becoming the most popular: ChaiApps. ChaiApps, a unique combination of classic and inventive tastes with new age twists, is about more than simply amazing taste; it's about feeling well. ChaiApps has been identified with quality and authenticity, offering over 25 organic tea varieties that are quite popular in India. From humble beginnings to become India's favorite culinary brand in the world.

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पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस की राहें जुदा, महबूबा मुफ्ती की पार्टी घाटी की सभी 3 लोकसभा सीटों पर लड़ेगी चुनाव

#mehbooba_mufti_denied_alliance_with_omar_abdullah_national_conference_in_jammu_kashmir

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग में कुछ ही दिन बाकी है और उससे पहले जम्मू- कश्मीर भी उस सूची में शामिल हो गया है जहां इंडिया गठबंधन के सहयोगी एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कश्मीर में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी कश्मीर की तीनों सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। इसके लिए मंथन चल रहा है। एक से दो दिन में प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की जाएगी।

दरअसल, जब नेशनल कॉन्फ्रेंस ने लोकसभा चुनाव को लेकर अपने उम्मीदवारों की घोषणा करनी शुरू कर दी। इस पर महबूबा मुफ्ती ने भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। पीडीपी मुखिया नेशनल कॉन्फ्रेंस के फैसले से आहत हैं। उन्होंने अपना दर्द भी बयां किया है। महबूबा ने कहा, उमर अब्दुल्ला के रवैये से मैं और मेरी पार्टी के कार्यकर्ता आहत हैं। आहत कार्यकर्ताओं से नेशनल कॉन्फ्रेंस को समर्थन देने की बात कैसे कहूं। हमारे बीच इंडिया गठबंधन में फारूक अब्दुल्ला वरिष्ठ नेता थे। वो कॉल करके बता सकते थे कि वो खुद चुनाव लडेंगे। हमने निर्णय लिया है कि हम लोकसभा चुनाव लडेंगे।

मुफ्ती ने कहा, उमर अब्दुल्ला ने पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के साथ हुई बातचीत का भी अनादर किया और पीडीपी पर यह आरोप लगाया कि पार्टी का कोई वजूद नहीं। ऐसे में नेशनल कॉन्फ्रेंस की तरफ हाथ बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है। अब नेशनल कांफ्रेंस की तरफ से दोस्ती का हाथ बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है। पीडीपी सभी तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी लेकिन जम्मू की दो सीट पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। 

दरअसल, पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस देश स्तर पर विपक्षी गठबंधन इंडिया का हिस्सा हैं और प्रदेश स्तर पर ‘पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन’ यानी पीएजीडी में साथ हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस पहले ही एलान कर चुकी है कि जम्मू कश्मीर की पांच सीटों में से तीन पर उम्मीदवार उतारेगी, जो कश्मीर घाटी में आती हैं। इनमें अनंतनाग-राजोरी, श्रीनगर, बारामुला सीट शामिल है।नेकां ने जम्मू संभाग की दो लोकसभा सीटों को कांग्रेस को समर्थन दिया है। कांग्रेस ने जम्मू में रमण भल्ला और उधमपुर में चौधरी लाल सिंह को मैदान में उतारा है। मंगलवार को फारूक अब्दुल्ला रमण भल्ला के नामांकन के दौरान जम्मू पहुंचे थे। सोमवार को उमर अब्दुल्ला ने अनंतनाग-राजोरी सीट से अपने पहले उम्मीदवार मियां अल्ताफ के नाम की घोषणा कर दी है।

जम्मू कश्मीर ही नहीं विपक्षी दलों का गठबंधन 'इंडिया' में दूसरे राज्यों में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। बंगाल और पंजाब में पहले ही इंडिया गठबंधन के बीच बात नहीं बनी। इंडिया गठबंधन में शामिल दल यहां अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे। बिहार में सीट बंटवारे के ऐलान के बाद भी सब कुछ ठीक नहीं। भले ही बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) 26 और कांग्रेस 9, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) तीन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) एक-एक सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है लेकिन पूर्णिया सीट सीट ने पूरे बिहार में महागठबंधन की टेंशन बढ़ा दी है। घोषणा के अनुसार, कांग्रेस को पूर्णिया लोकसभा छोड़ने के लिए मजबूर किया गया जहां से पप्पू यादव को चुनाव लड़ने की उम्मीद थी। पप्पू यादव ने दावा किया है कि उन्हें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने कांग्रेस से टिकट मिलने का आश्वासन दिया था। पूर्णिया सीट से बीमा भारती को उम्मीदवार बनाया है जिन्होंने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। वहीं पप्पू यादव अब भी अपनी जिद पर कायम हैं और कहा है कि मर जाएंगे लेकिन पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे।

वहीं यूपी जैसे बड़े राज्य में एक नया गठबंधन बनने से 'इंडिया' गठबंधन की चुनौती और भी बढ़ गई है। 'इंडिया' गठबंधन से अलग होकर अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल ने एक नया गठबंधन बनाया है। अपना दल (कमेरावादी) और मजलिस ए इत्तेहाद उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के बीच नया गठबंधन बना है।