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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख बने रहेंगे मोहम्मद यूनुस, इमरजेंसी मीटिंग के बाद “यूटर्न

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस अपने पद पर बने रहेंगे।बांग्लादेश के अंतरिम मुखिया मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की अटकलों के बीच बुलाई गई आपात बैठक के बाद ये साफ हो गया है कि यूनुस फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे। उनके मंत्रिमंडल के एक सलाहकार ने शनिवार को यह जानकारी दी। दो दिन पहले यूनुस के एक प्रमुख सहयोगी ने कहा था कि वह इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। अब उन्होंने इसे पूरी तरह से नकार दिया है।

शनिवार को सलाहकार परिषद की एक गैर-निर्धारित बैठक के बाद योजना सलाहकार वहीदुद्दीन महमूद ने कहा कि यूनुस ने यह नहीं कहा था कि वह पद छोड़ देंगे। उन्होंने कहा था कि हमें सौंपे गए काम और जिम्मेदारियों को पूरा करने में कई बाधाएं आ रही हैं, लेकिन हम उन पर काबू पाने की कोशिश रहे हैं। वहीदुद्दीन महमूद ने आगे कहा- वे निश्चित रूप से बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी सलाहकार कहीं नहीं जा रहा है क्योंकि हमें सौंपी गई जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है; हम इस कर्तव्य को नहीं छोड़ सकते। यह बयान ऐसे समय आया है जब यूनुस के इस्तीफे की अटकलें दो दिन पहले सामने आई थीं।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को अपने प्रशासन, राजनीतिक दलों और सेना के बीच बढ़ती असहजता की समीक्षा के लिए सलाहकार परिषद की एक बैठक बुलाई थी। इससे पहले यूनुस ने मुख्य सलाहकार के पद से हटने की इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने बदलाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति न बन पाने के कारण काम करने में आ रहीं परेशानियों का हवाला दिया था।

देश की राजनीति इस समय अस्थिरता के दौर से गुजर रही है। अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार को सत्ता से हटाए जाने के बाद से हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। विरोधी पार्टियों, छात्र संगठनों और ट्रेड यूनियनों ने पिछले कुछ दिनों में ढाका की सड़कों पर प्रदर्शन तेज कर दिया है। यूनुस की सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को भंग कर दिया है और उसके कई वरिष्ठ नेताओं को जेल भेज दिया है। इधर बीएनपी की मांग है कि जल्द से जल्द चुनाव की तारीख घोषित की जाए। पार्टी ने इस सप्ताह बड़े प्रदर्शन भी किए हैं। साथ ही, उन्होंने कैबिनेट से छात्र प्रतिनिधियों को हटाने की मांग की है, जबकि एनसीपी ने दो सलाहकारों को हटाने की बात कही है, जिन पर बीएनपी के हित में काम करने का आरोप है।

जंग की आहट से ख़ौफ़ज़दा पाकिस्तान, 2022 से खाली पड़े एनएसए के पद पर आनन-फानन की नियुक्ति

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पाकिस्तान को भारत की ओर से हमले का डर सता रहा है। खौफजदा पाकिस्तान ने आधी रात को बड़ा कदम उठाया। आनन-फानन में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद असीम मलिक को पाकिस्तान का नया राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) नियुक्त किया गया है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि मलिक को अतिरिक्त प्रभार के तौर पर एनएसए का पद दिया गया है। उनकी नियुक्ति के बारे में एक औपचारिक अधिसूचना भी जारी की गई है।

इतिहास में पहली बार

भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच अपने आधी रात को एक नोटिफिकेशन जारी किया। इसके मुताबिक, खुफिया एजेंसी आईएसआई यानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद आसिम मलिक को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। आसिम मलिक पाकिस्तान के 10वें NSA हैं, लेकिन यह पहली बार है, जब एक मौजूदा आईएसआई प्रमुख को दोनों महत्वपूर्ण पदों पर एक साथ काम करने की जिम्मेदारी दी गई है।

2022 से यह पद खाली था पद

पहलगाम हमले के बाद बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) नियुक्त किया है। 2022 से यह पद खाली था। तब मुईद यूसुफ ने पद से इस्तीफा दे दिया था। मलिक की नियुक्ति 29 अप्रैल को की गई है, लेकिन मीडिया में इसकी जानकारी बुधवार देर रात आई। इससे एक दिन पहले ही यानी 30 अप्रैल को भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन किया। खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी को इसका अध्यक्ष बनाया।

कौन है आसिम मलिका?

मुहम्मद आसिम मलिक पिछले साल सितंबर 2024 से आईएसआई का प्रमुख है। वह अपनी रणनीतिक विशेषज्ञता और सैन्य अनुभव के लिए जाना जाता है। वह पाकिस्तान में जासूसों का सरदार है। वह पाकिस्तान सैन्य अकादमी के 80वें लॉन्ग कोर्स के दौरान स्वॉर्ड ऑफ ऑनर विजेता रह चुका है। अमेरिका के फोर्ट लेवनवर्थ और यूके के रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज से ट्रेंड है। उसने बलूचिस्तान और वजीरिस्तान में अहम सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया है। इसलिए पाकिस्तान ने एक बार फिर उस पर भरोसा जताया है।

भारत के कहर से डरा पाक

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से ही पाकिस्तान छटपटा रहा है। उसे डर है कि भारत आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा। आतंकवाद का पनाहगार होने के नाते भारत का कहर उस पर ही बरसेगा। उसके कई मंत्री ऐसे बयान भी दे चुके हैं कि भारत उस पर कभी भी हमला कर सकता है। इस बीच भारतीय सेना को फ्री हैंड दे दिया गया है और बीते दिनों भारत सरकार द्वारा कई बैठकें की गईं। इसे लेकर पाकिस्तान प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।

टाइम मैगजीन की टॉप 100 प्रभावशाली हस्तियों की लिस्ट में यूनुस को जगह, एक भी भारतीय नहीं

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हाल के सालों में वैश्विक स्तर पर भारत ने अलग पहचान बनाई है। देश का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दुनियाभर के कई देशों ने अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया है। हालांकि, हैरानी की बात है कि इस साल टाइम की टॉप 100 वाली लिस्ट में एक भी भारतीय को जगह नहीं दी गई है। जी हां, टाइम मैगजीन की 2025 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में टैरिफ से टेंशन देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से लेकर भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले बांग्लादेश के मुखिया मोहम्मद यूनुस का नाम है।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का नाम भी

17 अप्रैल को जारी की गई टाइम मैगजीन की 2025 की वार्षिक सूची में राजनीति, विज्ञान, कला और सक्रियता के क्षेत्र से जुड़े लोगों को शामिल किया गया है। मैगजीन की इस एनुअल लिस्ट को 'लीडर्स', 'आइकॉन्स' और 'टाइटन्स' जैसी कई कैटेगरी में बांटा गया है। 'लीडर्स' की लिस्ट में अन्य प्रमुख हस्तियों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का नाम भी शामिल है।

मोहम्मद यूनुस प्रभावशाली लोगों की सूची में

मोहम्मद यूनुस को टाइम मैगजीन की 100 प्रभावशाली हस्तियों की सूची में जगह पिछले साल छात्रों के विद्रोह के चलते शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश का मुख्य सलाहकार बनने के बाद दी गई है। वहीं, इस साल किसी भारतीय को दुनिया के सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में जगह नहीं मिली है।

भारतीय मूल की रेशमा केवलरमानी शामिल

हालांकि इस साल भारतीय मूल की रेशमा केवलरमानी को इस सूची में जगह दी गई है। टाइम मैग्जीन ने अपने लीडर्स खंड में रेशमा को शामिल किया है। रेशमा केवलरमानी फार्मास्यूटिकल कंपनी वर्टेक्स की सीईओ हैं। वह जब 11 साल की थी, तभी उनका परिवार अमेरिका में बस गया था। रेशमा अमेरिका की सबसे बड़ी दवा कंपनियों में से एक वर्टेक्स की पहली महिला सीईओ भी हैं।

2024 में इन भारतीयों को मिली थी जगह

बता दें कि 2024 में बॉलीवुड एक्टर आलिया भट्ट और ओलंपियन पहलवान साक्षी मलिक इस लिस्ट में शामिल होने वाले कुछ भारतीय चेहरों में से थे। इस साल किसी भी भारतीय के इस लिस्ट में न होने पर सबको हैरानी हो रही है। सोशल मीडिया पर बहस हो रही है। यह तब है जब टेक, कूटनीति और कला के क्षेत्र में भारत हर दिन नए आयाम गढ़ रहा है।

आग से खेलोगे तो जल जाओगे…', किसपर भड़कीं शेख हसीना?

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर मोहम्मद यूनुस पर निशाना साधा है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग पार्टी की नेता शेख हसीना ने देश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस पर कड़ा हमला बोला है। हसीना ने यूनुस को आत्मकेंद्रित और सत्ता का भूखा इंसान बताया। यही नहीं, हसीना ने यूनुस को चेताया है कि अगर आप आग से खेलेंगे तो यह आपको भी जलाकर राख कर देगी।

8 मिनट के एक ऑनलाइन वीडियो में शेख हसीना ने कहा, यूनुस एक पैसों के लालची और सत्ता के भूखो शख्स है जो बांग्लादेश को बर्बाद करने पर तुले हुए है। उसने विदेशी ताकतों के साथ मिलकर साजिश रची है। हसीना ने यह भी आरोप लगाया कि यूनुस, बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी पार्टी के साथ मिलकर अवामी लीग के नेताओं को परेशान कर रहा है और उन्हें मार रहा है।

हसीने ने यूनुस को चेताया

हसीना ने गुस्से में पूछा, युनूस सरकार में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई से जुड़े निशान मिटाए जा रहे हैं। हमने हर जिले में मुक्ति योद्धा स्मारक बनाए थे, लेकिन उन्हें जलाया जा रहा है। आजादी के नायकों का अपमान हो रहा है। क्या यूनुस इसका जवाब दे सकेंगे? उन्होंने चेतावनी दी, यूनुस, अगर आग से खेलेंगे, तो वह आग उन्हें ही जला देगी।

अबू सईद की मौत पर उठाया सवाल

अपने भाषण में शेख हसीना ने कोटा आंदोलन के दौरान मारे गए अबू सईद की मौत को लेकर भी बड़ा दावा किया। अबू सईद को आंदोलन का हीरो माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सईद की मौत पुलिस की जानबूझकर की गई हत्या थी। शेख हसीना ने इस बात को पूरी तरह नकार दिया और कहा कि ये आरोप गलत और भड़काने वाले हैं।

यूनुस पर साजिश रचने का आरोप

शेख हसीना ने कहा, जब प्रदर्शनकारी पुलिस पर पत्थर फेंक रहे थे, तब पुलिस ने सिर्फ रबर की गोलियां चलाई थीं। अबू सईद के सिर पर पत्थर से चोट लगी थी, लेकिन सवाल ये है कि 7.62 एमएम की असली गोली कहां से आई? वो गोली किसने चलाई?

हसीना ने आरोप लगाया कि जब एक अफसर ने इस मामले की जांच शुरू की तो यूनुस ने उसे हटा दिया। उन्होंने कहा, अगर अबू सईद का शव दोबारा निकाला जाए और सही जांच हो तो पता चल जाएगा कि सारी हत्याएं एक साजिश थीं। हसीना ने साफ कहा, ना मैंने, ना अवामी लीग ने और ना ही पुलिस ने सईद को मारा, बल्कि पुलिस खुद हिंसा की शिकार थी। इसके बावजूद हिंसा करने वालों को मुआवजा दिया गया। क्या उन्हें सज़ा मिलेगी? नहीं क्योंकि ये सब यूनुस की सोची-समझी चाल थी।

बांग्लादेश बर्बादी की कगार पर पहुंच गया-हसीना

हसीना ने कहा कि यूनुस के राज में बांग्लादेश बर्बादी की कगार पर पहुंच गया और मेहनतकश बांग्लादेशियों की उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं। हजारों कारखाने बंद हो गए। अवामी लीग के नेताओं से जुड़े बिजनेस, होटल और अस्पताल तक जला दिए गए। उन्होंने कहा, टॉप डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया गया। राजनीतिक कार्यकर्ताओं को पुलिस की वर्दी दी गई है। क्या वे नौकरी के लिए योग्य हैं? किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया और बीएनपी लूटपाट में व्यस्त है।

बता दें कि शेख हसीना पिछले साल अगस्त में तख्तापलट के बाद भारत आ गई थीं। निर्वासन में रहते हुए वह सोशल मीडिया के जरिए अपनी पार्टी के नेताओं से बात करती हैं।

ढीली पड़ी बांग्लादेश की ऐंठन, पीएम मोदी से मुलाकात चाहते हैं मोहम्मद यूनुस

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बांग्लादेश एक तरफ तो भारत के दुश्मनों से नजदीकियां बढ़ा रहा है, वहीं भारत के साथ बेवजह की दुश्मनी पाल रहा है। अल्पसंख्यकों पर हिंसा और भारत के साथ संबंधों में तनाव के बीच बांग्लादेश ने भारत से संपर्क किया है। बांग्लादेश की तरफ से इच्छा जाहिर की गई है कि अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के साथ पीएम नरेन्द्र मोदी की मुलाकात हो जाए। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस अगले महीने थाईलैंड में आमने-सामने होने वाले हैं, लेकिन इस दौरान दोनों के बीच औपचारिक मुलाकात की संभावना नहीं है। मुलाकात को लेकर भारत की तरफ से इस बारे में कोई उत्साह नहीं दिखाया गया है।

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश ने अप्रैल के पहले हफ्ते में बैंकॉक में मोहम्मद यूनुस और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच एक द्विपक्षीय बैठक कराने को लेकर भारत से संपर्क किया है। दरअसल, दोनों देशों के नेता 2 से 4 अप्रैल तक बैंकॉक में आयोजित 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग ले सकते हैं। इसे देखते हुए बांग्लादेश ने दोनों नेताओं के बीच बैठक आयोजित कराने के लिए संपर्क किया है।

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बांग्लादेश के अंतरिम सरकार में विदेशी मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहिद हुसैन ने कहा, हमने बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक आयोजित कराने को लेकर भारत के साथ कूटनीतिक संपर्क किया है।

भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव

बता दें कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से ही भारत के साथ रिश्तों में तनाव देखा जा रहा है। भारत ने बांग्लादेश के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों के साथ ही बिगड़ती कानून व्यवस्था और चरमपंथियों की जेलों से रिहाई को लेकर चिंताओं को अंतरिम सरकार के सामने रखा है। वहीं, यूनुस सरकार ने भारत में मौजूद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मौजूदगी के बारे में चिंता जाहिर की है और उनके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है। इसके अलावा नदियों के पानी बंटवारे और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने जैसे मुद्दों को लेकर दोनों के बीच गतिरोध है।

बांग्लादेशी राजदूत ने अपनी ही सरकार को घेरा, मोहम्मद यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

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शेख हसीने के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। मोहम्मद यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरता अपने चरम पर है। मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने से दुनिया भर में यूनुस सरकार की निंदा हुई है। भारत ने भी हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर कई बार बांग्लादेश सरकार को कड़े कदम उठाने को लेकर बोल चुका है। लेकिन यूनुस सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस बीच मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा है।

राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाया है। रशीद का कहना है कि यूनुस बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष संरचना को तोड़ने और शेख हसीना की सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं।

हारुन अल रशीद ने फेसबुक पर पोस्ट कर मोहम्मद यूनुस पर जमकर निशाना साधा। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

कौन हैं हारुन अल रशीद?

बांग्लादेश सरकार ने अक्टूबर, 2023 में मोहम्मद हारुन अल रशीद को मोरक्को में बांग्लादेश का राजदूत नियुक्त किया था। मोहम्मद हारुन अल रशीद बांग्लादेश सिविल सेवा (विदेश मामले) कैडर के 20वें बैच से आते हैं। उन्होंने 2001 में सेवा में शामिल होने के बाद कनाडा में बांग्लादेश उच्चायोग में मंत्री और उप उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है। वह रोम, काहिरा, मैक्सिको सिटी और मैड्रिड में बांग्लादेश मिशनों में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।

मोहम्मद यूनुस सार्क को फिर जिंदा करना चाहते हैं, पाकिस्तान बना मददगार, लेकिन भारत क्यों नहीं चाहता?

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने एक बार फिर दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) को पुनर्जीवित करने की जरूरत पर जोर दिया।संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग में उन्होंने सार्क को पुनर्जीवित करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि दक्षिण एशिया के नेताओं को क्षेत्रीय लाभ के लिए सार्क को सक्रिय बनाना चाहिए, भले ही भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चली आ रही शत्रुता जैसी चुनौतियां मौजूद हों।उन्होंने कहा है कि इन दोनों देशों के बीच की समस्याओं का असर दक्षिण एशिया के अन्य देशों पर नहीं पड़ना चाहिए और क्षेत्र में एकता और सहयोग का आह्वान किया।

सार्क संगठन की शिखर बैठक वर्ष 2016 में होने वाली थी लेकिन भारत समेत इसके अन्य सभी देशों ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ इसका विरोध किया और बैठक नहीं हो सकी। उसके बाद सार्क की बात भी कोई देश नहीं कर रहा था लेकिन पूर्व पीएम शेख हसीना को सत्ता से बाहर करने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इसको हवा देने में जुटी है

19 दिसंबर को मिस्त्र में बांग्लादेश के सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के बीच एक महत्वपूर्ण मुलाकात हुई थी। इस बैठक में सार्क को फिर से सक्रिय करने की बात कही गई। पाकिस्तानी पीएम ने बांग्लादेश को सुझाव दिया कि वह सार्क सम्मेलन की मेजबानी करे। इस पर मोहम्मद यूनुस ने भी सहमति जताई और दोनों नेताओं ने इस योजना को आगे बढ़ाने की बात कही। पाकिस्तान की मंशा थी कि इस मंच के बहाने अलग थलग पड़े पाकिस्तान को दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अपनी भूमिका मजबूत करने का मौका मिल सके।

बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया (मुख्य सलाहकार) प्रोफेसर मोहम्मद युनूस की तरफ से दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) को ठंडे बस्ते से निकालने की कोशिश पर भारत ने बेहद ठंडी प्रतिक्रिया जताई है।भारत ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वर्तमान में सार्क को पुनर्जीवित करने का कोई औचित्य नहीं है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल से पूछा गया तो उनका जवाब था कि, “जहां तक क्षेत्रीय सहयोग की बात है तो भारत इसके लिए लगातार कोशिश करता रहा है। इसके लिए हम कई प्लेटफॉर्म के जरिए आगे बढ़ना चाहते हैं। इसमें बिम्सटेक (भारत, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार और थाइलैंड का संगठन) है जिसमें कई हमारे पड़ोसी देश जुड़े हुए हैं। सार्क भी ऐसा ही एक संगठन है लेकिन यह लंबे समय से ठंडा पड़ा हुआ है और क्यों ठंडा पड़ा हुआ है, इसके बारे में सब जानते हैं।'

भारत ने इसलिए सार्क से बनाई दूरी

दक्षिण एशिया में सार्क का महत्व यूरोपीय संघ (EU), आसियान और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) जैसे वैश्विक संगठनों की सफलता के उदाहरणों से प्रेरित है। हालांकि पाकिस्तान के साथ तनाव के कारण भारत ने धीरे-धीरे इसमें दिलचस्पी कम कर दी। 2016 में पाकिस्तान में हुए शिखर सम्मेलन में भारत ने हिस्सा नहीं लिया था। भारत ने 2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना के शिविर पर हुए हमले के बाद पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन दिए जाने पर चिंता जताई थी। उस हमले में उन्नीस भारतीय सैनिक मारे गए थे। हमले के बाद भारत ने शिखर सम्मेलन से अपना नाम वापस ले लिया। भारत जैसे बड़े देश की ओर से दूरी बनाने के बाद नेपाल, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, मालदीव और शेख हसीना के नेतृत्व वाले बांग्लादेश ने भी सार्क में अपनी दिलचस्पी कम कर दी।

पाकिस्तान ने पहले भी सार्क को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया है

यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान ने सार्क को पुनर्जीवित करने की इच्छा व्यक्त की है।डॉन के अनुसार, दिसंबर 2023 में तत्कालीन कार्यवाहक प्रधान मंत्री अनवारुल हक काकर ने भी सार्क के पुनरुद्धार की आशा व्यक्त की थी। काकर ने कहा, "मैं इस अवसर पर सार्क प्रक्रिया के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता को दोहराना चाहूंगा। मुझे विश्वास है कि संगठन के सुचारू संचालन में मौजूदा बाधाएं दूर हो जाएंगी, जिससे सार्क सदस्य देश पारस्परिक रूप से लाभकारी क्षेत्रीय सहयोग के मार्ग पर आगे बढ़ सकेंगे।" लेकिन भारत सार्क के पुनरुद्धार के खिलाफ रहा है।

बांग्लादेश और पाकिस्तान सार्क को पुनर्जीवित क्यों करना चाहते हैं?

यह व्यापार और अर्थव्यवस्था ही है जिसके कारण बांग्लादेश और पाकिस्तान सार्क के पुनरुद्धार के पक्ष में हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है और वह अपने दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कर्ज ले रहा है। उसने खाड़ी देशों से भी कर्ज लिया है।शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश ने अच्छी आर्थिक वृद्धि देखी थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह बुरी तरह से विफल हो गया है। इसकी आर्थिक दुर्दशा के लिए भ्रष्टाचार को दोषी ठहराया जाता है। अपनी अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस और शरीफ दोनों ही सार्क पर नज़र गड़ाए हुए हैं। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि सार्क की बात करते समय उनके दिमाग में व्यापार का मुद्दा था।इसमें कहा गया, "शरीफ ने बांग्लादेश के कपड़ा और चमड़ा क्षेत्र में निवेश करने में पाकिस्तान की रुचि व्यक्त की।"

क्यों नहीं है भारत को सार्क की जरूरत?

हमें यह याद रखना होगा कि इस समूह में सबसे बड़ा खिलाड़ी भारत है, जो एक आर्थिक महाशक्ति है। भारत उन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जो अभी भी उच्च दर से बढ़ रही है जबकि बड़ी अर्थव्यवस्थाएं लड़खड़ा रही हैं। एसएंडपी का अनुमान है कि सालाना 7% से अधिक की दर से बढ़ते हुए भारत 2030-31 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारत जी-20 और ब्रिक्स सहित कई समूहों का भी हिस्सा है। व्यापार और व्यवसाय के मामले में, सार्क को भारत की जरूरत है, न कि इसके विपरीत। भारत को अपने सदस्यों के साथ संबंध बनाए रखने के लिए, यदि आवश्यक हो, तो समूह की जरूरत है। यह काम नई दिल्ली द्विपक्षीय रूप से भी कर सकता है, बिना किसी बहुपक्षीय मंच के।

अमेरिका ने घुमाया बांग्लादेश के यूनुस को फोन, जयशंकर के यूएस दौरे से पहले हिंदू हिंसा को लेकर लगाई फटकार

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बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा के लिए अमेरिका ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को कड़ी फटकार लगाई है। अमेरिका ने मोहम्मद यूनुस को नसीहत दी है और अल्पसंख्यकों पर किसी तरह के अत्याचार न करने के लिए खबरदार किया है। ये सब तब हुआ है जब एक दिन पहले ही बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने भारत सरकार को पत्र लिखा है। इस पत्र में बांग्लादेश ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस भेजने यानी प्रत्यर्पण की मांग की है। इन दोनों घटनाक्रमों के बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर आज से 6 दिन के अमेरिकी दौरे पर हैं। उनके अमेरिका पहुंचने से पहले ही भारत का ग्लोबल पावर देखने को मिला है।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने सोमवार को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से बातचीत की। अमेरिकी सरकार द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज के अनुसार सुलिवन ने चुनौतीपूर्ण समय में बांग्लादेश का नेतृत्व करने के लिए यूनुस को धन्यवाद भी दिया। प्रेस रिलीज में कहा गया कि दोनों नेताओं ने सभी लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान करने और उनकी रक्षा करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।

बाइडेन प्रशासन द्वारा डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता हस्तांतरण के पहले बांग्लादेश में की गई इस कॉल के कई मायने निकाले जा रहे हैं। सुलिवन की ये बातचीत बाइडेन प्रशासन के आखिरी महीने में हुई है, जिससे संदेश मिल रहे हैं कि व्हाइट हाउस में आने वाला नया प्रशासन यूनुस को मनमर्जी नहीं करने देगा।

भारत की बड़ी कूटनीतिक!

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी आज से 6 दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा का मुद्दा भारत ने जोर-शोर से उठाया है। माना जा रहा है कि जयशंकर अमेरिका में भी इस बात को रखेंगे। लेकिन इधर जयशंकर की फ्लाइट उड़ी, उधर पहले ही बांग्लादेश में फोन खनखनाने लगा। अमेरिका में यूनुस को डांट लगाई, तो उन्होंने सुरक्षा देने पर हामी भी भर दी। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक पारी का परिणाम माना जा रहा है

बांग्लादेश के मुद्दे पर भारत का सख्त संदेश

जयशंकर का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा चिंता का मुख्य विषय बनी हुई है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों से भारत में गहरा असंतोष है। इन हालातों में भारत सरकार ने बांग्लादेश पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई है। माना जा रहा है कि जयशंकर अपनी इस यात्रा में अमेरिका के सहयोग से बांग्लादेश को कड़ा संदेश देंगे। इससे पहले अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी साफ कर चुके हैं क‍ि बांग्‍लादेश को ह‍िन्‍दुओं की सुरक्षा करनी ही होगी।

अमेरिकी संसद में उठा मुद्दा

सुलिवन और यूनुस के बीच बातचीत ऐसे समय पर हुई है जब हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस (संसद) में भारतीय मूल के सदस्य श्री थानेदार ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों का मुद्दा उठाया था। थानेदार ने कहा था कि अब समय आ गया है कि संसद इस मामले पर कार्रवाई करे। थानेदार ने अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में कहा था, बहुसंख्यक भीड़ ने हिंदू मंदिरों, हिंदू देवी-देवताओं और शांतिपूर्वक अपने धर्म का पालन करने वाले हिंदुओं को बर्बाद कर दिया है। उन्होंने कहा था, अब समय आ गया है कि अमेरिकी कांग्रेस और अमेरिकी सरकार कार्रवाई करे।

ज्यादा दिनों तक सच नहीं छुपा सका बांग्लादेश, यूनुस सरकार ने मानी हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की बात

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बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद से हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।मोहम्मद यूनुस के सत्ता संभालते ही हिंदुओं पर हमले होने लगे। हालांकि, हर बार वहां की अंतरिम सरकार ने

इन घटनाओं से इंकार किया और भारतीय मीडिया पर दुश्प्रचार का आरोप मढ़ा। हालांकि सच को कब तक छुपाया जाता। भारत ने बारा-बार इस पर कड़ा ऐतराज जताया। जिसके बाद बांग्लादेश ने मंगलवार को स्वीकार किया कि अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं हैं।

हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाएं

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बांग्लादेश ने मंगलवार को स्वीकार किया कि अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाएं हुईं। हालांकि, बांग्लादेश ने अपनी पीठ थपथपाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। अब बांग्लादेश की यूनुस सरकार अपने एक्शन की वाहवाही कर रही है। अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा कि इन घटनाओं में 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

गिरफ्तारियों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना

अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने संवाददाताओं को बताया कि पांच अगस्त से 22 अक्टूबर तक अल्पसंख्यकों से संबंधित घटनाओं में कुल 88 मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा, "मामलों और गिरफ्तारियों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि पूर्वोत्तर सुनामगंज, मध्य गाजीपुर और अन्य क्षेत्रों में भी हिंसा के नए मामले सामने आए हैं।" उन्होंने कहा कि ऐसे मामले भी हो सकते हैं जहां कुछ पीड़ित पिछली सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य रहे हों। सरकार अब तक इस बात पर जोर देती रही है कि कुछ घटनाओं को छोड़कर, हिंदुओं पर उनकी आस्था के कारण हमला नहीं किया गया। आलम ने कहा कि 22 अक्टूबर के बाद हुई घटनाओं का ब्यौरा जल्द ही साझा किया जाएगा।

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी के दौरे का असर?

यह खुलासा ऐसे समय किया है जब एक दिन पहले विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बांग्लादेशी नेतृत्व के साथ बैठक के दौरान अल्पसंख्यकों पर हमलों की अफसोसजनक घटनाओं को उठाया था और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित भारत की चिंताओं से अवगत कराया था।

200 से अधिक हमले का आरोप

बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों में बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है। मंदिरों पर हमले भी हुए हैं। विशेष रूप से हाल ही में एक हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी हुई है। भारत सहित कई देशों ने हिंदुओं को निशाना बनाए जाने पर बार-बार चिंता व्यक्त की है। शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को 5 अगस्त को अपदस्थ किए जाने के बाद से बांग्लादेश के 50 से अधिक जिलों में हिंदुओं पर 200 से अधिक हमले होने के आरोप हैं।

बांग्लादेश का एक और भारत विरोधी कदम, कोलकाता-त्रिपुरा से वापस बुलाए डिप्लोमेट्स

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बांग्लादेश और भारत के संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं। शेख हसीने के देश छोड़ने के बाद से लगातार बांग्लादेशी की अंतरिम सरकार भारत विरोधी रूख अपनाए हुए है। बांग्लादेश में लगातार चल रही हिंदू विरोधी हिंसा और मंदिरों में तोड़फोड़ के बीच वहां 'बॉयकॉट इंडिया' कैंपेन भी शुरू हुआ है। अपने यहां भड़की हिंसा की आग को बुझाने के बजाय अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने एक और ऐसा कदम उठा दिया है, जो सीधेतौर पर वहां बढ़ते भारत विरोध की झलकी पेश कर रहा है। दरअसल, बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने भारत से अपने 2 डिप्लोमेट्स को वापस बुला लिया है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की है।

भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने भारत से अपने 2 डिप्लोमेट्स को वापस बुला लिया है। बांग्लादेश ने त्रिपुरा के अगरतला में बांग्लादेश सहायक उच्चायोग पर हमले और कोलकाता में बांग्लादेश उप उच्चायोग के सामने विरोध प्रदर्शन के बाद इन दोनों डिप्लोमेट्स को तत्काल ढाका वापस बुला लिया है।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की है कि बंगाल से राजनयिक वापस बांग्लादेश लौट आए हैं, जबकि त्रिपुरा के सहायक उच्चायुक्त के भी आज ढाका लौटने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि कोलकाता में बांग्लादेश के कार्यवाहक उप उच्चायुक्त शिकदार मोहम्मद अशरफुर रहमान और त्रिपुरा में सहायक उच्चायुक्त आरिफुर रहमान को पिछले मंगलवार को तत्काल आधार पर ढाका लौटने का निर्देश दिया गया था।

क्यों भारत से बुलाए डिप्लोमेट्स?

बता दें कि हाल ही में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बांग्लादेश के राजनयिक मिशन में तोड़फोड़ हुई थी। बाद में इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। कैम्पस में घुसपैठ के मामले में 4 पुलिस अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई थी। वहीं, बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त को तलब कर घटना का विरोध जताया गया था। साथ ही बांग्लादेश ने अगरतला में अपनी काउंसलर सर्विस भी बंद करने का ऐलान किया था। अब बांग्लादेश ने त्रिपुरा से अपने डिप्लोमेट को वापस बुला लिया है।

हिंदुओं पर अत्याचार, विरोध में भारत

भारत सरकार लगातार बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर बयान जारी कर रही है। भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। साथ ही घर्मगुरू चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ भी सरकार ने शांतिपूर्ण विरोध जताया था। बता दें कि हाल ही में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के बड़े धार्मिक चेहरे चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन पर कथित भड़काऊ भाषण देने के लिए राजद्रोह का केस लगाया है।

अब बांग्लादेश में 'बॉयकॉट इंडिया'

उधर, अगरतला-कोलकाता की घटना के जवाब में बांग्लादेश में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। गुरुवार को बांग्लादेशी नेताओं ने ढाका में भारतीय साड़ी जलाकर इंडियन प्रोडक्ट्स को बायकॉट करने की अपील की।

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी ने ढाका में भारत विरोधी प्रदर्शन करते हुए अपनी पत्नी की भारतीय साड़ी को जलाया। इस दौरान उन्होंने भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने सार्वजनिक रूप से भारतीय साड़ी जलाते हुए लोगों से भारतीय सामान न खरीदने की अपील की। उन्होंने कहा, जिन लोगों ने हमारे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया है, हम उनका सामान खरीदकर उनका समर्थन नहीं करेंगे। हमारी माताएं-बहनें अब भारतीय साड़ी नहीं पहनेंगी।"

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख बने रहेंगे मोहम्मद यूनुस, इमरजेंसी मीटिंग के बाद “यूटर्न

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस अपने पद पर बने रहेंगे।बांग्लादेश के अंतरिम मुखिया मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की अटकलों के बीच बुलाई गई आपात बैठक के बाद ये साफ हो गया है कि यूनुस फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे। उनके मंत्रिमंडल के एक सलाहकार ने शनिवार को यह जानकारी दी। दो दिन पहले यूनुस के एक प्रमुख सहयोगी ने कहा था कि वह इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। अब उन्होंने इसे पूरी तरह से नकार दिया है।

शनिवार को सलाहकार परिषद की एक गैर-निर्धारित बैठक के बाद योजना सलाहकार वहीदुद्दीन महमूद ने कहा कि यूनुस ने यह नहीं कहा था कि वह पद छोड़ देंगे। उन्होंने कहा था कि हमें सौंपे गए काम और जिम्मेदारियों को पूरा करने में कई बाधाएं आ रही हैं, लेकिन हम उन पर काबू पाने की कोशिश रहे हैं। वहीदुद्दीन महमूद ने आगे कहा- वे निश्चित रूप से बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी सलाहकार कहीं नहीं जा रहा है क्योंकि हमें सौंपी गई जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है; हम इस कर्तव्य को नहीं छोड़ सकते। यह बयान ऐसे समय आया है जब यूनुस के इस्तीफे की अटकलें दो दिन पहले सामने आई थीं।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को अपने प्रशासन, राजनीतिक दलों और सेना के बीच बढ़ती असहजता की समीक्षा के लिए सलाहकार परिषद की एक बैठक बुलाई थी। इससे पहले यूनुस ने मुख्य सलाहकार के पद से हटने की इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने बदलाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति न बन पाने के कारण काम करने में आ रहीं परेशानियों का हवाला दिया था।

देश की राजनीति इस समय अस्थिरता के दौर से गुजर रही है। अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार को सत्ता से हटाए जाने के बाद से हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। विरोधी पार्टियों, छात्र संगठनों और ट्रेड यूनियनों ने पिछले कुछ दिनों में ढाका की सड़कों पर प्रदर्शन तेज कर दिया है। यूनुस की सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को भंग कर दिया है और उसके कई वरिष्ठ नेताओं को जेल भेज दिया है। इधर बीएनपी की मांग है कि जल्द से जल्द चुनाव की तारीख घोषित की जाए। पार्टी ने इस सप्ताह बड़े प्रदर्शन भी किए हैं। साथ ही, उन्होंने कैबिनेट से छात्र प्रतिनिधियों को हटाने की मांग की है, जबकि एनसीपी ने दो सलाहकारों को हटाने की बात कही है, जिन पर बीएनपी के हित में काम करने का आरोप है।

जंग की आहट से ख़ौफ़ज़दा पाकिस्तान, 2022 से खाली पड़े एनएसए के पद पर आनन-फानन की नियुक्ति

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पाकिस्तान को भारत की ओर से हमले का डर सता रहा है। खौफजदा पाकिस्तान ने आधी रात को बड़ा कदम उठाया। आनन-फानन में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद असीम मलिक को पाकिस्तान का नया राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) नियुक्त किया गया है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि मलिक को अतिरिक्त प्रभार के तौर पर एनएसए का पद दिया गया है। उनकी नियुक्ति के बारे में एक औपचारिक अधिसूचना भी जारी की गई है।

इतिहास में पहली बार

भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच अपने आधी रात को एक नोटिफिकेशन जारी किया। इसके मुताबिक, खुफिया एजेंसी आईएसआई यानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद आसिम मलिक को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। आसिम मलिक पाकिस्तान के 10वें NSA हैं, लेकिन यह पहली बार है, जब एक मौजूदा आईएसआई प्रमुख को दोनों महत्वपूर्ण पदों पर एक साथ काम करने की जिम्मेदारी दी गई है।

2022 से यह पद खाली था पद

पहलगाम हमले के बाद बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) नियुक्त किया है। 2022 से यह पद खाली था। तब मुईद यूसुफ ने पद से इस्तीफा दे दिया था। मलिक की नियुक्ति 29 अप्रैल को की गई है, लेकिन मीडिया में इसकी जानकारी बुधवार देर रात आई। इससे एक दिन पहले ही यानी 30 अप्रैल को भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन किया। खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी को इसका अध्यक्ष बनाया।

कौन है आसिम मलिका?

मुहम्मद आसिम मलिक पिछले साल सितंबर 2024 से आईएसआई का प्रमुख है। वह अपनी रणनीतिक विशेषज्ञता और सैन्य अनुभव के लिए जाना जाता है। वह पाकिस्तान में जासूसों का सरदार है। वह पाकिस्तान सैन्य अकादमी के 80वें लॉन्ग कोर्स के दौरान स्वॉर्ड ऑफ ऑनर विजेता रह चुका है। अमेरिका के फोर्ट लेवनवर्थ और यूके के रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज से ट्रेंड है। उसने बलूचिस्तान और वजीरिस्तान में अहम सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया है। इसलिए पाकिस्तान ने एक बार फिर उस पर भरोसा जताया है।

भारत के कहर से डरा पाक

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से ही पाकिस्तान छटपटा रहा है। उसे डर है कि भारत आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा। आतंकवाद का पनाहगार होने के नाते भारत का कहर उस पर ही बरसेगा। उसके कई मंत्री ऐसे बयान भी दे चुके हैं कि भारत उस पर कभी भी हमला कर सकता है। इस बीच भारतीय सेना को फ्री हैंड दे दिया गया है और बीते दिनों भारत सरकार द्वारा कई बैठकें की गईं। इसे लेकर पाकिस्तान प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।

टाइम मैगजीन की टॉप 100 प्रभावशाली हस्तियों की लिस्ट में यूनुस को जगह, एक भी भारतीय नहीं

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हाल के सालों में वैश्विक स्तर पर भारत ने अलग पहचान बनाई है। देश का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दुनियाभर के कई देशों ने अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया है। हालांकि, हैरानी की बात है कि इस साल टाइम की टॉप 100 वाली लिस्ट में एक भी भारतीय को जगह नहीं दी गई है। जी हां, टाइम मैगजीन की 2025 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में टैरिफ से टेंशन देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से लेकर भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले बांग्लादेश के मुखिया मोहम्मद यूनुस का नाम है।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का नाम भी

17 अप्रैल को जारी की गई टाइम मैगजीन की 2025 की वार्षिक सूची में राजनीति, विज्ञान, कला और सक्रियता के क्षेत्र से जुड़े लोगों को शामिल किया गया है। मैगजीन की इस एनुअल लिस्ट को 'लीडर्स', 'आइकॉन्स' और 'टाइटन्स' जैसी कई कैटेगरी में बांटा गया है। 'लीडर्स' की लिस्ट में अन्य प्रमुख हस्तियों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का नाम भी शामिल है।

मोहम्मद यूनुस प्रभावशाली लोगों की सूची में

मोहम्मद यूनुस को टाइम मैगजीन की 100 प्रभावशाली हस्तियों की सूची में जगह पिछले साल छात्रों के विद्रोह के चलते शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश का मुख्य सलाहकार बनने के बाद दी गई है। वहीं, इस साल किसी भारतीय को दुनिया के सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में जगह नहीं मिली है।

भारतीय मूल की रेशमा केवलरमानी शामिल

हालांकि इस साल भारतीय मूल की रेशमा केवलरमानी को इस सूची में जगह दी गई है। टाइम मैग्जीन ने अपने लीडर्स खंड में रेशमा को शामिल किया है। रेशमा केवलरमानी फार्मास्यूटिकल कंपनी वर्टेक्स की सीईओ हैं। वह जब 11 साल की थी, तभी उनका परिवार अमेरिका में बस गया था। रेशमा अमेरिका की सबसे बड़ी दवा कंपनियों में से एक वर्टेक्स की पहली महिला सीईओ भी हैं।

2024 में इन भारतीयों को मिली थी जगह

बता दें कि 2024 में बॉलीवुड एक्टर आलिया भट्ट और ओलंपियन पहलवान साक्षी मलिक इस लिस्ट में शामिल होने वाले कुछ भारतीय चेहरों में से थे। इस साल किसी भी भारतीय के इस लिस्ट में न होने पर सबको हैरानी हो रही है। सोशल मीडिया पर बहस हो रही है। यह तब है जब टेक, कूटनीति और कला के क्षेत्र में भारत हर दिन नए आयाम गढ़ रहा है।

आग से खेलोगे तो जल जाओगे…', किसपर भड़कीं शेख हसीना?

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर मोहम्मद यूनुस पर निशाना साधा है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग पार्टी की नेता शेख हसीना ने देश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस पर कड़ा हमला बोला है। हसीना ने यूनुस को आत्मकेंद्रित और सत्ता का भूखा इंसान बताया। यही नहीं, हसीना ने यूनुस को चेताया है कि अगर आप आग से खेलेंगे तो यह आपको भी जलाकर राख कर देगी।

8 मिनट के एक ऑनलाइन वीडियो में शेख हसीना ने कहा, यूनुस एक पैसों के लालची और सत्ता के भूखो शख्स है जो बांग्लादेश को बर्बाद करने पर तुले हुए है। उसने विदेशी ताकतों के साथ मिलकर साजिश रची है। हसीना ने यह भी आरोप लगाया कि यूनुस, बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी पार्टी के साथ मिलकर अवामी लीग के नेताओं को परेशान कर रहा है और उन्हें मार रहा है।

हसीने ने यूनुस को चेताया

हसीना ने गुस्से में पूछा, युनूस सरकार में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई से जुड़े निशान मिटाए जा रहे हैं। हमने हर जिले में मुक्ति योद्धा स्मारक बनाए थे, लेकिन उन्हें जलाया जा रहा है। आजादी के नायकों का अपमान हो रहा है। क्या यूनुस इसका जवाब दे सकेंगे? उन्होंने चेतावनी दी, यूनुस, अगर आग से खेलेंगे, तो वह आग उन्हें ही जला देगी।

अबू सईद की मौत पर उठाया सवाल

अपने भाषण में शेख हसीना ने कोटा आंदोलन के दौरान मारे गए अबू सईद की मौत को लेकर भी बड़ा दावा किया। अबू सईद को आंदोलन का हीरो माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सईद की मौत पुलिस की जानबूझकर की गई हत्या थी। शेख हसीना ने इस बात को पूरी तरह नकार दिया और कहा कि ये आरोप गलत और भड़काने वाले हैं।

यूनुस पर साजिश रचने का आरोप

शेख हसीना ने कहा, जब प्रदर्शनकारी पुलिस पर पत्थर फेंक रहे थे, तब पुलिस ने सिर्फ रबर की गोलियां चलाई थीं। अबू सईद के सिर पर पत्थर से चोट लगी थी, लेकिन सवाल ये है कि 7.62 एमएम की असली गोली कहां से आई? वो गोली किसने चलाई?

हसीना ने आरोप लगाया कि जब एक अफसर ने इस मामले की जांच शुरू की तो यूनुस ने उसे हटा दिया। उन्होंने कहा, अगर अबू सईद का शव दोबारा निकाला जाए और सही जांच हो तो पता चल जाएगा कि सारी हत्याएं एक साजिश थीं। हसीना ने साफ कहा, ना मैंने, ना अवामी लीग ने और ना ही पुलिस ने सईद को मारा, बल्कि पुलिस खुद हिंसा की शिकार थी। इसके बावजूद हिंसा करने वालों को मुआवजा दिया गया। क्या उन्हें सज़ा मिलेगी? नहीं क्योंकि ये सब यूनुस की सोची-समझी चाल थी।

बांग्लादेश बर्बादी की कगार पर पहुंच गया-हसीना

हसीना ने कहा कि यूनुस के राज में बांग्लादेश बर्बादी की कगार पर पहुंच गया और मेहनतकश बांग्लादेशियों की उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं। हजारों कारखाने बंद हो गए। अवामी लीग के नेताओं से जुड़े बिजनेस, होटल और अस्पताल तक जला दिए गए। उन्होंने कहा, टॉप डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया गया। राजनीतिक कार्यकर्ताओं को पुलिस की वर्दी दी गई है। क्या वे नौकरी के लिए योग्य हैं? किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया और बीएनपी लूटपाट में व्यस्त है।

बता दें कि शेख हसीना पिछले साल अगस्त में तख्तापलट के बाद भारत आ गई थीं। निर्वासन में रहते हुए वह सोशल मीडिया के जरिए अपनी पार्टी के नेताओं से बात करती हैं।

ढीली पड़ी बांग्लादेश की ऐंठन, पीएम मोदी से मुलाकात चाहते हैं मोहम्मद यूनुस

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बांग्लादेश एक तरफ तो भारत के दुश्मनों से नजदीकियां बढ़ा रहा है, वहीं भारत के साथ बेवजह की दुश्मनी पाल रहा है। अल्पसंख्यकों पर हिंसा और भारत के साथ संबंधों में तनाव के बीच बांग्लादेश ने भारत से संपर्क किया है। बांग्लादेश की तरफ से इच्छा जाहिर की गई है कि अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के साथ पीएम नरेन्द्र मोदी की मुलाकात हो जाए। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस अगले महीने थाईलैंड में आमने-सामने होने वाले हैं, लेकिन इस दौरान दोनों के बीच औपचारिक मुलाकात की संभावना नहीं है। मुलाकात को लेकर भारत की तरफ से इस बारे में कोई उत्साह नहीं दिखाया गया है।

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश ने अप्रैल के पहले हफ्ते में बैंकॉक में मोहम्मद यूनुस और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच एक द्विपक्षीय बैठक कराने को लेकर भारत से संपर्क किया है। दरअसल, दोनों देशों के नेता 2 से 4 अप्रैल तक बैंकॉक में आयोजित 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग ले सकते हैं। इसे देखते हुए बांग्लादेश ने दोनों नेताओं के बीच बैठक आयोजित कराने के लिए संपर्क किया है।

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बांग्लादेश के अंतरिम सरकार में विदेशी मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहिद हुसैन ने कहा, हमने बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक आयोजित कराने को लेकर भारत के साथ कूटनीतिक संपर्क किया है।

भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव

बता दें कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से ही भारत के साथ रिश्तों में तनाव देखा जा रहा है। भारत ने बांग्लादेश के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों के साथ ही बिगड़ती कानून व्यवस्था और चरमपंथियों की जेलों से रिहाई को लेकर चिंताओं को अंतरिम सरकार के सामने रखा है। वहीं, यूनुस सरकार ने भारत में मौजूद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मौजूदगी के बारे में चिंता जाहिर की है और उनके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है। इसके अलावा नदियों के पानी बंटवारे और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने जैसे मुद्दों को लेकर दोनों के बीच गतिरोध है।

बांग्लादेशी राजदूत ने अपनी ही सरकार को घेरा, मोहम्मद यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

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शेख हसीने के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। मोहम्मद यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरता अपने चरम पर है। मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने से दुनिया भर में यूनुस सरकार की निंदा हुई है। भारत ने भी हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर कई बार बांग्लादेश सरकार को कड़े कदम उठाने को लेकर बोल चुका है। लेकिन यूनुस सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस बीच मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा है।

राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाया है। रशीद का कहना है कि यूनुस बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष संरचना को तोड़ने और शेख हसीना की सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं।

हारुन अल रशीद ने फेसबुक पर पोस्ट कर मोहम्मद यूनुस पर जमकर निशाना साधा। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

कौन हैं हारुन अल रशीद?

बांग्लादेश सरकार ने अक्टूबर, 2023 में मोहम्मद हारुन अल रशीद को मोरक्को में बांग्लादेश का राजदूत नियुक्त किया था। मोहम्मद हारुन अल रशीद बांग्लादेश सिविल सेवा (विदेश मामले) कैडर के 20वें बैच से आते हैं। उन्होंने 2001 में सेवा में शामिल होने के बाद कनाडा में बांग्लादेश उच्चायोग में मंत्री और उप उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है। वह रोम, काहिरा, मैक्सिको सिटी और मैड्रिड में बांग्लादेश मिशनों में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।

मोहम्मद यूनुस सार्क को फिर जिंदा करना चाहते हैं, पाकिस्तान बना मददगार, लेकिन भारत क्यों नहीं चाहता?

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने एक बार फिर दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) को पुनर्जीवित करने की जरूरत पर जोर दिया।संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग में उन्होंने सार्क को पुनर्जीवित करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि दक्षिण एशिया के नेताओं को क्षेत्रीय लाभ के लिए सार्क को सक्रिय बनाना चाहिए, भले ही भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चली आ रही शत्रुता जैसी चुनौतियां मौजूद हों।उन्होंने कहा है कि इन दोनों देशों के बीच की समस्याओं का असर दक्षिण एशिया के अन्य देशों पर नहीं पड़ना चाहिए और क्षेत्र में एकता और सहयोग का आह्वान किया।

सार्क संगठन की शिखर बैठक वर्ष 2016 में होने वाली थी लेकिन भारत समेत इसके अन्य सभी देशों ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ इसका विरोध किया और बैठक नहीं हो सकी। उसके बाद सार्क की बात भी कोई देश नहीं कर रहा था लेकिन पूर्व पीएम शेख हसीना को सत्ता से बाहर करने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इसको हवा देने में जुटी है

19 दिसंबर को मिस्त्र में बांग्लादेश के सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के बीच एक महत्वपूर्ण मुलाकात हुई थी। इस बैठक में सार्क को फिर से सक्रिय करने की बात कही गई। पाकिस्तानी पीएम ने बांग्लादेश को सुझाव दिया कि वह सार्क सम्मेलन की मेजबानी करे। इस पर मोहम्मद यूनुस ने भी सहमति जताई और दोनों नेताओं ने इस योजना को आगे बढ़ाने की बात कही। पाकिस्तान की मंशा थी कि इस मंच के बहाने अलग थलग पड़े पाकिस्तान को दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अपनी भूमिका मजबूत करने का मौका मिल सके।

बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया (मुख्य सलाहकार) प्रोफेसर मोहम्मद युनूस की तरफ से दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) को ठंडे बस्ते से निकालने की कोशिश पर भारत ने बेहद ठंडी प्रतिक्रिया जताई है।भारत ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वर्तमान में सार्क को पुनर्जीवित करने का कोई औचित्य नहीं है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल से पूछा गया तो उनका जवाब था कि, “जहां तक क्षेत्रीय सहयोग की बात है तो भारत इसके लिए लगातार कोशिश करता रहा है। इसके लिए हम कई प्लेटफॉर्म के जरिए आगे बढ़ना चाहते हैं। इसमें बिम्सटेक (भारत, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार और थाइलैंड का संगठन) है जिसमें कई हमारे पड़ोसी देश जुड़े हुए हैं। सार्क भी ऐसा ही एक संगठन है लेकिन यह लंबे समय से ठंडा पड़ा हुआ है और क्यों ठंडा पड़ा हुआ है, इसके बारे में सब जानते हैं।'

भारत ने इसलिए सार्क से बनाई दूरी

दक्षिण एशिया में सार्क का महत्व यूरोपीय संघ (EU), आसियान और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) जैसे वैश्विक संगठनों की सफलता के उदाहरणों से प्रेरित है। हालांकि पाकिस्तान के साथ तनाव के कारण भारत ने धीरे-धीरे इसमें दिलचस्पी कम कर दी। 2016 में पाकिस्तान में हुए शिखर सम्मेलन में भारत ने हिस्सा नहीं लिया था। भारत ने 2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना के शिविर पर हुए हमले के बाद पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन दिए जाने पर चिंता जताई थी। उस हमले में उन्नीस भारतीय सैनिक मारे गए थे। हमले के बाद भारत ने शिखर सम्मेलन से अपना नाम वापस ले लिया। भारत जैसे बड़े देश की ओर से दूरी बनाने के बाद नेपाल, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, मालदीव और शेख हसीना के नेतृत्व वाले बांग्लादेश ने भी सार्क में अपनी दिलचस्पी कम कर दी।

पाकिस्तान ने पहले भी सार्क को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया है

यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान ने सार्क को पुनर्जीवित करने की इच्छा व्यक्त की है।डॉन के अनुसार, दिसंबर 2023 में तत्कालीन कार्यवाहक प्रधान मंत्री अनवारुल हक काकर ने भी सार्क के पुनरुद्धार की आशा व्यक्त की थी। काकर ने कहा, "मैं इस अवसर पर सार्क प्रक्रिया के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता को दोहराना चाहूंगा। मुझे विश्वास है कि संगठन के सुचारू संचालन में मौजूदा बाधाएं दूर हो जाएंगी, जिससे सार्क सदस्य देश पारस्परिक रूप से लाभकारी क्षेत्रीय सहयोग के मार्ग पर आगे बढ़ सकेंगे।" लेकिन भारत सार्क के पुनरुद्धार के खिलाफ रहा है।

बांग्लादेश और पाकिस्तान सार्क को पुनर्जीवित क्यों करना चाहते हैं?

यह व्यापार और अर्थव्यवस्था ही है जिसके कारण बांग्लादेश और पाकिस्तान सार्क के पुनरुद्धार के पक्ष में हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है और वह अपने दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कर्ज ले रहा है। उसने खाड़ी देशों से भी कर्ज लिया है।शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश ने अच्छी आर्थिक वृद्धि देखी थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह बुरी तरह से विफल हो गया है। इसकी आर्थिक दुर्दशा के लिए भ्रष्टाचार को दोषी ठहराया जाता है। अपनी अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस और शरीफ दोनों ही सार्क पर नज़र गड़ाए हुए हैं। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि सार्क की बात करते समय उनके दिमाग में व्यापार का मुद्दा था।इसमें कहा गया, "शरीफ ने बांग्लादेश के कपड़ा और चमड़ा क्षेत्र में निवेश करने में पाकिस्तान की रुचि व्यक्त की।"

क्यों नहीं है भारत को सार्क की जरूरत?

हमें यह याद रखना होगा कि इस समूह में सबसे बड़ा खिलाड़ी भारत है, जो एक आर्थिक महाशक्ति है। भारत उन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जो अभी भी उच्च दर से बढ़ रही है जबकि बड़ी अर्थव्यवस्थाएं लड़खड़ा रही हैं। एसएंडपी का अनुमान है कि सालाना 7% से अधिक की दर से बढ़ते हुए भारत 2030-31 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारत जी-20 और ब्रिक्स सहित कई समूहों का भी हिस्सा है। व्यापार और व्यवसाय के मामले में, सार्क को भारत की जरूरत है, न कि इसके विपरीत। भारत को अपने सदस्यों के साथ संबंध बनाए रखने के लिए, यदि आवश्यक हो, तो समूह की जरूरत है। यह काम नई दिल्ली द्विपक्षीय रूप से भी कर सकता है, बिना किसी बहुपक्षीय मंच के।

अमेरिका ने घुमाया बांग्लादेश के यूनुस को फोन, जयशंकर के यूएस दौरे से पहले हिंदू हिंसा को लेकर लगाई फटकार

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बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा के लिए अमेरिका ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को कड़ी फटकार लगाई है। अमेरिका ने मोहम्मद यूनुस को नसीहत दी है और अल्पसंख्यकों पर किसी तरह के अत्याचार न करने के लिए खबरदार किया है। ये सब तब हुआ है जब एक दिन पहले ही बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने भारत सरकार को पत्र लिखा है। इस पत्र में बांग्लादेश ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस भेजने यानी प्रत्यर्पण की मांग की है। इन दोनों घटनाक्रमों के बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर आज से 6 दिन के अमेरिकी दौरे पर हैं। उनके अमेरिका पहुंचने से पहले ही भारत का ग्लोबल पावर देखने को मिला है।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने सोमवार को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से बातचीत की। अमेरिकी सरकार द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज के अनुसार सुलिवन ने चुनौतीपूर्ण समय में बांग्लादेश का नेतृत्व करने के लिए यूनुस को धन्यवाद भी दिया। प्रेस रिलीज में कहा गया कि दोनों नेताओं ने सभी लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान करने और उनकी रक्षा करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।

बाइडेन प्रशासन द्वारा डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता हस्तांतरण के पहले बांग्लादेश में की गई इस कॉल के कई मायने निकाले जा रहे हैं। सुलिवन की ये बातचीत बाइडेन प्रशासन के आखिरी महीने में हुई है, जिससे संदेश मिल रहे हैं कि व्हाइट हाउस में आने वाला नया प्रशासन यूनुस को मनमर्जी नहीं करने देगा।

भारत की बड़ी कूटनीतिक!

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी आज से 6 दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा का मुद्दा भारत ने जोर-शोर से उठाया है। माना जा रहा है कि जयशंकर अमेरिका में भी इस बात को रखेंगे। लेकिन इधर जयशंकर की फ्लाइट उड़ी, उधर पहले ही बांग्लादेश में फोन खनखनाने लगा। अमेरिका में यूनुस को डांट लगाई, तो उन्होंने सुरक्षा देने पर हामी भी भर दी। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक पारी का परिणाम माना जा रहा है

बांग्लादेश के मुद्दे पर भारत का सख्त संदेश

जयशंकर का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा चिंता का मुख्य विषय बनी हुई है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों से भारत में गहरा असंतोष है। इन हालातों में भारत सरकार ने बांग्लादेश पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई है। माना जा रहा है कि जयशंकर अपनी इस यात्रा में अमेरिका के सहयोग से बांग्लादेश को कड़ा संदेश देंगे। इससे पहले अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी साफ कर चुके हैं क‍ि बांग्‍लादेश को ह‍िन्‍दुओं की सुरक्षा करनी ही होगी।

अमेरिकी संसद में उठा मुद्दा

सुलिवन और यूनुस के बीच बातचीत ऐसे समय पर हुई है जब हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस (संसद) में भारतीय मूल के सदस्य श्री थानेदार ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों का मुद्दा उठाया था। थानेदार ने कहा था कि अब समय आ गया है कि संसद इस मामले पर कार्रवाई करे। थानेदार ने अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में कहा था, बहुसंख्यक भीड़ ने हिंदू मंदिरों, हिंदू देवी-देवताओं और शांतिपूर्वक अपने धर्म का पालन करने वाले हिंदुओं को बर्बाद कर दिया है। उन्होंने कहा था, अब समय आ गया है कि अमेरिकी कांग्रेस और अमेरिकी सरकार कार्रवाई करे।

ज्यादा दिनों तक सच नहीं छुपा सका बांग्लादेश, यूनुस सरकार ने मानी हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की बात

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बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद से हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।मोहम्मद यूनुस के सत्ता संभालते ही हिंदुओं पर हमले होने लगे। हालांकि, हर बार वहां की अंतरिम सरकार ने

इन घटनाओं से इंकार किया और भारतीय मीडिया पर दुश्प्रचार का आरोप मढ़ा। हालांकि सच को कब तक छुपाया जाता। भारत ने बारा-बार इस पर कड़ा ऐतराज जताया। जिसके बाद बांग्लादेश ने मंगलवार को स्वीकार किया कि अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं हैं।

हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाएं

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बांग्लादेश ने मंगलवार को स्वीकार किया कि अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाएं हुईं। हालांकि, बांग्लादेश ने अपनी पीठ थपथपाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। अब बांग्लादेश की यूनुस सरकार अपने एक्शन की वाहवाही कर रही है। अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा कि इन घटनाओं में 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

गिरफ्तारियों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना

अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने संवाददाताओं को बताया कि पांच अगस्त से 22 अक्टूबर तक अल्पसंख्यकों से संबंधित घटनाओं में कुल 88 मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा, "मामलों और गिरफ्तारियों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि पूर्वोत्तर सुनामगंज, मध्य गाजीपुर और अन्य क्षेत्रों में भी हिंसा के नए मामले सामने आए हैं।" उन्होंने कहा कि ऐसे मामले भी हो सकते हैं जहां कुछ पीड़ित पिछली सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य रहे हों। सरकार अब तक इस बात पर जोर देती रही है कि कुछ घटनाओं को छोड़कर, हिंदुओं पर उनकी आस्था के कारण हमला नहीं किया गया। आलम ने कहा कि 22 अक्टूबर के बाद हुई घटनाओं का ब्यौरा जल्द ही साझा किया जाएगा।

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी के दौरे का असर?

यह खुलासा ऐसे समय किया है जब एक दिन पहले विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बांग्लादेशी नेतृत्व के साथ बैठक के दौरान अल्पसंख्यकों पर हमलों की अफसोसजनक घटनाओं को उठाया था और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित भारत की चिंताओं से अवगत कराया था।

200 से अधिक हमले का आरोप

बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों में बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है। मंदिरों पर हमले भी हुए हैं। विशेष रूप से हाल ही में एक हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी हुई है। भारत सहित कई देशों ने हिंदुओं को निशाना बनाए जाने पर बार-बार चिंता व्यक्त की है। शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को 5 अगस्त को अपदस्थ किए जाने के बाद से बांग्लादेश के 50 से अधिक जिलों में हिंदुओं पर 200 से अधिक हमले होने के आरोप हैं।

बांग्लादेश का एक और भारत विरोधी कदम, कोलकाता-त्रिपुरा से वापस बुलाए डिप्लोमेट्स

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बांग्लादेश और भारत के संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं। शेख हसीने के देश छोड़ने के बाद से लगातार बांग्लादेशी की अंतरिम सरकार भारत विरोधी रूख अपनाए हुए है। बांग्लादेश में लगातार चल रही हिंदू विरोधी हिंसा और मंदिरों में तोड़फोड़ के बीच वहां 'बॉयकॉट इंडिया' कैंपेन भी शुरू हुआ है। अपने यहां भड़की हिंसा की आग को बुझाने के बजाय अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने एक और ऐसा कदम उठा दिया है, जो सीधेतौर पर वहां बढ़ते भारत विरोध की झलकी पेश कर रहा है। दरअसल, बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने भारत से अपने 2 डिप्लोमेट्स को वापस बुला लिया है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की है।

भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने भारत से अपने 2 डिप्लोमेट्स को वापस बुला लिया है। बांग्लादेश ने त्रिपुरा के अगरतला में बांग्लादेश सहायक उच्चायोग पर हमले और कोलकाता में बांग्लादेश उप उच्चायोग के सामने विरोध प्रदर्शन के बाद इन दोनों डिप्लोमेट्स को तत्काल ढाका वापस बुला लिया है।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की है कि बंगाल से राजनयिक वापस बांग्लादेश लौट आए हैं, जबकि त्रिपुरा के सहायक उच्चायुक्त के भी आज ढाका लौटने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि कोलकाता में बांग्लादेश के कार्यवाहक उप उच्चायुक्त शिकदार मोहम्मद अशरफुर रहमान और त्रिपुरा में सहायक उच्चायुक्त आरिफुर रहमान को पिछले मंगलवार को तत्काल आधार पर ढाका लौटने का निर्देश दिया गया था।

क्यों भारत से बुलाए डिप्लोमेट्स?

बता दें कि हाल ही में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बांग्लादेश के राजनयिक मिशन में तोड़फोड़ हुई थी। बाद में इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। कैम्पस में घुसपैठ के मामले में 4 पुलिस अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई थी। वहीं, बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त को तलब कर घटना का विरोध जताया गया था। साथ ही बांग्लादेश ने अगरतला में अपनी काउंसलर सर्विस भी बंद करने का ऐलान किया था। अब बांग्लादेश ने त्रिपुरा से अपने डिप्लोमेट को वापस बुला लिया है।

हिंदुओं पर अत्याचार, विरोध में भारत

भारत सरकार लगातार बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर बयान जारी कर रही है। भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। साथ ही घर्मगुरू चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ भी सरकार ने शांतिपूर्ण विरोध जताया था। बता दें कि हाल ही में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के बड़े धार्मिक चेहरे चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन पर कथित भड़काऊ भाषण देने के लिए राजद्रोह का केस लगाया है।

अब बांग्लादेश में 'बॉयकॉट इंडिया'

उधर, अगरतला-कोलकाता की घटना के जवाब में बांग्लादेश में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। गुरुवार को बांग्लादेशी नेताओं ने ढाका में भारतीय साड़ी जलाकर इंडियन प्रोडक्ट्स को बायकॉट करने की अपील की।

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी ने ढाका में भारत विरोधी प्रदर्शन करते हुए अपनी पत्नी की भारतीय साड़ी को जलाया। इस दौरान उन्होंने भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने सार्वजनिक रूप से भारतीय साड़ी जलाते हुए लोगों से भारतीय सामान न खरीदने की अपील की। उन्होंने कहा, जिन लोगों ने हमारे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया है, हम उनका सामान खरीदकर उनका समर्थन नहीं करेंगे। हमारी माताएं-बहनें अब भारतीय साड़ी नहीं पहनेंगी।"