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समंदर में दुश्मन का हर वार होगा नाकाम, रूस से एंटी-शिप क्रूज मिसाइल खरीद रहा भारत, बढ़ेगी नौसेना की ताकत

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भारत लगाातार अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा कर रहा है। साउथ एशिया में भारत एक मजबूत देश के रूप में उभर रहा हैं। अब भारत सरकार ने इंडियन नेवी को और ताकतवर बनाने के लिए रूस से क्लब-एस क्रूज मिसाइलों की खरीददारी के लिए बहुत बड़ा समझौता किया है। भारत ने एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों की खरीद के लिए रूस के साथ ये अहम समझौता किया है। इस कदम से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बेड़े की युद्धक क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।

रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में जानकारी दी। मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में बताया कि आज रक्षा मंत्रालय ने रूस के साथ एंटी-शिप क्रूजत मिसाइल की खरीद के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन मिसाइलों से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बेड़े की युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। समझौता रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में किया गया। हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने मिसाइल सिस्टम के नाम, संख्या और लागत को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है

बता दें कि एंटी-शिप क्रूज मिसाइल गाइडेड मिसाइल होती हैं, जिसे समुद्र में दुश्मन के जंगी जहाजों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें पनडुब्बियों में लगाया जाता है, और ये पलभर में दुश्मन के फाइटर जेट्स को तबाह करने की क्षमता रखती हैं। बता दें कि कई देशों ने अपने यहां एंटी-शिप क्रूज मिसाइल विकसित की हैं। रूस की एंटी-शिप क्रूज मिसाइल को काफी पावरफुल माना जाता है।

इन मिसाइलों को भारतीय नौसेना की किलो-क्लास अटैक पनडुब्बियों में फिट किया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी मिसाइलों को सिंधुघोष-क्लास के नाम से जानी जाने वाली डीजल-इलेक्ट्रिक पावर्ड अटैक पनडुब्बियों में लैस किया जाएगा। जो किलो-क्लास (प्रोजेक्ट 877) पर आधारित है। इन पनडुब्बियों को भारत ने 1980 के दशक में सोवियत संघ से खरीदा था।

भारतीय नौसेना कलवरी, सिंधुघोष और शिशुमार क्लास की पनडुब्बियों का संचालन करती हैं। सिंधुघोष-क्लास या किलो-क्लास पनडुब्बियां रूस और भारत के बीच एक समझौते के तहत निर्मित डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां हैं। ये लंबी दूरी के गश्त के लिए डिजाइन की गई हैं और टॉरपीडो तथा मिसाइलों से लैस हैं। इस बेड़े में आईएनएस सिंधुघोष, आईएनएस सिंधुध्वज, सिंधुराज, आईएनएस सिंधुवीर, आईएनएस सिंधुरत्न, आईएनएस सिंधुकेसरी, आईएनएस सिंधुकिर्ती, आईएनएस सिंधुविजय, आईएनएस सिंधुरक्षक और आईएनएस सिंधुशस्त्र शामिल हैं। हालांकि, आईएनएस सिंधुध्वज, आईएनएस सिंधुरक्षक और आईएनएस सिंधुवीर अब सेवा में नहीं हैं और अगले 2-3 सालों में दो और पनडुब्बियों के सेवानिवृत्त होने की संभावना है।

मुसलमानों का डर दूर करना है…”मौलाना साजिद रशीदी ने बताया क्यों दिया बीजेपी को वोट

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दिल्ली में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब सभी को चुनाव परिणाम का इतंजार है। चुनाव खत्म होने के बाद ज्यादातर एग्जिट पोल भाजपा के पक्ष में परिणाम बता रहे हैं। इसी बीच ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन (एआईआईए) के अध्यक्ष साजिद रशीदी ने एक बेहद चौंकाने वाला बयान दिया है और दावा किया है ‌उन्होंने इस बार जिंदगी में पहली बार बीजेपी को वोट दिया है।

जिंदगी में पहली बार बीजेपी को किया वोट- मौलाना साजिद

एआईआईए अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर दावा किया कि उन्होंने जिंदगी में पहली बार बीजेपी को वोट किया है। अपनी स्याही वाली उंगली दिखाते हुए उन्होंने कहा, "दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी, इसके लिए मैंने वोट कर दिया है। यह वोट किसको दिया है, यह जान कर आपको बहुत हैरानी होगी।" उनके इस बयान से सियासी हलचल तेज हो गई है।

भाजपा के नाम पर मुसलमानों में डर पैदा किया जा रहा- मौलाना साजिद

मौलाना साजिद रशीदी ने कहा, "मैंने दिल्ली चुनाव में भाजपा को वोट दिया है और अपना वीडियो वायरल किया है क्योंकि भाजपा के नाम पर मुसलमानों में डर पैदा किया जा रहा है और विपक्षी दल कहते हैं कि मुसलमान भाजपा को वोट न दें। मुसलमानों के दिमाग में यह बात बैठा दी गई है कि भाजपा को हराओ, नहीं तो अगर वे सत्ता में आए तो मुसलमानों के अधिकार छीन लिए जाएंगे। मैंने मुसलमानों के मन से उस डर को निकालने के लिए (भाजपा को) वोट दिया है। अगर दिल्ली में भाजपा की सरकार बनती है तो मैं मुसलमानों को दिखाऊंगा कि मुसलमानों के कौन से अधिकार छीने गए हैं।"

धारणा बन गई है कि मुसलमान बीजेपी के खिलाफ- मौलाना साजिद

मौलाना साजिद कहते हैं कि एक धारणा बन गई है कि मुसलमान केवल बीजेपी को हराने के लिए वोट करते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि यह पहली बार है जब उन्होंने बीजेपी को वोट दिया है। साल 2014 में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के दौरान कहा था कि मुसलमान बीजेपी को वोट नहीं देंगे। हालांकि, मौजूदा समय में उन्होंने महसूस किया कि मुसलमानों को इतना डरा दिया गया है कि वे डर और सहमकर जीवन जी रहे हैं। उनका मानना है कि बीजेपी को वोट देने से इस डर का सामना किया जा सकता है।

बीजेपी को वोट देकर ये संदेश देने की कोशिश- मौलाना साजिद

मौलाना का यह भी कहना है कि जब हम किसी नेता को वोट देते हैं, तो हमें उनसे सवाल पूछने का अधिकार मिलता है। आज बीजेपी कहती है कि वह मुसलमानों के लिए काम क्यों करे? क्योंकि मुसलमान उन्हें वोट नहीं देते। इसलिए उन्होंने बीजेपी को वोट देकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि मुसलमान भी बीजेपी का समर्थन कर सकते हैं और उनसे अपने अधिकारों की मांग कर सकते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि मुझे धमकियां मिल रही हैं और आरोप लगाया जा रहा है कि मैं भाजपा के हाथों बिक गया हूं। ऐसा कुछ नहीं है, मैं भाजपा के किसी नेता से भी नहीं मिला हूं। मेरे खिलाफ मामले दर्ज हैं। मेरा एकमात्र उद्देश्य मुसलमानों के दिल और दिमाग से डर को निकालना है।

दुनिया के सबसे ताकतवर सेनाओं की लिस्ट जारी, जानें भारत का नंबर

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दुनिया की टॉप आर्मी की रैंकिंग जारी करने वाले ऑर्गेनाइजेशन ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स ने साल 2025 की अपनी लिस्‍ट जारी कर दी है। इस सूची में भारत को जो रैंक हासिल हुई है, वो हैरान करने वाला है। इस सूची में भारत की दुनिया की टॉप-5 सबसे ताकतवर सैन्य शक्ति में शामिल किया गया है। यह रैंकिंग भारत की थलसेना, नौसेना और वायुसेना की बढ़ती रक्षा क्षमताओं को दिखाती है।

ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स में भारत की सेना चौथे नंबर पर है। रैंकिंग के अनुसार, अमेरिका की सेना 0.0744 स्कोर के साथ दुनिया की सबसे ताकतवर सैन्य शक्ति है। इसके बाद रूस (0.0788) और चीन (0.0788) का नंबर दिया गया है। भारत को दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सैन्य शक्ति बताया गया है और इसका स्कोर 0.1184 है। टॉप 5 शक्तिशाली सैन्य शक्ति में दक्षिण कोरिया ने भी जगह बनाई है और यह पांचवें स्थान पर है।

भारत छठी बार अपनी चौथी रैंकिंग को बरकरार रखे हुए है। भारत ने पिछले कुछ समय से रक्षा उत्पादन और आत्मनिर्भर होने पर जोर दिया है, जो उसकी ताकत को और भी बढ़ाता है। इंडेक्स में भारत की बढ़त का श्रेय सैन्य शाखाओं में आधुनिकीकरण को दिया जा सकता है। टॉप 10 ताकतवर देशों में फ्रांस है, जो नया शामिल हुआ है। पिछले साल की रैंकिग में यह 11वें नंबर पर था। इस बार फ्रांस 7वें नंबर पर आ गया है। पिछले साल सातवीं रैंक पर जापान था जो इस बार आठवें पर पहुंच गया।

पाकिस्‍तान की सेना 12वें नंबर पर

भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान जो कि हमारा नंबर 1 दुश्‍मन भी है. अब भारत पर आंख उठाने से पहले 100 दफा सोचेगा. भले ही पाकिस्‍तान के पास परमाणु हथियार हैं लेकिन इसके बाद भी वह जीपीएफ इंडेक्स में टॉप 5 तो छोड़ो टॉप 10 देशों में भी अपनी जगह नहीं बना पाया है. जीपीएफ इंडेक्स में पाकिस्तान को 12वां स्थान दिया गया है और वह ब्राजील से भी नीचे है.

इस मामले में दूसरे नंबर पर भारत

सबसे ज्यादा सैनिकों की बात करें तो इस मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। भारत के पास 14,55,550 सैनिक हैं। इसके अलावा भारत के पास 11,55,000 रिजर्व सैनिक हैं। भारत के पास हथियारों की बात करें तो इसमें टी-90 भीष्म और अर्जुन टैंक, ब्रह्मोस मिसाइल और पिनाका रॉकेट सिस्टम जैसे उन्नत हथियार हैं। भारतीय वायुसेना ने अपने बेड़े में काफी विस्तार किया है। इंडियन एयरफोर्स के पास 2,229 विमान हैं, जिनमें 600 लड़ाकू जे, 899 हेलीकॉप्टर और 831 सहायक विमान शामिल हैं। भारतीय नौसेना ने भी 142,251 कर्मियों और 150 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के साथ अपनी स्थिति मजबूत की है।

बजट 2025 में दिखा पड़ोसी देशों के साथ संबंधों का असर, जाने भारत ने किसे दी कितनी मदद?

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार (1 जनवरी) को आम बजट 2025-26 पेश किया। हर साल जब सरकार की ओर से बजट पेश किया जाता है तो हर आम और खास को इससे काफी आशा होती है। बजट केवल अपने देश के लिए लोगों का ही हित साधक नहीं होता, बल्कि पड़ोसी देशों की भी इसपर नजर होती है। इस बात पर सबकी नजर होती है कि सरकार ने किस देश के लिए कितनी सहायता राशि का ऐलान किया है, खासकर पड़ोसी देशों के लिए।भारत ने इस बार के बजट (2025-26) में विदेशी सहायता के मद में कटौती की है। वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में विदेशी सहायता के लिए संशोधन आवंटन 5806 करोड़ रुपये था लेकिन इस साल इसे घटाकर 5,483 करोड़ रुपये कर दिया गया है। हालांकि, भारत ने अपने पड़ोसी देशों का पूरा ध्यान रखा है। भारत ने मालदीव और अफगानिस्तान के लिए सहायता बढ़ाई है, जबकि बांग्लादेश से रिश्तों में तल्खियों के बावजूद सहायता राशि में कटौती नहीं की गई है।

मालदीव हुआ “मालामाल”

बजट 2025 के फंड आवंटन में मालदीव को सबसे अधिक फायदा हुआ है। मालदीव को केंद्रीय बजट 2025 में अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच विकास सहायता में सबसे अधिक वृद्धि मिली है। दोनों देशों के बीच पिछले कुछ समय संबंधों में खटास के बाद इसे अहम माना जा रहा है।मालदीव के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से पेश किए गए 2025 के बजट में परिव्यय में लगभग 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बजट दस्तावेज के अनुसार, 2025-26 में मालदीव के लिए 600 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह वित्त वर्ष 2024-25 में द्वीप राष्ट्र को दिए गए 470 करोड़ रुपये से काफी अधिक है।

बांग्लादेश को क्या मिला?

शेख़ हसीना की सत्ता के पतन के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं, लेकिन इस बार के बजट में बांग्लादेश को मिलने वाली सहायता राशि को जस की तस रखा गया है। बांग्लादेश के बजट में सरकार ने कोई बढ़ोतरी नहीं की है। बांग्लादेश के लिए बजट राशि पिछले साल के 120 करोड़ में कोई फेरबदल नहीं हुआ है।

सबसे ज्यादा बजट भूटान के लिए

भारत सबसे ज़्यादा भूटान की आर्थिक मदद करता है। भारत ने 2025-26 के बजट में भूटान के लिए 2150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसके लिए संशोधित बजट 2543 करोड़ रुपये का था। भारत भूटान को इन्फ्रास्ट्रक्चर, पनबिजली परियोजनाओं और आर्थिक सहयोग से जुड़ी परियोजनाओं के लिए मदद देता है।

अफगानिस्तान की सहायता कम हुई

भारत अफगानिस्तान से बेहतर रिश्ते कायम करने की लगातार कोशिश कर रहा है. लेकिन, बजट में इसकी छाप नहीं दिखाई दी। अफगानिस्तान को पिछले साल 200 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई थी, जो 2025-26 में घटकर 100 करोड़ रुपये रह गई है। यह दो साल पहले दिए गए 207 करोड़ रुपये से काफी कम है। भारत तालिबान सरकार के साथ अपने व्यवहार में सतर्क रहा है और उसने अपनी भागीदारी को मानवीय सहायता और आर्थिक सहयोग तक ही सीमित रखा है।

म्यांमार को सहायता में वृद्धि

म्यांमार के बजट में 2024-25 के 250 करोड़ रुपये से 2025-26 के लिए 350 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है। यह देश में चल रही उथल-पुथल के बीच किया गया है। केंद्र सरकार ने हाल ही में भारत-म्यांमार सीमा पर लोगों की आवाजाही के नियमों को कड़ा कर दिया है। नए नियमों के अनुसार, दोनों तरफ फ्री मूवमेंट रिजीम (एफएमआर) के तहत 16 किलोमीटर से लेकर 10 किलोमीटर तक की आवाजाही प्रतिबंधित है।

नेपाल के साथ 700 करोड़ रुपये का आवंटन बरकरार

हाल के दिनों में नेपाल पर चीन का असर बढ़ा है। लेकिन भारत नेपाल के साथ लगातार संबंध सुधारने की कोशिश में लगा है। भारत ने हाल में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है, जिससे चीन के साथ नेपाल की नजदीकी बढ़े। वित्त वर्ष 2024-25 में नेपाल के लिए संशोधित बजट 700 करोड़ रुपये का था। वित्त वर्ष 2025-26 में भी इसमें कोई कटौती नहीं की गई है और इसे 700 करोड़ ही रखा गया है।

चीन-कनाडा-मैक्सिको के बाद डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ लिस्ट में कौन, क्या अगला नंबर भारत का?

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अमेरिका ने मेक्सिको, कनाडा और चीन पर टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। ट्रंप ने मेक्सिको और कनाडा से आने वाले सामानों पर 25 फीसदी और चीन से इंपोर्ट पर 10 फीसदी का टैरिफ लगाने का फैसला किया है। ट्रंप के इस फैसले से तीनों देश नाराज हैं, वहीं पूरी दुनिया ट्रंप के इस फैसले को चिंतित है। सवाल है कि तीन देशों पर लगे टैरिफ के बाद अब किसकी बारी है? क्या अगला नंबर भारत का हो सकता है?

डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व में भारत की टैरिफ नीतियों की कड़ी आलोचना की है। वह भारत को 'टैरिफ किंग' तक कह चुके हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह से भारत की टैरिफ नीतियों की सख्त आलोचना पूर्व में की है। उससे ये अंदेशा है कि भारत भी उनके टैरिफ की हिट लिस्ट में होगा। हालांकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।भारत फिलहाल इससे बचा हुआ है लेकिन सवाल है कि क्या आगे भी इससे बच पाएगा?

ट्रंप के टैरिफ से बचने की कोशिश

शनिवार को भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का बजट पेश किया। सरकार ने कुछ कस्टम ड्यूटी कम की है। जिसका असर अमेरिका से होने वाले निर्यात पर पड़ता हुआ दिखाई दे सकता है। भारत ने हाई-एंड मोटरसाइकिल, कार और स्मार्टफोन पार्ट्स पर कस्टम ड्यूटी कम की है। इससे अमेरिकी कंपनियों जैसे हार्ले-डेविडसन, टेस्ला और ऐपल को फायदा होगा। भारत के कदम को ट्रंप के टैरिफ से बचने की कोशिश की तरह देखा गया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्या कहा

वहीं, समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्रंप के टैरिफ को लेकर जब उनसे पूछा गया कि क्या इस घटना का असर भारत पर पड़ेगा तो उन्होंने कहा, हम नहीं जानते कि इसका हमारे लिए क्या परिणाम होगा। लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से हम पर असर हो सकता है। हम अभी नहीं जानते कि क्या होने वाला है। हम सतर्क रहेंगे, लेकिन हम इस समय यह अनुमान नहीं लगा सकते कि इसका हम पर क्या प्रभाव होगा। हालांकि, इस घटना से मैं चितिंत नहीं हूं।

अनावश्यक टैरिफ से फायदा नहीं- वित्त मंत्री

निर्मला सीतारमण ने एक संतुलित टैरिफ दृष्टिकोण की आवश्यकता की ओर इशारा किया। आवश्यक आयातों में अनावश्यक टैरिफ लगाए बिना घरेलू उद्योगों की रक्षा की जाए। कई वस्तुएं हैं, जो भारत में उपलब्ध नहीं है, उन पर ज्यादा टैरिफ लगाने से हमारा फायदा नहीं होने वाला

भारत के बजट से अमेरिका को क्या होगा फायदा? ट्रंप के 'टैरिफ वॉर' के बीच सीतारमण का जवाब

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को लोकसभा में बजट पेश किया। इस बजट में मध्य वर्ग को बड़ी राहत दी गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती और विकास दर पर उठ रहे सवालों के बीच इस बजट में अलग अलग वर्ग को राहत देने की कोशिश दिखाई दे रही है। इन सबके बीच देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक ऐसा भी ऐलान किया है, जो डोनाल्ड ट्रंप को काफी खुश कर सकता है। जी हां, सरकार ने कुछ कस्टम ड्यूटी कम की है। जिसका असर अमेरिका से होने वाले निर्यात पर पड़ता हुआ दिखाई दे सकता है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने रविवार को कहा कि मोटरसाइकिल और स्वाद बढ़ाने वाले कृत्रिम तत्व जैसे प्रोडक्ट्स पर बजट में कस्टम ड्यूटी घटाई गई है। इससे अमेरिकी निर्यात को लाभ होगा। जीटीआरआई ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत की‘टैरिफ किंग’के रूप में आलोचना करने के बाद देश के बजट ने कई उत्पादों पर महत्वपूर्ण शुल्क कटौती की गई है। इनमें से कई प्रोडक्ट्स अमेरिकी एक्सपोर्ट को फायदा पहुंचाने वाले हैं। जीटीआरआई ने बयान में कहा,‘‘टेक्नोलॉजी, व्हीकल, इंडस्ट्रीयल रॉ मटेरियल और स्क्रैप के आयात पर शुल्क कटौती के साथ भारत व्यापार को सुविधाजनक बनाने की दिशा में कदम उठाता दिख रहा है।

बदलेगा ट्रंप का नजरिया?

डोनाल्ड ट्रंप हमेशा भारत की टैरिफ किंग के तौर पर आलोचना करते हैं, लेकिन बजट ने कई उत्पादों पर महत्वपूर्ण शुल्क कटौती से अमेरिकी निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। उम्मीद की जा रही है कि बजट में इस ऐलान के बाद ट्रंप का नजरिया बदलेगा।

बता दें कि अप्रैल-नवंबर, 2024-25 के दौरान अमेरिका 82.52 अरब डॉलर व्यापार के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। इसके पहले 2021-24 के दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।

इन चीजों से शुल्क घटी

फ्रोजेन मछली पेस्ट (सुरीमी) और जलीय चारे के लिए मछली हाइड्रोलाइजेट पर शुल्क घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है. इन पर अभी तक लागू शुल्क क्रमश: 30 प्रतिशत और 15 प्रतिशत था. रसायन क्षेत्र में, पिरिमिडीन और पिपरेजीन यौगिकों पर शुल्क को मौजूदा 10 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया है. इनका उपयोग खाद्य और पेय पदार्थों को एक निश्चित स्वाद देने के लिए किया जाता है. इसी तरह कम कैलोरी वाले यौगिक सोर्बिटोल पर शुल्क मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके अलावा, प्रमुख खनिजों (लिथियम, कोबाल्ट, सीसा, जस्ता, तांबा) और कोबाल्ट पाउडर के अपशिष्ट और स्क्रैप पर सीमा शुल्क खत्म कर दिया गया है. मंत्रालय ने कहा कि इन उपायों से आयात निर्भरता कम होगी, उत्पादन लागत कम होगी और प्रमुख उद्योगों में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी

*इंडोनेशियाई हिंदू परंपरा: मंदिर प्रतिष्ठापन में कुम्बाभिषेकम का पवित्र अनुष्ठान*

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भारत और इंडोनेशिया का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध बहुत गहरा है, जो प्राचीन व्यापारिक रिश्तों, आध्यात्मिक जुड़ावों और एक-दूसरे की परंपराओं के प्रति सम्मान से जुड़ा हुआ है। वर्षों के दौरान, दोनों देशों ने राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत किया है, और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत-इंडोनेशिया संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।

भारत-इंडोनेशिया संबंधों का ऐतिहासिक संदर्भ

भारत और इंडोनेशिया के बीच प्राचीन समय से ही सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, जो प्राचीन समुद्री व्यापार मार्गों और हिंदू धर्म तथा बौद्ध धर्म के प्रसार से प्रभावित थे। ऐतिहासिक पुरावशेष, शिलालेख और सांस्कृतिक प्रथाएँ इन प्राचीन संबंधों को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया की कला, वास्तुकला और धर्म में भारतीय संस्कृति का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जैसे कि बाली के मंदिरों और जावा के बौद्ध मंदिर बोरोबुदुर में भारतीय प्रभाव स्पष्ट है। इसी तरह, भारतीय महाकाव्य रामायण इंडोनेशियाई नृत्य और नाटक में प्रचलित है।

आधुनिक कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत 20वीं सदी के मध्य में इंडोनेशिया के स्वतंत्र होने के बाद हुई, और दोनों देशों ने आपसी सम्मान और सहयोग पर जोर दिया। हालांकि, राजनीतिक परिस्थितियों के बदलने के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव आया।

मोदी युग: संबंधों में मजबूती

जब से नरेंद्र मोदी 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बने हैं, भारत-इंडोनेशिया संबंधों में एक नई गति देखने को मिली है। मोदी की "एक्ट ईस्ट" नीति, जो दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने पर केंद्रित है, ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मोदी के नेतृत्व में मुख्य बदलाव:

1.रणनीतिक साझेदारी:

  2018 में, भारत और इंडोनेशिया ने अपने संबंधों को "समग्र रणनीतिक साझेदारी" में बदल दिया, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और रक्षा संबंध मजबूत हुए। दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र और G20 जैसे वैश्विक मंचों पर सहयोग बढ़ाया।

2. आर्थिक सहयोग:

  मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और इंडोनेशिया के बीच व्यापार में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। भारत, इंडोनेशिया को पेट्रोलियम उत्पादों, वाहन और मशीनरी निर्यात करता है, जबकि इंडोनेशिया भारत को ताड़ का तेल, कोयला और वस्त्र निर्यात करता है। दोनों देशों ने व्यापार बढ़ाने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने और बाधाओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

3. सुरक्षा और रक्षा संबंध:

  भारत और इंडोनेशिया ने अपने रक्षा सहयोग को बढ़ाया है, संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित किए हैं, खुफिया जानकारी साझा की है और समुद्री सुरक्षा को मजबूत किया है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देशों की रणनीतिक स्थिति Indo-Pacific क्षेत्र में बहुत अहम है।

4. सांस्कृतिक कूटनीति:

  मोदी के नेतृत्व में सांस्कृतिक कूटनीति को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। सांस्कृतिक संबंधों पर जोर दिया गया है, और मोदी सरकार ने हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म जैसे साझा ऐतिहासिक और धार्मिक संबंधों का महत्व बढ़ाया है।

जकार्ता मंदिर और कुम्बाभिषेकम का महत्व

भारत और इंडोनेशिया के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जकार्ता मंदिर और कुम्बाभिषेकम हैं।

1. जकार्ता मंदिर (पुरा अगुंग):

  जकार्ता में कई हिंदू मंदिर हैं, और पुरा अगुंग उन मंदिरों में से एक महत्वपूर्ण है, जो भारत और इंडोनेशिया के बीच आध्यात्मिक संबंधों का प्रतीक है। यह मंदिर इंडोनेशिया में हिंदू-बलिनी प्रभाव का प्रतीक है, साथ ही दोनों देशों के बीच साझा धार्मिक मूल्यों को भी दर्शाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने अक्सर भारत और इंडोनेशिया के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को स्वीकार किया है, जिसमें ये मंदिर और धार्मिक प्रथाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

2. कुम्बाभिषेकम एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है, जो मंदिरों के प्रतिष्ठापन या विशेष मंदिर आयोजनों के दौरान किया जाता है। यह संस्कृत शब्दों "कुम्भ" (घड़ा) और "अभिषेकम" (स्नान या अभिषेक) से उत्पन्न हुआ है।

इंडोनेशिया में कुम्बाभिषेकम:

इंडोनेशिया, विशेष रूप से बाली में, जहाँ हिंदू धर्म की जड़ें गहरी हैं, कुम्बाभिषेकम समारोह का आयोजन मंदिरों में किया जाता है। यह अनुष्ठान तब होता है जब किसी नए देवता की मूर्ति स्थापित की जाती है या मंदिर के विशेष अवसरों पर उसे शुद्ध और पवित्र किया जाता है। इस अनुष्ठान में एक पवित्र घड़े (कुम्भ) से पवित्र जल से देवता की मूर्ति का अभिषेक किया जाता है, जो मंदिर और समुदाय के लिए आशीर्वाद और शांति की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।

यह अनुष्ठान बाली के हिंदू मंदिरों में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जिसमें स्थानीय लोग अपनी आस्था और भक्ति व्यक्त करते हैं।

भू-राजनीति में बदलता हुआ भूमिका

दोनों देशों की भू-राजनीतिक भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। मोदी के नेतृत्व में, भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत किया है, और इंडोनेशिया, जो इस क्षेत्र का एक प्रमुख देश है, भारत की रणनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। दोनों देशों का ASEAN और इंडोनेशिया महासागर रिम एसोसिएशन जैसे मंचों पर सहयोग बढ़ा है, जो क्षेत्र में चीन के प्रभाव को चुनौती देने के लिए अहम है।

भारत और इंडोनेशिया का संबंध वर्षों से विकसित हुआ है, जो सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आदान-प्रदान से लेकर एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी में बदल गया है, विशेष रूप से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद। जकार्ता मंदिर और महाकुम्भिकम जैसे महत्वपूर्ण क्षण, दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाते हैं। जैसे-जैसे दोनों देश अपने संबंधों को और मजबूत करेंगे, यह संभावना है कि उनकी साझेदारी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की भू-राजनीति को प्रभावित करती रहेगी।

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2023 में वीजा अवधी खत्म होने के बाद रुकने वालों में भारतीय सबसे आगे, यूएस संसद में पेश रिपोर्ट में दावा

#over7000studentexchangevisitorsfromindiaoverstayedinusin_2023

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में अवैध आप्रवासियों के खिलाफ निर्वासन अभियान शुरू किया है। अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय पढ़ाई और नौकरी के लिए जाते हैं। इस बीच अमेरिका में वीजा पर रह रहे भारतीय छात्रों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि 2023 में 7,000 से अधिक भारतीय छात्र अमेरिका में अपने निर्धारित समय से अधिक समय तक रुके है। यह जानकारी सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज की जेसिका एम वॉन ने अमेरिकी हाउस कमेटी को दी।

एफ-1 और एम-1 वीजा धारक तय समय से अधिक रुकते हैं

‘सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज’ की जेसिका एम. वॉन ने अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की न्यायपालिका संबंधी समिति को बताया कि निर्धारित समय से अधिक ठहरने वालों में सबसे अधिक संख्या एफ और एम श्रेणी के वीजा धारकों की रही। उन्होंने बताया कि दुनिया के 32 देशों में छात्र और विनिमय आगंतुकों के अमेरिका में तय समय से अधिक रुकने की दर 20 प्रतिशत से भी ज्यादा है। विशेष रूप से, एफ-1 और एम-1 वीजा धारक, जो शैक्षिक और व्यावसायिक कामो के लिए आते हैं, इनमें सबसे ज्यादा लोग तय समय से अधिक रुकते हैं।

तय अवधि से ज्यादा रुकने वालों में भारतीय सबसे ज्यादा

वॉन ने अमेरिकी हाउस कमेटी को ये भी बताया कि ब्राजील, चीन, कोलंबिया और भारत जैसे देशों में हजारों लोग अपनी वीजा अवधि से ज्यादा समय तक अमेरिका में रहते हैं और भारत से आने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है, करीब 7,000 से भी ज्यादा। उन्होंने इसके अलावा अमेरिका की आव्रजन नीतियों में सुधार की आवश्यकता की बात की, जिसमें एच-1बी वीजा जैसे कार्यक्रमों में सुधार की भी सिफारिश की गई है।

बता दें कि एफ-1 के तहत वीजा में किसी व्यक्ति को किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज, विश्वविद्यालय, सेमिनरी, कंजर्वेटरी, अकादमिक हाई स्कूल, प्राथमिक विद्यालय या अन्य शैक्षणिक संस्थान या भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम में पूर्णकालिक छात्र के रूप में अमेरिका में रहने की अनुमति मिलती है। एम-1 वीजा भाषा प्रशिक्षण के अलावा व्यावसायिक या अन्य गैर-शैक्षणिक कार्यक्रमों में अध्ययनरत छात्रों को मिलता है।

समंदर में दुश्मन का हर वार होगा नाकाम, रूस से एंटी-शिप क्रूज मिसाइल खरीद रहा भारत, बढ़ेगी नौसेना की ताकत

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भारत लगाातार अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा कर रहा है। साउथ एशिया में भारत एक मजबूत देश के रूप में उभर रहा हैं। अब भारत सरकार ने इंडियन नेवी को और ताकतवर बनाने के लिए रूस से क्लब-एस क्रूज मिसाइलों की खरीददारी के लिए बहुत बड़ा समझौता किया है। भारत ने एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों की खरीद के लिए रूस के साथ ये अहम समझौता किया है। इस कदम से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बेड़े की युद्धक क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।

रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में जानकारी दी। मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में बताया कि आज रक्षा मंत्रालय ने रूस के साथ एंटी-शिप क्रूजत मिसाइल की खरीद के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन मिसाइलों से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बेड़े की युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। समझौता रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में किया गया। हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने मिसाइल सिस्टम के नाम, संख्या और लागत को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है

बता दें कि एंटी-शिप क्रूज मिसाइल गाइडेड मिसाइल होती हैं, जिसे समुद्र में दुश्मन के जंगी जहाजों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें पनडुब्बियों में लगाया जाता है, और ये पलभर में दुश्मन के फाइटर जेट्स को तबाह करने की क्षमता रखती हैं। बता दें कि कई देशों ने अपने यहां एंटी-शिप क्रूज मिसाइल विकसित की हैं। रूस की एंटी-शिप क्रूज मिसाइल को काफी पावरफुल माना जाता है।

इन मिसाइलों को भारतीय नौसेना की किलो-क्लास अटैक पनडुब्बियों में फिट किया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी मिसाइलों को सिंधुघोष-क्लास के नाम से जानी जाने वाली डीजल-इलेक्ट्रिक पावर्ड अटैक पनडुब्बियों में लैस किया जाएगा। जो किलो-क्लास (प्रोजेक्ट 877) पर आधारित है। इन पनडुब्बियों को भारत ने 1980 के दशक में सोवियत संघ से खरीदा था।

भारतीय नौसेना कलवरी, सिंधुघोष और शिशुमार क्लास की पनडुब्बियों का संचालन करती हैं। सिंधुघोष-क्लास या किलो-क्लास पनडुब्बियां रूस और भारत के बीच एक समझौते के तहत निर्मित डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां हैं। ये लंबी दूरी के गश्त के लिए डिजाइन की गई हैं और टॉरपीडो तथा मिसाइलों से लैस हैं। इस बेड़े में आईएनएस सिंधुघोष, आईएनएस सिंधुध्वज, सिंधुराज, आईएनएस सिंधुवीर, आईएनएस सिंधुरत्न, आईएनएस सिंधुकेसरी, आईएनएस सिंधुकिर्ती, आईएनएस सिंधुविजय, आईएनएस सिंधुरक्षक और आईएनएस सिंधुशस्त्र शामिल हैं। हालांकि, आईएनएस सिंधुध्वज, आईएनएस सिंधुरक्षक और आईएनएस सिंधुवीर अब सेवा में नहीं हैं और अगले 2-3 सालों में दो और पनडुब्बियों के सेवानिवृत्त होने की संभावना है।

मुसलमानों का डर दूर करना है…”मौलाना साजिद रशीदी ने बताया क्यों दिया बीजेपी को वोट

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दिल्ली में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब सभी को चुनाव परिणाम का इतंजार है। चुनाव खत्म होने के बाद ज्यादातर एग्जिट पोल भाजपा के पक्ष में परिणाम बता रहे हैं। इसी बीच ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन (एआईआईए) के अध्यक्ष साजिद रशीदी ने एक बेहद चौंकाने वाला बयान दिया है और दावा किया है ‌उन्होंने इस बार जिंदगी में पहली बार बीजेपी को वोट दिया है।

जिंदगी में पहली बार बीजेपी को किया वोट- मौलाना साजिद

एआईआईए अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर दावा किया कि उन्होंने जिंदगी में पहली बार बीजेपी को वोट किया है। अपनी स्याही वाली उंगली दिखाते हुए उन्होंने कहा, "दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी, इसके लिए मैंने वोट कर दिया है। यह वोट किसको दिया है, यह जान कर आपको बहुत हैरानी होगी।" उनके इस बयान से सियासी हलचल तेज हो गई है।

भाजपा के नाम पर मुसलमानों में डर पैदा किया जा रहा- मौलाना साजिद

मौलाना साजिद रशीदी ने कहा, "मैंने दिल्ली चुनाव में भाजपा को वोट दिया है और अपना वीडियो वायरल किया है क्योंकि भाजपा के नाम पर मुसलमानों में डर पैदा किया जा रहा है और विपक्षी दल कहते हैं कि मुसलमान भाजपा को वोट न दें। मुसलमानों के दिमाग में यह बात बैठा दी गई है कि भाजपा को हराओ, नहीं तो अगर वे सत्ता में आए तो मुसलमानों के अधिकार छीन लिए जाएंगे। मैंने मुसलमानों के मन से उस डर को निकालने के लिए (भाजपा को) वोट दिया है। अगर दिल्ली में भाजपा की सरकार बनती है तो मैं मुसलमानों को दिखाऊंगा कि मुसलमानों के कौन से अधिकार छीने गए हैं।"

धारणा बन गई है कि मुसलमान बीजेपी के खिलाफ- मौलाना साजिद

मौलाना साजिद कहते हैं कि एक धारणा बन गई है कि मुसलमान केवल बीजेपी को हराने के लिए वोट करते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि यह पहली बार है जब उन्होंने बीजेपी को वोट दिया है। साल 2014 में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के दौरान कहा था कि मुसलमान बीजेपी को वोट नहीं देंगे। हालांकि, मौजूदा समय में उन्होंने महसूस किया कि मुसलमानों को इतना डरा दिया गया है कि वे डर और सहमकर जीवन जी रहे हैं। उनका मानना है कि बीजेपी को वोट देने से इस डर का सामना किया जा सकता है।

बीजेपी को वोट देकर ये संदेश देने की कोशिश- मौलाना साजिद

मौलाना का यह भी कहना है कि जब हम किसी नेता को वोट देते हैं, तो हमें उनसे सवाल पूछने का अधिकार मिलता है। आज बीजेपी कहती है कि वह मुसलमानों के लिए काम क्यों करे? क्योंकि मुसलमान उन्हें वोट नहीं देते। इसलिए उन्होंने बीजेपी को वोट देकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि मुसलमान भी बीजेपी का समर्थन कर सकते हैं और उनसे अपने अधिकारों की मांग कर सकते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि मुझे धमकियां मिल रही हैं और आरोप लगाया जा रहा है कि मैं भाजपा के हाथों बिक गया हूं। ऐसा कुछ नहीं है, मैं भाजपा के किसी नेता से भी नहीं मिला हूं। मेरे खिलाफ मामले दर्ज हैं। मेरा एकमात्र उद्देश्य मुसलमानों के दिल और दिमाग से डर को निकालना है।

दुनिया के सबसे ताकतवर सेनाओं की लिस्ट जारी, जानें भारत का नंबर

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दुनिया की टॉप आर्मी की रैंकिंग जारी करने वाले ऑर्गेनाइजेशन ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स ने साल 2025 की अपनी लिस्‍ट जारी कर दी है। इस सूची में भारत को जो रैंक हासिल हुई है, वो हैरान करने वाला है। इस सूची में भारत की दुनिया की टॉप-5 सबसे ताकतवर सैन्य शक्ति में शामिल किया गया है। यह रैंकिंग भारत की थलसेना, नौसेना और वायुसेना की बढ़ती रक्षा क्षमताओं को दिखाती है।

ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स में भारत की सेना चौथे नंबर पर है। रैंकिंग के अनुसार, अमेरिका की सेना 0.0744 स्कोर के साथ दुनिया की सबसे ताकतवर सैन्य शक्ति है। इसके बाद रूस (0.0788) और चीन (0.0788) का नंबर दिया गया है। भारत को दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सैन्य शक्ति बताया गया है और इसका स्कोर 0.1184 है। टॉप 5 शक्तिशाली सैन्य शक्ति में दक्षिण कोरिया ने भी जगह बनाई है और यह पांचवें स्थान पर है।

भारत छठी बार अपनी चौथी रैंकिंग को बरकरार रखे हुए है। भारत ने पिछले कुछ समय से रक्षा उत्पादन और आत्मनिर्भर होने पर जोर दिया है, जो उसकी ताकत को और भी बढ़ाता है। इंडेक्स में भारत की बढ़त का श्रेय सैन्य शाखाओं में आधुनिकीकरण को दिया जा सकता है। टॉप 10 ताकतवर देशों में फ्रांस है, जो नया शामिल हुआ है। पिछले साल की रैंकिग में यह 11वें नंबर पर था। इस बार फ्रांस 7वें नंबर पर आ गया है। पिछले साल सातवीं रैंक पर जापान था जो इस बार आठवें पर पहुंच गया।

पाकिस्‍तान की सेना 12वें नंबर पर

भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान जो कि हमारा नंबर 1 दुश्‍मन भी है. अब भारत पर आंख उठाने से पहले 100 दफा सोचेगा. भले ही पाकिस्‍तान के पास परमाणु हथियार हैं लेकिन इसके बाद भी वह जीपीएफ इंडेक्स में टॉप 5 तो छोड़ो टॉप 10 देशों में भी अपनी जगह नहीं बना पाया है. जीपीएफ इंडेक्स में पाकिस्तान को 12वां स्थान दिया गया है और वह ब्राजील से भी नीचे है.

इस मामले में दूसरे नंबर पर भारत

सबसे ज्यादा सैनिकों की बात करें तो इस मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। भारत के पास 14,55,550 सैनिक हैं। इसके अलावा भारत के पास 11,55,000 रिजर्व सैनिक हैं। भारत के पास हथियारों की बात करें तो इसमें टी-90 भीष्म और अर्जुन टैंक, ब्रह्मोस मिसाइल और पिनाका रॉकेट सिस्टम जैसे उन्नत हथियार हैं। भारतीय वायुसेना ने अपने बेड़े में काफी विस्तार किया है। इंडियन एयरफोर्स के पास 2,229 विमान हैं, जिनमें 600 लड़ाकू जे, 899 हेलीकॉप्टर और 831 सहायक विमान शामिल हैं। भारतीय नौसेना ने भी 142,251 कर्मियों और 150 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के साथ अपनी स्थिति मजबूत की है।

बजट 2025 में दिखा पड़ोसी देशों के साथ संबंधों का असर, जाने भारत ने किसे दी कितनी मदद?

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार (1 जनवरी) को आम बजट 2025-26 पेश किया। हर साल जब सरकार की ओर से बजट पेश किया जाता है तो हर आम और खास को इससे काफी आशा होती है। बजट केवल अपने देश के लिए लोगों का ही हित साधक नहीं होता, बल्कि पड़ोसी देशों की भी इसपर नजर होती है। इस बात पर सबकी नजर होती है कि सरकार ने किस देश के लिए कितनी सहायता राशि का ऐलान किया है, खासकर पड़ोसी देशों के लिए।भारत ने इस बार के बजट (2025-26) में विदेशी सहायता के मद में कटौती की है। वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में विदेशी सहायता के लिए संशोधन आवंटन 5806 करोड़ रुपये था लेकिन इस साल इसे घटाकर 5,483 करोड़ रुपये कर दिया गया है। हालांकि, भारत ने अपने पड़ोसी देशों का पूरा ध्यान रखा है। भारत ने मालदीव और अफगानिस्तान के लिए सहायता बढ़ाई है, जबकि बांग्लादेश से रिश्तों में तल्खियों के बावजूद सहायता राशि में कटौती नहीं की गई है।

मालदीव हुआ “मालामाल”

बजट 2025 के फंड आवंटन में मालदीव को सबसे अधिक फायदा हुआ है। मालदीव को केंद्रीय बजट 2025 में अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच विकास सहायता में सबसे अधिक वृद्धि मिली है। दोनों देशों के बीच पिछले कुछ समय संबंधों में खटास के बाद इसे अहम माना जा रहा है।मालदीव के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से पेश किए गए 2025 के बजट में परिव्यय में लगभग 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बजट दस्तावेज के अनुसार, 2025-26 में मालदीव के लिए 600 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह वित्त वर्ष 2024-25 में द्वीप राष्ट्र को दिए गए 470 करोड़ रुपये से काफी अधिक है।

बांग्लादेश को क्या मिला?

शेख़ हसीना की सत्ता के पतन के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं, लेकिन इस बार के बजट में बांग्लादेश को मिलने वाली सहायता राशि को जस की तस रखा गया है। बांग्लादेश के बजट में सरकार ने कोई बढ़ोतरी नहीं की है। बांग्लादेश के लिए बजट राशि पिछले साल के 120 करोड़ में कोई फेरबदल नहीं हुआ है।

सबसे ज्यादा बजट भूटान के लिए

भारत सबसे ज़्यादा भूटान की आर्थिक मदद करता है। भारत ने 2025-26 के बजट में भूटान के लिए 2150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसके लिए संशोधित बजट 2543 करोड़ रुपये का था। भारत भूटान को इन्फ्रास्ट्रक्चर, पनबिजली परियोजनाओं और आर्थिक सहयोग से जुड़ी परियोजनाओं के लिए मदद देता है।

अफगानिस्तान की सहायता कम हुई

भारत अफगानिस्तान से बेहतर रिश्ते कायम करने की लगातार कोशिश कर रहा है. लेकिन, बजट में इसकी छाप नहीं दिखाई दी। अफगानिस्तान को पिछले साल 200 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई थी, जो 2025-26 में घटकर 100 करोड़ रुपये रह गई है। यह दो साल पहले दिए गए 207 करोड़ रुपये से काफी कम है। भारत तालिबान सरकार के साथ अपने व्यवहार में सतर्क रहा है और उसने अपनी भागीदारी को मानवीय सहायता और आर्थिक सहयोग तक ही सीमित रखा है।

म्यांमार को सहायता में वृद्धि

म्यांमार के बजट में 2024-25 के 250 करोड़ रुपये से 2025-26 के लिए 350 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है। यह देश में चल रही उथल-पुथल के बीच किया गया है। केंद्र सरकार ने हाल ही में भारत-म्यांमार सीमा पर लोगों की आवाजाही के नियमों को कड़ा कर दिया है। नए नियमों के अनुसार, दोनों तरफ फ्री मूवमेंट रिजीम (एफएमआर) के तहत 16 किलोमीटर से लेकर 10 किलोमीटर तक की आवाजाही प्रतिबंधित है।

नेपाल के साथ 700 करोड़ रुपये का आवंटन बरकरार

हाल के दिनों में नेपाल पर चीन का असर बढ़ा है। लेकिन भारत नेपाल के साथ लगातार संबंध सुधारने की कोशिश में लगा है। भारत ने हाल में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है, जिससे चीन के साथ नेपाल की नजदीकी बढ़े। वित्त वर्ष 2024-25 में नेपाल के लिए संशोधित बजट 700 करोड़ रुपये का था। वित्त वर्ष 2025-26 में भी इसमें कोई कटौती नहीं की गई है और इसे 700 करोड़ ही रखा गया है।

चीन-कनाडा-मैक्सिको के बाद डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ लिस्ट में कौन, क्या अगला नंबर भारत का?

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अमेरिका ने मेक्सिको, कनाडा और चीन पर टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। ट्रंप ने मेक्सिको और कनाडा से आने वाले सामानों पर 25 फीसदी और चीन से इंपोर्ट पर 10 फीसदी का टैरिफ लगाने का फैसला किया है। ट्रंप के इस फैसले से तीनों देश नाराज हैं, वहीं पूरी दुनिया ट्रंप के इस फैसले को चिंतित है। सवाल है कि तीन देशों पर लगे टैरिफ के बाद अब किसकी बारी है? क्या अगला नंबर भारत का हो सकता है?

डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व में भारत की टैरिफ नीतियों की कड़ी आलोचना की है। वह भारत को 'टैरिफ किंग' तक कह चुके हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह से भारत की टैरिफ नीतियों की सख्त आलोचना पूर्व में की है। उससे ये अंदेशा है कि भारत भी उनके टैरिफ की हिट लिस्ट में होगा। हालांकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।भारत फिलहाल इससे बचा हुआ है लेकिन सवाल है कि क्या आगे भी इससे बच पाएगा?

ट्रंप के टैरिफ से बचने की कोशिश

शनिवार को भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का बजट पेश किया। सरकार ने कुछ कस्टम ड्यूटी कम की है। जिसका असर अमेरिका से होने वाले निर्यात पर पड़ता हुआ दिखाई दे सकता है। भारत ने हाई-एंड मोटरसाइकिल, कार और स्मार्टफोन पार्ट्स पर कस्टम ड्यूटी कम की है। इससे अमेरिकी कंपनियों जैसे हार्ले-डेविडसन, टेस्ला और ऐपल को फायदा होगा। भारत के कदम को ट्रंप के टैरिफ से बचने की कोशिश की तरह देखा गया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्या कहा

वहीं, समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्रंप के टैरिफ को लेकर जब उनसे पूछा गया कि क्या इस घटना का असर भारत पर पड़ेगा तो उन्होंने कहा, हम नहीं जानते कि इसका हमारे लिए क्या परिणाम होगा। लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से हम पर असर हो सकता है। हम अभी नहीं जानते कि क्या होने वाला है। हम सतर्क रहेंगे, लेकिन हम इस समय यह अनुमान नहीं लगा सकते कि इसका हम पर क्या प्रभाव होगा। हालांकि, इस घटना से मैं चितिंत नहीं हूं।

अनावश्यक टैरिफ से फायदा नहीं- वित्त मंत्री

निर्मला सीतारमण ने एक संतुलित टैरिफ दृष्टिकोण की आवश्यकता की ओर इशारा किया। आवश्यक आयातों में अनावश्यक टैरिफ लगाए बिना घरेलू उद्योगों की रक्षा की जाए। कई वस्तुएं हैं, जो भारत में उपलब्ध नहीं है, उन पर ज्यादा टैरिफ लगाने से हमारा फायदा नहीं होने वाला

भारत के बजट से अमेरिका को क्या होगा फायदा? ट्रंप के 'टैरिफ वॉर' के बीच सीतारमण का जवाब

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को लोकसभा में बजट पेश किया। इस बजट में मध्य वर्ग को बड़ी राहत दी गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती और विकास दर पर उठ रहे सवालों के बीच इस बजट में अलग अलग वर्ग को राहत देने की कोशिश दिखाई दे रही है। इन सबके बीच देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक ऐसा भी ऐलान किया है, जो डोनाल्ड ट्रंप को काफी खुश कर सकता है। जी हां, सरकार ने कुछ कस्टम ड्यूटी कम की है। जिसका असर अमेरिका से होने वाले निर्यात पर पड़ता हुआ दिखाई दे सकता है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने रविवार को कहा कि मोटरसाइकिल और स्वाद बढ़ाने वाले कृत्रिम तत्व जैसे प्रोडक्ट्स पर बजट में कस्टम ड्यूटी घटाई गई है। इससे अमेरिकी निर्यात को लाभ होगा। जीटीआरआई ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत की‘टैरिफ किंग’के रूप में आलोचना करने के बाद देश के बजट ने कई उत्पादों पर महत्वपूर्ण शुल्क कटौती की गई है। इनमें से कई प्रोडक्ट्स अमेरिकी एक्सपोर्ट को फायदा पहुंचाने वाले हैं। जीटीआरआई ने बयान में कहा,‘‘टेक्नोलॉजी, व्हीकल, इंडस्ट्रीयल रॉ मटेरियल और स्क्रैप के आयात पर शुल्क कटौती के साथ भारत व्यापार को सुविधाजनक बनाने की दिशा में कदम उठाता दिख रहा है।

बदलेगा ट्रंप का नजरिया?

डोनाल्ड ट्रंप हमेशा भारत की टैरिफ किंग के तौर पर आलोचना करते हैं, लेकिन बजट ने कई उत्पादों पर महत्वपूर्ण शुल्क कटौती से अमेरिकी निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। उम्मीद की जा रही है कि बजट में इस ऐलान के बाद ट्रंप का नजरिया बदलेगा।

बता दें कि अप्रैल-नवंबर, 2024-25 के दौरान अमेरिका 82.52 अरब डॉलर व्यापार के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। इसके पहले 2021-24 के दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।

इन चीजों से शुल्क घटी

फ्रोजेन मछली पेस्ट (सुरीमी) और जलीय चारे के लिए मछली हाइड्रोलाइजेट पर शुल्क घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है. इन पर अभी तक लागू शुल्क क्रमश: 30 प्रतिशत और 15 प्रतिशत था. रसायन क्षेत्र में, पिरिमिडीन और पिपरेजीन यौगिकों पर शुल्क को मौजूदा 10 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया है. इनका उपयोग खाद्य और पेय पदार्थों को एक निश्चित स्वाद देने के लिए किया जाता है. इसी तरह कम कैलोरी वाले यौगिक सोर्बिटोल पर शुल्क मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके अलावा, प्रमुख खनिजों (लिथियम, कोबाल्ट, सीसा, जस्ता, तांबा) और कोबाल्ट पाउडर के अपशिष्ट और स्क्रैप पर सीमा शुल्क खत्म कर दिया गया है. मंत्रालय ने कहा कि इन उपायों से आयात निर्भरता कम होगी, उत्पादन लागत कम होगी और प्रमुख उद्योगों में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी

*इंडोनेशियाई हिंदू परंपरा: मंदिर प्रतिष्ठापन में कुम्बाभिषेकम का पवित्र अनुष्ठान*

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भारत और इंडोनेशिया का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध बहुत गहरा है, जो प्राचीन व्यापारिक रिश्तों, आध्यात्मिक जुड़ावों और एक-दूसरे की परंपराओं के प्रति सम्मान से जुड़ा हुआ है। वर्षों के दौरान, दोनों देशों ने राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत किया है, और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत-इंडोनेशिया संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।

भारत-इंडोनेशिया संबंधों का ऐतिहासिक संदर्भ

भारत और इंडोनेशिया के बीच प्राचीन समय से ही सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, जो प्राचीन समुद्री व्यापार मार्गों और हिंदू धर्म तथा बौद्ध धर्म के प्रसार से प्रभावित थे। ऐतिहासिक पुरावशेष, शिलालेख और सांस्कृतिक प्रथाएँ इन प्राचीन संबंधों को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया की कला, वास्तुकला और धर्म में भारतीय संस्कृति का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जैसे कि बाली के मंदिरों और जावा के बौद्ध मंदिर बोरोबुदुर में भारतीय प्रभाव स्पष्ट है। इसी तरह, भारतीय महाकाव्य रामायण इंडोनेशियाई नृत्य और नाटक में प्रचलित है।

आधुनिक कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत 20वीं सदी के मध्य में इंडोनेशिया के स्वतंत्र होने के बाद हुई, और दोनों देशों ने आपसी सम्मान और सहयोग पर जोर दिया। हालांकि, राजनीतिक परिस्थितियों के बदलने के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव आया।

मोदी युग: संबंधों में मजबूती

जब से नरेंद्र मोदी 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बने हैं, भारत-इंडोनेशिया संबंधों में एक नई गति देखने को मिली है। मोदी की "एक्ट ईस्ट" नीति, जो दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने पर केंद्रित है, ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मोदी के नेतृत्व में मुख्य बदलाव:

1.रणनीतिक साझेदारी:

  2018 में, भारत और इंडोनेशिया ने अपने संबंधों को "समग्र रणनीतिक साझेदारी" में बदल दिया, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और रक्षा संबंध मजबूत हुए। दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र और G20 जैसे वैश्विक मंचों पर सहयोग बढ़ाया।

2. आर्थिक सहयोग:

  मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और इंडोनेशिया के बीच व्यापार में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। भारत, इंडोनेशिया को पेट्रोलियम उत्पादों, वाहन और मशीनरी निर्यात करता है, जबकि इंडोनेशिया भारत को ताड़ का तेल, कोयला और वस्त्र निर्यात करता है। दोनों देशों ने व्यापार बढ़ाने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने और बाधाओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

3. सुरक्षा और रक्षा संबंध:

  भारत और इंडोनेशिया ने अपने रक्षा सहयोग को बढ़ाया है, संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित किए हैं, खुफिया जानकारी साझा की है और समुद्री सुरक्षा को मजबूत किया है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देशों की रणनीतिक स्थिति Indo-Pacific क्षेत्र में बहुत अहम है।

4. सांस्कृतिक कूटनीति:

  मोदी के नेतृत्व में सांस्कृतिक कूटनीति को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। सांस्कृतिक संबंधों पर जोर दिया गया है, और मोदी सरकार ने हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म जैसे साझा ऐतिहासिक और धार्मिक संबंधों का महत्व बढ़ाया है।

जकार्ता मंदिर और कुम्बाभिषेकम का महत्व

भारत और इंडोनेशिया के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जकार्ता मंदिर और कुम्बाभिषेकम हैं।

1. जकार्ता मंदिर (पुरा अगुंग):

  जकार्ता में कई हिंदू मंदिर हैं, और पुरा अगुंग उन मंदिरों में से एक महत्वपूर्ण है, जो भारत और इंडोनेशिया के बीच आध्यात्मिक संबंधों का प्रतीक है। यह मंदिर इंडोनेशिया में हिंदू-बलिनी प्रभाव का प्रतीक है, साथ ही दोनों देशों के बीच साझा धार्मिक मूल्यों को भी दर्शाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने अक्सर भारत और इंडोनेशिया के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को स्वीकार किया है, जिसमें ये मंदिर और धार्मिक प्रथाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

2. कुम्बाभिषेकम एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है, जो मंदिरों के प्रतिष्ठापन या विशेष मंदिर आयोजनों के दौरान किया जाता है। यह संस्कृत शब्दों "कुम्भ" (घड़ा) और "अभिषेकम" (स्नान या अभिषेक) से उत्पन्न हुआ है।

इंडोनेशिया में कुम्बाभिषेकम:

इंडोनेशिया, विशेष रूप से बाली में, जहाँ हिंदू धर्म की जड़ें गहरी हैं, कुम्बाभिषेकम समारोह का आयोजन मंदिरों में किया जाता है। यह अनुष्ठान तब होता है जब किसी नए देवता की मूर्ति स्थापित की जाती है या मंदिर के विशेष अवसरों पर उसे शुद्ध और पवित्र किया जाता है। इस अनुष्ठान में एक पवित्र घड़े (कुम्भ) से पवित्र जल से देवता की मूर्ति का अभिषेक किया जाता है, जो मंदिर और समुदाय के लिए आशीर्वाद और शांति की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।

यह अनुष्ठान बाली के हिंदू मंदिरों में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जिसमें स्थानीय लोग अपनी आस्था और भक्ति व्यक्त करते हैं।

भू-राजनीति में बदलता हुआ भूमिका

दोनों देशों की भू-राजनीतिक भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। मोदी के नेतृत्व में, भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत किया है, और इंडोनेशिया, जो इस क्षेत्र का एक प्रमुख देश है, भारत की रणनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। दोनों देशों का ASEAN और इंडोनेशिया महासागर रिम एसोसिएशन जैसे मंचों पर सहयोग बढ़ा है, जो क्षेत्र में चीन के प्रभाव को चुनौती देने के लिए अहम है।

भारत और इंडोनेशिया का संबंध वर्षों से विकसित हुआ है, जो सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आदान-प्रदान से लेकर एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी में बदल गया है, विशेष रूप से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद। जकार्ता मंदिर और महाकुम्भिकम जैसे महत्वपूर्ण क्षण, दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाते हैं। जैसे-जैसे दोनों देश अपने संबंधों को और मजबूत करेंगे, यह संभावना है कि उनकी साझेदारी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की भू-राजनीति को प्रभावित करती रहेगी।

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2023 में वीजा अवधी खत्म होने के बाद रुकने वालों में भारतीय सबसे आगे, यूएस संसद में पेश रिपोर्ट में दावा

#over7000studentexchangevisitorsfromindiaoverstayedinusin_2023

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में अवैध आप्रवासियों के खिलाफ निर्वासन अभियान शुरू किया है। अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय पढ़ाई और नौकरी के लिए जाते हैं। इस बीच अमेरिका में वीजा पर रह रहे भारतीय छात्रों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि 2023 में 7,000 से अधिक भारतीय छात्र अमेरिका में अपने निर्धारित समय से अधिक समय तक रुके है। यह जानकारी सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज की जेसिका एम वॉन ने अमेरिकी हाउस कमेटी को दी।

एफ-1 और एम-1 वीजा धारक तय समय से अधिक रुकते हैं

‘सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज’ की जेसिका एम. वॉन ने अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की न्यायपालिका संबंधी समिति को बताया कि निर्धारित समय से अधिक ठहरने वालों में सबसे अधिक संख्या एफ और एम श्रेणी के वीजा धारकों की रही। उन्होंने बताया कि दुनिया के 32 देशों में छात्र और विनिमय आगंतुकों के अमेरिका में तय समय से अधिक रुकने की दर 20 प्रतिशत से भी ज्यादा है। विशेष रूप से, एफ-1 और एम-1 वीजा धारक, जो शैक्षिक और व्यावसायिक कामो के लिए आते हैं, इनमें सबसे ज्यादा लोग तय समय से अधिक रुकते हैं।

तय अवधि से ज्यादा रुकने वालों में भारतीय सबसे ज्यादा

वॉन ने अमेरिकी हाउस कमेटी को ये भी बताया कि ब्राजील, चीन, कोलंबिया और भारत जैसे देशों में हजारों लोग अपनी वीजा अवधि से ज्यादा समय तक अमेरिका में रहते हैं और भारत से आने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है, करीब 7,000 से भी ज्यादा। उन्होंने इसके अलावा अमेरिका की आव्रजन नीतियों में सुधार की आवश्यकता की बात की, जिसमें एच-1बी वीजा जैसे कार्यक्रमों में सुधार की भी सिफारिश की गई है।

बता दें कि एफ-1 के तहत वीजा में किसी व्यक्ति को किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज, विश्वविद्यालय, सेमिनरी, कंजर्वेटरी, अकादमिक हाई स्कूल, प्राथमिक विद्यालय या अन्य शैक्षणिक संस्थान या भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम में पूर्णकालिक छात्र के रूप में अमेरिका में रहने की अनुमति मिलती है। एम-1 वीजा भाषा प्रशिक्षण के अलावा व्यावसायिक या अन्य गैर-शैक्षणिक कार्यक्रमों में अध्ययनरत छात्रों को मिलता है।