समंदर में दुश्मन का हर वार होगा नाकाम, रूस से एंटी-शिप क्रूज मिसाइल खरीद रहा भारत, बढ़ेगी नौसेना की ताकत
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भारत लगाातार अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा कर रहा है। साउथ एशिया में भारत एक मजबूत देश के रूप में उभर रहा हैं। अब भारत सरकार ने इंडियन नेवी को और ताकतवर बनाने के लिए रूस से क्लब-एस क्रूज मिसाइलों की खरीददारी के लिए बहुत बड़ा समझौता किया है। भारत ने एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों की खरीद के लिए रूस के साथ ये अहम समझौता किया है। इस कदम से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बेड़े की युद्धक क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।
रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में जानकारी दी। मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में बताया कि आज रक्षा मंत्रालय ने रूस के साथ एंटी-शिप क्रूजत मिसाइल की खरीद के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन मिसाइलों से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बेड़े की युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। समझौता रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में किया गया। हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने मिसाइल सिस्टम के नाम, संख्या और लागत को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है
बता दें कि एंटी-शिप क्रूज मिसाइल गाइडेड मिसाइल होती हैं, जिसे समुद्र में दुश्मन के जंगी जहाजों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें पनडुब्बियों में लगाया जाता है, और ये पलभर में दुश्मन के फाइटर जेट्स को तबाह करने की क्षमता रखती हैं। बता दें कि कई देशों ने अपने यहां एंटी-शिप क्रूज मिसाइल विकसित की हैं। रूस की एंटी-शिप क्रूज मिसाइल को काफी पावरफुल माना जाता है।
इन मिसाइलों को भारतीय नौसेना की किलो-क्लास अटैक पनडुब्बियों में फिट किया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी मिसाइलों को सिंधुघोष-क्लास के नाम से जानी जाने वाली डीजल-इलेक्ट्रिक पावर्ड अटैक पनडुब्बियों में लैस किया जाएगा। जो किलो-क्लास (प्रोजेक्ट 877) पर आधारित है। इन पनडुब्बियों को भारत ने 1980 के दशक में सोवियत संघ से खरीदा था।
भारतीय नौसेना कलवरी, सिंधुघोष और शिशुमार क्लास की पनडुब्बियों का संचालन करती हैं। सिंधुघोष-क्लास या किलो-क्लास पनडुब्बियां रूस और भारत के बीच एक समझौते के तहत निर्मित डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां हैं। ये लंबी दूरी के गश्त के लिए डिजाइन की गई हैं और टॉरपीडो तथा मिसाइलों से लैस हैं। इस बेड़े में आईएनएस सिंधुघोष, आईएनएस सिंधुध्वज, सिंधुराज, आईएनएस सिंधुवीर, आईएनएस सिंधुरत्न, आईएनएस सिंधुकेसरी, आईएनएस सिंधुकिर्ती, आईएनएस सिंधुविजय, आईएनएस सिंधुरक्षक और आईएनएस सिंधुशस्त्र शामिल हैं। हालांकि, आईएनएस सिंधुध्वज, आईएनएस सिंधुरक्षक और आईएनएस सिंधुवीर अब सेवा में नहीं हैं और अगले 2-3 सालों में दो और पनडुब्बियों के सेवानिवृत्त होने की संभावना है।
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