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भारतीय वायुसेना होगी और ताकतवर, लड़ाकू विमानों की “फौज” बनाने की तैयारी

#india_preparing_to_purchase_114_new_fighter_aircraft

भारत का पड़ोसी देश चीन लगातार अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी कर रहा है। चीन अपनी सेना और हथियारों को अत्याधुनिक बनाने की कोशिश में जुटा है। चीन की बढ़ती ताकत सबसे पहले भारत के लिए खतरा पैदा कर सकती है। ऐसे में भारत को भी अपनी ताकत बढ़ाने की जरूरत है। इसी क्रम में भारतीय वायुसेना अपनी ताकत बढ़ाने के लिए 114 नए मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी में है।

रक्षा मंत्रालय की एक कमेटी ने इस जरूरत को सही ठहराया है। पुराने सोवियत विमानों के रिटायर होने और नए विमानों की कमी के चलते वायुसेना के स्क्वाड्रनों की संख्या घट रही है। इस कमी को पूरा करने के लिए नए विमान जरूरी हैं। इसका बजट अरबों डॉलर का होगा और इसमें कई बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हिस्सा लेंगी।

भारत ने वायुसेना के 20 अरब डॉलर के मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) कार्यक्रम के तहत 114 मल्टीरोल फाइटर जेट खरीदने की भी योजना बनाई है। इस योजना के तहत विदेशी जेट विमानों को भारत में बनाने की शर्त रखी गई है, जिसमें तकनीक हस्तांतरण (ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी) की जरूरत होगी और यही इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी चुनौती है। यह प्रोजेक्ट साल 2019 से रुका हुआ है।

वायुसेना चीफ एपी सिंह ने कहा है कि नए लड़ाकू विमानों का निर्माण C-295 मॉडल पर किया जाना चाहिए। यह वही मॉडल है जिसके तहत एयरबस और टाटा मिलकर भारत में सैन्य परिवहन विमान बना रहे हैं। इसी तरह, कोई भी विदेशी कंपनी किसी भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी कर इन लड़ाकू विमानों को भारत में बनाएगी। इससे भारतीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और तकनीकी क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी।

भारत सरकार और फ्रांस सरकार के बीच राफेल विमानों की खरीद पर हुई अलोचना के बाद, अब भारतीय सरकार चाहती है कि यह डील पूरी तरह पारदर्शी और बिना किसी विवाद के हो। इस डील के लिए पांच जेट विमान दौड़ में है, जिनमें राफेल सबसे आगे है क्योंकि यह पहले से ही भारतीय वायुसेना में इस्तेमाल हो रहा है।

इस सौदे में बोइंग (F/A 18 सुपर हॉर्नेट), लॉकहीड मार्टिन (F 21), डसॉल्ट (राफेल) और साब (ग्रिपेन) जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हो सकती हैं। इसमें से बोइंग और महिंद्रा पहले ही इस प्रोजेक्ट पर चर्चा कर चुके हैं। वहीं, लॉकहीड मार्टिन टाटा के साथ मिलकर काम कर सकती है। हालांकि, इसका F-35 विमान इस दौड़ में शामिल नहीं होगा, क्योंकि भारत चाहता है कि नए विमान भारत में ही बनाए जाएं और साथ ही टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी हो।

जबकि फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट ने एक प्रस्ताव भेजा है कि अगर उसे 114 विमानों का ऑर्डर मिलता है, तो वह भारत में एक सहायक कंपनी बनाएगी, जो भारतीय वायुसेना के लिए और निर्यात के लिए विमान बनाएगी। स्वीडन की कंपनी 'साब' पहले अडानी डिफेंस के साथ काम कर रही थी, लेकिन अब यह समझौता दोनों के बीच समाप्त हो गया है। रूस भी अपने लड़ाकू विमान पेश करने को तैयार है, लेकिन भारतीय वायुसेना को आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और उन्नत तकनीक वाले विमान चाहिए, जो चीन की चुनौती का सामना कर सकें।

ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी, भारत पर क्या होगा असर?

#donaldtrump100percenttariffimpactindia

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अमेरिका 2 अप्रैल से दुनियाभर के देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने जा रहा है। रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब है जो अमेरिका पर जितना टैरिफ लगाता है, अमेरिका भी उस देश पर उतना ही टैरिफ लगाएगा। इसका मतलब है कि कई देशों को अमेरिका में एक्सपोर्ट होने वाले सामान पर ज्यादा टैरिफ देना होगा। रेसिप्रोकल टैरिफ भारत के लिए भी काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। भारत के कई उद्योगों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा।

अमेरिकी संसद को संबोधित करते हुए भी डोनाल्ड ट्रंप ने भारत का नाम लिया है और पारस्परिक टैरिफ लगाने की बात कही है। ट्रंप ने कहा, "अन्य देशों ने दशकों से हमारे खिलाफ टैरिफ का इस्तेमाल किया है। अब उन अन्य देशों के खिलाफ उनके हथियार का ही इस्तेमाल करने की हमारी बारी है। औसतन यूरोपीय संघ, चीन, ब्राजील, भारत और अनगिनत अन्य देश हमसे बहुत अधिक टैरिफ वसूलते हैं। उनकी तुलना में हम उनसे कम टैरिफ लेते हैं। यह बिल्कुल अनुचित है। अगले महीने से भारत के ऊपर अमेरिका का पारस्परिक टैरिफ सिस्टम शुरू हो जाएगा, यानि अमेरिकी सामानों पर भारत जितना टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी भारतीय सामानों पर उतना ही टैरिफ लगाएगा।

चीन से लेकर कनाडा तक डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसलों पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे हैं लेकिन भारत शांति का द्वीप बना हुआ है। ट्रंप के टैरिफ से दुनिया में उथल-पुथल है, जबकि डोनाल्ड ट्रंप पहले ही स्टील और एल्युमीनियम आयातों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाकर भारत को बड़ा झटका दे चुके हैं फिर भी भारत शांत है।

इकोनॉमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ज्यादा समय तक शांति देखने को नहीं मिलेगी। भारत लंबे समय तक प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते हैं। भारत को अप्रैल महीने में टैरिफ युद्ध में फंसा लिया जाएगा जब पारस्परिक टैरिफ फैसला लागू हो जाएगा।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में मामले से परिचित लोगों का हवाला देते हुए कहा गया है कि "भारतीय अधिकारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकी भरे पारस्परिक शुल्क से बचने के लिए कारों और रसायनों सहित कई तरह के आयातों पर शुल्क कम करने के तरीके तलाश रहे हैं। नई दिल्ली में अधिकारी ऑटोमोबाइल, कुछ कृषि उत्पादों, रसायनों, महत्वपूर्ण फार्मास्यूटिकल्स, साथ ही कुछ चिकित्सा उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए शुल्क कम करने पर चर्चा कर रहे हैं।"

भारत को नुकसान का अनुमान

एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप द्वारा प्रस्तावित 100% टैरिफ भारत पर महत्वपूर्ण असर डाल सकती है, जिससे भारतीय निर्यातकों को लगभग 7 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है। अमेरिका के पारस्परिक टैरिफ को लेकर ऑटो इंडस्ट्री और कृषि इंडस्ट्री के कारोबारी टेंशन में हैं। यह टैरिफ खासतौर से ऑटोमोबाइल, कृषि, रसायन, धातु उत्पाद, आभूषण, फार्मास्यूटिकल्स और खाद्य उत्पादों जैसे क्षेत्रों को प्रभावित करेगा।

पीयूष गोयल अमेरिका दौरे पर

दूसरी तरफ, भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल इन मुद्दों पर चर्चा करने और संभावित व्यापार समझौतों पर बातचीत के लिए अमेरिका की यात्रा की है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने पहले ही कुछ वस्तुओं पर टैरिफ कम किए हैं और ऊर्जा आयात बढ़ाने के साथ-साथ रक्षा उपकरणों की खरीद भी बढ़ाई है ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव को कम हो सके। बता दें कि इससे पहले पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 2025 की आखिर तक व्यापार समझौते के पहले खंड पर काम करने पर सहमति जताई है, जिसका लक्ष्य 2030 तक 500 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार करना है।

Celebrating 1.5 Years of Success: World EdX’s Impact on Study Abroad Aspirants in India!

February 14, Kanpur- Imagine stepping onto a university campus in a foreign land, a dream you once thought impossible is now a vibrant reality. For countless Indian students, this dream is becoming a reality, thanks to the dedicated efforts of organizations like World EdX Pvt. Ltd. Today, we celebrate a significant milestone: 1.5 years of empowering study abroad aspirants in India!

World EdX was founded on a simple yet powerful idea: to bridge the gap between Indian students and their global education aspirations. The visionaries behind this initiative, Directors Ankit Srivastava, Ashish Gupta, Atul Agarwal, and Manika Gupta envisioned a future where pursuing international education was accessible and achievable for every determined student. Their passion, combined with a deep understanding of the challenges faced by Indian students, laid the foundation for World EdX’s remarkable journey.

Ashish Gupta has mentioned that since the inception of World EdX, we’ve witnessed incredible growth and achieved milestones that fill us with pride. We have helped 5000+ students embark on international education journeys, securing placements in top-tier universities across 10+ countries. From navigating complex application processes to providing personalized guidance on visa requirements, World EdX has been a constant companion for students. We are expanding our network of partner universities, forging strong relationships with institutions that recognize the potential of Indian students.

The Voice of Success:  

"The support I received from World EdX was invaluable," says Saransh Shukla, who recently secured admission to the University of York in the UK. "They helped me every step of the way, from choosing the right program to preparing for my visa interview."

What truly sets World EdX apart is its commitment to personalized support. Their team of expert counselors works closely with each student, providing tailored guidance that maximizes their chances of success. Whether it's identifying the right university, crafting a compelling statement of purpose, or preparing for standardized tests, they provide the support and resources needed. Under COO Ashish Mathur’s leadership, World EdX has streamlined its processes, ensuring a seamless and efficient experience for every student. Ashish Mathur's expertise in the international education industry has been instrumental in scaling our operations and expanding our reach.

Ashish Mathur shares: “World EdX is constantly evolving and innovating to better serve the needs of its students. We're excited to introduce a new AI-powered platform, which will provide personalized study-abroad recommendations and streamline the application process.”

They invite you to join them in celebrating this milestone!

Visit the website www.worldedx.com to learn more about their services and how they can help you achieve your study abroad goals. Follow us on social media YouTubeInstagram for the latest updates and student success stories. For a limited time.

They remain committed to the mission of empowering Indian students and shaping the future of global education. Here's to many more years of helping students reach for the stars!

ट्रंप की धमकियों के बाद बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच दिल्ली पहुंचीं यूरोपीय संघ की प्रमुख, भारत को बताया भरोसेमंद देश

#indiaandeuropeanunionleadershipmeetingursulavonderleyenarrivedindelhi

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्‍ट्रपति बनने के बाद जिस तेजी से दुनिया बदली है, यूरोप खुद को अलग-थलग पा रहा है। ऐसे समय में वैश्विक व्यापार और कूटनीति में अस्थिरता देखी जा रही है। ऐसे में यूरोप अब भारत की ओर उम्मीदों की निगाह से देख रहा है। इसी उम्मीद के साथ यूरोपीय संघ (ईयू) की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन गुरुवार को भारत पहुंचीं। भारत आने के बाद यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला ने एक्स पर लिखा कि संघर्ष और कड़ी प्रतिस्पर्धा के दौर में भरोसेमंद मित्रों की जरूरत होती है और यूरोप के लिए भारत एक ऐसा ही मित्र और रणनीतिक सहयोगी है।

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन दो दिवसीय भारत दौरे पर गुरुवार को दिल्ली पहुंचीं। दिल्ली हवाई अड्डे पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने उनका स्वागत किया। दिल्ली पहुंचने के बाद लिएन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा की।

नई दिल्ली पहुंचने के बाद उर्सुला लेयेन ने साफ किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकियों के बीच यूरोप को भारत में एक भरोसेमंद मित्र नजर आ रहा है। उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने लिखा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस बात पर चर्चा करूंगी कि हमारी रणनीतिक साझेदारी को अगले स्तर पर कैसे ले जाया जाए।

भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते पर होगी बात

लिएन कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ व्यापक बातचीत करेंगी। इस मुलाकात में दोनों नेता महत्वाकांक्षी भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए जारी बातचीत का जायजा लेंगे। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, वॉन डेर लेयेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच शुक्रवार को होने वाली व्यापक वार्ता में लंबे समय से प्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मजबूत करने और रक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। दोनों पक्ष रूस-यूक्रेन संघर्ष, भारत-प्रशांत की स्थिति और पश्चिम एशिया के घटनाक्रम पर भी विचार-विमर्श कर सकते हैं। मोदी और ईयू प्रतिनिधियों की वार्ता के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी होने की भी उम्मीद है।

ट्रंप ने ईयू को चेतावनी दी

बता दें कि ट्रंप ने हाल में यूरोपीय संघ से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी देते हुए कहा था कि ईयू की गठन ही अमेरिका को परेशान करने के लिए किया गया था। वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप यूक्रेन-रूस युद्ध में यूरोपीय देशों की मदद करने की अमेरिकी नीति को पूरी तरह से बदलते हुए अब रूस के साथ खड़े होते दिख रहे हैं।

यूरोपीय संघ भारत के साथ संबंधों को महत्व दे रहा

यूरोपीय आयोग की प्रेसीडेंट उर्सला वोन डेर लेयेन के साथ यूरोपीय आयोग के 22 देशों के आयुक्त भी भारत आ रहे हैं। यह पहला मौका है, जब 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ के इतने सारे देशों के आयुक्त एक साथ किसी देश की यात्रा पर हैं। इससे यह पता चलता है कि यूरोपीय संघ भारत के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व दे रहा है।

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भारत ने पाकिस्तान को बताया “असफल राष्ट्र”, संयुक्त राष्ट्र में पड़ोसी देश को धो डाला

#indiasaidpakistanisafailedcountry

भारत ने अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान की एक बार फिर जमकर क्लास लगाई है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत पर आए दिन आरोप लगाता रहा है। इस पर भारत ने भी वैश्विक मंच से पाकिस्तान को “असफल राष्ट्र” करार दिया। भारत ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की बैठक में पाकिस्तान को जमकर फटकार लगाई है।

पाकिस्तान पर झूठ फैलाने का आरोप

यूएन में भारत के स्थायी मिशन के अधिकारी क्षितिज त्यागी ने जेनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 58वें सत्र की सातवीं बैठक में अपनी बात रखी। भारत ने पाकिस्तान पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया और उसे एक असफल राष्ट्र बताया जो केवल अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है। क्षितिज त्यागी ने कहा कि पाकिस्तान हमेशा कश्मीर और भारत के बारे में झूठ फैलाता आ रहा है। यह आश्चर्यजनक नहीं है कि पाकिस्तान के नेता अपने सैन्य-आतंकवादी परिसर से झूठ फैलाना जारी रखते हैं।

पाकिस्तान को अपने हालात देखने की सलाह

पाकिस्तान ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) को अपना मुखपत्र बताकर संगठन का मजाक उड़ा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस संगठन का समय एक असफल राज्य द्वारा बर्बाद किया जा रहा है। पाकिस्तान पहले अपने यहां के हालात देखे क्षितिज त्यागी ने जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की तरफ से लगाए गए आरोपों पर कहा- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न हिस्सा थे, हैं और रहेंगे। पाकिस्तान को भारत के बजाय अपने देश के हालात बदलना चाहिए।

पाखंड की बू आती है-भारत

त्यागी ने ये भी कहा, इनकी (पाकिस्तान) बयानबाजी में पाखंड की बू आती है। इसकी हरकतें अमानवीय हैं और ये शासन व्यवस्था चलाने में अक्षमता हैं। भारत लोकतंत्र, प्रगति और अपने लोगों के लिए सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग

भारत के रुख की पुष्टि करते हुए त्यागी ने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के साथ हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहे हैं। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने इन क्षेत्रों में हुए कामों की ओर ध्यान भी दिया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रगति हुई है। ये सफलताएं दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जख्मी क्षेत्र में सरकार की ओर से सामान्य स्थिति लाने की प्रतिबद्धता पर लोगों के भरोसे का प्रमाण हैं। पाकिस्तान को भारत के प्रति अपनी नफरत से आगे बढ़ना चाहिए और उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए। भारत अपने लोगों के लिए लोकतंत्र, प्रगति और सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। ये ऐसे मूल्य हैं, जिनसे पाकिस्तान को सीखना चाहिए।

भारत में मानवाधिकारों के हनन का आरोप

इससे पहले यूएनएचआरसी को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के कानून, न्याय और मानवाधिकार मंत्री आजम नजीर तरार ने दावा किया कि कश्मीर में लोगों के अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।

USAID ने भारत में बढ़ाने के लिए नहीं किस काम के लिए दिया फंड, वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा

#usaidfunded7projectsinindiafinanceministryreport

भारतीय चुनावों को प्रभावित करने में यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) की भूमिका इन दिनों काफी चर्चा में है। देश की सियासत में यूएसएड को लेकर विवाद बढ़ा हा है। इस विवाद के बीच वित्त मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी किया है। इसमें फंडिंग को लेकर कई खुलाए किए गए हैं। रिपोर्ट में फंड से जुड़ी सारी डिटेल्स की जानकारी दी गई है कि यूएसएड ने कितनी फंडिंग और उस फंड का इस्तेमाल कहां कहां हुआ? वित्त मंत्रालय की 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि यूएसएड ने भारत में सात प्रमुख परियोजनाओं को 750 मिलियन डॉलर यानी करीब 65 अरब की फंडिंग की। हालांकि, इस दौरान वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के कोई फंडिंग नहीं की गई।

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, यूएसएड की फंडिंग कृषि और खाद्य सुरक्षा, जल, स्वच्छता और साफ-सफाई, नवीकरणीय ऊर्जा, डिजास्टर मैनेजमेंट और हेल्थ से संबंधित प्रोजेक्ट्स के लिए थी। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि यूएसएड ने वन एवं जलवायु अनुकूल कार्यक्रम और ऊर्जा दक्षता प्रौद्योगिकी व्यवसायीकरण और नवाचार परियोजना के लिए भी फंडिंग करने का वादा किया है।

भारत को अमेरिका से 1951 में मदद मिल रही

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अमेरिका से 1951 में मदद मिलनी शुरू हुई थी। यूएसएड की ओर से अब तक भारत को 555 प्रोजेक्ट के लिए 1700 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद मिल चुकी है। इस बीच वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार 2008 के बाद से भारत को यूएसऐड से चुनाव संबंधी किसी मदद का रिकॉर्ड नहीं है।

ट्रंप ने बाइडन प्रशासन पर लगाया आरोप

इसी महीने देश में राजनीतिक विवाद तब शुरू हो गया था जब अरबपति उद्योगपति एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई ने दावा किया था कि उसने ‘मतदाता को प्रभावित करने’ के लिए भारत को दिए जाने वाले 2.1 करोड़ डॉलर के अनुदान को रद्द कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी बार-बार दावा किया कि जो बाइडन के नेतृत्व वाले पिछले प्रशासन के तहत यूएसएड ने भारत को ‘मतदाता को प्रभावित' करने के लिए 2.1 करोड़ डॉलर का वित्त पोषण आवंटित किया था।

ट्रंप ने चार दिन में चौथी बार फंडिंग का सवाल उठाया

ट्रंप पिछले चार दिनों में चौथी बार भारत चुनाव में अमेरिकी फंडिंग पर सवाल उठाया है। इस बार उन्होंने कहा कि मेरे दोस्त मोदी को 182 करोड़ रुपए भेजे गए हैं। ये दूसरी बार है जब ट्रंप ने इस मामले में मोदी का नाम लिया है। ट्रम्प ने 21 फरवरी को कहा था कि ये फंड भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए दिए गए। और हमारा क्या? हमें भी अमेरिका में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए पैसा चाहिए। इसके अलावा ट्रंप ने बांग्लादेश में भेजे गए 250 करोड़ रुपए का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में राजनीतिक माहौल को मजबूत करने के लिए ये फंड एक ऐसी संस्था को भेजा गया, जिसका नाम भी किसी ने नहीं सुना।

दिल्ली में SOUL Leadership Conclave 2025 का भव्य आयोजन, छत्तीसगढ़ से “कुछ फ़र्ज़ हमारा भी” संस्था के लीडर नितिन सिंह राजपूत हुए शामिल

रायपुर- भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित SOUL Leadership Conclave 2025 में देशभर से चयनित 200 युवाओं में छत्तीसगढ़ के “कुछ फ़र्ज़ हमारा भी” संस्था के संस्थापक एवं लीडर नितिन सिंह राजपूत जी का विशेष चयन हुआ है। यह दो दिवसीय भव्य सम्मेलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटित किया गया। इस कार्यक्रम में राजनीति, सार्वजनिक नीति, खेल, व्यवसाय और सामाजिक क्षेत्र के प्रख्यात नेताओं ने अपने नेतृत्व अनुभव युवाओं के साथ साझा किए।

बता दें कि इस विशेष कार्यक्रम में देश और दुनिया के कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने हिस्सा लिया, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
  • रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव
  • भारती एंटरप्राइज़ के संस्थापक एवं अध्यक्ष सुनील भारती मित्तल
  • हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के डीन के सलाहकार एवं UK-India CEO फोरम के सह-अध्यक्ष अजय पीरामल
  • ज़ाइडस लाइफसाइंसेस के अध्यक्ष पंकज आर. पटेल
  • भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर गुकेश डोमराजू
  • इंडिया टुडे के न्यूज़ डायरेक्टर राहुल कंवल
  • अक्षय पात्र फाउंडेशन के CEO श्रीधर वेंकट
  • नीति आयोग के सदस्य डॉ. आर. बालसुब्रमण्यम
  • पूर्व MD और CEO, टाटा मोटर्स – रवि कांत
  • जीएमआर समूह के ऊर्जा और शहरी अवसंरचना अध्यक्ष – जी. बी. एस. राजू
  • श्रीराम चंद्र मिशन के अध्यक्ष – कमलेश पटेल (दाजी)
  • पूर्व उपराज्यपाल, पुडुचेरी एवं भारत की पहली महिला IPS अधिकारी – डॉ. किरण बेदी
  • पूर्व गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक – शक्तिकांत दास
  • मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया – डॉ. जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़
  • सेल्सफोर्स इंडिया की अध्यक्ष एवं CEO, पूर्व अध्यक्ष SBI – अरुंधति भट्टाचार्य
  • केंद्रीय पर्यावरण मंत्री – भूपेंद्र यादव
  • राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी – बैजयंत ‘जय’ पांडा
  • ब्रह्माकुमारीज़ की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका एवं प्रेरक वक्ता – सिस्टर बी. के. शिवानी
  • पूर्व मुख्य कोच, भारतीय हॉकी टीम – पी. आर. श्रीजेश

छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण

गौरतलब है कि नितिन सिंह राजपूत को इससे पहले जनवरी 2025 में दिल्ली में आयोजित “विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग” में भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। अब फरवरी 2025 में एक और प्रतिष्ठित राष्ट्रीय मंच पर छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करना, न केवल उनके लिए बल्कि पूरे रायपुर और छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए गर्व की बात है।

कौन है USAID की वीना रेड्डी, भारत में जिनकी भूमिका पर उठे सवाल, जांच की मांग

#whoveenareddyexusaidindiachief

अमेरिका से भारत को चुनाव में मदद के लिए फंडिंग पर बवाल मचा हुआ है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान के बाद से भारत के राजनीतिक गलियारों में घमासान मचा हुआ है। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका की यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) ने भारत में 2024 के लोकसभा चुनाव में वोटर टर्नआउट को बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर (करीब 182 करोड़ रुपये) की फंडिंग की थी। इस बीच USAID की पूर्व भारत निदेशक वीना रेड्डी सुर्खियों में हैं। रेड्डी तब चर्चा में आईं, जब बीजेपी सांसद महेश जेठमलानी ने फंडिंग की जांच की मांग की और उनकी भूमिका पर सवाल उठाए।

बीजेपी के सांसद महेश जेठमलानी ने इस फंडिंग में वीना रेड्डी की भूमिका पर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। दरअसल, अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) ने हाल ही में USAID को लेकर यह खुलासा किया था। इसी के बाद बीजेपी सांसद ने कहा, तो, DOGE ने पाया है कि USAID ने भारत में ‘वोटर टर्नआउट’ के लिए 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग की। वीना रेड्डी को 2021 में USAID के भारतीय मिशन के प्रमुख के रूप में भारत भेजा गया था। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद (उनका मतदाता मतदान मिशन पूरा हो गया), वह अमेरिका लौट गईं। अफसोस की बात है कि इससे पहले की यहां पर एजेंसियां उन से कुछ सवाल पूछ सकती थीं कि यह पैसा मतदान अभियानों में लगाने के लिए किसे दिया गया था, वो वापस अमेरिका चली गईं।

आंध्र प्रदेश से है वीना का नाता

भारत के रियासी गलियारों में चर्चाओं का विषय बनी वीना रेड्डी एक अमेरिकी डिप्लोमेट हैं, जो 5 अगस्त, 2021 को USAID के भारतीय ऑफिस में शामिल हुई। वीना का जन्म आंध्र प्रदेश में हुआ। वीना रेड्डी अमेरिकी वरिष्ठ विदेश सेवा की कैरियर सदस्य हैं और उन्होंने भारत और भूटान में USAID के लिए मिशन डायरेक्टर के तौर पर काम किया है। इसके अलावा वह भारत और भूटान में USAID को लीड करने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी महिला थीं।

अपने 3 साल के कार्यकाल में भारत में रहीं वीना रेड्डी

USAID के मिशन डायरेक्टर के तौर पर वीणा रेड्डी ने भारत में अपने 3 साल के कार्यकाल में कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया। देश की राजधानी नई दिल्ली में वीणा रेड्डी के कार्यकाल में भारतीय रेल, पावर मंत्रालय, नीति आयोग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, अटल इनोवेशन मिशन सहित कई नए समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए और USAID-फंडेड प्रोग्राम लागू किए गए। वहीं, वह कई हाई लेवल सरकारी कार्यक्रमों में भी शामिल हुई।

अवैध अप्रवासियों का तीसरा जत्था पहुंचा अमृतसर, भारत की अपील फिर अनसुनी, हथकड़ी-जंजीर में दिखे लोग

#usindiaillegalimmigrantsdeportation

अमेरिका में अवैध रूप से रहने के कारण वहां से निकाले गए भारतीयों की तीसरी खेप 16 फरवरी की रात अमृतसर पहुंची। अमेरिकी वायुसेना का सी-17 ग्लोबमास्टर विमान करीब रात के 10 बजे अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। इस विमान में 112 लोग सवार थे। पिछले 10 दिनों में अवैध भारतीयों को लाने वाला ये तीसरा विमान है।

पुरुषों को बेड़ियों में जकड़ कर भेजा

इस बार भी बच्चों व महिलाओं को छोड़कर पुरुषों को बेड़ियों में जकड़ कर भेजा गया था। डिपोर्ट किए गए लोगों में सात बच्चे भी शामिल हैं। इनमें पंजाब के विभिन्न जिलों से 31 लोग हैं। वहीं हरियाणा के 44, गुजरात के 33, उत्तरप्रदेश के दो, हिमाचल का एक, उत्तराखंड का एक नागरिक शामिल है। पुरुषों की संख्या 89, बच्चे 10 व महिलाओं की संख्या 23 है।

सिख युवक बिना पगड़ी के भेजे गए

इससे पहले 15 फरवरी की देर रात 116 अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर दूसरा अमेरिकी सैन्य विमान अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा था। निर्वासित लोगों ने दावा किया कि पूरे उड़ान के दौरान वे बेड़ियों में बंधे रहे। इस दौरान कथित तौर पर सिख युवक बिना पगड़ी के थे। इन अवैध प्रवासियों में से 65 पंजाब से, 33 हरियाणा से, आठ गुजरात से, दो-दो उत्तर प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान से और एक-एक हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से थे।

भारत की अपील अनसुनी कर रहा अमेरिका

अमेरिका अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अमृतसर हवाई अड्डे पर पहुंचे डिपोर्ट लोगों में शामिल पुरुषों को बेड़ियों में जकड़ कर भेजा है।ये बात इसलिए हैरान करने वाली है क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रंप के सामने यह मुद्दा उठाया था और उम्मीद की जा रही थी कि अब वह इसमें सुधार करेगा, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

भारतीय वायुसेना होगी और ताकतवर, लड़ाकू विमानों की “फौज” बनाने की तैयारी

#india_preparing_to_purchase_114_new_fighter_aircraft

भारत का पड़ोसी देश चीन लगातार अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी कर रहा है। चीन अपनी सेना और हथियारों को अत्याधुनिक बनाने की कोशिश में जुटा है। चीन की बढ़ती ताकत सबसे पहले भारत के लिए खतरा पैदा कर सकती है। ऐसे में भारत को भी अपनी ताकत बढ़ाने की जरूरत है। इसी क्रम में भारतीय वायुसेना अपनी ताकत बढ़ाने के लिए 114 नए मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी में है।

रक्षा मंत्रालय की एक कमेटी ने इस जरूरत को सही ठहराया है। पुराने सोवियत विमानों के रिटायर होने और नए विमानों की कमी के चलते वायुसेना के स्क्वाड्रनों की संख्या घट रही है। इस कमी को पूरा करने के लिए नए विमान जरूरी हैं। इसका बजट अरबों डॉलर का होगा और इसमें कई बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हिस्सा लेंगी।

भारत ने वायुसेना के 20 अरब डॉलर के मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) कार्यक्रम के तहत 114 मल्टीरोल फाइटर जेट खरीदने की भी योजना बनाई है। इस योजना के तहत विदेशी जेट विमानों को भारत में बनाने की शर्त रखी गई है, जिसमें तकनीक हस्तांतरण (ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी) की जरूरत होगी और यही इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी चुनौती है। यह प्रोजेक्ट साल 2019 से रुका हुआ है।

वायुसेना चीफ एपी सिंह ने कहा है कि नए लड़ाकू विमानों का निर्माण C-295 मॉडल पर किया जाना चाहिए। यह वही मॉडल है जिसके तहत एयरबस और टाटा मिलकर भारत में सैन्य परिवहन विमान बना रहे हैं। इसी तरह, कोई भी विदेशी कंपनी किसी भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी कर इन लड़ाकू विमानों को भारत में बनाएगी। इससे भारतीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और तकनीकी क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी।

भारत सरकार और फ्रांस सरकार के बीच राफेल विमानों की खरीद पर हुई अलोचना के बाद, अब भारतीय सरकार चाहती है कि यह डील पूरी तरह पारदर्शी और बिना किसी विवाद के हो। इस डील के लिए पांच जेट विमान दौड़ में है, जिनमें राफेल सबसे आगे है क्योंकि यह पहले से ही भारतीय वायुसेना में इस्तेमाल हो रहा है।

इस सौदे में बोइंग (F/A 18 सुपर हॉर्नेट), लॉकहीड मार्टिन (F 21), डसॉल्ट (राफेल) और साब (ग्रिपेन) जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हो सकती हैं। इसमें से बोइंग और महिंद्रा पहले ही इस प्रोजेक्ट पर चर्चा कर चुके हैं। वहीं, लॉकहीड मार्टिन टाटा के साथ मिलकर काम कर सकती है। हालांकि, इसका F-35 विमान इस दौड़ में शामिल नहीं होगा, क्योंकि भारत चाहता है कि नए विमान भारत में ही बनाए जाएं और साथ ही टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी हो।

जबकि फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट ने एक प्रस्ताव भेजा है कि अगर उसे 114 विमानों का ऑर्डर मिलता है, तो वह भारत में एक सहायक कंपनी बनाएगी, जो भारतीय वायुसेना के लिए और निर्यात के लिए विमान बनाएगी। स्वीडन की कंपनी 'साब' पहले अडानी डिफेंस के साथ काम कर रही थी, लेकिन अब यह समझौता दोनों के बीच समाप्त हो गया है। रूस भी अपने लड़ाकू विमान पेश करने को तैयार है, लेकिन भारतीय वायुसेना को आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और उन्नत तकनीक वाले विमान चाहिए, जो चीन की चुनौती का सामना कर सकें।

ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी, भारत पर क्या होगा असर?

#donaldtrump100percenttariffimpactindia

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अमेरिका 2 अप्रैल से दुनियाभर के देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने जा रहा है। रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब है जो अमेरिका पर जितना टैरिफ लगाता है, अमेरिका भी उस देश पर उतना ही टैरिफ लगाएगा। इसका मतलब है कि कई देशों को अमेरिका में एक्सपोर्ट होने वाले सामान पर ज्यादा टैरिफ देना होगा। रेसिप्रोकल टैरिफ भारत के लिए भी काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। भारत के कई उद्योगों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा।

अमेरिकी संसद को संबोधित करते हुए भी डोनाल्ड ट्रंप ने भारत का नाम लिया है और पारस्परिक टैरिफ लगाने की बात कही है। ट्रंप ने कहा, "अन्य देशों ने दशकों से हमारे खिलाफ टैरिफ का इस्तेमाल किया है। अब उन अन्य देशों के खिलाफ उनके हथियार का ही इस्तेमाल करने की हमारी बारी है। औसतन यूरोपीय संघ, चीन, ब्राजील, भारत और अनगिनत अन्य देश हमसे बहुत अधिक टैरिफ वसूलते हैं। उनकी तुलना में हम उनसे कम टैरिफ लेते हैं। यह बिल्कुल अनुचित है। अगले महीने से भारत के ऊपर अमेरिका का पारस्परिक टैरिफ सिस्टम शुरू हो जाएगा, यानि अमेरिकी सामानों पर भारत जितना टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी भारतीय सामानों पर उतना ही टैरिफ लगाएगा।

चीन से लेकर कनाडा तक डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसलों पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे हैं लेकिन भारत शांति का द्वीप बना हुआ है। ट्रंप के टैरिफ से दुनिया में उथल-पुथल है, जबकि डोनाल्ड ट्रंप पहले ही स्टील और एल्युमीनियम आयातों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाकर भारत को बड़ा झटका दे चुके हैं फिर भी भारत शांत है।

इकोनॉमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ज्यादा समय तक शांति देखने को नहीं मिलेगी। भारत लंबे समय तक प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते हैं। भारत को अप्रैल महीने में टैरिफ युद्ध में फंसा लिया जाएगा जब पारस्परिक टैरिफ फैसला लागू हो जाएगा।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में मामले से परिचित लोगों का हवाला देते हुए कहा गया है कि "भारतीय अधिकारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकी भरे पारस्परिक शुल्क से बचने के लिए कारों और रसायनों सहित कई तरह के आयातों पर शुल्क कम करने के तरीके तलाश रहे हैं। नई दिल्ली में अधिकारी ऑटोमोबाइल, कुछ कृषि उत्पादों, रसायनों, महत्वपूर्ण फार्मास्यूटिकल्स, साथ ही कुछ चिकित्सा उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए शुल्क कम करने पर चर्चा कर रहे हैं।"

भारत को नुकसान का अनुमान

एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप द्वारा प्रस्तावित 100% टैरिफ भारत पर महत्वपूर्ण असर डाल सकती है, जिससे भारतीय निर्यातकों को लगभग 7 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है। अमेरिका के पारस्परिक टैरिफ को लेकर ऑटो इंडस्ट्री और कृषि इंडस्ट्री के कारोबारी टेंशन में हैं। यह टैरिफ खासतौर से ऑटोमोबाइल, कृषि, रसायन, धातु उत्पाद, आभूषण, फार्मास्यूटिकल्स और खाद्य उत्पादों जैसे क्षेत्रों को प्रभावित करेगा।

पीयूष गोयल अमेरिका दौरे पर

दूसरी तरफ, भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल इन मुद्दों पर चर्चा करने और संभावित व्यापार समझौतों पर बातचीत के लिए अमेरिका की यात्रा की है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने पहले ही कुछ वस्तुओं पर टैरिफ कम किए हैं और ऊर्जा आयात बढ़ाने के साथ-साथ रक्षा उपकरणों की खरीद भी बढ़ाई है ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव को कम हो सके। बता दें कि इससे पहले पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 2025 की आखिर तक व्यापार समझौते के पहले खंड पर काम करने पर सहमति जताई है, जिसका लक्ष्य 2030 तक 500 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार करना है।

Celebrating 1.5 Years of Success: World EdX’s Impact on Study Abroad Aspirants in India!

February 14, Kanpur- Imagine stepping onto a university campus in a foreign land, a dream you once thought impossible is now a vibrant reality. For countless Indian students, this dream is becoming a reality, thanks to the dedicated efforts of organizations like World EdX Pvt. Ltd. Today, we celebrate a significant milestone: 1.5 years of empowering study abroad aspirants in India!

World EdX was founded on a simple yet powerful idea: to bridge the gap between Indian students and their global education aspirations. The visionaries behind this initiative, Directors Ankit Srivastava, Ashish Gupta, Atul Agarwal, and Manika Gupta envisioned a future where pursuing international education was accessible and achievable for every determined student. Their passion, combined with a deep understanding of the challenges faced by Indian students, laid the foundation for World EdX’s remarkable journey.

Ashish Gupta has mentioned that since the inception of World EdX, we’ve witnessed incredible growth and achieved milestones that fill us with pride. We have helped 5000+ students embark on international education journeys, securing placements in top-tier universities across 10+ countries. From navigating complex application processes to providing personalized guidance on visa requirements, World EdX has been a constant companion for students. We are expanding our network of partner universities, forging strong relationships with institutions that recognize the potential of Indian students.

The Voice of Success:  

"The support I received from World EdX was invaluable," says Saransh Shukla, who recently secured admission to the University of York in the UK. "They helped me every step of the way, from choosing the right program to preparing for my visa interview."

What truly sets World EdX apart is its commitment to personalized support. Their team of expert counselors works closely with each student, providing tailored guidance that maximizes their chances of success. Whether it's identifying the right university, crafting a compelling statement of purpose, or preparing for standardized tests, they provide the support and resources needed. Under COO Ashish Mathur’s leadership, World EdX has streamlined its processes, ensuring a seamless and efficient experience for every student. Ashish Mathur's expertise in the international education industry has been instrumental in scaling our operations and expanding our reach.

Ashish Mathur shares: “World EdX is constantly evolving and innovating to better serve the needs of its students. We're excited to introduce a new AI-powered platform, which will provide personalized study-abroad recommendations and streamline the application process.”

They invite you to join them in celebrating this milestone!

Visit the website www.worldedx.com to learn more about their services and how they can help you achieve your study abroad goals. Follow us on social media YouTubeInstagram for the latest updates and student success stories. For a limited time.

They remain committed to the mission of empowering Indian students and shaping the future of global education. Here's to many more years of helping students reach for the stars!

ट्रंप की धमकियों के बाद बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच दिल्ली पहुंचीं यूरोपीय संघ की प्रमुख, भारत को बताया भरोसेमंद देश

#indiaandeuropeanunionleadershipmeetingursulavonderleyenarrivedindelhi

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्‍ट्रपति बनने के बाद जिस तेजी से दुनिया बदली है, यूरोप खुद को अलग-थलग पा रहा है। ऐसे समय में वैश्विक व्यापार और कूटनीति में अस्थिरता देखी जा रही है। ऐसे में यूरोप अब भारत की ओर उम्मीदों की निगाह से देख रहा है। इसी उम्मीद के साथ यूरोपीय संघ (ईयू) की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन गुरुवार को भारत पहुंचीं। भारत आने के बाद यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला ने एक्स पर लिखा कि संघर्ष और कड़ी प्रतिस्पर्धा के दौर में भरोसेमंद मित्रों की जरूरत होती है और यूरोप के लिए भारत एक ऐसा ही मित्र और रणनीतिक सहयोगी है।

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन दो दिवसीय भारत दौरे पर गुरुवार को दिल्ली पहुंचीं। दिल्ली हवाई अड्डे पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने उनका स्वागत किया। दिल्ली पहुंचने के बाद लिएन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा की।

नई दिल्ली पहुंचने के बाद उर्सुला लेयेन ने साफ किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकियों के बीच यूरोप को भारत में एक भरोसेमंद मित्र नजर आ रहा है। उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने लिखा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस बात पर चर्चा करूंगी कि हमारी रणनीतिक साझेदारी को अगले स्तर पर कैसे ले जाया जाए।

भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते पर होगी बात

लिएन कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ व्यापक बातचीत करेंगी। इस मुलाकात में दोनों नेता महत्वाकांक्षी भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए जारी बातचीत का जायजा लेंगे। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, वॉन डेर लेयेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच शुक्रवार को होने वाली व्यापक वार्ता में लंबे समय से प्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मजबूत करने और रक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। दोनों पक्ष रूस-यूक्रेन संघर्ष, भारत-प्रशांत की स्थिति और पश्चिम एशिया के घटनाक्रम पर भी विचार-विमर्श कर सकते हैं। मोदी और ईयू प्रतिनिधियों की वार्ता के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी होने की भी उम्मीद है।

ट्रंप ने ईयू को चेतावनी दी

बता दें कि ट्रंप ने हाल में यूरोपीय संघ से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी देते हुए कहा था कि ईयू की गठन ही अमेरिका को परेशान करने के लिए किया गया था। वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप यूक्रेन-रूस युद्ध में यूरोपीय देशों की मदद करने की अमेरिकी नीति को पूरी तरह से बदलते हुए अब रूस के साथ खड़े होते दिख रहे हैं।

यूरोपीय संघ भारत के साथ संबंधों को महत्व दे रहा

यूरोपीय आयोग की प्रेसीडेंट उर्सला वोन डेर लेयेन के साथ यूरोपीय आयोग के 22 देशों के आयुक्त भी भारत आ रहे हैं। यह पहला मौका है, जब 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ के इतने सारे देशों के आयुक्त एक साथ किसी देश की यात्रा पर हैं। इससे यह पता चलता है कि यूरोपीय संघ भारत के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व दे रहा है।

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भारत ने पाकिस्तान को बताया “असफल राष्ट्र”, संयुक्त राष्ट्र में पड़ोसी देश को धो डाला

#indiasaidpakistanisafailedcountry

भारत ने अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान की एक बार फिर जमकर क्लास लगाई है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत पर आए दिन आरोप लगाता रहा है। इस पर भारत ने भी वैश्विक मंच से पाकिस्तान को “असफल राष्ट्र” करार दिया। भारत ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की बैठक में पाकिस्तान को जमकर फटकार लगाई है।

पाकिस्तान पर झूठ फैलाने का आरोप

यूएन में भारत के स्थायी मिशन के अधिकारी क्षितिज त्यागी ने जेनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 58वें सत्र की सातवीं बैठक में अपनी बात रखी। भारत ने पाकिस्तान पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया और उसे एक असफल राष्ट्र बताया जो केवल अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है। क्षितिज त्यागी ने कहा कि पाकिस्तान हमेशा कश्मीर और भारत के बारे में झूठ फैलाता आ रहा है। यह आश्चर्यजनक नहीं है कि पाकिस्तान के नेता अपने सैन्य-आतंकवादी परिसर से झूठ फैलाना जारी रखते हैं।

पाकिस्तान को अपने हालात देखने की सलाह

पाकिस्तान ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) को अपना मुखपत्र बताकर संगठन का मजाक उड़ा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस संगठन का समय एक असफल राज्य द्वारा बर्बाद किया जा रहा है। पाकिस्तान पहले अपने यहां के हालात देखे क्षितिज त्यागी ने जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की तरफ से लगाए गए आरोपों पर कहा- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न हिस्सा थे, हैं और रहेंगे। पाकिस्तान को भारत के बजाय अपने देश के हालात बदलना चाहिए।

पाखंड की बू आती है-भारत

त्यागी ने ये भी कहा, इनकी (पाकिस्तान) बयानबाजी में पाखंड की बू आती है। इसकी हरकतें अमानवीय हैं और ये शासन व्यवस्था चलाने में अक्षमता हैं। भारत लोकतंत्र, प्रगति और अपने लोगों के लिए सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग

भारत के रुख की पुष्टि करते हुए त्यागी ने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के साथ हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहे हैं। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने इन क्षेत्रों में हुए कामों की ओर ध्यान भी दिया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रगति हुई है। ये सफलताएं दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जख्मी क्षेत्र में सरकार की ओर से सामान्य स्थिति लाने की प्रतिबद्धता पर लोगों के भरोसे का प्रमाण हैं। पाकिस्तान को भारत के प्रति अपनी नफरत से आगे बढ़ना चाहिए और उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए। भारत अपने लोगों के लिए लोकतंत्र, प्रगति और सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। ये ऐसे मूल्य हैं, जिनसे पाकिस्तान को सीखना चाहिए।

भारत में मानवाधिकारों के हनन का आरोप

इससे पहले यूएनएचआरसी को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के कानून, न्याय और मानवाधिकार मंत्री आजम नजीर तरार ने दावा किया कि कश्मीर में लोगों के अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।

USAID ने भारत में बढ़ाने के लिए नहीं किस काम के लिए दिया फंड, वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा

#usaidfunded7projectsinindiafinanceministryreport

भारतीय चुनावों को प्रभावित करने में यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) की भूमिका इन दिनों काफी चर्चा में है। देश की सियासत में यूएसएड को लेकर विवाद बढ़ा हा है। इस विवाद के बीच वित्त मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी किया है। इसमें फंडिंग को लेकर कई खुलाए किए गए हैं। रिपोर्ट में फंड से जुड़ी सारी डिटेल्स की जानकारी दी गई है कि यूएसएड ने कितनी फंडिंग और उस फंड का इस्तेमाल कहां कहां हुआ? वित्त मंत्रालय की 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि यूएसएड ने भारत में सात प्रमुख परियोजनाओं को 750 मिलियन डॉलर यानी करीब 65 अरब की फंडिंग की। हालांकि, इस दौरान वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के कोई फंडिंग नहीं की गई।

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, यूएसएड की फंडिंग कृषि और खाद्य सुरक्षा, जल, स्वच्छता और साफ-सफाई, नवीकरणीय ऊर्जा, डिजास्टर मैनेजमेंट और हेल्थ से संबंधित प्रोजेक्ट्स के लिए थी। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि यूएसएड ने वन एवं जलवायु अनुकूल कार्यक्रम और ऊर्जा दक्षता प्रौद्योगिकी व्यवसायीकरण और नवाचार परियोजना के लिए भी फंडिंग करने का वादा किया है।

भारत को अमेरिका से 1951 में मदद मिल रही

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अमेरिका से 1951 में मदद मिलनी शुरू हुई थी। यूएसएड की ओर से अब तक भारत को 555 प्रोजेक्ट के लिए 1700 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद मिल चुकी है। इस बीच वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार 2008 के बाद से भारत को यूएसऐड से चुनाव संबंधी किसी मदद का रिकॉर्ड नहीं है।

ट्रंप ने बाइडन प्रशासन पर लगाया आरोप

इसी महीने देश में राजनीतिक विवाद तब शुरू हो गया था जब अरबपति उद्योगपति एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई ने दावा किया था कि उसने ‘मतदाता को प्रभावित करने’ के लिए भारत को दिए जाने वाले 2.1 करोड़ डॉलर के अनुदान को रद्द कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी बार-बार दावा किया कि जो बाइडन के नेतृत्व वाले पिछले प्रशासन के तहत यूएसएड ने भारत को ‘मतदाता को प्रभावित' करने के लिए 2.1 करोड़ डॉलर का वित्त पोषण आवंटित किया था।

ट्रंप ने चार दिन में चौथी बार फंडिंग का सवाल उठाया

ट्रंप पिछले चार दिनों में चौथी बार भारत चुनाव में अमेरिकी फंडिंग पर सवाल उठाया है। इस बार उन्होंने कहा कि मेरे दोस्त मोदी को 182 करोड़ रुपए भेजे गए हैं। ये दूसरी बार है जब ट्रंप ने इस मामले में मोदी का नाम लिया है। ट्रम्प ने 21 फरवरी को कहा था कि ये फंड भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए दिए गए। और हमारा क्या? हमें भी अमेरिका में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए पैसा चाहिए। इसके अलावा ट्रंप ने बांग्लादेश में भेजे गए 250 करोड़ रुपए का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में राजनीतिक माहौल को मजबूत करने के लिए ये फंड एक ऐसी संस्था को भेजा गया, जिसका नाम भी किसी ने नहीं सुना।

दिल्ली में SOUL Leadership Conclave 2025 का भव्य आयोजन, छत्तीसगढ़ से “कुछ फ़र्ज़ हमारा भी” संस्था के लीडर नितिन सिंह राजपूत हुए शामिल

रायपुर- भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित SOUL Leadership Conclave 2025 में देशभर से चयनित 200 युवाओं में छत्तीसगढ़ के “कुछ फ़र्ज़ हमारा भी” संस्था के संस्थापक एवं लीडर नितिन सिंह राजपूत जी का विशेष चयन हुआ है। यह दो दिवसीय भव्य सम्मेलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटित किया गया। इस कार्यक्रम में राजनीति, सार्वजनिक नीति, खेल, व्यवसाय और सामाजिक क्षेत्र के प्रख्यात नेताओं ने अपने नेतृत्व अनुभव युवाओं के साथ साझा किए।

बता दें कि इस विशेष कार्यक्रम में देश और दुनिया के कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने हिस्सा लिया, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
  • रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव
  • भारती एंटरप्राइज़ के संस्थापक एवं अध्यक्ष सुनील भारती मित्तल
  • हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के डीन के सलाहकार एवं UK-India CEO फोरम के सह-अध्यक्ष अजय पीरामल
  • ज़ाइडस लाइफसाइंसेस के अध्यक्ष पंकज आर. पटेल
  • भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर गुकेश डोमराजू
  • इंडिया टुडे के न्यूज़ डायरेक्टर राहुल कंवल
  • अक्षय पात्र फाउंडेशन के CEO श्रीधर वेंकट
  • नीति आयोग के सदस्य डॉ. आर. बालसुब्रमण्यम
  • पूर्व MD और CEO, टाटा मोटर्स – रवि कांत
  • जीएमआर समूह के ऊर्जा और शहरी अवसंरचना अध्यक्ष – जी. बी. एस. राजू
  • श्रीराम चंद्र मिशन के अध्यक्ष – कमलेश पटेल (दाजी)
  • पूर्व उपराज्यपाल, पुडुचेरी एवं भारत की पहली महिला IPS अधिकारी – डॉ. किरण बेदी
  • पूर्व गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक – शक्तिकांत दास
  • मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया – डॉ. जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़
  • सेल्सफोर्स इंडिया की अध्यक्ष एवं CEO, पूर्व अध्यक्ष SBI – अरुंधति भट्टाचार्य
  • केंद्रीय पर्यावरण मंत्री – भूपेंद्र यादव
  • राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी – बैजयंत ‘जय’ पांडा
  • ब्रह्माकुमारीज़ की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका एवं प्रेरक वक्ता – सिस्टर बी. के. शिवानी
  • पूर्व मुख्य कोच, भारतीय हॉकी टीम – पी. आर. श्रीजेश

छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण

गौरतलब है कि नितिन सिंह राजपूत को इससे पहले जनवरी 2025 में दिल्ली में आयोजित “विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग” में भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। अब फरवरी 2025 में एक और प्रतिष्ठित राष्ट्रीय मंच पर छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करना, न केवल उनके लिए बल्कि पूरे रायपुर और छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए गर्व की बात है।

कौन है USAID की वीना रेड्डी, भारत में जिनकी भूमिका पर उठे सवाल, जांच की मांग

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अमेरिका से भारत को चुनाव में मदद के लिए फंडिंग पर बवाल मचा हुआ है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान के बाद से भारत के राजनीतिक गलियारों में घमासान मचा हुआ है। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका की यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) ने भारत में 2024 के लोकसभा चुनाव में वोटर टर्नआउट को बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर (करीब 182 करोड़ रुपये) की फंडिंग की थी। इस बीच USAID की पूर्व भारत निदेशक वीना रेड्डी सुर्खियों में हैं। रेड्डी तब चर्चा में आईं, जब बीजेपी सांसद महेश जेठमलानी ने फंडिंग की जांच की मांग की और उनकी भूमिका पर सवाल उठाए।

बीजेपी के सांसद महेश जेठमलानी ने इस फंडिंग में वीना रेड्डी की भूमिका पर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। दरअसल, अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) ने हाल ही में USAID को लेकर यह खुलासा किया था। इसी के बाद बीजेपी सांसद ने कहा, तो, DOGE ने पाया है कि USAID ने भारत में ‘वोटर टर्नआउट’ के लिए 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग की। वीना रेड्डी को 2021 में USAID के भारतीय मिशन के प्रमुख के रूप में भारत भेजा गया था। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद (उनका मतदाता मतदान मिशन पूरा हो गया), वह अमेरिका लौट गईं। अफसोस की बात है कि इससे पहले की यहां पर एजेंसियां उन से कुछ सवाल पूछ सकती थीं कि यह पैसा मतदान अभियानों में लगाने के लिए किसे दिया गया था, वो वापस अमेरिका चली गईं।

आंध्र प्रदेश से है वीना का नाता

भारत के रियासी गलियारों में चर्चाओं का विषय बनी वीना रेड्डी एक अमेरिकी डिप्लोमेट हैं, जो 5 अगस्त, 2021 को USAID के भारतीय ऑफिस में शामिल हुई। वीना का जन्म आंध्र प्रदेश में हुआ। वीना रेड्डी अमेरिकी वरिष्ठ विदेश सेवा की कैरियर सदस्य हैं और उन्होंने भारत और भूटान में USAID के लिए मिशन डायरेक्टर के तौर पर काम किया है। इसके अलावा वह भारत और भूटान में USAID को लीड करने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी महिला थीं।

अपने 3 साल के कार्यकाल में भारत में रहीं वीना रेड्डी

USAID के मिशन डायरेक्टर के तौर पर वीणा रेड्डी ने भारत में अपने 3 साल के कार्यकाल में कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया। देश की राजधानी नई दिल्ली में वीणा रेड्डी के कार्यकाल में भारतीय रेल, पावर मंत्रालय, नीति आयोग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, अटल इनोवेशन मिशन सहित कई नए समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए और USAID-फंडेड प्रोग्राम लागू किए गए। वहीं, वह कई हाई लेवल सरकारी कार्यक्रमों में भी शामिल हुई।

अवैध अप्रवासियों का तीसरा जत्था पहुंचा अमृतसर, भारत की अपील फिर अनसुनी, हथकड़ी-जंजीर में दिखे लोग

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अमेरिका में अवैध रूप से रहने के कारण वहां से निकाले गए भारतीयों की तीसरी खेप 16 फरवरी की रात अमृतसर पहुंची। अमेरिकी वायुसेना का सी-17 ग्लोबमास्टर विमान करीब रात के 10 बजे अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। इस विमान में 112 लोग सवार थे। पिछले 10 दिनों में अवैध भारतीयों को लाने वाला ये तीसरा विमान है।

पुरुषों को बेड़ियों में जकड़ कर भेजा

इस बार भी बच्चों व महिलाओं को छोड़कर पुरुषों को बेड़ियों में जकड़ कर भेजा गया था। डिपोर्ट किए गए लोगों में सात बच्चे भी शामिल हैं। इनमें पंजाब के विभिन्न जिलों से 31 लोग हैं। वहीं हरियाणा के 44, गुजरात के 33, उत्तरप्रदेश के दो, हिमाचल का एक, उत्तराखंड का एक नागरिक शामिल है। पुरुषों की संख्या 89, बच्चे 10 व महिलाओं की संख्या 23 है।

सिख युवक बिना पगड़ी के भेजे गए

इससे पहले 15 फरवरी की देर रात 116 अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर दूसरा अमेरिकी सैन्य विमान अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा था। निर्वासित लोगों ने दावा किया कि पूरे उड़ान के दौरान वे बेड़ियों में बंधे रहे। इस दौरान कथित तौर पर सिख युवक बिना पगड़ी के थे। इन अवैध प्रवासियों में से 65 पंजाब से, 33 हरियाणा से, आठ गुजरात से, दो-दो उत्तर प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान से और एक-एक हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से थे।

भारत की अपील अनसुनी कर रहा अमेरिका

अमेरिका अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अमृतसर हवाई अड्डे पर पहुंचे डिपोर्ट लोगों में शामिल पुरुषों को बेड़ियों में जकड़ कर भेजा है।ये बात इसलिए हैरान करने वाली है क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रंप के सामने यह मुद्दा उठाया था और उम्मीद की जा रही थी कि अब वह इसमें सुधार करेगा, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।