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भारत ने फिर कनाडा को फटकारा, भारतीय उच्चायुक्त-राजनयिकों को लेकर ट्रूडो सरकार के दावे पर लताड़ा*

#india_mea_attacks_canada_justin_trudeau

खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के मामले में भारत ने एक बार फिर कनाडा को सख्त संदेश दिया है। भारत ने कनाडा से कहा है कि ट्रूडो इस तरह भारत पर आरोप नहीं लगा सकते। उन्हें निज्जर मामले में पुख्ता सबूत पेश करने होंगे। भारत ने कहा कि ट्रूडो राजनीतिक लाभ के लिए सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहे हैं।भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर इसे ट्रूडो का राजनीतिक हथकंडा बताया है।दरअसल, कनाडा सरकार ने एक जांच के मामले में भारतीय उच्चायुक्त और भारतीय राजनयिकों को जांच के दायरे में माना है। इस संदर्भ में भारत सरकार को कनाडा सरकार ने पत्र लिखा है। इसी पत्र के जवाब में भारत सरकार ने कनाडा को फटकारा और उसके आरोप को खारिज किया।

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक रविवार को कनाडा की ओर से एक राजनयिक संदेश मिला, जिसमें कनाडा में मौजूद भारतीय उच्चायुक्त और राजनयिकों को निज्जर हत्यकांड में ‘पर्सन ऑफ इंट्रस्ट’ बताया गया है।भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को दृढ़ता से खारिज करती है और इन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे के लिए जिम्मेदार ठहराती है, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है।

भारत सरकार ने आगे कहा, ‘चूंकि प्रधान मंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे। हमारी ओर से कई अनुरोधों के बावजूद कनाडाई सरकार ने भारत सरकार के साथ सबूत का एक टुकड़ा भी साझा नहीं किया है। यह नवीनतम कदम उन बातचीतों के बाद उठाया गया है जिनमें एक बार फिर बिना किसी तथ्य के दावे सामने आए हैं। इससे इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता है कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए भारत पर कीचड़ उछालने की एक सोची-समझी रणनीति है।

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो भारत विरोधी एजेंडा पहले ही बेनकाब हो चुका है। विदेश मंत्रालय ने 2018 में ट्रूडो के भारत दौरे को वोट बैंक राजनीति को साधने की कोशिश का हिस्सा बताया और कहा कि तब ट्रूडो का यह दांव उल्टा पड़ गया था। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 2020 में भारत की आंतरिक राजनीति में ट्रूडो के दखल ने दिखाया है कि वह राजनीतिक हितों को साधने के लिए क्या कुछ कर सकते हैं। सरकार ने कहा कि ट्रूडो कैबिनेट में कई ऐसे लोग शामिल हैं जो सीधे तौर पर भारत विरोधी कट्टरवाद और अलगाववाद से प्रेरित हैं।

बता दें कि पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत के खिलाफ बयान दिया था। उन्होंने हरदीप सिंह निज्जर हत्या में भारतीय एजेंट के शामिल होने का आरोप लगाया था। इसके बाद से भारत-कनाडा संबंधों में खटास आ गई। भारत ने कनाडा सरकार के उस आरोप को भी खारिज किया था और कहा था कि आरोपों को साबित करने के लिए सबूत दें।

आधा राज्य चलाने में कोई दिक्कत हो तो मुझसे सलाह लेना..', उमर अब्दुल्ला से बोले अरविंद केजरीवाल

आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में जीत के लिए बधाई दी और कहा कि अगर उन्हें "आधे राज्य" के प्रबंधन में कोई समस्या आती है, तो वे उनसे सलाह ले सकते हैं। केजरीवाल यह बातें AAP के नेता मेहराज मलिक को डोडा विधानसभा सीट से जीतने पर धन्यवाद देने के लिए डोडा में आयोजित एक सभा में बोल रहे थे।

केजरीवाल ने उमर अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बनने के लिए बधाई दी और कहा कि "INDIA" गठबंधन के तहत उनके नेतृत्व में राज्य का विकास होगा। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर को "आधा राज्य" बना दिया गया है, जिसमें मुख्यमंत्री के पास सीमित शक्तियां हैं, जबकि उपराज्यपाल के पास अधिक अधिकार हैं। केजरीवाल ने दिल्ली में 10 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहते हुए इसी तरह के अनुभव से गुज़रने की बात कही और उमर अब्दुल्ला से कहा कि यदि उन्हें कोई कठिनाई आती है, तो वे उनसे सलाह ले सकते हैं। मेहराज मलिक ने डोडा विधानसभा सीट से जीत हासिल की, जहां उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गंजेय सिंह राणा को 4,538 मतों से हराया। मलिक इस सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के खालिद नजीब सुहरावर्दी और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अब्दुल मजीद वानी को भी हराने में सफल रहे। मलिक अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा में AAP के पहले सदस्य बन गए हैं।

केजरीवाल ने उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन करने की घोषणा की और उम्मीद जताई कि मलिक को जम्मू-कश्मीर की सेवा करने का अवसर दिया जाएगा। उन्होंने मलिक की जीत को धर्म से परे बताया और कहा कि उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि "आप" का लक्ष्य डोडा और जम्मू-कश्मीर का विकास करना है और पार्टी सत्ता की दौड़ में नहीं है। उनका उद्देश्य देश में व्यवस्था में सुधार और आम लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना है। केजरीवाल ने डोडा के लोगों का धन्यवाद करते हुए कहा कि आप की जीत जम्मू-कश्मीर की राजनीति और स्थिति को अगले दस वर्षों में बदल देगी। उन्होंने कहा कि AAP एक पार्टी नहीं, बल्कि एक नई विचारधारा है, जो गरीबों के बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और मुफ्त बिजली जैसी सुविधाओं पर काम करती है।

भारत ने लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक बेस पर इजरायली गोलीबारी पर अपनी चिंता व्यक्त की

#indiaexpressesconcernoverisraelsattackin_lebanon

Reuters

भारत ने शुक्रवार को दक्षिणी लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक बेस पर इजरायली गोलीबारी की रिपोर्ट के बाद ब्लू लाइन पर बढ़ती सुरक्षा स्थिति पर चिंता व्यक्त की, जिसके परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र के कर्मियों को चोटें आईं। एक बयान में, विदेश मंत्रालय (MEA) ने संयुक्त राष्ट्र परिसर की अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता पर बल दिया। "हम ब्लू लाइन पर बिगड़ती सुरक्षा स्थिति से चिंतित हैं। हम स्थिति पर बारीकी से नज़र रखना जारी रखते हैं," MEA ने कहा। "संयुक्त राष्ट्र परिसर की अखंडता का सभी को सम्मान करना चाहिए, और संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षकों की सुरक्षा और उनके जनादेश की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए।"

यह बयान लेबनान में संयुक्त राष्ट्र के ठिकानों पर इजरायली हमलों की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय निंदा के बाद आया है, जहां लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (UNIFIL) काम करता है। लेबनान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को रास नकुरा में UNIFIL के मुख्य बेस और श्रीलंकाई बटालियन के बेस को इजरायली "लक्ष्य" बनाने की निंदा की, जिसमें कथित तौर पर कई शांतिरक्षक घायल हो गए।

लेबनान के सरकारी मीडिया ने बताया कि इज़रायली तोपखाने ने रास नक़ुरा में UNIFIL वॉचटावर और कमांड सेंटर के मुख्य प्रवेश द्वार पर हमला किया, जिससे नुकसान हुआ। कहा जाता है कि एक इज़रायली मर्कवा टैंक ने टायर और नक़ुरा के बीच मुख्य सड़क के किनारे एक और UN टॉवर को निशाना बनाया। UNIFIL, जो 1978 से इस क्षेत्र में काम कर रहा है, ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि गुरुवार की घटना में बल के दो शांति सैनिक घायल हो गए।

चीन, इटली ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की

चीन ने हमले की निंदा की और जांच का आग्रह किया, जिसमें कहा गया कि शांति सैनिकों पर जानबूझकर किए गए हमले अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन हैं। UNIFIL में सैनिकों का एक प्रमुख योगदानकर्ता इटली ने सुझाव दिया कि इस तरह की कार्रवाई "युद्ध अपराध" हो सकती है, जबकि वाशिंगटन ने कहा कि वह "गहराई से चिंतित है"।

आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने इशारों में ड्रैगन को चेताया, जानें क्या कहा

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प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को लाओस की राजधानी वियनतियाने में ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। यहां बैठक को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, भारत हमेशा से ही आसियान देशों के बीच एकता को सपोर्ट करता रहा है। आसियान भारत के इंडो-पैसिफिक विजन और क्वाड को-ऑपरेशन के केंद्र में है।इस शिखर सम्मेलन में भारत ने एक बार फिर से चीन को सबक सिखा दिया। पीएम मोदी ने चीन का नाम लिए बगैर उसकी विस्तारवादी नीति पर जमकर प्रहार किया। पीएम मोदी ने साफ-साफ कहा कि हमारी अप्रोच विकासवाद की होनी चाहिए, न कि विस्तारवाद की।

दक्षिण चीन सागर को लेकर क्या बोले पीएम मोदी

शिखर सम्मेलन में पीएम मेदी ने कहा, 'भारत ने हमेशा ASEAN की एकता और केंद्रीयता का समर्थन किया है। ASEAN भारत के इंडो-पैसिफिक विजन और क्वाड सहयोग के केंद्र में भी है। भारत की "इंडो-पैसिफिक महासागरों की पहल'' और 'इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक'' के बीच गहरी समानताएं हैं। एक स्वतंत्र, खुला, समावेशी, समृद्ध और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक पूरे क्षेत्र की शांति और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। दक्षिण चीन सागर की शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के हित में है।'

समुद्री गतिविधियों पर चीन को सुनाया

पीएम मोदी ने कहा कि इस सम्मेलन में नेताओं ने कानूनी ढांचे के रूप में अनक्लोस के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि समुद्री गतिविधियां अन्क्लोस (UNCLOS) के तहत ही संचालित होनी चाहिए। फ्रीडम ऑफ नेविगेशन और एयर स्पेस सुनिश्चित करना जरूरी है। एक ठोस और प्रभावी कोड ऑफ कंडक्ट बनाया जाना चाहिए। इसमें क्षेत्रीय देशों की विदेश नीति पर अंकुश नहीं लगाए जाने चाहिए।

युद्ध को बीच ग्लोबल साउथ के देशों पर सबसे ज्यादा असर-पीएम मोदी

बिना नाम लिए चीन को नसीहत देते हुए पीएम मोदी ने अपने बयान में कहा कि हम शांतिप्रिय राष्ट्र हैं,जो एक-दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा कि दुनिया भर में जारी अलग-अलग जंग का सबसे बुरा असर ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है। ऐसे में दुनिया में शांति बहाल करना बेहद जरूरी है। मैं बुद्ध की धरती से आता हूं। हमने हमेशा यही कहा है कि यह जंग का युग नहीं है।

भारत की बढ़ेगी ताकतः यूएस से परमाणु पनडुब्बियों-31 प्रीडेटर ड्रोन के लिए 80000 करोड़ का सौदा

#indiausdealsworthrs80000crorefornuclearsubmarinespredator_drones

हिंद माहासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी भारत के लिए चिंता का विषय है। यही वजह है कि भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है। इसी क्रम में भारतीय नौसेना और रक्षा बलों की निगरानी क्षमताएं बढ़ाने के लिए सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने स्वदेशी रूप से दो परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण और अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के अहम सौदों को मंजूरी दे दी है।सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने इस संबंध में 80,000 करोड़ रुपये के प्रमुख सौदों को मंजूरी दे दी है। इससे समुद्र से लेकर सतह और आसमान तक में भारत की मारक और निगरानी क्षमता में प्रभावी वृद्धि होगी।

सूत्रों ने एएनआई को बताया कि योजना के अनुसार, भारतीय नौसेना को दो परमाणु-संचालित हमलावर पनडुब्बियां मिलेंगी जो हिंद महासागर क्षेत्र में इसकी क्षमताओं को कई गुना बढ़ाने में मदद करेंगी। इससे भारत की मारक और निगरानी क्षमता में वृद्धि होगी। जानकारी के मुताबिक दो परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण के लिए विशाखापट्टनम स्थित शिप बिल्डिंग सेंटर के साथ 45,000 करोड़ रुपए की डील हुई है। खास बात ये है कि इसमें लॉर्सन एंड टूब्रो जैसी निजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों की भी भागीदारी होगी। बताया जा रहा है कि ये डील काफी समय से अटकी थी जो अब फाइनल हो गई है।

काफी समय से अटकी थी डील

सूत्रों ने बताया कि यह सौदा लंबे समय से लटका हुआ था। भारतीय नौसेना इस पर जोर दे रही थी क्योंकि समुद्र के भीतर उसकी क्षमता की कमी को पूरा करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण आवश्यकता थी। भारत ने नौसेना में पनडुब्बियों को शामिल करने की दीर्घकालिक योजना बनाई है जिसके तहत इस तरह की छह पनडुब्बियां शामिल हैं। इन पनडुब्बियों का निर्माण महत्वाकांक्षी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल प्रोजेक्ट के तहत किया जाएगा जो अरिहंत श्रेणी के तहत बनाई जा रही पांच परमाणु पनडुब्बियों से अलग हैं।

31 प्रीडेटर ड्रोन की डील

सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा मंजूर किया गया दूसरा बड़ा सौदा अमेरिकी जनरल एटॉमिक्स से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने का है। यह सौदा भारत-अमेरिका के बीच विदेशी सैन्य बिक्री अनुबंध के तहत है। इस सौदे को 31 अक्टूबर से पहले मंजूरी मिलनी थी क्योंकि अमेरिकी प्रस्ताव की वैधता तभी तक थी। अब इस पर अगले कुछ दिनों में ही हस्ताक्षर होंगे।उन्होंने बताया कि अनुबंध के अनुसार, रक्षा बलों को सौदे पर हस्ताक्षर करने के चार साल बाद ड्रोन मिलने शुरू हो जाएंगे। भारतीय नौसेना को 31 में से 15 ड्रोन मिलेंगे। थल सेना और वायु सेना को आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे।

अमेरिका से खरीदे जाने वाले 31 ड्रोन में से कुछ को भारत में ही असेंबल किया जाएगा, जिनमें से 30% कंपोनेंट्स इंडियन सप्लायर्स के ही रहेंगे। इन ड्रोन में डीआरडीओ से बनी कोई मिसाइल नहीं लगाई जाएगी, क्योंकि ऐसा करने में ड्रोन की गारंटी खत्म हो जाएगी।

क्या बांग्लादेश में तख्तापलट की जानकारी भारत की एजेंसियों को नहीं थी?

#wereindianagenciesunawareoftheactivitiesgoingin_bangladesh

Flags of India & Bangladesh

भारत बांग्लादेश में अशांति पर कड़ी नज़र रख रहा है, जो एक पड़ोसी देश होने के साथ-साथ नई दिल्ली के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है। यह हज़ारों भारतीय छात्रों का अस्थायी घर भी है। बांग्लादेश में छात्र समूहों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार द्वारा हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा करने और हाल की हिंसा के लिए माफ़ी मांगने की उनकी मांग को पूरा करने में विफल रहने के बाद हसीना के 16 साल के शासन से नाराज़गी जताते हुए उन्हें देश छोड़ने को मजबूर कर दिया था। लेकिन नई दिल्ली ने इसपर कोई भी पूर्व प्रतिक्रिया जारी नई की थी, जिसके कारण लोगों के मन में यह सवाल है कि क्या भारत की ख़ुफ़िया एजेंसीज ने इस घटना को लेकर भारत सरकार को कोई चेतवानी नई दी थी। 

"भारत देश में चल रही स्थिति को बांग्लादेश का आंतरिक मामला मानता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा था, "बांग्लादेश सरकार के समर्थन और सहयोग से हम अपने छात्रों की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था करने में सक्षम हैं।"

देश में हिंसक झड़पों के बीच बांग्लादेश से करीब 6,700 भारतीय छात्र वापस लौटे थे

जायसवाल ने कहा, "एक करीबी पड़ोसी होने के नाते जिसके साथ हमारे बहुत ही मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, हमें उम्मीद है कि देश में स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी।"

सुरक्षा, व्यापार और कूटनीति के लिए बांग्लादेश महत्वपूर्ण

भारत के लिए, सामान्य स्थिति में लौटने का मतलब है हसीना का सत्ता में लौटना, आंशिक रूप से सुरक्षा कारणों से दोनों देश 4,100 किलोमीटर लंबी (2,500 मील) छिद्रपूर्ण सीमा साझा करते हैं, जिसका मानव तस्कर और आतंकवादी समूह फायदा उठा सकते हैं। इसके अलावा, बांग्लादेश पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के भारतीय राज्यों के साथ सीमा साझा करता है, जो हिंसक विद्रोहों के लिए असुरक्षित हैं। बांग्लादेश में भारत के पूर्व उच्चायुक्त पिनाक रंजन चक्रवर्ती ने बताया भारत ने पड़ोसी देश में जन समर्थन और सद्भावना बनाने के लिए निवेश किया है। "बांग्लादेश की भौगोलिक स्थिति उसे बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल वाले उप-क्षेत्र के विकास में एक हितधारक बनाती है। इस क्षेत्र में बांग्लादेश के उत्तर और पूर्व में स्थित भारतीय राज्य शामिल हैं। भारत के पूर्वोत्तर में स्थित ये राज्य कभी अविभाजित भारत में आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत थे," चक्रवर्ती ने बताया। अब, बांग्लादेश और भारत परिवहन संपर्क को बढ़ावा देने और "विभाजन-पूर्व युग में जो मौजूद था उसे बहाल करने" के लिए काम कर रहे हैं, उन्होंने कहा।

ढाका को अरबों का ऋण

भारत, बांग्लादेश को एक महत्वपूर्ण पूर्वी बफर के रूप में पहचानता है और अपने बंदरगाहों और बिजली ग्रिड तक पहुँच के माध्यम से महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करता है। नई दिल्ली ने अब तक ढाका को लगभग 8 बिलियन डॉलर (€7.39 बिलियन) की ऋण रेखाएँ दी हैं, जिसका उपयोग विकास परियोजनाओं, बुनियादी ढाँचे के निर्माण और डीजल की आपूर्ति के लिए पाइपलाइन के निर्माण के लिए किया जाता है। देश में निवेश करने वाली प्रमुख भारतीय कंपनियों में मैरिको, इमामी, डाबर, एशियन पेंट्स और टाटा मोटर्स शामिल हैं।

छात्र विरोध प्रदर्शनों के बढ़ने से इन कंपनियों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ सकता है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र के संजय भारद्वाज ने कहा, "भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध उनके साझा इतिहास, जटिल सामाजिक-आर्थिक अंतरनिर्भरता और उनकी भू-राजनीतिक स्थिति में अंतर्निहित हैं। क्षेत्र में कोई भी टकराव वाली राजनीति और राजनीतिक अस्थिरता आतंकवाद, कट्टरवाद, उग्रवाद और पलायन की समस्याओं को आमंत्रित करती है।" उन्होंने कहा, "हिंसक विरोध और राजनीतिक अस्थिरता हिंसा के चक्र को जन्म देगी और लोग भारत की ओर पलायन करेंगे।" भारत और चीन के बीच टकराव हाल के वर्षों में, भारत और चीन दोनों ने बांग्लादेश में अपने आर्थिक दांव बढ़ाए हैं, जो दोनों देशों की बढ़ती भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में बदल रहा है। बांग्लादेश के साथ घनिष्ठ संबंधों का दावा करने के बावजूद, कुछ विश्लेषकों का मानना ​​है कि भारतीय नीति निर्माता बांग्लादेश की आबादी के कुछ हिस्सों में व्याप्त भारत विरोधी भावना को समझने में संघर्ष करते हैं। इसका कुछ कारण नई दिल्ली द्वारा सत्तारूढ़ अवामी लीग को समर्थन देना हो सकता है। 

इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो, हसीना सरकार की हालिया विफलताएं और विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, साथ ही स्थानीय इस्लामिस्ट पार्टियों का मजबूत होना भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। फिर भी, भारत स्थित जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स की प्रोफेसर श्रीराधा दत्ता का मानना ​​है कि छात्र विरोध प्रदर्शनों पर हसीना सरकार की अतिवादी प्रतिक्रिया को उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने विपक्षी दलों और इस्लामिस्ट छात्रों पर हिंसा का सारा दोष मढ़ने के बांग्लादेशी अधिकारियों के प्रयास की आलोचना की। दत्ता ने कहा कि सरकार की "गैर-प्रतिक्रिया और अपमानजनक टिप्पणियों" की प्रतिक्रिया के रूप में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए।

Demand for Bharat Ratna to Dr. Sachchidanand Sinha by Sunny Sinha, Patron of Samanta Sangram Samiti

Sunny Sinha, the patron of the Samanta Sangram Samiti, recently demanded that Dr. Sachchidanand Sinha, the first president of the Constituent Assembly of India, be honored with the Bharat Ratna. His proposal highlights the significance of Dr. Sinha’s contributions to the creation of the Indian Constitution. Sunny Sinha stated that Dr. Sachchidanand Sinha was not only the first president of the Constituent Assembly but also played an invaluable role in Indian politics, social justice, and constitutional reforms.

Dr. Sachchidanand Sinha: An Introduction

Dr. Sachchidanand Sinha was born on November 10, 1871, in Patna, Bihar. Before becoming the president of the Constituent Assembly, he was a renowned lawyer and academician. Even before India’s independence, he emphasized constitutional reforms and worked to bring together various sections of Indian society. Recognizing his contributions, he was elected as the first president of the Constituent Assembly, where he helped lay the foundation for the country’s future.

Demand for Bharat Ratna

Sunny Sinha believes that Dr. Sachchidanand Sinha’s pivotal role in the formation of the Constituent Assembly and in shaping the direction of the Constitution makes him deserving of the Bharat Ratna. He noted that the Bharat Ratna is the highest civilian honor in India and is awarded to individuals who have made extraordinary contributions to the nation. Dr. Sinha’s life and work reflect his deep commitment to the country, making him a worthy recipient of this prestigious award.

Impact on Society

The initiative by the Samanta Sangram Samiti not only seeks to recognize the contributions of Dr. Sachchidanand Sinha but also ensures that all the great leaders involved in the making of the Constituent Assembly receive due respect. This demand also aims to strengthen the values and ideals for which Dr. Sinha fought throughout his life. Sunny Sinha’s effort can serve as a meaningful step in passing on the importance of the Indian Constitution and its history to future generations.

Conclusion

Dr. Sachchidanand Sinha’s name is etched in golden letters in the history of the Indian Constitution. His leadership and vision provided a strong foundation for Indian democracy. Therefore, the demand to honor him with the Bharat Ratna is not only appropriate but also a fitting way to acknowledge his service to Indian society and democracy.

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावी परिणाम के बाद राहुल गांधी ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा?*
#assembly_election_result_congress_lost_rahul_gandhi_reaction
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को हुए नुकसान पर हर तरफ से प्रतिक्रिया आ रही है। यहां तक इंडिया गठबंधन में सहयोगियों ने कांग्रेस की रणनीति और क्षमता पर सवाल उठा दिए हैं। इस बीच राहुल गांधी गायब का ना उनका कोई बयान सामने आया था और ना ही उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किया था। अब रिजल्ट के करीब 24 घंटे बाद राहुल गांधी ने का पहला रिएक्शन सामने आया है। एक तरफ उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को शुक्रिया कहा। तो दूसरी तरफ, हरियाणा में मिली करारी हार पर को अप्रत्याशित बयाता। राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों का तहे दिल से शुक्रिया- प्रदेश में INDIA की जीत संविधान की जीत है, लोकतांत्रिक स्वाभिमान की जीत है। हम हरियाणा के अप्रत्याशित नतीजे का विश्लेषण कर रहे हैं। अनेक विधानसभा क्षेत्रों से आ रही शिकायतों से चुनाव आयोग को अवगत कराएंगे। सभी हरियाणा वासियों को उनके समर्थन और हमारे बब्बर शेर कार्यकर्ताओं को उनके अथक परिश्रम के लिए दिल से धन्यवाद। हक़ का, सामाजिक और आर्थिक न्याय का, सच्चाई का यह संघर्ष जारी रखेंगे, आपकी आवाज़ बुलंद करते रहेंगे।’ हरियाणा में वोटिंग के बाद नतीजों से पहले यह लग रहा था कि कांग्रेस चुनाव जीत रही है। लेकिन जब रिजल्ट आए तो एकदम उल्टा हुआ। कांग्रेस चुनाव हार गई। माना जा रहा है कि कांग्रेस की हार के पीछे प्रमुख वजह है पार्टी के अंदर गुटबाजी। वहीं सीट बंटवारे में गड़बड़ी भी एक वजह रही। कांग्रेस के कास्ट फैक्टर कैलकुलेशन में हुई गलती को भी हार की वजह माना जा रहा है। हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतकर भाजपा ने न सिर्फ सारे एग्जिट पोल्स को झूठा साबित कर दिया, बल्कि अपने विरोधियों को भी चौंका दिया है। इसके बाद से ही कांग्रेस अपने साथियों के निशाने पर है। हालांकि, कांग्रेस इन नतीजों को मानने के लिए तैयार नहीं है। उसने नतीजों में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत भी की है। बता दें कि विधानसभा चुनाव में 48 सीट जीतकर भाजपा सत्ता बरकरार रखने और लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए तैयार है। वहीं कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली है। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने दो सीटें जीतीं, जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों को तीन सीट मिलीं। जननायक जनता पार्टी (जजपा) और AAP दोनों को चुनावों में कोई सफलता नहीं मिली। बीजेपी और कांग्रेस का मत प्रतिशत लगभग बराबर रहा। बीजेपी को 39.94 प्रतिशत मत मिले, जबकि कांग्रेस को 39.09 प्रतिशत मत मिले।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावी परिणाम के बाद राहुल गांधी ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा?

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हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को हुए नुकसान पर हर तरफ से प्रतिक्रिया आ रही है। यहां तक इंडिया गठबंधन में सहयोगियों ने कांग्रेस की रणनीति और क्षमता पर सवाल उठा दिए हैं। इस बीच राहुल गांधी गायब का ना उनका कोई बयान सामने आया था और ना ही उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किया था। अब रिजल्ट के करीब 24 घंटे बाद राहुल गांधी ने का पहला रिएक्शन सामने आया है। एक तरफ उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को शुक्रिया कहा। तो दूसरी तरफ, हरियाणा में मिली करारी हार पर को अप्रत्याशित बयाता।

राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों का तहे दिल से शुक्रिया- प्रदेश में INDIA की जीत संविधान की जीत है, लोकतांत्रिक स्वाभिमान की जीत है। हम हरियाणा के अप्रत्याशित नतीजे का विश्लेषण कर रहे हैं। अनेक विधानसभा क्षेत्रों से आ रही शिकायतों से चुनाव आयोग को अवगत कराएंगे। सभी हरियाणा वासियों को उनके समर्थन और हमारे बब्बर शेर कार्यकर्ताओं को उनके अथक परिश्रम के लिए दिल से धन्यवाद। हक़ का, सामाजिक और आर्थिक न्याय का, सच्चाई का यह संघर्ष जारी रखेंगे, आपकी आवाज़ बुलंद करते रहेंगे।’

हरियाणा में वोटिंग के बाद नतीजों से पहले यह लग रहा था कि कांग्रेस चुनाव जीत रही है। लेकिन जब रिजल्ट आए तो एकदम उल्टा हुआ। कांग्रेस चुनाव हार गई। माना जा रहा है कि कांग्रेस की हार के पीछे प्रमुख वजह है पार्टी के अंदर गुटबाजी। वहीं सीट बंटवारे में गड़बड़ी भी एक वजह रही। कांग्रेस के कास्ट फैक्टर कैलकुलेशन में हुई गलती को भी हार की वजह माना जा रहा है। हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतकर भाजपा ने न सिर्फ सारे एग्जिट पोल्स को झूठा साबित कर दिया, बल्कि अपने विरोधियों को भी चौंका दिया है। इसके बाद से ही कांग्रेस अपने साथियों के निशाने पर है। हालांकि, कांग्रेस इन नतीजों को मानने के लिए तैयार नहीं है। उसने नतीजों में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत भी की है।

बता दें कि विधानसभा चुनाव में 48 सीट जीतकर भाजपा सत्ता बरकरार रखने और लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए तैयार है। वहीं कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली है। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने दो सीटें जीतीं, जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों को तीन सीट मिलीं। जननायक जनता पार्टी (जजपा) और AAP दोनों को चुनावों में कोई सफलता नहीं मिली। बीजेपी और कांग्रेस का मत प्रतिशत लगभग बराबर रहा। बीजेपी को 39.94 प्रतिशत मत मिले, जबकि कांग्रेस को 39.09 प्रतिशत मत मिले।

झारखंड में चुनाव के पहले बढ़ी राजनीतिक तपिश, भाजपा द्वारा गोगो फार्म पर झामुमो ने उठाया सवाल, तो सीएम सोरेन ने भाजपा पर दिया केस करने का निर्देश

झा. डेस्क 

झारखंड में चुनाव के पहले ही राजनीतिक तपिश महसूस की जाने लगी है। भाजपा और झामुमो आमने-सामने हैं। राजनीतिक पारा झारखंड का अभी कितना चढ़ा हुआ है, उसका अहसास इसी बात से लगता है कि आचार संहिता लगने से पहले ही पार्टियां आचार संहिता के उल्लंघन करने का आरोप लगाने लगी है।

राजनीतिक तापमान बढ़ने की एक बड़ी वजह है गोगो दीदी योजना। दरअसल भाजपा ने चुनाव पूर्व ही गोगो दीदी योजना का फार्म भराना शुरू कर दिया है।

चुनाव पूर्व फार्म भराये जाने की भाजपा की कवायद पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सवाल उठाये हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर चुनाव आयोग के उस निर्देश का हवाला दिया है, जो लोकसभा चुनाव पूर्व जारी किये गये थे। जिसमें किसी तरह की योजना का फार्म ना भराने और जनता को लोभ लालच देने जैसे कार्यों को तत्काल रोकने का निर्देश था। 

झामुमो ने जतायी आपत्ति 


झामुमो ने मई 2024 में चुनाव आयोग के उसी निर्देश का हवाला देते हुए झामुमो ने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट किया था कि भाजपा लगातार चुनाव आयोग के नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है - और चुनाव आयोग कमीशन सो रहा है। - आख़िर भाजपा को नियम तोड़ने की विशेष छूट है क्या ? 

 चुनाव आयोग कहता है की किसी भी तरह का फॉर्म नहीं भरवाया जा सकता है, लेकिन भाजपा के नेता, लगातार इसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं और केंद्रीय चुनाव आयोग शांत है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन संज्ञान लें अन्यथा INDIA भी अब ऐसे हथकंडे अपनाएगी। 

झामुमो की आपत्ति के बाद मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान 


इधर झामुमो के सोशल मीडिया पोस्ट पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कड़ा निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने झामुमो के X पोस्ट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि, सभी उपायुक्त संज्ञान लें एवं सुनिश्चित करें कि, भारतीय निर्वाचन आयोग की के सभी नियमों का सख्ती से पालन हो। झारखंड में किसी को भी केंद्रीय चुनाव आयोग के नियमों को तोड़ने की आज़ादी नहीं है। सभी उपायुक्त दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करें एवं सुसंगत धाराओं में मुकदमा कायम करते हुए सूचना दें।

हिमंता ने किया कटाक्ष


 इधर सत्ता पक्ष के तीखे तेवर पर भाजपा ने करारा पलटवार किया है। भाजपा के सह प्रभारी हिमंता विस्वा सरमा ने कहा है कि चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता चुनाव अधिसूचना जारी होने की तिथि से प्रभाव में आती है। अधिसूचना जारी होने तक, प्रत्येक राजनीतिक दल को अपने कार्यक्रम संचालित करने का अधिकार है। जब तक हम किसी नियम या संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। हमारी गतिविधियों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप अवैध माना जाएगा।

भारत ने फिर कनाडा को फटकारा, भारतीय उच्चायुक्त-राजनयिकों को लेकर ट्रूडो सरकार के दावे पर लताड़ा*

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खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के मामले में भारत ने एक बार फिर कनाडा को सख्त संदेश दिया है। भारत ने कनाडा से कहा है कि ट्रूडो इस तरह भारत पर आरोप नहीं लगा सकते। उन्हें निज्जर मामले में पुख्ता सबूत पेश करने होंगे। भारत ने कहा कि ट्रूडो राजनीतिक लाभ के लिए सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहे हैं।भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर इसे ट्रूडो का राजनीतिक हथकंडा बताया है।दरअसल, कनाडा सरकार ने एक जांच के मामले में भारतीय उच्चायुक्त और भारतीय राजनयिकों को जांच के दायरे में माना है। इस संदर्भ में भारत सरकार को कनाडा सरकार ने पत्र लिखा है। इसी पत्र के जवाब में भारत सरकार ने कनाडा को फटकारा और उसके आरोप को खारिज किया।

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक रविवार को कनाडा की ओर से एक राजनयिक संदेश मिला, जिसमें कनाडा में मौजूद भारतीय उच्चायुक्त और राजनयिकों को निज्जर हत्यकांड में ‘पर्सन ऑफ इंट्रस्ट’ बताया गया है।भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को दृढ़ता से खारिज करती है और इन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे के लिए जिम्मेदार ठहराती है, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है।

भारत सरकार ने आगे कहा, ‘चूंकि प्रधान मंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे। हमारी ओर से कई अनुरोधों के बावजूद कनाडाई सरकार ने भारत सरकार के साथ सबूत का एक टुकड़ा भी साझा नहीं किया है। यह नवीनतम कदम उन बातचीतों के बाद उठाया गया है जिनमें एक बार फिर बिना किसी तथ्य के दावे सामने आए हैं। इससे इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता है कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए भारत पर कीचड़ उछालने की एक सोची-समझी रणनीति है।

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो भारत विरोधी एजेंडा पहले ही बेनकाब हो चुका है। विदेश मंत्रालय ने 2018 में ट्रूडो के भारत दौरे को वोट बैंक राजनीति को साधने की कोशिश का हिस्सा बताया और कहा कि तब ट्रूडो का यह दांव उल्टा पड़ गया था। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 2020 में भारत की आंतरिक राजनीति में ट्रूडो के दखल ने दिखाया है कि वह राजनीतिक हितों को साधने के लिए क्या कुछ कर सकते हैं। सरकार ने कहा कि ट्रूडो कैबिनेट में कई ऐसे लोग शामिल हैं जो सीधे तौर पर भारत विरोधी कट्टरवाद और अलगाववाद से प्रेरित हैं।

बता दें कि पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत के खिलाफ बयान दिया था। उन्होंने हरदीप सिंह निज्जर हत्या में भारतीय एजेंट के शामिल होने का आरोप लगाया था। इसके बाद से भारत-कनाडा संबंधों में खटास आ गई। भारत ने कनाडा सरकार के उस आरोप को भी खारिज किया था और कहा था कि आरोपों को साबित करने के लिए सबूत दें।

आधा राज्य चलाने में कोई दिक्कत हो तो मुझसे सलाह लेना..', उमर अब्दुल्ला से बोले अरविंद केजरीवाल

आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में जीत के लिए बधाई दी और कहा कि अगर उन्हें "आधे राज्य" के प्रबंधन में कोई समस्या आती है, तो वे उनसे सलाह ले सकते हैं। केजरीवाल यह बातें AAP के नेता मेहराज मलिक को डोडा विधानसभा सीट से जीतने पर धन्यवाद देने के लिए डोडा में आयोजित एक सभा में बोल रहे थे।

केजरीवाल ने उमर अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बनने के लिए बधाई दी और कहा कि "INDIA" गठबंधन के तहत उनके नेतृत्व में राज्य का विकास होगा। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर को "आधा राज्य" बना दिया गया है, जिसमें मुख्यमंत्री के पास सीमित शक्तियां हैं, जबकि उपराज्यपाल के पास अधिक अधिकार हैं। केजरीवाल ने दिल्ली में 10 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहते हुए इसी तरह के अनुभव से गुज़रने की बात कही और उमर अब्दुल्ला से कहा कि यदि उन्हें कोई कठिनाई आती है, तो वे उनसे सलाह ले सकते हैं। मेहराज मलिक ने डोडा विधानसभा सीट से जीत हासिल की, जहां उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गंजेय सिंह राणा को 4,538 मतों से हराया। मलिक इस सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के खालिद नजीब सुहरावर्दी और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अब्दुल मजीद वानी को भी हराने में सफल रहे। मलिक अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा में AAP के पहले सदस्य बन गए हैं।

केजरीवाल ने उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन करने की घोषणा की और उम्मीद जताई कि मलिक को जम्मू-कश्मीर की सेवा करने का अवसर दिया जाएगा। उन्होंने मलिक की जीत को धर्म से परे बताया और कहा कि उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि "आप" का लक्ष्य डोडा और जम्मू-कश्मीर का विकास करना है और पार्टी सत्ता की दौड़ में नहीं है। उनका उद्देश्य देश में व्यवस्था में सुधार और आम लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना है। केजरीवाल ने डोडा के लोगों का धन्यवाद करते हुए कहा कि आप की जीत जम्मू-कश्मीर की राजनीति और स्थिति को अगले दस वर्षों में बदल देगी। उन्होंने कहा कि AAP एक पार्टी नहीं, बल्कि एक नई विचारधारा है, जो गरीबों के बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और मुफ्त बिजली जैसी सुविधाओं पर काम करती है।

भारत ने लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक बेस पर इजरायली गोलीबारी पर अपनी चिंता व्यक्त की

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Reuters

भारत ने शुक्रवार को दक्षिणी लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक बेस पर इजरायली गोलीबारी की रिपोर्ट के बाद ब्लू लाइन पर बढ़ती सुरक्षा स्थिति पर चिंता व्यक्त की, जिसके परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र के कर्मियों को चोटें आईं। एक बयान में, विदेश मंत्रालय (MEA) ने संयुक्त राष्ट्र परिसर की अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता पर बल दिया। "हम ब्लू लाइन पर बिगड़ती सुरक्षा स्थिति से चिंतित हैं। हम स्थिति पर बारीकी से नज़र रखना जारी रखते हैं," MEA ने कहा। "संयुक्त राष्ट्र परिसर की अखंडता का सभी को सम्मान करना चाहिए, और संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षकों की सुरक्षा और उनके जनादेश की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए।"

यह बयान लेबनान में संयुक्त राष्ट्र के ठिकानों पर इजरायली हमलों की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय निंदा के बाद आया है, जहां लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (UNIFIL) काम करता है। लेबनान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को रास नकुरा में UNIFIL के मुख्य बेस और श्रीलंकाई बटालियन के बेस को इजरायली "लक्ष्य" बनाने की निंदा की, जिसमें कथित तौर पर कई शांतिरक्षक घायल हो गए।

लेबनान के सरकारी मीडिया ने बताया कि इज़रायली तोपखाने ने रास नक़ुरा में UNIFIL वॉचटावर और कमांड सेंटर के मुख्य प्रवेश द्वार पर हमला किया, जिससे नुकसान हुआ। कहा जाता है कि एक इज़रायली मर्कवा टैंक ने टायर और नक़ुरा के बीच मुख्य सड़क के किनारे एक और UN टॉवर को निशाना बनाया। UNIFIL, जो 1978 से इस क्षेत्र में काम कर रहा है, ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि गुरुवार की घटना में बल के दो शांति सैनिक घायल हो गए।

चीन, इटली ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की

चीन ने हमले की निंदा की और जांच का आग्रह किया, जिसमें कहा गया कि शांति सैनिकों पर जानबूझकर किए गए हमले अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन हैं। UNIFIL में सैनिकों का एक प्रमुख योगदानकर्ता इटली ने सुझाव दिया कि इस तरह की कार्रवाई "युद्ध अपराध" हो सकती है, जबकि वाशिंगटन ने कहा कि वह "गहराई से चिंतित है"।

आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने इशारों में ड्रैगन को चेताया, जानें क्या कहा

#modisaidinindiaasean_summit

प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को लाओस की राजधानी वियनतियाने में ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। यहां बैठक को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, भारत हमेशा से ही आसियान देशों के बीच एकता को सपोर्ट करता रहा है। आसियान भारत के इंडो-पैसिफिक विजन और क्वाड को-ऑपरेशन के केंद्र में है।इस शिखर सम्मेलन में भारत ने एक बार फिर से चीन को सबक सिखा दिया। पीएम मोदी ने चीन का नाम लिए बगैर उसकी विस्तारवादी नीति पर जमकर प्रहार किया। पीएम मोदी ने साफ-साफ कहा कि हमारी अप्रोच विकासवाद की होनी चाहिए, न कि विस्तारवाद की।

दक्षिण चीन सागर को लेकर क्या बोले पीएम मोदी

शिखर सम्मेलन में पीएम मेदी ने कहा, 'भारत ने हमेशा ASEAN की एकता और केंद्रीयता का समर्थन किया है। ASEAN भारत के इंडो-पैसिफिक विजन और क्वाड सहयोग के केंद्र में भी है। भारत की "इंडो-पैसिफिक महासागरों की पहल'' और 'इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक'' के बीच गहरी समानताएं हैं। एक स्वतंत्र, खुला, समावेशी, समृद्ध और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक पूरे क्षेत्र की शांति और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। दक्षिण चीन सागर की शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के हित में है।'

समुद्री गतिविधियों पर चीन को सुनाया

पीएम मोदी ने कहा कि इस सम्मेलन में नेताओं ने कानूनी ढांचे के रूप में अनक्लोस के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि समुद्री गतिविधियां अन्क्लोस (UNCLOS) के तहत ही संचालित होनी चाहिए। फ्रीडम ऑफ नेविगेशन और एयर स्पेस सुनिश्चित करना जरूरी है। एक ठोस और प्रभावी कोड ऑफ कंडक्ट बनाया जाना चाहिए। इसमें क्षेत्रीय देशों की विदेश नीति पर अंकुश नहीं लगाए जाने चाहिए।

युद्ध को बीच ग्लोबल साउथ के देशों पर सबसे ज्यादा असर-पीएम मोदी

बिना नाम लिए चीन को नसीहत देते हुए पीएम मोदी ने अपने बयान में कहा कि हम शांतिप्रिय राष्ट्र हैं,जो एक-दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा कि दुनिया भर में जारी अलग-अलग जंग का सबसे बुरा असर ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है। ऐसे में दुनिया में शांति बहाल करना बेहद जरूरी है। मैं बुद्ध की धरती से आता हूं। हमने हमेशा यही कहा है कि यह जंग का युग नहीं है।

भारत की बढ़ेगी ताकतः यूएस से परमाणु पनडुब्बियों-31 प्रीडेटर ड्रोन के लिए 80000 करोड़ का सौदा

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हिंद माहासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी भारत के लिए चिंता का विषय है। यही वजह है कि भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है। इसी क्रम में भारतीय नौसेना और रक्षा बलों की निगरानी क्षमताएं बढ़ाने के लिए सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने स्वदेशी रूप से दो परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण और अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के अहम सौदों को मंजूरी दे दी है।सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने इस संबंध में 80,000 करोड़ रुपये के प्रमुख सौदों को मंजूरी दे दी है। इससे समुद्र से लेकर सतह और आसमान तक में भारत की मारक और निगरानी क्षमता में प्रभावी वृद्धि होगी।

सूत्रों ने एएनआई को बताया कि योजना के अनुसार, भारतीय नौसेना को दो परमाणु-संचालित हमलावर पनडुब्बियां मिलेंगी जो हिंद महासागर क्षेत्र में इसकी क्षमताओं को कई गुना बढ़ाने में मदद करेंगी। इससे भारत की मारक और निगरानी क्षमता में वृद्धि होगी। जानकारी के मुताबिक दो परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण के लिए विशाखापट्टनम स्थित शिप बिल्डिंग सेंटर के साथ 45,000 करोड़ रुपए की डील हुई है। खास बात ये है कि इसमें लॉर्सन एंड टूब्रो जैसी निजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों की भी भागीदारी होगी। बताया जा रहा है कि ये डील काफी समय से अटकी थी जो अब फाइनल हो गई है।

काफी समय से अटकी थी डील

सूत्रों ने बताया कि यह सौदा लंबे समय से लटका हुआ था। भारतीय नौसेना इस पर जोर दे रही थी क्योंकि समुद्र के भीतर उसकी क्षमता की कमी को पूरा करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण आवश्यकता थी। भारत ने नौसेना में पनडुब्बियों को शामिल करने की दीर्घकालिक योजना बनाई है जिसके तहत इस तरह की छह पनडुब्बियां शामिल हैं। इन पनडुब्बियों का निर्माण महत्वाकांक्षी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल प्रोजेक्ट के तहत किया जाएगा जो अरिहंत श्रेणी के तहत बनाई जा रही पांच परमाणु पनडुब्बियों से अलग हैं।

31 प्रीडेटर ड्रोन की डील

सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा मंजूर किया गया दूसरा बड़ा सौदा अमेरिकी जनरल एटॉमिक्स से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने का है। यह सौदा भारत-अमेरिका के बीच विदेशी सैन्य बिक्री अनुबंध के तहत है। इस सौदे को 31 अक्टूबर से पहले मंजूरी मिलनी थी क्योंकि अमेरिकी प्रस्ताव की वैधता तभी तक थी। अब इस पर अगले कुछ दिनों में ही हस्ताक्षर होंगे।उन्होंने बताया कि अनुबंध के अनुसार, रक्षा बलों को सौदे पर हस्ताक्षर करने के चार साल बाद ड्रोन मिलने शुरू हो जाएंगे। भारतीय नौसेना को 31 में से 15 ड्रोन मिलेंगे। थल सेना और वायु सेना को आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे।

अमेरिका से खरीदे जाने वाले 31 ड्रोन में से कुछ को भारत में ही असेंबल किया जाएगा, जिनमें से 30% कंपोनेंट्स इंडियन सप्लायर्स के ही रहेंगे। इन ड्रोन में डीआरडीओ से बनी कोई मिसाइल नहीं लगाई जाएगी, क्योंकि ऐसा करने में ड्रोन की गारंटी खत्म हो जाएगी।

क्या बांग्लादेश में तख्तापलट की जानकारी भारत की एजेंसियों को नहीं थी?

#wereindianagenciesunawareoftheactivitiesgoingin_bangladesh

Flags of India & Bangladesh

भारत बांग्लादेश में अशांति पर कड़ी नज़र रख रहा है, जो एक पड़ोसी देश होने के साथ-साथ नई दिल्ली के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है। यह हज़ारों भारतीय छात्रों का अस्थायी घर भी है। बांग्लादेश में छात्र समूहों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार द्वारा हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा करने और हाल की हिंसा के लिए माफ़ी मांगने की उनकी मांग को पूरा करने में विफल रहने के बाद हसीना के 16 साल के शासन से नाराज़गी जताते हुए उन्हें देश छोड़ने को मजबूर कर दिया था। लेकिन नई दिल्ली ने इसपर कोई भी पूर्व प्रतिक्रिया जारी नई की थी, जिसके कारण लोगों के मन में यह सवाल है कि क्या भारत की ख़ुफ़िया एजेंसीज ने इस घटना को लेकर भारत सरकार को कोई चेतवानी नई दी थी। 

"भारत देश में चल रही स्थिति को बांग्लादेश का आंतरिक मामला मानता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा था, "बांग्लादेश सरकार के समर्थन और सहयोग से हम अपने छात्रों की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था करने में सक्षम हैं।"

देश में हिंसक झड़पों के बीच बांग्लादेश से करीब 6,700 भारतीय छात्र वापस लौटे थे

जायसवाल ने कहा, "एक करीबी पड़ोसी होने के नाते जिसके साथ हमारे बहुत ही मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, हमें उम्मीद है कि देश में स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी।"

सुरक्षा, व्यापार और कूटनीति के लिए बांग्लादेश महत्वपूर्ण

भारत के लिए, सामान्य स्थिति में लौटने का मतलब है हसीना का सत्ता में लौटना, आंशिक रूप से सुरक्षा कारणों से दोनों देश 4,100 किलोमीटर लंबी (2,500 मील) छिद्रपूर्ण सीमा साझा करते हैं, जिसका मानव तस्कर और आतंकवादी समूह फायदा उठा सकते हैं। इसके अलावा, बांग्लादेश पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के भारतीय राज्यों के साथ सीमा साझा करता है, जो हिंसक विद्रोहों के लिए असुरक्षित हैं। बांग्लादेश में भारत के पूर्व उच्चायुक्त पिनाक रंजन चक्रवर्ती ने बताया भारत ने पड़ोसी देश में जन समर्थन और सद्भावना बनाने के लिए निवेश किया है। "बांग्लादेश की भौगोलिक स्थिति उसे बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल वाले उप-क्षेत्र के विकास में एक हितधारक बनाती है। इस क्षेत्र में बांग्लादेश के उत्तर और पूर्व में स्थित भारतीय राज्य शामिल हैं। भारत के पूर्वोत्तर में स्थित ये राज्य कभी अविभाजित भारत में आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत थे," चक्रवर्ती ने बताया। अब, बांग्लादेश और भारत परिवहन संपर्क को बढ़ावा देने और "विभाजन-पूर्व युग में जो मौजूद था उसे बहाल करने" के लिए काम कर रहे हैं, उन्होंने कहा।

ढाका को अरबों का ऋण

भारत, बांग्लादेश को एक महत्वपूर्ण पूर्वी बफर के रूप में पहचानता है और अपने बंदरगाहों और बिजली ग्रिड तक पहुँच के माध्यम से महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करता है। नई दिल्ली ने अब तक ढाका को लगभग 8 बिलियन डॉलर (€7.39 बिलियन) की ऋण रेखाएँ दी हैं, जिसका उपयोग विकास परियोजनाओं, बुनियादी ढाँचे के निर्माण और डीजल की आपूर्ति के लिए पाइपलाइन के निर्माण के लिए किया जाता है। देश में निवेश करने वाली प्रमुख भारतीय कंपनियों में मैरिको, इमामी, डाबर, एशियन पेंट्स और टाटा मोटर्स शामिल हैं।

छात्र विरोध प्रदर्शनों के बढ़ने से इन कंपनियों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ सकता है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र के संजय भारद्वाज ने कहा, "भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध उनके साझा इतिहास, जटिल सामाजिक-आर्थिक अंतरनिर्भरता और उनकी भू-राजनीतिक स्थिति में अंतर्निहित हैं। क्षेत्र में कोई भी टकराव वाली राजनीति और राजनीतिक अस्थिरता आतंकवाद, कट्टरवाद, उग्रवाद और पलायन की समस्याओं को आमंत्रित करती है।" उन्होंने कहा, "हिंसक विरोध और राजनीतिक अस्थिरता हिंसा के चक्र को जन्म देगी और लोग भारत की ओर पलायन करेंगे।" भारत और चीन के बीच टकराव हाल के वर्षों में, भारत और चीन दोनों ने बांग्लादेश में अपने आर्थिक दांव बढ़ाए हैं, जो दोनों देशों की बढ़ती भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में बदल रहा है। बांग्लादेश के साथ घनिष्ठ संबंधों का दावा करने के बावजूद, कुछ विश्लेषकों का मानना ​​है कि भारतीय नीति निर्माता बांग्लादेश की आबादी के कुछ हिस्सों में व्याप्त भारत विरोधी भावना को समझने में संघर्ष करते हैं। इसका कुछ कारण नई दिल्ली द्वारा सत्तारूढ़ अवामी लीग को समर्थन देना हो सकता है। 

इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो, हसीना सरकार की हालिया विफलताएं और विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, साथ ही स्थानीय इस्लामिस्ट पार्टियों का मजबूत होना भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। फिर भी, भारत स्थित जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स की प्रोफेसर श्रीराधा दत्ता का मानना ​​है कि छात्र विरोध प्रदर्शनों पर हसीना सरकार की अतिवादी प्रतिक्रिया को उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने विपक्षी दलों और इस्लामिस्ट छात्रों पर हिंसा का सारा दोष मढ़ने के बांग्लादेशी अधिकारियों के प्रयास की आलोचना की। दत्ता ने कहा कि सरकार की "गैर-प्रतिक्रिया और अपमानजनक टिप्पणियों" की प्रतिक्रिया के रूप में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए।

Demand for Bharat Ratna to Dr. Sachchidanand Sinha by Sunny Sinha, Patron of Samanta Sangram Samiti

Sunny Sinha, the patron of the Samanta Sangram Samiti, recently demanded that Dr. Sachchidanand Sinha, the first president of the Constituent Assembly of India, be honored with the Bharat Ratna. His proposal highlights the significance of Dr. Sinha’s contributions to the creation of the Indian Constitution. Sunny Sinha stated that Dr. Sachchidanand Sinha was not only the first president of the Constituent Assembly but also played an invaluable role in Indian politics, social justice, and constitutional reforms.

Dr. Sachchidanand Sinha: An Introduction

Dr. Sachchidanand Sinha was born on November 10, 1871, in Patna, Bihar. Before becoming the president of the Constituent Assembly, he was a renowned lawyer and academician. Even before India’s independence, he emphasized constitutional reforms and worked to bring together various sections of Indian society. Recognizing his contributions, he was elected as the first president of the Constituent Assembly, where he helped lay the foundation for the country’s future.

Demand for Bharat Ratna

Sunny Sinha believes that Dr. Sachchidanand Sinha’s pivotal role in the formation of the Constituent Assembly and in shaping the direction of the Constitution makes him deserving of the Bharat Ratna. He noted that the Bharat Ratna is the highest civilian honor in India and is awarded to individuals who have made extraordinary contributions to the nation. Dr. Sinha’s life and work reflect his deep commitment to the country, making him a worthy recipient of this prestigious award.

Impact on Society

The initiative by the Samanta Sangram Samiti not only seeks to recognize the contributions of Dr. Sachchidanand Sinha but also ensures that all the great leaders involved in the making of the Constituent Assembly receive due respect. This demand also aims to strengthen the values and ideals for which Dr. Sinha fought throughout his life. Sunny Sinha’s effort can serve as a meaningful step in passing on the importance of the Indian Constitution and its history to future generations.

Conclusion

Dr. Sachchidanand Sinha’s name is etched in golden letters in the history of the Indian Constitution. His leadership and vision provided a strong foundation for Indian democracy. Therefore, the demand to honor him with the Bharat Ratna is not only appropriate but also a fitting way to acknowledge his service to Indian society and democracy.

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावी परिणाम के बाद राहुल गांधी ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा?*
#assembly_election_result_congress_lost_rahul_gandhi_reaction
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को हुए नुकसान पर हर तरफ से प्रतिक्रिया आ रही है। यहां तक इंडिया गठबंधन में सहयोगियों ने कांग्रेस की रणनीति और क्षमता पर सवाल उठा दिए हैं। इस बीच राहुल गांधी गायब का ना उनका कोई बयान सामने आया था और ना ही उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किया था। अब रिजल्ट के करीब 24 घंटे बाद राहुल गांधी ने का पहला रिएक्शन सामने आया है। एक तरफ उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को शुक्रिया कहा। तो दूसरी तरफ, हरियाणा में मिली करारी हार पर को अप्रत्याशित बयाता। राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों का तहे दिल से शुक्रिया- प्रदेश में INDIA की जीत संविधान की जीत है, लोकतांत्रिक स्वाभिमान की जीत है। हम हरियाणा के अप्रत्याशित नतीजे का विश्लेषण कर रहे हैं। अनेक विधानसभा क्षेत्रों से आ रही शिकायतों से चुनाव आयोग को अवगत कराएंगे। सभी हरियाणा वासियों को उनके समर्थन और हमारे बब्बर शेर कार्यकर्ताओं को उनके अथक परिश्रम के लिए दिल से धन्यवाद। हक़ का, सामाजिक और आर्थिक न्याय का, सच्चाई का यह संघर्ष जारी रखेंगे, आपकी आवाज़ बुलंद करते रहेंगे।’ हरियाणा में वोटिंग के बाद नतीजों से पहले यह लग रहा था कि कांग्रेस चुनाव जीत रही है। लेकिन जब रिजल्ट आए तो एकदम उल्टा हुआ। कांग्रेस चुनाव हार गई। माना जा रहा है कि कांग्रेस की हार के पीछे प्रमुख वजह है पार्टी के अंदर गुटबाजी। वहीं सीट बंटवारे में गड़बड़ी भी एक वजह रही। कांग्रेस के कास्ट फैक्टर कैलकुलेशन में हुई गलती को भी हार की वजह माना जा रहा है। हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतकर भाजपा ने न सिर्फ सारे एग्जिट पोल्स को झूठा साबित कर दिया, बल्कि अपने विरोधियों को भी चौंका दिया है। इसके बाद से ही कांग्रेस अपने साथियों के निशाने पर है। हालांकि, कांग्रेस इन नतीजों को मानने के लिए तैयार नहीं है। उसने नतीजों में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत भी की है। बता दें कि विधानसभा चुनाव में 48 सीट जीतकर भाजपा सत्ता बरकरार रखने और लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए तैयार है। वहीं कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली है। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने दो सीटें जीतीं, जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों को तीन सीट मिलीं। जननायक जनता पार्टी (जजपा) और AAP दोनों को चुनावों में कोई सफलता नहीं मिली। बीजेपी और कांग्रेस का मत प्रतिशत लगभग बराबर रहा। बीजेपी को 39.94 प्रतिशत मत मिले, जबकि कांग्रेस को 39.09 प्रतिशत मत मिले।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावी परिणाम के बाद राहुल गांधी ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा?

#assembly_election_result_congress_lost_rahul_gandhi_reaction

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को हुए नुकसान पर हर तरफ से प्रतिक्रिया आ रही है। यहां तक इंडिया गठबंधन में सहयोगियों ने कांग्रेस की रणनीति और क्षमता पर सवाल उठा दिए हैं। इस बीच राहुल गांधी गायब का ना उनका कोई बयान सामने आया था और ना ही उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किया था। अब रिजल्ट के करीब 24 घंटे बाद राहुल गांधी ने का पहला रिएक्शन सामने आया है। एक तरफ उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को शुक्रिया कहा। तो दूसरी तरफ, हरियाणा में मिली करारी हार पर को अप्रत्याशित बयाता।

राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों का तहे दिल से शुक्रिया- प्रदेश में INDIA की जीत संविधान की जीत है, लोकतांत्रिक स्वाभिमान की जीत है। हम हरियाणा के अप्रत्याशित नतीजे का विश्लेषण कर रहे हैं। अनेक विधानसभा क्षेत्रों से आ रही शिकायतों से चुनाव आयोग को अवगत कराएंगे। सभी हरियाणा वासियों को उनके समर्थन और हमारे बब्बर शेर कार्यकर्ताओं को उनके अथक परिश्रम के लिए दिल से धन्यवाद। हक़ का, सामाजिक और आर्थिक न्याय का, सच्चाई का यह संघर्ष जारी रखेंगे, आपकी आवाज़ बुलंद करते रहेंगे।’

हरियाणा में वोटिंग के बाद नतीजों से पहले यह लग रहा था कि कांग्रेस चुनाव जीत रही है। लेकिन जब रिजल्ट आए तो एकदम उल्टा हुआ। कांग्रेस चुनाव हार गई। माना जा रहा है कि कांग्रेस की हार के पीछे प्रमुख वजह है पार्टी के अंदर गुटबाजी। वहीं सीट बंटवारे में गड़बड़ी भी एक वजह रही। कांग्रेस के कास्ट फैक्टर कैलकुलेशन में हुई गलती को भी हार की वजह माना जा रहा है। हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतकर भाजपा ने न सिर्फ सारे एग्जिट पोल्स को झूठा साबित कर दिया, बल्कि अपने विरोधियों को भी चौंका दिया है। इसके बाद से ही कांग्रेस अपने साथियों के निशाने पर है। हालांकि, कांग्रेस इन नतीजों को मानने के लिए तैयार नहीं है। उसने नतीजों में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत भी की है।

बता दें कि विधानसभा चुनाव में 48 सीट जीतकर भाजपा सत्ता बरकरार रखने और लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए तैयार है। वहीं कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली है। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने दो सीटें जीतीं, जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों को तीन सीट मिलीं। जननायक जनता पार्टी (जजपा) और AAP दोनों को चुनावों में कोई सफलता नहीं मिली। बीजेपी और कांग्रेस का मत प्रतिशत लगभग बराबर रहा। बीजेपी को 39.94 प्रतिशत मत मिले, जबकि कांग्रेस को 39.09 प्रतिशत मत मिले।

झारखंड में चुनाव के पहले बढ़ी राजनीतिक तपिश, भाजपा द्वारा गोगो फार्म पर झामुमो ने उठाया सवाल, तो सीएम सोरेन ने भाजपा पर दिया केस करने का निर्देश

झा. डेस्क 

झारखंड में चुनाव के पहले ही राजनीतिक तपिश महसूस की जाने लगी है। भाजपा और झामुमो आमने-सामने हैं। राजनीतिक पारा झारखंड का अभी कितना चढ़ा हुआ है, उसका अहसास इसी बात से लगता है कि आचार संहिता लगने से पहले ही पार्टियां आचार संहिता के उल्लंघन करने का आरोप लगाने लगी है।

राजनीतिक तापमान बढ़ने की एक बड़ी वजह है गोगो दीदी योजना। दरअसल भाजपा ने चुनाव पूर्व ही गोगो दीदी योजना का फार्म भराना शुरू कर दिया है।

चुनाव पूर्व फार्म भराये जाने की भाजपा की कवायद पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सवाल उठाये हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर चुनाव आयोग के उस निर्देश का हवाला दिया है, जो लोकसभा चुनाव पूर्व जारी किये गये थे। जिसमें किसी तरह की योजना का फार्म ना भराने और जनता को लोभ लालच देने जैसे कार्यों को तत्काल रोकने का निर्देश था। 

झामुमो ने जतायी आपत्ति 


झामुमो ने मई 2024 में चुनाव आयोग के उसी निर्देश का हवाला देते हुए झामुमो ने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट किया था कि भाजपा लगातार चुनाव आयोग के नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है - और चुनाव आयोग कमीशन सो रहा है। - आख़िर भाजपा को नियम तोड़ने की विशेष छूट है क्या ? 

 चुनाव आयोग कहता है की किसी भी तरह का फॉर्म नहीं भरवाया जा सकता है, लेकिन भाजपा के नेता, लगातार इसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं और केंद्रीय चुनाव आयोग शांत है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन संज्ञान लें अन्यथा INDIA भी अब ऐसे हथकंडे अपनाएगी। 

झामुमो की आपत्ति के बाद मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान 


इधर झामुमो के सोशल मीडिया पोस्ट पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कड़ा निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने झामुमो के X पोस्ट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि, सभी उपायुक्त संज्ञान लें एवं सुनिश्चित करें कि, भारतीय निर्वाचन आयोग की के सभी नियमों का सख्ती से पालन हो। झारखंड में किसी को भी केंद्रीय चुनाव आयोग के नियमों को तोड़ने की आज़ादी नहीं है। सभी उपायुक्त दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करें एवं सुसंगत धाराओं में मुकदमा कायम करते हुए सूचना दें।

हिमंता ने किया कटाक्ष


 इधर सत्ता पक्ष के तीखे तेवर पर भाजपा ने करारा पलटवार किया है। भाजपा के सह प्रभारी हिमंता विस्वा सरमा ने कहा है कि चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता चुनाव अधिसूचना जारी होने की तिथि से प्रभाव में आती है। अधिसूचना जारी होने तक, प्रत्येक राजनीतिक दल को अपने कार्यक्रम संचालित करने का अधिकार है। जब तक हम किसी नियम या संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। हमारी गतिविधियों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप अवैध माना जाएगा।