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ट्रंप की जीत से कनाडा की बढ़ी बेचैनी, जाने किस बात को लेकर खौफ में हैं ट्रूडो?

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डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। अमेरिका के पिछले एक सौ साल के इतिहास में वो पहले राष्ट्रपति हैं जो एक बार चुनाव हारने के बाद व्हाइट हाउस में वापसी कर रहे हैं। ट्रंप अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति रह चुके हैं। ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी के साथ ही अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव देखने को मिल सकता है। खासकर डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद कनाडा में चिंता और घबराहट का माहौल है। डोनाल्ड ट्रंप की जीत कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। दरअसल, जस्टिन ट्रूडो ने रिपब्लिकन नेता ने कभी 'दूर-वामपंथी पागल' करार दिया था।

विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि वॉइट हाउस में ट्रंप की वापसी से व्यापार विवाद बढ़ सकते हैं, जो कनाडा के लिए मंदी की वजह बन सकते हैं। कनाडा का 75 फीसदी निर्यात अमेरिका को जाता है। कनाडा में एक साल के भीतर चुनाव होने वाले हैं और अधिकांश सर्वेक्षणों में जस्टिन ट्रूडो की हार की भविष्यवाणी की गई है। ऐसे में आइए कनाडा पर ट्रंप की जीत के मायने समझते हैं।

कनाडा दुनिया का चौथे नंबर का कच्चा तेल उत्पादक है। वहीं, ट्रंप की योजना सभी आयातों पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने और अमेरिकी ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने की है, जो कनाडा के लिए खास तौर पर बुरा संकेत है।कनाडा का 75% निर्यात अमेरिका को जाता है, और ऐसे में यह टैरिफ कनाडा की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। कनाडाई चैंबर ऑफ कॉमर्स के अनुसार, ट्रंप की टैरिफ नीति से कनाडा की आय में सालाना 0.9% और श्रम उत्पादकता में लगभग 1% की कमी आएगी। यदि व्यापारिक तनाव बढ़ता है, तो इसका असर कनाडा की आर्थिक वृद्धि पर और गंभीर हो सकता है।

वहीं, ट्रंप और ट्रूडो के बीच का संबंध भी हमेशा से तनावपूर्ण रहा हैं। 2018 में क्यूबेक में जी-7 शिखर सम्मेलन में ट्रंप ने ट्रूडो को "बेईमान और कमजोर" कहकर आलोचना की थी। इसके बाद 2022 में, कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर भी ट्रंप ने ट्रूडो को पागल कहा था। ट्रंप की इन टिप्पणियों के कारण दोनों नेताओं के बीच सार्वजनिक मंच पर तनाव देखा गया है।

हालांकि, ट्रूडो ने ट्रंप को जीत की बधाई देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच दोस्ती "दुनिया की ईर्ष्या" का कारण है और वे मिलकर काम करेंगे।ट्रूडो ने एक्स पर कहा, 'मुझे पता है कि राष्ट्रपति ट्रम्प और मैं अपने दोनों देशों के लिए अधिक अवसर, समृद्धि और सुरक्षा बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे।'

पूरी दुनिया पीएम मोदी से प्यार करती है”, जीत के बाद बोले ट्रंप

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सत्ता में वापसी करने वाले हैं। ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक ऐतिहासिक जीत हासिल की है। विदेशी राजनेताओं की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रंप की शानदार और धमाकेदार जीत पर उन्हें सबसे पहले बधाई दी। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के जीतने के बाद पीएम मोदी ने उनसे फोन पर बात की।बातचीत को लेकर पीएम मोदी ने भी एक्स पर पोस्ट किया।

पीएम मोदी ने एक्स पर कहा कि ‘अपने मित्र, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ शानदार बातचीत हुई और उन्हें उनकी शानदार जीत पर बधाई दी। प्रौद्योगिकी, रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और कई अन्य क्षेत्रों में भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक बार फिर मिलकर काम करने की उम्मीद है।’

ट्रंप ने की पीएम मोदी की तारीफ

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप ने पीएम मोदी की इस पहल का गर्मजोशी से जवाब दिया। उन्होंने भारत को शानदार देश और पीएम मोदी को शानदार व्यक्ति बताया। ट्रंप ने इस बात का भी जिक्र किया कि मोदी दुनिया के उन पहले नेताओं में से थे, जिन्होंने उनके जीत हासिल करने के बाद बात की। पीएम मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, 'पूरी दुनिया पीएम मोदी से प्यार करती है।' उन्होंने भारत को एक मूल्यवान सहयोगी बताया।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा दुनिया के तमाम राष्ट्राध्यक्षों ने अमेरिका के नए राष्ट्रपति को चुनावी जीत पर शुभकामना संदेश भेजा है। जो लोग ट्रंप की विचारधारा को पसंद नहीं करते, उन्होंने भी औपचारिकता में बधाई संदेश भेजा है। जो बाइडेन ने ट्रंप को फोन करके बधाई दी और उन्हें व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया। हालांकि रूस ने अब तक ट्रंप को बधी नहीं दी है, साथ ही अमेरिका को अमित्र देश बताया है।

ऐसे चरित्र का आदमी जो...ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से मणिशंकर अय्यर हैं दुखी

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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत से सीनियर कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर बड़े दुखी हैं। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की ऐतिहासिक जीत पर विवादित बयान दिया है।अय्यर ने ट्रंप को 'संदिग्ध चरित्र वाला व्यक्ति' बताया।अय्यर ने कहा कि मुझे बेहद दुख हो रहा है कि ट्रंप जैसे संदिग्ध चरित्र वाले व्यक्ति को दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र का राष्ट्रपति चुन लिया गया है। उन्हें राष्ट्रपति नहीं चुना जाना चाहिए था।

न्यूज एजेंसी एएनाई से बात करते हुए मणिशंकर अय्यर ने कहा, (अमेरिकी चुनाव से) नैतिक आयाम गायब था। यह बहुत दुखद है कि इतने शक्तिशाली देश का नेतृत्व ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाएगा, जिसे 34 अलग-अलग मामलों में अपराधी के रूप में दोषी ठहराया गया है। ऐसे चरित्र के आदमी को, जिसका इतिहास रहा है कि वह वेश्याओं के साथ संबंध बनाता था और उनको मुंह बंद करने के लिए पैसे देता था, ऐसे जलील आदमी को लोगों ने राष्ट्रपति चुना है। मुझे नहीं लगता कि इस तरह के चरित्र का व्यक्ति अपने देश या दुनिया के लिए अच्छा है।

ट्रंप और पीएम मोदी के संबंधों पर उठाया सवाल

कांग्रेस नेता ने ट्रंप के साथ पीएम मोदी के संबंधों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मैं यह भी मानता हूं कि पीएम मोदी और ट्रंप के बीच व्यक्तिगत स्तर पर एक विशेष तालमेल है, जो मुझे लगता है कि पीएम मोदी और उनकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर बुरा असर डालता है।

कमला हैरिस के लिए जताया दुख

अय्यर ने कमला हैरिस की हार पर भी दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कमला हैरिस, जो जीत जातीं, राष्ट्रपति बनने वाली भारत की पहली महिला और पहली राजनेता होतीं। यह एक ऐतिहासिक और सकारात्मक कदम होता। अय्यर ने कहा, जहां तक कमला हैरिस का सवाल है, उन्हें बहुत कम समय दिया गया था। वह पीछे से आगे आईं। वह बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही थीं। लेकिन ऐसा लगता है कि अमेरिकी समाज में बहुत गहरी खामियां आखिरकार उनके खिलाफ हो गईं और वह इस दौड़ में हार गईं।

कमला हैरिस और ट्रम्प के बिच है काटें की टक्कर, ट्रम्प ने 900 से अधिक रैलियों में भाग लेने का किया दावा

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Kamala Harris & Donald Trumph

कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को पेन्सिलवेनिया के लिए एक गरमागरम लड़ाई के साथ इस साल के राष्ट्रपति पद की दौड़ को समाप्त कर दिया, एक ऐसे राज्य में मतदाताओं से अपनी अंतिम अपील की जो अगले राष्ट्रपति को तय करने में महत्वपूर्ण हो सकता है। हैरिस ने फिलाडेल्फिया में अपना दिन आर्ट म्यूज़ियम की प्रतिष्ठित सीढ़ियों पर समाप्त किया, जिसे रॉकी फ़िल्म ने प्रसिद्ध किया था, जहाँ उन्होंने घोषणा की, "गति हमारे पक्ष में है।" इससे पहले, उन्होंने एलेनटाउन, स्क्रैंटन और पिट्सबर्ग का दौरा किया था, और प्यूर्टो रिकान रेस्तरां में मतदाताओं से जुड़ने के लिए रीडिंग में रुकी थीं, यहाँ तक कि अभियान स्वयंसेवकों के साथ घर-घर जाकर प्रचार भी किया था।

"यह चुनाव से एक दिन पहले है, और मैं बस यह कहना चाहती थी कि मुझे आपका वोट मिलने की उम्मीद है," हैरिस ने एक महिला से कहा, जिसने पहले ही डेमोक्रेटिक टिकट के लिए अपना मत डाल दिया था। इस बीच, ट्रम्प ने अपना दिन उत्तरी कैरोलिना में शुरू किया और मिशिगन में समाप्त किया, लेकिन रास्ते में रीडिंग और पिट्सबर्ग में भी रुके। पूर्व राष्ट्रपति ने प्रत्येक स्थान पर उग्र भाषण दिए, जिसमें मतदाता धोखाधड़ी के बारे में निराधार दावों को प्रवासी अपराध के बारे में चेतावनियों और अमेरिका को "पुनर्जीवित" करने के वादों के साथ मिलाया गया। "कल आपके वोट से, हम अपने देश की हर समस्या को ठीक कर सकते हैं और अमेरिका और पूरी दुनिया को गौरव की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं," ट्रम्प ने भीड़ से कहा।

जबकि हैरिस ने भविष्य के लिए आशावाद पर ध्यान केंद्रित किया और ट्रम्प का नाम लेने से परहेज किया, रिपब्लिकन उम्मीदवार ने अपने प्रतिद्वंद्वी पर बार-बार हमला करते हुए पीछे नहीं हटे। उनके साथी, ओहियो सीनेटर जेडी वेंस ने अटलांटा में अपनी रैली के दौरान इस भावना को दोहराया, उन्होंने घोषणा की, "हम वाशिंगटन, डीसी में कचरा बाहर निकालने जा रहे हैं, और कचरे का नाम कमला हैरिस है।"

यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के इलेक्शन लैब के अनुसार, रविवार तक 82 मिलियन से अधिक अमेरिकी पहले ही अपना वोट डाल चुके हैं, जो पूरे अमेरिका में शुरुआती और मेल-इन वोटिंग को ट्रैक करता है। मिनेसोटा के गवर्नर टिम वाल्ज़, डेमोक्रेट्स के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और कमला हैरिस के साथी, इस बात पर 'निराशा' व्यक्त करते हैं कि रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प के साथ उनका राष्ट्रपति पद का मुक़ाबला 'बहुत नज़दीकी' है। "मुझे लगता है कि यह मुझे निराश करता है, क्योंकि मुझे लगता है कि चुनाव बहुत ही स्पष्ट है, लेकिन यह आश्चर्यजनक नहीं है। देश वास्तव में विभाजित है। वहाँ कुछ लोगों का समूह है जो इसे समझ गया है, और मुझे लगता है कि उन्होंने लोगों को यह सोचने पर मजबूर करने का एक शानदार काम किया है कि इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता, हर कोई एक जैसा है," उन्होंने स्टीफन कोलबर्ट के साथ लेट शो में कहा। 

वही विदेश मंत्री एस जयशंकर, जो वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर रहे हैं, ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और डोनाल्ड ट्रम्प और कमला हैरिस के बीच चुनावी मुक़ाबले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले पाँच राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों में लगातार प्रगति देखी गई है और वे आशा करते हैं की आगे भी ये ताल मेल बना रहेगा। 

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस, भारत के लिए कौन होगा बेहतर?

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अमेरिका में नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए पांच नवंबर को वोटिंग होगी। जिसके लिए कुठ ही घंटे बचे हुए हैं।मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप के बीच है। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव का विश्व राजनीति और विभिन्न देशों के साथ उसके संबंधों पर गहरा असर पड़ता है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। अमेरिका और भारत के संबंध मजबूत रहे हैं लेकिन राष्ट्रपति पद पर इस बार किसका कब्जा होता है, इससे इन संबंधों की दिशा बदल सकती है। एक तरफ डोनाल्ड ट्रंप हैं जो भारत के साथ दोस्ताना संबंधों के पक्षधर हैं और उनकी पीएम मोदी के साथ दोस्ती जगजाहिर है। तो वहीं दूसरी तरफ कमला हैरिस हैं जिनके भारतीय मूल की वजह से भारत के लोग उन्हें ज्यादा करीबी मानते हैं।

हाल के सालों में भारत-अमेरिका के रिश्तों रहे सकारात्मक

अमेरिका के चुनाव नतीजों का भारत समेत पूरी दुनिया पर असर पड़ता है। भारत के लिहाज़ से भी कई चीज़ें हमेशा इस बात पर टिकी होती हैं कि अमेरिका का भारत के लिए रुख़ कैसा है? भारत और अमेरिका के रिश्तों का इतिहास हाल के वर्षों में काफी सकारात्मक रहा है। चाहे डोनाल्ड ट्रंप का कार्यकाल हो या वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन का, भारत के साथ संबंध लगातार मजबूत बने रहे हैं। अब अगर चुनाव के बाद व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी होती है तो पीएम मोदी के साथ मजबूत व्यक्तिगत संबंधों का लाभ दोनों देशों को मिल सकता है। अमेरिका और भारत समेत दुनिया के सामने सबसे बड़ा चुनौती चीन से है। इस मोर्चे पर, ट्रंप और बाइडन दोनों की नीतियां चीन को लेकर सख्त और यथार्थवादी रही हैं। लोगों का मानना है कि अगर कमला हैरिस राष्ट्रपति बनती हैं, तो बाइडन की वर्तमान विदेश नीति जारी रह सकती है।

भारत के लिए रिपब्लिकन प्रशासन बेहतर रहा

अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकारों की मानें तो भारत के लिए नीतिगत स्तर पर रिपब्लिकन प्रशासन बेहतर साबित होता आया है। जितने भी बड़े इतिहास बनाने वाले समझौते हुए हैं, वो रिपब्लिकन प्रशासन के दौरान हुए हैं, लेकिन इस बार के उम्मीदवारों की बात करें, तो डोनाल्ड ट्रंप का पीएम मोदी के साथ रिश्ता अपनी जगह है। ट्रंप की व्यापार नीति में संरक्षणवाद इतना हावी है कि इससे भारत के लिए अपनी अपेक्षाओं को पूरा करना मुश्किल हो सकता है। भारत को अब अपना माल जितनी जल्दी हो सके, जितना ज़्यादा हो सके विदेशों में बेचना है उसी से भारत उन्नति कर सकता है। तो उसके रास्ते में ट्रंप का प्रशासन आता है तो बहुत बड़ा रोड़ा साबित हो सकता है।

आप्रवासन नीति में भी ट्रंप की सख्ती हो सकती है चुनौती

आप्रवासन नीति में भी ट्रंप की सख्ती भारत के हितों को चुनौती देती है। वे खुद को एक ऐसे नेता के रूप में पेश करते हैं जिनसे अन्य देश डरते हैं, लेकिन उनकी अनिश्चितता के कारण भरोसे का मुद्दा भी उठता है।

भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप होगा कम

वहीं, नई दिल्ली स्थित विदेश नीति थिंक टैंक, नेटस्ट्रैट के वरिष्ठ रिसर्च फेलो डॉ. राज कुमार शर्मा की भी राय है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने का मतलब भारत के आंतरिक मामलों में बहुत कम हस्तक्षेप होगा। स्पुतनिक इंडिया से बात करते हुए शर्मा ने कहा, ट्रंप को भारत के आंतरिक मुद्दों जैसे मानवाधिकार की स्थिति और देश में लोकतंत्र की स्थिति की बहुत कम परवाह है। इसकी तुलना में, वर्तमान बाइडन प्रशासन ने भारत में घरेलू मुद्दों के बारे में कुछ हालिया टिप्पणियां की हैं, जो भारत के साथ कभी भी अच्छी नहीं रहीं।

टैरिफ के मुद्दे पर खड़ी कर सकते हैं परेशानी

टैरिफ के मुद्दे पर भी ट्रंप का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। ट्रंप पहले भी टैरिफ के मुद्दे पर भारत की आलोचना कर चुके हैं। इसमें संदेह नहीं है कि अगर ट्रंप जीतते हैं, तो वह बड़ी संख्या में बहुत भारी टैरिफ लगाने का प्रयास करेंगे। वह किस हद तक सफल होंगे यह कांग्रेस के समर्थन पर निर्भर करेगा। राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, ट्रंप ने भारतीय इस्पात और एल्यूमीनियम उत्पादों पर आयात शुल्क भी बढ़ाया।

कश्मीर को लेकर मुखर रही हैं हैरिस

वहीं, कमला हैरिस की बात करें तो वो आधी भारतीय हैं। उनकी मां तमिलनाडु से थीं और पिता जमैका से थे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हैरिस को भारतीय परंपराओं और भारतीय विश्वदृष्टिकोण की बहुत ज्यादा समझ है। कई मुद्दों पर उनके पिछले बयानों और रुख को देखते हुए, कोई यह नहीं कह सकता कि वह वास्तव में भारत समर्थक हैं। भारत ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देते हुए संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया, तो हैरिस ने कहा, “हमें कश्मीरियों को याद दिलाना होगा कि वे दुनिया में अकेले नहीं हैं। हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं। अगर स्थिति की मांग हो तो हस्तक्षेप करने की जरूरत है।'' उन्होंने इशारों-इशारों में यहां तक कह दिया कि अमेरिका, भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने पर विचार कर सकता है।

नुक्ताचीनी की रही है डेमोक्रेट्स की नीतियां

जानकारों का ये भी मानना है कि अगर कमला हैरिस राष्ट्रपति बनती हैं, तो बाइडन की वर्तमान विदेश नीति जारी रह सकती है। भारत के लिए चिंता की बात यह है कि जब भारत और भारतीय मामलों की बात आती है तो वह हमेशा बाइडन प्रशासन की नीति पर चलती हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वर्तमान बाइडन प्रशासन ने भारत में घरेलू मुद्दों के बारे में कुछ टिप्पणियां की हैं - विशेष रूप से मानवाधिकार की स्थिति और लोकतंत्र की स्थिति जैसे विषयों पर। उदाहरण के लिए, बाइडन प्रशासन ने मोदी सरकार पर मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव करने का आरोप लगाया है, पिछले जून में वाशिंगटन की अपनी राजकीय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने इस आरोप का खंडन किया था। लेकिन अभी यह अनिश्चित है कि हैरिस इस नीति का पालन करेंगी या नहीं।

डोनाल्ड ट्रंप को क्यों आई हिंदुओं की याद? उठाया बांग्लादेश में हिंसा का मुद्दा, भारत और पीएम मोदी को लेकर भी बोले

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अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव से ठीक पांच दिन पहले डोनाल्ड ट्रंप ने हिंदू वोटों को साधने की कोशिश।चुनाव से ठीक ट्रंप को हिंदुओं की याद आने लगी।ट्रंप ना सिर्फ दिवाली पर अमेरिका में मौजूद हिन्‍दुओं को बधाई बल्कि बांग्लादेश के हिंदुओं पर हुए हालिया घटनाक्रम की कड़ी निंदा करते हुए बड़ा बयान दिया।उन्होंने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने का संकल्प लिया और पीएम मोदी को अपना अच्छा दोस्त बताया। साथ ही ट्रंप ने कहा, हम अमेरिका को फिर से मजबूत बनाएंगे और यहां की शांति को वापस लाएंगे। हम अमेरिका के हिंदुओं की भी रक्षा करेंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा, 'मैं बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों और दूसरे अल्पसंख्यकों के खिलाफ बर्बर हिंसा की कड़ी निंदा करता हूं, जिन पर भीड़ ने हमला किए और लूटपाट की गई। वह लोग पूरी तरह से अराजकता की स्थिति में है। यह मेरी निगरानी में कभी नहीं हुआ। कमला हैरिस और बाइडन ने दुनिया और अमेरिका में हिंदुओं की उपेक्षा की है। वे इजरायल से लेकर यूक्रेन और हमारी अपनी दक्षिणी सीमा तक एक आपदा में हैं।'

पूर्व राष्ट्रपति ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद वहां हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ हिंसा की भी निंदा की। उन्होंने कहा, "मैं बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ हो रही बर्बर हिंसा की कड़ी निंदा करता हूं। वहां अल्पसंख्यकों पर भीड़ की ओर से हमला किया जा रहा है और लूटपाट की जा रही है, जो पूरी तरह से अराजकता की स्थिति है।"

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए ट्रंप ने लिखा, "हम हिंदू अमेरिकियों को कट्टरपंथी वामपंथियों के धर्म-विरोधी एजेंडे से भी बचाएंगे। हम आपकी आजादी के लिए लड़ेंगे। ट्रंप ने भारत का जिक्र करते हुए कहा, "मेरे प्रशासन के तहत हम भारत और मेरे अच्छे दोस्त, प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी महान साझेदारी को भी मजबूत करेंगे।"

ट्रंप ने आर्थिक नीतियों सहित अन्य मुद्दों पर भी कमला हैरिस की आलोचना की। उन्होंने कहा, "कमला हैरिस अधिक नियमों और ज्यादा टैक्सों के साथ आपके छोटे व्यवसायों को नष्ट कर देंगी। इसके उलट मैंने अपने पिछले कार्यकाल में टैक्स में कटौती, नियमों में ढील, अमेरिकी ऊर्जा को मुक्त करने और इतिहास की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का निर्माण किया था। हम इसे फिर से करेंगे, पहले से कहीं अधिक बड़ा और बेहतर - और हम अमेरिका को फिर से महान बनाएंगे। वहीं, पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, सभी को दिवाली की शुभकामनाएं। मुझे उम्मीद है कि रोशनी का यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत सुनिश्चित करेगा।

ट्रंप हिंदु राग क्यों अलापने लगे?

अब सवाल ये उठ रहा है कि चुनाव से ठीक पांच दिन पहले ट्रंप हिंदु राग क्यों अलापने लगा हैं? दरअसल, पिछले चार सालों में ट्रंप के सपोर्ट में हिंदुओं के सपोरिट में 9 प्रतिशत का इजाजा हुआ है साल 2020 में जब अमेरिका राष्‍ट्रपति चुनाव हुए थे तब ट्रंप को 22 फीसदी भारतीयों ने समर्थन दिया था। एक सर्वे के मुताबिक कमला हैरिस का ग्राफ पिछले चार सालों में भारतीय मूल के लोगों में सात प्रतिशत तक नीचे गया है। 2020 के अमेरिका राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान कमला हैरिस 68 प्रतिशत लोगों की पहली पसंद थी जो अब 61 प्रतिशत रह गई हैं। कमला हैरिस की डेमोक्रेट पार्टी के लिए भारतवंशी ट्रेडीशनल वोट बैंक रहा है लेकिन अब इसमें गिरावट दर्ज की जा रही है।

सर्वे के बाद हिन्‍दू वोटर्स को लुभाने में लगे

ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत में अमेरिका की वाइट पॉपुलेशन पर फोकस ज्‍यादा रखा था। यही वजह है कि प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान उन्‍होंने बाहरी लोगों द्वारा अमेरिका की सड़कों से आवारा कुत्‍ते उठाकर उन्‍हें मारकर खाने के वायरल वीडियो को भी मुद्दा बना दिया था। अब सर्वे में आ रहे ताजा आंकड़े देख ट्रंप कमला हैरिस के साथ क्‍लोज फाइट के बीच हिन्‍दू वोटर्स को लुभाने में लगे हैं। अमेरिका में करीब 52 लाख लोग भारतीय मूल के हैं। इनमें से 26 लाख लोग इन चुनावों में वोट डालने योग्‍य हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: वोटिंग से 10 दिन पहले हैरिस के लिए बुरी खबर, डोनाल्ड ट्रंप ने सर्वे में बनाई बढ़त

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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। राष्ट्रपति चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। इस बीच राष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर जारी एक सर्वेक्षण में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के लिए अच्छी खबर आई है। नए सर्वे में डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस पर राष्ट्रीय स्तर पर मामूली ही सही लेकिन बढ़त हासिल की है। ये दावा वॉल स्ट्रीट जर्नल के एक नए सर्वेक्षण में किया गया है। हालांकि ट्रंप को प्रतिद्वन्द्वी हैरिस पर मिली ये बढ़त बहुत बड़ी नहीं है लेकिन काफी महत्वपूर्ण है। इसकी वजह ये है कि बीते कुछ सर्वेक्षणों में हैरिस को ट्रंप पर बढ़त मिल रही थी। ट्रंप ने इस फासले को पाटते हुए बढ़त हासिल की है।

अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल के नेशनल सर्वे के मुताबिक, देश के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कमला हैरिस पर दो अंक की बढ़त है। ट्रंप प्रतिद्वन्द्वी हैरिस से दो अंक यानी 47 प्रतिशत से 45 प्रतिशत आगे हैं। सीएनबीसी ऑल-अमेरिका इकोनॉमिक सर्वे के सर्वे में डोनाल्ड ट्रंप की कमला हैरिस पर 48 प्रतिशत से 46 प्रतिशत की बढ़त हैं। अमेरिका के अहम सात राज्यों में ट्रंप हैरिस से 48 प्रतिशत से 47 प्रतिशत आगे हैं।

इन अहम सात राज्यों में ट्रंप आगे

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच राष्ट्रीय स्तर पर कांटे की टक्कर है। हालांकि स्विंग राज्यों में जो उम्मीदवार बढ़त हासिल करेगा वही जीत भी हासिल करेगा। देश के अहम सात राज्यों में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप 0.9 प्रतिशत अंकों से आगे हैं। ये अहम सात राज्य एरिजोना, नेवादा, विस्कॉन्सिन, मिशिगन, पेंसिल्वेनिया, उत्तरी कैरोलाइना और जॉर्जिया हैं। इन राज्यों के बारे में माना जाता है कि यहां के मतदाताओं का रुझान बदलता रहता है।

पहले भी सर्वे में ट्रंप ने बढ़त हासिल की

इससे पहले हाल ही में आए डिसिजन डेस्क हिल के ताजा सर्वेक्षण में भी ट्रंप ने बढ़त हासिल की थी। इस सर्वे में जीत के मामले में डोनाल्ड ट्रंप अब कमला हैरिस से 4 प्रतिशत आगे निकल गए थे। डोनाल्ड ट्रंप के जीत का अनुमान अब 52 प्रतिशत था, वहीं कमला हैरिस के जीतने की संभावना अब केवल 48 फीसदी ही थी।

कमला ने किया जीत का दावा

इस बीच, कमला हैरिस ने एक बार फिर अपनी जीत का दावा किया है। जॉर्जिया में चुनाव प्रचार के लिए रवाना होने से पहले उन्होंने कहा कि वह सभी अमेरिकियों की नेता बनने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वे लोकतंत्र के भविष्य के प्रति सबकी चिंताओं को देख रही हैं। कमला हैरिस ने कहा कि अमेरिकी ऐसा राष्ट्रपति चाहते हैं जो आशावाद के साथ देश का नेतृत्व करे और उनके सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करे। इस दौरान उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप पर लोगों की मौलिक स्वतंत्रता छीनने का आरोप लगाया।

मैं झुकूंगा नहीं”, गोल्फ क्लब के पास गोलीबारी के बाद बोले डोनाल्ड ट्रंप

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जुलाई के बाद एक बार फिर अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को हमले का सामना करना पड़ा। रविवार को जब वह फ्लोरिडा के वेस्ट पाम बीच में अपने गोल्फ कोर्स में गोल्फ खेल रहे थे। तभी वहां पर गोलीबारी हुई। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के काफी नजदीक गोलियां चलीं। हालांकि, गनीमत रही की इस गोलीबारी में डोनाल्ड ट्रंप पूरी तरह सुरक्षित हैं।गोलीबारी की घटना पर डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिक्रिया आई है।पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि वह सुरक्षित हैं और झुकेंगे नहीं।

घटना के बाद समर्थकों को एक ईमेल में, ट्रंप ने कहा कि मेरे आसपास गोलियों की आवाजें थीं, लेकिन इससे पहले कि अफवाहें नियंत्रण से बाहर होने लगें, मैं चाहता था कि आप पहले यह जान लें कि मैं सुरक्षित हूं। उन्होंने कहा कि कोई भी मुझे चुनाव प्रचार से पीछे नहीं हटा पाएगा। मैं कभी आत्मसमर्पण नहीं करूंगा। मेरा समर्थन करने के लिए मैं हमेशा आपका आभारी हूं।

अमेरिका में हिंसा के लिए जगह नहीं

वहीं, व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन और राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस दोनों को इस जांच के बारे में जानकारी दे दी गई है और उन्हें इस बारे लगातार ताजा जानकारी दी जाएगी। व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया कि उन्हें यह जानकर राहत मिली है कि ट्रंप सुरक्षित हैं।

13 जुलाई को भी हुआ था ट्रंप पर हमला

इससे पहले पेनसिल्वेनिया में 13 जुलाई को एक चुनावी रैली के दौरान पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को निशाना बनाते हुए एक बंदूकधारी ने गोलीबारी की थी। इस हमले में एक गोली ट्रंप के दाहिने कान को छूकर निकल गई थी, जबकि रैली में शामिल एक व्यक्ति मारा गया था और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।

Joe Biden: హత్యా రాజకీయాలను అమెరికా సహించదు.. ట్రంప్ ఘటనపై బైడెన్ ఉద్ఘాటన

రిపబ్లికన్ అభ్యర్థి, అమెరికా మాజీ అధ్యక్షుడు డొనాల్డ్ ట్రంప్‌పై(Donald Trump) కాల్పుల ఘటనపై అమెరికా అధ్యక్షుడు జో బైడెన్(Joe Biden) తీవ్ర ఆందోళన వ్యక్తం చేశారు. హత్యా రాజకీయాలను అమెరికా ఎన్నిటికీ సహించదని ఉద్ఘాటించారు.

రిపబ్లికన్ అభ్యర్థి, అమెరికా మాజీ అధ్యక్షుడు డొనాల్డ్ ట్రంప్‌పై(Donald Trump) కాల్పుల ఘటనపై అమెరికా అధ్యక్షుడు జో బైడెన్(Joe Biden) తీవ్ర ఆందోళన వ్యక్తం చేశారు.

హత్యా రాజకీయాలను అమెరికా ఎన్నిటికీ సహించదని ఉద్ఘాటించారు. ఆయన ఆదివారం ఓవల్ కార్యాలయంలో జాతినుద్దేశించి ప్రసంగించారు.

2020లో బైడెన్ అధ్యక్ష బాధ్యతలు చేపట్టినప్పటి నుంచి ఓవల్ ఆఫీస్‌లో బైడెన్ మాట్లాడటం ఇది మూడోసారి. ఓవల్ కార్యాలయం జాతీయ ప్రాముఖ్యత కలిగిన ప్రసంగాల కోసం ఉద్దేశించింది. కాగా ఈ కార్యాలయం నుంచి అమెరికా అధ్యక్షులు చాలా అరుదుగా ప్రసంగిస్తుంటారు. గతంలో మాజీ అధ్యక్షులు ట్రంప్ రెండు సార్లు, ఒబామా మూడు సార్లు ప్రసంగించారు.

బైడెన్ మాట్లాడుతూ.. "హత్యా రాజకీయాలను సహించం. రాజకీయంగా ఒక్కొక్కరికి ఇష్టాఇష్టాలు ఉండటం సహజం. కానీ ఎప్పుడూ హింసకు దిగొద్దు. హింసకు పాల్పడిన వారిని అమెరికా ఎన్నటికీ క్షమించదు. మనం శత్రువులం కాదు. పొరుగువారం.. ఒకరికొరం స్నేహితులం, సహోద్యోగులం, అమెరికా పౌరులం. మనమంతా ఐక్యంగా నిలబడాలి" అని బైడెన్ పేర్కొన్నారు.

ట్రంప్‌పైకి థామస్‌ మాథ్యూ క్రూక్స్‌ (20) అనే యువకుడు తుపాకీ గురిపెట్టినట్లు భద్రతా దళాలు గుర్తించాయి. రైఫిల్‌తో మాథ్యూ తలను భద్రతాబలగాలు ఛిద్రం చేశాయి.సీక్రెట్‌ ఏజెంట్లు, సెక్యూరిటీ సిబ్బంది ట్రంప్‌ వద్దకు వచ్చి అతనికి వలయంగా నిలబడ్డారు.

ట్రంప్‌ను ఆయన బుల్లెట్‌ప్రూఫ్‌ ఎస్‌యూవీ వద్దకు తీసుకెళ్తుండగా ఆయన తన కుడిచేతి పిడికిలిని పైకెత్తి చూపుతూ ‘‘పోరాడతా (ఫైట్‌)’’ అని నినదించారు. తర్వాత ట్రంప్‌ను చికిత్స నిమిత్తం బట్లర్‌ ఏరియా ఆస్పత్రికి తరలించారు. ఆయన పరిస్థితి నిలకడగా ఉందని రిపబ్లిక్‌ పార్టీ ప్రతినిధులు తెలిపారు. కాగా దుండగుడి కాల్పుల్లో ర్యాలీలో పాల్గొన్న ఓ వ్యక్తి మరణించాడని, మరో ఇద్దరు తీవ్రంగా గాయపడ్డారని తెలుస్తోంది.

*AB de Villiers: This can be the year South Africa’s semi-final record changes*

Sports News 

 ODI ICC World Cup,2023 

 

 KKNB : South Africa and World Cup semi-finals have produced so many heartbreaking moments over the years – my hope is that 2023 will be the year that it all changes.

It is not just that we have played in four of them and lost them all, it is that on each and every occasion, the fates have conspired to make the defeats as painful as possible. 

I was too young for the 1992 and 1999 games but ask anyone about 22 off one and they will know immediately what you are referring to. 

Seven years later against the Aussies was even more painful. There is obviously the legend of the Steve Waugh jibe to Herschelle Gibbs about dropping the World Cup, but even after that defeat in the Super Six, South Africa had so many chances in the semi-final.

Watching the Allan Donald run-out does not get any easier, and we have seen a lot of it this week given that, once again, it is Australia standing in the way of a place in the final. 

The first World Cup semi-final that I played in was also against the Aussies, their all-conquering 2007 side. They had already beaten us once, but we still backed ourselves going into the game. 

The aim was to be aggressive, but after choosing to bat, Glenn McGrath tore through our top order and I fell to Shaun Tait, who was flying that day. We were 27 for five inside ten overs and never able to make it competitive. 

My final World Cup game might be the most painful of all from a personal perspective. We had got a big win over Sri Lanka in the quarter-final, a first knockout win, at long last. 

Against New Zealand, we batted well, Faf du Plessis made big runs, David Miller teed off late on, and I also got a handy score. 

We thought that defending 298 in 43 overs would be possible, and we had our chances. That day though, our fielding cost us. Grant Elliott played an incredible knock but that one still stings.

It was eight years ago, and so much has changed from a South African perspective since then. Only Quinton de Kock and David Miller remain from that team. This side, led by Temba Bavuma, looks as well-balanced as anyone in India. The top order are not just in good form, they are turning almost every start into a hundred and four different guys have tons. 

The bowling attack is also spreading around the wickets. Marco Jansen and Lungi Ngidi can take wickets with the new ball, while Kagiso Rabada and Gerald Coetzee have come on and done damage. And that is before we move onto the spin of Keshav Maharaj. If those are the five that end up playing, they will pose Australia some real threats.

Of course, Australia are always strong and they have responded really well to losing their first two matches. Not that we needed reminding, but Glenn Maxwell’s knock against Afghanistan was ridiculous. It goes without saying that South Africa cannot afford to let him get his eye in.  

The fact we got a huge win over the Aussies in the group stages should give the side confidence but this is a completely different scenario. 

We know the toss will be important. When South Africa have batted first, they have won and won big. They have topped 300 every time, and generally by a lot. Chasing has been trickier and there will certainly be a few nerves if they are not able to bat Australia out of the game by halfway.  

Still, after all the pain and heartbreak, I really feel that now is our time. This is a team that is not carrying the weight of history. There will be pressure because it is a semi-final, but there is no reason why they cannot break new ground and take the team to the big dance for the first time. I really hope they do.

 Pic Courtesy by: ICC

ट्रंप की जीत से कनाडा की बढ़ी बेचैनी, जाने किस बात को लेकर खौफ में हैं ट्रूडो?

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डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। अमेरिका के पिछले एक सौ साल के इतिहास में वो पहले राष्ट्रपति हैं जो एक बार चुनाव हारने के बाद व्हाइट हाउस में वापसी कर रहे हैं। ट्रंप अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति रह चुके हैं। ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी के साथ ही अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव देखने को मिल सकता है। खासकर डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद कनाडा में चिंता और घबराहट का माहौल है। डोनाल्ड ट्रंप की जीत कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। दरअसल, जस्टिन ट्रूडो ने रिपब्लिकन नेता ने कभी 'दूर-वामपंथी पागल' करार दिया था।

विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि वॉइट हाउस में ट्रंप की वापसी से व्यापार विवाद बढ़ सकते हैं, जो कनाडा के लिए मंदी की वजह बन सकते हैं। कनाडा का 75 फीसदी निर्यात अमेरिका को जाता है। कनाडा में एक साल के भीतर चुनाव होने वाले हैं और अधिकांश सर्वेक्षणों में जस्टिन ट्रूडो की हार की भविष्यवाणी की गई है। ऐसे में आइए कनाडा पर ट्रंप की जीत के मायने समझते हैं।

कनाडा दुनिया का चौथे नंबर का कच्चा तेल उत्पादक है। वहीं, ट्रंप की योजना सभी आयातों पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने और अमेरिकी ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने की है, जो कनाडा के लिए खास तौर पर बुरा संकेत है।कनाडा का 75% निर्यात अमेरिका को जाता है, और ऐसे में यह टैरिफ कनाडा की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। कनाडाई चैंबर ऑफ कॉमर्स के अनुसार, ट्रंप की टैरिफ नीति से कनाडा की आय में सालाना 0.9% और श्रम उत्पादकता में लगभग 1% की कमी आएगी। यदि व्यापारिक तनाव बढ़ता है, तो इसका असर कनाडा की आर्थिक वृद्धि पर और गंभीर हो सकता है।

वहीं, ट्रंप और ट्रूडो के बीच का संबंध भी हमेशा से तनावपूर्ण रहा हैं। 2018 में क्यूबेक में जी-7 शिखर सम्मेलन में ट्रंप ने ट्रूडो को "बेईमान और कमजोर" कहकर आलोचना की थी। इसके बाद 2022 में, कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर भी ट्रंप ने ट्रूडो को पागल कहा था। ट्रंप की इन टिप्पणियों के कारण दोनों नेताओं के बीच सार्वजनिक मंच पर तनाव देखा गया है।

हालांकि, ट्रूडो ने ट्रंप को जीत की बधाई देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच दोस्ती "दुनिया की ईर्ष्या" का कारण है और वे मिलकर काम करेंगे।ट्रूडो ने एक्स पर कहा, 'मुझे पता है कि राष्ट्रपति ट्रम्प और मैं अपने दोनों देशों के लिए अधिक अवसर, समृद्धि और सुरक्षा बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे।'

पूरी दुनिया पीएम मोदी से प्यार करती है”, जीत के बाद बोले ट्रंप

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सत्ता में वापसी करने वाले हैं। ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक ऐतिहासिक जीत हासिल की है। विदेशी राजनेताओं की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रंप की शानदार और धमाकेदार जीत पर उन्हें सबसे पहले बधाई दी। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के जीतने के बाद पीएम मोदी ने उनसे फोन पर बात की।बातचीत को लेकर पीएम मोदी ने भी एक्स पर पोस्ट किया।

पीएम मोदी ने एक्स पर कहा कि ‘अपने मित्र, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ शानदार बातचीत हुई और उन्हें उनकी शानदार जीत पर बधाई दी। प्रौद्योगिकी, रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और कई अन्य क्षेत्रों में भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक बार फिर मिलकर काम करने की उम्मीद है।’

ट्रंप ने की पीएम मोदी की तारीफ

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप ने पीएम मोदी की इस पहल का गर्मजोशी से जवाब दिया। उन्होंने भारत को शानदार देश और पीएम मोदी को शानदार व्यक्ति बताया। ट्रंप ने इस बात का भी जिक्र किया कि मोदी दुनिया के उन पहले नेताओं में से थे, जिन्होंने उनके जीत हासिल करने के बाद बात की। पीएम मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, 'पूरी दुनिया पीएम मोदी से प्यार करती है।' उन्होंने भारत को एक मूल्यवान सहयोगी बताया।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा दुनिया के तमाम राष्ट्राध्यक्षों ने अमेरिका के नए राष्ट्रपति को चुनावी जीत पर शुभकामना संदेश भेजा है। जो लोग ट्रंप की विचारधारा को पसंद नहीं करते, उन्होंने भी औपचारिकता में बधाई संदेश भेजा है। जो बाइडेन ने ट्रंप को फोन करके बधाई दी और उन्हें व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया। हालांकि रूस ने अब तक ट्रंप को बधी नहीं दी है, साथ ही अमेरिका को अमित्र देश बताया है।

ऐसे चरित्र का आदमी जो...ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से मणिशंकर अय्यर हैं दुखी

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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत से सीनियर कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर बड़े दुखी हैं। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की ऐतिहासिक जीत पर विवादित बयान दिया है।अय्यर ने ट्रंप को 'संदिग्ध चरित्र वाला व्यक्ति' बताया।अय्यर ने कहा कि मुझे बेहद दुख हो रहा है कि ट्रंप जैसे संदिग्ध चरित्र वाले व्यक्ति को दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र का राष्ट्रपति चुन लिया गया है। उन्हें राष्ट्रपति नहीं चुना जाना चाहिए था।

न्यूज एजेंसी एएनाई से बात करते हुए मणिशंकर अय्यर ने कहा, (अमेरिकी चुनाव से) नैतिक आयाम गायब था। यह बहुत दुखद है कि इतने शक्तिशाली देश का नेतृत्व ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाएगा, जिसे 34 अलग-अलग मामलों में अपराधी के रूप में दोषी ठहराया गया है। ऐसे चरित्र के आदमी को, जिसका इतिहास रहा है कि वह वेश्याओं के साथ संबंध बनाता था और उनको मुंह बंद करने के लिए पैसे देता था, ऐसे जलील आदमी को लोगों ने राष्ट्रपति चुना है। मुझे नहीं लगता कि इस तरह के चरित्र का व्यक्ति अपने देश या दुनिया के लिए अच्छा है।

ट्रंप और पीएम मोदी के संबंधों पर उठाया सवाल

कांग्रेस नेता ने ट्रंप के साथ पीएम मोदी के संबंधों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मैं यह भी मानता हूं कि पीएम मोदी और ट्रंप के बीच व्यक्तिगत स्तर पर एक विशेष तालमेल है, जो मुझे लगता है कि पीएम मोदी और उनकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर बुरा असर डालता है।

कमला हैरिस के लिए जताया दुख

अय्यर ने कमला हैरिस की हार पर भी दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कमला हैरिस, जो जीत जातीं, राष्ट्रपति बनने वाली भारत की पहली महिला और पहली राजनेता होतीं। यह एक ऐतिहासिक और सकारात्मक कदम होता। अय्यर ने कहा, जहां तक कमला हैरिस का सवाल है, उन्हें बहुत कम समय दिया गया था। वह पीछे से आगे आईं। वह बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही थीं। लेकिन ऐसा लगता है कि अमेरिकी समाज में बहुत गहरी खामियां आखिरकार उनके खिलाफ हो गईं और वह इस दौड़ में हार गईं।

कमला हैरिस और ट्रम्प के बिच है काटें की टक्कर, ट्रम्प ने 900 से अधिक रैलियों में भाग लेने का किया दावा

#trump_claims_to_have_attended_more_than_900_rallies

Kamala Harris & Donald Trumph

कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को पेन्सिलवेनिया के लिए एक गरमागरम लड़ाई के साथ इस साल के राष्ट्रपति पद की दौड़ को समाप्त कर दिया, एक ऐसे राज्य में मतदाताओं से अपनी अंतिम अपील की जो अगले राष्ट्रपति को तय करने में महत्वपूर्ण हो सकता है। हैरिस ने फिलाडेल्फिया में अपना दिन आर्ट म्यूज़ियम की प्रतिष्ठित सीढ़ियों पर समाप्त किया, जिसे रॉकी फ़िल्म ने प्रसिद्ध किया था, जहाँ उन्होंने घोषणा की, "गति हमारे पक्ष में है।" इससे पहले, उन्होंने एलेनटाउन, स्क्रैंटन और पिट्सबर्ग का दौरा किया था, और प्यूर्टो रिकान रेस्तरां में मतदाताओं से जुड़ने के लिए रीडिंग में रुकी थीं, यहाँ तक कि अभियान स्वयंसेवकों के साथ घर-घर जाकर प्रचार भी किया था।

"यह चुनाव से एक दिन पहले है, और मैं बस यह कहना चाहती थी कि मुझे आपका वोट मिलने की उम्मीद है," हैरिस ने एक महिला से कहा, जिसने पहले ही डेमोक्रेटिक टिकट के लिए अपना मत डाल दिया था। इस बीच, ट्रम्प ने अपना दिन उत्तरी कैरोलिना में शुरू किया और मिशिगन में समाप्त किया, लेकिन रास्ते में रीडिंग और पिट्सबर्ग में भी रुके। पूर्व राष्ट्रपति ने प्रत्येक स्थान पर उग्र भाषण दिए, जिसमें मतदाता धोखाधड़ी के बारे में निराधार दावों को प्रवासी अपराध के बारे में चेतावनियों और अमेरिका को "पुनर्जीवित" करने के वादों के साथ मिलाया गया। "कल आपके वोट से, हम अपने देश की हर समस्या को ठीक कर सकते हैं और अमेरिका और पूरी दुनिया को गौरव की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं," ट्रम्प ने भीड़ से कहा।

जबकि हैरिस ने भविष्य के लिए आशावाद पर ध्यान केंद्रित किया और ट्रम्प का नाम लेने से परहेज किया, रिपब्लिकन उम्मीदवार ने अपने प्रतिद्वंद्वी पर बार-बार हमला करते हुए पीछे नहीं हटे। उनके साथी, ओहियो सीनेटर जेडी वेंस ने अटलांटा में अपनी रैली के दौरान इस भावना को दोहराया, उन्होंने घोषणा की, "हम वाशिंगटन, डीसी में कचरा बाहर निकालने जा रहे हैं, और कचरे का नाम कमला हैरिस है।"

यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के इलेक्शन लैब के अनुसार, रविवार तक 82 मिलियन से अधिक अमेरिकी पहले ही अपना वोट डाल चुके हैं, जो पूरे अमेरिका में शुरुआती और मेल-इन वोटिंग को ट्रैक करता है। मिनेसोटा के गवर्नर टिम वाल्ज़, डेमोक्रेट्स के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और कमला हैरिस के साथी, इस बात पर 'निराशा' व्यक्त करते हैं कि रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प के साथ उनका राष्ट्रपति पद का मुक़ाबला 'बहुत नज़दीकी' है। "मुझे लगता है कि यह मुझे निराश करता है, क्योंकि मुझे लगता है कि चुनाव बहुत ही स्पष्ट है, लेकिन यह आश्चर्यजनक नहीं है। देश वास्तव में विभाजित है। वहाँ कुछ लोगों का समूह है जो इसे समझ गया है, और मुझे लगता है कि उन्होंने लोगों को यह सोचने पर मजबूर करने का एक शानदार काम किया है कि इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता, हर कोई एक जैसा है," उन्होंने स्टीफन कोलबर्ट के साथ लेट शो में कहा। 

वही विदेश मंत्री एस जयशंकर, जो वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर रहे हैं, ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और डोनाल्ड ट्रम्प और कमला हैरिस के बीच चुनावी मुक़ाबले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले पाँच राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों में लगातार प्रगति देखी गई है और वे आशा करते हैं की आगे भी ये ताल मेल बना रहेगा। 

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस, भारत के लिए कौन होगा बेहतर?

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अमेरिका में नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए पांच नवंबर को वोटिंग होगी। जिसके लिए कुठ ही घंटे बचे हुए हैं।मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप के बीच है। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव का विश्व राजनीति और विभिन्न देशों के साथ उसके संबंधों पर गहरा असर पड़ता है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। अमेरिका और भारत के संबंध मजबूत रहे हैं लेकिन राष्ट्रपति पद पर इस बार किसका कब्जा होता है, इससे इन संबंधों की दिशा बदल सकती है। एक तरफ डोनाल्ड ट्रंप हैं जो भारत के साथ दोस्ताना संबंधों के पक्षधर हैं और उनकी पीएम मोदी के साथ दोस्ती जगजाहिर है। तो वहीं दूसरी तरफ कमला हैरिस हैं जिनके भारतीय मूल की वजह से भारत के लोग उन्हें ज्यादा करीबी मानते हैं।

हाल के सालों में भारत-अमेरिका के रिश्तों रहे सकारात्मक

अमेरिका के चुनाव नतीजों का भारत समेत पूरी दुनिया पर असर पड़ता है। भारत के लिहाज़ से भी कई चीज़ें हमेशा इस बात पर टिकी होती हैं कि अमेरिका का भारत के लिए रुख़ कैसा है? भारत और अमेरिका के रिश्तों का इतिहास हाल के वर्षों में काफी सकारात्मक रहा है। चाहे डोनाल्ड ट्रंप का कार्यकाल हो या वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन का, भारत के साथ संबंध लगातार मजबूत बने रहे हैं। अब अगर चुनाव के बाद व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी होती है तो पीएम मोदी के साथ मजबूत व्यक्तिगत संबंधों का लाभ दोनों देशों को मिल सकता है। अमेरिका और भारत समेत दुनिया के सामने सबसे बड़ा चुनौती चीन से है। इस मोर्चे पर, ट्रंप और बाइडन दोनों की नीतियां चीन को लेकर सख्त और यथार्थवादी रही हैं। लोगों का मानना है कि अगर कमला हैरिस राष्ट्रपति बनती हैं, तो बाइडन की वर्तमान विदेश नीति जारी रह सकती है।

भारत के लिए रिपब्लिकन प्रशासन बेहतर रहा

अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकारों की मानें तो भारत के लिए नीतिगत स्तर पर रिपब्लिकन प्रशासन बेहतर साबित होता आया है। जितने भी बड़े इतिहास बनाने वाले समझौते हुए हैं, वो रिपब्लिकन प्रशासन के दौरान हुए हैं, लेकिन इस बार के उम्मीदवारों की बात करें, तो डोनाल्ड ट्रंप का पीएम मोदी के साथ रिश्ता अपनी जगह है। ट्रंप की व्यापार नीति में संरक्षणवाद इतना हावी है कि इससे भारत के लिए अपनी अपेक्षाओं को पूरा करना मुश्किल हो सकता है। भारत को अब अपना माल जितनी जल्दी हो सके, जितना ज़्यादा हो सके विदेशों में बेचना है उसी से भारत उन्नति कर सकता है। तो उसके रास्ते में ट्रंप का प्रशासन आता है तो बहुत बड़ा रोड़ा साबित हो सकता है।

आप्रवासन नीति में भी ट्रंप की सख्ती हो सकती है चुनौती

आप्रवासन नीति में भी ट्रंप की सख्ती भारत के हितों को चुनौती देती है। वे खुद को एक ऐसे नेता के रूप में पेश करते हैं जिनसे अन्य देश डरते हैं, लेकिन उनकी अनिश्चितता के कारण भरोसे का मुद्दा भी उठता है।

भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप होगा कम

वहीं, नई दिल्ली स्थित विदेश नीति थिंक टैंक, नेटस्ट्रैट के वरिष्ठ रिसर्च फेलो डॉ. राज कुमार शर्मा की भी राय है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने का मतलब भारत के आंतरिक मामलों में बहुत कम हस्तक्षेप होगा। स्पुतनिक इंडिया से बात करते हुए शर्मा ने कहा, ट्रंप को भारत के आंतरिक मुद्दों जैसे मानवाधिकार की स्थिति और देश में लोकतंत्र की स्थिति की बहुत कम परवाह है। इसकी तुलना में, वर्तमान बाइडन प्रशासन ने भारत में घरेलू मुद्दों के बारे में कुछ हालिया टिप्पणियां की हैं, जो भारत के साथ कभी भी अच्छी नहीं रहीं।

टैरिफ के मुद्दे पर खड़ी कर सकते हैं परेशानी

टैरिफ के मुद्दे पर भी ट्रंप का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। ट्रंप पहले भी टैरिफ के मुद्दे पर भारत की आलोचना कर चुके हैं। इसमें संदेह नहीं है कि अगर ट्रंप जीतते हैं, तो वह बड़ी संख्या में बहुत भारी टैरिफ लगाने का प्रयास करेंगे। वह किस हद तक सफल होंगे यह कांग्रेस के समर्थन पर निर्भर करेगा। राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, ट्रंप ने भारतीय इस्पात और एल्यूमीनियम उत्पादों पर आयात शुल्क भी बढ़ाया।

कश्मीर को लेकर मुखर रही हैं हैरिस

वहीं, कमला हैरिस की बात करें तो वो आधी भारतीय हैं। उनकी मां तमिलनाडु से थीं और पिता जमैका से थे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हैरिस को भारतीय परंपराओं और भारतीय विश्वदृष्टिकोण की बहुत ज्यादा समझ है। कई मुद्दों पर उनके पिछले बयानों और रुख को देखते हुए, कोई यह नहीं कह सकता कि वह वास्तव में भारत समर्थक हैं। भारत ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देते हुए संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया, तो हैरिस ने कहा, “हमें कश्मीरियों को याद दिलाना होगा कि वे दुनिया में अकेले नहीं हैं। हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं। अगर स्थिति की मांग हो तो हस्तक्षेप करने की जरूरत है।'' उन्होंने इशारों-इशारों में यहां तक कह दिया कि अमेरिका, भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने पर विचार कर सकता है।

नुक्ताचीनी की रही है डेमोक्रेट्स की नीतियां

जानकारों का ये भी मानना है कि अगर कमला हैरिस राष्ट्रपति बनती हैं, तो बाइडन की वर्तमान विदेश नीति जारी रह सकती है। भारत के लिए चिंता की बात यह है कि जब भारत और भारतीय मामलों की बात आती है तो वह हमेशा बाइडन प्रशासन की नीति पर चलती हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वर्तमान बाइडन प्रशासन ने भारत में घरेलू मुद्दों के बारे में कुछ टिप्पणियां की हैं - विशेष रूप से मानवाधिकार की स्थिति और लोकतंत्र की स्थिति जैसे विषयों पर। उदाहरण के लिए, बाइडन प्रशासन ने मोदी सरकार पर मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव करने का आरोप लगाया है, पिछले जून में वाशिंगटन की अपनी राजकीय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने इस आरोप का खंडन किया था। लेकिन अभी यह अनिश्चित है कि हैरिस इस नीति का पालन करेंगी या नहीं।

डोनाल्ड ट्रंप को क्यों आई हिंदुओं की याद? उठाया बांग्लादेश में हिंसा का मुद्दा, भारत और पीएम मोदी को लेकर भी बोले

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अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव से ठीक पांच दिन पहले डोनाल्ड ट्रंप ने हिंदू वोटों को साधने की कोशिश।चुनाव से ठीक ट्रंप को हिंदुओं की याद आने लगी।ट्रंप ना सिर्फ दिवाली पर अमेरिका में मौजूद हिन्‍दुओं को बधाई बल्कि बांग्लादेश के हिंदुओं पर हुए हालिया घटनाक्रम की कड़ी निंदा करते हुए बड़ा बयान दिया।उन्होंने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने का संकल्प लिया और पीएम मोदी को अपना अच्छा दोस्त बताया। साथ ही ट्रंप ने कहा, हम अमेरिका को फिर से मजबूत बनाएंगे और यहां की शांति को वापस लाएंगे। हम अमेरिका के हिंदुओं की भी रक्षा करेंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा, 'मैं बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों और दूसरे अल्पसंख्यकों के खिलाफ बर्बर हिंसा की कड़ी निंदा करता हूं, जिन पर भीड़ ने हमला किए और लूटपाट की गई। वह लोग पूरी तरह से अराजकता की स्थिति में है। यह मेरी निगरानी में कभी नहीं हुआ। कमला हैरिस और बाइडन ने दुनिया और अमेरिका में हिंदुओं की उपेक्षा की है। वे इजरायल से लेकर यूक्रेन और हमारी अपनी दक्षिणी सीमा तक एक आपदा में हैं।'

पूर्व राष्ट्रपति ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद वहां हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ हिंसा की भी निंदा की। उन्होंने कहा, "मैं बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ हो रही बर्बर हिंसा की कड़ी निंदा करता हूं। वहां अल्पसंख्यकों पर भीड़ की ओर से हमला किया जा रहा है और लूटपाट की जा रही है, जो पूरी तरह से अराजकता की स्थिति है।"

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए ट्रंप ने लिखा, "हम हिंदू अमेरिकियों को कट्टरपंथी वामपंथियों के धर्म-विरोधी एजेंडे से भी बचाएंगे। हम आपकी आजादी के लिए लड़ेंगे। ट्रंप ने भारत का जिक्र करते हुए कहा, "मेरे प्रशासन के तहत हम भारत और मेरे अच्छे दोस्त, प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी महान साझेदारी को भी मजबूत करेंगे।"

ट्रंप ने आर्थिक नीतियों सहित अन्य मुद्दों पर भी कमला हैरिस की आलोचना की। उन्होंने कहा, "कमला हैरिस अधिक नियमों और ज्यादा टैक्सों के साथ आपके छोटे व्यवसायों को नष्ट कर देंगी। इसके उलट मैंने अपने पिछले कार्यकाल में टैक्स में कटौती, नियमों में ढील, अमेरिकी ऊर्जा को मुक्त करने और इतिहास की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का निर्माण किया था। हम इसे फिर से करेंगे, पहले से कहीं अधिक बड़ा और बेहतर - और हम अमेरिका को फिर से महान बनाएंगे। वहीं, पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, सभी को दिवाली की शुभकामनाएं। मुझे उम्मीद है कि रोशनी का यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत सुनिश्चित करेगा।

ट्रंप हिंदु राग क्यों अलापने लगे?

अब सवाल ये उठ रहा है कि चुनाव से ठीक पांच दिन पहले ट्रंप हिंदु राग क्यों अलापने लगा हैं? दरअसल, पिछले चार सालों में ट्रंप के सपोर्ट में हिंदुओं के सपोरिट में 9 प्रतिशत का इजाजा हुआ है साल 2020 में जब अमेरिका राष्‍ट्रपति चुनाव हुए थे तब ट्रंप को 22 फीसदी भारतीयों ने समर्थन दिया था। एक सर्वे के मुताबिक कमला हैरिस का ग्राफ पिछले चार सालों में भारतीय मूल के लोगों में सात प्रतिशत तक नीचे गया है। 2020 के अमेरिका राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान कमला हैरिस 68 प्रतिशत लोगों की पहली पसंद थी जो अब 61 प्रतिशत रह गई हैं। कमला हैरिस की डेमोक्रेट पार्टी के लिए भारतवंशी ट्रेडीशनल वोट बैंक रहा है लेकिन अब इसमें गिरावट दर्ज की जा रही है।

सर्वे के बाद हिन्‍दू वोटर्स को लुभाने में लगे

ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत में अमेरिका की वाइट पॉपुलेशन पर फोकस ज्‍यादा रखा था। यही वजह है कि प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान उन्‍होंने बाहरी लोगों द्वारा अमेरिका की सड़कों से आवारा कुत्‍ते उठाकर उन्‍हें मारकर खाने के वायरल वीडियो को भी मुद्दा बना दिया था। अब सर्वे में आ रहे ताजा आंकड़े देख ट्रंप कमला हैरिस के साथ क्‍लोज फाइट के बीच हिन्‍दू वोटर्स को लुभाने में लगे हैं। अमेरिका में करीब 52 लाख लोग भारतीय मूल के हैं। इनमें से 26 लाख लोग इन चुनावों में वोट डालने योग्‍य हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: वोटिंग से 10 दिन पहले हैरिस के लिए बुरी खबर, डोनाल्ड ट्रंप ने सर्वे में बनाई बढ़त

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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। राष्ट्रपति चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। इस बीच राष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर जारी एक सर्वेक्षण में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के लिए अच्छी खबर आई है। नए सर्वे में डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस पर राष्ट्रीय स्तर पर मामूली ही सही लेकिन बढ़त हासिल की है। ये दावा वॉल स्ट्रीट जर्नल के एक नए सर्वेक्षण में किया गया है। हालांकि ट्रंप को प्रतिद्वन्द्वी हैरिस पर मिली ये बढ़त बहुत बड़ी नहीं है लेकिन काफी महत्वपूर्ण है। इसकी वजह ये है कि बीते कुछ सर्वेक्षणों में हैरिस को ट्रंप पर बढ़त मिल रही थी। ट्रंप ने इस फासले को पाटते हुए बढ़त हासिल की है।

अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल के नेशनल सर्वे के मुताबिक, देश के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कमला हैरिस पर दो अंक की बढ़त है। ट्रंप प्रतिद्वन्द्वी हैरिस से दो अंक यानी 47 प्रतिशत से 45 प्रतिशत आगे हैं। सीएनबीसी ऑल-अमेरिका इकोनॉमिक सर्वे के सर्वे में डोनाल्ड ट्रंप की कमला हैरिस पर 48 प्रतिशत से 46 प्रतिशत की बढ़त हैं। अमेरिका के अहम सात राज्यों में ट्रंप हैरिस से 48 प्रतिशत से 47 प्रतिशत आगे हैं।

इन अहम सात राज्यों में ट्रंप आगे

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच राष्ट्रीय स्तर पर कांटे की टक्कर है। हालांकि स्विंग राज्यों में जो उम्मीदवार बढ़त हासिल करेगा वही जीत भी हासिल करेगा। देश के अहम सात राज्यों में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप 0.9 प्रतिशत अंकों से आगे हैं। ये अहम सात राज्य एरिजोना, नेवादा, विस्कॉन्सिन, मिशिगन, पेंसिल्वेनिया, उत्तरी कैरोलाइना और जॉर्जिया हैं। इन राज्यों के बारे में माना जाता है कि यहां के मतदाताओं का रुझान बदलता रहता है।

पहले भी सर्वे में ट्रंप ने बढ़त हासिल की

इससे पहले हाल ही में आए डिसिजन डेस्क हिल के ताजा सर्वेक्षण में भी ट्रंप ने बढ़त हासिल की थी। इस सर्वे में जीत के मामले में डोनाल्ड ट्रंप अब कमला हैरिस से 4 प्रतिशत आगे निकल गए थे। डोनाल्ड ट्रंप के जीत का अनुमान अब 52 प्रतिशत था, वहीं कमला हैरिस के जीतने की संभावना अब केवल 48 फीसदी ही थी।

कमला ने किया जीत का दावा

इस बीच, कमला हैरिस ने एक बार फिर अपनी जीत का दावा किया है। जॉर्जिया में चुनाव प्रचार के लिए रवाना होने से पहले उन्होंने कहा कि वह सभी अमेरिकियों की नेता बनने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वे लोकतंत्र के भविष्य के प्रति सबकी चिंताओं को देख रही हैं। कमला हैरिस ने कहा कि अमेरिकी ऐसा राष्ट्रपति चाहते हैं जो आशावाद के साथ देश का नेतृत्व करे और उनके सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करे। इस दौरान उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप पर लोगों की मौलिक स्वतंत्रता छीनने का आरोप लगाया।

मैं झुकूंगा नहीं”, गोल्फ क्लब के पास गोलीबारी के बाद बोले डोनाल्ड ट्रंप

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जुलाई के बाद एक बार फिर अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को हमले का सामना करना पड़ा। रविवार को जब वह फ्लोरिडा के वेस्ट पाम बीच में अपने गोल्फ कोर्स में गोल्फ खेल रहे थे। तभी वहां पर गोलीबारी हुई। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के काफी नजदीक गोलियां चलीं। हालांकि, गनीमत रही की इस गोलीबारी में डोनाल्ड ट्रंप पूरी तरह सुरक्षित हैं।गोलीबारी की घटना पर डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिक्रिया आई है।पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि वह सुरक्षित हैं और झुकेंगे नहीं।

घटना के बाद समर्थकों को एक ईमेल में, ट्रंप ने कहा कि मेरे आसपास गोलियों की आवाजें थीं, लेकिन इससे पहले कि अफवाहें नियंत्रण से बाहर होने लगें, मैं चाहता था कि आप पहले यह जान लें कि मैं सुरक्षित हूं। उन्होंने कहा कि कोई भी मुझे चुनाव प्रचार से पीछे नहीं हटा पाएगा। मैं कभी आत्मसमर्पण नहीं करूंगा। मेरा समर्थन करने के लिए मैं हमेशा आपका आभारी हूं।

अमेरिका में हिंसा के लिए जगह नहीं

वहीं, व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन और राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस दोनों को इस जांच के बारे में जानकारी दे दी गई है और उन्हें इस बारे लगातार ताजा जानकारी दी जाएगी। व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया कि उन्हें यह जानकर राहत मिली है कि ट्रंप सुरक्षित हैं।

13 जुलाई को भी हुआ था ट्रंप पर हमला

इससे पहले पेनसिल्वेनिया में 13 जुलाई को एक चुनावी रैली के दौरान पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को निशाना बनाते हुए एक बंदूकधारी ने गोलीबारी की थी। इस हमले में एक गोली ट्रंप के दाहिने कान को छूकर निकल गई थी, जबकि रैली में शामिल एक व्यक्ति मारा गया था और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।

Joe Biden: హత్యా రాజకీయాలను అమెరికా సహించదు.. ట్రంప్ ఘటనపై బైడెన్ ఉద్ఘాటన

రిపబ్లికన్ అభ్యర్థి, అమెరికా మాజీ అధ్యక్షుడు డొనాల్డ్ ట్రంప్‌పై(Donald Trump) కాల్పుల ఘటనపై అమెరికా అధ్యక్షుడు జో బైడెన్(Joe Biden) తీవ్ర ఆందోళన వ్యక్తం చేశారు. హత్యా రాజకీయాలను అమెరికా ఎన్నిటికీ సహించదని ఉద్ఘాటించారు.

రిపబ్లికన్ అభ్యర్థి, అమెరికా మాజీ అధ్యక్షుడు డొనాల్డ్ ట్రంప్‌పై(Donald Trump) కాల్పుల ఘటనపై అమెరికా అధ్యక్షుడు జో బైడెన్(Joe Biden) తీవ్ర ఆందోళన వ్యక్తం చేశారు.

హత్యా రాజకీయాలను అమెరికా ఎన్నిటికీ సహించదని ఉద్ఘాటించారు. ఆయన ఆదివారం ఓవల్ కార్యాలయంలో జాతినుద్దేశించి ప్రసంగించారు.

2020లో బైడెన్ అధ్యక్ష బాధ్యతలు చేపట్టినప్పటి నుంచి ఓవల్ ఆఫీస్‌లో బైడెన్ మాట్లాడటం ఇది మూడోసారి. ఓవల్ కార్యాలయం జాతీయ ప్రాముఖ్యత కలిగిన ప్రసంగాల కోసం ఉద్దేశించింది. కాగా ఈ కార్యాలయం నుంచి అమెరికా అధ్యక్షులు చాలా అరుదుగా ప్రసంగిస్తుంటారు. గతంలో మాజీ అధ్యక్షులు ట్రంప్ రెండు సార్లు, ఒబామా మూడు సార్లు ప్రసంగించారు.

బైడెన్ మాట్లాడుతూ.. "హత్యా రాజకీయాలను సహించం. రాజకీయంగా ఒక్కొక్కరికి ఇష్టాఇష్టాలు ఉండటం సహజం. కానీ ఎప్పుడూ హింసకు దిగొద్దు. హింసకు పాల్పడిన వారిని అమెరికా ఎన్నటికీ క్షమించదు. మనం శత్రువులం కాదు. పొరుగువారం.. ఒకరికొరం స్నేహితులం, సహోద్యోగులం, అమెరికా పౌరులం. మనమంతా ఐక్యంగా నిలబడాలి" అని బైడెన్ పేర్కొన్నారు.

ట్రంప్‌పైకి థామస్‌ మాథ్యూ క్రూక్స్‌ (20) అనే యువకుడు తుపాకీ గురిపెట్టినట్లు భద్రతా దళాలు గుర్తించాయి. రైఫిల్‌తో మాథ్యూ తలను భద్రతాబలగాలు ఛిద్రం చేశాయి.సీక్రెట్‌ ఏజెంట్లు, సెక్యూరిటీ సిబ్బంది ట్రంప్‌ వద్దకు వచ్చి అతనికి వలయంగా నిలబడ్డారు.

ట్రంప్‌ను ఆయన బుల్లెట్‌ప్రూఫ్‌ ఎస్‌యూవీ వద్దకు తీసుకెళ్తుండగా ఆయన తన కుడిచేతి పిడికిలిని పైకెత్తి చూపుతూ ‘‘పోరాడతా (ఫైట్‌)’’ అని నినదించారు. తర్వాత ట్రంప్‌ను చికిత్స నిమిత్తం బట్లర్‌ ఏరియా ఆస్పత్రికి తరలించారు. ఆయన పరిస్థితి నిలకడగా ఉందని రిపబ్లిక్‌ పార్టీ ప్రతినిధులు తెలిపారు. కాగా దుండగుడి కాల్పుల్లో ర్యాలీలో పాల్గొన్న ఓ వ్యక్తి మరణించాడని, మరో ఇద్దరు తీవ్రంగా గాయపడ్డారని తెలుస్తోంది.

*AB de Villiers: This can be the year South Africa’s semi-final record changes*

Sports News 

 ODI ICC World Cup,2023 

 

 KKNB : South Africa and World Cup semi-finals have produced so many heartbreaking moments over the years – my hope is that 2023 will be the year that it all changes.

It is not just that we have played in four of them and lost them all, it is that on each and every occasion, the fates have conspired to make the defeats as painful as possible. 

I was too young for the 1992 and 1999 games but ask anyone about 22 off one and they will know immediately what you are referring to. 

Seven years later against the Aussies was even more painful. There is obviously the legend of the Steve Waugh jibe to Herschelle Gibbs about dropping the World Cup, but even after that defeat in the Super Six, South Africa had so many chances in the semi-final.

Watching the Allan Donald run-out does not get any easier, and we have seen a lot of it this week given that, once again, it is Australia standing in the way of a place in the final. 

The first World Cup semi-final that I played in was also against the Aussies, their all-conquering 2007 side. They had already beaten us once, but we still backed ourselves going into the game. 

The aim was to be aggressive, but after choosing to bat, Glenn McGrath tore through our top order and I fell to Shaun Tait, who was flying that day. We were 27 for five inside ten overs and never able to make it competitive. 

My final World Cup game might be the most painful of all from a personal perspective. We had got a big win over Sri Lanka in the quarter-final, a first knockout win, at long last. 

Against New Zealand, we batted well, Faf du Plessis made big runs, David Miller teed off late on, and I also got a handy score. 

We thought that defending 298 in 43 overs would be possible, and we had our chances. That day though, our fielding cost us. Grant Elliott played an incredible knock but that one still stings.

It was eight years ago, and so much has changed from a South African perspective since then. Only Quinton de Kock and David Miller remain from that team. This side, led by Temba Bavuma, looks as well-balanced as anyone in India. The top order are not just in good form, they are turning almost every start into a hundred and four different guys have tons. 

The bowling attack is also spreading around the wickets. Marco Jansen and Lungi Ngidi can take wickets with the new ball, while Kagiso Rabada and Gerald Coetzee have come on and done damage. And that is before we move onto the spin of Keshav Maharaj. If those are the five that end up playing, they will pose Australia some real threats.

Of course, Australia are always strong and they have responded really well to losing their first two matches. Not that we needed reminding, but Glenn Maxwell’s knock against Afghanistan was ridiculous. It goes without saying that South Africa cannot afford to let him get his eye in.  

The fact we got a huge win over the Aussies in the group stages should give the side confidence but this is a completely different scenario. 

We know the toss will be important. When South Africa have batted first, they have won and won big. They have topped 300 every time, and generally by a lot. Chasing has been trickier and there will certainly be a few nerves if they are not able to bat Australia out of the game by halfway.  

Still, after all the pain and heartbreak, I really feel that now is our time. This is a team that is not carrying the weight of history. There will be pressure because it is a semi-final, but there is no reason why they cannot break new ground and take the team to the big dance for the first time. I really hope they do.

 Pic Courtesy by: ICC