मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण में कोई कानूनी बाधा नहीं, बेल्जियम की अदालत ने कर दिया साफ
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भगोड़े मेहुल चोकसी को बड़ा झटका लगा है। बेल्जियम की एक अदालत ने फैसला सुनाया है कि उसके भारत प्रत्यर्पण में कोई कानूनी बाधा नहीं है। अदालत ने कहा कि चोकसी बेल्जियम का नागरिक नहीं, वो एक विदेशी नागरिक है और उसके खिलाफ लगे आरोप इतने गंभीर हैं कि उसका प्रत्यर्पण जायज है।
बेल्जियम की एंटवर्प अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसले में भगोड़े मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने साफ कहा कि चोकसी बेल्जियम का नागरिक नहीं बल्कि विदेशी नागरिक है और उसके खिलाफ भारत में दर्ज आरोप गंभीर आपराधिक प्रकृति के हैं। बेल्जियम कोर्ट के अनुसार, भगोड़े मेहुल चोकसी पर धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और जालसाजी जैसे संगीन अपराधों के आरोप हैं। कोर्ट ने माना कि भारत में उसे निष्पक्ष सुनवाई मिलेगी और जेल की सुविधाएं भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होंगी।
अदालत ने चोकसी पर लगे एक आरोप को खारिज कर दिया कि 201 आईपीसी के तहत साक्ष्य गायब किए गए थे और कहा कि यह अपराध बेल्जियम के कानून के तहत मान्यता प्राप्त नहीं है और इसलिए इसे लागू करने योग्य नहीं माना जा सकता है। फैसले में स्पष्ट किया गया कि कथित कृत्य भारत में 31 दिसंबर, 2016 और 1 जनवरी, 2019 के बीच हुए थे और अभियोजन भारतीय या बेल्जियम कानून के तहत समय-बाधित नहीं है।
एंटवर्प की अदालत ने चोकसी की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि प्रत्यर्पण का अनुरोध राजनीति से प्रेरित है या उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। अदालत ने कहा कि कथित अपराधों को राजनीतिक, सैन्य या गैर-प्रत्यर्पणीय कर अपराध नहीं माना जा सकता और यह मानने का कोई आधार नहीं है कि यह अनुरोध किसी व्यक्ति पर उसकी जाति, धर्म, राष्ट्रीयता या राजनीतिक संबद्धता के आधार पर मुकदमा चलाने या उसे दंडित करने के इरादे से किया गया था।
भारत सरकार की ओर से दी गई जानकारी का हवाला देते हुए, अदालत ने नोट किया कि चोकसी को मुंबई की आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर 12 में रखा जाएगा। इस बैरक में 46 वर्ग मीटर का क्षेत्र, दो सेल और एक निजी शौचालय शामिल है। भारत ने यह आश्वासन दिया कि उसे केवल चिकित्सा जरूरतों या अदालत में पेशी के लिए ही जेल से बाहर निकाला जाएगा। चोकसी ने अपने बचाव में एक्सपर्ट रिपोर्ट, अंतरराष्ट्रीय संदर्भ और विभिन्न दस्तावेज पेश किए थे।
Oct 23 2025, 10:42