22 सितंबर 2025 को बराबर होंगे दिन और रात...
क्या होता है संपात बिंदु या Equinox : जब दिन-रात होते हैं बराबर, जानिए इसके पीछे का संपूर्ण खगोलीय रहस्य एवं मान्यताएँ ।
खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि Equinox (संपात बिंदु) वह खगोलीय घटना होती हैं जब सूर्य आकाशीय भूमध्य रेखा को पार करता है; अर्थात सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर पड़ती हैं। इसी का नतीजा होता कि पृथ्वी पर दिन और रात की अवधि लगभग समान हो जाती है। और यह खगोलीय घटना साल में दो बार घटित होती है: वसंत संपात (लगभग 21 मार्च) और शरद संपात (लगभग 22-23 सितंबर)। इस वर्ष शरद संपात 22 सितंबर को घटित होगा।
वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला (तारामण्डल) गोरखपुर के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि 22 सितंबर 2025 को दिन और रात बराबर होंगे और इस दिन के बाद धीरे धीरे भारत समेत पूरे उत्तरी गोलार्ध में पड़ने वाले तमाम देशों में भी दिन छोटे और रातें बड़ी होनी शुरू जायेंगी।
क्या होते हैं संपात बिंदु ( Equinox ) ?
खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि _ “Equinox” का अर्थ “समान रात” होता है (Latin: aequus = समान, nox = रात)।
इस दिन पृथ्वी पर दिन और रात लगभग बराबर हो जाते हैं, शरद संप्राप्त उत्तरी गोलार्ध में शरद ऋतु की शुरुआत का संकेत देता है और दक्षिणी गोलार्ध में यह वसंत की शुरुआत को दर्शाता है। या कुछ यूं कहें कि Equinox (संपात बिंदु ) वह खगोलीय घटना है जब सूर्य, पृथ्वी की भूमध्य रेखा (Equator) के ठीक ऊपर दिखाई देता है। इस दिन पूरी दुनिया में दिन और रात की लंबाई लगभग बराबर होती है।
भारत में कब और कैसे घटित होगी यह खगोलीय घटना ?
इस बाबत खगोलविद अमर पाल सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2025 में शरद संपात 22 सितंबर को घटित होगा। भारत में इस दिन सूर्य बिल्कुल पूर्व दिशा से उगता हुआ और बिल्कुल ठीक पश्चिम दिशा में अस्त होता हुआ दिखाई देगा।
खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि यह भी विशेष ध्यान रहे कि सूर्य को कभी भी साधारण आँखों से नहीं देखना चाहिए हैं ,नहीं तो सूर्य से आने वाली अल्ट्रा वॉयलेट, इंफ्रा रेड एवं अन्य प्रकार की घातक किरणों से आंखों को गहरा नुकसान हो सकता है। सूर्य को देखने के लिए किसी प्रमाणित विशेष सूर्य चश्मे या सोलर गॉगल या पिन होल कैमरा अथवा विशेष सूर्य दर्शी सोलर फ़िल्टर युक्त दूरबीनों से ही किन्हीं विशेषज्ञों की मदद से ही देखना चाहिए।
खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि 22 सितंबर को सूर्य का उदय और अस्त की दिशा ठीक 90° और 270° पर होगी है। एवं 22 सितंबर 2025 को रात 11:49 बजे (IST) यानि उस समय दिन और रात लगभग बराबर होंगे। एवं इस दिन के बाद से ही उत्तरी गोलार्ध (भारत सहित) में रातें लंबी और दिन छोटे होने शुरू हो जाएंगे।
क्या है इसके पीछे का खगोलीय कारण ?
खगोलविद ने बताया कि इसके पीछे का खगोल विज्ञान कुछ इस प्रकार होता है। जैसा कि सर्वविदित है कि पृथ्वी अपनी काल्पनिक धुरी या अक्ष पर 23.5° झुकी हुई है यह झुकाव ही ऋतु परिवर्तन का कारण होता है, और अपने इसी झुकाव के साथ ही अपने अक्ष पर एक घूर्णन पूरा करने को एक पूर्ण दिवस कहा जाता है उसके साथ साथ ही आगे बढ़ते हुए सूर्य की परिक्रमा भी करती रहती है जब एक परिक्रमण पूरा होता है तो इसी को एक वर्ष कहा जाता है और जब मार्च और सितंबर के दौरान सूर्य की किरणें सीधे भूमध्य रेखा पर पड़ती हैं इसलिए उस दिन पूरी दुनिया में दिन और रात लगभग बराबर हो जाते हैं। और अब अगर हम बात करें मार्च संपात की तो पाते हैं कि मार्च संपात के बाद उत्तरी गोलार्ध में गर्मी बढ़ने लगती है। और सितंबर संपात के बाद उत्तरी गोलार्ध में ठंडक (शरद ऋतु) शुरू हो जाती है।
खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि इसको लेकर पूरी दुनिया में मानव सभ्यता की अपने अपने हिसाब से अनेकों प्राचीन मान्यताएँ भी रही हैं । जैसे कि मिस्र की सभ्यता में कुछ पिरामिड और मंदिर/ विशेष स्थान एवं खगोलीय यंत्र ऐसे बनाए गए थे कि संपात Equinox के दिन सूर्य की किरणें विशेष कोण पर पड़ें। और माया सभ्यता में चिचेन इत्ज़ा (Chichen Itza) के पिरामिड पर इस दिन सूर्य की छाया सांप के आकार की प्रतीत होती थी, जिसे देवता कुकुलकन का आगमन माना जाता था। एवं यूनान और रोम में इस दिन को फसल कटाई और ऋतु परिवर्तन का त्योहार माना जाता था। प्राचीन कालीन भारतीय वैज्ञानिक इतिहास में भारतीय प्राचीन पंचांग और प्राचीन खगोल विज्ञान और गणित ज्योतिष में संपात बिंदुओं को ऋतु परिवर्तन का संकेत माना गया है तथा यहाँ इसे कृषि चक्र और पर्व-त्योहारों आदि से भी जोड़ा गया है।
(Equinox ) संपात का असर क्या होता है:
खगोलविद अमर पाल सिंह ने इसके बारे में कुछ संक्षित बिंदुओं में इस प्रकार बताया कि
1_इस दौरान दिन और रात लगभग बराबर होंगे
2_सूर्य ठीक पूरब से निकलकर ठीक पश्चिम में अस्त होगा।
3_ दिनभर छाया की दिशा दक्षिण की ओर मुख्य रूप से रहती है (उत्तरी गोलार्ध में)
शरद संप्राप्त का खगोलीय महत्व
4_ सूर्य का स्थान: सूर्य सीधे पृथ्वी के विषुवत रेखा के ऊपर होता है।
5_दिन-रात का संतुलन: धरती पर सभी स्थानों पर दिन और रात की लंबाई लगभग बराबर होती है।
6_ ऋतु परिवर्तन: उत्तरी गोलार्ध में शरद ऋतु की शुरुआत, दक्षिणी गोलार्ध में वसंत की शुरुआत।
खगोलविद अमर पाल सिंह ने निष्कर्ष के तौर पर बताया कि खगोलीय संपात बिंदु (Equinox) केवल एक खगोलीय घटना नहीं है,बल्कि यह मौसम बदलने का वैश्विक संकेत भी होता है। इसीलिए भारत सहित पूरी दुनिया में यह दिन यह बताता है कि पृथ्वी का झुकाव और गति हमारे जीवन, ऋतुओं और फसलों पर कितना गहरा असर डालता है। साथ ही, यह प्राचीन कालीन मान्यताओं और आधुनिक खगोल विज्ञान को जोड़ने वाली एक अद्भुत कड़ी भी है।
Sep 21 2025, 20:12