अंतरिक्ष में भारत रचने जा रहा एक और इतिहास, दुनिया के सबसे दमदार राडार निसार की लॉन्चिंग आज
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दुनिया की दो सबसे ताकतवर स्पेस एजेंसी का ज्वाइंट प्रोजेक्ट है, नासा इसरो सेंथिटिक एपर्चर राडार यानी निसार। नासा और इसरो इस प्रोजेक्ट पर एक साथ काम कर रहे है। यह पहली बार है, जब भारतीय एजेंसी इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने साथ मिलकर संयुक्त रूप से इस सैटेलाइट का निर्माण किया है। अब तक का सबसे महंगा और सबसे पावरफुल अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट निसार आज यानी, बुधवार 30 जुलाई को लॉन्च होगा। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 5:40 बजे जीएसएलवी-F16 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा।
इस मिशन की अवधि 5 साल
यह उपग्रह अंतरिक्ष की खोज की दिशा में भारत और अमेरिका के सहयोग से पूरा होने वाला एक महत्वपूर्ण स्पेस मिशन है। इसके लिए दोनों स्पेस एजेंसियों के बीच एक दशक से भी ज्यादा समय तक मानवीय तालमेल के अलावा सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की जुगलबंदी हुई है, तब जाकर यह दिन देखने को मिला है। निसार उपग्रह का उद्देश्य सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट से संपूर्ण पृथ्वी का अध्ययन करना है। ये रॉकेट निसार को 743 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूरज के साथ तालमेल वाली सन-सिंक्रोनस कक्षा में स्थापित करेगा, जिसका झुकाव 98.4 डिग्री होगा। इसमें करीब 18 मिनट लगेंगे। निसार 747 किलोमीटर की ऊंचाई पर पोलर ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा। पोलर ऑर्बिट एक ऐसी कक्षा है जिसमें सैटेलाइट धरती के ध्रुवों (उत्तर और दक्षिण) के ऊपर से गुजरता है। इस मिशन की अवधि 5 साल है।
धरती पर होने वाली हर हलचल का पता चलेगा
स्पेस में ऑपरेशनल हो जाने के बाद ये उपग्रह अपने उन्नत राडार से इमेजिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए पूरी धरती की हाई क्वालिटी इमेंज लेगा। ये धरती पर होने वाली हर तरह की हलचल का पता लगा सकेगा। आर्कटिक और अंटार्कटिंक एरिया में जो बर्फ की चादरें पिघल रही है। अर्थ की सिसनिक प्लेटों में हो रही गतिविधि का पता चल सकेगा। जिससे भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदा को रोका जा सकेगा। ज्वालामुखी विस्फोट, समुद्र और सागर की गहराई की हर जानकारी देगा। इसकी मदद से आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में बेहतर काम किए जा सकेंगे। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक यह उपग्रह वनों पर पड़ने वाले मौसमी प्रभाव, पहाड़ों में बदलाव, ग्लेशियर की गतिविधियों की जानकारी जुटाएगा। इसके तहत इसका ध्यान मूल रूप से हिमालय और अंटार्टिका के अलावा उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र में रहेगा
निसार के लॉन्च के बाद का प्लान
लॉन्च के बाद पहले 90 दिन कमीशनिंग या ऑर्बिट में इसकी गतिविधियों की निगरानी होगी। इसरो के अनुसार ऑर्बिट में छानबीन से ऑब्जर्वेटरी को वैज्ञानिक कार्यों की तैयारी करने में सहायता मिलेगी। निसार मिशन को दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के ग्राउंड स्टेशन की सहायता मिलेगी। यहीं पर इससे प्राप्त इमेज को डाउनलोड किया जा सकेगा, जिन्हें आवश्यक प्रोसेसिंग के बाद उपयोगकर्ता तक पहुंचाया जाएगा।
Jul 30 2025, 14:43