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EOW समीक्षा बैठक में उत्कृष्ट कार्य पर निरीक्षक सम्मानित, लापरवाही पर एक निलंबित

लखनऊ । उत्तर प्रदेश आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (EOW की जून 2025 के कार्य प्रदर्शन की मासिक समीक्षा बैठक शुक्रवार को लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय में सम्पन्न हुई। इस समीक्षा बैठक की अध्यक्षता पुलिस महानिदेशक EOW नीरा रावत ने की। उन्होंने कहा कि आर्थिक अपराधों पर नकेल कसने के लिए कार्य में तत्परता, पारदर्शिता और जवाबदेही अनिवार्य है। प्रत्येक अधिकारी यह सुनिश्चित करे कि दोषियों को न्यायालय से सजा मिले और जनता में ईओडब्लू की सख्त छवि बनी रहे।


सभी 7 सेक्टरों के कार्यों की गहन समीक्षा की गई

बैठक के दौरान ईओडब्लू के सभी 7 सेक्टरों के कार्यों की गहन समीक्षा की गई और प्राप्त लक्ष्यों की पूर्ति के आधार पर अधिकारियों व कर्मियों की जवाबदेही तय की गई।इस अवसर पर जिन अधिकारियों ने लक्ष्य के अनुरूप बेहतर प्रदर्शन किया, उन्हें सम्मानित किया गया, जबकि जिनकी कार्यप्रणाली में लापरवाही या शिथिलता पाई गई, उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई।

सर्वश्रेष्ठ विवेचक और सर्वश्रेष्ठ सेक्टर को मिला पुरस्कार

जून माह के कार्य निष्पादन के आधार पर विशेष प्रकोष्ठ सेक्टर को “सर्वश्रेष्ठ सेक्टर” के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही निरीक्षक प्रवीण सिंह को उनके बेहतरीन विवेचनात्मक कार्य के लिए “सर्वश्रेष्ठ विवेचक” घोषित करते हुए सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनकी केस इन्वेस्टिगेशन, समयबद्ध चार्जशीटिंग और अदालती ट्रायल की प्रभावी निगरानी के आधार पर प्रदान किया गया।

लापरवाही पर निलंबन, DG ने दिए सख्त निर्देश

पुलिस महानिदेशक ईओडब्लू ने समीक्षा के दौरान वाराणसी सेक्टर में तैनात एक निरीक्षक की कार्यशैली में गंभीर लापरवाही और उदासीनता पाए जाने पर तत्काल प्रभाव से निलंबन की कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि विवेचना में शिथिलता या अभियुक्तों को राहत देने वाली प्रवृत्ति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

बैठक में DG नीरा रावत ने सभी सेक्टर प्रभारी दिये निर्देश

अभियुक्तों की गिरफ्तारी में तेजी लाई जाए।
ट्रायल केसों की मॉनिटरिंग नियमित रूप से हो और अभियुक्तों को सजा दिलाने की दिशा में सशक्त पैरवी की जाए।
प्रत्येक विवेचना को Target Approach के तहत तय समयसीमा में पूर्ण किया जाए।
जिन मामलों में संगठित अपराध की परिभाषा लागू होती है, वहां उसी आधार पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
जमीन दिलाने के नाम पर लाखों रुपये की ठगी करने वाला संदीप वर्मा गिरफ्तार
लखनऊ । राजधानी के विभूतिखण्ड थाना पुलिस ने जमीन दिलाने के नाम पर लाखों रुपये की ठगी करने वाले एक वांछित अभियुक्त को गिरफ्तार किया है। आरोपी संदीप वर्मा, एवियान्स डेवलपर्स एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी का डायरेक्टर है, जिसने अपने साथियों संग मिलकर लोगों से प्लॉट देने के नाम पर भारी रकम हड़प ली।

पूरा मामला ऐसे हुआ उजागर

5 जुलाई  को राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद कुमार उपाध्याय ने थाना विभूतिखण्ड में शिकायत दी थी कि संजय कुमार वर्मा नामक व्यक्ति ने जमीन दिलाने के नाम पर उनसे लाखों रुपये ठग लिए। पैसा वापस मांगने पर उन्हें गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी दी गई। पुलिस ने तत्काल मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। जांच के दौरान कंपनी के दूसरे डायरेक्टर संदीप वर्मा का नाम भी प्रकाश में आया।

इनके आपराधिक इतिहास के  बारे में जुटाई जा रही जानकारी

पुलिस ने संदीप वर्मा पुत्र जगनारायण वर्मा, निवासी ग्राम पटना सैदखानपुर, थाना कूरेभार, जनपद सुल्तानपुर (उम्र 32 वर्ष) को उसके गांव से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी उ.नि. आसित कुमार यादव, उ.नि. राजेश कुमार यादव व कांस्टेबल दुर्गेश सिंह की टीम ने की। आरोपी को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा जा रहा है।आरोपियों ने प्लॉट की रजिस्ट्री दिखाकर आम नागरिकों से ठगी की और प्राप्त पैसों से अपने निजी शौक पूरे किए। पुलिस अन्य जनपदों से आरोपी के आपराधिक इतिहास की जानकारी भी जुटा रही है।
57 लाख के छात्रवृत्ति घोटाले में पूर्व समाज कल्याण अधिकारी उग्रसेन पाण्डेय गिरफ्तार
लखनऊ । उत्तर प्रदेश आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (EOW) ने छात्रवृत्ति घोटाले के एक अहम आरोपी और पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी उग्रसेन पाण्डेय को कानपुर से गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी पर अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्रों के लिए जारी 57.53 लाख की छात्रवृत्ति की धनराशि के गबन का गंभीर आरोप है। यह कार्रवाई पुलिस महानिदेशक EOW के निर्देशन में चलाए जा रहे गिरफ्तारी अभियान के तहत की गई।

इस पूरे प्रकरण में कुल 71 लोगों को जांच में दोषी पाया गया

जनपद हाथरस में 7  प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं के सत्र 1999-2006 तक कक्षा 1 से 12 के अनुसूचित जाति/जनजाति को मिलने वाली छात्रवृत्ति की धनराशि 57,53000 रुपये  के गबन के सम्बन्ध में थाना सिकन्दरा जनपद हाथरस में  भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में मुकदमा  पंजीकृत होकर प्रारम्भिक स्तर पर विवेचना थाना स्थानीय सिकन्दराराव ,हाथरस से हुई। यूपी शासन के शासनादेश 28 दिसंगर 2007  द्वारा उक्त विवेचना ईओडब्लू यूपी को प्रदान की गयी।  जिसके क्रम में ईओडब्लू कानपुर सेक्टर द्वारा विवेचना संपादित की गयी। ईओडब्लू की विवेचना से उक्त अभियोग में कुल 71 ( 58 लोकसेवक एवं 13 प्राइवेट) अभियुक्त छात्रवृत्ति घोटाला/गबन के दोषी पाये गये थे, जिसमें 25 अभियुक्तों (13 प्राइवेट एवं 12 लोकसेवक) के विरुद्ध आरोप-पत्र न्यायालय प्रेषित किया जा चुका है।

अभी भी 35 अभियुक्तों की गिरफ्तारी के किये जा रहे प्रयास

जिसमें 5 अभियुक्तों की मृत्यु हो चुकी है तथा 4 अभियुक्तों के विरुद्ध कार्रवाई  के सम्बन्ध में उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा रोक (स्टे) लगाई गई है। उक्त अभियोग में अभियुक्त उग्रसेन पाण्डेय निवासी शिवतारा थाना आलापुर जनपद अम्बेडकरनगर (तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी हाथरस ,यूपी ) वांछित था, जिसे पुलिस महानिदेशक, ईओडब्लू यूपी लखनऊ  के द्वारा अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए चलाये गये अभियान के तहत ईओडब्लू टीम द्वारा कानपुर से गिरफ्तार किया गया। शेष 35 अभियुक्तों (लोकसेवक) की गिरफ्तारी का प्रयास जारी है।
उर्वरक सब्सिडी घोटाले का वांछित अभियुक्त चन्द्रभान वर्मा गिरफ्तार
लखनऊ । उत्तर प्रदेश आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (EOW) ने 72 लाख रुपये के उर्वरक सब्सिडी घोटाले में वांछित चल रहे आरोपी चन्द्रभान वर्मा को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी पर फर्जी बिल व दस्तावेज़ों के जरिए सब्सिडी की धनराशि का गबन करने का गंभीर आरोप है। यह गिरफ्तारी पुलिस महानिदेशक ईओडब्लू के निर्देश पर चलाए जा रहे अभियान के तहत हुई है।

रॉक फास्फेट व सिंगल सुपर फास्फेट  सप्लाई करता था

ईओडब्लू टीम ने वर्ष 1998-2000 के दौरान हुए करोड़ों के उर्वरक सब्सिडी घोटाले के एक अहम आरोपी चन्द्रभान वर्मा को लखनऊ से गिरफ्तार किया है। आरोपी चन्द्रभान वर्मा, ललितपुर स्थित स्टार मिनरल्स और मून इंटरप्राइजेज का व्यवस्थापक था, जो मैसर्स अवध फर्टिलाइजर्स प्रा. लि., मिहीपुरवा, बहराइच को उर्वरक का कच्चा माल – रॉक फास्फेट व सिंगल सुपर फास्फेट – सप्लाई करता था।

72 लाख की धोखाधड़ी में था शामिल

जांच में पाया गया कि अवध फर्टिलाइजर्स के निदेशकों ने चन्द्रभान व अन्य सप्लायरों से मिलीभगत कर फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से उर्वरक पर मिलने वाली लगभग 72 लाख की सरकारी सब्सिडी का गबन किया। इन लोगों ने परिवहन के फर्जी बिल-बाउचर और वाहनों के कूटरचित दस्तावेज तैयार किए थे।इस संबंध में वर्ष 2006 में थाना मोतीपुर, जनपद बहराइच में IPC की कई गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

अब तक 14 निजी अभियुक्त दोषी पाए गए

ईआोडब्लू की डीजी नीरा रावत ने बताया कि  राज्य सरकार के आदेश पर इस प्रकरण की जांच ईओडब्लू को सौंपी गई थी, जिसमें अब तक 14 निजी अभियुक्त दोषी पाए गए हैं। इनमें से 3 की मृत्यु हो चुकी है, 5 के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल हो चुका है और शेष 5 की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।चन्द्रभान वर्मा की गिरफ्तारी से इस बहुचर्चित घोटाले के कानूनी निष्कर्ष की दिशा में अहम प्रगति मानी जा रही है।
आलमबाग में पुलिस और बदमाश में मुठभेड़: गोली लगने के बाद कुख्यात लुटेरा गिरफ्तार, 57 मुकदमों में वांछित
लखनऊ । राजधानी के आलमबाग इलाके में शुक्रवार देर रात पुलिस और एक शातिर बदमाश के बीच मुठभेड़ हो गई। चेन लूट की घटना में वांछित बदमाश सतेंद्र उर्फ कालिया पुलिस की घेराबंदी में फंस गया और भागने की कोशिश में उसने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस की गोली उसके पैर में लगी, जिससे वह घायल हो गया। आरोपी को गिरफ्तार कर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस के अनुसार, सतेंद्र पर विभिन्न जनपदों में 57 मुकदमे दर्ज हैं और वह एक गैंगस्टर एक्ट का अभियुक्त भी है।

पुलिस को देखते ही शुरू कर दी फायरिंग

जानकारी के लिए बता दें आलमबाग थानाक्षेत्र में चेन लूट की घटना होने के बाद से पुलिस लगातार जांच में जुटीं थी। इसी दौरान सीसीटीवी कैमरे से चेन लूटने वाले की फुटेज हाथ लगी। इसी क्रम में शुक्रवार की रात्रि पुलिस को सूचना मिली की चेन लूट की घटना को अंजाम देने वाला लंगड़ा फाटक के पास आने वाला है। सूचना पर पुलिस वहां पहुंचकर जांच पड़ताल शुरू कर दी। थोड़ी देर में एक बाइक सवार आता नजर आया। पुलिस ने रोकने का प्रयास किया तो भागने लगा। इस दौरान बाइक से फिसलकर गिर गया। पुलिस ने पकड़ने चाहा तो फायरिंग शुरू कर दी।

घायल बदमाश के ऊपर दर्ज हैं कुल 57 मुकदमे

अपर पुलिस उपायुक्त मध्य ने बताया कि पुलिस ने भी आत्मरक्षार्थ फायर किया तो बदमाश घायल हो गया। इसके बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में घायल बदमाश ने अपना नाम सतेंद्र निषाद पुत्र मुनेश्वर लाल निवासी पारा क्षेत्र बताया। बदमाश के कब्जे से दो जिंदा कारतूस, तमंचा और बाइक और एक टूटी हुई चेन भी बरामद हुई है। इसके अपराधिक इतिहास के बारे में पता किया गया तो पता चला कि इसके ऊपर कुल 57 मुकदमे दर्ज है। यह एक अंतरजनपदीय स्तर का अपराधी है। यह बाराबंकी से गैंगेस्टर में अभियुक्त है और आठ मुकदमों इसको सजा हो चुकी है।
समाज कल्याण विभाग में एआई आधारित योजनाओं की प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर कार्यशाला आयोजित

लखनऊ। उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग ने अपनी योजनाओं को अधिक पारदर्शी, जनहितकारी और समयबद्ध बनाने के लिए तकनीकी नवाचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शुक्रवार को समाज कल्याण निदेशालय में " एआई का समाज कल्याण की योजनाओं में उपयोग" विषय पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला का उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई ) की मदद से योजनाओं के क्रियान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी व प्रभावी बनाना रहा। इसमें चैटजीपीटी (ChatGPT) जैसे आधुनिक टूल्स के उपयोग से योजना निर्माण, रिपोर्ट संकलन व संक्षिप्त प्रस्तुतिकरण के तरीकों पर चर्चा की गई।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन है कि अधिक से अधिक लोगों का क्षमतावर्धन हो। इसके लिए तकनीक को तेजी से अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने अधिकारियों से आह्वान किया कि वे तकनीक को जनसेवा का सशक्त माध्यम बनाएं।
मुख्य वक्ता सुमित कुमार सिंह, संस्थापक एसीई एआई और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल, आईआईटी दिल्ली तथा आईआईएम लखनऊ के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने एआई की व्यावहारिक उपयोगिता, डेटा विश्लेषण व योजनागत सुधारों में इसके योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला।
अपर मुख्य सचिव वेंकटेश्वर लू ने अधिकारियों को नवाचारों को शीघ्र अपनाने हेतु प्रेरित किया। कार्यशाला में निदेशक कुमार प्रशांत, महाप्रबंधक विपिन कुमार पांडेय, जिला समाज कल्याण अधिकारी शिवम सागर सहित अनेक अधिकारी, कर्मचारी, सर्वोदया स्कूल, आईटीआई और पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य भी मौजूद रहे।
'ओ’ लेवल और सीसीसी प्रशिक्षण योजना के लिए आवेदन की तिथि बढ़ी, अब 21 जुलाई तक करें आवेदन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग के बेरोजगार युवक-युवतियों को तकनीकी दक्षता से युक्त कर उन्हें रोजगार योग्य बनाने के उद्देश्य से संचालित ‘ओ’ लेवल एवं सीसीसी कम्प्यूटर प्रशिक्षण योजना के लिए आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ा दी गई है। अब इच्छुक अभ्यर्थी 21 जुलाई 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप ने जानकारी दी कि पूर्व में आवेदन की अंतिम तिथि 14 जुलाई निर्धारित थी, जिसे युवाओं की सुविधा को देखते हुए एक सप्ताह के लिए बढ़ाया गया है। उन्होंने ओबीसी वर्ग के पात्र युवाओं से अपील की है कि वे इस योजना का भरपूर लाभ उठाकर तकनीकी रूप से सशक्त बनें और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाएं।
निदेशक डॉ. वंदना वर्मा ने बताया कि आवेदन https://obccomputertraining.upsdc.gov.in पोर्टल पर किया जा सकता है। योजना उन्हीं युवाओं के लिए है जो कक्षा 12 उत्तीर्ण कर चुके हैं और ओबीसी श्रेणी में आते हैं। प्रशिक्षण भारत सरकार की संस्था नीलिट से मान्यता प्राप्त संस्थानों में कराया जाएगा।
लखनऊ में पहली बार ‘युवा कौशल चौपाल’ का आयोजन, कौशल से आत्मनिर्भर बने युवाओं को मिलेगा सम्मान
लखनऊ। विश्व युवा कौशल दिवस (15 जुलाई) के अवसर पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इस बार एक अनूठी पहल की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘कौशल भारत - महाशक्ति भारत’ संकल्प और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में पहली बार दो दिवसीय 'युवा कौशल चौपाल' का आयोजन 15 और 16 जुलाई को किया जाएगा।
इस विशेष आयोजन में उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन से प्रशिक्षण प्राप्त कर आत्मनिर्भर बने 11 चुनिंदा युवाओं को "कौशल यूथ आइकॉन" के रूप में मंच पर बुलाया जाएगा। ये युवा अपनी सफलता की प्रेरक कहानियां जनसभा के समक्ष साझा करेंगे। आयोजन में सैकड़ों प्रशिक्षित युवा मौजूद रहेंगे, लेकिन मंच पर उन्हीं को स्थान मिलेगा, जिन्होंने कौशल के बल पर न केवल खुद रोजगार पाया, बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा किए।
कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कौशल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने कहा, “यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि यूथ मोटिवेशन मूवमेंट है। इससे गांव-कस्बों के युवाओं को यह संदेश जाएगा कि कौशल ही असली ताकत है।” कार्यक्रम में इन युवाओं को सम्मानित कर न सिर्फ उनका आत्मविश्वास बढ़ाया जाएगा, बल्कि समाज में कौशल आधारित सफलता को नई पहचान और सामाजिक स्वीकृति भी दी जाएगी।
अंसल एपीआई पर धोखाधड़ी के दो और मामले दर्ज, एफआईआर की संख्या पहुंची  240
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (अंसल एपीआई) एक बार फिर गंभीर आरोपों के घेरे में है। सुशांत गोल्फ सिटी थाना क्षेत्र में कंपनी के खिलाफ दो और नए धोखाधड़ी के मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इनमें एक मामला 33.60 करोड़ रुपये की ठगी से जुड़ा है, जबकि दूसरे मामले में 14 लाख रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। इन मामलों के साथ ही अंसल एपीआई पर दर्ज एफआईआर की संख्या बढ़कर 240 हो चुकी है।

पहले मामले में मेसर्स चंद्रा मॉडर्न बिल्डर्स (इंडिया) प्रा.लि. के निदेशक आलोक चंद्रा ने कंपनी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अंसल एपीआई से सुशांत गोल्फ सिटी में चार टावर—A, B, C और D—की 42,684.17 वर्ग मीटर भूमि 33.60 करोड़ रुपये में खरीदी थी। रजिस्ट्री एवं अन्य दस्तावेज उप निबंधक कार्यालय, सरोजनी नगर में वैध रूप से दर्ज कराए गए थे।
आरोप है कि इसके बावजूद अंसल एपीआई के अधिकारियों प्रणव अंसल, नीरज झा और कमलेश सिंह ने टावर A की 1,200 वर्ग मीटर भूमि का फर्जी बैनामा बालकृष्ण नामक व्यक्ति के नाम कर दिया। इस दौरान कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल हुआ।
आलोक चंद्रा ने पुलिस को सभी जरूरी साक्ष्य-बैनामा रजिस्ट्री, पजेशन लेटर, ले-आउट प्लान एवं फर्जी दस्तावेजों की प्रतियां- प्रस्तुत की हैं और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
पुलिस मामले की जांच में जुटी है और अंसल एपीआई के खिलाफ लगातार बढ़ती एफआईआर कंपनी की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं।
भ्रष्टाचार पर प्रहार- छात्रावास के लिए जारी धनराशि के दुरुपयोग पर अधीक्षिका निलंबित

* समाज कल्याण मंत्री ने जिला समाज कल्याण अधिकारी के खिलाफ भी दिए जांच के  निर्देश

लखनऊ। प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेन्स की नीति पर कार्य कर रही है। इसी क्रम में मुरादाबाद में समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय अनुसूचित जाति छात्रावास के रख रखाव के लिए जारी 10 लाख रुपयों का कार्य न कराये जाने के आरोप में छात्रावास अधीक्षिका सुश्री प्रवेश कुमारी को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) असीम अरुण ने जिला समाज कल्याण अधिकारी के खिलाफ जांच के निर्देश भी दिये हैं।
मंत्री असीम अरुण 7 जुलाई को मुरादाबाद में एक छात्रावास के कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। कार्यक्रम के दौरान राजकीय अनुसूचित जाति छात्रावास के छात्रों ने समाज कल्याण मंत्री से कई शिकायतें की थी। शिकायतों के आधार पर मेरठ मंडल की उपनिदेशक सुनीता यादव ने 10 जुलाई को छात्रावास पहुंच कर जांच की। जांच अधिकारी ने पाया कि मार्च में 14 कैमरे कागजों में तो खरीद लिए गए लेकिन लगाये नहीं गए। ये कैमरे जांच अधिकारी के पहुँचने से पहले 9 जुलाई को लगाये गए। इसी तरह 42 इंच का टीवी भी मार्च में ही लगना कागजों में बताया गया, लेकिन टीवी 7 जुलाई को लगाया गया। इतना ही नहीं कमरों, खिड़कियों की पुताई, मुख्य गेट के मरम्मत और पुताई के कार्य में भी जांच अधिकारी को गड़बड़ी मिली थी।