भारत ने अफगानिस्तान पर UN के प्रस्ताव से बनाई दूरी, जानें क्यों किया परहेज
#indiaabstainsinungaondraftresolutiononafghanistan
![]()
भारत ने अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक प्रस्ताव पर वोट नहीं दिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अफगानिस्तान पर पेश प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग से दूरी बनाते हुए साफ कहा कि बिना नए और ठोस कदमों के अफगान जनता के लिए सकारात्मक बदलाव संभव नहीं है।अफगानिस्तान की स्थिति पर जर्मनी की तरफ से पेश किए गए एक मसौदा प्रस्ताव को 193-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंजूरी दे दी। यह प्रस्ताव 116 मतों से पास हुआ, जबकि दों देशों ने विरोध किया और 12 देशों ने मतदान से दूरी बनाई, जिनमें भारत भी शामिल था।
भारत ने बताई वोट नहीं देने की वजह
यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वाथानेनी हरीश ने कहा कि भारत को चिंता है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवादी संगठन कर रहे हैं। इसलिए भारत ने वोट नहीं दिया। हरीश ने यूएन में कहा कि अफगानिस्तान ने 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है, जिसका भारत स्वागत करता है।
अफगानी धरती का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए न हो
पर्वाथानेनी हरीश ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यूएन सुरक्षा परिषद द्वारा तय किए गए आतंकवादी संगठन, जैसे अल कायदा, आईएसआईएल, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद, अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए न करें। साथ ही, जो देश इन संगठनों की मदद करते हैं, उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र में और क्या बोले पी हरीश?
भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि किसी भी जंग के बाद की स्थिति को संभालने के लिए सजा देने वाले कदमों के साथ-साथ प्रोत्साहन भी जरूरी होता है। केवल सजा देने वाली नीतियां कामयाब नहीं होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगस्त 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद से अफगानिस्तान में बढ़ती मानवीय समस्या को हल करने के लिए कोई नई रणनीति नहीं बनाई गई है। इसलिए बिना नए कदमों के अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उम्मीदें पूरी नहीं होंगी।
जर्मनी ने पेश किया प्रस्ताव
‘अफगानिस्तान की स्थिति' पर जर्मनी द्वारा पेश किए गए एक मसौदा प्रस्ताव को 193-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंजूरी दे दी। यूएन महासभा के इस प्रस्ताव में तालिबान के कंट्रोल के बाद अफगानिस्तान में गंभीर आर्थिक, मानवीय और सामाजिक स्थितियों, लगातार हिंसा और आतंकवादी समूहों की उपस्थिति, राजनीतिक समावेशिता और प्रतिनिधि निर्णय लेने की कमी के साथ-साथ महिलाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यकों से संबंधित मानव अधिकारों के उल्लंघन और दुरुपयोग पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है।
Jul 09 2025, 10:30