जब लोकतंत्र को कुचला गया था… बलिया में गूंजे जयप्रकाश के नारे,आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर काला दिवस मनाया गया
ओमप्रकाश वर्मा
नगरा(बलिया)। आपातकाल के काले अध्याय की 50वीं वर्षगांठ पर बलिया के लोकतंत्र सेनानियों ने बुधवार को जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में काला दिवस मनाकर इतिहास के उस दर्द को फिर से जीवित कर दिया, जब बोलने की आज़ादी पर ताले जड़ दिए गए थे। लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति (उत्तर प्रदेश) के बैनर तले आयोजित इस कार्यक्रम में मंच से लेकर परिसर तक ‘लोकनायक जयप्रकाश नारायण अमर रहें’ के नारों की गूंज रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश उपाध्यक्ष राघव जी गुप्ता ने की जबकि संचालन डॉ. सुरेश तिवारी ने किया। उपस्थित सेनानियों ने न केवल उस दौर को याद किया, बल्कि वर्तमान लोकतंत्र की चुनौतियों पर भी सवाल खड़े किए। जिलाध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, "आज से पचास साल पहले हमारे भीतर जो साहस, जोश और आत्मबल था, वह अब कमजोर पड़ा है, लेकिन आज भी हम देश की अखंडता, एकता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए तत्पर हैं।" उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के लिए जो संघर्ष हुआ, उसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना बेहद जरूरी है। इस अवसर पर केश्वरनाथ पाण्डेय ने तीखा कटाक्ष करते हुए कहा, "हमने भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन किया था, लेकिन वह आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है। सरकारें बदलीं लेकिन व्यवस्था नहीं।" रामकुँवर जी ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों को स्वतंत्रता सेनानियों जैसा सम्मान मिलना चाहिए। "हमें कुछ नहीं चाहिए, बस सरकार हमें वह दर्जा दे दे जो हमारा अधिकार है," उन्होंने कहा। संचालन कर रहे डा. सुरेश तिवारी ने प्रस्ताव रखा कि जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गाथाएं स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल हैं, वैसे ही लोकतंत्र सेनानियों की कहानियों को भी पढ़ाया जाना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी त्याग और संघर्ष का मूल्य समझ सके। सभा में जैसे ही ‘जयप्रकाश नारायण अमर रहें’ के नारे लगे, पूरा परिसर आंदोलित हो उठा। ऐसा प्रतीत हुआ मानो वर्ष 1975 की त्रासदी फिर से आंखों के सामने आ गई हो। इस आयोजन में वरिष्ठ लोकतंत्र सेनानियों ने भी अपनी बात रखी। जिनमें हरिन्द्र गुप्ता, रामदेव यादव, भूलोटन वर्मा, मुक्तेश्वर सिंह, कन्हैयां जी, रामाशंकर चौहान, डा. रामाशंकर प्रसाद, हरिशचन्द्र पाण्डेय, गोपाल जी सिंह, छविनाथ सिंह, कमला शर्मा, धनराज सिंह, अशोक सिंह, अनिल सिंह, गुलाब गुप्ता, दयाशंकर सिंह, शिवप्रकाश पाण्डेय आदि प्रमुख रूप से शामिल थे। सभा में लोकतंत्र सेनानियों के चेहरे पर एक ओर गर्व की चमक थी तो दूसरी ओर गहरा दर्द भी कि जिन अधिकारों के लिए उन्होंने जेल की सलाखों को चूमा, आज उन्हीं अधिकारों की कद्र घटती जा रही है। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत के साथ हुआ और यह संदेश भी दिया गया कि लोकतंत्र की रक्षा सिर्फ एक दौर का काम नहीं, बल्कि निरंतर चलने वाली जिम्मेदारी है।
Jun 25 2025, 22:53