ना नाम, ना इनाम... फिर भी हर वक्त खड़े रहते हैं RNEx के ये नायक
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। जब दुनिया 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मना रही है, तब गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन में कुछ ऐसे लोग हैं, जो इस दिन को जश्न नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी की तरह जीते हैं। न कोई मंच, न कोई मैडल, बस ज़रूरत के वक्त हाज़िर रहने का वादा और इंसानियत के लिए धड़कता दिल। ये हैं RNEx रक्तदान महादान ग्रुप के सैकड़ों सच्चे हीरो, जो हर दिन किसी अनजान को ज़िंदगी लौटाते हैं – चुपचाप, बेआवाज़।ये कहानी है एक सोच की, जो जन्मी थी संकट में, लेकिन बनी उम्मीद की मिसाल। दिसंबर 2020 में जब कोरोना का कहर हर ओर था, अस्पतालों में बेड नहीं, ऑक्सीजन नहीं, और खून के लिए चीख-पुकार थी तब एक नौजवान दीपांशु मित्तल ने आगे बढ़कर वो किया जो सिस्टम नहीं कर सका। एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया नाम रखा RNEx रक्तदान महादान। मकसद सिर्फ एक: ज़रूरतमंद को सही वक्त पर रक्तदाता से जोड़ना।आज ये ग्रुप 800 से ज्यादा ऐसे लोगों का परिवार बन चुका है, जो दिन-रात किसी भी वक़्त खून देने को तैयार रहते हैं। कोई छात्र है, कोई ऑफिस कर्मचारी, कोई व्यापारी, कोई गृहिणी लेकिन एक कॉल आते ही सबका काम सिर्फ एक किसी की सांसों को बचाना। रक्तदान को इन लोगों ने सिर्फ एक सेवा नहीं, एक संस्कार बना दिया है। कुछ लोग 20 से ज्यादा बार खून दे चुके हैं और हर 3 महीने इसे अपनी आदत बना चुके हैं।
इस ग्रुप का एक नंबर है 9015095151, जहां हर वक्त कोई न कोई जाग रहा होता है, किसी ज़रूरतमंद की कॉल सुनने के लिए। बच्चों के कैंसर से लेकर सड़क दुर्घटनाओं तक, मां के डिलीवरी केस से लेकर बुज़ुर्गों की सर्जरी तक RNEx की टीम हर बार वक्त से पहले पहुंचकर उम्मीद लेकर खड़ी मिलती है।
इस विश्व रक्तदाता दिवस पर अगर कोई असली सलामी के हकदार हैं, तो वो हैं ये राजनगर एक्सटेंशन के ख़ामोश फ़रिश्ते, जिन्होंने दूसरों की धड़कनों को अपनी आदत बना लिया है।

ये कहानी है एक सोच की, जो जन्मी थी संकट में, लेकिन बनी उम्मीद की मिसाल। दिसंबर 2020 में जब कोरोना का कहर हर ओर था, अस्पतालों में बेड नहीं, ऑक्सीजन नहीं, और खून के लिए चीख-पुकार थी तब एक नौजवान दीपांशु मित्तल ने आगे बढ़कर वो किया जो सिस्टम नहीं कर सका। एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया नाम रखा RNEx रक्तदान महादान। मकसद सिर्फ एक: ज़रूरतमंद को सही वक्त पर रक्तदाता से जोड़ना।आज ये ग्रुप 800 से ज्यादा ऐसे लोगों का परिवार बन चुका है, जो दिन-रात किसी भी वक़्त खून देने को तैयार रहते हैं। कोई छात्र है, कोई ऑफिस कर्मचारी, कोई व्यापारी, कोई गृहिणी लेकिन एक कॉल आते ही सबका काम सिर्फ एक किसी की सांसों को बचाना। रक्तदान को इन लोगों ने सिर्फ एक सेवा नहीं, एक संस्कार बना दिया है। कुछ लोग 20 से ज्यादा बार खून दे चुके हैं और हर 3 महीने इसे अपनी आदत बना चुके हैं।
इस ग्रुप का एक नंबर है 9015095151, जहां हर वक्त कोई न कोई जाग रहा होता है, किसी ज़रूरतमंद की कॉल सुनने के लिए। बच्चों के कैंसर से लेकर सड़क दुर्घटनाओं तक, मां के डिलीवरी केस से लेकर बुज़ुर्गों की सर्जरी तक RNEx की टीम हर बार वक्त से पहले पहुंचकर उम्मीद लेकर खड़ी मिलती है।
इस विश्व रक्तदाता दिवस पर अगर कोई असली सलामी के हकदार हैं, तो वो हैं ये राजनगर एक्सटेंशन के ख़ामोश फ़रिश्ते, जिन्होंने दूसरों की धड़कनों को अपनी आदत बना लिया है।

विभु मिश्रा
प्रदर्शनी का दौरा करने पहुंचे राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल ने इस पहल की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा, "इस तरह की गतिविधियां एक औद्योगिक शहर की जिंदगी में रंग भरने का काम करती हैं। हमारे बच्चों में इतनी प्रतिभा और रचनात्मकता देखकर बेहद खुशी हो रही है। कला वह माध्यम है जो समाज को जोड़ती और प्रेरित करती है।" अग्रवाल ने फाउंडेशन के आयोजक कपूर वीर भान को अपना पूरा सहयोग देने का वादा किया और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस आयोजन के लिए बधाई भी दी। आयोजकों ने भी सांसद महोदय को अपने आगामी अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों के बारे में बताया और उन्हें आश्वस्त किया कि उनके मार्गदर्शन में भविष्य में भी गाजियाबाद में ऐसे कई अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
बच्चों की कल्पनाशीलता का प्रदर्शन प्रदर्शनी में पर्यावरण संरक्षण, अंतरिक्ष यात्रा, सांस्कृतिक विरासत जैसे महत्वपूर्ण विषयों से लेकर बच्चों के भावनात्मक और अमूर्त विचारों तक, विविध विषयों पर बनाए गए चित्र प्रदर्शित किए गए थे। बच्चों की अद्भुत कल्पनाशीलता और कला कौशल ने सभी आगंतुकों को खासा प्रभावित किया। शिक्षकों ने भी किया स्वागत छात्रों के साथ आए शिक्षकों ने भी इस मंच की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रदर्शनी छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा का काम करेगी।
यह प्रदर्शनी चारु कैसल फाउंडेशन (गाजियाबाद) द्वारा सीऑफ इंडिया (यूनेस्को की सहयोगी संस्था) और नगर निगम गाजियाबाद के सहयोग से आयोजित की जा रही है। फाउंडेशन के महासचिव पवन कपूर ने बताया कि इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य बच्चों में रचनात्मकता और कला के प्रति रुचि को प्रोत्साहित करना है। यह प्रदर्शनी 30 मई तक शाम 6 बजे तक आम जनता के लिए खुली रहेगी। कला के प्रति इस तरह के आयोजनों से समाज में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।
विभु मिश्रा
इस भव्य यात्रा का आयोजन क्षेत्रीय विधायक अजीतपाल त्यागी और ब्लॉक राजपुर के प्रमुख राहुल चौधरी उर्फ डैनी के संयुक्त नेतृत्व में किया गया। मथुरापुर गांव के सामने पाइपलाइन रोड से विधायक अजीतपाल और प्रमुख राहुल ने संयुक्त रूप से तिरंगा यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
इस यात्रा में पाइपलाइन क्षेत्र के अनेक ग्रामीणों ने अपने ट्रैक्टरों के साथ, युवाओं ने मोटरसाइकिलों पर और कुछ जेसीबी के साथ पूरे जोश और उत्साह के साथ हिस्सा लिया। सैनिकों के अदम्य साहस को नमन करते हुए और उनके पराक्रम की सराहना करते हुए ग्रामीणों ने जमकर देशप्रेम का प्रदर्शन किया। यह यात्रा ग्रामीण एकता और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संगम बन गई।
इस तिरंगा यात्रा में प्रमुख रूप से कृष्ण त्यागी, ग्राम मकरेडा के ग्राम प्रधान कृष्ण देव आर्य, भिक्कनपुर के पूर्व प्रधान मिंटू, विकास संघर्ष समिति के सचिव सलेक भैया, मथुरापुर से दक्ष नागर, के अलावा मथुरापुर, बहादुरपुर, शमशेर, अटोर नंगला, भोवापुर, भिक्कनपुर आदि गांवों के ग्रामीण उत्साहपूर्वक शामिल हुए। इस यात्रा ने ग्रामीण अंचल में भी देशभक्ति की एक नई लहर पैदा कर दी।
विभु मिश्रा
महापौर ने हर वार्ड में 1-1 करोड़ रुपये तक के विकास कार्यों के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्थानीय लोगों से अपील की कि थोड़ी असुविधा के बाद जब काम पूरा होगा, तो क्षेत्र की सूरत बदल जाएगी। साथ ही ठेकेदार अगर घटिया सामग्री लगाए या लापरवाही करे, तो तुरंत सूचना दी जाए। गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा।
कार्यक्रम में पार्षद अमित त्यागी, शशि सिंह, मनु डबास, सुमन चौधरी, पिंकी, साहब सिंह सिरोही, ललित शर्मा, पूर्व पार्षद अर्चना सिंह, मंडल अध्यक्ष राहुल, राजू चौधरी, राहुल शर्मा, कौस्तुभ शर्मा, गजेन्द्र शर्मा, राजीव डागर, त्रिलोक चौधरी सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
महापौर ने यह भी बताया कि जल्द ही अन्य ज़ोन में भी करोड़ों रुपये के शिलान्यास होंगे और शहर के हर कोने में चौमुखी विकास नजर आएगा।
श्री मौर्या ने यह भी कहा कि पंजीकृत व्यापारी दुकान पर फर्म का नाम और GST नंबर वाला बोर्ड जरूर लगाएं। उन्होंने बताया कि सिर्फ कुछ महीनों तक व्यापार करने वालों के लिए अस्थाई GST पंजीयन की सुविधा भी उपलब्ध है, जो घर बैठे ऑनलाइन लिया जा सकता है।
विभु मिश्रा
अस्पताल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. पी. एन. अरोड़ा ने कहा कि नर्सें ही हैं जो हर आपात स्थिति में सबसे पहले सामने आती हैं। उनकी नज़ाकत के पीछे एक जबरदस्त मानसिक और भावनात्मक ताकत होती है, जो हर रोगी को नयी उम्मीद देती है। उनकी भूमिका सिर्फ पेशेवर नहीं, बल्कि मानवीय है।
विभु मिश्रा
मंगलवार को मुरादनगर पुलिस ने अरकश को एक मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया था, जिसमें उसके पैर में गोली लगी थी। घायल अवस्था में उसे संजय नगर के संयुक्त जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी। फरारी की घटना बुधवार सुबह जब पुलिसकर्मी जागे, तो उन्होंने पाया कि अरकश अपने बेड पर नहीं है। अस्पताल प्रशासन ने तुरंत मधुबन बापूधाम थाना प्रभारी को इस घटना की सूचना दी। चौंकाने वाली बात यह है कि जिस समय बदमाश फरार हुआ, उस समय उसकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी सो रहे थे। इसके अलावा, अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था के लिए सेवानिवृत्त सैन्य कर्मी भी 24 घंटे तैनात रहते हैं, फिर भी यह चूक कैसे हुई, यह जांच का विषय है।
घटना के बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। संजय नगर और राजनगर क्षेत्र की सीसीटीवी फुटेज खंगाली जा रही है ताकि बदमाश के भागने के मार्ग का पता चल सके। पुलिस ने अरकश की तलाश के लिए विशेष टीमें गठित की हैं और अस्पताल प्रशासन तथा सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
यह याचिका गाजियाबाद के भाजपा नेता विनीत शर्मा और बीटेक छात्रा प्राजक्ता सिंगल ने दाखिल की है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने कोर्ट को बताया कि बंदरों की संख्या बहुत बढ़ गई है। इससे आम लोगों को रोज़ परेशानी हो रही है। महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और स्कूलों के छात्र सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं। आकाश वशिष्ठ ने कहा कि बंदरों को खाने को कुछ नहीं मिल रहा, जिससे वे भूखे और परेशान हैं। वे इंसानों के इलाकों में आकर खाना छीनते हैं और लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कई बंदर घायल भी हो जाते हैं और उनके इलाज के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
कोर्ट ने जिन संस्थाओं को नोटिस भेजा है, उनमें पर्यावरण मंत्रालय, यूपी सरकार, पशु कल्याण बोर्ड, गाजियाबाद जिला प्रशासन, नगर निगम और कई नगर पालिकाएं शामिल हैं। अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी, तब सभी को अपने जवाब देने होंगे।
Jun 14 2025, 15:08
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