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उपभोक्ता हित सर्वोपरि: अध्यक्ष रेरा

भू-संपदा अभिकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण एवं प्रमाणन कार्यक्रम शुरू

पारदर्शी और प्रशिक्षित रियल एस्टेट सेक्टर की दिशा में बड़ा कदम

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में रियल एस्टेट सेक्टर की पारदर्शिता, स्थायित्व और उपभोक्ता हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (उ.प्र. रेरा) ने एक विशेष प्रशिक्षण एवं प्रमाणन कार्यक्रम की शुरुआत की है। यह कार्यक्रम राज्य के भू-संपदा अभिकर्ताओं की भूमिका को सुदृढ़ बनाने और उन्हें रेरा अधिनियम व नियमावली की गहन जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से संचालित किया जा रहा है।

उ.प्र. रेरा के अध्यक्ष संजय आर. भूसरेड्डी ने जानकारी दी कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का लक्ष्य अभिकर्ताओं को रियल एस्टेट नियमन से जुड़े सभी पहलुओं की व्यावहारिक जानकारी देना है। इससे न केवल उनके कार्यों में पारदर्शिता आएगी, बल्कि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा भी सुनिश्चित होगी। प्रशिक्षण पूर्ण करने के पश्चात् प्रत्येक प्रतिभागी को मूल्यांकन परीक्षा में सफलता के आधार पर प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। यह प्रमाण पत्र किसी भी अभिकर्ता को पार्टनरशिप-फर्म, एलएलपी या कंपनी में कार्य करने के लिए मान्य होगा, साथ ही वह स्वयं का अलग रजिस्ट्रेशन भी करा सकेगा।

श्री भूसरेड्डी ने बताया कि प्रत्येक एजेंट के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य है, चाहे वह पहले से रजिस्टर्ड हो या नया आवेदन कर रहा हो। रजिस्ट्रेशन के लिए प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। एजेंसी से जुड़ी पूरी टीम विशेष रूप से विज्ञापन, सेल्स, मार्केटिंग, व वित्तीय लेन-देन में संलग्न कर्मियों को भी प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा।

प्रशिक्षण शुल्क विवरण:

प्रत्येक प्रशिक्षणार्थी को ₹6,000/- का शुल्क ऑनलाइन जमा करना होगा। जिन्होंने पूर्व में ₹5,000/- जमा किए थे, उन्हें अतिरिक्त ₹1,000/- का भुगतान पोर्टल के माध्यम से करना होगा। प्रशिक्षण के लिए लखनऊ स्थित इंडिया लिटरेसी बोर्ड परिसर में बैचवाइज कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। निर्धारित बैच में भाग न लेने पर शुल्क जब्त कर लिया जाएगा और पुनः ₹6,000/- भुगतान के बाद ही दोबारा प्रशिक्षण संभव होगा।

अध्यक्ष रेरा ने यह भी स्पष्ट किया कि प्राप्त प्रमाण पत्र न केवल उस संस्था विशेष के लिए वैध होगा, बल्कि प्रतिभागी द्वारा संस्था बदलने या स्वयं की नई एजेंसी शुरू करने पर भी यह प्रमाण पत्र मान्य रहेगा। यह पहल प्रदेश में रियल एस्टेट सेक्टर को अधिक जिम्मेदार, प्रशिक्षित और उपभोक्ता हितों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

स्टांप तथा पंजीयन मंत्री द्वारा तीसरे बड़े मंगल पर कराया गया भंडारा

- डिप्टी सीएम बृजेश पाठक सहित कई मंत्री हुए शामिल, मुख्यमंत्री के सलाहकार भी रहे उपस्थित

लखनऊ । उत्तर प्रदेश के स्टांप तथा पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल द्वारा आज हजरतगंज दक्षिणमुखी हनुमान जी के मंदिर में ज्येष्ठ माह के तीसरे बड़े मंगल के पावन अवसर पर भंडारा आयोजित कर प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की मंगलकामना की।

श्री जायसवाल ने कहा कि हनुमान जी की पूजा के लिए समर्पित बड़े मंगल का दिन उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से राजधानी लखनऊ में विशिष्ट धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। बड़ा मंगल उत्तर भारतीय लोक आस्था का एक महत्वपूर्ण पर्व है। लखनऊ की धरती पर यह पर्व सामाजिक समरसता, सहयोग और श्रद्धा का प्रतीक बन चुका है। उन्होंने कहा कि हनुमान जी समाज को शक्ति, भक्ति और सेवा का संदेश देते हैं। एक-दूसरे की मदद करेंगे, तभी सच्चे अर्थों में धर्म की विजय होगी और मानवता का कल्याण होगा।

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना, पर्यटन मंत्रीजयवीर सिंह, कौशल विकास और व्यावसायिक शिक्षा मंत्री कपिल देव अग्रवाल, आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र “दयालु” राज्यसभा सांसद पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा तथा मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी सहित कई अन्य गणमान्य लोगों ने प्रसाद वितरण में भागीदारी की।

हर पात्र दिव्यांगजन को मिलेगा सहारा: यूपी में निःशुल्क मोटराइज्ड ट्राईसाइकिल वितरण के निर्देश

* योगी सरकार का लक्ष्य- दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन देना

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने भारत सरकार की सहायता प्राप्त दिव्यांगजन सशक्तिकरण (एडिप) योजना के तहत सभी जनपदों में पात्र दिव्यांगजनों को निःशुल्क मोटराइज्ड ट्राईसाइकिल और सहायक उपकरण समयबद्ध और पारदर्शी ढंग से वितरित करने के निर्देश दिए हैं।

वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए सरकार ने कृत्रिम अंग और सहायक उपकरणों हेतु ₹37.40 करोड़, तथा मोटराइज्ड ट्राईसाइकिल वितरण के लिए ₹2 करोड़ का बजट निर्धारित किया है।

प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप ने विधानसभा स्थित कार्यालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में इस दिशा में की जा रही प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिया कि योजनाओं का समन्वित क्रियान्वयन एलिम्को के सहयोग से किया जाए ताकि बजट का अधिकतम लाभ ज़रूरतमंदों को मिल सके।

मंत्री ने बताया कि हाल ही में राज्य के प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में 100 दिव्यांगजनों को मोटराइज्ड ट्राईसाइकिल वितरित की गई है। सरकार की योजना है कि इस पहल को और विस्तार दिया जाए, जिससे हर जरूरतमंद व्यक्ति को उसकी पात्रता के अनुसार लाभ मिल सके।

बैठक में प्रमुख सचिव सुभाष चंद्र शर्मा, एमडी प्रवीण कुमार, एलिम्को के जीएम विवेक द्विवेदी, सहायक प्रबंधक पंकज द्विवेदी, अन्य विभागीय अधिकारी तथा भारत सरकार के अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित रहे।

लखनऊ: महिला दरोगा ने की आत्महत्या, कारणों का नहीं चला पता

ब्रेकिंग --

लखनऊ। इंदिरानगर स्थित ए ब्लॉक में एक महिला दरोगा ने आत्महत्या कर ली। जानकारी के अनुसार, वह विकास भवन के पास एक मकान में किराए पर रह रही थीं।

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई और पंचनामा की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। आत्महत्या के कारणों का फिलहाल खुलासा नहीं हुआ है। मामले की जांच जारी है।

उत्तर प्रदेश में जल संरक्षण की नई इबारत, 566 विकासखंड सुरक्षित श्रेणी में पहुंचे

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में भूजल संरक्षण और जल प्रबंधन के क्षेत्र में किए गए ठोस प्रयास अब परिणाम देने लगे हैं। राज्य सरकार की नई जल नीति, तकनीकी नवाचार और जनभागीदारी आधारित योजनाओं के चलते प्रदेश के 826 में से 566 विकासखंडों में भूजल स्तर में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया है।

लखनऊ, बलरामपुर, गोंडा, बहराइच, बाराबंकी, रायबरेली सहित 29 जिलों में जल स्तर में व्यापक सकारात्मक परिवर्तन देखा गया है। यह बदलाव पूरे देश के लिए एक अनुकरणीय मॉडल के रूप में उभर रहा है।

2017 के मुकाबले बेहतर हुआ भूजल परिदृश्य

वर्ष 2017 में 82 विकासखंड ‘अतिदोहित’ (Over-exploited) श्रेणी में थे, जबकि अब यह संख्या घटकर 50 रह गई है। साथ ही, कई ‘सेमी-क्रिटिकल’ श्रेणी वाले ब्लॉक्स अब ‘सुरक्षित’ श्रेणी में आ चुके हैं। यह सुधार तीन स्तंभों- नीतिगत प्रतिबद्धता, तकनीकी निगरानी, और सामुदायिक भागीदारी- के सफल समन्वय का परिणाम है।

तकनीकी निगरानी से बनी जल नीति और भी प्रभावी

राज्य सरकार ने भूजल की सटीक और समयबद्ध निगरानी के लिए पिछले एक वर्ष में 500 पीजोमीटर और 690 डिजिटल वॉटर लेवल रिकॉर्डर (DWLR) स्थापित किए हैं। इन उपकरणों से जल स्तर का रियल टाइम डेटा उपलब्ध हो रहा है, जिससे जल प्रबंधन से जुड़े निर्णय अधिक वैज्ञानिक और पारदर्शी बन सके हैं।

भूगर्भ जल विभाग की दीर्घकालिक योजना

‘नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग’ के अंतर्गत भूगर्भ जल विभाग ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए स्थायी भूजल प्रबंधन की विस्तृत रणनीति बनाई है। भूजल सूचना प्रणाली को लगातार उन्नत किया जा रहा है, ताकि जल के दोहन, उपयोग और पुनर्भरण की प्रक्रियाएं वैज्ञानिक ढंग से संचालित की जा सकें।

भूजल स्तर में सुधार वाले हैं यह 29 जिले :

आगरा, अलीगढ़, औरैया, बहराइच, बलरामपुर, बाराबंकी, बरेली, बिजनौर, एटा, फतेहपुर, फिरोजाबाद, गोंडा, हापुड़, जालौन, झांसी, कानपुर देहात, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, लखनऊ, महोबा, मैनपुरी, मथुरा, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर , रायबरेली, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहांपुर, श्रावस्ती।

लखनऊ के नया हनुमान मंदिर में शुरू हुआ फेस रिकग्निशन सिस्टम, सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन में तकनीक का बड़ा कदम

लखनऊ। राजधानी के अलीगंज क्षेत्र स्थित नया हनुमान मंदिर में बढ़ती भीड़ और सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने एक अभिनव पहल की है। मंदिर परिसर में उन्नत फेस रिकग्निशन सिस्टम का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य आगंतुकों की निगरानी को अधिक सुव्यवस्थित बनाना और संभावित सुरक्षा खतरों से समय रहते निपटना है।

इस नई एआई-सक्षम तकनीक से भीड़ नियंत्रण और आगंतुकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में उल्लेखनीय मदद मिलेगी। यह पहल धार्मिक स्थलों पर तकनीक के प्रभावी उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति मानी जा रही है।

प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि परीक्षण चरण के दौरान इस तकनीक ने 6,500 से अधिक यूनिक विजिटर्स को रिकॉर्ड किया और 96 प्रतिशत की सटीकता दर के साथ रियल-टाइम में चेहरा पहचानने में सफलता हासिल की।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत मंदिर के वीआईपी गेट और अन्य प्रमुख प्रवेश व निकास द्वारों पर हाई-रेजोल्यूशन कैमरे लगाए गए हैं। यह सिस्टम संभावित भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों की पूर्व पहचान कर त्वरित समाधान दे सकता है और चोरी या अन्य संदिग्ध गतिविधियों की स्थिति में तेजी से पहचान कर सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया समय को घटा सकता है। इससे पहले हनुमान सेतु मंदिर में भी इस तकनीक का परीक्षण किया गया था, जहां यह 93% सटीकता के साथ सफल रहा।

* भविष्य में राज्यभर के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर विस्तार की योजना

पर्यटन मंत्री ने बताया कि विभाग अब इस तकनीक को अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर, हनुमान गढ़ी, प्रयागराज के बड़े हनुमान जी मंदिर और अलोपी देवी मंदिर, वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और बटुक भैरव मंदिर, मथुरा के कुसुम सरोवर, वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर और प्रेम मंदिर सहित अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों पर भी लागू करने की योजना बना रहा है।

योगी सरकार का संवेदनशील निर्णय, मृतक शिक्षकों के परिजनों को मिलेगी डेथ ग्रेच्युटी

* यूपी सरकार ने सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत मृतक शिक्षकों के परिजनों को दी बड़ी राहत

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत मृतक शिक्षकों के परिजनों को बड़ी राहत दी है। सेवाकाल में मृत्यु होने की स्थिति में शिक्षकों के परिजनों को मृत्यु उपदान (डेथ ग्रेच्युटी) का भुगतान शासनादेश के अनुरूप किया जाएगा। इस संबंध में शासन ने 24.12.1983, 30.03.1983 और 04.02.2004 के शासनादेशों के सन्दर्भ में नवीन आदेश जारी कर दिए हैं।

योगी सरकार का यह कदम न केवल मृतक शिक्षकों के परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान करेगा, बल्कि राज्य सरकार की मानवीय और सहयोगी सोच का भी परिचायक है। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि प्रदेश के सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत ऐसे शिक्षक, जिन्होंने सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं दिया था और जिनकी मृत्यु 58 वर्ष की आयु से पूर्व हो गई, तथा वे शिक्षक जिन्होंने 60 वर्ष पर सेवानिवृत्ति का विकल्प भरा था, परंतु विकल्प परिवर्तन की निर्धारित अवधि से पहले ही उनका निधन हो गया, इन सभी मामलों में उनके परिजनों को मृत्यु उपदान (डेथ ग्रेच्युटी) दिए जाने का निर्णय लिया गया है।

इसी प्रकार, 03 फरवरी 2004 के पश्चात के उन मामलों में भी, जहां शिक्षकों ने सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं चुना और 60 वर्ष की आयु से पहले निधन हो गया,

तथा ऐसे शिक्षक जिन्होंने 62 वर्ष पर सेवानिवृत्ति का विकल्प भरा, मगर विकल्प परिवर्तन की निर्धारित अवधि से पहले ही उनका निधन हुआ, उनके परिजनों को भी मृत्यु उपदान (डेथ ग्रेच्युटी) का भुगतान किया जाएगा।

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह निर्णय शासन की संवेदनशीलता और जनकल्याणकारी दृष्टिकोण को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि निदेशक, उच्च शिक्षा को इस आदेश के अनुपालन हेतु आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दे दिए गए हैं।

उत्तर प्रदेश रेरा की साप्ताहिक समीक्षा बैठक सम्पन्न, प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण पर विशेष बल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) की साप्ताहिक समीक्षा बैठक सोमवार को लखनऊ स्थित रेरा मुख्यालय के सभागार में सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता यूपी रेरा के अध्यक्ष श्री भूसरेडडी ने की, जबकि नोएडा कार्यालय के अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।

अध्यक्ष श्री भूसरेडडी ने बैठक के दौरान विभिन्न प्रमुख बिंदुओं की बिंदुवार गहन समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों को प्रकरणों के प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र निस्तारण के निर्देश दिए। बैठक में जिन विषयों पर विशेष रूप से चर्चा की गई, वे हैं:

धारा-31 के अंतर्गत दायर शिकायतों की स्थिति एवं अनुश्रवण, अवमानना याचिकाएं व अपीलों की प्रगति, सुप्रीम कोर्ट, उच्च न्यायालय एवं ट्रिब्यूनल में लंबित वादों की स्थिति,

महत्वपूर्ण प्रकरणों में प्रभावी पैरवी की आवश्यकता, रिट याचिकाओं की अद्यतन स्थिति।

प्रमोटर्स, एजेंट्स और शिकायतकर्ताओं के बीच समझौतों की समीक्षा

बैठक में रेरा के आदेशों के संदर्भ में प्रमोटर्स, एजेंट्स एवं शिकायतकर्ताओं के मध्य हुए समझौतों, प्रमोटर्स द्वारा पंजीकृत परियोजनाओं में अधिनियम एवं नियमों के अनुपालन तथा रेरा पोर्टल से जुड़े तकनीकी पहलुओं पर भी चर्चा की गई।

ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट और कंप्लीशन सर्टिफिकेट को पोर्टल पर अपलोड करने की प्रगति की समीक्षा करते हुए इसकी प्रक्रिया को गति देने के निर्देश दिए गए। साथ ही, मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली और निर्माणाधीन मुख्यालय भवन की प्रगति की स्थिति पर भी विचार-विमर्श हुआ।

अध्यक्ष ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से आग्रह किया कि वे समर्पण भाव और समयबद्धता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करें, जिससे रेरा की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बनी रहे।

वरिष्ठ अधिकारियों की रही उपस्थिति

बैठक में रेरा सचिव महेन्द्र वर्मा, प्रमुख सलाहकार अबरार अहमद, वित्त परामर्शदाता सुधांशु त्रिपाठी, संयुक्त सचिव उमाशंकर सिंह, सहायक निदेशक (सिस्टम) अम्बरीस, तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण लखनऊ मुख्यालय से तथा नोएडा कार्यालय से जुड़े अधिकारीगण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहे।

महिला अपराधों के निस्तारण में पुलिस की भूमिका पर कार्यशाला सम्पन्न, योजनाओं और जनसुनवाई कार्यक्रमों की हुई समीक्षा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग द्वारा "महिला अपराधों के निस्तारण में पुलिस विभाग की भूमिका" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला एवं मासिक बैठक का आयोजन आयोग के सभागार में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबीता सिंह चौहान, उपाध्यक्ष श्रीमती अपर्णा यादव एवं श्रीमती चारू चौधरी द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।

बैठक की शुरुआत पुण्यश्लोक रानी अहिल्याबाई होल्कर जन्म शताब्दी वर्ष स्मृति अभियान 2025 के अंतर्गत संगोष्ठी कार्यक्रम से हुई। रानी अहिल्याबाई के चित्र पर माल्यार्पण कर उनके द्वारा किए गए सामाजिक सुधारों—जैसे सती प्रथा का विरोध और शिक्षा का प्रसार—की सराहना की गई। कार्यशाला के प्रथम सत्र में अपर पुलिस अधीक्षक (अपराध) श्रीमती रुकमणी वर्मा एवं पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) विनोद कुमार यादव द्वारा प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित योजनाओं और अभियानों की विस्तार से जानकारी दी गई। इनमें शामिल हैं:

महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन द्वारा संचालित कार्यक्रम

घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, बाल शोषण से संबंधित रोकथाम उपाय

1090 महिला हेल्पलाइन, महिला हेल्प डेस्क, पिंक बूथ

आशा ज्योति केंद्र, एसिड अटैक पीड़ितों की सहायता

रानी लक्ष्मीबाई सम्मान कोष के माध्यम से आर्थिक व कानूनी सहयोग

इन योजनाओं के संचालन की कार्यप्रणाली और उपलब्ध संसाधनों की जानकारी उपस्थित प्रतिनिधियों को दी गई।

महिला जनसुनवाई और निरीक्षणों की समीक्षा

द्वितीय सत्र में विभिन्न जनपदों में आयोग की माननीय सदस्यों द्वारा की गई महिला जनसुनवाई एवं निरीक्षण कार्यक्रमों की समीक्षा की गई। इसके साथ ही आगामी माह के लिए कार्यक्रमों की रूपरेखा और रणनीति पर विस्तृत चर्चा की गई।

* बैठक का समापन और धन्यवाद ज्ञापन

कार्यक्रम का समापन सदस्य सचिव श्रीमती सुधा वर्मा द्वारा सभी अतिथियों और पदाधिकारियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने महिला सशक्तिकरण के प्रति सभी के सहयोग को सराहा।

इस अवसर पर आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबीता सिंह चौहान, उपाध्यक्षगण श्रीमती अपर्णा यादव व श्रीमती चारू चौधरी, तथा सदस्यगण- श्रीमती हिमानी अग्रवाल, श्रीमती सुनीता श्रीवास्तव, श्रीमती अंजू प्रजापति, श्रीमती पूनम द्विवेदी, श्रीमती अनीता गुप्ता, श्रीमती अनुपमा सिंह लोधी, सहित अन्य सदस्य एवं पुलिस विभाग के अधिकारीगण- श्रीमती रुकमणी वर्मा (अपर पुलिस अधीक्षक, अपराध) एवं विनोद कुमार यादव (पुलिस उपाधीक्षक, मुख्यालय) उपस्थित रहे।

महिला एवं परिवार कल्याण महानिदेशालय को बम से उड़ाने की धमकी, मचा हड़कंप

लखनऊ । राजधानी में स्थित महिला एवं परिवार कल्याण महानिदेशालय को बम से उड़ाने की धमकी मिलने से सोमवार को हड़कंप मच गया। एक अज्ञात ई-मेल के जरिए कार्यालय को चार आरडीएक्स बम से उड़ाने की धमकी दी गई, जिसके बाद अफसरों और कर्मचारियों में अफरा-तफरी मच गई।सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, बम स्क्वॉड और डॉग स्क्वॉड की टीम मौके पर पहुंची और एहतियातन पूरे कार्यालय को खाली कराया गया। हालांकि बम से उड़ाने की सूचना से कार्यालय में ही नहीं आसपास भी हड़कंप मच गया है।

पुलिस ने की जांच, नहीं मिला कोई विस्फोटक पदार्थ

घंटों तक चले सघन तलाशी अभियान के दौरान भवन के अंदर और आस-पास के इलाकों में कोई संदिग्ध वस्तु या विस्फोटक सामग्री नहीं मिली।पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बम की धमकी महज अफवाह हो सकती है, लेकिन ई-मेल भेजने वाले की पहचान करने के लिए साइबर सेल को जांच में लगा दिया गया है। सहायक पुलिस आयुक्त, साइबर अपराध, अभिनव ने बताया कि मेल की तकनीकी पड़ताल की जा रही है और जल्द ही आरोपी का पता लगा लिया जाएगा। हालांकि बता दें कि बम रखे जाने की सूचना मिलते ही कार्यालय में भगदड़ मच गई लोग डर के मारे जैसे तैसे भागने लगे।

कार्यालय और उसके आसपास की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई

फिलहाल कार्यालय और उसके आसपास की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखने के लिए अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की गई है। साथ ही सभी कर्मचारियों को हिदायत दी गई है कि वे किसी भी संदिग्ध पार्सल या पैकेट को रिसीव न करें और तत्काल सुरक्षा कर्मियों को सूचना दें।पुलिस इस मामले को गंभीरता से लेते हुए हर पहलू से जांच कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि कार्यालय में डर का माहौल है, लेकिन सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।