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शाहजहांपुर मेडिकल कॉलेज में गैस लीक से मचा हड़कंप, मरीजों को सांस लेने में दिक्कत, बड़ी अनहोनी टली

लखनऊ। शाहजहांपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में अचानक गैस रिसाव की घटना से हड़कंप मच गया। ऑपरेशन थिएटर से अचानक गैस का तेज धुआं निकलने लगा, जिससे अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। मरीजों को सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन की शिकायत होने लगी।

घटना की जानकारी मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंच गई और राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी तत्काल मौके पर पहुंचे और स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

डॉक्टरों के अनुसार, प्राथमिक जांच में फॉर्मलीन गैस का रिसाव सामने आया है, जो अत्यंत जहरीली और खतरनाक होती है। अस्पताल प्रशासन ने मरीजों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए ऑपरेशन थिएटर को तत्काल बंद करवा दिया और सभी आवश्यक एहतियाती कदम उठाए।

गनीमत रही कि समय रहते प्रभावी कदम उठाए गए, जिससे एक बड़ी दुर्घटना टल गई। प्रशासन ने घटना की जांच शुरू कर दी है और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।

यह घटना अस्पताल प्रबंधन की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई की मिसाल है, लेकिन यह भी एक चेतावनी है कि सुरक्षा मानकों को और अधिक पुख्ता करने की जरूरत है।

एसोशिएशन के विस्तार को लेकर बैठक संपन्न

पत्रकारों के हक की लड़ाई लड़ेगा एसोसिएशन: अध्यक्ष

लखनऊ। रविवार को जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन एसोसिएशन की बैठक चिनहट थाना क्षेत्र के कमता गांव स्थित एक निजी प्रतिष्ठान में आहूत की गई।

बैठक में संगठन से संबंधित दस्तावेज पदाधिकारियों को काम करते हुए संगठन के अध्यक्ष विवेक प्रताप सिंह ने कहा कि पत्रकारों के हक हुकुक की लड़ाई एसोसिएशन लड़ेगा। पत्रकारों के कल्याण के लिए ही एसोसिएशन का जन्म हुआ है। इसके अलावा एसोसिएशन को मजबूत बनाने पर बल दिया। एसोशिएशन के पदाधिकारियों में से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, एवं सचिव द्वारा उपस्थित पदाधिकारी एवं सदस्यों को संबोधित किया गया। बैठक की अध्यक्षता उपाध्यक्ष रवि जायसवाल ने की।

बैठक में प्रमुख रूप से सचिव अभिषेक सिंह कोषाध्यक्ष नरसिंह नारायण पांडेय, मीडिया प्रभारी सत्येंद्र शर्मा, सह संगठन मंत्री मंसूर अहमद तथा उपसचिव विजय शंकर दुबे सदस्य आनंद सिंह, सनी शाह, बबलू, वरिष्ठ पत्रकार दीपक सिंह समेत अन्य सदस्यों ने प्रमुख रूप से शामिल हुए। इस दौरान सभी सदस्यों से एसोसिएशन के विस्तार को लेकर मार्गदर्शन लिया गया। बैठक में सचिव अभिषेक कुमार सिंह ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया और आगामी 1 जून को होने वाले पदाधिकारी और सदस्यों की बैठक की रूपरेखा तय की।

बलिया खाद्यान्न घोटाला: ईओडब्ल्यू वाराणसी ने पूर्व ब्लॉक प्रमुख मुन्ना सिंह को किया गिरफ्तार


* 61 लाख रुपये से अधिक के सरकारी धन के गबन का आरोप, 23 अभियुक्तों में शामिल था पूर्व ब्लॉक प्रमुख

लखनऊ। उत्तर प्रदेश शासन की प्राथमिकता में शामिल चर्चित बलिया खाद्यान्न घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) वाराणसी ने पूर्व ब्लॉक प्रमुख मुन्ना सिंह उर्फ सुग्रीव सिंह को गिरफ्तार किया है। पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार के निर्देश पर गठित विशेष टीम ने बलिया से इस वांछित आरोपी को दबोचा।

पूर्व ब्लॉक प्रमुख मुन्ना सिंह, ग्राम सरया, थाना पकड़ी, जनपद बलिया के निवासी हैं और वर्ष 2004-05 में पंदह ब्लॉक के प्रमुख पद पर कार्यरत थे। आरोप है कि उन्होंने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से वर्ष 2002 से 2005 के बीच ग्रामीण रोजगार योजना के तहत कराए जाने वाले कार्यों—जैसे मिट्टी कार्य, नाली निर्माण, खड़ंजा, पटरी मरम्मत, संपर्क मार्ग और पुलिया निर्माण—में भारी अनियमितताएं कीं।

जांच में सामने आया कि कार्य न तो मानक के अनुरूप हुए और न ही पूरे किए गए। आरोपियों ने लगभग 61 लाख रुपये से अधिक की सरकारी राशि का गबन किया और मजदूरों को खाद्यान्न का वितरण नहीं किया गया। मामले में फर्जी मस्टर रोल भी तैयार किए गए।

मूल रूप से थाना सिकन्दरपुर, जनपद बलिया में दर्ज मुकदमा संख्या 46ए/2006, धारा 409, 419, 420, 467, 468, 471, 218, 201, 120बी व 34 भारतीय दंड संहिता के तहत जांच चल रही थी। साक्ष्य संकलन के बाद कुल 23 अभियुक्तों की संलिप्तता पाई गई थी, जिनमें से मुन्ना सिंह एक लंबे समय से वांछित चल रहे थे।

ईओडब्ल्यू की यह कार्रवाई शासन द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

पर्यटन से जुड़ेगा थारू समुदाय: जयवीर सिंह

* ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड की अनोखी पहल

लखनऊ । अपने विशेष आकर्षण के लिए देश में प्रसिद्ध दुधवा नेशनल पार्क में पर्यटन बढ़ाने में जुटे उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म ईको डेवलेपमेंट बोर्ड ने अनोखी पहल की है। पार्क के आसपास बसी थारू जनजाति को पर्यटन से जोड़ा जा रहा है। इनके प्रसिद्ध खानपान, जीवनशैली और हस्तशिल्प को पर्यटकों तक पहुंचाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। ताकि स्थानीय लोगों की आय में भी वृद्धि हो। इसी क्रम में निदेशक पर्यटन प्रखर मिश्र के नेतृत्व में बोर्ड के अधिकारियों का दल पिछले दिनों थारू गांवों का दौरा किया था।

यह जानकारी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि दुधवा के जंगलों की गोद में बसे लखीमपुर खीरी जिले के नौ गांवों में फैली थारू जनजाति, जो सदियों से प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर जीवन व्यतीत करती आ रही है, अब अपनी संस्कृति और परंपराओं के जरिए अपनी पहचान को आर्थिक समृद्धि में बदलने को तैयार है। उत्तर प्रदेश इको-टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड ने इस जनजातीय समुदाय के पारंपरिक व्यंजनों, हस्तशिल्प और जीवनशैली को पर्यटन का हिस्सा बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। इसका उद्देश्य न केवल वन्यजीव पर्यटन का विस्तार करना है, बल्कि स्थानीय समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना भी है। जयवीर सिंह ने बताया कि ऐसे पर्यटक जो थारू गांवों तक नहीं पहुंच सकते, उनके लिए अब थारू समुदाय की खासियतें रिसॉर्ट्स और होटल तक पहुंचाने की रणनीति तैयार की गई है। थारू रसोई से निकलने वाले स्वादिष्ट व्यंजन जैसे चावल के आटे से बनने वाला ढिकरी, खड़िया, कपुआ आदि को ठहराव स्थल रिजार्ट पर ही उपलब्ध कराई जाएगी।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि यही नहीं, स्थानीय हस्तशिल्प जैसे मूंज, कास, जूट और सूत से बने थारू शिल्प भी अब थारू शिल्पग्राम और स्थानीय स्टालों के माध्यम से पर्यटकों के लिए उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इन उत्पादों को ठहराव स्थल भी उपलब्ध कराया जाएगा। ये उत्पाद केवल वस्तुएं नहीं हैं, बल्कि एक जीवित परंपरा की कहानी कहते हैं। ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड थारू समाज की लोकनृत्य और संगीत परंपराओं को भी सामने लाने का प्रयास कर रहा है। सखिया, देवली, धमार, झुमरा और होरी गीत जैसे लोक नृत्य और गीत अब सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए पर्यटकों तक पहुंचाए जाएंगे। यह न केवल यात्रियों के अनुभव को समृद्ध करेगा, बल्कि कलाकारों को मंच और सम्मान भी दिलाएगा। इको-पर्यटन बोर्ड थारू समाज को होमस्टे स्थापित करने और पहले से बने होमस्टे में सुविधाएं बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहा है। ये होमस्टे पर्यटकों को केवल रहने की जगह नहीं, बल्कि एक पारंपरिक जीवनशैली का अनुभव देते हैं, जहां मेहमान घर के सदस्य की तरह रहते हैं, स्थानीय व्यंजन खाते हैं और रीति-रिवाजों को समझते हैं।

जयवीर सिंह ने बताया कि दुधवा टाइगर रिजर्व, जो देश के प्रमुख जैव विविधता स्थलों में से एक है, केवल वन्य जीवों का घर नहीं है बल्कि यह थारू जनजाति की संस्कृति और ज्ञान का भी केंद्र है। इस जनजाति को स्थानीय वनस्पतियों, औषधीय पौधों और मौसमी बदलावों की गहरी समझ है, जिससे ये वन्य क्षेत्र के प्राकृतिक संरक्षक भी हैं। इस पहल की सराहना करते हुए कहा, जब इनकी संस्कृति को पर्यटन से जोड़ा जाएगा, तो इससे न केवल पर्यटकों को एक समग्र अनुभव मिलेगा, बल्कि जनजातीय समुदाय भी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा।” उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में छिपी संभावनाओं को धरातल पर उतारा जा रहा है।

फिरोजाबाद का सामौर बाबा धाम बना पर्यटन विकास का राज्य स्तरीय मॉडल

अब राज्य सरकार की योजना है अन्य स्थलों पर भी लागू हो यह सफल मॉडल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जनपद स्थित करहरा गांव का सामौर बाबा धाम राज्य में पर्यटन विकास का एक आदर्श उदाहरण बनकर उभरा है। यहां की स्वच्छता, संचालन, रख-रखाव, प्रबंधन और सांस्कृतिक आकर्षण ने इसे पूरे प्रदेश के लिए मॉडल डेस्टिनेशन बना दिया है। अब राज्य सरकार की योजना है कि इस विकास मॉडल को नाथ कॉरिडोर (बरेली), गोमती उद्गम स्थल (पीलीभीत) सहित प्रदेश के अन्य पर्यटन स्थलों पर भी लागू किया जाए।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि सामौर बाबा धाम के विकास कार्यों की गुणवत्ता उच्च कोटि की है और इसे अन्य स्थलों पर दोहराने की योजना तेजी से आगे बढ़ रही है। इसी कड़ी में विभागीय अधिकारियों को स्थल भ्रमण के निर्देश दिए गए हैं। बरेली और मुरादाबाद मंडल के उपनिदेशक ब्रजपाल सिंह ने हाल ही में इस स्थल का दौरा भी किया।

सामौर बाबा धाम की विशेषताएं:

शिव की दैवीय चमत्कारी मूर्तियों की उपस्थिति, जो स्वतः प्रकट होने की मान्यता रखती हैं।

मोहर छठ और होली मेला जैसी पारंपरिक धार्मिक गतिविधियां।

नवविवाहित दंपतियों द्वारा विवाह की मोहर विसर्जन की प्राचीन परंपरा।

गंगा जल का अविरल प्रवाह नहर के माध्यम से सरोवर में, जो इसे सदैव स्वच्छ बनाए रखता है।

म्यूजिकल फाउंटेन, नौकायन, गजीबो, सरोवर की सीढ़ियां, और सुव्यवस्थित पार्क व बच्चों के लिए खेल क्षेत्र।

* मुख्य प्रवेश द्वार, सत्संग हॉल, सुलभ शौचालय, दुकानों, स्टोन फ्लोरिंग, स्टोर बेंच, डस्टबिन, और अन्य आधारभूत सुविधाओं का निर्माण।

मंत्री जयवीर सिंह ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि उत्तर प्रदेश के अन्य धार्मिक और पर्यटन स्थलों को भी इसी तरह विकसित कर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके।”

ऊर्जा मंत्री का सख्त निर्देश: आंधी-तूफान से प्रभावित क्षेत्रों में युद्धस्तर पर विद्युत आपूर्ति बहाल करें

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने सभी डिस्कॉम के एमडी, डायरेक्टर टेक्निकल को निर्देशित किया है कि आंधी-तूफान, बारिश एवं पेड़ों के गिरने से जहाँ पर अभी भी विद्युत आपूर्ति दुरुस्त नहीं हुई वहाँ युद्धस्तर पर लगकर कार्य कराए और तत्काल विद्युत् व्यवस्था को सुधार कर आपूर्ति बहाल करें। कांटिजेंसी प्लान बनाकर विद्युत आपूर्ति के व्यवधानों को दूर करें। सभी डिस्कॉम के एमडी और डायरेक्टर टेक्निकल विद्युत् प्रभावित क्षेत्रों का तत्काल स्थलीय भ्रमण कर विद्युत् व्यवधानों को दूर कराए। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि चाहे जैसी भी परिस्थिति बने उपभोक्ताओं के हितों के दृष्टिगत विद्युत् व्यवधान अब स्वीकार्य नहीं होगा। विद्युत् व्यवधानों और शिकायतों को अतिशीघ्र दूर करने के लिए सभी डिस्कॉम, जोन और जिले स्तर पर 24 घंटे संचालित होने वाले कंट्रोल रूम स्थापित कराए जाए।

ऊर्जा मंत्री एके शर्मा शनिवार को देर रात शक्ति भवन में विद्युत् आपूर्ति एवं व्यवधानों को लेकर कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की 'उपभोक्ता देवो भवः' की मंशा के विपरीत कार्य करने वाले विद्युत् कार्मिकों की मनमानी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रदेश सरकार विगत तीन वर्षों से उपभोक्ताओं के हितों को सर्वोपरि रखते हुए लगातार विद्युत् व्यवस्था को सुदृढ़ करने का कार्य किया अब प्रदेश में अनवरत विद्युत् आपूर्ति के लिए उत्पन्न किए जा रहे व्यवधानों में किसी भी कहानी को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि अभी भी शिकायतें आ रही हैं कि झांसी, जालौन, आगरा, मथुरा, अलीगढ़, महोबा, मऊरानीपुर, कौशाम्बी, सीतापुर, हरदोई, खीरी, मेरठ, नोएडा, गौतमबुद्धनगर, कुशीनगर जिले के कुछ क्षेत्रों में अभी तक विद्युत आपूर्ति बहाल नहीं हुई है। बुंदेलखंड के ग्रामीण क्षेत्रों तथा अन्य जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में भी विद्युत् कटौती और बार बार ट्रिपिंग होने की शिकायतें आ रही हैं। विद्युत कार्यों के प्रति कार्मिकों की यह घोर लापरवाही को दर्शाता है और उपभोक्ताओं को अकारण परेशान किया जा रहा है। उन्होंने झांसी के चीफ इंजीनियर को कार्यों के प्रति उदासीनता एवं घोर लापरवाही पर तत्काल हटाने के निर्देश दिए तथा ऐसे कार्मिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए जो सरकार की मंशा के अनुरूप उपभोक्ताओं को विद्युत आपूर्ति नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी फीडर में एक से अधिक बार शटडाउन न लिया जाए, फीडर से संबंधित जो भी कार्य कराना हो, एक ही बार में करा लिया जाए, बार-बार शटडाउन लेकर उपभोक्ताओं को परेशान न किया जाए। उन्होंने कहा कि सीजी सिटी, लखनऊ विद्युत उपकेंद्र के निरीक्षण में एक ही दिन में 10 से अधिक बार शटडाउन लिया गया मिला, इसकी जांच कराई जाय। एक शटडाउन टेंपरेरी कनेक्शन का पीडी करने के लिए दिया गया। उन्होंने निर्देश दिए की सभी क्षेत्रों को निर्धारित शेड्यूल के अनुरूप विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। जिन फ़ीडरों में लोड अधिक है उनका लोड परिवर्तित कर सुचारु विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करें। बार-बार ट्रिपिंग एवं शटडाउन, लो वोल्टेज और अनावश्यक विद्युत कटौती अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

लखनऊ: ट्रेजरी विभाग की महिला कर्मचारी घूस लेते रंगे हाथ पकड़ी गई

लखनऊ। लखनऊ के जिलाधिकारी कार्यालय में तैनात एक महिला कर्मचारी को एंटी करप्शन टीम ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। आरोपी महिला की तैनाती ट्रेजरी विभाग में थी और वह पेंशन वेरिफिकेशन के एवज में रिश्वत की मांग कर रही थी।

सूत्रों के अनुसार, महिला कर्मचारी ने पेंशन सत्यापन प्रक्रिया को पूरा कराने के लिए एक लाभार्थी से अवैध रूप से धन की मांग की थी। शिकायत मिलने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने जाल बिछाकर उसे रंगे हाथ पकड़ने की योजना बनाई। योजना के तहत तय राशि जैसे ही कर्मचारी ने ली, टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तारी के बाद महिला कर्मचारी से पूछताछ की जा रही है और प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि यह पहली बार नहीं है जब उसने इस प्रकार की अवैध मांग की हो। मामले में आगे की जांच जारी है, और अन्य संभावित संलिप्त व्यक्तियों की भी पड़ताल की जा रही है।

जिलाधिकारी कार्यालय ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई का आश्वासन दिया है। विभागीय स्तर पर भी महिला कर्मचारी के निलंबन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए आवेदन शुरू,12 जून तक करें रजिस्ट्रेशन, 107 पदों पर होगी नियुक्ति

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (UPESSC) ने अशासकीय अनुदानित महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर बीएड पदों पर भर्ती के लिए दोबारा विज्ञापन जारी कर दिया है। कुल 107 पदों पर भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिसकी अंतिम तिथि 12 जून निर्धारित की गई है।

पूर्व में यह विज्ञापन अगस्त 2022 में 1017 पदों के लिए जारी किया गया था, जिसमें से बीएड विषय के 107 पदों पर भी आवेदन मांगे गए थे। हालांकि, एनसीईटी (NCTE) के मानकों के अनुरूप योग्यताएं न होने के कारण यह मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय पहुंचा। न्यायालय के निर्देशानुसार अब इन पदों के लिए संशोधित मानकों के अनुसार दोबारा विज्ञापन प्रकाशित किया गया है।

महत्वपूर्ण तिथियां:

ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि: 12 जून 2025

आवेदन शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि: 13 जून 2025

ऑनलाइन आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि: 14 जून 2025, शाम 5:00 बजे तक

अभ्यर्थी आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। यह भर्ती प्रक्रिया बीएड विषय में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की जा रही है।

इच्छुक उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन करें और समयसीमा के भीतर अपना आवेदन पूरा करें।

उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड परीक्षा परिणाम 2025 घोषित: मुंशी/मौलवी में मोहम्मद आकिब व आलिम में फुरकान अली टॉपर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पंचायती राज, अल्पसंख्यक, मुस्लिम वक्फ एवं हज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने शुक्रवार दोपहर 12:30 बजे विधानभवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में बटन दबाकर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित मुंशी/मौलवी (सेकेंडरी) तथा आलिम (सीनियर सेकेंडरी) परीक्षा-2025 के परिणाम घोषित किए। परीक्षाफल विभागीय वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है, जिसे परीक्षार्थी दोपहर 12:30 बजे के बाद देख सकते हैं।

इस अवसर पर मंत्री श्री राजभर ने सफल परीक्षार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षणिक उत्थान के लिए विभाग निरंतर कार्य कर रहा है, क्योंकि शिक्षा समाज के समग्र विकास की आधारशिला है।

मंत्री ने जानकारी दी कि इस वर्ष परीक्षा में कुल 88,082 परीक्षार्थी पंजीकृत हुए, जिनमें से 68,423 छात्र-छात्राएं परीक्षा में सम्मिलित हुए। इसमें 33,869 छात्र और 34,554 छात्राएं शामिल थीं।

घोषित परीक्षा परिणामों के अनुसार:

मुंशी/मौलवी (सेकेंडरी) परीक्षा में कुल 42,439 परीक्षार्थी सफल रहे, जो कुल उत्तीर्णता प्रतिशत 87.66% है।

आलिम (सीनियर सेकेंडरी) परीक्षा में 17,544 परीक्षार्थियों ने सफलता प्राप्त की, जिसका उत्तीर्णता प्रतिशत 94.62% रहा।

टॉपर्स की सूची इस प्रकार है:

मुंशी/मौलवी (सेकेंडरी):

प्रथम स्थान: मोहम्मद आकिब (जनपद अमेठी) – 536/600 अंक (89.33%)

द्वितीय स्थान: फरहान राजा (जनपद कुशीनगर) – 530 अंक (88.33%)

तृतीय स्थान (संयुक्त): साजिया शमीम, शहनाज जहां, शमशियारा खातून – 529 अंक (88.17%)

आलिम (सीनियर सेकेंडरी):

प्रथम स्थान: फुरकान अली (जनपद मुरादाबाद) – 475/500 अंक (95%)

द्वितीय स्थान: सदरूननिसा – 474 अंक (94.8%)

तृतीय स्थान: नमन खान – 469 अंक (93.8%)

घोषणा के समय अल्पसंख्यक राज्य मंत्री दानिश अंसारी, प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण श्रीमती संयुक्ता समद्दर, निदेशक अंकित अग्रवाल, रजिस्ट्रार मदरसा शिक्षा परिषद आर.पी. सिंह, संयुक्त निदेशक एस.एन. पांडेय समेत अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

उप्र रेरा ने रियल एस्टेट विज्ञापनों में पारदर्शिता और मानकीकरण के लिए जारी किए नए दिशा-निर्देश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (उ.प्र. रेरा) ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा, परियोजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और रियल एस्टेट सेक्टर में मानकीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों को रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 की धारा 25 के तहत जारी किया गया है।

उ.प्र. रेरा के अध्यक्ष संजय आर. भूसरेड्डी ने जानकारी देते हुए बताया कि किसी भी परियोजना का प्रचार-प्रसार सत्य, प्रमाणिक एवं सटीक होना चाहिए ताकि उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले विज्ञापनों से बचाया जा सके। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अब कोई भी संप्रवर्तक अपनी परियोजना को रेरा में पंजीकरण कराए बिना विज्ञापित, विपणन, बुकिंग या बिक्री नहीं कर सकता है।

श्री भूसरेड्डी ने यह भी स्पष्ट किया कि इन नियमों का उद्देश्य सिर्फ पारदर्शिता बढ़ाना ही नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं में विश्वास को मजबूत करना और रियल एस्टेट सेक्टर को व्यवस्थित रूप देना है।