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अवैध प्लाटिंग पर लगाम : निर्माण की देनी होगी पूरी जानकारी, बाउंड्रीवाल के साथ बोर्ड लगाना अनिवार्य

रायपुर- अवैध प्लॉटिंग को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय सरकार नए और सख्त नियम बनाने जा रही है. प्रस्ताव के अनुसार, अब बिल्डर या कॉलोनाइजर प्लाटिंग की अनुमति के लिए पहले से ही बताना होगा कि किस हिस्से में कौन सा निर्माण होगा. यही नहीं बाउंड्रीवॉल बनाकर बाकायदा इसकी जानकारी के लिए बोर्ड भी लगाना होगा. इसके साथ हर प्लाटिंग एरिया में पहले से सड़क की लंबाई-चौड़ाई भी तय की जाएगी, जिससे प्लाटिंग के बाद रोड – रास्ते की जमीन नहीं बेचा जा सके.

दरअसल, राज्य सरकार को मिलने वाली ज्यादातर शिकायतों में लोगों का दावा रहता है कि बिल्डर या कॉलोनाइजर ने उन्हें रोड – रास्ते की जमीन बेच दी है, या फिर प्लॉटिंग करने वाले जहां क्लब, गार्डन या सामुदायिक भवन बनाने का वादा किया था उस जमीन को भी दूसरे लोगों को बेच दिया. इस वजह से जमीन फर्जीवाड़े की मी शिकायतें भी बढ़ने लगी थी. यही वजह है कि आवास एवं पर्यावरण विभाग के में अफसरों ने लगातार छह महीने तक इन नियमों को लेकर काम किया. इसके बाद ती ही नए नियम और आवेदन का प्रारूप तैयार किया गया. जल्द कैबिनेट में रखेंगे.

इस बदलाव से कॉलोनाइजर को लाभ

नया प्रारूप लागू होने पर कॉलोनाइजर को सीधा फायदा होगा. वैसे इसमें प्रावधान रहेगा कि टाउन एंड प्लानिंग विभाग से नक्शा पास कराने के लिए कोई बिल्डर या कॉलोनाइजर गलत जानकारी देता है तो उस पर एफआईआर भी कराई जा सकती है. बिल्डर को नक्शे में बताना होगा कि उसने किस काम के लिए कौन सी जमीन कहां छोड़ी है. इसके फोटो भी जमा करने होंगे. आवेदन आने के बाद विभाग के अफसर इसका भौतिक सत्यापन भी करेंगे. किसी भी तरह की गड़बड़ी मिली तो कॉलोनाइजर का नक्शा पास नहीं किया जाएगा. नक्शा पास कराने के बाद तय निर्माण में गड़बड़ी की जाती है और इसकी शिकायत रेरा में की जाती है. रेरा ऐसे बिल्डरों के प्रोजेक्ट की खरीदी-बिक्री में बैन लगा सकते हैं.

अब तक यह होता था

प्लाटिंग करने वाले प्लॉट की कटिंग कर बेच रहे हैं. प्लाटिंग एरिया में गार्डन, क्लब, स्वीमिंग पूल समेत कई निर्माण बताते हैं, पर बाद में उसी जमीन पर दूसरे काम करवा लेते हैं. या इस खाली जमीन को भी लोगों को बेच देते हैं. सड़क की चौड़ाई कम कर रोड- रास्ते की जगह भी लोगों को बेच देते हैं. इससे अक्सर विवाद की स्थिति बनती है. निगम वाले कार्रवाई भी कर देते, जिससे प्लॉट लेने वाला सबसे ज्यादा परेशान होता है. अधिकतर बार एक एकड़ से भी कम जमीन पर प्लॉटिंग कर दी जाती है, जिससे उपभोक्ताओं को परेशानी होती थी.


अब ये होगा

करीब ढाई दशक के बाद आवास एवं पर्यावरण विभाग ने नियमों में संशोधन किया है. अब कोई भी व्यक्ति, बिल्डर या कॉलोनाइजर प्लाटिंग करेगा तो उसे सभी निर्माण के लिए बाउंड्रीवॉल के साथ जमीन छोड़नी होगी. प्लाटिंग कितने एरिया में होगी यह भी तय रहेगा. सड़क की लंबाई-चौड़ाई भी पहले से तय रहेगी. इससे लोगों को पता चलेगा कि वे जहां प्लॉट खरीद रहे हैं वहां किस तरह के निर्माण किस दिशा में होंगे. इसके अलावा प्लॉटिंग एरिया में कृषि जमीन शामिल होगी तो उसे भी कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार शुल्क लेकर आवासीय कर दिया जाएगा.

इन नियमों से भी होगा लोगों को फायदा

– प्लॉटिंग का एरिया 2 से 10 एकड़ तक का रहेगा. भूखंडीय विकास के लिए न्यूनतम क्षेत्रफल 3.25 एकड़ रहेगा.

– कम्यूनिटी हॉल, क्लब आदि के लिए प्लॉटिंग एरिया का 2 फीसदी और व्यावसायिक क्षेत्र में 3% छोड़ना होगा.

– जहां प्लाटिंग हो रही वहां पहुंच मार्ग की चौड़ाई न्यूनतम 9 मीटर और आंतरिक मार्ग की लंबाई न्यूनतम 8 मीटर होगी.

– प्लाटिंग एरिया में कृषि जमीन शामिल है तो कलेक्टर गाइडलाइन से उसका शुल्क अदा कर आवासीय कराना होगा.

– सामुदायिक कामों के लिए जगह पर न्यूनतम 5% छोड़ना होगा. सामुदायिक खुली जगह 250 वर्गमी से कम नहीं होगी.

– प्लाटिंग एरिया में प्लॉट की साइज अधिकतम 150 वर्गमीटर तक ही होगी. नियमों के तहत एफएआर भी दिया जाएगा.

अवैध प्लॉटिंग और धोखाधड़ी पर कसेंगे लगाम

आवास एवं पर्यावरण विभाग मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि लोगों को किफायती आवास उपलब्ध कराने और अवैध प्लॉटिंग को पूरी तरह से खत्म करने के लिए ही नए आवास नियम बनाए गए हैं. इससे लोगों को सीधे तौर पर बड़े फायदे होंगे. प्लॉट खरीदना आसान होगा. धोखाधड़ी खत्म होगी.

छुरा नगर पंचायत में टेंडर गेम, खुदाई हो चुके स्थानों में बोर के लिए फिर से हुआ टेंडर, उठ रही जांच की मांग…

गरियाबंद- छुरा नगर पंचायत में शासन की पारदर्शी कार्यप्रणाली और क्रय नियमों की अनदेखी करते हुए एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक व्यवस्था की सुचिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पंचायत ने 17 अप्रैल को छह नलकूपों के खनन हेतु आठ लाख रुपए की लागत की निविदा जारी की, जिसकी अंतिम तिथि 8 मई रखी गई है. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जिन कार्यों के लिए टेंडर निकाला गया, वे पहले ही पूरे हो चुके हैं.

बता दें कि वार्ड क्रमांक 1, 4, 10 और 12 में स्थित स्थलों पर लगभग एक माह पहले ही नलकूप खुदवाए जा चुके हैं. इससे यह स्पष्ट होता है कि निविदा प्रक्रिया केवल कागजी खानापूर्ति बनकर रह गई है.

लेकिन राज्य शासन के क्रय नियम यह स्पष्ट करते हैं कि कोई भी कार्य, चाहे वह कितनी भी छोटी राशि का हो, निर्धारित प्रक्रिया और सार्वजनिक निविदा के माध्यम से ही किया जाना चाहिए. केवल आपातकालीन स्थितियों में ही सीधी क्रय प्रक्रिया को अनुमति दी जाती है, वह भी समुचित दस्तावेजी औचित्य और स्वीकृति के साथ.

इस मामले में न तो कार्य के पहले कोई वैध निविदा निकाली गई, न ही कोई आपात प्रस्ताव पारित किया गया. इसके बावजूद ठेकेदार द्वारा कार्य पूर्ण करवा लिया गया, जिससे यह संदेह गहरा हो गया है कि किसी खास एजेंसी को लाभ पहुंचाने के लिए यह सब सुनियोजित ढंग से किया गया.

इस मुद्दे पर जब नगर पंचायत के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) लालसिंह मरकाम से सवाल किया गया तो उन्होंने नगर में पानी की किल्लत का हवाला देते हुए इसे “अत्यावश्यक कार्य” बताया. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अगर कार्य वाकई आपातकालीन था, तो उसे तत्काल पीआईएसी प्रस्ताव के माध्यम से स्वीकृत कर भुगतान किया जा सकता था.

वहीं नगरवासियों ने इस पूरी प्रक्रिया को “टेंडर गेम” करार देते हुए सवाल उठाए हैं कि बिना टेंडर के एजेंसी का चयन आखिर कैसे हुआ. उन्होंने संदेह जताया कि यह किसी करीबी ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाने की साजिश हो सकती है. नगरवासियों ने जिलाधिकारी से मामले की गहन जांच कराने और दोषी अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही की मांग की है.

मुख्यमंत्री ने पहलगाम आतंकी हमले में दिवंगत दिनेश मिरानिया के पार्थिव शरीर को दिया कंधा, अंतिम संस्कार में शामिल होकर दी श्रद्धांजलि

रायपुर-  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में दिवंगत प्रदेश के कारोबारी दिनेश मिरानिया के अंतिम संस्कार में शामिल होकर पार्थिव शरीर को कंधा दिया। उन्होंने स्वर्गीय दिनेश मिरानिया के पार्थिव देह पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की और ईश्वर से मृतात्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। श्री साय ने शोकाकुल परिवारजनों से मुलाकात कर गहरी संवेदना व्यक्त की और ढांढस बंधाया। उन्होंने कहा कि सरकार इस दुख की घड़ी में परिवार के साथ खड़ी है और उन्हें हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया। श्री साय ने कहा कि स्वर्गीय श्री मिरानिया के पावन स्मृतियों को सहेजने और चिर स्थायी बनाने लिए सरकार किसी सड़क या चौक को उनके नाम पर करने की बात कही।

श्री साय ने कहा कि आतंकवादियों की इस कायराना हरकत ने देश की आत्मा पर चोट किया है। पूरे प्रदेश के लिए भी यह दुख और पीड़ा का क्षण है। घिनौनी आतंकवादी घटना में प्रदेश ने अपना एक बेटा खो दिया है। उन्होंने कहा कि धारा 370 हटने से जम्मू कश्मीर में शांति स्थापित हुई, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिला और घाटी के विकास को गति मिली थी। आतंकवादियों ने पर्यटकों के जरिए कश्मीर और देश को अस्थिर करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि पूरा देश एकजुटता के साथ इस अमानवीय कृत्य का बदला लेगा। श्री साय ने कहा कि पाकिस्तान के शह पर हुई इस हमले का अंजाम उसे भुगताना पड़ेगा।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओ पी चौधरी, केंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू, विधायक किरण देव, विधायक राजेश मूणत और नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव समेत बड़ी संख्या में आम नागरिक मौजूद रहे।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, करदाता ने गलती स्वीकार की तो नहीं लगेगा जुर्माना

बिलासपुर-  हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. उन्होंने साफ कहा है कि यदि कोई करदाता स्वेच्छा से अपनी त्रुटि को उजागर करता है और उसका कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं होता तो उस पर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 271 (1) (सी) के तहत जुर्माना नहीं लगाया जा सकता. यह धारा आमतौर पर आय छिपाने या गलत जानकारी देने पर लागू होती है.

मामला छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड से जुड़ा है, जो एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी है. कंपनी के कर विवरण की जांच आयकर अधिनियम की धारा 143(2) के तहत की जा रही थी. इस प्रक्रिया में कंपनी ने स्वेच्छा से यह जानकारी दी कि उसके द्वारा बहीखाता लाभ (बुक प्रोफिट) में गणना के दौरान ₹35,74,90,033 रुपये के स्थान पर ₹26,89,97,367 रुपए की जानकारी दर्ज की गई थी. यह अंतर अनजाने में डेटा फीडिंग की त्रुटि के कारण हुआ था. कर निर्धारण अधिकारी (एओ) ने इसे आय का गलत विवरण मानते हुए आयकर अधिनियम की धारा 271 (1) (सी) के तहत कंपनी पर जुर्माना लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी ने जानबूझकर कर से बचने का प्रयास किया है. कर निर्धारण अधिकारी के इस आदेश को चुनौती देते हुए कंपनी ने सीआइटी के समक्ष अपील पेश की. मामले की सुनवाई के बाद अपीलीय अधिकारी ने इसे मानवीय त्रुटि मानते हुए कर निर्धारण अधिकारी द्वारा लगाए गए जुर्माना को खारिज कर दिया.

अपीलीय अधिकारी के आदेश को राजस्व विभाग ने चुनौती देते हुए आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण ITAT के समक्ष अपील पेश की. अपील की सुनवाई के बाद अपीलीय न्यायाधिकरण ने अपीलीय अधिकारी के आदेश को रद्द करते हुए बिजली कंपनी को आयकर अधिकारी द्वारा लगाए गए जुर्माने को पटाने का आदेश दिया. ITAT के आदेश को चुनौती देते हुए बिजली कंपनी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की. मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि जब करदाता स्वयं अपनी गलती स्वीकार करता है और उसमें कोई धोखाधड़ी या छिपाने का इरादा नहीं पाया जाता है तब ऐसी स्थिति में उस पर दंडात्मक कार्रवाई उचित नहीं है. इस महत्वपूर्ण टिप्पणी के साथ कोर्ट ने ITAT के आदेश को खारिज कर दिया है.

तेंदूपत्ता बोनस घोटाला: निलंबित DFO अशोक पटेल 3 दिन की रिमांड पर, करोड़ों की हेराफेरी में ACB-EOW ने किया है गिरफ्तार

रायपुर- तेंदूपत्ता बोनस घोटाले मामले में ACB-EOW की संयुक्त कार्रवाई जारी है. इस मामले में गिरफ्तार किए गए निलंबित डीएफओ अशोक पटेल को आज विशेष कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने अशोक पटेल को 26 अप्रैल तक तीन दिन की रिमांड पर सौंप दिया है.

एसीबी/ईओडब्ल्यू (ACB-EOW) की टीम ने निलंबित IFS अशोक पटेल को 17 अप्रैल को गिरफ्तार किया था. अब पूछताछ के लिए EOW ने कोर्ट से 30 अप्रैल तक की रिमांड की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने फिलहाल 26 अप्रैल तक की रिमांड मंजूर की है.

क्या है तेंदूपत्ता बोनस घोटाला?

आरोप है कि वर्ष 2021-22 में वन विभाग द्वारा तेंदूपत्ता बोनस वितरण के दौरान लगभग 7 करोड़ रुपये की आर्थिक अनियमितता हुई. यह राशि तेंदूपत्ता संग्राहकों को अप्रैल-मई 2022 में वितरित की जानी थी, लेकिन राशि के आहरण के बावजूद आदिवासी संग्राहकों को भुगतान नहीं किया गया. जब इस मामले की जानकारी पूर्व विधायक मनीष कुंजाम को हुई, तो उन्होंने जनवरी 2025 में कलेक्टर सुकमा और सीसीएफ को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग की.

शिकायत के बाद कलेक्टर और वन विभाग ने अलग-अलग जांच समितियां गठित की. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तेंदूपत्ता संग्राहकों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें तत्कालीन डीएफओ सुकमा अशोक पटेल की भूमिका सामने आई. प्रारंभिक जांच में दोषी पाए जाने पर उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया गया. इसके बाद से एसीबी और ईडब्ल्यू की संयुक्त टीम सुकमा और कोंटा क्षेत्र में तेंदूपत्ता प्रबंधकों पर निगरानी बनाए हुए है.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा – पाकिस्तान को सबक सिखाकर रहेगा भारत, दुस्साहस का खामियाजा भुगतना पड़ेगा…

रायपुर-  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मुंबई का कार्यक्रम रद्द कर रायपुर लौट आए हैं. एयरपोर्ट पर सीएम साय ने पहलगाम में आतंकी हमले को लेकर कहा, पाकिस्तान ने जो दुस्साहस किया है, उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा. कल CCS की बैठक में जो फैसला किया गया है, वो उनके मुंह पर तमाचा है. पाकिस्तान को हमारा देश सबक सिखाकर रहेगा.

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मुंबई दौरे को लेकर कहा, 2 दिन का मुंबई प्रवास था पर जम्मू कश्मीर पहलगाम में हुए आतंकी हमले में छत्तीसगढ़ के कारोबारी दिनेश दिवंगत हो गए. आज उनकी अंतिम यात्रा है इसलिए दौरा छोड़कर आ गए. उनके अंतिम संस्कार कार्यक्रम में शामिल होंगे. उद्योग मंत्री मुंबई में मौजूद है. वे कर्यक्रम खत्म करके लौटेंगे.

सीसीएस की बैठक में पाकिस्तान को लेकर लिए गए 5 बड़े फैसलों को लेकर सीएम ने कहा, पिछले समय में भी पाकिस्तान द्वारा अटैक का करार जवाब दिया गया था, फिर भी पाकिस्तान बाज नहीं आया. जो दुःसाहस किया है, उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा.

चेम्बर पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण समारोह में एक ‘विज्ञापन’ बन गया विवाद का विषय, जानिए क्या है वजह?

रायपुर- छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कामर्स के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान जारी किए गए विज्ञापन पर मतभेद उभर कर सामने आ गया है. इस विज्ञापन में सिंधी समाज के संतों की तस्वीर सबसे ऊपर लगाई गई है. अग्रवाल समाज से जुड़े लोगों ने इस बात पर आपत्ति दर्ज की है. अग्रवाल समाज से जुड़े लोगों ने यह सवाल उठाया है कि क्या अग्रवाल समाज, जैन समाज, आदिवासी समाज और सतनामी समाज के संतों के आशीर्वाद की जरूरत चेम्बर को नहीं है? गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कामर्स की नई कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण समारोह 20 अप्रैल को शहीद स्मारक भवन में आयोजित किया गया था, जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बतौर मुख्यमंत्री शामिल हुए थे.

बता दें कि हाल ही में छत्तीसगढ़ चेम्बर आफ कामर्स की नई कार्यकारिणी का निर्वाचन हुआ है. चुनाव पूर्व कई तरह के समीकरण बनते नजर आए. भारी रस्साकसी के बीच सतीश थौरानी को निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिया गया. वहीं अजय भसीन महामंत्री और निकेश बरड़िया कोषाध्यक्ष चुने गए. पहली बार ऐसा हुआ कि महत्वपूर्ण पदों पर अग्रवाल समाज को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला. समाज के भीतर इस बात को लेकर नाराजगी भी उभर कर सामने आई थी.

सोशल मीडिया पर आखिर क्या सवाल उठाया गया है?

शपथ ग्रहण समारोह के दौरान जारी विज्ञापन में सिंधी समाज के संतों को स्थान देने और अग्रवाल समाज तथा जैन समाज के संतों को दरकिनार करने पर सवाल उठाया गया है. इस सवाल में पूछा गया है कि समाचार पत्रों में छपे इस विज्ञापन को किसके द्वारा छपाया गया है? सिंधी समाज के संतों की तस्वीर लगाई गई यह प्रशंसनीय है, लेकिन अग्रवाल समाज के संतों के आशीर्वाद की क्या चेम्बर को जरूरत नहीं? जैन समाज के संतों का आशीर्वाद क्या चेम्बर को नहीं चाहिए? आदिवासी समाज के संतों की क्या चेम्बर को जरूरत नहीं? सतनामी समाज के संतों का आशीर्वाद क्या चेम्बर को नहीं चाहिए? सोशल मीडिया पर उठाए गए इन सवालों के साथ-साथ यह भी लिखा गया है कि इन तमाम सवालों पर जवाब का इंतजार रहेगा.

इस विज्ञापन पर उठ रहे सवाल

जानिए लोगों ने क्या कहा?

सोशल मीडिया पर उपजे इन विवादों के बीच अग्रवाल महासभा की अगुवाई करने वाले विजय अग्रवाल ने कहा कि हालांकि यह व्यक्तिगत विज्ञापन है. चेम्बर का इस विज्ञापन से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन फिर भी जिन लोगों ने इस तरह का विज्ञापन दिया है, उन्हें दोबारा ऐसा नहीं करना चाहिए. चेम्बर सर्वधर्म समभाव के सिद्धांत पर चलता है, लिहाजा दोबारा इस तरह की प्रवृत्ति न हो, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए. चेम्बर के महामंत्री ने भी सोशल मीडिया पर उपजे इस विवाद पर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि यह गलत बात है. चेम्बर की तरफ से विज्ञापन नहीं दिया गया है. कोई भी शुभचिंतक अपने हिसाब से विज्ञापन देते हैं. किसी धर्म या पंथ से जुड़े लोग या किसी एसोसिएशन से जुड़े लोग अपने अनुसार विज्ञापन देते हैं. कोई भी किसी के लिए अपनी ओर से शुभकामनाएं प्रेषित कर सकता है. चेम्बर की तरफ से यदि विज्ञापन दिया गया होता तो यह मुद्दा उठाया जा सकता था.

आतंकी हमले में मारे गए कारोबारी दिनेश मिरानिया का शव पहुंचा रायपुर, श्रद्धांजलि देने उमड़ी भीड़

रायपुर-  जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में मारे गए रायपुर के समता कॉलोनी निवासी कारोबारी दिनेश मिरानिया का पार्थिव शरीर आज देर शाम रायपुर पहुंचा. एयरपोर्ट पर कारोबारी दिनेश को श्रद्धांजलि देने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी है, जिसमें उनके परिजन, रिश्तेदार, नेता और शहर के कई गणमान्य लोग शामिल हैं।

कारोबारी दिनेश मिरानिया का पार्थिव शरीर

दिनेश मिरानिया की पत्नी नेहा मिरानिया, पुत्र शौर्य और पुत्री लक्षिता भी एयरपोर्ट पर मौजूद हैं. वहीं परिवार के साथ उप मुख्यमंत्री अरुण साव, मंत्री ओपी चौधरी, महापौर मीनल चौबे, विधायक राजेश मूणत, मोतीलाल साहू, पुरंदर मिश्रा, संजय श्रीवास्तव, डॉ. वर्णिका शर्मा समेत कई जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता भी एयरपोर्ट पर पहुंचे हुए हैं.

दिनेश मिरानिया के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देते डिप्टी सीएम अरुण साव, मंत्री ओपी चौधरी, महापौर मीनल चौबे

बता दें कि समता कॉलोनी रायपुर के स्टील कारोबारी दिनेश मिरानिया (45 वर्ष) को आतंकियों ने कश्मीर बैसरन घाटी में उसी दिन गोली मारी, जिस दिन उनकी शादी की सालगिरह थी. दिनेश पत्नी नेहा, बेटा शौर्य और बेटी लक्षिता के साथ शादी की सालगिरह सेलीब्रेट कर रहे थे, तभी आतंकियों ने दिनेश को गोलियों से भून डाला.

कार में दिनेश की पत्नी नेहा मिरानिया, बेटा शौर्य मिरानिया और बेटी लक्षिता मिरानिया मौजूद

घटना के बाद पहलगाम में दिनेश मिरानिया की पत्नी और बच्चों से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज मुलाकात की. शाह ने कहा कि हमले में अपनों को खोने का दर्द हर भारतीय को है. बेगुनाह मासूम लोगों को मारने वाले आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा. वहीं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मृतक दिनेश की पत्नी नेहा से फोन पर बात कर ढांढस बंधाया. सीएम ने कहा, दुख की इस घड़ी में हम पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं. अधिकारियों को हर संभव सहयोग करने के निर्देश दिए गए हैं.

गुरुवार सुबह निकलेगी अंतिम यात्रा

कारोबारी दिनेश मिरानिया का पार्थिव शरीर नई दिल्ली से विमान द्वारा बुधवार रात 9 बजे रायपुर पहुंचने की संभावना है. उनकी अंतिम यात्रा गुरुवार सुबह 9 बजे समता कॉलोनी स्थित निवास से मारवाड़ी श्मशान घाट के लिए निकाली जाएगी.

महिला कोटवार ने सरकार से मांगी स्कूटी, सुशासन तिहार में आवेदन देकर बताई समस्या

तखतपुर- बिलासपुर जिले के तखतपुर से एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां ग्राम की महिला कोटवार ने सुशासन तिहार में आवेदन देकर सरकार से स्कूटी की मांग की है. यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है.

दरअसल, सुशासन तिहार शिविर के दौरान ग्राम पंचायत केकती की महिला कोटवार रुही बाई ने एक आवेदन के माध्यम से बताया कि गांव में मुनादी करने के लिए उन्हें रोज लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. गांव बड़ा होने के कारण पैदल मुनादी में काफी समय और मेहनत लगती है. ऐसे में यदि उन्हें स्कूटी उपलब्ध कराई जाती है तो काम भी आसानी से हो सकेगा और समय की भी बचत होगी.

महिला कोटवार की यह मांग ना सिर्फ प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बना है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी लोग इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं. कई लोगों ने इसे एक व्यावहारिक और सशक्त पहल बताया है. फिलहाल प्रशासन की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सुशासन तिहार शिविर में इस तरह के आवेदन का सामने आना निश्चित ही यह दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर कार्यरत कर्मियों को किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

उच्च अधिकारियों को भेज दिया है आवेदन : तहसीलदार

इस मामले में तहसीलदार पंकज सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर सुशासन तिहार मनाया जा रहा, जिसमें ग्रामीण अपनी समस्या को लेकर आवेदन किए हैं. एक आवेदन में ग्राम पंचायत केकती के महिला कोटवार ने स्कूटी की मांग की है. उनके आवेदन को आगे की कार्यवाही के लिए उच्च अधिकारियों को भेज दिया गया है.

छत्तीसगढ़ बना निवेश का हॉटस्पॉट : सीएम साय से मुंबई में प्रमुख उद्योगपतियों ने की मुलाकात, वस्त्र, पर्यटन और स्वास्थ्य क्षेत्रों में दिखाई रुचि

मुंबई- छत्तीसगढ़ तेजी से देश के निवेश मानचित्र पर एक हॉटस्पॉट के रूप में उभर रहा है. मुंबई में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से देश-विदेश के उद्योग जगत के दिग्गजों ने मुलाकात की और राज्य में वस्त्र, पर्यटन, स्वास्थ्य और इस्पात जैसे क्षेत्रों में निवेश की गहरी रुचि दिखाई. इस उच्चस्तरीय बैठक में साइज़ अप, आईएनबीडी टेक्स, स्विफ्ट मर्चेंडाइज, शाल्बी हॉस्पिटल, ललन ग्रुप, अरैया ग्रुप, प्राइड होटल्स और ग्रीनटेक सोल्युशंस के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

मुख्यमंत्री साय ने निवेशकों को राज्य की नई औद्योगिक नीति 2024–30 की जानकारी दी, जिसमें सरल प्रक्रियाएं, पारदर्शिता और निवेश के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने पर विशेष जोर दिया गया है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार हर निवेशक को हर स्तर पर सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है.


वस्त्र उद्योग में दिखी गहरी दिलचस्पी


आईएनबीडी टेक्स के निदेशक अजीत कुमार डालमिया ने नवा रायपुर में परिधान निर्माण इकाइयां लगाने की योजना साझा करते हुए 3 से 5 एकड़ भूमि की मांग की. स्विफ्ट मर्चेंडाइज और श्रीलंका के ललन ग्रुप ने भी छत्तीसगढ़ में वस्त्र निर्माण को लेकर सकारात्मक संकेत दिए. वहीं ऑनलाइन फैशन ब्रांड साइज़ अप ने राज्य में प्लस-साइज़ परिधान निर्माण यूनिट स्थापित करने की इच्छा जताई.


स्वास्थ्य क्षेत्र में नवा रायपुर बन सकता है नया मेडिकल हब

शाल्बी हॉस्पिटल के निदेशक शनाए विक्रम शाह ने नवा रायपुर में मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल खोलने की रुचि दिखाई. मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में स्वास्थ्य अधोसंरचना को लगातार मजबूत किया जा रहा है और शाल्बी ग्रुप जैसी संस्थाओं की भागीदारी से सेवाओं में और सुधार होगा.

अरैया ग्रुप करेगा लक्जरी हॉस्पिटैलिटी में निवेश

अरैया ग्रुप के मुख्य व्यवसाय अधिकारी अक्षय कुलकर्णी ने छत्तीसगढ़ के पर्यटन क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं को लेकर चर्चा की. उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता को वैश्विक लक्जरी हॉस्पिटैलिटी से जोड़ना चाहते हैं. इसके लिए समूह राज्य में लक्जरी पर्यटन और परिवहन के क्षेत्र में दीर्घकालिक निवेश की योजना पर विचार कर रहा है.

पर्यटन नीति ने खींचा प्राइड होटल्स का ध्यान

वहीं प्राइड होटल्स के निदेशक सत्येन जैन ने भी मुख्यमंत्री से भेंट कर पर्यटन क्षेत्र में निवेश की रुचि जताई. उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ की स्थिर नीति और विविधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत पर्यटन उद्योग के लिए असाधारण अवसर प्रदान करती है.” मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार होटल और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को प्रोत्साहन दे रही है, जिसमें भूमि आवंटन में प्राथमिकता और पर्यटन क्लस्टर्स की सुविधा जैसी पहल शामिल हैं.

हरित इस्पात संयंत्र से मिलेगा रोजगार

ग्रीनटेक सोल्युशंस के निदेशक एम. प्रसाद रेड्डी ने राज्य में 1245 करोड़ रुपये की लागत से एकीकृत इस्पात संयंत्र स्थापित करने की योजना प्रस्तुत की. इस परियोजना से 500 से अधिक रोजगार सृजित होंगे. रेड्डी ने बताया कि उनकी संस्था हरित प्रौद्योगिकी आधारित, लागत प्रभावी समाधान देने के लिए प्रतिबद्ध है.

मुख्यमंत्री का निवेशकों को संदेश

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ निवेश के लिए सबसे अनुकूल राज्य बनकर उभरा है. हमारी नई औद्योगिक नीति सरल, पारदर्शी और निवेशकों के लिए लाभकारी है. यहां बिजली, पानी, जमीन, कुशल श्रमिक और लॉजिस्टिक की कोई कमी नहीं है. राज्य सरकार हर निवेशक को हर स्तर पर सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है.