टीआरएफ ने ली पहलगाम हमले की जिम्मेदारी, जानें कितना खतरनाक है यह आतंकी संगठन
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जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर आतंकियों ने दहशत फैलाने की कोशिश की है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को आतंकी हमले ने शांति भंग की। यहां आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया है। जिसमें 10 से ज्यादा लोग घायल हैं। वहीं, एक की मौत हो गई है। हमले के दौरान आतंकियों ने पर्यटकों से उनका नाम और धर्म पूछकर गोलीबारी की, जिसने इस घटना को लेकर चिंता और बढ़ा दी है। इधर, अटैक के बाद फरार आतंकियों की तलाश में सेना अभियान चला रही है। इस बीच खबर है कि इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट यानी कि टीआरफ ने ली है।
आतंकवादी संगठन टीआरएफ ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है। जिसमें कहा है कि गैर-स्थानीय लोगों को 85000 से ज्यादा निवास-पत्र जारी किए गए हैं, जिससे यहां जनसांख्यिकीय परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। ये गैर-स्थानीय लोग पर्यटक बनकर आते हैं, निवास-पत्र प्राप्त करते हैं और फिर ऐसा व्यवहार करने लगते हैं मानो जमीन के मालिक वे ही हैं। नतीजतन, अवैध रूप से बसने की कोशिश करने वालों के खिलाफ हिंसा की जाएगी।
पुलवामा हमले के बाद घाटी सक्रियता हुआ संगठन
बताया जाता है कि टीआरएफ 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले के बाद घाटी में सक्रिय हुआ है। इस आतंकी संगठन को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई समर्थन देती है। 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाई गई थी, जिसके बाद यह संगठन पूरे कश्मीर में सक्रिय हो गया। टीआरएफ पाकिस्तान में बना है, कश्मीर में दहशत फैलाना इसका मकसद है।
टीआरएफ के निशाने पर गैर-कश्मीरी
टीआरफ का नाम तब चर्चा में आया जब उसने साल 2020 में बीजेपी कार्यकर्ता फिदा हुसैन, उमर राशिद बेग और उमर हाजम की कुलगाम में बेरहमी से हत्या कर दी थी। टीआरएफ कश्मीर में फिर से वही दौर लाना चाहता है, जो कभी 90 के दशक में था। टीआएफ के आतंकी टारगेट किलिंग पर फोकस करते हैं। वो ज्यादातर गैर-कश्मीरियों को निशाना बनाते हैं ताकि बाहरी राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर आने से बचें।
नया डोमिसाइल कानून से बौखलाए आतंकी
बता दें कि 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर को पूर्ण केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। इसके बाद नए कानून के तहत उन लोगों को स्थायी निवास का दर्जा मिल सकता है जो लोग 15 साल या उससे अधिक समय से जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं या फिर जिनके माता-पिता या अभिभावक सरकारी सेवा में 10 साल जम्मू-कश्मीर में रहे हैं। इस कानून के तहत, कुछ और श्रेणियों के लोग भी डोमिसाइल के लिए पात्र हैं। इस फैसले की वजह से आतंकी बौखला गए हैं।
6 hours ago