पर्यावरण संकट: थर्मल पावर प्लांट पर विरोधों का साया
मीरजापुर। सदर तहसील क्षेत्र के ददरी खुर्द गांव के किसानों ने आदानी के 1600 मेगावाट थर्मल पावर प्लांट को लेकर विरोध तेज़ कर दिया है। पिछले दिनों हुए जनसुनवाई को 'गैरकानूनी' करार देते हुए मुख्यमंत्री सहित जिलाधिकारी मीरजापुर से इसकी शिकायत करते हुए जांच कर अविलंब रोक लगाने की मांग की है।
ग्रामीणों का आरोप है कि आपाधापी और 'भाड़े की भीड़' के बीच सम्पन्न हुई जनसुनवाई कार्यक्रम में प्रभावित समुदायों को पहले से कोई सूचना या जानकारी भी देना मुनासिब नहीं समझा गया है। मजे की बात तो यह है कि यूपीपीसीबी की वेबसाइट पर भी कोई सूचना नहीं है।
बताते चलें कि आदानी की कंपनी द्वारा मिर्ज़ापुर थर्मल एनर्जी (यूपी) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले के ददरी खुर्द गांव के वन क्षेत्र में 1600 (2×800) मेगावाट की कोयला आधारित अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर परियोजना स्थापित करने का प्रस्ताव को लेकर 11 अप्रैल 2025 को पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए लोक सुनवाई का आयोजन किया गया था। जिसमें उत्तर प्रदेश के पूर्व उर्जा राज्यमंत्री एवं मड़िहान विधायक रमाशंकर सिंह पटेल, अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) शिव प्रसाद शुक्ला, क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी सोनभद्र व अडानी ग्रुप के चेयर पर्सन दिनेश सिंह मौजूद रहें। इस जनसुनवाई में बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी एवं जिले के गणमान्य लोगों के उपस्थित होने का दावा करते हुए कहा गया कि, इस पावर प्लांट के लगने से क्षेत्र के काफी लोगों को रोजगार एवं जिले का विकास होगा।
मड़िहान के भाजपा विधायक रमाशंकर सिंह पटेल ने विकास का दावा करते हुए महिलाओं को रोजगार मिलने तक की बात तो कह डाली, लेकिन इससे होने पर्यावरणीय नुकसान, देवरी मड़िहान के जंगलों में वास करने वाले जंगली जीव-जंतुओं के जीवन पर मंडराने वाले खतरा, जंगलों के नष्ट होने के बाद होने वाली परेशानियों तथा भू-गर्भ जल की निकट भविष्य में उत्पन्न होने वाली समस्या पर बोलना उचित नहीं समझा है। इस जनसुनवाई के बीच काफी संख्या में जुटे लोगों ने खुलकर विरोध करते हुए स्थानीय लोगों को न बुलाकर बाहरी लोगों खासकर राजगढ़ विकासखंड क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों के लोगों को एक सोची-समझी रणनीति के तहत बुलाएं जाने का खुला आरोप लगाते हुए कहा है कि कंपनी के लोग शुरू से ही जनहितों की अनदेखी करती आईं है।
गौरतलब हो कि इसी स्थल पर पूर्व में वेलस्पन पावर एनर्जी ने किसानों की भूमि को हथियाने के लिए कुचक्र रच धनबल-बाहुबल के बल पर अपना कानून थोपने का भरपूर प्रयास किया था, जिसे आखिरकार भारी विरोध के बाद भागना पड़ा था। अब वही काम आदानी की कंपनी मिर्ज़ापुर थर्मल एनर्जी (यूपी) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।बताया जा रहा है कि इस परियोजना को लेकर पड़ने वाले पर्यावरणीय प्रभाव की आशंका से आशंकित लोगों ने सवाल उठाया है कि, क्या यह ईआईटी अधिसूचना, 2006 का उल्लंघन नहीं है? इतिहास दोहराया जा रहा है! 2016 में एनजीटी ने इसी स्थल के लिए पहले दी गई पर्यावरण स्वीकृति को रद्द कर दिया था, और इस समय गैरकानूनी निर्माण को लेकर एक मामला पहले से ही ट्रिब्यूनल में लंबित है। दूसरी ओर स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक आदानी की कंपनी मिर्ज़ापुर थर्मल एनर्जी द्वारा किये जा रहे अवैध कंस्ट्रक्शन को लेकर एनजीटी में मामला लंबित है, 23 मई को अगली सुनवाई भी होनी है। ऐसे में इसके पूर्व यह जनसुनवाई किस बात की? ग्रामीण सवाल करते हैं अभी एनजीटी की रिपोर्ट आई नहीं और जनसुनवाई कर ली गई, क्यों भाई आखिरकार इतनी जल्दबाजी क्यों? ददरी खुर्द गांव के किसान रमाशंकर, कृपाशंकर, शरणशंकर सिंह, रामाज्ञा सिंह इत्यादि ने बताया कि पर्यावरणीय जनसुनवाई में अनियमितता, अपारदर्शिता एवं पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन का किया गया है।
जिसको लेकर जिलाधिकारी मिर्ज़ापुर व क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस संबंध में शिकायत पत्र लिखा गया है। तथा मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई गई है।
किसानों का कहना है कि पर्यावरण प्रभाव आंकलन (Draft EIA) रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है, जबकि पर्यावरणीय जनसुनवाई से पूर्व इसका प्रकाशन एवं सार्वजनिक अवलोकन के लिए उपलब्ध कराना अनिवार्य है। वहीं उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय या किसी भी सार्वजनिक पोर्टल पर 11 अप्रैल 2025, प्रातः 11 बजे तक यह रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई गई थी। न तो स्थानीय समाचार पत्रों में सूचना प्रकाशित की गई, और न ही ग्राम स्तर पर प्रचार-प्रसार किया गया, जो कि जनसुनवाई प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
सब कुछ गुपचुप तरीके से किया गया है। स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक यह क्षेत्र पर्यावरण एवं जैवविविधता की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है, एवं प्रस्तावित परियोजना से स्थानीय भू-परिस्थितिकी, जल स्रोत, वनभूमि तथा ग्रामीण जीवन पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ने की आशंका है।
गौरतलब हो कि इससे पूर्व भी वेलस्पन पावर प्रोजेक्ट मिर्जापुर के मामले में पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी सामने आई थी, जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा उक्त परियोजना को निरस्त कर दिया गया था। इलाके के किसानों, ग्रामीणों की मांग है कि, 11 अप्रैल 2025 को संपन्न जनसुनवाई को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए, Draft EIA रिपोर्ट सहित सभी संबंधित दस्तावेज़ों को सार्वजनिक डोमेन में अविलंब जारी किया जाए. इस प्रकरण की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष उच्चस्तरीय जांच कराई जाए, ताकि भविष्य में ऐसी अनियमितताएं न हों।
----पावर प्रोजेक्ट से उत्पन्न होगी जल की समस्या--
जितेन्द्र सिंह, शांति सिंह, सुषमा, ममता, इन्दु इत्यादि किसानों सहित जल-जंगल, जमीन एवं पर्यावरण पर काम करने वाले लोगों ने पूर्व में वेलस्पन पावर एनर्जी को लेकर जो चिंताएं जताई गई थी अब वही चिंताएं अडानी कंपनी के थर्मल पावर प्रोजेक्ट को भी लेकर जताई जा रही हैं. जिनका कहना है मड़िहान के जंगलों के नष्ट होने से महज जंगली जीव जंतुओं, पर्यावरण को ही खतरा होने वाला नहीं है, बल्कि आसपास के इलाकों में पानी का संकट भी गहरा जाएगा जिसका सीधा असर खेती-किसानी से लेकर आस-पास के रहवासियों के नित्य जीवन पर भी सीधा असर डालेगा. जिससे पलायन, भुखमरी जैसी संभावनाओं को भी बल मिल सकता है। जानकार बताते हैं कि मिर्ज़ापुर के मड़िहान का जंगल वन प्रभाग द्वारा वर्ष 2019 में “भालू संरक्षण रिजर्व” के लिए भी प्रस्तावित किया गया था, किंतु राज्य सरकार ने इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं किया है. वहीं अडानी समूह के पावर प्लांट को जहां तैयार किया जाना है वह स्थल मड़िहान वन रेंज के बीचों-बीच में है. जहां कई संरक्षित वन्यजीव रहते हैं। 2019 में डीएफओ (DFO) ने इसको भालू संरक्षण रिजर्व घोषित करने के लिए उत्तर प्रदेश वन विभाग को प्रस्ताव भी भेजा था. यह जंगल पूरे भारत वर्ष के लिए प्राचीन प्राकृतिक संपदा है, तो यहां पर पाए जाने वाले कई जंगली जानवर उत्तर प्रदेश में दुर्लभ भी हैं।

Apr 17 2025, 19:20