/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz गुजरात का गढ़ जीतने की तैयारी में कांग्रेसः राहुल गांधी ने लगाया जोर, पार्टी नेताओं को दिया टारगेट India
गुजरात का गढ़ जीतने की तैयारी में कांग्रेसः राहुल गांधी ने लगाया जोर, पार्टी नेताओं को दिया टारगेट

#rahulgandhiin_gujarat

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। लगातार चुनावों में हार का सामना कर रही कांग्रेस गुजरात का लक्ष्य साधना शुरू कर दिया। कांग्रेस तीन दशक से ज्यादा समय से गुजरात की सत्ता से बाहर है। आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने पूरा जोर लगाया है। इसी क्रम में राहुल गांधी दो दिन के गुजरात दौरे पर हैं। राहुल का यह दौरा 8 और 9 अप्रैल को अहमदाबाद में कांग्रेस अधिवेशन के बाद हो रहा है। तब से पहले राहुल ने मार्च में राज्य का दौरा किया था।

आज राहुल गांधी के गुजरात दौरे का दूसरा दिन है। गुजरात दौरे के दूसरे दिन आज मोडासा जिले के अरावल्ली में संगठन सृजन अभियान की शुरुआत करेंगे। बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर हॉल में होने वाले इस कार्यक्रम में वे जिले के 1200 बूथ नेताओं को संबोधित कर उनसे सीधा संवाद भी करेंगे। इस अभियान का उद्देश्य कार्यकर्ताओं को मतदाताओं को बूथों तक पहुंचाने और कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित करना है।

इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार रात अपनी पार्टी की गुजरात इकाई की समन्वय समिति की बैठक की अध्यक्षता की। कांग्रेस कार्यालय में उन्होंने 41 जिला और महानगर अध्यक्ष अहमदाबाद में पर्यवेक्षकों के साथ बैठक की। इस मीटिंग में 5 सदस्यों की टीम बनाई गई है, जो 45 दिनों में आलाकमान को अपनी रिपोर्ट देगी। इसके बाद जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की जाएगी। बैठक में उन्होंने संगठन के भीतर नेताओं की पदोन्नति और चुनाव के लिए टिकट वितरण को लेकर मानदंड तय कर दिए। बैठक में पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल और पार्टी की राज्य इकाई के प्रभारी मुकुल वासनिक के अलावा राज्य में कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता शामिल हुए। इसमें अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) और 183 प्रदेश कांग्रेस समिति (पीसीसी) के पर्यवेक्षक मौजूद रहे। ये सभी पर्यवेक्षक एआईसीसी द्वारा 12 अप्रैल को नियुक्त किए गए थे।

10 दिन मांगी रिपोर्ट

राहुल गांधी ने नियुक्त किए पर्यवेक्षकों से अगले 10 दिन सौंपे गए जिले की रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा, ताकि संबंधित जिले के संगठन में बदलाव करते हुए नए जिला अध्यक्ष की नियुक्त की जा सके। कांग्रेस ने हर एक जिले के केंद्रीय निरीक्षक के साथ 4 गुजरात निरीक्षकों की टीम गठित की गई है। पर्यवेक्षक अपनी रिपोर्ट मे पूरी ग्राउंड रिपोर्ट बनाएंगे। गुजरात में कुल 33 जिले हैं लेकिन आठ बड़े शहर हैं। ऐसे में यहां पर शहरी क्षेत्र का अध्यक्ष अलग होता है और ग्रामीण क्षेत्र का अध्यक्ष अलग होता है। ऐसे में पार्टी कुल 41 अध्यक्षों की नियुक्ति करने के बाद संगठन की मजबूती पर काम शुरू करेगी।

हर वरिष्ठ नेता की जिम्मेदारी तय की जाएगी

बैठक में राहुल गांधी ने राज्य के नेताओं के प्रदर्शन की समीक्षा की और उन्हें 2027 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को हराने का जिम्मा सौंपा गया। इस दौरान राहुल गांधी ने साफ-साफ कहा कि अच्छा प्रदर्शन करने वालों को ही पदोन्नति मिलेगी, हर वरिष्ठ नेता की जिम्मेदारी तय की जाएगी और उन्हें उसी के अनुसार काम सौंपा जाएगा।

जनता के बीच सक्रिय कार्यकर्ताओं को मिलेगा टिकट

राहुल गांधी ने कहा कि जो नेता अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहेंगे, उन्हें कोई पद नहीं मिलेगा और जो केवल चुनाव के दौरान सक्रिय होंगे, उन्हें पार्टी का टिकट नहीं मिलेगा। उन्होंने बैठक में उपस्थित पार्टी नेताओं से कहा कि जनता के बीच रहकर काम करने वाले कार्यकर्ताओं और नेताओं को टिकट दिया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि गुजरात में पार्टी के सत्ता में आने पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले जिलाध्यक्षों को मंत्री बनाया जाएगा।

गुजरात का गढ़ जीतने की कोशिश

राहुल गांधी का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब हाल ही में 8-9 अप्रैल को अहमदाबाद में एआईसीसी और कांग्रेस कार्यसमिति की अहम बैठकें हुई थीं। सालों बाद गुजरात में आयोजित इन बैठकों को पार्टी की राज्य में राजनीतिक वापसी की कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पहले मार्च महीने में भी राहुल गांधी ने गुजरात का दौरा किया था, जहां उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों से मुलाकात कर ग्रासरूट स्तर पर आंदोलन और समावेशी राजनीति की आवश्यकता पर जोर दिया था।

सैफ हमला मामले में बड़ा ट्विस्ट, 3 महीने बाद फिंगर प्रिंट्स ने मामले को उलझाया

सैफ अली खान पर हुए चाकू हमले में एक नया ट्विस्ट आया है। सैफ के घर से बरामद फिंगरप्रिंट आरोपी शरीफुल इस्लाम से मेल नहीं खा रहे हैं। मुंबई पुलिस ने बीते दिनों इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट के मुताबिक, एक्टर के घर से पुलिस और फॉरेंसिक टीम को जो फिंगर प्रिंट्स मिले हैं, वो आरोपी शरीफुल से मैच नहीं करते हैं।

20 में से 19 फिंगरप्रिंट्स मैच नहीं हुए

मुंबई पुलिस ने इस मामले में 1000 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की है। इस चार्जशीट में बताया गया कि घर से बरामद फिंगर प्रिंट्स आरोपी शरीफुल से बिल्कुल भी मैच नहीं कर रहे हैं। पुलिस ने सैफ के घर से 20 फिंगरप्रिंट्स बरामद किए थे। जिसे स्टेट सीआईडी फिंगर प्रिंट्स ब्यूरो जांच के लिए भेजा गया था। जिसमें से 19 शरीकुल से मैच नहीं हुए।

फिंगर प्रिंट को ठोस सबूत नहीं माना जाता

चार्जशीट में साफ-साफ कहा गया है कि बाथरूम के दरवाजे, बेडरूम के स्लाइडिंग डोर और अलमारी के दरवाजों पर मिले फिंगर प्रिंट शरीफुल के नहीं हैं। 'नेटवर्क 18' की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई पुलिस के सूत्रों ने यह भी कहा है कि फिंगर प्रिंट के मेल नहीं खाने से ज्‍यादा फर्क नहीं पड़ता। ऐसा इसलिए कि एक ही चीज को कई लोग छूते हैं। इसलिए बहुत संभव होता है कि फिंगर प्रिंट का मैच न हो। इसलिए इसे ठोस सबूत नहीं माना जाता है।

अपने ही घर पर सैफ पर हुआ था हमला

बता दें कि सैफ अली खान पर तीन महीने पहले 16 जनवरी की रात उन्हीं के घर पर जानलेवा हमला हुआ था। कथ‍ित बांग्‍लादेशी नागरिक मोहम्मद शरीफुल इस्लाम चोरी की नीयत से सैफ के घर में घुसा और इस दौरान उसने एक्टर पर चाकू से हमला किया, जिसकी वजह से सैफ घायल हुए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

झामुमो का 13वां महाधिवेशन, JMM में हुआ बड़ा बदलाव, हेमंत सोरेन बने अध्यक्ष, शिबू सोरेन को बनाया गया संस्थापक


रांची : झारखंड मुक्ति मोर्चा का रांची में आयोजित 13वें महाधिवेशन में आज बड़ा फैसला लिया गया। संगठन में हुआ परिवर्तन संविधान संशोधन कर पार्टी में कार्यकारी अध्यक्ष का पद समाप्त कर दिया गया साथ ही संस्थापक संरक्षक का नया पद बनाया है। झामुमो में अध्यक्ष पद पर रहे शिबू सोरेन अब पार्टी के संस्थापक संरक्षक होंगे। शिबू सोरेन के संस्थापक पद के लिए नलिन सोरेन प्रस्ताव रहा जिसे सर्वसम्मति से सभी ने स्वीकार किया।

वही अब झारखंड मुक्ति मोर्चा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अब केंद्रीय अध्यक्ष का पद संभालेंगे। जो अगले तीन सालों तक इसी पद पर रहेंगे। इस परिवर्तन के साथ ही अब पार्टी की कमान पूरी तरह सीएम हेमंत सोरेन के हाथ में होगी। इस अधिवेशन के दौरान वरिष्ठ विधायक स्टीफन मरांडी ने पार्टी का 16 राजनीतिक प्रस्ताव पढ़ा। जिसे पास कर दिया गया।

झामुमो के अध्यक्ष रहे निर्मल महतो की हत्या के बाद पार्टी के संस्थापक शिबू सोरेन ने 1987 में पार्टी की कमान संभाली थी। इससे पहले शिबू सोरेन ने यह जिम्मेवारी शहीद निर्मल महतो को दी थी और खुद महासचिव का पद संभाल रहे थे। गौरतलब हर कि 1972 में झामुमो के गठन के बाद विनोद बिहारी महतो पार्टी के पहले अध्यक्ष बने थे। वर्ष 1973 से 1984 तक विनोद बिहारी महतो ही अध्यक्ष रहे थे। शिबू सोरेन लगभग 38 वर्षों तक पार्टी के अध्यक्ष रहे। पार्टी के संविधान संशोधन के बाद लंबे अंतराल के बाद संगठन में बड़ा बदलाव देखने को मिला है।

रिपोर्टर जयंत कुमार

कौन हैं भारतीय मूल नीला राजेंद्र? जिसे नासा ने दिखाया बाहर का रास्ता


#neela_rajendra_nasa_terminated 

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप जबसे दोबारा राष्ट्रपति बने हैं अपने फैसलों के कारण सुर्खियों में हैं। अवैध प्रवास सेलकर टैरिफ के जरिए दुनियाभर के देशों को निशाने बना चुके ट्रंप के फैसलों के गाज इस बार भारतीय मूल की एक अफसर पर गिरी है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा में बड़े पद पर नियुक्त नीला राजेंद्र को नौकरी से निकाल दिया गया है। डोनाल्ड ट्रंप के डाइवर्सिटी प्रोग्राम बंद करने के आदेश पर नासा ने यह बड़ा एक्शन लिया है। नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (जेपीएल) ने ईमेल के जरिए सभी कर्मचारियों को नीला को बर्खास्त करने की जानकारी दी है।

सत्ता में आने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में सभी डाइवर्सिटी प्रोग्राम बंद करने के आदेश दिए थे। ट्रंप ने आदेश निकाला था कि ऐसी डाइवर्सिटी पहल (हर तबके को प्रतिनिधित्व देने की पहल) के तहत नौकरी पर रखे सभी व्यक्तियों को हटाना होगा, और देश भर में ऐसे सभी कार्यक्रमों को समाप्त करना होगा। इसी के तहत अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा में डाइवर्सिटी, इक्विटी और इंक्लूजन यानी डीईआई की चीफ नीला राजेंद्र को हटा दिया गया है। 

नीला राजेंद्र भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं। उनकी बर्खास्तगी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अरबपति एलन मस्क के डीईआई पहलों के विरोध के बीच हुई। डीईआई एक ऐसी नीति है जो कार्यस्थलों या संगठनों में विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को शामिल करने, उनके लिए समान अवसर सुनिश्चित करता है। लेकिन ट्रंप और मस्क मानते हैं कि ये पहलें अनुचित प्रथाओं को बढ़ावा देती हैं। 

हालांकि, ऐसा नहीं है कि नासा ने नीला राजेंद्र को बचाने की कोशिश नहीं की। उन्हें नौकरी से निकाले जाने से बचाने के प्रयास में, ट्रंप के कार्यकारी आदेश के तुरंत बाद नासा ने कथित तौर पर उनके पद का नाम बदलकर 'हेड ऑफ ऑफिस ऑफ टीम एक्सीलेंस एंड एम्प्लॉई सक्सेस' कर दिया था। लेकिन आखिरकार उनको बचाने की कोशिश अंततः विफल रही।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि डाइवर्सिटी प्रोग्राम की वजह से अमेरिका नस्ल, रंग और लिंग के आधार पर बंट गया है। इस तरह के प्रोग्राम्स सिर्फ पैसों की बर्बादी है। इससे भेदभाव को बढ़ावा मिलता है। यही वजह है कि ट्रंप ने अमेरिका में चलने वाले सभी डाइवर्सिटी प्रोग्राम्स को बंद करने का आदेश दे दिया है।

भारत सरकार की एक कूटनीतिक सफलता, 10 हजार और भारतीयों को हज वीजा देने पर सऊदी अरब सहमत


#saudiarabiaagreestogrant10000morehajjvisas 

भारत से हर साल बड़ी संख्या में लोग हज यात्रा के लिए जाते हैं। इसके लिए पहले से ही रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इस बीच हज पर जाने के इच्छा रखने वाले भारतीय के लिए अच्छी खबर आई है। सऊदी अरब के हज मंत्रालय ने 10,000 तीर्थयात्रियों के लिए हज (नुसुक) पोर्टल को फिर से खोलने का फैसला लिया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार बताया कि सऊदी सरकार ने 10,000 भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए हज पोर्टल फिर से खोल दिया है। जिसके बाद भारत के 10 हजार तीर्थयात्री हज जाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। 

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने बताया है कि केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद सऊदी हज मंत्रालय भारत से 10 हजार और भारतीयों हज का वीजा देने के लिए राजी हो गया है। सऊदी सरकार इसके लिए कम्बाइंड हज ग्रुप ऑपरेटर्स (CHGOs) के लिए हज (नुसुक) पोर्टल को फिर से खोलने पर सहमति दे दी है, जो मिना में वर्तमान उपलब्धता पर आधारित है। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने सभी हज कमेटियों को जल्द ही प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं, ताकि तय समय के अंदर सारी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा सकें

52 हजार हज यात्रियों के स्लॉट रद्द होने की थी खबर

यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि लगभग 52,000 भारतीय हज यात्री इस बार नहीं जा सकते हैं, क्योंकि सऊदी अरब ने मीना में उन क्षेत्रों को रद्द कर दिया है, जो पहले निजी टूर ऑपरेटरों को आवंटित किए गए थे।

उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने जताई थी चिंता

इससे पहले विपक्षी नेताओं ने भारत के हजारों हज यात्रियों के स्लॉट रद्द होने को लेकर केंद्र सरकार से दखल की मांग की थी। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा था, ‘52,000 से अधिक भारतीय हज यात्रियों के स्लॉट रद्द होने की खबर अत्यंत चिंताजनक है। इनमें से कई यात्रियों ने भुगतान भी कर दिया है। मैं विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से अपील करता हूं कि सऊदी अधिकारियों से शीघ्र संपर्क कर इस मुद्दे का समाधान करें।’

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी कहा था, ‘सऊदी अरब से चिंताजनक खबरें आ रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के निजी हज कोटे का 80% हिस्सा अचानक कट गया है। यह निर्णय हाजियों और टूर ऑपरेटर्स के लिए भारी परेशानी का कारण बन रहा है। विदेश मंत्रालय से निवेदन है कि तत्काल सऊदी सरकार से संपर्क कर समाधान निकाले।’

केंद्र से तनाव के बीच स्टालिन की संबंध बढ़ाने की कोशिश! राज्य की स्वायत्तता के लिए बनाई हाई-लेवल कमेटी


#tamilnadumkstalinpresentresolutionofstateautonomous

केंद्र सरकार के साथ बढ़ते तनाव के बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने राज्य की स्वायत्तता के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई है। इसको लेकर तमिलनाडु विधानसभा में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य को स्वायत्त बनाने का प्रस्ताव पेश किया है। मुख्यमंत्री स्टालिन का कहना है कि केंद्र सरकार लगातार राज्यों के अधिकारों में दखल दे रही है। इसलिए, राज्य की स्वायत्तता को बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है। 

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन मंगलवार को विधानसभा में राज्य की स्वायत्तता के लिए एक उच्च स्तरीय समिति नियुक्त करने का प्रस्ताव पेश किया। स्टालिन के प्रस्ताव पर तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। इस पैनल की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस कुरियन जोसेफ करेंगे। यह पैनल केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संबंधों का गहराई से अध्ययन करेगा।

अपने अधिकारों को और मजबूत करना चाहती है स्टालिन सरकार

मुख्यमंत्री स्टालिन ने विधानसभा में नियम 110 के तहत घोषणा कर कहा कि यह कदम राज्य के अधिकारों की रक्षा और केंद्र के साथ राज्य सरकारों के बीच संबंधों को बढ़ाने के लिए उठाया गया है।

उन्होंने बताया कि समिति में पूर्व नौकरशाह अशोक शेट्टी और एमयू नागराजन भी शामिल होंगे। स्टालिन ने राज्य विधानसभा को बताया कि पैनल जनवरी 2026 में एक अंतरिम रिपोर्ट देगा। इसके बाद, दो साल के भीतर अंतिम रिपोर्ट और सिफारिशें पेश की जाएंगी। इसके माध्यम से राज्य सरकार अपने अधिकारों को और मजबूत करना चाहती है।

केन्द्र पर लगाया राज्यों के अधिकार छीनने का आरोप

स्टालिन ने कहा कि देश की आजादी को 75 साल पूरे हो गए हैं। हमारे देश में अलग अलग भाषा, जाति और संस्कृति के लोग रहते हैं। एक-एक करके राज्यों के अधिकार छीने जा रहे हैं। राज्य के लोग अपने मौलिक अधिकारों के लिए केंद्र सरकार से संघर्ष कर रहे हैं। हम अपनी भाषा से जुड़े अधिकारों की भी मुश्किल से रक्षा कर पा रहे हैं। स्टालिन ने कहा कि राज्य तभी सही मायने में तरक्की कर सकते हैं, जब उनके पास सभी ज़रूरी अधिकार और शक्तियां हों।

गवर्नर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार का बड़ा कदम

सीएम स्टालिन ने राज्य को अधिक स्वायत्तता दिए जाने की बात ऐसे समय में की है, जब राज्यपाल आरएन रवि ने राज्य विधानसभा में पारित विभिन्न विधेयकों को मंजूरी देने से मना कर दिया। इसके चलते डीएमके के नेतृत्व वाली सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव भी हुआ। जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 8 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल आरएन रवि का 10 बिलों पर सहमति रोकना 'गैरकानूनी' था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की बेंच ने कहा कि राज्यपाल संवैधानिक रूप से राज्य विधानसभा की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं।

“लातों के भूत बातों से नहीं, डंडे से ही मानेंगे” बंगाल हिंसा पर सीएम योगी का बयान


#cm_yogi_gave_a_statement_on_bengal_violence

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बंगाल में हो रहे दंगे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि लातों के भूत बातों से नही मानेंगे,दंगाई डंडे से ही मानेंगे। बता दें कि पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून को लेकर बवाल मचा हुआ है। मुर्शिदाबाद और 24 परगना जिले में वक्फ बोर्ड के नए कानून को लेकर खूब हिंसा हुई है। घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए हैं।

वक्फ कानून को लेकर मुर्शिदाबाद में जारी हिंसा पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरदोई में आयोजित एक कार्यक्रम में ममता सरकार पर निशाना साधा। बंगाल हिंसा पर भी अपनी बात रखते हुए सीएम ने कहा कि आप याद करिए 2017 के पहले के उत्तर प्रदेश को। हर दूसरे-तीसरे दिन दंगा होता था। इन दंगाईयों का उपचार ही डंडा है। बिना डंडे के ये मानेंगे ही नहीं। 

सीएम योगी ने आगे कहा, बंगाल जल रहा है। वहां की मुख्यमंत्री चुप हैं। दंगाइयों को वह शांतिदूत कहती हैं। सेक्युलरिज्म के नाम पर दंगाइयों को खुली छूट दे दी गई है। पूरा मुर्शिदाबाद एक सप्ताह से जल रहा है, सरकार मौन है। इस प्रकार की अराजकता पर लगाम लगनी चाहिए।

योगी ने कहा, पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर सब चुप हैं। मुर्शिदाबाद दंगों पर कांग्रेस चुप है। समाजवादी पार्टी मौन है। वे धमकी पर धमकी दे रहे हैं। बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, उसका समर्थन किया जा रहा है। अगर उन्हें बांग्लादेश पसंद है, तो उन्हें बांग्लादेश ही जाना चाहिए। क्यों भारत की धरती पर बोझ बने हुए हैं।

आरजेडी-कांग्रेस में सीएम कैंडिडेड पर बनेगी बात? दिल्ली में राहुल गांधी और खरगे से मिले तेजस्वी यादव


#tejaswi_yadav_meeting_with_rahul_gandhi_mallikarjun_kharge

इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले राजनीतिक दल सियासी जमीन तैयार करने में जुटे हैं। कांग्रेस बिहार विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की अगुवाई वाले महागठबंधन के साथ लड़ने के लिए तैयार है। हालांकि, सीट शेयरिंग और सीएम चेहरे को लेकर गठबंधन के बीच कशमकश बनी हुई है। इसी बीच आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को दिल्ली में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान दोनों दलों के शीर्ष नेता मौजूद रहे। कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी के अलावा मल्लिकार्जुन खरगे, केसी वेणुगोपाल, बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू के अलावा अन्य नेता मौजूद रहे। वहीं आरजेडी की तरफ से तेजस्वी यादव के अलावा राज्यसभा सांसद मनोज झा, संजय यादव समेत अन्य नेता मौजूद रहे।

माना जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बातचीत हुई। तेजस्वी यादव की राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ दिल्ली में हुई मीटिंग के बाद उन से सीएम फेस को लेकर सवाल पूछा गया। जिस पर तेजस्वी यादव ने कहा, आपलोग चिंतित मत होईए. हम लोग आपस में बैठ कर यह तय कर लेंगे।

तेजस्वी यादव ने जहां इस बात की जानकारी नहीं दी कि पार्टी मीटिंग में तेजस्वी यादव का चेहरा सीएम के लिए तय किया गया या नहीं। वहीं, उन्होंने इस बात को बार-बार कहा कि हम लोगों की पूरी तैयारी है। हम सब मिलकर बिहार को आगे लेकर जाएंगे। बिहार के साथ सौतेला व्यवहार किया गया. हम लोग मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।

दरअसल, बिहार में कांग्रेस और आरजेडी के नेताओं के बीच मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर खींचतान मची है। आरजेडी जहां लगातार तेजस्वी यादव को गठबंधन का मुख्यमंत्री प्रत्याशी बता रहा है वहीं कांग्रेस के कई नेता कह चुके हैं कि सीएम का फेस चुनाव रिजल्ट आने के बाद तय होगा।  

हाल के दिनों को देखा जाए तो कांग्रेस के नेताओं की ओर से महागठबंधन में सीएम फेस को लेकर टिप्पणी की जा रही है। चाहे बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार हों, बिहार के कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु हों या फिर कन्हैया कुमार, कोई खुलकर यह नहीं कह रहा है कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के सीएम फेस हैं। इतना ही नहीं जब हाल ही में सचिन पायलट आए तो उन्होंने भी सीधे तेजस्वी को सीएम फेस नहीं बताया। कांग्रेस के कई नेताओं ने तो प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार को ही सीएम बनाने की मांग कर दी।

बता दें कि लंबे समय बाद बिहार में कांग्रेस कन्हैया कुमार और कृष्णा अल्लावरु के जरिए अपने संगठन को मजबूत करने के प्रयास में दिख रही है। कन्हैया कुमार ने जहां 27 दिनों की पलायन रोको यात्रा की है और कृष्णा भी लगातार संगठन के नेताओं से मिल रहे हैं। इसके अलावा दलित नेता राजेश राम को बिहार कांग्रेस का नया प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया है।

'आप अपने से 20 गुना बड़े व्यक्ति से युद्ध शुरू नहीं कर सकते', एक बार फिर ट्रंप ने जेलेंस्की को सरेआम “धोया”


#trump_zelensky_ukraine_war_blame

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से खासे नाराज नजर आए। ट्रंप ने ज़ेलेंस्की पर रूस के साथ युद्ध शुरू करने का आरोप लगाया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "आप अपने से 20 गुना बड़े किसी व्यक्ति के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं करते और फिर उम्मीद करते हैं कि लोग आपको कुछ मिसाइलें दे देंगे। ट्रंप का ये बयान यूक्रेन के शहर सूमी में सोमवार को हुए रूसी हमले के बाद आया है। सूमी पर इस रूसी स्ट्राइक ने कम से कम 35 लोगों की जान ली है। जिसकी पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में अल सल्वाडोर के अध्यक्ष नायब बुकेले से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद ट्रंप ने मीडिया से बात की और इस दौरान ही उन्होंने जेलेंस्की को लेकर ये बयान दिया और साथ ही तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को भी युद्ध के लिए जिम्मेदार माना। डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन का युद्ध बताया है। उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की पर बाइडेन के साथ मिलकर इस त्रासदी को शुरू करने की अनुमति देने में बिल्कुल भयानक काम करने का आरोप लगाया है। 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, तीन लोगों की वजह से लाखों लोग मारे गए। हम पुतिन को नंबर एक कहें, लेकिन बाइडेन जिन्हें पता नहीं था कि वह क्या कर रहे हैं, नंबर दो और ज़ेलेंस्की। ट्रंप ने आगे कहा, जब आप युद्ध शुरू करते हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि आप युद्ध जीत सकते हैं। अपने से 20 गुना बड़े किसी व्यक्ति के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं करते और युद्ध शुरू होने पर फिर उम्मीद करते हैं कि लोग आपको मिसाइलें दे देंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा कि मेरा इस युद्ध से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन मैं मौत और विनाश को रोकने के लिए लगन से काम कर रहा हूं। अगर 2020 का राष्ट्रपति चुनाव धांधली वाला नहीं होता, जो वो कई तरह से धांधली वाला था, तो यह भयानक युद्ध कभी नहीं होता। लेकिन वह अतीत है। अब हमें इसे रोकना होगा और इसे जल्दी रोकना होगा। ये बहुत दुखद है।

आपको बता दें कि इससे पहले ट्रंप ने यूक्रेन के शहर सुमी में रूसी हमले को भी काम कम करने आका था। उस हमले में दो बच्चों सहित 35 लोग मारे गए थे। डोनाल्ड ट्रंप ने हमले को "गलती" बताया था। उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि यह भयानक था, और मुझे बताया गया कि उन्होंने गलती की, लेकिन मुझे लगता है कि यह एक भयानक बात है। मुझे लगता है कि पूरा युद्ध एक भयानक बात है।

प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा को ईडी ने आज पूछताछ के लिए बुलाया,जमीन सौदे मामले में दूसरा बार समन


#land_deal_case_ed_summon_vadra

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा को प्रवर्तन निदेशालय ने समन भेजा है। रॉबर्ट वाड्रा को लैंड डील मामले में पीएमएलए के तहत ईडी का समन भेजा गया है। इससे पहले 8 अप्रैल को भी बुलाया था पर वाड्रा पहुंचे नहीं थे। ईडी की तरफ से जारी नए समन में आज यानी की 15 अप्रैल को हाजिर होने के आदेश दिए गए हैं।

ईडी के दूसरे समन के बाद वाड्रा ने प्रवर्तन निदेशालय दफ्तर के लिए रवाना होने से पहले मीडिया से बातचीत की। इस दौरान सरकार पर हमला बोला है और कहा कि सरकार बदले के तहत कारवाई कर रही है। मुझे नहीं पता कि दोष क्या है। जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे कुछ भी छिपाने की जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा कि 20 साल से अब तक उन्हें कुछ भी नहीं मिला है, अगर कुछ है तो सामने लाया जाए।

इससे पहले ईडी ने मंगलवार को हरियाणा के शिकोहपुर भूमि सौदे से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में रॉबर्ट वाड्रा को समन भेजा है। वाड्रा पहले समन पर उपस्थित नहीं हुए थे, जो 8 अप्रैल को जारी किया गया था। उन्हें पूछताछ के लिए ईडी के सामने उपस्थित होने के लिए कहा गया, क्योंकि केंद्रीय जांच एजेंसी उनकी फर्म स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से संबंधित कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है।

 

ईडी के अनुसार, वाड्रा की कंपनी ने फरवरी 2008 में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से गुड़गांव के शिकोहपुर में 3.5 एकड़ का प्लॉट 7.5 करोड़ रुपये में खरीदा था। वाड्रा की कंपनी ने इसके बाद, इस जमीन को रियल एस्टेट दिग्गज डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया। इससे हुई इनकम से मनी लॉन्ड्रिंग का शक है। केंद्रीय एजेंसी इस अप्रत्याशित प्रोफिट के पीछे की जांच कर रही है।