*साल में दो बार क्यों मनता है हनुमान जी का जन्मदिवस? संकटमोचन की आराधना से होता है हर परेशानी का समाधान*
भदोही- हनुमान जी को सभी संकटों को दूर करने वाले और हर परेशानी से निजात दिलाने वाले देवता माना जाता है। इसलिए उन्हें संकटमोचन भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी इकलौते ऐसे देवता हैं, जो कलयुग में आज भी धरती पर वास करते हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
हिंदू धर्म में हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार के दिन की जाती है, लेकिन साल में दो दिन ऐसा भी आता है, जब उनका जन्मदिन बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। आज कितना अच्छा सुयोग हैं कि आज शनिवार भी है और अंजनीनंदन हनुमान जी का जन्मोत्सव भी है। डॉ महेश त्रिपाठी ने बताया कि हनुमान जी का जन्मोत्सव सिर्फ एक बार नहीं, बल्कि साल में दो बार मनाई जाती है। उन्होंने कहा कि लोगों के मन में यह संदेह है कि एक वर्ष में हनुमान जी का जन्मोत्सव साल में दो बार क्यों आता है?
डॉ महेश त्रिपाठी ने संदेह को दूर करते हुए बताया कि हनुमान जी का जन्मोत्सव साल में दो बार, एक चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि पर और दूसरी कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी तिथि पर मनाई जाती है। पहला जन्मोत्सव उनके जन्म से जुड़ी मानी जाती है, जबकि दूसरा जन्मोत्सव उन्हें अमरता प्राप्त होने की कथा से जुड़ी है। इसलिए भक्त दोनों ही अवसरों पर बड़े ही श्रद्धा भाव से हनुमान जी की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।
बताया कि हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा के दिन हुआ था। इस दिन को उनका वास्तविक जन्मदिवस माना जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, बचपन में एक बार हनुमान जी को बहुत तेज भूख लगी थी। उन्होंने सूर्य को लाल फल समझकर निगलने की कोशिश की। देवराज इंद्र ने उन्हें रोकने के लिए वज्र से प्रहार किया, जिससे वे मूर्छित हो गए। यह देख पवन देव बहुत नाराज हुए और उन्होंने पूरी सृष्टि में वायु प्रवाह रोक दिया। जब सभी देवताओं ने मिलकर हनुमान जी को फिर से जीवनदान दिया, तब जाकर स्थिति सामान्य हुई। यह दिन चैत्र पूर्णिमा का ही था, इसलिए इसे उनका पुनर्जन्म और विजय का दिन माना गया।
भगवान हनुमान शक्ति, भक्ति और अटूट विश्वास के प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उनकी पूजा करने से भय, नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों का नाश होता है। इस दिन हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करना विशेष लाभकारी माना जाता है।
Apr 12 2025, 16:22