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सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में बनेगा नवजात शिशुओं का आधार कार्ड, स्वास्थ्य सचिव कटारिया ने ऑपरेटरों को दिया टैबलेट और फिंगरप्रिंट स्कैनर

रायपुर-   भारत सरकार की ओर से संचालित जन्म लिंक आधार पंजीकरण योजना के अंतर्गत देश के प्रत्येक नागरिक को आधार कार्ड से जोड़ने की पहल को और सुदृढ़ बनाने अब सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं का आधार कार्ड बनाया जाएगा. यह कदम नागरिकों को सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे और पारदर्शी ढंग से प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा. आधार कार्ड के माध्यम से स्वास्थ्य, शिक्षा और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने में यह योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य संस्थानों में पदस्थ ऑपरेटर्स को LMS (लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम) और NSEIT (नेशनल स्किल एंड एम्प्लॉयमेंट इंडेक्स टेस्ट) परीक्षाओं को उत्तीर्ण करना अनिवार्य है. इसके लिए प्रशिक्षण दिया गया है. अब तक 6 स्वास्थ्य संस्थानों के ऑपरेटर्स ने इन मानकों को पूरा कर लिया है. स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया के हाथों सफल उम्मीदवारों को टैबलेट और फिंगरप्रिंट स्कैनर उपकरण दिया गया.

प्रत्येक संस्थान में CELC (चाइल्ड एनरोलमेंट लाइट क्लाइंट) किट ;(एंड्रॉइड टैबलेट और फिंगरप्रिंट डिवाइस) की व्यवस्था की गई है, जो आधार पंजीकरण को तीव्र और सुगम बनाएगी. आयुक्त एवं संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं प्रियंका शुक्ला योजना की प्रगति की नियमित समीक्षा कर रही है. संस्थानों से प्राप्त डेटा का UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) के साथ समन्वय सुनिश्चित किया जा रहा है। शीघ्र ही यह योजना राज्य के सभी जिलों के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में लागू की जाएगी.

प्रदेश के 8 जिलों में ऑरेंज और 12 में येलो अलर्ट जारी, आंधी-बारिश के साथ ओलावृष्टि की चेतावनी

रायपुर- भीषण गरमी के बीच छत्तीसगढ़ में बुधवार को मौसम ने करवट ली, जिसके बाद राजधानी रायपुर समेत कई जिलों में तेज हवा के साथ बारिश हुई. वहीं भारतीय मौसम विभाग (IMD) रायपुर ने प्रदेश के कई जिलों में आंधी, बारिश और ओलावृष्टि की संभावना जताई गई है. इसके लिए येलो और ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है.

इन जिलों में तेज बारिश और आंधी की चेतावनी

IMD के अनुसार, बलरामपुर, जशपुर, सुरजपुर और सरगुजा जिलों में अगले 3 घंटे के भीतर मध्यम दर्जे की गरज-चमक और 30-40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की संभावना है. येलो अलर्ट दोपहर 2 बजे जारी की गई, जो शाम 5 बजे तक प्रभावी रहेगी.

इन जिलों में होगी हल्की बारिश

वहीं गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, कोरिया, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिलों में हल्की गरज-चमक और बारिश हो सकती है. इस क्षेत्र के लिए येलो अलर्ट दोपहर 3 बजे जारी किया गया है, जो शाम 6 बजे तक मान्य रहेगा.

इन जिलों में भी बिजली गिरने और बारिश की चेतावनी

इसके अलावा, बस्तर, धमतरी, गरियाबंद, कांकेर और कोंडागांव जिलों में भी गरज-चमक के साथ बिजली गिरने और बारिश की संभावना जताई गई है. यह येलो अलर्ट दोपहर 4 बजे जारी हुई है और शाम 7 बजे तक प्रभावी रहेगी.

इन जिलों में ऑरेंज अलर्ट

बलरामपुर, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, जशपुर, कोरिया, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, सुरजपुर और सरगुजा जिले में अगले 3 घंटे में मध्यम गर्जन के साथ ओलावृष्टि, बारिश और तेज हवा (40-50 किमी/घंटा) चलने की चेतावनी दी गई है. यह चेतावनी शाम 4:30 बजे जारी की गई है और शाम 7:30 बजे तक प्रभावी रहेगी.

आदिवासी कांग्रेस अध्यक्ष ने की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू पर अपमानजनक टिप्पणी, बताया ‘बीजेपी की रबर स्टाम्प’

रायपुर- देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति के तौर पर द्रोपदी मुर्मू की नियुक्ति ने कांग्रेस नेताओं को गहराई तक चोट पहुंचाई है, जिसका दर्द समय-समय पर सामने आते रहता है. ताजा विवाद आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने खड़ा है, जिन्होंने राष्ट्रपति मुर्मू को भाजपा का रबर स्टाम्प बताया है. 

आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रांत भूरिया आज से पांच दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर हैं. प्रदेश में आगमन पर मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने बीजेपी में आदिवासी नेताओं की स्थिति को लेकर उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बीजेपी का रबर स्टाम्प बता दिया. उन्होंने कहा बीजेपी का जो रबर स्टाम्प होता है, उसी को पार्टी आदिवासी चेहरा बनाते हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू मणिपुर में आदिवासियों के नरसंहार पर एक शब्द नहीं बोलतीं. छत्तीसगढ़ में एट्रोसिटीज़ होने पर कुछ नहीं बोलतीं.

इसके साथ विक्रांत भूरिया ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को निशाने में लेकर कहा कि जैसे ही छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री आए, सबसे पहले हसदेव जंगल काटा गया. अब तक एक लाख पेड़ कट चुके हैं, दो लाख और काटेंगे. इससे साफ होता है कि जो बीजेपी के पीछे-पीछे बोलते हैं, उनके सुर में सुर मिलाते हैं, उन्हीं को ये आगे बढ़ाते हैं. संघर्ष करने वाले आदिवासियों की बीजेपी में कोई जगह नहीं है.

बता दें कि कांग्रेस के अहमदाबाद में आयोजित कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन से पीसीसी चीफ दीपक बैज के साथ आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रांत भूरिया पांच दिवसीय शिविर के लिए छत्तीसगढ़ पहुँचे हैं.

संघ के पूर्व प्रचारक नंदकिशोर शुक्ल राज्य सरकार से नाराज, कहा- छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी के साथ हो रहा छल, नई शिक्षा नीति के विपरीत काम

रायपुर- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कई दशकों तक प्रचारक रहे नंदकिशोर शुक्ल भयंकर गुस्से में हैं. शुक्ल राज्य में नई शिक्षा नीति के विपरीत काम होने से सरकार से नाराज हो गए हैं. शुक्ल ने अपनी नाराजगी खुले तौर पर सोशल मीडिया में जाहिर कर दी है. वहीं उन्होंने सरकार की ओर से उचित कदम नहीं उठाए जाने पर आगामी दिनों में सड़क पर उतरकर बड़े आंदोलन करने की चेतावनी भी दे दी है.

दरअसल शुक्ल की नाराजगी छत्तीसगढ़ में दूभाषी फार्मूले में मातृभाषा की पढ़ाई कराए जाने पर है. उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में क्या लिखा है पढ़िए-

“बुनियादी सिक्छा मँ जउन परयोग देस मँ अउ कहूँ नइ होवय वो परयोग छत्तीसगढ़ मँ करे जात हे ! १ली-२री कक्छा के भासा-बिसय ला दूभासी–‘५०% छत्तीसगढ़ी अउ ५०% हिन्दी’– मिंझराभासा बिसय के रूप मँ पढ़ाय के परयोग करे गे हे ! अइसनहा घातक परयोग छत्तीसगढ़ मँ काबर ? काबरके ‘छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया नइ, सबसे घटिया’ हे, जउन ह अपन महतारी-भासा ला माधियम भासा के रूप मँ पढ़ना तो जाय देवा; ओला एक ठी अलगा भासा-बिसय के रूप मँ भी पढ़ना नइ चाहय, मिंझरेच्च-भासा के रूप मँ पढ़ना बरदास्त करत हे तेखरसेती ? एके ठी पोथी मँ भासा-बिसय के एके ठी पीरियड मँ दू-दू ठी भासा पढ़ाना छत्तीसगढ़िया पिलवा- बच्चामन के साथ मानसिक बरबरता नोहय त अउ काय ए ? देस मँ अउ कोनो राज्य के का, दुनियाभर के अउ कोनो देस के लइकामन अइसनहा दू-भासी माध्यम मँ अपन महतारीभासा ला पढ़त होहीं का ?”

शुक्ल का कहना है कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी के साथ साजिश के तहत काम हो रहा है. छत्तीसगढ़ीभाषियों के प्रभाव को कम करने, उन पर राज करते रहने की दृष्टि से छलपूर्वक काम हो रहा है. गैर छत्तीसगढ़ीभाषी सरकारी अधिकारी राज्य की मातृभाषाओं को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. राज्य में इस छल-कपट की नीति से एक बड़े विद्रोह जन्म ले सकता है.

मुख्मंत्री को गुमराह करने की कोशिश कर रहे अधिकारी

उन्होंने यह भी कहा कि मातृभाषा को माध्यम भाषा बनाकर पहलीं से पांचवीं तक अनिवार्य रूप शिक्षा देने का निर्णय मोदी सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत किया है. इस नीति को राज्य में मोदी की गारंटी भी कहा गया है. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ में सरकार इस गारंटी को पूर्णरूपेण पालन करा पाने में अब तक नाकाम रही है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एक भोले-भाले आदिवासी मुख्यमंत्री को गुमराह करने की कोशिश राज्य के अधिकारी और सरकारी सिस्टम की ओर से किया जा रहा है. यही वजह कि छत्तीसगढ़ में नई शिक्षा नीति के मूल उद्देश्यों को अभी तक लागू नहीं किया गया है.

30 वर्षों से छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई-लिखाई के लिए संघर्ष कर रहे शुक्ल

शुक्ल ने यह भी कहा कि उन्होंने मातृभाषा के साथ हो रहे छल, नई शिक्षा नीति के प्रावधानों के उल्लंघन के संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत तक अपनी बात विभिन्न माध्यमों से पहुँचाने का उपक्रम किया है. गौरतलब है कि नंदकिशोर शुक्ल छत्तीसगढ़ में बीते 30 वर्षों से छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रचार-प्रसार और पढ़ाई-लिखाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं. वे छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के संरक्षक हैं. उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर 2007 में छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिलाने और छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग बनवाने में अहम भूमिका निभाई है.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की अगुवाई में बेहतर हो रहीं है स्वास्थ्य सुविधाएं

रायपुर-  हर्ष, 8 वर्षीय एक बालक, बचपन से ही एक जुझारू योद्धा रहा है। उसकी चिकित्सकीय यात्रा महज दो वर्ष की आयु में शुरू हुई, जब उसे हिर्शस्प्रंग डिजीज के संदेह में डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल, रायपुर में भर्ती किया गया। हालांकि, बायोप्सी रिपोर्ट में यह बीमारी नहीं पाई गई। मेगाकोलन के कारण उसकी कोलोस्टॉमी की गई और फिर उसे छुट्टी दे दी गई।

समय बीतता गया और हर्ष को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। वह एक बार फिर अस्पताल लौटा, इस बार पैरालिसिस (पैरापेरेसिस) और न्यूरोजेनिक ब्लैडर की समस्या के साथ, जिससे उसका दैनिक जीवन अत्यंत कठिन हो गया था। पीडियाट्रिक और न्यूरोसर्जरी टीमों ने मिलकर कार्य किया और एमआरआई जांच में उसकी रीढ़ में एक एपिडमॉइड सिस्ट का पता चला। सर्जरी टीम ने सफलतापूर्वक इस सिस्ट को निकाल दिया और उसे नया जीवनदान मिला लेकिन उसकी सबसे कठिन परीक्षा अभी बाकी थी। हर्ष को एक बार फिर, इस बार गंभीर स्थिति में, पीआईसीयू (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) में भर्ती कराया गया। वह तीव्र मेटाबॉलिक एसिडोसिस और श्वसन विफलता के साथ आया। जिसके चलते तुरंत इंटुबेशन करना पड़ा। अनुभवी पीडियाट्रिशियन और इंटेंसिविस्ट्स के नेतृत्व में मेडिकल टीम ने उसे स्थिर करने के लिए दिन-रात मेहनत की। गहन जांच के बाद, उसके पुराने यूरीन इंफेक्शन्स (जो कि न्यूरोजेनिक ब्लैडर के कारण हुए) से उत्पन्न क्रॉनिक किडनी डिजीज की पुष्टि हुई।

लगातार निगरानी, गहन उपचार और अद्वितीय समर्पण के साथ, अस्पताल के स्टाफ ने हर्ष को मृत्यु के कगार से वापस खींच लिया। जैसे-जैसे वह धीरे-धीरे ठीक होने लगा और अंततः वेंटिलेटर से हटाया गया, वह क्षण हर्ष और पूरी टीम के लिए एक बड़ी जीत थी।

एक लंबी और चुनौतीपूर्ण यात्रा के बाद, हर्ष को छुट्टी दी गई एक नए उत्साह और ताकत के साथ जीवन को आगे बढ़ाने के लिए। उसकी यह रिकवरी डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल, रायपुर में उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा, टीमवर्क और अथक प्रयासों का सजीव प्रमाण है। जब हर दिशा में अंधकार था, तब डॉक्टरों ने आशा की रौशनी दी। डॉ. ओंकार खंडवाल, डॉ. पी. बेक, डॉ. माधवी साओ, डॉ. आकाश लालवानी, डॉ. समरीन यूसुफ, डॉ. ओनम तुरकाने, डॉ. नव्या बंसल, डॉ. राजा जैन, डॉ. आकांक्षा, डॉ. नंदिनी और डॉ. ऐश्वर्या के अथक प्रयासों, सेवा भावना, समर्पण और टीमवर्क ने असंभव को संभव किया।

यह सफलता केवल हर्ष की नहीं है यह उन जूनियर और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों, कंसल्टेंट्स और मेडिकल स्टाफ की कहानी है, जिनके समर्पण ने एक बच्चे की संघर्षगाथा को आशा और विजय की कहानी में बदल दिया। समर्पित डॉक्टरों और स्टाफ की बदौलत हर्ष ने मौत को मात दी और जीवन की नई शुरुआत की। यह सिर्फ एक इलाज नहीं, एक चमत्कार है।

रेलवे की जमीन से ठेले-गुमटियों को हटाने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, कहा- नगर पालिका को कोई अधिकार नहीं

बिलासपुर-  तखतपुर नगर पालिका की रेलवे भूमि से गुमटी और ठेलों को हटाए जाने की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि निगम पालिका के पास रेलवे भूमि से कब्जा हटाने का कोई अधिकार नहीं है.

दरअसल, तखतपुर नगर के मंडी चौक क्षेत्र में स्थित रेलवे भूमि (खसरा नं. 429/1, रकबा 23.41 एकड़) पर पिछले तीन दशकों से गरीब और छोटे व्यवसायी ठेले-गुमटी में दुकान लगाकर जीविकोपार्जन कर रहे हैं. इस दौरान रेलवे विभाग ने कभी उन्हें हटाने का प्रयास नहीं किया. लेकिन हाल ही में नगर पालिका तखतपुर ने नोटिस जारी कर उन्हें भूमि से बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी. इस कार्रवाई से आहत होकर सुरेश देवांगन उर्फ भाउराम, राजेश ठाकुर, प्रमोद महरा, विकास देवांगन, अब्दुल हबीब खान, शिवकुमार, शहजादा, अजमेर शाह समेत कई अन्य व्यवसायियों ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की.

मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने नगर पालिका तखतपुर को रेलवे भूमि से व्यवसायियों का कब्जा हटाने की कार्रवाई पर रोक लगा दी. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि राज्य शासन के अधिकारी और नगर पालिका को रेलवे की जमीन से किसी का कब्जा हटाने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है.

CPI नेता मनीष कुंजाम के साथ आठ समिति प्रबंधकों के घर ACB-EOW का छापा, तेंदूपत्ता बोनस से जुड़ा मामला…

सुकमा- जिले में आज सुबह फिर ACB-EOW ने दबिश दी है. तेंदूपत्ता बोनस से जुड़े मामले में सीपीआई नेता मनीष कुंजाम के साथ आठ समिति प्रबंधकों के घरों में 10-13 अधिकारियों की टीम जांच कर रही है.

ACB-EOW की टीम ने सीपीआई नेता मनीष कुंजाम के अलावा कोंटा प्रबंधक मो. शरीफ़ खान, पालाचलमा प्रबंधक सीएच वेंकट, फूलबगड़ी प्रबंधक राजशेखर पुराणिक, जगरगुंडा प्रबंधक रवि गुप्ता, मिशिगुडा प्रबंधक राजेश आयतु, एर्राबोर प्रबंधक मितेंद्र सिंह राजू, पेदाबोडकेल प्रबंधक सुनील और जग्गावरम प्रबंधक मनोज कवासी के घरों में छापा मारा है.

तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में पहले डीएफओ अशोक पटेल को निलंबित किया गया था. इसके बाद कुछ दिन पहले रायगढ़, जगदलपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर में भी इसी मामले में कार्रवाई हुई थी. टीम मामले की जांच कर रही है.

जानिए कौन हैं मनीष कुंजाम

बता दें कि मामले में जिन मनीष कुंजाम के घर में छापेमारी की है, वे छत्तीसगढ़ में सीपीआई के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार किए जाते रहे हैं. उन्होंने 1990 से 1998 तक अविभाजित मध्य प्रदेश के कोंटा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. हालांकि, फरवरी 2024 में उन्होंने विधानसभा चुनाव में प्रतीक चिन्ह नहीं मिलने के विरोध में CPI के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था, जिसमें राज्य सचिव और राष्ट्रीय परिषद की सदस्यता भी शामिल थी.

मार्च 2025 में सुकमा जिले के पेंटापाड़ गांव में नक्सलियों ने जमीन हड़पने का आरोप लगाते हुए मनीष कुंजाम के ससुर कलमू हिड़मा की हत्या कर दी. इसके बाद अब तेंदूपत्ता बोनस घोटाले की जांच के तहत ACB-EOW ने उनके घर में छापेमारी की है. बस्तर क्षेत्र में आदिवासी अधिकारों के लिए सक्रिय रूप से संघर्ष करने वाले और आदिवासी महासभा के अध्यक्ष मनीष कुंजाम के घर छापामार कार्रवाई से उनकी छवि पर असर पड़ेगा.

छत्तीसगढ़ के इस शहर में पानी के लिए हाहाकार

खैरागढ़-  गर्मी के मौसम की शुरुआत में ही खैरागढ़ को भीषण जल संकट से गुजरना पड़ रहा है. बढ़ती गर्मी के साथ हालात और बदतर हो गए हैं. कई वार्डों में हफ्तों से एक बूंद पानी नहीं आया है. लोग टैंकरों के पीछे दौड़ रहे हैं, घंटों लाइन में खड़े हैं.

37 करोड़ की योजना, लेकिन नहीं आया पानी 

हैरानी की बात ये है कि इसी शहर में करीब दस साल पहले 37 करोड़ रुपये की जल आवर्धन योजना बनाई गई थी. छिंदारी डेम से पाइपलाइन के ज़रिए हर वार्ड तक पानी पहुंचाने की योजना पर काम शुरू भी हुआ. लेकिन सालों बाद भी यह योजना अधूरी है, जिससे ना पानी आया, ना भरोसा बचा. दो साल पहले नगर पालिका ने शहर भर की सड़कों और गलियों को खोदकर पाइप डाल दिए. परेशानियों झेलने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि अब साफ पानी मिलेगा. अफसोस, इन पाइपों से आज तक एक बूंद भी नहीं आई. योजना में तय था कि पहले डेम से शहर तक मुख्य पाइपलाइन बिछेगी, फिर अंदर की लाइनें जुड़ेंगी. लेकिन अफसरों ने उल्टा किया—बिना डेम से पानी लाए, शहर में पाइप डाल दिए.

लालपुर डेम की हालत भी खराब

अब कहा जा रहा है कि पानी छिंदारी डेम की बजाय लालपुर डेम से लाया जाएगा, जिसके लिए 2.46 करोड़ रुपये और मंजूर हो चुके हैं. लेकिन लालपुर डेम भी जर्जर हालत में है—गेट टूटे हैं, ऊंचाई नहीं बढ़ाई गई और ऊपर की सड़क तक बर्बाद है. उधर, गंजीपारा का वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट एक साल से तैयार है, लेकिन उससे भी पानी सप्लाई शुरू नहीं हो पाई है.

आज भी पुरानी पाइपलाइन पर निर्भरता

परिणामस्वरूप, शहर आज भी उसी पुरानी, रियासतकालीन टूटी-फूटी पाइपलाइन पर निर्भर है. कई इलाकों में सप्लाई बंद है. दाऊचौरा में एक खराब पानी का टैंकर पिछले पांच दिन से सड़क पर खड़ा है, जिससे जाम और हादसों का खतरा बढ़ गया है.

जनता का आक्रोश, जिम्मेदारी तय करने की मांग

जनता मांग कर रही है कि इस योजना में लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर कार्रवाई हो. और जब तक योजना पूरी न हो, हर वार्ड में टैंकरों से नियमित पानी आपूर्ति की जाए. नगर पालिका अधिकारी नरेश वर्मा का दावा है कि योजना का काम लगभग पूरा हो चुका है और इस वक्त पाइपलाइन की टेस्टिंग चल रही है. उनका कहना है कि आठ दिनों के भीतर टंकी से पानी की सप्लाई शुरू हो जाएगी और जहां जरूरत है, वहां टैंकर भेजे जा रहे हैं. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. कब तक मिलेगा पानी? कोई नहीं जानता. फिलहाल, खैरागढ़ के लोग हर रोज़ पानी की एक-एक बूंद के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

नक्सली लीडर के पत्र पर गृह मंत्री शर्मा का बड़ा बयान, कहा- बंदूक का जवाब बंदूक से होता है, अगर चर्चा चाहते हैं तो मुख्यधारा में आना होगा

रायपुर- केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म कर देंगे। शाह की डेडलाइन जारी करने के बाद से बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन काफी तेज हो गए हैं। इस बीच नक्सलियों ने सप्ताहभर के भीतर दूसरी बार शांतिवार्ता के लिए सरकार के सामने अपनी बात रखी है। बीते बुधवार नक्सली लीडर रूपेश ने पर्चा जारी कर कहा है कि अगर सरकार की तरफ से सकारात्मक संकेत मिलते ही पूर्ण युद्धविराम अमल में आएगा। अब इस पर छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों की बात का जवाब देते हुए शांति वार्ता के लिए सरकार का रुख स्पष्ट किया है।

गृह मंत्री विजय शर्मा ने अपने निवास कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि नक्सलियों द्वारा जारी पत्र में उल्लेख किया गया है कि वे स्कूल और अस्पतालों का विरोध नहीं करते। उन्होंने सवाल उठाया है कि अगर ऐसा है तो उन गांवों में अब तक टीवी क्यों नहीं देखा गया? खेती और सिंचाई की सुविधाएं अब तक क्यों नहीं पहुंची हैं?

उन्होंने आगे कहा, “नक्सलियों ने शांति वार्ता के लिए अपील की है, लेकिन वे सामने आएं। उन्होंने किसी ‘समिति’ का जिक्र किया है तो वह समिति कौन-सी है वह स्पष्ट करें। हमारी सरकार ने शांति वार्ता के लिए किसी प्रकार की कोई समिति गठित नहीं की है। सदन में विपक्ष ने भी यह सवाल उठाया था और सरकार चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है। जो भी लोग बातचीत करना चाहते हैं, वे मुझसे संपर्क करें। मैं उन्हें सुरक्षा देने को तैयार हूं, लेकिन यह स्पष्ट है कि बंदूक का जवाब बंदूक से ही दिया जाएगा। हम बार-बार नक्सलियों से मुख्यधारा में लौटने की अपील कर चुके हैं।”

शर्मा ने कहा, “देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भी कहा है कि नक्सली मुख्यधारा में लौटें और गांवों में रहने वाले लोगों को स्वतंत्र जीवन जीने दें। सरकार की नई पॉलिसी के तहत यदि कोई नक्सली सरेंडर करता है और यदि वह 5-6 वर्षों से संगठन से जुड़ा है, तब भी उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।” उन्होंने आगे बताया, “यदि कोई व्यक्ति सरेंडर करना चाहता है, तो हम तैयार हैं। हम छोटे-बड़े सभी समूहों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार हैं। आज हम ‘VIR’ अभियान चला रहे हैं और अच्छी सेवा दे पा रहे हैं। हम गांव-गांव जाकर लोगों से बात कर रहे हैं। यह नरेंद्र मोदी की सरकार है और अमित शाह का आह्वान है।”

“मैं विश्वास के साथ कहता हूं कि सरकार के पास चार साल है और इन वर्षों में सब कुछ ठीक हो जाएगा। रूपेश सहित जिन्होंने यह पत्र लिखा है, मैं सभी से कहना चाहता हूं कि वे बंदूक छोड़ें। मैं उनसे बात करने के लिए तैयार हूं।” “बंदूक का जवाब बंदूक से होता है। अगर आप चर्चा चाहते हैं तो मुख्यधारा में आना होगा। आप लोग अवैध गतिविधियों में संलग्न हैं और भारत के संविधान को नहीं मान रहे हैं। यहां भारत है, यहां लोकतंत्र है, चीन नहीं। अलग-अलग टीमों द्वारा 28, 2 और 8 तारीख को पत्र जारी किए गए हैं, जिनमें से 2 तारीख का पत्र तेलुगु में है। हम हर सवाल का स्पष्ट रूप से उत्तर देंगे।”


इससे पहले भी रखी थी शांतिवार्ता की बात

गौरतलब है कि इससे पहले सेंट्रल कमेटी ने पर्चा जारी कर स्वीकार किया था कि पिछले 15 महीनों में उनके 400 साथी मारे गए हैं। अगर नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन रुकती है, तो हम शांतिवार्ता के लिए तैयार हैं। इस पर गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि वे शांतिवार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए कोई शर्त न हो।

दुर्ग रेप केस : DGP अरुण देव गौतम ने IG, SP और ASP के साथ की बैठक, जांच में तेजी और आरोपी को जल्द सजा दिलाने के दिए निर्देश

दुर्ग- छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक (DGP) अरुण देव गौतम बुधवार को अचानक भिलाई पहुंचे और पुलिस अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर गंभीर मामले की समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने 6 साल की मासूम बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या मामले में जानकारी ली और साक्ष्य जुटाने, जांच में तेजी के साथ आरोपी को जल्द सजा दिलाने के निर्देश दिए. इसके अलावा नशे पर थाना स्तर पर ही नियंत्रण करने के निर्देश दिए गए हैं.

डीजीपी अरुण देव गौतम ने 6 साल की मासूम के साथ रेप कर हत्या मामले को दुखद बताया. उन्होंने कहा कि पुलिस इस मामले में पूरी तेजी से काम कर रही है. ताकि पीड़िता के परिजनों को जल्द से जल्द न्याय मिल सके. न्याय दिलाने के लिए ही हम काम करते हैं उन्होंने कहा इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाएगा, जिससे आरोपी को जल्द से जल्द सख्त से सख्त सजा दिलाई जा सके.

नशे के बढ़ता चलन, छत्तीसगढ़ पुलिस के लिए गंभीर चुनौती

डीजीपी गौतम ने नशे के बढ़ते चलन को छत्तीसगढ़ पुलिस के लिए गंभीर चुनौती बताया. विशेष रूप से युवाओं और बच्चों में नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जो भविष्य के लिए गंभीर संकेत हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग लगातार नशे के कारोबारियों और तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहा है, लेकिन इस लड़ाई में आम जनता की भी भागीदारी जरूरी है. डिमांड को रोकने का काम परिवार स्तर पर समाज करे और सप्लाई को रोकने का काम पुलिस कर रही है.

इस 6 महीने नशे के व्यापारियों पर बड़ी कार्रवाई हुई है. उन्होंने समाज से अपील की कि नशा मुक्ति के अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएं और बच्चों को इस बुराई से दूर रखने में सहयोग करें.

DGP ने थाना पहुंचकर लिया जायजा

भिलाई पहुंचने के बाद डीजीपी गौतम सबसे पहले भिलाई नगर थाने के चौक निरीक्षण पर पहुंचे. वहां उन्होंने थाने की स्थिति, स्टाफ और व्यवस्थाओं का जायजा लिया और अधिकारियों से सीधे संवाद किया. निरीक्षण के दौरान उनके साथ पुलिस विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे.