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मुख्यमंत्री ने गृह विभाग की ली समीक्षा बैठक, नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन और अपराध अनुसंधान की गुणवत्ता पर दिए निर्देश

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मंत्रालय महानदी भवन, नवा रायपुर में गृह विभाग के कार्यो की समीक्षा की। मुख्यमंत्री श्री साय ने भारत सरकार द्वारा लागू किए गए नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के प्रभावी क्रियान्वयन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ये कानून न केवल न्याय प्रणाली में सुधार लाने वाले हैं, बल्कि अपराधियों में भय और आम जनता में विश्वास उत्पन्न करने में सहायक होंगे।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि इन कानूनों की प्रभावी समझ और व्यावहारिक प्रशिक्षण पुलिस बल, अभियोजन अधिकारी एवं अन्य संबंधित कर्मियों के लिए आवश्यक है। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी जिलों में चरणबद्ध तरीके से कार्यशालाओं और सेमिनारों का आयोजन किया जाए, जिनमें केस स्टडी और मॉक ट्रायल के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाए।

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अपराध अनुसंधान प्रणाली को अधिक प्रभावी, वैज्ञानिक और प्रमाणिक बनाने पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि आपराधिक प्रकरणों में केवल गिरफ्तारी ही नहीं, बल्कि सटीक और पुख्ता साक्ष्य के आधार पर विवेचना पूरी की जाए ताकि अभियुक्तों को सजा दिलाई जा सके। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि विवेचना अधिकारियों को आधुनिक अनुसंधान तकनीकों, डिजिटल फॉरेंसिक, सीसीटीएनएस प्रणाली और वैज्ञानिक उपकरणों के उपयोग में दक्ष किया जाए। पीड़ितों को समय पर न्याय दिलाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए अनुसंधान प्रक्रिया में पारदर्शिता, तत्परता और तकनीकी दक्षता अनिवार्य है। मुख्यमंत्री श्री साय ने साइबर अपराधों की बढ़ती चुनौती को देखते हुए साइबर सेल को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने तथा जनता को साइबर जागरूकता से जोड़ने के लिए अभियान चलाने के निर्देश भी दिए।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ, पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह,सचिव राहुल भगत के अलावा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

दुर्ग रेप केस : कांग्रेस जांच समिति का गंभीर आरोप, जिस परिवार को मिलना था न्याय उसकी हुई पिटाई …

दुर्ग- जिले के उरला इलाके में 6 साल की बच्ची से रेप और हत्या मामले को लेकर सियासत गरमा गई है। आज कांग्रेस की पांच सदस्यीय जांच समिति पीड़िता के घर पहुंची और पीड़ित परिवार से मुलाकात की। मीडिया से बात करते हुए संजारी बालोद विधायक संगीता सिन्हा ने कहा कि पुलिस ने पीड़ित परिवार के ही सदस्य को आरोपी बना दिया, जबकि जिस बादल मेश्राम पर परिवार ने शंका जताई थी उसे छोड़ दिया गया है।

जिस परिवार को मिलना था न्याय उसकी हुई पिटाई – विधायक सिन्हा

विधायक संगीता सिन्हा ने आरोप लगाया कि परिवार के सदस्यों के साथ मारपीट कर पूछताछ की गई। उन्होंने कहा, “जिस परिवार को न्याय मिलना चाहिए, उसे पीटा गया है। उनके शरीर पर चोट के निशान साफ दिखाई दे रहे हैं। इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। विधायक संगीता सिन्हा ने यह भी कहा कि यह घटना नशे की वजह से हुई है और सरकार शराब को बढ़ावा देने में लगी हुई है, जिससे ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं।

कांग्रेस की इस टीम में संगीता सिन्हा के साथ राजनांदगांव की पूर्व महापौर हेमा देशमुख, खैरागढ़ विधायक यशोदा वर्मा, डोंगरगढ़ विधायक हर्षिता स्वामी बघेल, पूर्व पार्षद प्रेमलता साहू, दुर्ग ग्रामीण जिलाध्यक्ष राकेश ठाकुर, गया पटेल और मुकेश चंद्राकर शामिल थे।

1.65 करोड़ का गोल्ड लोन का फ्रॉड करने वाली ‘पापा की परी’ गिरफ्तार

गरियाबंद-  ईओडब्ल्यू ने दो साल से फरार बैंक की पूर्व असिस्टेंट मैनेजर को गिरफ्तार किया है. ये मैनेजर इतनी शातिर थी कि उसने उन अकाउंट्स को अपना टारगेट बनाया जिसमें ज्यादा ट्रांजेक्शन नहीं होते थे या ऐसे अकाउंट्स जो कुछ महीनों से बंद पड़े थे. इस ठग ने 1 करोड़ 65 लाख रुपए से अधिक की ठगी को अंजाम दिया है. इसके चालाकी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि वो पिछले 2 वर्षों से फरार चल रही थी और पुलिस उसे पकड़ नहीं पा रही थी.

दरअसल, यह पूरा मामला छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का है, जहां स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक की राजिम शाखा में करोड़ों रुपये के गोल्ड लोन घोटाले का खुलासा साल 2023 हुआ था. इस मामले में फरार आरोपी राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बैंक की पूर्व सहायक प्रबंधक अंकिता पाणिग्रही को ओडिशा के बरगढ़ से गिरफ्तार किया है. आरोपी को पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है.

EOW द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार, वर्ष 2022 में आरोपी अंकिता पाणिग्रही ने राजिम स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में सहायक प्रबंधक के पद पर रहते हुए हितग्राहियों के बंद खातों का इस्तेमाल कर फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए 1 करोड़ 65 लाख रुपये के गोल्ड लोन स्वीकृत किए. इन लोन की राशि सीधे बैंक से निकालकर गबन कर ली गई.

2023 में दर्ज हुआ था मामला

बैंक प्रबंधन द्वारा मामले की शिकायत मिलने पर EOW ने वर्ष 2023 में घोटाले की जांच शुरू की थी. जांच के बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(क) (संशोधित 2018) और IPC की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत अपराध दर्ज किया गया.

हो सकते हैं और भी नाम उजागर

EOW की टीम फिलहाल आरोपी से गहन पूछताछ कर रही है. शुरुआती जांच में यह संकेत मिले हैं कि इस घोटाले में और भी बैंककर्मी या बाहरी लोग संलिप्त हो सकते हैं. अब EOW यह पता लगाने में जुटी है कि फर्जी लोन योजना को अंजाम देने में किन-किन की भूमिका रही.

भारतमाला परियोजना में भ्रष्टाचार : घोटालेबाज अधिकारियों-भूमाफियाओं पर कसेगा शिकंजा, राजस्व विभाग ने 11 जिलों के कलेक्टरों को दिए जांच के निर्देश

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित भारतमाला प्रोजेक्ट में हुई गड़बड़ियों को लेकर जांच अब और तेज हो गई है. रायपुर समेत कुल 11 जिलों में जांच शुरू करने के निर्देश जारी किए गए हैं. राजस्व विभाग के सचिव अविनाश चंपावत ने सभी संबंधित जिलों के कलेक्टरों को जांच कर रिपोर्ट जमा करने के निर्देश दिए हैं.

मिली जानकारी के अनुसार, रायपुर, दुर्ग, धमतरी, धमतरी, कांकेर, कोंडागांव, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, राजनांदगांव, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा जिलों में जांच की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. इससे पहले कुछ जिलों में हुई प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट अब आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने मांगी है. जिसके बाद अब घोटलेबाज अधिकारियों-भूमाफियाओं पर शिकंजा कसने की तैयारी है।

शुरुआती जांच में 43 करोड़, अब तक 220 करोड़ के भ्रष्टाचार की संभावना

शुरुआती जांच में यह सामने आया था कि कुछ सरकारी अधिकारियों, भू-माफियाओं और प्रभावशाली लोगों ने मिलीभगत कर फर्जी तरीके से लगभग 43 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि हासिल कर ली. लेकिन विस्तृत जांच में यह आंकड़ा 220 करोड़ रुपये से ज्यादा तक पहुंच गया है. अब तक 164 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन का रिकॉर्ड भी जांच एजेंसी को मिल चुका है. मामले की गंभीरता को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने 6 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर CBI जांच की मांग की है.

इस घोटाले को लेकर चरणदास महंत ने विधानसभा बजट सत्र 2025 में भी मुद्दा उठाया था. इसके बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रकरण की जांच ईओडब्ल्यू (EOW) को सौंपने का निर्णय लिया गया था. अब ईओडब्ल्यू ने इस पूरे मामले की जांच को और तेज कर दिया है.

क्या है भारतमाला परियोजना का मुआवजा घोटाला?

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 कि.मी. सड़क निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना में रायपुर से विशाखापटनम तक फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन सड़क बनना प्रस्तावित है. इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने कई किसानों की जमींने अधिग्रहित की हैं. इसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना है, लेकिन कई किसानों को अब भी मुआवजा नहीं मिल सका है. विधानसभा बजट सत्र 2025 के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद इस मामले में जांच का फैसला लिया गया.

भूमि अधिग्रहण नियम

भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत हितग्राही से यदि 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है, तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपए सोलेशियम के रूप में भी दी जाएगी. इस तरह उसे उस जमीन का मुआवजा 10 लाख दिया जाएगा.

इसके तहत 5 लाख की यदि जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसके 10 लाख रुपए मिलेंगे और 10 लाख रुपए सोलेशियम होगा. इस तरह हितग्राही को उसी जमीन के 20 लाख रुपए मिलेंगे.

शोध से बदलता है समाज की दशा और दिशा, साई कॉलेज की राष्ट्रीय कार्यशाला में विशेषज्ञों ने समाज के लिए शोध और अनुसंधान का किया आह्वान

अम्बिकापुर- शोध हमेशा नये परिवर्तन और समाज की दशा-दिशा बदलने के लिए होता है। इससे समाज के विकास में भागीदारी बढ़ती है। यह बातें मंगलवार को श्री साई बाबा आदर्श स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आईक्यूएसी एवं छत्तीसगढ़ सोशियोलॉजीकल एसोसिएशन के तत्वावधान में रिसर्च मेथडलॉली अंडरस्टैंड बेसिक कांसेप्ट ऑफ रिसर्च एंड इट्स मेथडलॉजी विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आर.एन. खरे ने कही।।उन्होंने कहा कि शोध, अनुसंधान से ग्लोबल इकोनॉमी एंड टेक्नालॉजी लगातार प्रभावित होती है। डॉ. खरे ने पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से लिटरेचर रिव्यू, विषय का चयन, प्राथमिक डाटा, द्वितीयक डाटा, आंकड़े के विश्लेषण, सैम्पलिंग और तथ्यों प्रस्तुतिकरण के बारे में बताया। उन्होंने रिसर्च प्लान और टाइमलाइन के बारे में विशेष सावधानी रखने का आह्वान किया।

इससे पहले अतिथियों ने मां सरस्वती और श्री साई नाथ की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ प्रदान कर किया गया।

कार्यशाला का विषय प्रवर्तन करते हुए आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. आर.एन शर्मा ने कहा कि पाषाण काल से अब तक लगातार शोध, अनुसंधान होते रहे हैं। यह मानव विकास इसी शोध, अनुसंधान का परिणाम है। उन्होंने आह्वान किया कि इस कार्यशाला से आधारभूत शोध और अन्वेषण को गति मिलेगी। डॉ. शर्मा ने कहा कि विज्ञान, साहित्य, समाज के सभी विषयों में शोध आवश्यक है जो जीवन की आवश्यकता है। अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राचार्य डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि कार्यशाला में शोधार्थी सीखते हैं। उन्हें अच्छे शोध, अनुसंधान के लिए शोध की प्रत्येक स्थिति को जानना आवश्यक है। डॉ. श्रीवास्तव ने शोध डिजाइन, विषय चयन, टूल्स, सर्वे, शोध विधियों से अवगत कराया।

महाविद्यालय शासी निकाय के अध्यक्ष विजय कुुमार इंगोले ने उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि शोधार्थियों को अच्छे शोध के लिए कार्यशाला में मार्गदर्शन मिल रहा है, यही इसकी सफलता है। उन्होंने कार्यशाला में शामिल सभी प्राध्यापक, शोधार्थियों को शुभकामना दी।

कार्यशाला के दौरान ऑनलाइन मोड में राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. अनिल सिन्हा, रायपुर, बीरगांव स्थित शहीद नंद कुमार पटेल शासकीय महाविद्यालय की प्राचार्य एवं छत्तीसगढ़ सोशियोलॉजकल एसोसिएशन की अध्यक्ष प्रीति शर्मा, हैदराबाद स्थित एजुकेशन टेक्नालॉजी यूनिवर्सिटी की डॉ. उज्जवला सिंह ने शोध के सिद्धांत पर सारगर्भित व्याख्यान दिया। कार्यशाला के दौरान मुख्य अतिथि डॉ. आर.एन. खरे को शाल, श्रीफल और स्मृति चिह्न प्रदान का सम्मानित किया गया।

कार्यशाला का संचालन सहायक प्राध्यापक पल्लवी मुखर्जी और देवेन्द्र दास सोनवानी ने किया। अतिथियों को आभार डॉ. श्रीराम बघेल ने प्रकट किया। कार्यशाला के दौरान ऑनलाइन मोड में प्राध्यापक और विषय विशेषज्ञ जुड़े रहे।

इस अवसर पर लाइफ साईंस विभाग के अध्यक्ष अरविन्द तिवारी, कम्प्यूटर एंड आईटी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विवेक कुमार गुप्ता, फिजीकल साईंस विभाग के अध्यक्ष शैलेष देवांगन, शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ. दिनेश शाक्य, दीपक तिवारी, राहुल कुंडु, इंजीनियरिंग कॉलेज के सहायक प्राध्यापक रॉबिन थामस तथा सभी प्राध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

दिल्ली से रायपुर आने वाली फ्लाइट में आई खराबी, छत्तीसगढ़ के सांसद और विधायक फंसे

रायपुर- दिल्ली से रायपुर आ रही एक फ्लाइट में अचानक तकनीकी खराबी आ गई है, जिसके चलते यात्रियों को करीब दो घंटे तक विमान में ही फंसे रहना पड़ा. इस फ्लाइट में जांजगीर सांसद कमलेश जांगड़े, रायपुर ग्रामीण विधायक मोतीलाल साहू और कोंडागांव विधायक लता उसेंडी भी मौजूद थे. तकनीकी दिक्कत के कारण उड़ान को रोक दिया गया, जिससे यात्रियों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ा.

मिली जानकारी के अनुसार, फ्लाइट को दोपहर 12:30 बजे दिल्ली एयरपोर्ट से रायपुर के लिए रवाना होना था, लेकिन टेकऑफ से पहले ही तकनीकी समस्या सामने आ गई. इसके चलते न तो विमान उड़ान भर सका और न ही यात्रियों को तुरंत नीचे उतारा गया, जिससे सभी को विमान के भीतर ही इंतजार करना पड़ा. जिसके बाद यात्रियों को फ्लाइट से उतारा गया और अब उन्हें दूसरी फ्लाइट से रायपुर लाने की तैयारी की जा रही है.

मामले में विधायक मोतीलाल साहू ने बताया कि वे एक मीटिंग के सिलसिले में दिल्ली आए थे. दिल्ली से रायपुर लौट रहे थे, 12:30 बजे की फ्लाइट से, तभी फ्लाइट में तकनीकी खराबी आ गई. करीब 2:20 बजे तक हम फ्लाइट के अंदर ही फंसे रहे. फिलहाल दूसरी फ्लाइट पकड़ने के लिए टरमैक से रनवे की ओर जा रहे हैं. फ्लाइट में कोंडागांव विधायक लता उसेंडी और जांजगीर-चांपा सांसद कमलेश जांगड़े भी मौजूद थीं.

तो क्या चाचा आरोपी नहीं? दुर्ग रेप केस में आया नया मोड़

दुर्ग- जिले के उरला इलाके में 6 साल की बच्ची से रेप और हत्या मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है। पीड़िता की मां ने आरोपी सोमेश यादव को निर्दोष बताया है। इस बायान के बाद पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे है। दरअसल, पुलिस ने इस मामले में पीड़िता के चाचा को मुख्य आरोपी बनाया है, जो फ़िलहाल पुलिस हिरासत में है।

पीड़िता के परिवार ने कलेक्टर के प्रस्ताव को ठुकराया

पीड़िता के परिवार ने कलेक्टर अभिजीत सिंह द्वारा दिए गए मुआवजे के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। कलेक्टर ने मंगलवार को परिवार को कलेक्ट्रेट बुलाकर ढाई लाख रुपये मुआवजा देने की पेशकश की थी, लेकिन परिवार ने साफ कहा कि उन्हें पैसे नहीं, न्याय चाहिए। असली आरोपी को ही सजा मिलनी चाहिए।

SP ने किया SIT का गठन

मामले में दुर्ग पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (आईयूसीएडब्ल्यू) पद्मश्री तंवर की अगुवाई में गठित टीम पूरे मामले में साक्ष्य जुटाने से लेकर फास्ट ट्रेक कोर्ट में चार्ज शीट पेश करने का काम करेगी।

इस विशेष जांच दल में मोहन नगर थाना प्रभारी निरीक्षक शिव प्रसाद चंद्रा, महिला थाना प्रभारी निरीक्षक श्रद्धा पाठक, छावनी थाना प्रभारी उप निरीक्षक चेतन चंद्राकर, उप निरीक्षक पारस ठाकुर (मोहन नगर थाना), सहायक उप निरीक्षक राजेन्द्र देशमुख (थाना मोहन नगर), सहायक उप निरीक्षक संगीता मिश्रा, (रक्षा टीम) प्रधान आरक्षक लक्ष्मी नारायण पात्रे (मोहन नगर थाना) को शामिल किया गया है।

इन धाराओं में दर्ज किया गया है मामला

मामले में प्रार्थी ओम नगर, उरला निवासी सन्नी यादव पिता स्व. मनोहर लाल यादव की रिपोर्ट पर मोहन नगर थाना में अपराध क्रमांक 133/25 धारा 137 (2) बीएनएस का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है। प्रकरण में धारा 103 (1), 64 (2)(एफ), 65 (2), 66, 238(ए) बीएनएस एवं 6 पाक्सो एक्ट का समावेश किया गया है।

जानिए क्या है पूरा मामला

बता दें कि मोहन नगर थाना क्षेत्र के उरला इलाके की रहने वाली 6 साल की बच्ची की गुमशुदगी की रिपोर्ट उसके परिजनों ने पुलिस में दर्ज कराई गई थी। बताया गया कि, रविवार सुबह 9 बजे अपनी दादी के घर कन्या भोज के लिए गई थी। इसके बाद से वह घर नहीं लौटी। पुलिस भी तलाश में जुटी लेकिन बच्ची का कोई पता नहीं चला। इस बीच, शाम 7.30 बजे सूचना मिली की बच्ची की लाश एक कार में मिली है। परिजन मौके पर पहुंचे और लाश को डिक्की से बाहर निकाला। इस दौरान बच्ची खून से लहूलुहान मिली।

बच्ची बहुत बुरी हालत में कार के अंदर सीट के नीचे पड़ी थी। उसके पूरे शरीर पर चोट के निशान थे, चमड़ी उधड़ी हुई थी। परिजन बच्ची को लेकर दुर्ग जिला अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया।

भीड़ ने संदेही के घर लगाई आग

वारदात के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया। देर रात कार मालिक के घर और कार में तोड़फोड़ भी हुई। इधर पुलिस ने भी, कार मालिक, उसके ड्राइवर समेत 5 लोगों को संदेह आधार पर हिरासत में लिया। इनमें बच्ची का चाचा भी था। इसके बाद, आगे की पूछताछ में संदिग्ध में 3 लोग बचे। पुलिस का कहना है कि, पूछताछ, टेक्निकल सबूत और आरोपी के कबूलनामा से ये पता चला का कि, आरोपी बच्ची का ही चाचा है। फिलहाल उसे रिमांड में लेकर और सवालों के जवाब ढूंढे जा रहे।

दुर्ग रेप केस : आरोपी को जल्द सजा दिलाने SP ने बनाई SIT, कोर्ट में चार्जशीट पेश करने तक रोज करेगी काम…

दुर्ग- छह वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म और उसके हत्या के मामले में दुर्ग पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (आईयूसीएडब्ल्यू) पद्मश्री तंवर की अगुवाई में गठित टीम पूरे मामले में साक्ष्य जुटाने से लेकर फास्ट ट्रेक कोर्ट में चार्ज शीट पेश करने का काम करेगी. 

पुलिस अधीक्षक द्वारा गठित विशेष जांच दल में मोहन नगर थाना प्रभारी निरीक्षक शिव प्रसाद चंद्रा, महिला थाना प्रभारी निरीक्षक श्रद्धा पाठक, छावनी थाना प्रभारी उप निरीक्षक चेतन चंद्राकर, उप निरीक्षक पारस ठाकुर (मोहन नगर थाना), सहायक उप निरीक्षक राजेन्द्र देशमुख (थाना मोहन नगर), सहायक उप निरीक्षक संगीता मिश्रा, (रक्षा टीम) प्रधान आरक्षक लक्ष्मी नारायण पात्रे (मोहन नगर थाना) को शामिल किया गया है.

मामले में प्रार्थी ओम नगर, उरला निवासी सन्नी यादव पिता स्व. मनोहर लाल यादव की रिपोर्ट पर मोहन नगर थाना में अपराध क्रमांक 133/25 धारा 137 (2) बीएनएस का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है. प्रकरण में धारा 103 (1), 64 (2)(एफ), 65 (2), 66, 238(ए) बीएनएस एवं 6 पाक्सो एक्ट का समावेश किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ मामले को लेकर ED पर कसा तंज, कहा- आपके मूल अधिकार हैं तो जनता के भी..?

नई दिल्ली/रायपुर-  प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पास यदि मूल अधिकार हैं, तो आम जनता के भी ऐसे ही अधिकार हैं. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया है. ED ने आर्टिकल 32 के तहत एक याचिका शीर्ष अदालत में प्रस्तुत की थी, जिसमें छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम में हुए घोटाले की जांच को दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की गई थी. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि यदि ED के पास अपने मूल अधिकार हैं, तो उसे जनता के अधिकारों का भी ध्यान रखना चाहिए. बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि आर्टिकल 32 के तहत याचिका तभी स्वीकार की जा सकती है, जब मूल अधिकारों का उल्लंघन हुआ हो. इसके बाद, ईडी ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली है.

ED ने पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा और अन्य के खिलाफ चल रहे मामले में एक अर्जी दाखिल की है. ये सभी 2015 के एक मामले में आरोपी हैं, जिसमें नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा चावल की खरीद और वितरण में बड़े पैमाने पर घोटाले का आरोप लगाया गया है. ईडी का आरोप है कि छत्तीसगढ़ का आपराधिक न्याय प्रणाली इस जांच को प्रभावित कर रही है, जहां गवाहों को धमकाया जा रहा है और जांचकर्ताओं पर राजनीतिक दबाव डाला जा रहा है. ईडी ने इस मामले को नई दिल्ली में पीएमएलए के तहत विशेष अदालत में स्थानांतरित करने और नए सिरे से ट्रायल शुरू करने की मांग की है.

एजेंसी ने बताया कि इस मामले की जांच पर 2018 में सरकार के परिवर्तन का गहरा प्रभाव पड़ा. टुटेजा तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निकट हो गए और उन्हें अग्रिम जमानत प्रदान की गई, जिससे जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया गया. इसके अलावा, एजेंसी ने एसआईटी के सदस्यों और टुटेजा के बीच हुई वॉट्सऐप चैट्स का उल्लेख किया और कॉल रिकॉर्ड का डेटा भी प्रस्तुत किया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की याचिका पर सवाल उठाए, यह कहते हुए कि यह आश्चर्यजनक है कि ईडी जैसी संस्था ने सरकार की एजेंसियों के खिलाफ याचिका दायर की है. अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने ईडी की ओर से पेश होकर याचिका वापस लेने की बात कही।

इंटरनेशनल टूर्नामेंट के लिए खिलाड़ियों को मिलेंगे अब 3 लाख, क्रीड़ा प्रोत्साहन योजना में राज्य शासन ने किया प्रावधान

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए अब राज्य शासन की ओर से तीन लाख रुपये तक की सहायता दी जाएगी. आर्थिक कठिनाई के कारण राज्य के खिलाड़ी कई बार अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लेने से चूक जाते हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस साल के बजट में अधिकतम 3 लाख रुपये का प्रावधान कर दिया है. साथ ही इन स्पर्धाओं में भाग लेने से पहले तैयारी के लिए संबंधित खेलों के उपकरण आदि के लिए भी राज्य शासन की ओर से फंड जारी किया जाएगा.

यह प्रावधान क्रीड़ा प्रोत्साहन योजना के तहत किया जाएगा. इसमें ओलंपिक खेल, विश्व कप, एशियाड या राष्ट्रमंडलीय खेलों को ही शामिल किया गया है. इसके लिए खिलाड़ियों को अपने चयन संबंधी पत्र और वास्तविक यात्रा टिकट आदि प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा. इसी के आधार पर यात्रा व्यय की राशि की गणना की जा सकेगी. इसके लिए अनुदान के प्रकरणों पर प्रभारी मंत्री की अनुसंशा या अनुमोदन पश्चात कलेक्टर द्वारा कार्यवाही की जाएगी.

खेल संचालक तनुजा सलाम ने बताया कि योजना के लिए इस वित्तीय वर्ष में शासन ने 50 करोड़ का बजट रखा है. इसमें मुख्य रूप से 6 बिंदुओं को शामिल किया गया है. इनमें गांव से लेकर जिला मुख्यालय में खेल इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना, खेल प्रतिभाओं की पहचान करना एवं खेल मैदानों का उन्नयन कर खेल उपकरण प्रदान करना, खेलों की क्लब संस्कृति को बढ़ावा देकर पंजीकृत समिति या क्लबों को स्पर्धाओं का आयोजन करने आर्थिक सहयोग देना तथा पारंपरिक खेलों को पुनर्जीवित करने बढ़ावा देना है.

स्टेडियम और इंडोर हॉल के निर्माण के लिए जिला कलेक्टर के प्रस्ताव पर खेल विभाग सक्षम होगा. इसमें 80 लाख तक की सीमा के प्रस्ताव की स्वीकृति विभाग से और 3 करोड़ तक के निर्माण संबंधी प्रस्तावों पर प्रशासकीय स्वीकृति लेनी होगी. संचालक, खेल एवं युवा कल्याण स्तर पर पंजीकृत खेल समिति या क्लब को 5 लाख तक आर्थिक सहायता व खेल उपकरण की स्वीकृति संचालनालय स्तर पर ही होगी. इसके लिए जिला खेल अधिकारी के माध्यम से प्रस्ताव आवश्यक रहेगा. प्रतिभा खोज, खेल वृत्ति एवं अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को प्रोत्साहन के लिए भी जिला खेल अधिकारी के प्रस्ताव पर ध्यान दिया जाएगा.