64 साल बाद गुजरात में अधिवेशन कर रही कांग्रेस, क्या निकालेगा जीत का रास्ता?
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कांग्रेस का 84वां अधिवेशन आज से अहमदाबाद में शुरू हो रहा है। यह दो दिन (8 और 9 अप्रैल) चलेगा। गुजरात में 64 साल बाद पार्टी यह कार्यक्रम कर रही है। इससे पहले 1961 में भावनगर में अधिवेशन हुआ था। यह आजादी के बाद गुजरात में कांग्रेस का पहला कार्यक्रम था।ऐसे में सवाल यह है कि कांग्रेस ने गुजरात में अधिवेशन आयोजित करने का फ़ैसला क्यों किया? क्या इससे पार्टी को कोई बड़ा फ़ायदा होगा?
2014 के बाद से लोकसभा के तीन चुनावों और अधिकांश राज्यों के विधानसभा चुनावों में एक के बाद एक हार ने कांग्रेस के आत्मविश्वास को पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया है। ऐसे में कांग्रेस का दो-दिवसीय अहमदाबाद अधिवेशन पार्टी के भविष्य की रणनीति तय करेगा। हालिया चुनावी हार के बाद कांग्रेस संगठनात्मक सुधारों और आगामी चुनावों के लिए एक नए राजनीतिक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करेगी। अगले दो दिन तक कांग्रेस के दिग्गज नेता राष्ट्रीय राजनीति की चुनौतियों पर चिंतन और मंथन करेंगे। इसके साथ ही कई प्रमुख मुद्दों पर पार्टी का रुख तय कर भविष्य का रोड मैप तैयार किया जाएगा।
गुजरात में पिछले छह दशकों में कांग्रेस पूरी तरह से बदल गई है और बेहद कमज़ोर हो गई है। ऐसे में अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना है। इस अधिवेशन से कार्यकर्ताओं में यह संदेश जाएगा कि अब पार्टी गुजरात में सक्रिय हो गई है और पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व गुजरात में दिलचस्पी रखता है।
कांग्रेस का अहमदाबाद अधिवेशन इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि 2027 के गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसका लक्ष्य भाजपा को चुनौती देना और कांग्रेस की स्थिति मजबूत करना है। छह दशक के बाद दोबारा फिर से गुजरात के अहमदाबाद से जीत का मंत्र तलाशने की कवायद की जाएगी। अहमदाबाद पूर्ण अधिवेशन से पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दोनों पार्टी की कमियों पर बहुत साफगोई से बात कर चुके हैं और कहा है कि साल 2025 संगठन का साल होगा।
गुजरात में साल का यह पूर्ण अधिवेशन हो रहा है। ऐसे में कांग्रेस को संगठन के नए लोगों के साथ जाना चाहिए था, लेकिन ज्यादातर पदाधिकारी पुराने हैं। बिहार में ही बदलाव हुआ है और यूपी के जिलाध्यक्ष बदले गए हैं। हालांकि, कांग्रेस बिहार से एक नई शुरुआत कर दी है और अपना संगठन जमीन से मजबूत करने की कवायद में है। कांग्रेस नेतृत्व ने अपने सभी जिला अध्यक्ष के साथ बैठक कर उनके मन की बात को जानना चाही है। पार्टी नेतृत्व अधिवेशन में आए कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाना होगा कि संगठन में बड़े बदलाव का वह इस बार सिर्फ वादा नहीं कर रहा है बल्कि इस पर अमल किया जाना है।
कांग्रेस ने जिस तरह से बिहार में कुछ ही महीनों में अपना संगठन चुस्त दुरुस्त कर दिया है वैसा ही संकल्प उसने देश भर में अपने संगठन के लिए लिया है। सूत्रों ने कहा कि पार्टी अपने संगठनात्मक कायाकल्प के बारे में कई घोषणाएं कर सकती है, जिसमें जिला कांग्रेस अध्यक्षों को अधिक अधिकार देना और जवाबदेही सुनिश्चित करना शामिल है। माना जा रहा है कि कांग्रेस चुनाव में उम्मीदवारों के चयन में जिला अध्यक्ष की भूमिका को भी शामिल करने का फैसला कर सकती है। कांग्रेस को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की कवायद के लिए कई अहम प्रस्ताव लाए जा सकते हैं। इस तरह से कांग्रेस का जोर संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने का रह सकता है।
Apr 08 2025, 13:09