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मानव तस्करी के खिलाफ एनआईए का बड़ा एक्शन, डंकी रूट से अमेरिका भेजने वाला मुख्य आरोपी गिरफ्तार

#nia_arrested_the_main_accused_involved_in_human_trafficking

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मानव तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ किया। साथ ही एनआईए ने इस रैकेट के सरगना को भी गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी गगनदीप सिंह उर्फ गोल्डी पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर का रहने वाला है। आरोपी लोगों को गैरकानूनी तरीके यानी डंकी रूट के जरिए लोगों को अमेरिका भेजने के काम में शामिल था।

एनआईए के बयान के अनुसार, आरोपी ने पंजाब के एक व्यक्ति को अवैध रूप से अमेरिका भेजा था, जिसे इस महीने की शुरुआत में भारत वापस भेज दिया गया। पीड़ित पंजाब के तरनतारन जिले का रहने वाला है। गोल्डी ने उसे दिसंबर 2024 में डंकी रूट के जरिये अमेरिका भेजा था। इसके लिए आरोपी एजेंट ने उससे 45 लाख रुपये लिए थे। अमेरिकी अधिकारियों ने 15 फरवरी 2025 को उसे भारत निर्वासित कर दिया। निर्वासन के बाद पीड़ित ने आरोपी एजेंट के खिलाफ शिकायत की।

अमेरिकी अधिकारियों ने पीड़ित को 15 फरवरी को वापस भारत भेज दिया था। उसके बाद उसने आरोपी एजेंट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। पहले यह केस पंजाब पुलिस ने दर्ज किया था, लेकिन 13 मार्च को एनआईए ने इसे अपने हाथ में ले लिया था।

एनआईए की जांच में पता चला कि गोल्डी के पास लोगों को विदेश भेजने के लिए कोई लाइसेंस,कानूनी परमिट या पंजीकरण नहीं था, उसने डंकी रूट के जरिए पीड़ित को स्पेन, साल्वाडोर, ग्वाटेमाला और मैक्सिको के रास्ते अमेरिका भेजा था।

देशभर में धूमधाम से मनाई गई ईद, राष्ट्रपति और पीएम मोदी ने दी बधाई

#eid_president_murmu_pm_modi_wishes

देशभर में आज ईद बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। भारत में ईद का चांद 30 मार्च को दिखाई दिया, जिसके बाद आज यानी 31 मार्च को ईद का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम दिग्गज नेताओं ने देशवासियों को ईद का बधाई दी है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने 'एक्स' पर लिखा, ईद-उल-फितर के मुबारक मौके पर सभी देशवासियों, विशेष रूप से मुस्लिम भाइयों और बहनों को बधाई। यह त्योहार भाईचारे की भावना को मजबूत बनाता है तथा करुणा-भाव और दान की प्रवृत्ति को अपनाने का संदेश देता है। मैं कामना करती हूं कि यह पर्व सभी के जीवन में शांति, समृद्धि और खुशियां लेकर आए तथा सबके दिलों में नेकी के रास्ते पर आगे बढ़ने के जज्बे को मजबूत बनाए।

पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पोस्ट में लिखा कि ईद-उल-फ़ितर की बधाई। यह त्योहार हमारे समाज में आशा, सद्भाव और दयालुता की भावना को बढ़ाए। उन्होंने आगे लिखा कि आपके सभी प्रयासों में खुशी और सफलता मिले, ईद मुबारक! रमजान के पाक महीने के बाद ईद-उल-फितर मनाई जाती है। यह मुसलमानों के लिए एक खास दिन होता है। देश में ईद का चांद रविवार को दिखाई दिया है, जिसके बाद सोमवार को ईद का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'ईद-उल-फितर की हार्दिक शुभकामनाएं। यह त्योहार सभी के लिए सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए। आशा है कि यह दिन पूरे समाज में सद्भाव और भाईचारे के बंधन को और मजबूत करेगा। ईद मुबारक!'

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को प्रदेशवासियों को ईद की बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस पर्व पर सभी को सद्भाव एवं सामाजिक सौहार्द को और सुदृढ़ करने का संकल्प लेना चाहिए। मुख्यमंत्री कार्यालय ने सोशल मीडिया एक्स’ पर लिखा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ईद-उल-फितर के अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।

चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन, जानें मां ब्रह्मचारिणी की कथा और पूजा का विधान

#seconddaynavratra

चैत्र नवरात्रि का आज दूसरा दिन है। चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। 'ब्रह्रा' का मतलब घोर तपस्या से है और ' चारिणी' का अर्थ होता है आचरण से। यानी माता का दूसरा स्वरूप तप का आचरण करने से होता है। धार्मिक मान्याओं क अनुसार नवरात्रि के दूसरे दिन मां के इस स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन,संपत्ति और सुख की कमी नहीं होती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा तप, शक्ति, त्याग ,सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि करती है और शत्रुओं का नाश करती है।

नवरात्रि की पूजा में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। मां दुर्गा की 9 शक्तियों के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन पूजन का विधान है। देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य रूप में होता है। देवी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए श्वेत वस्त्र में देवी विराजमान होती हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार पूर्वजन्म में मां ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था। भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बहुत कठिन तपस्या की। इसीलिए इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया। मां ब्रह्मचारिणी ने एक हजार वर्ष तक फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। इसके बाद मां ने कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप को सहन करती रहीं. टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं।

इससे भी जब भोले प्रसन्न नहीं हुए तो उन्होने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए और कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया। मां ब्रह्मचारणी कठिन तपस्या के कारण बहुत कमजोर हो हो गई। इस तपस्या को देख सभी देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने सरहाना की और मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया।

मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि

आज नवरात्रि के दूसरे मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है. इनकी पूजा पहले दिन की तरह ही शास्त्रीय विधि से की जाती है. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान व ध्यान से निवृत होकर पूजा स्थल पर गंगाजल से छिड़काव करें और फिर पूरे परिवार के साथ मां दुर्गा की पूजा उपासना करें. लेकिन माता की पूजा में सफेद और पीले रंग के वस्त्र और फूल में गुड़हल या कमल के फूल और भोग में चीनी का प्रयोग करें. माता को अक्षत, फल, फूल, वस्त्र, चंदन, पान-सुपारी आदि पूजा की चीजें अर्पित करें और बीच बीच में परिवार के साथ माता के जयकारे लगाते रहें. इसके बाद कलश देवता और नवग्रह की पूजा भी करें. अब माता की आरती की तैयारी करें, इसके लिए घी और कपूर का दीपक जलाकर माता की आरती करें. फिर दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. पाठ करने के बाद माता का जयकारे लगाएं. ऐसा करने माता का आशीर्वाद प्राप्त होगा

मंगल ग्रह की अशुभता को दूर होती है

मां ब्रह्मचारणी की पूजा से मंगल ग्रह की अशुभता को दूर करने में मदद मिलती है। ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं। जिन लोगों की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ है उन्हें मां ब्रह्मचारणी की पूजा करनी चाहिए।

श्रीलंका दौरे पर जाएंगे पीएम मोदी, रक्षा समझौते के अलावा और क्या होगा खास?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाईलैंड और श्रीलंका की यात्रा पर जाने वाले हैं। पीएम मोदी 3 अप्रैल से 6 अप्रैल तक विदेश यात्रा पर रहेंगे। वे पहले थाईलैंड जाएंगे और उसके बाद वहां से श्रीलंका के दौरे पर निकलेंगे।विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैंतोगटार्न शिनावात्रा के निमंत्रण पर 4 अप्रैल को बैंकाक में होने वाले छठी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस बार बिम्सटेक की मेजबानी थाईलैंड कर रहा है। थाईलैंड का दौरा खत्म करने के बाद पीएम मोदी कोलंबो पहुंचेंगे।

पीएम मोदी 4-6 अप्रैल तक राजकीय यात्रा पर श्रीलंका जाएंगे। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायका ने पद संभालने के बाद पिछले दिनों सबसे पहले भारत दौरा किया था, तब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को श्रीलंका आने का निमंत्रण दिया था। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी श्रीलंका के राष्ट्रपति के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इस दौरान दोनों देशों के बीच एक रक्षा समझौता होने की संभावना है। इसके साथ ही ऊर्जा, स्वास्थ्य और डिजिटलीकरण जैसे कई क्षेत्रों में भी समझौते की उम्मीद है।

भारत और श्रीलंका के बीच ये पहला रक्षा समझौता होगा। इस बारे में चर्चा पहले ही हो चुकी है जब श्रीलंका के राष्ट्रपति अरुणा कुमार दिस्सानायके पिछले साल दिसंबर में भारत आए थे। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह समझौता इस यात्रा के दौरान हो जाएगा। भारत और श्रीलंका के बीच रक्षा सहयोग में नौसेना का सहयोग शामिल है। इसके अलावा, भारतीय सेना श्रीलंका के सैनिकों को प्रशिक्षण भी देगी। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति की पृष्ठभूमि में इससे द्विपक्षीय रक्षा संबंध बढ़ेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी भारतीय वित्तीय सहायता से कार्यान्वित विकास परियोजनाओं के उद्घाटन के लिए अनुराधापुरा भी जाएंगे। बता दें कि श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायका ने पदभार ग्रहण करने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के रूप में भारत का राजकीय दौरा किया था। अब श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में दिसानायका द्वारा मेजबानी किए जाने वाले मोदी पहले विदेशी नेता होंगे।

प्रधानमंत्री की श्रीलंका यात्रा, दिसानायका की भारत यात्रा के तीन महीने बाद हो रही है, जिस दौरान उन्होंने मोदी को स्पष्ट रूप से बताया था कि द्वीपीय राष्ट्र अपनी भूमि का उपयोग नई दिल्ली के सुरक्षा हितों के विरुद्ध नहीं होने देगा।

मणिपुर समेत तीन राज्यों में 6 महीने के लिए बढ़ाया गया अफस्पा, हिंसा और अशांति के बीच केन्द्र का बड़ा फैसला

#manipurafspaextended

केंद्र सरकार ने मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (अफस्पा) को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी। गृह मंत्रालय के मुताबिक, मणिपुर में जारी हिंसा के कारण कानून व्यवस्था की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया।

गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा मणिपुर राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए पांच जिलों के 13 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों को छोड़कर पूरे मणिपुर में 1 अप्रैल 2025 से अगले छह माह तक, यदि इस घोषणा को इससे पहले वापस न लिया जाए, 'अशांत क्षेत्र' के रूप में घोषित किया जाता था।

अधिसूचना के मुताबिक, नगालैंड के दीमापुर, निउलैंड, चुमौकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक और पेरेन जिलों को अशांत क्षेत्र घोषित किया है। इसके अलावा कोहिमा, मोकोकचुंग, लोंगलेंग, वोखा और जुनहेबोटो जिलों के कुछ पुलिस थाना क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। यहां भी 1 अप्रैल 2025 से अगले छह महीने तक अफस्पा लागू रहेगा।

वहीं अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों के साथ 3 पुलिस थानों के क्षेत्रों में भी छह महीने के लिए अफस्पा बढ़ा दिया गया है।

फरवरी 2025 से, मणिपुर राष्ट्रपति शासन के अधीन है और विधानसभा निलंबित स्थिति में है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद यह स्थिति उत्पन्न हुई। जिसने राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता को जन्म दिया। बीरेन सिंह ने 2017 से मणिपुर में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार की अगुवाई की थी, ने राज्य में लगभग 21 महीनों से चल रही जातीय हिंसा के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। मई 2023 से अब तक इस हिंसा में 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

क्या है अफस्पा?

सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा), 1958 में अधिनियमित, एक ऐसा कानून है जो सरकार द्वारा “अशांत” घोषित क्षेत्रों में काम करने वाले भारतीय सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को विशेष शक्तियां प्रदान करता है। ये क्षेत्र आमतौर पर उग्रवाद या उग्रवाद का सामना करने वाले क्षेत्र होते हैं, जहां राज्य सरकारों को कानून और व्यवस्था बनाए रखना चुनौतीपूर्ण लगता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है।

नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की सुरक्षा में कटौती, लगा इतने लाख का जुर्माना, राजशाही को लेकर बवाल पर सख्ती

#securityteamofnepalexkinggyanendra

नेपाल में शुक्रवार को सुरक्षाबलों और राजशाही समर्थकों के बीच झड़प के बाद पीएम केपी ओली की सरकार पूर्व राजा ज्ञेनेंद्र शाह पर सख्त हो गई है। नेपाल में राजशाही को लेकर बढ़ते विवाद के बीच ओली सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर कड़ा एक्शन ले लिया है। नेपाल की सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा में कटौती करने का फैसला किया है। साथ ही ज्ञानेंद्र शाह पर जुर्माना भी लगाया गया है। ये कार्रवाई ऐसे समय हुई है, जब नेपाल में पूर्व राजा के समर्थक बार-बार सड़कों पर उतर रहे हैं।

राजशाही को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान के लिए पूर्व नरेश पर 7.93 लाख नेपाली रुपये का भारी जुर्माना ठोका गया है। यह कार्रवाई काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी (केएमसी) ने की है। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, यह कार्रवाई शुक्रवार को टिंकुने और आसपास के इलाकों में हुए एक कार्यक्रम के दौरान समर्थकों की तरफ से किए गए तोड़फोड़ और गंदगी फैलाने के मामले में की गई। केएमसी ने शनिवार को इस मामले में कचरा प्रबंधन अधिनियम, 2020 और काठमांडू महानगरपालिका वित्त अधिनियम, 2021 के तहत जुर्माना लगाया।

ये विरोध प्रदर्शन ज्ञानेंद्र शाह के बुलाने पर आयोजित किया गया था, इसलिए काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी (केएमसी) के मेयर बालेंद्र शाह ने काठमांडू के बाहरी इलाके महाराजगंज में निर्मला निवास में उनके आवास पर एक लेटर भेजा। लेटर में उनसे नुकसान के लिए मुआवजे के रूप में 7,93,000 नेपाली रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया। पूर्व किंग को भेजे गए लेटर की कॉपी मीडिया में भी जारी की गई थीं। केएमसी ने कहा कि पूर्व किंग के बुलाने पर ही प्रदर्शनकारी वहां इकट्ठा हुए। प्रदर्शन की वजह से महानगर की बहुत सी जरूरी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया है

सुरक्षा में कटौती करने का फैसला

वहीं, नेपाल की सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा में कटौती करने का फैसला किया है। ज्ञानेंद्र शाह के निजी निवास निर्मल निवास में पहले जहां 25 सुरक्षाकर्मी तैनात रहते थे, लेकिन अब सरकार ने इनकी संख्या घटाकर 16 करने का फैसला किया है। नेपाली गृह मंत्रालय ने पूर्व राजा की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों को बदलने का भी फैसला किया है। साथ ही सरकार ने पूर्व राजा पर निगरानी भी बढ़ा दी है

शुक्रवार को हुई हिंसा में दो लोगों की गई जान

बता दें कि शुक्रवार को नेपाल में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से एक प्रदर्शनकारी और एक पत्रकार शामिल है। हिंसा इस कदर नियंत्रण से बाहर हो गई थी कि हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना की तैनाती करनी पड़ी। यह हिंसा नेपाल में फिर से राजशाही की मांग को लेकर हुई। आंदोलनकारियों का दावा है कि संवैधानिक राजशाही हिंदू राष्ट्र की बहाली ही देश की समस्याओं का समाधान है।

नेपाल में साल 2006 से पहले राजशाही शासन था। विरोध के बाद राजा ज्ञानेंद्र को सत्ता छोड़नी पड़ी थी। इसके बाद सभी अधिकार संसद को सौंप दिए गए और नेपाल में साल 2008 में 240 साल पुराना राजशाही शासन खत्म हो गया। अब राजशाही को वापस लाने की मांग फिर से जोर पकड़ रही है।

म्यांमार में 334 परमाणु बमों जितनी ताकत से डोली धरती, तीसरे दिन भी कांप रही धरती

#myanmar_earthquake_devastation_power_of_334_atomic_bomb

म्यांमार में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भीषण भूकंप ने म्यांमार में भारी तबाही मचाई। इस विनाकारी भूकंप से करीब 1700 लोगों की मौत हो गई है। शुक्रवार के बाद म्यांमार में रविवार को एक बार फिर भूकंप के झटके लगे हैं। इस भूकंप ने क्षेत्र को हिला दिया। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 5.1 मापी गई। भूकंप के कारण लोग अपने घरों से निकलकर बाहर आ गए। भूकंप का केंद्र मांडले से लगभग 21 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित था। इधर, तबाह हो चुके म्यांमार में किसी भी जीवित शख्स को खोजने के लिए बचावकर्मी अपनी कोशिश में जुटे हुए हैं।

इस बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि काफी समय तक इस क्षेत्र में भूकंप के झटके (आफ्टरशॉक) आते रहेंगे। वहीं, ये भी बताया कि शुक्रवार को आए 7.7 की तीव्रता के भूकंप के दौरान 334 परमाणु बमों के बराबर उर्जा रिलीज की है। भूविज्ञानी जेस फीनिक्स ने सीएनएन से बात करते हुए बताया है कि म्यांमार में आए भूकंप में 334 परमाणु बमों जितनी ताकत थी, जिसने धरती को झूले की तरह हिला दिया।

फीनिक्स ने आगे कहा कि भूकंप के बाद आने वाले झटके अगले कई महीनों तक महसूस किए जा सकते हैं। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट म्यांमार के नीचे स्थित यूरेशियन प्लेट से टकरा रही हैं। टेक्टोनिक प्लेटें धरती की सतह के नीचे मौजूद बड़ी चट्टानें होती हैं। ये प्लेटें आपस में टकराती हैं तो भूकंप आते हैं। म्यांमार में भूकंप भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराने से आया है।

शुक्रवार को 7.7 तीव्रता के भूकंप में कई इमारतें जमींदोज हो गई हैं और सड़कों पर बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। अन्य बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा। अब तक 1,700 लोगों के मारे जाने और 3,400 से अधिक लोगों के लापता होने की खबर है। आशंका जताई जा रही है कि यह संख्या बढ़ सकती है।

म्यांमार लंबे समय से चल रहे गृहयुद्ध की चपेट में है और वहां पहले से ही एक बड़ा मानवीय संकट बना हुआ है। ऐसे में राहत-बचाव कार्यों में काफी मुश्किल हो रही है। म्यांमार के पड़ोसी देश थाईलैंड में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे और इसने राजधानी बैंकॉक समेत देश के अन्य क्षेत्रों को हिलाकर रख दिया था। हालात यह हैं कि अस्पतालों में जगह कम पड़ गई है और सड़कों पर अस्थाई तरीके से मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इलाज सामग्री व दवाओं की भी काफी कमी हो गई है।

‘जहां सेवा वहां स्वयंसेवक’, पीएम मोदी ने जमकर की आरएसएस की तारीफ, बताया-अमर संस्कृति का वट वृक्ष

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प्रधानमंत्री मोदी रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय केशव कुंज पहुंचे। उन्होंने संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी) के स्मारक स्मृति मंदिर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। बतौर प्रधानमंत्री मोदी की यह संघ मुख्यालय का पहला दौरा था। यहां प्रधानमंत्री ने संघ के माधव नेत्रालय के एक्सटेंशन बिल्डिंग की आधारशिला रखी। इस दौरान उन्होंने संघ की जमकर तारीफ की। उन्होंने आरएसएस क भारत की अमर संस्कृति का आधुनिक अक्षय वट बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि जहां सेवा है वहां स्वयंसेवक है।

प्रधानमंत्री मोदी अपनी स्पीच में देश के इतिहास, भक्ति आंदोलन, इसमें संतों की भूमिका, संघ की नि:स्वार्थ कार्य प्रणाली, देश के विकास, युवाओं में धर्म-संस्कृति, स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, शिक्षा, भाषा और प्रयागराज महाकुंभ की चर्चा की। कहा कि भारत के इतिहास में नजर डालें तो इसमें कई आक्रमण हुए। इतने आक्रमणों के बावजूद भी भारत की चेतना कभी समाप्त नहीं हुई, उसकी लौ जलती रही। कठिन से कठिन दौर में भी इस चेतना को जाग्रत रखने के लिए नए सामाजिक आंदोलन होते रहे। भक्ति आंदोलन इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

मध्यकाल के उस कठिन कालखंड में हमारे संतों ने भक्ति के विचारों से राष्ट्रीय चेतना को नई ऊर्जा दी। गुरु नानक देव, कबीरदास, तुलसीदास, सूरदास, संत तुकाराम, संत रामदेव, संत ज्ञानेश्वर जैसे महान संतों ने अपने मौलिक विचारों से समाज में प्राण फूंके। उन्होंने भेदभाव के बंधनों को तोड़कर समाज को एकता के सूत्र में बांधा।

बांधे संघ की तारीफों के पुल

स्वामी विवेकानंद से लेकर डॉक्टर साहब तक, किसी ने भी राष्ट्रीय चेतना को बुझने नहीं दिया। राष्ट्रीय चेतना के जिस विचार का बीज 100 वर्ष पहले बोया गया था, वह आज एक महान वटवृक्ष के रूप में खड़ा है। सिद्धांत और आदर्श इस वटवृक्ष को ऊंचाई देते हैं, जबकि लाखों-करोड़ों स्वयंसेवक इसकी टहनियों के रूप में कार्य कर रहे हैं। संघ भारत की अमर संस्कृति का आधुनिक अक्षय वट है, जो निरंतर भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को ऊर्जा प्रदान कर रहा है।

स्वयंसेवकों के नि:स्वार्थ सेवा भाव की सराहना

पीएम मोदी ने कहा कि हमारा शरीर परोपकार और सेवा के लिए ही है। जब सेवा संस्कार बन जाती है, तो साधना बन जाती है। यही साधना हर स्वयंसेवक की प्राणवायु होती है। यह सेवा संस्कार, यह साधना, यह प्राणवायु, पीढ़ी दर पीढ़ी हर स्वयंसेवक को तप और तपस्या के लिए प्रेरित करती है। उसे न थकने देती है और न ही रुकने देती है। हम देव से देश और राम से राग के जीवन मंत्र लेकर चले हैं। अपना कर्तव्य निभाते चलते हैं। इसलिए बड़ा छोटा कैसा भी काम हो, कोई भी क्षेत्र हो, संघ के स्वयंसेवक नि:स्वार्थ भाव से काम करते हैं।

भारत की सबसे बड़ी पूंजी हमारा युवा-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी पूंजी हमारा युवा है। देश का युवा आत्मविश्वास से भरा हुआ है। उसकी रिस्क-टेकिंग कैपेसिटी पहले से कई गुना बढ़ चुकी है। वह इनोवेशन कर रहा है, स्टार्टअप की दुनिया में परचम लहरा रहा है। अपनी विरासत और संस्कृति पर गर्व करते हुए आगे बढ़ रहा है।

महाकुंभ में हमने देखा कि लाखों-करोड़ों की संख्या में युवा पीढ़ी पहुंची और सनातन परंपरा से जुड़कर गौरव से भर उठी। भारत का युवा आज देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए काम कर रहा है। यही युवा 2047 के विकसित भारत की ध्वजा थामे हुए हैं। मुझे भरोसा है कि संगठन, समर्पण और सेवा की त्रिवेणी विकसित भारत की यात्रा को ऊर्जा और दिशा देती रहेगी।

भारत अब मदद करने का केंद्र है-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि 'वसुधैव कुटुंबकम' का मंत्र आज विश्व के कोने-कोने में गूंज रहा है। जब कोविड जैसी महामारी आती है, तो भारत विश्व को परिवार मानकर वैक्सीन उपलब्ध कराता है। दुनिया में कहीं भी प्राकृतिक आपदा हो, भारत पूरे मनोयोग से सेवा के लिए खड़ा होता है। म्यांमार में इतना बड़ा भूकंप आया है, भारत ऑपरेशन ब्रह्मा के साथ वहां के लोगों की मदद के लिए सबसे पहले पहुंच गया है। जब तुर्किए में भूकंप आया, जब नेपाल में भूकंप आया, जब मॉलदीव्स में पानी का संकट आया, भारत ने मदद करने में घड़ी भर की भी देर नहीं लगाई। युद्ध जैसे हालातों में हम दूसरे देशों के नागरिकों को भी सुरक्षित निकालकर लाते हैं। दुनिया देख रही है भारत आज जब प्रगति कर रहा है, तो पूरे ग्लोबल साउथ की आवाज़ भी बन रहा है। विश्व-बंधु की ये भावना... हमारे ही संस्कारों का विस्तार है।

पुतिन को मारने की साजिश? रूसी राष्ट्रपति काफिले में शामिल लिमोजिन कार में धमाका

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मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति पुतिन के काफिले में शामिल कार में धमाके की खबर है। पुतिन के काफिले की लग्जरी कार लिमोजिन में जबरदस्त धमाका हुआ है। धमाका मॉस्को में रूसी सुरक्षा एजेंसी एफएसबी मुख्यालय के बाहर हुआ है। धमाके के बाद कार पूरी तरह से जलकर खाक हो गई। हालांकि, इस धमाके में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। कार में धमाके का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। कार में आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है। द सन की रिपोर्ट के मुताबिक पुतिन ने इस धमाके के बाद सीवर की तलाशी से लेकर अपने गार्डों की जांच का आदेश दिया है।

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि मॉस्को के एफएसबी खुफिया विभाग के मुख्यालय के उत्तर में अचानक व्लादिमीर पुतिन के काफिले में शामिल लिमोजिन कार में विस्फोट हो गया। फुटेज के मुताबिक पहले कार के इंजन में आग लगी और बाद में यह अंदरुनी हिस्से तक फैल गई। कार में आग लगते ही आसपास के रेस्तरां और बार के कर्मचारी मदद के लिए पहुंचे। रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि घटना के वक्त कार कौन चला रहा था। बताया जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन को 275000 पाउंड वाली लिमोजिन कार काफी पसंद है। उन्होंने यह कार उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन को भी उपहार में दी है।

पुतिन की हत्या की कोशिश?

इस घटना के बाद दावा किया जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति की हत्या की कोशिश की गई है। रूस यूक्रेन युद्ध के बीच क्रेमलिन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर हमले की आशंका जताई है। यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए अमेरिका और रूसी राष्ट्रपति के बीच बातचीत हो रही है और इस दौरान सवाल उठ रहे हैं कि क्या व्लादिमीर पुतिन की हत्या की कोशिश की गई है?

जेलेंस्की ने की थी पुतिन के मरने की भविष्यवाणी

हाल ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने पुतिन को लेकर भविष्यवाणी की थी। 2 दिन पहले जेलेंस्की ने कहा था कि पुतिन जल्द मर जाएंगे। कीव इंडिपेंडेंट के अनुसार, जेलेंस्की ने 26 मार्च को पेरिस में यूरोपीय पत्रकारों के साथ एक इंटरव्यू के दौरान ये बात कही थी।

हालांकि, पुतिन के खराब स्वास्थ्य के बारे में लगातार अटकलों के बीच जेलेंस्की ने यह टिप्पणी की थी। पुतिन 72 साल के हैं। उन्हें कई बीमारियां हैं। पिछले साल उन्हें कार्डियक अरेस्ट भी आया था। इसके बाद हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था।

नागपुर में दीक्षाभूमि पहुंचे पीएम मोदी ने आंबेडकर को दी श्रद्धांजलि, जानें संविधान निर्माता से यहां का कनेक्शन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नागपुर दौरे पर पहुंचे हैं। इस दौरान 8 साल बाद नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय में पीएम मोदी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने स्मृति मंदिर में आरएसएस के संस्थापकों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पीएम मोदी बाबासाहब अंबेडकर के नागपुर स्थित दीक्षाभूमि पहुंचे। पीएम मोदी ने दीक्षाभूमि पहुंचकर डॉ बीआर आंबेडकर को भी श्रद्धांजलि दी। यहां डॉ. आंबेडकर ने 1956 में अपने हजारों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया था।

नागपुर की अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी दीक्षाभूमि पहुंचे, जहां अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विकसित और समावेशी भारत का निर्माण ही भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता डॉ. बी.आर. अंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। पीएम मोदी के दीक्षाभूमि के दौरे के दौरान महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद रहे

दीक्षाभूमि के विजिटर बुक में पीएम मोदी ने क्या लिखा?

वहीं बाबा साहब अंबेडकर के दीक्षाभूमि पहुंचने पर वहां के विजिटर बुक में पीएम मोदी ने लिखा, 'बाबासाहेब अंबेडकर के पंचतीर्थों में से एक नागपुर स्थित दीक्षाभूमि में आने का सौभाग्य पाकर अभिभूत हूं। इस पवित्र स्थल के वातावरण में बाबासाहेब के सामाजिक समरसता, समानता और न्याय के सिद्धांतों का सहज अनुभव होता है। दीक्षा भूमि हमें गरीबों, वंचितों और जरूरतमंदों के लिए समान अधिकार और न्याय की व्यवस्था के साथ आगे बढ़ने की व्यवस्था के साथ आगे बढ़ने की उर्जा प्रदान करता है।

पीएम मोदी ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि इस अमृत कालखंड में हम बाबासाहब के मूल्यों और शिक्षाओं के साथ देश को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। एक विकसित और समावेशी भारत का निर्माण करना ही बाबासाहब को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

दीक्षाभूमि से बाहा साहेब का कनेक्शन?

साल 1956 में 14 अक्तूबर को डॉ. आंबेडकर अपने अनुयायियों के साथ नागपुर की दीक्षाभूमि में बौद्ध धर्म अपना लिया था। ऐसा अनुमान है कि पूरे महाराष्ट्र और बाहरी राज्यों से 6 लाख दलितों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया था और बौद्ध धर्म अपनाया था। इस दिन को धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हर साल, राज्य भर और बाहर से दलित धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस मनाने के लिए दीक्षाभूमि में आते हैं। जिस दिन डॉ. आंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया उसी दिन दशहरा भी मनाया गया था। इसलिए परंपरा को ध्यान में रखते हुए, अंबेडकरवादी हर साल हर दशहरे पर दीक्षाभूमि पर डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करके उस दिन को मनाने के लिए बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं।