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चीन-पाक को लेकर सेना प्रमुख का बड़ा बयान, जानें क्या कहा?

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भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चीन और पाकिस्तान को लेकर बड़ा बयान दिया है। सेना प्रमुख ने चीन और पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियों को लेकर कहा कि आज उनकी मिलीभगत ने खतरा और बढ़ा दिया है। साथ ही उन्होंने चीन के एक प्रमुख आर्थिक और सामरिक शक्ति के रूप में उभरने से जटिलता के बढ़ने की बात कही है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन नियम-आधारित व्यवस्था को चुनौती दे रहा है और विघटनकारी गतिविधियों में आगे बढ़ रहा है।

सेना प्रमुख ने दिल्ली में जनरल बिपिन रावत मेमोरियल लेक्चर में यह बात कही।जनरल द्विवेदी ने कहा,देश कई तरह के प्रयासों के साथ काम कर रहा है, हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सुरक्षा के क्षेत्र में ‘किसी उभरती शक्ति द्वारा किसी मौजूदा शक्ति को हटाने के लिए युद्ध की आशंका’ में फंसना बहुत आसान है। उन्होंने कहा, क्या हम सामाजिक क्षेत्र में अनिवार्य आवश्यकताओं वाले देश के रूप में इस आशंका में फंसने का जोखिम उठा सकते हैं? साथ ही, क्या हम इस तथ्य को नजरअंदाज कर सकते हैं कि हम एक बेहद अस्थिर पड़ोस में रहते।

सेना प्रमुख ने कहा, जैसा कि जनरल रावत ने कहा था कि जब आपके उत्तर और पश्चिम में अस्थिर सीमाएं होती हैं, तो आप नहीं जानते कि लड़ाई किस तरफ से शुरू होगी और कहां खत्म होगी। इसलिए, आपको दोनों मोर्चों के लिए तैयार रहना चाहिए। आज, उच्च स्तर पर मिलीभगत ने खतरे को और बढ़ा दिया है।

जनरल द्विवेदी ने चीन की गतिविधियों पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि चीन मौजूदा विश्व व्यवस्था को चुनौती दे रहा है। उन्होंने कहा कि चीन के एक प्रमुख आर्थिक और सामरिक शक्ति के रूप में उभरने से जटिलता बढ़ रही है, प्रतिस्पर्धा पैदा हो रही और ग्लोबल साउथ का नेतृत्व करने के भारत के प्रयासों में बाधा आ रही है।

इससे पहले आठ मार्च को भी जनरल द्विवेदी ने चीन और पाकिस्तान की करीबी का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच काफी हद तक मिलीभगत है। इसे स्वीकार किया जाना चाहिए। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान की करीबी का मतलब है कि दोनों मोर्चों पर वास्तविक खतरा है। पाकिस्तान में अधिकांश उपकरण चीनी मूल के हैं। इसलिए यह दो-मोर्चे का खतरा और एक वास्तविकता है।

वक्फ बिल के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड प्रदर्शन, किस-किस ने दिया समर्थन, जानें कौन क्या बोला?*

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ आज मंगलवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बिल को वापस लेने की मांग की है। प्रदर्शन कारियों ने आरोप लगाया कि सरकार वक्फ संपत्तियों को लूटने की कोशिश कर रही है। साथ ही जेपीसी पर विपक्ष के विचारों पर भी विचार नहीं करने का भी आरोप लगाया। इस विरोध प्रदर्शन में सांसद असदुद्दीन ओवैसी और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत विपक्ष के तमाम नेता शामिल हुए।

अबू तालिब का पीएम मोदी पर तंज

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अबू तालिब रहमानी ने कहा कि हम यहां लड़ने, धमकाने, या समुदाय को ललकारने नहीं बल्कि अपने हकों के लिए आए हैं। अगर शाकाहारी पत्नी मांसाहारी पति के साथ रह सकती है तो देश में हिंदू मुसलमान साथ क्यों नहीं रह सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि पीएम कहते हैं बचपन में ईद पर खाना नहीं बनता है। हम आज भी शाकाहारी खाना भेज सकते हैं। आपकी मोहब्बत का दरवाजा बंद हो गया है।

उन्होंने आगे कहा कि जेपीसी ने बड़ी नाइंसाफी से काम लिया है। स्टेकहोल्डर को छोड़कर जो स्टेकहोल्डर नहीं हैं, उनसे बात कर रहे हैं। कहीं आप श्रीलंका ना चले जाए। आपको बांग्लादेश की हसीना अच्छी लगती है देश का हुसैन अच्छा नहीं लगता है।

महमूद मदनी के गंभीर आरोप

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद मदनी ने भी इस विधेयक को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, यह सिर्फ मुसलमानों का मामला नहीं है, बल्कि संविधान का मामला है। हमारे घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं, मस्जिदों और मदरसों को निशाना बनाया जा रहा है। वक्फ के जरिए संविधान पर भी बुलडोजर चलाने की कोशिश हो रही है।

मदनी ने आगे कहा, हमें हर हाल में इसकी मुखालफत करनी होगी। यह सिर्फ मुसलमानों की लड़ाई नहीं है, बल्कि सभी समुदायों को एकजुट होना होगा। बहुसंख्यक राज्य बनाने की कोशिश की जा रही है, हमें इसके खिलाफ खड़ा होना होगा। उन्होंने आगे कहा कि हर लड़ाई के लिए कुर्बानी की जरूरत होती है और हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। केवल सड़कों पर प्रदर्शन से काम नहीं चलेगा, इसके लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़नी होगी।

ओवैसी का सरकार पर तीखा हमला

वहीं, प्रदर्शन में सामिल असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों को मजबूत करने के लिए नहीं, बल्कि फसाद कराने के लिए लाया गया है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि ‘मोदी सरकार वक्फ संपत्तियों को लूटने और देश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रही है। ओवैसी ने यह भी कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस विधेयक पर आगे की रणनीति तय करेगा और संसद में इसका विरोध किया जाएगा।

महुआ मोइत्रा ने क् कहा

जंतर मंतर पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए महुआ मोइत्रा ने कहा, जब अयोध्या के राम मंदिर बोर्ड में किसी मुस्लिम को शामिल नहीं किया जा सकता। तो वक्फ बोर्ड में हिंदू को कैसे शामिल किया जा सकता है? ये मुस्लिमों की संपत्ति को छिनने के लिए है। उन्होंने आगे कहा, जो बातें 30 साल पहले बंद कमरों में होती थीं, वे अब खुले मंचों से कही जा रही हैं। देश में जो हालात बनाए जा रहे हैं, वैसा ही जर्मनी में भी हुआ था।

वक्फ की जमीनों को उद्योगपति को देना चाहती सरकार -इमरान प्रतापगढ़ी

जंतर-मंतर पर वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि सरकार को समझना होगा कि बहुत विरोध हो रहा है, यह अच्छी बात है कि संगठन लोकतांत्रिक तरीके से उस तानाशाही का विरोध कर रहे हैं, जिसे सरकार थोपने की कोशिश कर रही है। क्या वे वक्फ की जमीनों को लूटकर अपने उद्योगपति दोस्तों को देना चाहते हैं? अगर वे जेपीसी सदस्यों की राय नहीं सुनने वाले थे तो उन्होंने जेपीसी क्यों बनाई।

कौन था लश्कर-ए-तैयबा का मोस्ट वांटेड आतंकी अबू कताल? गोलियों से भून डाला गया

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लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का खूंखार आतंकवादी अबू कताल मारा गया। पाकिस्तान में रविवार को अबू कताल की गोली मारकर हत्या कर दी गई।पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित झेलम में अज्ञात बंदूकधारियों ने कतार को ढेर कर दिया। लश्कर-ए-तैयबा चीफ हाफिज सईद का करीबी और संगठन का प्रमुख सदस्य कताल जम्मू-कश्मीर में कई हमलों का मास्टरमाइंड था। कताल ने जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में तीर्थयात्रियों की बस पर हुए हमले में अहम भूमिका निभाई थी। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को इसकी लंबे समय से तलाश थी। ऐसे में अबू कताल का मारा जाना भारत के लिए भी बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।

कताल लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद का भतीजा है। हाफिज सईद ने अपने भतीजे अबू कताल को लश्कर का चीफ आपरेशन कमांडर बनाया था। हाफिज के इशारों पर कताल आतंकी घटनाओं को अंजाम देता था। अबू कताल की हत्या से आतंकियों को बड़ा झटका लगा है। अबू कताल दो दशक से जम्मू कश्मीर में बड़े आतंकी हमलों और घुसपैठ कराने का अहम रोल निभाता आया है। छह से सात बड़े हमलों के पीछे अबू कताल का ही हाथ था। कताल की पुंछ- राजौरी के अलावा जम्मू, किश्तवाड़ और डोडा में मजबूत पकड़ मानी जाती है। यही वजह है कि कताल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल था।

भारत की एनआईए ने साल 2023 के राजौरी हमले में शामिल होने की चार्जशीट में अबू कताल का भी नाम शामिल किया था। अबू कताल लश्करे तैयबा का ऑपरेशन प्रमुख संभालता था और उसके पास पीओके में आतंकियों के लॉंच पैड की भी जिम्मेदारी थी। खासतौर पर जम्मू इलाके में आतंकियों की घुसपैठ और ड्रोन व अन्य माध्यमों से हथियारों की सप्लाई भी वही सुनिश्चित करता था।

अजीत डोभाल और तुलसी गबार्ड के बीच हुई अहम बैठक, कनाडाई और ब्रिटेन के एनएसए से भी हुई बात

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अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड भारत आई हैं। तुलसी गबार्ड ने भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ अहम बैठक की। इसके अवाला उन्होंने अजीत डोभाल की अध्यक्षता में होने वाली एक महत्वपूर्ण सुरक्षा और खुफिया समिट में हिस्सा लिया। यह सम्मेलन आतंकवाद का मुकाबला करने और खुफिया जानकारी साझा करने में सहयोग बढ़ाने के लिए है।गबार्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस लौटने के बाद भारत आने वाली पहली उच्च-स्तरीय अधिकारी हैं। बता दें कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी अगले महीने भारत आ सकते हैं।

तुलसी गबार्ड तीन दिवसीय दौरे पर भारत आई हैं। तुलसी गैबर्ड रविवार को दिल्ली पहुंचीं।अजीत डोभाल ने अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड के साथ रविवार को द्विपक्षीय वार्ता की और दुनिया भर के शीर्ष खुफिया अधिकारियों के एक सम्मेलन की अध्यक्षता की। सम्मेलन में आतंकवाद और उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न खतरों सहित विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई। ऐसा माना जा रहा है कि डोभाल और गबार्ड ने वार्ता के दौरान मुख्य रूप से खुफिया जानकारी साझा करने के तंत्र को मजबूत बनाने और भारत-अमेरिका की वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के साथ सुरक्षा क्षेत्र में मिलकर काम करने के तरीकों पर चर्चा की।

वैश्विक खुफिया सम्मेलन, बंद कमरे में चर्चा

इससे पहले डोभाल ने शीर्ष वैश्विक खुफिया अधिकारियों के सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस में आतंकवाद और उभरती तकनीक से उत्पन्न खतरों सहित विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। सम्मेलन में कनाडाई खुफिया प्रमुख डैनियल रोजर्स और ब्रिटेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोनाथन पॉवेल भी शामिल थे। बंद कमरे में हुई इस वार्ता पर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है। माना जा रहा है कि खुफिया और सुरक्षा विभागों के शीर्ष अधिकारियों ने आतंकवाद और उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए खुफिया जानकारी साझा करने व आपसी सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया है।

तुलसी गबार्ड का दौरा क्यों अहम?

तुलसी की यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता, हमास-इजरायल युद्ध और पाकिस्तान में बलूच लड़ाकों के विद्रोह और आंतकी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार बनने के बाद उनकी टीम के किसी शीर्ष अधिकारी की यह भारत की पहली उच्चस्तरीय यात्रा है। इसके बाद उपराष्ट्रपति जेडी वेंस दौरे पर आ सकते हैं।तुलसी भारत के अलावा जापान, होनोलुलू, थाईलैंड और कुछ समय के लिए फ्रांस भी जाएंगी।डोनाल्ड ट्रंप की सरकार में शामिल होने के बाद गबार्ड की यह दूसरी विदेश यात्रा है। इससे पहले वो जर्मनी गई थीं, जहां उन्होंने म्यूनिक सेक्युरिटी कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था।

रायसीना डायलॉग में लेंगी हिस्सा

गबार्ड मंगलवार को रायसीना डायलॉग में भी हिस्सा लेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुलसी गबार्ड को रायसीना डायलॉग में शामिल होने के लिए न्योता दिया था। 18 मार्च को वो इसमें शिरकत करेंगी। इस सम्मेलन में गबार्ड भारत और अन्य देशों के अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगी। बता दें, रायसीना डायलॉग ऐसा मंच है, जहां जियोपॉलिटिक्स, जियोइकोनॉमिक्स से जुड़े वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाती है।

पीएम मोदी से भी मुलाकात संभल

गबार्ड के अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी से भी मुलाकात करने की संभावना है।पीएम मोदी पिछले महीने अपनी वाशिंगटन यात्रा के दौरान गैबर्ड से मिले थे। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा हुई थी।गैबर्ड की यह यात्रा दोनों देशों के बीच सुरक्षा और खुफिया सहयोग को और गहरा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

गोधरा के बाद हुए दंगों को पीएम मोदी ने बतया 'अकल्पनीय त्रासदी', जानें आरएसएस और महात्मा गांधी पर क्या कहा?

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के यूट्यूब चैनल पर एक पॉडकास्ट के लिए इंटरव्यू दिया है। पीएम मोदी ने पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन से विस्तार से बात की। उन्होंने अपनी बातचीत में गोधरा कांड को 'अकल्पनीय त्रासदी' बताया। तीन घंटे लंबे साक्षात्कार में, पीएम मोदी से गुजरात में 2002 के दंगों के बारे में पूछा गया और उनसे क्या सबक सीखा गया। पीएम मोदी ने बताया कि धारणा के विपरीत, जो दंगे हुए, वे गुजरात में देखे गए सबसे बुरे दंगे नहीं थे। न ही उसके बाद से राज्य में कोई सांप्रदायिक तनाव हुआ है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि शपथ लेने के बाद मैं पहले ही दिन से इसके लिए काम में जुट गया। मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं जिसका 'सरकार' नाम के साथ रिश्ता नहीं रहा था, सरकार क्या होती है मैं जानता नहीं था। मैं 24 फरवरी 2002 को पहली बार विधायक बना। मेरी सरकार 27 फरवरी 2002 को बजट पेश करने वाली थी और उसी दिन हमें गोधरा ट्रेन हादसे की सूचना मिली। यह बहुत गंभीर घटना थी। लोगों को जिंदा जला दिया गया था। आप कल्पना कर सकते हैं कि पिछली सभी घटनाओं के बाद स्थिति कैसी रही होगी। जो कहते थे कि यह बहुत बड़ा दंगा है, यह भ्रम फैलाया गया है।

पीएम मोदी ने कहा कि साल 2002 से पहले गुजरात में 250 से ज्यादा बड़े दंगे हुए थे। साल 1969 के दंगे करीब 6 महीने तक चले थे। यह धारणा कि ये अब तक के सबसे बड़े दंगे थे, गलत जानकारी है। अगर आप 2002 से पहले के आंकड़ों को देखें, तो आप पाएंगे कि गुजरात में अक्सर दंगे होते थे। कहीं न कहीं लगातार कर्फ्यू लगा रहता था। पतंगबाजी प्रतियोगिताओं या साइकिल की छोटी-मोटी टक्कर जैसी मामूली बातों पर भी सांप्रदायिक हिंसा भड़क जाती थी। प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि गोधरा ट्रेन कांड के बाद कुछ लोग हिंसा की ओर बढ़े। उन्होंने कहा कि केंद्र में सत्ता में बैठे उनके विरोधियों ने उनकी सरकार पर आरोप लगाने की कोशिश की। हालांकि, न्यायपालिका ने स्थिति का विश्लेषण करने के बाद उन्हें निर्दोष पाया

आरएसएस और महात्मा गांधी पर क्या बोले?

इंटरव्यू के दौरान पीएम मोदी ने आरएसएस के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने कहा, संघ एक बड़ा संगठन है। उसके 100 साल पूरे हो रहे हैं। दुनिया में इतना बड़ा स्वयंसेवी संगठन कहीं होगा? करोड़ों लोग उसके साथ जुड़े हुए हैं। संघ को समझना इतना सरल नहीं है। संघ के काम को समझना चाहिए। संघ जीवन के उद्देश्य को दिशा देता है।

पीएम मोदी ने कहा, संघ के कुछ स्वयंसेवक जंगलों में वनवासी कल्याण आश्रम चलाते हैं। आदिवासियों के बीच वह एकल विद्यालय चला रहे हैं। अमरीका में कुछ लोग हैं जो इन्हें 10 से 15 डॉलर का दान देते हैं। ऐसे 70 हजार विद्यालय चल रहे हैं। इसी तरह से शिक्षा में क्रांति लाने के लिए विद्या भारती नाम का संगठन खड़ा किया गया। देश में उनके करीब 25 हजार स्कूल चलते हैं।

संघ के सेवा भाव ने मुझे गढ़ने में मदद की-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने भारतीय मज़दूर संघ की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि 'वामपंथी मजदूर संघ कहते हैं, दुनिया के मजदूरों, एक हो जाओ। आरएसएस की शाखा से निकले लोग जो मजदूर संघ चलाते हैं वह कहते हैं,'मजदूरों, दुनिया को एक करो'। दो शब्दों में ही बदलाव है लेकिन वैचारिक बदलाव बड़ा है। संघ के सेवा भाव ने मुझे गढ़ने में मदद की है।

महात्मा गांदी के बारे में क्या कहा?

पीएम मोदी ने इंटरव्यू में बताया कि महात्मा गांधी का प्रभाव आज भी किसी न किसी रूप भारतीय जीवन पर दिखता है। उन्होंने कहा, आजादी की बात करें तो यहां लाखों वीरों ने बलिदान किया। जवानी जेलों में खपा दी। ये आते थे और देश के लिए शहीद हो जाते थे। परंपरा बनी रही और उसने एक वातावरण भी बनाया लेकिन गांधी ने जन आंदोलन खड़ा किया। उन्होंने हर काम को आजादी के रंग से रंग दिया। अंग्रेजों को कभी अंदाजा भी नहीं था दांडी यात्रा एक बहुत बड़ी क्रांति खड़ा कर देगी।

पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने सामूहिकता का भाव जो जगाया और जनशक्ति के सामर्थ्य को पहचाना। मेरे लिए आज भी वह उतना ही महत्वपूर्ण है। मैं जो भी काम करता हूं। मेरी कोशिश रहती है कि जनसामान्य को जोड़ करके करूं।

पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने पाकिस्तान को बताया धोखेबाज, जानें चीन और अमेरिका को लेकर क्या कहा?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अमेरिकन एआई रिसर्चर लेक्स फ्रिडमैन के साथ 3 घंटे का पॉडकास्ट रिलीज किया। पीएम ने पाकिस्तान, चीन, ट्रम्प, विश्व राजनीति, खेल, राजनीति और आरएसएस समेत निजी जीवन से जुड़े सवालों के जवाब दिए। पीएम ने पाकिस्तान को लताड़ लगाते हुए कहा कि वहां से हमेशा धोखा ही मिला। साथ ही उन्होंने चीन-भारत के रिश्तों और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी दोस्ती को लेकर भी कई बातें कही है।

पाकिस्तान पर खूब बरसे पीएम मोदी

पड़ोसी देश पाकिस्तान के बारे में पीएम मोदी ने कहा, दुनिया में कहीं भी आंतकवाद की घटना घटती है। सूत्र कहीं न कहीं पाकिस्तान जाकर अटकते हैं। उन्होंने कहा, अमेरिका में 9/11 की इतनी बड़ी घटना घटी। उसका मेन सूत्रधार ओसामा बिन लादेन आखिर में कहां से मिला? पाकिस्तान में शरण लेकर बैठा था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, पाकिस्तान सिर्फ भारत के लिए नहीं दुनियाभर के लिए परेशानी का केंद्र बन चुका है। हम लगातार उसको कहते रहे हैं कि इस रास्ते से किसका भला होगा। आप आतंकवाद के रास्ते को छोड़ दीजिए। स्टेट स्पॉन्सर्ड आतंकवाद बंद होना चाहिए।

फ्रीडमैन के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, शांति के प्रयासों के लिए मैं खुद लाहौर चला गया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद मैंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को खास तौर से आमंत्रित किया था ताकि एक शुभ शुरुआत हो। हर बार अच्छे प्रयासों का परिणाम नकारात्मक निकला। हम आशा करते हैं कि उनको सद्बुद्धि मिले।

चीन पर पीएम ने कही हैरान करने वाली बात

भारत चीन संबंधों पर भी पीएम मोदी ने खुलकर अपनी बात रखी। पीएम मोदी ने कहा, भारत और चीन का संबंध आज का नहीं है। मॉडर्न वर्ल्ड में भी हम लोगों की भूमिका है। इतिहास को देखें तो भारत और चीन सदियों तक एक-दूसरे से सीखते रहे हैं। साल 1975 के बाद पहली बार दोनों देशों के बीच टकराव ने संघर्ष का रूप ले लिया। इस संघर्ष में दोनों पक्षों के जवान मारे गए थे। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी बैठक का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कु राष्ट्रपति शी के साथ मेरी बैठक के बाद हमने सीमा पर सामान्य स्थिति की वापसी देखी है। हम 2020 से पहले के स्तर पर स्थितियों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं। विश्वास में समय लगेगा, लेकिन हम बातचीत के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने संघर्ष के बजाय स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता पर भी जोर दिया। 21वीं सदी एशिया की सदी है। भारत और चीन को स्वाभाविक रूप से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, टकराव नहीं।

ट्रंप में खुद निर्णय लेने की क्षमता- पीएम मोदी

इस पॉडकास्ट में पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कैसे ट्रंप ने उनकी दोस्ती गहरी हो गई। पीएम मोदी ने 2019 के अमेरिकी दौरे को याद करते हुए कहा, हाउडी मोदी कार्यक्रम जब मैं मंच पर बोल रहा था तो ट्रंप मुझे सुन रहे थे। भाषण खत्म करके जब मैं उनके पास गया और कहा कि हम साथ में स्टेडियम का चक्कर लगाते हैं तो वह तुरंत तैयार हो गए और मेरे साथ चल पड़े। ऐसा करना आसान नहीं था क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा को लेकर कई प्रोटोकॉल होते हैं। इस समय मैंने समझा कि ट्रंप में खुद निर्णय लेने की क्षमता है। मैं भारत फर्स्ट वाला हूं वो अमेरिका फर्स्ट वाले हैं।

वक्फ विधेयक के खिलाफ आज प्रदर्शन, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को मिला कांग्रेस समेत कई दलों का साथ

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वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर आज जंतर मंतर पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का धरना प्रदर्शन है। वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ धरने में विभिन्न मुस्लिम संगठनों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ ही विपक्ष के कई सांसदों को आमंत्रित किया गया है। इस धरने में कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी समेत कई दल शामिल हो रहे हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई संगठनों का मानना है कि वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित बदलाव स्वायत्तता के लिए खतरा है। वक्फ बिल बोर्ड की वित्तीय और प्रशासनिक स्वतंत्रता पर असर डालेगा। इसलिए पूरे देश में विरोध किया जा रहा है।

नायडू-नीतीश को भी निमंत्रण

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ जंतर मंतर पर होने वाला प्रदर्शन में सभी दलों, संगठनों और समुदाय के लोगों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। बोर्ड के प्रतिनिधियों ने जनवरी और फरवरी में तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जद(यू) अध्यक्ष नीतीश कुमार से मुलाकात कर उनसे सहयोग मांगा था, लेकिन ये दोनों दल फिलहाल इस विषय पर सरकार के साथ नजर आ रहे हैं। आयोजकों ने साफ किया कि विरोध प्रदर्शन का मकसद किसी सरकार या पार्टी के खिलाफ नहीं बल्कि समुदाय के हक की रक्षा करना है।

सदन में भी हंगामे के आसार

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन को लेकर भी सदन में हंगामा हो सकता है। विपक्षी दल इसको लेकर सरकार पर लगातार हमलावर है। वहीं, सरकार हर हाल में इस बिल को पास कराना चाहती है। हाल ही में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि सरकार वक्फ संशोधन बिल को जल्द पारित कराना चाहती है। क्योंकि इससे मुस्लिम समुदाय के कई मुद्दे सुलझेंगे। संसद की संयुक्त समिति ने विपक्ष के भारी विरोध के बीच इस बिल पर अपनी रिपोर्ट लोकसभा में पेश की थी। इसलिए सरकार के लिए वक्फ संशोधन बिल को जल्द पारित कराना प्राथमिकता है।

पहले 13 मार्च को होना था प्रदर्शन

पर्सनल लॉ बोर्ड पहले 13 मार्च को धरना देने वाला था, लेकिन उस दिन संसद के संभावित अवकाश के चलते कई सांसदों ने अपनी उपस्थिति को लेकर असर्मथता जताई, जिसके बाद उसने कार्यक्रम में बदलाव किया। बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वक्फ संशोधन बिल अवकाफ को हड़पने की एक सोची समझी साजिश है, जिसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। मिल्लत-ए-इस्लामिया वक्फ संशोधन बिल को खारिज करता है।

मोहम्मद यूनुस ने अपने ही राजदूत का पासपोर्ट किया रद्द, सच बोलने की दी सजा

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बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार अपने ही राजदूत हारून रशीद का पासपोर्ट रद्द करने जा रही है। उनके साथ ही उनके परिवार के पासपोर्ट भी रद्द किए जाएँगे। दरअसल, मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा था। राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाए थे। रशीद के इस फेसबुक पोस्ट से जब यूनुस सरकार ने अपनी पोल खुलती देखी, तो फिर दबाव में आ गए।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में दावा किया कि रशीद को दिसम्बर, 2024 में ही अपना पद छोड़कर बांग्लादेश वापस बुलाया गया था। विदेश मंत्रालय ने बताया कि रशीद इसमें आनाकानी करते रहे और फरवरी, 2025 में उन्होंने अपना पद भी छोड़ दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि रशीद अब कनाडा चले गए हैं।

मोहम्मद यूनुस सरकार की आलोचना को विदेश मंत्रालय ने एजेंडा करार दिया है। यूनुस सरकार ने कहा है कि रशीद के बयान सच्चाई से इतर हैं। विदेश मंत्रालय ने यूनुस सरकार की आलोचना को सिम्पथी बटोरने का एक साधन करार दिया है।

बांग्लादेश की पहचान को नष्ट करने का आरोप

इससे पहले हारून रशीद ने 14 मार्च को फेसबुक पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट किया था। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

जीएसटी पर गरमाई राजनीति, पॉपकॉर्न के बाद डोनट्स को लेकर कांग्रेस के निशाने पर सरकार

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केंद्र सरकार की जीएसटी को लेकर कांग्रेस के निशाने पर है। कांग्रेस ने शनिवार को जीएसटी की अलग-अलग दरें लागू करने को लेकर केन्द्र पर एक बार फिर से तीखा प्रहार किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार (15 मार्च) को कहा कि पॉपकॉर्न के बाद अब ‘डोनट’ पर भी जीएसटी का असर देखने को मिल रहा है। उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश को अब ‘जीएसटी 2.0’ की जरूरत है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि सिंगापुर स्थित चेन मैड ओवर डोनट्स को अपने व्यवसाय को कथित रूप से गलत तरीके से वर्गीकृत करने और 5 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करने के लिए 100 करोड़ रुपये का कर नोटिस का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी ने दावा किया कि यह एक रेस्टोरेंट सेवा है, जबकि बेकरी वस्तुओं पर 18 प्रतिशत कर का भुगतान किया जा रहा है। इस वजह से कंपनी पर भारी टैक्स बकाया हो गया। अब ये मामला मुंबई हाई कोर्ट में पहुंच चुका है जहां इस पर कानूनी लड़ाई जारी है।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की हकीकत यही- जयराम रमेश

जयराम रमेश ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ये पूरा मामला बताता है कि ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की असलियत क्या है। सरकार इस नारे का इस्तेमाल तो करती है, लेकिन हकीकत में व्यापारियों को बेवजह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रमेश ने कहा कि टैक्स प्रणाली में कई विसंगतियां हैं और इसलिए अब जीएसटी 2.0 की जरूरत महसूस हो रही है ताकि सभी व्यापारियों को समान अवसर और राहत मिल सके।

जीएसटी को लेकर पहले भी सवाल उठा चुकी कांग्रेस

पिछले साल दिसंबर में, कांग्रेस ने कहा था कि जीएसटी के तहत पॉपकॉर्न के लिए तीन अलग-अलग टैक्स स्लैब की "बेतुकी" व्यवस्था केवल सिस्टम की बढ़ती जटिलता को उजागर करती है और पूछा कि क्या मोदी सरकार जीएसटी 2.0 को लागू करने के लिए पूरी तरह से बदलाव करने का साहस दिखाएगी।

'मैं नहीं चाहता पीएम मोदी और दुनिया के दूसरे नेता राजधानी में गड्ढे देखें', आखिर ट्रंप ने ऐसा क्यों कहा?

#trump_says_never_wanted_pm_modi_to_see_tent_and_graffiti_washington

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वाशिंगटन डीसी की साफ सफाई को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि वह नहीं चाहते थे कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनसे मिलने आए अन्य वैश्विक नेताओं को वाशिंगटन में संघीय भवनों के पास तंबू और भित्तिचित्र देखने को मिलें। यही कारण है कि वैश्विक नेताओं के दौरे के दौरान उनके रूट को डायवर्ट कराया था। बता दें कि पिछले महीने पीएम मोदी सहित कई नेताओं ने अमेरिका का दौरा किया था।

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हम अपने शहर की सफाई करने जा रहे हैं। हम इस महान राजधानी की सफाई करेंगे, और यहां अपराध नहीं होने देंगे। हम भित्तिचित्रों को हटाने जा रहे हैं, और हम पहले से ही टेंट्स को हटा रहे हैं। इसके लिए हम प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने वाशिंगटन डीसी के मेयर म्यूरियल बोसर की तारीफ की और कहा कि वे राजधानी की सफाई का अच्छा काम कर रहे हैं। ट्रंप ने कहा कि 'हमने कहा कि विदेश विभाग के ठीक सामने बहुत सारे टेंट हैं। उन्हें हटाना होगा और उन्होंने उन्हें तुरंत हटा दिया। हम एक ऐसी राजधानी चाहते हैं जिसकी दुनियाभर में तारीफ हो।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने आगे कहा कि जब भारत के प्रधानमंत्री मोदी, फ्रांस के राष्ट्रपति ये सभी लोग… ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सभी पिछले डेढ़ सप्ताह में मुझसे मिलने आए थे और जब वे आए… तो मैंने मार्ग परिवर्तित कराया था। मैं नहीं चाहता था कि वे तंबू लगे देखें। मैं नहीं चाहता था कि वे भित्तिचित्र देखें। मैं नहीं चाहता था कि वे सड़कों पर टूटे हुए बैरियर और गड्ढे देखें। हमने इसे सुंदर बना दिया।

ट्रंप ने आगे कहा कि हम एक अपराध मुक्त राजधानी बनाने जा रहे हैं। जब यहां लोग आएंगे तो उन्हें लूटा नहीं जाएगा, गोली नहीं मारी जाएगी या दुष्कर्म नहीं किया जाएगा। यह पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित, साफ और बेहतर राजधानी होगी और इसमें ज्यादा समय भी नहीं लगेगा।