परिसीमन के लिए नए फॉर्मूले की जरूरत, जानें कांग्रेस नेता मनीष तिवारी का सुझाव
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देश में इस वक्त परिसीमन का मामला गरमाया हुआ है। दक्षिण भारत के राज्य परिसीमन को लेकर खासी नाराजगी जता रहे हैं। इसकी वजह यह है कि नए परिसीमन के तहत दक्षिण भारत की लोकसभा सीटों में कमी हो सकती है। यही, वजह है कि राजनीतिक दलों और नेताओं में नाराजगी बढ़ गई है। इस बीच कांग्रेस नेता मनीष तिवारी परिसीमन के लिए नया फॉर्मूला तैयार करने का सुझाव दिया है।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने गुरुवार को कहा कि अगर परिसीमन प्रक्रिया ‘एक वोट, एक मूल्य’ के सिद्धांत पर होती है तो सिर्फ मध्य भारत के राज्यों को ही इसका फायदा होगा, जबकि वे जनसंख्या कंट्रोल के मामले में पिछड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि परिसीमन के लिए नया फॉर्मूला तैयार करने की जरूरत है।
मनीष तिवारी ने इसको लेकर सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर एक पोस्ट डाला। उन्होंने कहा, 'अगर परिसीमन ‘एक वोट, एक मूल्य’ के मौजूदा सिद्धांत पर किया जाता है, तो दक्षिणी और उत्तरी राज्यों में लोकसभा सीट तुलनात्मक रूप से हो जाएंगी और केवल मध्य भारत के राज्यों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए परिसीमन के बाद पंजाब और हरियाणा दोनों की लोकसभा सीट की संख्या 18 होगी, जबकि वर्तमान में, पंजाब में 13 और हरियाणा में 10 सीट हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि परिसीमन के लिए नया फॉर्मूला तैयार करने की जरूरत है।
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि हमारी सीमा पाकिस्तान और चीन दोनों से लगती है. ऐसी परिस्थितियों में, इस परिसीमन को करने के लिए एक नया तरीका खोजना होगा। इसलिए, भारतीय संघ बनाने वाले राज्यों की आकांक्षाएं और अपेक्षाएं नए सदन की संरचना में उचित रूप से परिलक्षित हों। नहीं तो सभी की संख्याएं स्थिर होनी चाहिए। यदि मौजूदा सिद्धांतों का पालन किया जाता है, तो केवल उन्हीं राज्यों को पुरस्कृत किया जाएगा जिन्होंने बर्थ कंट्रोल या जनसंख्या कंट्रोल का अभ्यास नहीं किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में साल 2026 में नया परिसीमन होना है। कहा जा रहा है कि इस परिसीमन से पूरे देश में लोकसभा सीटों का बढ़ना तय है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने चिंता जताई है कि परिसीमन से दक्षिणी राज्यों को नुकसान होगा।
Mar 06 2025, 20:06