गोधरा कांड को लेकर केन्द्र का अहम फैसला, गवाहों की सुरक्षा हटी, 14 लोगों की हिफाजत कर रहे थे 150 जवान
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गोधरा कांड को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अहम फैसला लिया है। गोधरा कांड के 14 गवाहों की सुरक्षा हटा दी गई है। जिन्हें सीआईएसएफ के 150 जवानों द्वारा सुरक्षा प्रदान की जा रही थी। सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय ने एसआईटी की रिकमेंडेशन रिपोर्ट के आधार पर 14 गवाहों की सुरक्षा को हटाने का फैसला लिया है। गोधरा कांड पर बनी एसआईटी ने 10 नवंबर 2023 को इन गवाहों की सुरक्षा हटाने की अपनी रिपोर्ट दी थी। वर्ष 2002 में गुजरात के गोधरा में सारबमती एक्सप्रेस आगजनी में अयोध्या से लौट रहे 59 हिंदू तीर्थयात्रियों की जलकर मौत हो गई थी। इस घटना के बाद गुजरात में व्यापक स्तर पर दंगे भड़के थे, जिसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे।
गोधरा कांड के गवाहों को 2009 से तत्कालीन यूपीए सरकार के रिकमेंडेशन पर सुरक्षा मिल रही थी, दो दिनों पहले ये सुरक्षा हटाई गई। पूर्व पीएम दिवंगत मनमोहन सिंह सरकार ने इन गवाहों को सुरक्षा मुहैया करवाई थी। गवाहों की सुरक्षा में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के 150 से ज्यादा जवान तैनात थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गोधरा कांड की जांच करने वाली एसआईटी के सुझाव पर यह फैसला लिया है।
क्या है गोधरा कांड
27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा में अयोध्या से लौट रहे कारसेवकों को ले जा रही साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी में आग लगा दी गई थी। इस हादसे में 58 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद पूरे राज्य में दंगे भड़के थे, जिसके बाद केंद्र सरकार को भारी सेना भेजनी पड़ी थी। मामला यहां थमा नहीं था, इसके बाद बलात्कार, लूटपाट और संपत्ति के नुकसान, घरों और दुकानों को जलाने की भी कई खबरें सामने आईं थीं।
ये भारत में सबसे भीषण सांप्रदायिक हिंसा में से एक था। इस हादसे में जिसमें 790 मुस्लिम और 254 हिंदुओं सहित 1044 लोग मारे गए थे। इस हादसे के बाद लगभग 2 लाख लोग विस्थापित हुए, जिसमें से कई लोग अपने घरों में वापस नहीं जा सके और नए इलाकों में बस गए।
Mar 05 2025, 15:09