भारत को F-35 बेचना चाहता है अमेरिका, जानें भारत के कितना मुश्किल सौदा
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प्रधानमंत्री नरेनेद्र मोदी ने फरवरी के दूसरे हफ्ते में अमेरिका का दौरा किया। अपने यूएस दौरे के दौरान पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। इस दौरान ट्रंप ने भारत को अपना अत्याधुनिक लड़ाकू विमान F-35 देने की पेशकश की। पीएम मोदी के साथ व्हाइट हाउस में मुलाकात के बाद ट्रंप ने घोषणा की कि उनका प्रशासन अमेरिकी स्टील्थ फाइटर को भारत को बेचने के लिए तैयार है। इससे भारत अत्याधुनिक स्टील्थ विमानों वाले देशों के एलीट क्लब में शामिल हो जाएगा। ऐसे में सवाल ये है कि भारत अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान खरीदता है तो ये कितना जरूरी होगा? इसे खरीदने के लिए भारत को कितना पैसा खर्च करने पड़ेंगे? और सबसे अहम सवाल इसे खरीदने में क्या कहीं कोई झोल है?
कीमत सबसे बड़ा रोड़ा
F-35 अमेरिका का 5वीं जेनरेशन का लड़ाकू विमान है। इसे लॉकहीड मार्टिन कंपनी ने डेवलप किया है। इस प्लेन को 2006 से बनाना शुरू किया गया था। 2015 से यह अमेरिकी वायुसेना में शामिल है। ये पेंटागन के इतिहास का सबसे महंगा विमान है। अमेरिका एक F-35 फाइटर प्लेन पर औसतन 82.5 मिलियन डॉलर (करीब 715 करोड़ रुपए) खर्च करता है। अमेरिकी सरकार के कामों पर नजर रखने वाली संस्था गर्वनमेंट अकाउंटिबिलिटी ऑफिस (जीएओ) के मुताबिक, एक F-35 के रखरखाव पर हर साल 53 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। ऐसे में अगर भारत 1000 करोड़ रुपए में ये विमान खरीदता है, तो इसके 60 साल के सर्विस पीरियड में 3,180 करोड़ रुपए खर्च होंगे। ये विमान की कीमत से तीन गुना ज्यादा है। इसके अलावा इसकी हर घंटे की उड़ान पर 30 लाख रुपए खर्च होंगे। इन विमानों की संख्या फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमानों के दो स्क्वाड्रन (36 विमान) की मौजूदा संख्या के बराबर हो सकती है।
सरकार से सरकार के बीच होता है सौदा
एफ- 35 विमान को लॉकहीड मार्टिन सीधे किसी देश को बेच नहीं सकती है। इस विमान का सौदा सरकार से सरकार के बीच होता है। पेंटागन इसमें मध्यस्थ की भूमिका निभाता है। डोनाल्ड ट्रंप ने अभी तक इन विमानों को भारत को देने से जुड़ी कोई समय सीमा नहीं बताई है। मगर रॉयटर्स के मुताबिक स्टेल्थ एफ-35 जेट की डिलीवरी में वर्षों का समय लग जाता है। लिहाजा सवाल ये उठते हैं कि अगर भारत इस फाइटर जेट को खरीदने की सोचता है, तो वो सरकार से सरकार स्तर पर बातचीत करेगा या फिर डायरेक्ट कंपनी से ही डील करेगा? अगर 'सरकार से सरकार' रास्ते से अधिग्रहण का फैसला लिया जाता है, तो फाइटर जेट की क्वालिटी, उसकी कीमत, दूसरे लड़ाकू विमानों के साथ उसके कॉर्डिनेशन, ज्वाइंट प्रोडक्शन की संभावना और उसके ऑपरेशन की स्थितियों जैसे कई सवाल होंगे, जिनके जवाब तलाशने होंगे।
ड्रोन टेक्नोलॉजी के आगे फाइटर जेट्स पुराने
वहीं, ड्रोन टेक्नोलॉजी से युद्ध लड़े जाने का तरीका बदल गया है। फ्रंट लाइन पर फाइटर जेट्स की बजाय ड्रोन से हमला करना आसान है। रूस-यूक्रेन युद्ध में फ्रंट लाइन के पास एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम लगे होने की वजह से फाइटर जेट्स का हमला कर पाना मुश्किल है। ऐसे में छोटे और बेहद कम कीमत वाले ड्रोन्स सबसे घातक हथियार साबित हुए हैं।
बता दे कि ट्रंप के करीबी लन मस्क भी इस फाइटर जेट पर सवाल उठा चुके हैं।मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट में वीडियो अपलोड किया था। इसमें एक साथ सैकड़ों छोटे ड्रोन आसमान को घेरे हुए थे। मस्क ने लिखा था- कुछ बेवकूफ अभी भी F-35 जैसे पायलट वाले लड़ाकू जेट बना रहे हैं। मस्क ने कहा कि F-35 का डिजाइन शुरुआती लेवल पर ही खराब था। इसे ऐसे डिजाइन किया गया कि हर किसी को हर खासियत मिल सके। लेकिन इसकी वजह से F-35 महंगा हो गया और उलझा हुआ प्रोडक्ट बन गया। ऐसे डिजाइन को कभी सफल होना ही नहीं था। वैसे भी ड्रोन के जमाने में अब ऐसे फाइटर जेट्स का कोई मतलब नहीं है। ये सिर्फ पायलट की जान लेने के लिए हैं।
अमेरिका भारत को एफ-35 क्यों बेचना चाहता है?
दरअसल, ट्रंप सैन्य हथियारों के माध्यम से भारत के साथ होने वाले व्यापार घाटे को पाटना चाहते हैं। ट्रंप ने कहा कि इस साल से हम भारत को कई अरब डॉलर की सैन्य बिक्री बढ़ाएंगे। भारत को एफ- 35 स्टेल्थ लड़ाकू विमान बेचेंगे। ट्रंप ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ है। इसके तहत भारत दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे को कम करने के लिए अधिक मात्रा में अमेरिकी तेल और गैस का आयात भी करेगा।
यही नहीं, रूस ने भी भारत को सुखोई एसयू-57 देने की पेशकश की है। रूस ने तो इन विमानों को भारत में तैयार करने का प्रस्ताव भी दिया है। रूस ने भारत को तकनीक ट्रांसफर करने की बात भी कही है। भारत सबसे अधिक हथियार रूस से ही खरीदता है और भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार बाजार है। रूस ने भारत के AMCA कार्यक्रम में भी मदद की पेशकश की है। यही वजह है कि ट्रंप यह डील रूस के हाथों नहीं जाने देना चाहते हैं।
11 hours ago