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उमर ने दिखाए PAK के खिलाफ तेवर, बोले- जब तक आतंकवाद को मदद, नहीं होगी बातचीत

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि भारत सरकार पाकिस्तान से तब तक बात नहीं करेगी, जब तक वह आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं कर देता. सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हममें से किसी के लिए भी यह कहना मूर्खता होगी कि जम्मू-कश्मीर में जो कुछ हो रहा है, वह पूरी तरह से यहां से हो रहा है और इसमें किसी बाहरी सहायता की जरूरत नहीं है.

यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान अभी भी इस क्षेत्र में दखल दे रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान ने कभी जम्मू-कश्मीर में दखल देना बंद किया है.”

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने हमेशा भारत सरकार की चिंताओं को दूर करने के लिए पाकिस्तान को साथ लेने की कोशिश की है, ताकि एक दोस्ताना कामकाजी संबंध स्थापित हो सके.

पाकिस्तान के साथ बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें ऐसा (पाकिस्तान के साथ कामकाजी संबंध) होता हुआ दिखाई देता है, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कहा, “मुझे ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं देता है.”

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने कभी नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार को पाकिस्तान के साथ बातचीत करने की सलाह दी है, उमर ने कहा, “फिलहाल मुझे भारत द्वारा पाकिस्तान के साथ बातचीत करने की कोई गुंजाइश नहीं दिखती है.”

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर में जिस तरह के हमले हुए हैं, जैसे कि सशस्त्र बलों और निर्माण शिविरों को निशाना बनाया गया है, उसके बाद कोई गुंजाइश नहीं है. सरकार से यह कहना बहुत मुश्किल हो जाता है कि उसे बात करनी है.

भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच फ्लैग मीटिंग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इन बैठकों का उद्देश्य बल प्रयोग के बिना तनाव कम करना है.

बजट को लेकर सीएम ने कही ये बात

जम्मू-कश्मीर के बजट पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हमारे पास पांच साल का जनादेश है. एक बजट में सभी मुद्दों को संबोधित नहीं किया जा सकता. हम अपने कार्यकाल में लोगों की सभी उम्मीदों को पूरा करने की कोशिश करेंगे.

उन्होंने कहा कि पहला बजट सभी सार्वजनिक मुद्दों को संबोधित नहीं कर सकता, लेकिन अगले पांच सालों के लिए नींव रखने के लिए यह एक अच्छी शुरुआत होगी.

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें पता है कि लोगों की उम्मीदें हैं और सरकार उन उम्मीदों पर खरा उतरेगी. उन्होंने कहा कि पहले बजट में सभी मुद्दों को हल नहीं किया जा सकता है, लेकिन अगले पांच सालों के लिए नींव रखने के लिए यह एक अच्छी शुरुआत होगी.

महिलाओं के लिए नहीं अब बस में पुरुषों के लिए छोड़नी होगी सीट… इस राज्य की सरकार ने लिया फैसला

बस में महिला यात्रियों के लिए आरक्षित सीटें उनके लिए छोड़ दी जाएं”, “महिलाएं सीट…” बस और मेट्रो में सफर करते हुए आपने सीट के ऊपर इस तरह के संदेश लिखे जरूर देखें होंगे. अगर आप महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर बैठकर यात्रा करते हैं, तो आपको जुर्माना देना पड़ जाता है. कई बार महिलाओं की सीट पर तो महिलाएं बैठी होती ही हैं, साथ ही पुरुषों की सीट पर भी महिलाएं बैठी होती हैं.

ऐसे में महिलाओं को तो सीट मिल जाती है, लेकिन पुरुषों को सीट नहीं मिलती. कांग्रेस सरकार की गारंटी योजनाओं में से एक शक्ति योजना के बाद बसों में महिलाओं की संख्या काफी बढ़ गई है. क्योंकि इस योजना के तहत महिलाओं के लिए यात्रा मुफ्त है. अब पुरुषों से कहा जाता है कि वह अपनी सीट भी महिलाओं को दे दें. अब कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम के मैसूर डिवीजन ने इस मामले को लेकर एक आधिकारिक आदेश जारी कर दिया है.

पुरुष यात्रियों को नहीं मिल रही सीट

महिला यात्रियों की संख्या ज्यादा होने की वजह से पुरुष यात्रियों को सीट नहीं मिल पा रही हैं. इसलिए पुरुष यात्रियों के लिए आरक्षित सीटें उन्हें दी जानी चाहिए. (KSRTC) मैसूर डिवीजनल कंट्रोलर ने हाल ही में ड्राइवरों और कर्मचारियों को इस मामले पर ध्यान देने का आदेश जारी किया. यह आदेश पुरुषों के लिए आरक्षित सीटों पर महिलाओं के यात्रा करने के मुद्दे के संबंध में जारी किया जा रहा है.

ड्राइविंग स्टाफ को निर्देश दिया गया

विष्णुवर्धन एस ने केंद्रीय कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें कहा गया है कि मैसूर शहर के परिवहन वाहनों में पुरुष यात्रियों के लिए आरक्षित सीटों पर महिला यात्री बैठती हैं और पुरुष यात्रियों को सीट नहीं मिलती है. मैसूर डिवीजनल कंट्रोलर ने आदेश में कहा कि सभी ड्राइविंग स्टाफ को निर्देश दिया गया है कि वह देखें कि पुरुष यात्रियों को सीट मिले और पुरुष यात्रियों की सीट पर पुरुष यात्रियों को बैठने दिया जाए.

पश्चिम बंगाल: बीरभूम में महिला और दो बच्चों की हत्या, पुलिस जांच में जुटी

पश्चिम बंगाल के बीरभूम इलाके में दो बच्चे और महिला की हत्या के बाद इलाके में तनाव बना हुआ है. लोगों ने बताया कि महिला अपने बच्चों के साथ रहती थी लेकिन सुबह जब उसके घर लोगों की नजर पड़ी तो तीन के शव खून से लथपथ पड़े हुए थे. लोगों ने घटना की जानकारी पुलिस को दी. मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने जांच पड़ताल की है.

बीरभूम के तंगरा की घटना ने बंगाल में एक बार फिर से तनाव पैदा कर दिया है. एक महिला और दो बच्चों की हत्या कैसे हुई? उस परिवार के दो भाई और एक महिला कैसे शिकार हो गए? फिलहाल पुलिस इन सभी सवालों के जवाब ढूंढने में जुटी है.

घटना बीरभूम के मोहम्मद बाजार के मैनेजर पाड़ा गांव में घटी. वहां एक घर से मां और दो बच्चों के खून से लथपथ शव बरामद किए गए. मोहम्मद बाजार थाना पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस का अनुमान है कि तीनों लोगों की हत्या की गई है. लेकिन यह किसने किया? इस बारे में अभी कोई सूचना नहीं मिल सकी है.

खून से लथपथ मिले शव

पुलिस के अनुसार, मृतका का नाम लक्ष्मी मद्दी है. उनके पति लालू मद्दी अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहते थे. इसी वजह से दोनों बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी के कंधों पर आ गई. दोनों बच्चे मां के साथ घर पर अकेले रहते थे. शुक्रवार की सुबह पड़ोसियों ने सबसे पहले घर में महिला और दो बच्चों के खून से लथपथ शव पड़े देखे. इसके बाद पुलिस को सूचित किया गया.

जांच में जुटी पुलिस

लेकिन जब पुलिस ने मृतकों के शवों को ले जाने की कोशिश की तो स्थानीय लोगों ने उन्हें रोक दिया. उन्होंने मांग की कि हत्या की जांच के लिए पुलिस कुत्ते बुलाए और मामले की बारीकी से जांच हो. लोगों ने कहा कि पुलिस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है. पुलिस को आरोपियों को पकड़ने के लिए जांच पड़ताल करनी चाहिए.

अद्भुत दृश्य के साथ खत्म होगा महाकुंभ, दिखेगा ये खास नजारा

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ अपने आखिरी हफ्ते में आ गया है. महाकुंभ 26 फरवरी को संपूर्ण हो जाएगा. महाकुंभ के आखिरी हफ्ते में भारत में सोलर सिस्टम के सभी सात ग्रह आसमान में दिखाई देंगे. सोलर सिस्टम के सभी ग्रह- बुध (Mercury), शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून – को महाकुंभ के आखिरी सप्ताह में रात के दौरान देखा जा सकता है. जहां महाकुंभ समाप्त हो रहा है ऐसे पावन समय में आसमान में सभी ग्रह का एक साथ दिखना काफी शुभ माना जा रहा है. कुछ लोग तो यह भी मानते हैं कि ब्रह्मांड में होने वाली यह चीज आध्यात्मिक ऊर्जा में इजाफा कर सकते हैं.

जनवरी 2025 में शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून भारत में आसमान में दिखना शुरू हुए थे. इसी के बाद फरवरी में बुध भी आसमान में दिखाई देने लगेगा और एक साथ सभी ग्रह को देखा जा सकेगा. सबसे ज्यादा खूबसूरत और हैरान कर देने वाला नजारा 28 फरवरी को दिखाई देगा, जब सभी सात ग्रह सूरज के एक तरफ लाइन से दिखाई देंगे.

आसमान में दिखेगा खूबसूरत नजारा

आसमान में यह खूबसूरत नजारा देखने के लिए जब आप छत पर जाएंगे तो आपको अपनी आंखों से सिर्फ 5 ही ग्रह दिखाई देंगे. बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि आप अपनी आंखों से देख सकेंगे. वहीं, यूरेनस और नेपच्यून काफी धुंधले दिखाई देंगे और इन को साफ देखने के लिए आपको दूरबीन या टेलिस्कोप की मदद लेनी होगी. हालांकि, आपको आसमान पर सबसे खूबसूरत और ग्रह की साफ तस्वीर दो बार नजर आएगी, सूरज ढलने के बाद और सूरज उगने से पहले.

55 करोड़ लोगों ने लगाई डुबकी

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी को महाकुंभ शुरू हुआ था. इस कुंभ में पवित्र स्नान करने के लिए बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं सभी बड़ी तादाद में पहुंचे, रेलवे स्टेशन से लेकर बस और यातायात के सभी माध्यम पर लोगों की भारी भीड़ नजर आई, जिनका मकसद सिर्फ एक बार आस्था की डुबकी लगाना था. सभी ने पवित्र स्नान किया. अब तक सरकारी आंकड़ों के मुताबिक महाकुंभ में 55 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं. साथ ही प्रधानमंत्री मोदी भी ने कुंभ में पावन डुबकी लगाई थी. इसी के साथ सीएम योगी, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई दिग्गज नेता और हर क्षेत्र के लोगों ने स्नान किया है. 26 फरवरी को महाकुंभ समाप्त हो रहा है. इसी के चलते आखिरी हफ्ते में लोगों की भीड़ की बढ़ने की उम्मीद है.

मगरमच्छ लेकर सरकारी दफ्तर पहुंचे किसान, जानें क्या है पूरा मामला

कर्नाटक के कलबुर्गी गोब्बुर गांव के गेसकॉम (गुलबर्गा इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी) कार्यालय में उस समय हड़कंप मच गया, जब किसान एक बैलगाड़ी पर मगरमच्छ बांधकर पहुंच गए. मगरमच्छ देखते ही बिजली विभाग के दफ्तर में भगदड़ मच गई. किसान बिजली कटौती की समस्या से परेशान थे. इसी बात का विरोध करने के लिए वह मगरमच्छ को बांधकर बिजली विभाग के आफिस पहुंचे थे. इस पूरी घटना का वीडियो भी इन दिनों काफी वायरल हो रहा है.

कर्नाटक के कलबुर्गी का एक वीडियो इन दिनों तेजी से वायरल हो रहा है. इस वायरल वीडियो में मगरमच्छ बैलगाड़ी पर बांधा हुआ है, जिसे किसान बिजली विभाग के आफिस लेकर जाते हुए नजर आ रहे हैं. इस इलाके में सिंचाई के लिए सुबह 4 बजे थ्री फेस बिजली दी जा रही थी. किसानों को सुबह-सुबह अंधेर में खेत जाना पड़ा रहा था. रात के अंधेरे में निरंतर उनपर मगरमच्छ का खतरा बना रहता था.

गांववालों ने पकड़ा मगरमच्छ

बुधवार की रात गांव का एक पुजारी खेत में काम करने गया. इस दौरान उसने सुना कि उसके जानवर जोर-जोर से चिल्ला रहे हैं. पुजारी ने देखा कि जानवरों के पास मगरमच्छ है, जिसने एक भेड़ को अपने मुंह में दबाया हुआ था. इस दौरान पुजारी ने गांव में हल्ला मचाकर लोगों को जगा दिया. इसके बाद 50 से ज्यादा गांववालों ने 30 मिनट के अंदर मगरमच्छ को पकड़ लिया. गांववालों ने मगरमच्छ को कस कर रस्सियों से बांध दिया था.

बैलगाड़ी पर ले गए मगरमच्छ

पुजारी ने समय रहते मगरमच्छ को नहीं देखा होता तो वह उसके घर के अंदर घुस सकता था. जिससे कोई बहुत बड़ी अनहोनी हो सकती थी. इसके बाद बिजली विभाग के अधिकारियों से गुस्साए किसान मगरमच्छ को बैलगाड़ी पर बांधकर 8 किलोमीटर दूर गेसकॉम के कार्यालय लेकर पहुंचे, जहां से बाद में वन विभाग मगरमच्छ को अपने साथ ले गया. गुस्साए गांववालों ने बिजली विभाग के अधिकारियों को बताया कि हम आपको दिखाना चाहते थे कि अगर थ्री फेस बिजली सुबह 4 बजे दी जाती है, तो यह किसान के लिए कितना खतरनाक हो सकता है.

गुस्साए किसानों ने बिजली विभाग से मांग की है कि हम चाहते हैं कि आप इस पर ध्यान दें और सुबह 6 बजे के बाद बिजली मुहैया कराएं.

कुत्तों के बाद इस शहर में आवारा बिल्लियों की होगी नसबंदी, कितने होंगे खर्च?

महाराष्ट्र के नासिक शहर में अब आवारा कुत्तों के बाद बिल्लियों की नसबंदी का अभियान शुरू किया जा रहा है. नगर निगम के पशुपालन विभाग ने राज्य मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर यह कदम उठाया है. इस अभियान का उद्देश्य आवारा बिल्लियों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण पाना है, जिससे शहर में होने वाली समस्याओं का समाधान किया जा सके

नासिक नगर निगम ने इस कार्य के लिए बजट में 10 लाख रुपये का प्रावधान किया है. अप्रैल माह में एक संस्था को नियुक्त किया जाएगा, जो बिल्लियों को पकड़कर उनकी नसबंदी करेगी. प्रत्येक बिल्ली की नसबंदी पर 1650 रुपये खर्च होंगे. पहले चरण में 606 बिल्लियों की नसबंदी करने का लक्ष्य रखा गया है. इस अभियान के माध्यम से आवारा बिल्लियों की संख्या में कमी लाई जा सकेगी, जिससे शहर में इन जानवरों से होने वाली समस्याएं, जैसे कि बीमारी फैलना, सड़क पर अनावश्यक शोर, और अन्य परेशानियां कम हो सकेंगी.

बिल्लियों की नसबंदी ज्यादा मुश्किल

कुत्तों के मुकाबले बिल्लियों को पकड़ना ज्यादा मुश्किल होता है, क्योंकि बिल्लियां काफी चपल और सतर्क होती हैं. इसलिए एक विशेषज्ञ संगठन को नियुक्त किया जाएगा, जो जाल बिछाकर बिल्लियों को पकड़ेगा. यह प्रक्रिया धीरे-धीरे और सावधानी से की जाएगी ताकि बिल्लियों को कोई नुकसान न हो.

नसबंदी के बाद बिल्लियों को उसी स्थान पर छोड़ दिया जाएगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया था. यह कदम न केवल बिल्लियों की संख्या पर नियंत्रण रखने के लिए लिया गया है, बल्कि यह समाज में संतुलन बनाए रखने में भी मदद करेगा और इन जानवरों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करेगा.

अभियान में एक लाख से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी

यह अभियान 2007 से चल रहे आवारा कुत्तों की नसबंदी अभियान का एक हिस्सा है. अब तक इस अभियान के तहत एक लाख से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है. इस पहल से कुत्तों और बिल्लियों की संख्या में वृद्धि को रोका जा सकता है, जिससे सड़क पर इन जानवरों की संख्या कम होगी और इससे मानव-जानवरों के बीच बेहतर तालमेल बनेगा.

सकारात्मक दिशा में नगर निगम का कदम

नासिक नगर निगम का यह कदम शहर को स्वच्छ और सुरक्षित बनाने में सहायक होगा. नसबंदी अभियान से न केवल जानवरों की संख्या में कमी आएगी, बल्कि यह समाज में पालतू और आवारा जानवरों के लिए एक बेहतर वातावरण भी तैयार करेगा.

दिल्ली में अब 10 लाख तक का इलाज फ्री, जानिए कैसे बनवाएं आयुष्मान कार्ड

दिल्ली में बीजेपी ने चुनाव के दौरान ऐलान किया था कि सरकार बनने के बाद आयुष्मान योजना में 10 लाख रुपये तक का इलाज फ्री दिया जाएगा. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शपथ ग्रहण के कुछ ही घंटों बाद अपनी पहली कैबिनेट में इस ऐलान को मंजूरी दे दी है. अब दिल्ली में भी जन आरोग्य योजना को लागू किया जाएगा. इसके तहत 1 लाख लोगों के प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना कार्ड बनाए जाएंगे. दिल्ली में अब तक आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं है. केजरीवाल सरकार ने इस योजना को लागू नहीं किया था.

केंद्र सरकार की ओर से अधिकारियों की दिल्ली में आयुष्मान योजना को लेकर ट्रेनिंग शुरू हो गई है. दिल्ली में कैसे लोगों का आयुष्मान कार्ड बनेगा उसके लिए दिल्ली सरकार के अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है .गौरतलब है कि कल ही दिल्ली सरकार में दिल्ली में आयुष्मान योजना को लागू करने को लेकर कैबिनेट की हरी झंडी दी थी.

दिल्ली वालों का डबल फायदा

आयुष्मान कार्ड धारक को कार्ड बनवाने के बाद हर साल 5 लाख रुपये का इलाज फ्री किया जाता है. ये इलाज कार्ड धारक रजिस्टर्ड अस्पतालों में करा सकते हैं, जिसका पूरा खर्च सरकार उठाती है. इसमें 5 लाख का Health कवरेज दिल्ली सरकार और 5 लाख केंद्र सरकार की तरफ से मिलेगा. यानी कि बाकी देश में जहां प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपये तक का फ्री इलाज दिया जाता है. वहीं दिल्ली में प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना लागू होने के बाद दिल्ली वासियों को 5 लाख का डबल यानी 10 लाख का फ्री इलाज मिलेगा

कैसे बनेगा आयुष्मान कार्ड?

आयुष्मान कार्ड कार्ड बनाने के लिए सरकार ने कुछ नियम बनाए हैं. सााल 2011 की जनगणना के मुताबिक इसमें लोगों को शामिल किया गया है. जिसकी सूची PMJAY की वेबसाइट पर उपलब्ध है. जहां जाकर आप अपना नाम चेक कर सकते हैं.

आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए अगर आप भी पात्र हैं और इसको बनवाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अपने नजदीकी सीएससी सेंटर पर जाना होगा. ये सेंटर आपके नजदीकी अस्पताल या फिर किसी कैफे में हो सकता है. पात्र होने पर आपको दस्तावेज देने होते हैं. जिनका वेरिफिकेशन किया जाता है, जिसके बाद ही कार्ड बनवाने के लिए अप्लाई किया जाता है.

ऑनलाइन कैसे बनेगा कार्ड?

आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए मोबाइल के प्ले स्टोर से PM -JAY या आयुष्मान एप डाउनलोड करें या गूगल से https://beneficiary.nha.gov.in से क्लिक कर लॉगिंन करें, उसके बाद आयुष्मान ऐप में लॉगिन पर जाए Beficiary विकल्प चुनें अपना मोबाइल नंबर दर्ज कर ओटीपी (OTP) डालकर लॉगिन करें.

फिर आपके सामने एक नई स्क्रीन खुल जाएगी, आपको स्कीम में PMJAY चुनना है, अगले बॉक्स में राज्य, सब स्कीम, जिला चुनना होगा. आखिरी बॉक्स में आपको Search By में आधार नंबर, फैमिली आईडी या PMJAY ID में से एक चुनना है.

जैसे ही आप आधार नंबर पर डालेंगे, अगर आपका नाम सूची में है तो पूरे परिवार की जानकारी सामने आ जाएगी. जिसका आयुष्मान कार्ड नहीं बना है, उसके नाम के आगे e-KYC status में Unidentified लिखा दिखेगा.जिसका आधार कार्ड नहीं बना है, उसके नाम के सामने Action वाले कॉलम में क्लिक करें. यहां जरूरी जानकारी भरकर आप कार्ड बनवा सकते हैं.

आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए कौन से डॉक्यूमेंट हैं जरूरी?

आधार कार्ड

राशन कार्ड या परिवार पहचान पत्र (PPP ID)

मोबाइल नंबर

पात्रता सूची में नाम

जाति प्रमाण पत्र (अगर आरक्षित वर्ग से हैं तो)

आय का प्रमाण पत्र

परिवार के मौजूदा स्टेटस से जुड़े दस्तावेज

परिवार के कितने सदस्य बनवा सकते हैं कार्ड?

आयुष्मान योजना के अंतर्गत एक परिवार के सभी सदस्य लाभ ले सकते हैं. इसमें माता-पिता, पति-पत्नी और बच्चों के अलावा किसी प्रकार की सदस्य संख्या की सीमा नहीं है. मतलब, जितने भी लोग परिवार में शामिल हैं, सभी को योजना का फायदा मिलता है. बर्शतें इसके लिए आप पात्र हों. 2011 की जनगणना के आधार इस योजना में गरीब, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को ऐड किया गया है.

किन लोगों का नहीं बन सकता आयुष्मान कार्ड?

आयुष्मान कार्ड कार्ड बनाने के लिए सरकार ने कुछ नियम बनाए हैं, जिसके अनुसार कई ऐसे लोग हैं जो इस योजना का लाभ नहीं ले सकते हैं. इनमें ईएसआईसी यानी एम्पलाई स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन का लाभ लेने वाले, वे लोग जिनका पीएफ कटता है, जो लोग सरकारी नौकरी करते हैं, जो टैक्स भरने की कैटेगरी में आते हैं वे लोग आयुष्मान कार्ड नहीं बनवा सकते.

CM रेखा गुप्ता का पहला एक्शन, आतिशी सरकार के सभी निजी स्टाफ की छुट्टी

दिल्ली की सत्ता संभालने के बाद नई सीएम रेखा गुप्ता एक्शन में हैं. उन्होंने आतिशी सरकार के सभी निजी स्टाफ की सेवाएं खत्म कर दीं. पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्रियों के सभी व्यक्तिगत स्टाफ को नौकरी से हटा दिया. इसके साथ ही आम आदमी पार्टी की सरकार ने जिन अधिकारियों और कर्मचारियों को दूसरे विभागों में नियुक्त किया था. उनको तुरंत अपने मूल विभागों में रिपोर्ट करने को कहा गया है.

कई सारे अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति पर दूसरे बोर्ड कॉरपोरेशन में भेजा गया था. सप्ताह भर पहले सभी विभागों से पूर्व सरकार की ओर से कंट्रैक्ट और व्यक्तिगत स्टाफ की जानकारी मांगी गई थी. उनको मूल विभाग में लौटने को कहा गया है.

हाल ही में दिल्ली के मुख्य सचिव ने इसको लेकर एक नोटिस जारी किया था. इसमें जितने भी नॉन ऑफिशियल स्टाफ है उनकी लिस्ट मांगी गई थी. केजरीवाल सरकार में अलग-अलग विभागों में कई तरह के नॉन ऑफिसियल स्टाफ की नियुक्ति हुई थी

अब PhonePe भी होगी शेयर बाजार में लिस्ट, IPO लाने की है तैयारी

देश के स्टॉक मार्केट में भले अभी उतार-चढ़ाव दिख रहा हो, लेकिन इंडियन स्टॉक मार्केट पर कंपनियों और निवेशकों का भरोसा कायम है. यही वजह है कि अब डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म PhonePe ने अपना आईपीओ लाने की तैयारी शुरू कर दी है. इससे पहले देश में Paytm और Mobikwik जैसी पेमेंट कंपनियां भी अपने आईपीओ लेकर आ चुकी हैं.

अमेरिका की वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली डिजिटल पेमेंट कंपनी फोनपे जल्द ही शेयर बाजार में खुद को लिस्ट कराएगी. इसके लिए कंपनी आईपीओ का रास्ता चुनने वाली है. कंपनी ने गुरुवार को बताया कि वह आईपीओ के लिए तैयारी शुरू कर चुकी है.

अभी इतना है कंपनी का वैल्यूएशन

फोनपे ने 2023 में आखिरी बार फंड रेजिंग की थी. तब कंपनी का वैल्यूएशन 12 अरब डॉलर रखा गया था. ऐसे में आईपीओ के लिए कंपनी का वैल्यूएशन इतना या इससे अधिक भी को सकता था. आईपीओ को लेकर फोनपे की ओर से एक बयान में कहा गया है, ”कंपनी अपने संभावित आईपीओ की तैयारी शुरू कर चुकी है. उसकी प्लानिंग भारतीय शेयर बाजारों में खुद को लिस्ट कराने की है. यह कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण मौका है. इस साल उसे भारत में काम करते हुए 10 साल हो जाएंगे.”

सिंगापुर से इंडिया आई थी फोनपे

फोनपे को फ्लिपकार्ट ने शुरू किया था. ई-कॉमर्स कैटेगरी की ये कंपनी भारत में सिंगापुर से ही ऑपरेट करती थी. बाद में अमेरिका की वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट का अधिग्रहण कर लिया, जिसके चलते फोनपे का मालिकाना हक भी वॉलमार्ट के पास आ गया था. भारतीय रिजर्व बैंक के नियमानुसार भारत में काम करने वाली डिजिटल पेमेंट कंपनियों को अपना पूरा डेटा भारत में ही स्टोर करना होता है.

ऐसे में दिसंबर 2022 में फोनपे ने सिंगापुर से भारत में अपना स्थानांतरण किया. इसके लिए उसे भारत सरकार को टैक्स के रूप में करीब 8,000 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ा.

भारत में आज की तारीख में डिजिटल पेमेंट का सबसे बड़ा सोर्स UPI है. जनवरी 2025 में देश के अंदर जितने भी यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए, उसमें 47 प्रतिशत से अधिक का मार्केट शेयर फोनपे का रहा है. फोनपे के बाद गूगल की गूगल पे सर्विस 36 प्रतिशत से अधिक मार्केट शेयर के साथ देश की दूसरी लीडिंग पेमेंट कंपनी है. पेटीएम के पास अब सिर्फ 6.78 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी बची है.

बिहार को एक और एयरपोर्ट की सौगात… पूर्णिया में टर्मिनल निर्माण को AAI ने दी मंजूरी

विकसित बिहार के विजन के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा हर जिले में पहुंच रही है. प्रगति यात्रा के तीसरे चरण में मुख्यमंत्री ने पूर्णिया का दौरा किया था. अपने दौरे के दौरान मुख्यमंत्री ने ना केवल 581 करोड़ रुपये की विभिन्न योजनाओं की घोषणा की थी बल्कि पूर्णिया एयरपोर्ट के विकास कार्य की भी समीक्षा की थी. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद अब भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) ने टर्मिनल बिल्डिंग के निर्माण को मंजूरी दे दी है. यानी जल्द ही बिहार को एक और नए एयरपोर्ट की सौगात मिलने जा रही है.

23 प्रतिशत कम लागत पर होगा निर्माण

एएआई द्वारा जारी टेंडर के तहत कुल ₹33.99 करोड़ की लागत से इस टर्मिनल भवन का निर्माण किया जाएगा. यह राशि अनुमानित लागत ₹44.15 करोड़ से 23 प्रतिशत कम है. टेंडर प्रक्रिया के तहत पहली बोली 12 सितंबर और दूसरी बोली 27 सितंबर को खोली गई थी. अब फाइनल एजेंसी के चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, जिसके बाद कार्य प्रारंभ हो जाएगा.

आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा पूर्णिया एयरपोर्ट

एएआई के आर्किटेक्ट ने पहले ही पूर्णिया एयरपोर्ट का डिजाइन तैयार कर लिया है. यह एयरपोर्ट “स्टेट ऑफ द आर्ट” सुविधाओं से लैस होगा और अगले 30-40 वर्षों के यात्री फुटफॉल को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है. इस एयरपोर्ट पर कुल पांच एयरोब्रिज बनाए जाएंगे, जिससे यात्रियों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी.

अंतरिम टर्मिनल का निर्माण पोर्टा कांसेप्ट पर

मुख्य एयरपोर्ट टर्मिनल के निर्माण से पहले, एक अंतरिम टर्मिनल भवन पोर्टा कांसेप्ट पर तैयार किया जाएगा, जिससे उड़ानों का संचालन जल्द शुरू किया जा सके. एएआई के अनुसार, डीजीएम (इंजीनियरिंग) को प्रोजेक्ट का प्रभारी नियुक्त किया गया है और ठेकेदार को जल्द से जल्द अनुबंध पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. निर्माण एजेंसी को ₹1.69 करोड़ की परफॉर्मेंस गारंटी और ₹88.30 लाख की सुरक्षा निधि जमा करनी होगी. कार्यस्थल पर श्रम कानूनों के अनुपालन का भी सख्ती से पालन किया जाएगा.

प्रगति यात्रा के बाद काम में आई तेजी

पूर्णिया एयरपोर्ट की मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रगति यात्रा के दौरान अधिकारियों संग समीक्षा बैठक की थी. बैठक में सीएम ने एयरपोर्ट के निर्माण में आ रही बाधाओं को दूर करने हेतु सभी पक्षों तथा संबंधित पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए थे.

सीमांचल, कोसी समेत नेपाल भी लाभान्वित

पूर्णिया एयरपोर्ट के लिए यह टर्मिनल निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे ना केवल कोसी और सीमांचल क्षेत्र बल्कि पश्चिम बंगाल, झारखंड और नेपाल के लोगों को सीधी हवाई सुविधा मिलने का रास्ता साफ होगा. अंतरिम टर्मिनल के पूरा होते ही हवाई यात्रा शुरू करने की प्रक्रिया तेज कर दी जाएगी, जिससे स्थानीय यात्रियों को सुविधा तो मिलेगी ही क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा.