नई दिल्ली से कालकाजी और ओखला तक...दिल्ली की इन हॉट सीट पर टिकी सभी की नजरें
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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आज वोट डाले जा रहे हैं। 1.56 करोड़ मतदाताओं की वोटिंग के बाद 699 उम्मीदवारों की सियासी किस्मत तय कर देंगे। आठ फरवरी को मतगणना के बाद तय हो जाएगा कि दिल्ली में अगले पांच कौन राज करेगा।दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है।
दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सभी 70 सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतार रखे हैं। बीजेपी दिल्ली की 68 सीट पर चुनाव लड़ रही है और दो सीटों पर उसके सहयोगी दल किस्मत आजमा रहे हैं, जिसमें एक सीट पर जेडीयू और एक सीट पर चिराग पासवान की एलजेपी (आर) के उम्मीदवार मैदान में हैं। जेडीयू बुराड़ी सीट पर तो एलजेपी (आर) देवली सीट पर चुनाव लड़ रही है। बसपा दिल्ली की 70 सीटों में से 69 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बसपा ने बाबरपुर सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम दो सीटों पर चुनाव लड़ रही, जिसमें एक सीट मुस्तफाबाद और दूसरी ओखला सीट है। इसके अलावा अजित पवार की एनसीपी ने 30 सीटों पर चुनाव लड़ा है। सीपीआई ने 6 सीट, तो सीपीएम दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है। सीपीआई (माले) ने भी दिल्ली के दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से जिन सीटों पर दिल्लीवासियों की खास निगाहें हैं जिनमें पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल से लेकर सीएम आतिशी और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की सीटें शामिल हैं। इसके अलावा उन सीटों पर भी चर्चा हो रही है जहां से असदुद्दीन ओवैसी ने दिल्ली दंगों के दो आरोपियों को टिकट दिया है।
नई दिल्ली- जिन सीटों पर हर किसी की नजर रहेगी उनकी बात करें तो नई दिल्ली सीट इस सूची में सबसे ऊपर है। जहां 23 उम्मीदवार मैदान में हैं। नई दिल्ली विधानसभा सीट से 2008 में शीला दीक्षित निर्वाचित हुई थीं लेकिन 2013 से लगातार तीन बार आप संयोजक अरविंद केजरीवाल चुने जा रहे हैं। इस सीट पर सबसे ज्यादा चर्चा है क्योंकि यहां पूर्व सीएम केजरीवाल के मुकाबले बीजेपी के प्रवेश वर्मा और कांग्रेस के संदीप दीक्षित हैं। 2020 विधानसभा चुनाव में केजरीवाल के समर्थन में 46,758 वोट पड़े थे जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के सुनील कुमार यादव को 25,061 वोट हासिल हुए थे।
जंगपुरा- जंगपुरा सीट की चर्चा तब शुरू हुई जब पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को आप ने यहां से टिकट दिया। मनीष सिसोदिया पटपड़गंज से चुनाव लड़ते आए हैं लेकिन इस बार उनकी सीट बदल दी गई। तीन बार के विधायक सिसोदिया के मुकाबले जंगपुरा में 2008 में इस सीट पर कांग्रेस के तरविंदर सिंह मारवाह ने चुनाव जीता था। जबकि 2013 में आप के मनिंदर सिंह धीर, 2015 और 2020 में प्रवीण कुमार को जीत हासिल हुई थी। अब मारवाह बीजेपी में हैं। इस बार बीजेपी ने उन्हें यहां से टिकट दिया है। जबकि कांग्रेस की ओर से फरहद सूरी मैदान में हैं।
कालकाजी- कालकाजी दिल्ली की हॉट सीटों में एक है। यहां से सीएम आतिशी विधायक हैं और इस बार की आप प्रत्याशी भी हैं। उनके मुकाबले बीजेपी ने अपने पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी तो कांग्रेस ने पूर्व विधायक अलका लांबा को टिकट दिया है। कालकाजी सीट पर 2008 का चुनाव कांग्रेस ने जीता था। 2013 में यह सीट अकाली दल को गई थी जिसके हरमीत सिंह कालका विजयी हुए थे। 2015 में आप ने अवतार सिंह को टिकट दिया जो पार्टी की उम्मीद पर खरे उतरे। पिछले चुनाव में आतिशी को प्रत्याशी बनाया गया था। वह करीब 11 हजार वोटों के अंतर से बीजेपी के धरमबीर से चुनाव जीत गई थीं।
ओखला- ओखला से आप के अमानतुल्लाह खान विधायक हैं। वह यहां से दो बार के विधायक हैं। इस पर चर्चा की बड़ी वजह यह है कि यहं से एआईएमआईएम ने दिल्ली दंगे के आरोपी शिफा उर रहमान खान को टिकट दिया है। बीजेपी ने मनीष चौधरी और कांग्रस ने अरीबा खान को प्रत्याशी बनाया है. अमानतुल्ला खान ने यह सीट 2020 में बडे़ मार्जिन से जीती थी। उन्हें 66 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे।
पटपड़गंज- पटपड़गंज की चर्चा मनीष सिसोदिया के इस सीट को छोड़ने और अवध ओझा को आप द्वारा प्रत्याशी बनाए जाने पर हो रही है। बीते तीन चुनाव से सिसोदिया इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
बिजवासन- बिजवासन विधानसभा सीट पर भी रोचक मुकाबला हो रहा है। यहां से आम आदमी पार्टी के दो पुराने विधायक दूसरी पार्टियों के टिकट पर मैदान में हैं। चंद महीने पहले तक आतिशी सरकार में मंत्री रहे कैलाश गलहोत भाजपा के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के टिकट पर उतरे देवेंद्र सहरावत 2015 में बिजवासन सीट से आप के टिकट पर जीत दर्ज कर चुके हैं।
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