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शत्रुघ्न सिन्हा का बड़ा बयान: देशभर में मांसाहारी भोजन पर लगे प्रतिबंध, यूसीसी को लागू करने का समर्थन

दिग्गज अभिनेता और टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा अक्सर अपने बेबाक बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं. वहीं एक बार फिर उन्होंने मांसाहारी भोजन और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर बड़ा बयान दे दिया है. शत्रुघ्न सिन्हा ने मंगलवार को एक सवाल के जवाब में मांसाहारी भोजन पर पूरे देश में प्रतिबंध लगाने की वकालत कर दी. साथ ही उन्होंने यूसीसी को लागू करने का समर्थन कर दिया.

हालांकि साथ में उन्होंने यह भी कहा कि भारत में क्षेत्रीय मतभेदों की वजह से इस तरह के नियम को लागू करना बेहद चुनौतीपूर्ण है. उन्होंने कहा कि देश भर में यूसीसी को लागू करने में आने वाली दिक्कतों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस पर राजनीति से अलग हटकर सर्वदलीय चर्चा करनी चाहिए. उन्होंने उत्तराखंड में यूसीसी के सफल क्रियान्वयन की तारीफ की.

मांसाहारी भोजन पर लगे प्रतिबंध

वहीं बीफ बैन करने के सवाल पर टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि बीफ ही क्यों मैं तो कहता हूं, सामान्य रूप से मांसाहारी भोजन पर भी देश में प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. हमारे देश में कई जगह पर बीफ पर बैन है, लेकिन कई इलाकों में यह अभी भी खुलेआम बिकता है. नॉर्थईस्ट में लोग इसे खुलेआम खा सकते हैं, लेकिन नॉर्थ इंडिया में नहीं.

यूसीसी में कई बारीकियां और खामियां

उन्होंने कहा कि जो नियम नॉर्थ इंडिया में लागू किए जा सकते हैं, वो नॉर्थईस्ट राज्यों में नहीं लागू किए जा सकता. सांसद ने कहा कि ऐसे ही यूसीसी में भी कई बारीकियां और खामियां हैं. यूसीसी प्रावधानों का मसौदा तैयार करने से पहले एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की जानी चाहिए. जिसमें राजनीति से अलग हटकर चर्चा हो.

गुजरात भी UCC की तरफ बढ़ा रहा कदम

गुजरात की बीजेपी सरकार ने राज्य में यूसीसी की आवश्यकता का आकलन करने और इसका मसौदा विधेयक तैयार करने के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय कमेटी 45 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके बाद यूसीसी के कार्यान्वयन के बारे में निर्णय लिया जाएगा.

सरकार ने किया कमेटी का गठन

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कमेटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए मुस्लिम समुदाय सहित धार्मिक नेताओं से भी मुलाकात करेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी की आवश्यकता का आकलन और इसका मसौदा विधेयक तैयार करने के लिए, हमने सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति के नेतृत्व में एक कमेटी बनाने का फैसला किया है. कमेटी के अन्य सदस्यों में आईएएस के सेवानिवृत्त अधिकारी सीएल मीणा, अधिवक्ता आरसी कोडेकर, वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति दक्षेश ठाकर और सामाजिक कार्यकर्ता गीता श्रॉफ शामिल हैं.

घर बैठे चुटकियों में निकल जाएगी Voter Slip, ये है पूरा प्रोसेस

दिल्ली विधानसभा इलेक्शन के लिए वोटिंग 5 फरवरी को होगी. ऐसे में अगर आप भी वोट डालने के लिए जाने वाले हैं तो अपनी वोटिंग स्लिप घऱ से ही निकाल कर जाएं. इससे आपका काफी समय बचेगा. आप 10 सेकंड से भी कम समय में अपनी वोटिंग स्लिप निकाल सकते हैं. इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ेगा. बस अपने स्मार्टफोन के जरिए घर बैठे ये काम तुरंत करें. वोटिंग के लिए कई जरूरी डॉक्यूमेंट की जरूरत होती है. जिनके बिना आप वोट नहीं डाल पाएंगे.

इलेक्शन कमीशन वोटर इन्फोर्मेशन स्लिप (VIS) जारी करता है. इसमें वोटर की उम्र, जेंडर, नाम, असेंबली कांस्टीट्यूएंसी, पोलिंग स्टेशन लोकेशन जैसी जानकारी मेंशन होती हं. वोटर स्लिप ऑनलाइन डाउनलोड करने के लिए दिया गया प्रोसेस फॉलो करें.

SMS के जरिए वोटर स्लिप

SMS के जरिए वोटर स्लिप निकालने के लिए अपने फोन के मैसेज सेक्शन में जाएं. ECI (आपका वोटर आईडी नंबर) डालें. इसके बाद 1950 नंबर पर सेंड कर दें. इसके बाद आपको चुनाव आयोग की तरफ से धन्यवाद का मैसेज आएगा. SMS करने के 10 सेकंड के अंदर वोटर स्लिप भी भेज दी जाएगी. अगर आप वोटर हेल्पलाइन नंबर के जरिए स्लिप निकालना चाहते हैं तो ये प्रोसेस फॉलो करें.

ऐसे निकालें Voter Slip

Voter Helpline मोबाइल ऐप के जरिए आप आसानी से वोटर स्लिप निकाल सकते हैं. सबसे पहले Voter Helpline App को गूगल प्ले स्टोर या एपल ऐप स्टोर से इंस्टॉल करें. मोबाइल नंबर से रजिस्टर करें और पासवर्ड से रजिस्टर कर लें. अगर पहले से अकाउंट है तो लॉगिन करें., Search Your Name in Electoral Roll ऑप्शन पर जाएं और अपना नाम वहां पर सर्च करें..सर्च बाई EPIC No, Search by Bar/QR Code या Search by Mobile इन चारों ऑप्शन में से कोई भी एक सलेक्ट करें.. जरूरी जानकारी भरें और सर्च वाले ऑप्शन पर क्लिक करें. आपके सामने सभी डिटेल्स आ जाएंगी. डाउनलोड आइकन पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं.

20 हजार करोड़ की लागत की 188 योजनाएं मंजूर… मंत्रिपरिषद की बैठक में फैसला

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उत्तर बिहार के जिलों में प्रगति यात्रा-क्रम में 20 हजार करोड़ रुपये की कुल 188 योजनाओं की घोषणाएं कीं. जिनमें मंत्रिपरिषद् द्वारा कुल 121 तथा विभाग के स्तर पर 67 योजनाएं स्वीकृत की गई हैं. ये जानकारी मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस. सिद्धार्थ ने दी. उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद् द्वारा पूर्व में प्रगति यात्रा संबंधी 39 एजेंडों पर मुहर लगी थी. आज की मंत्रिपरिषद् की बैठक में कुल 82 योजनाओं की स्वीकृति दी गई. इस प्रकार मंत्रिपरिषद् द्वारा प्रगति यात्रा क्रम में की गयी घोषणाओं में से कुल 121 घोषणाओं की स्वीकृति दी गई.

मंगलवार को मंत्रीपरिषद द्वारा नगर विकास एवं आवास विभाग के तहत कुल 495.12 करोड़ रुपये की 05 योजनाएं, ग्रामीण कार्य विभाग अन्तर्गत कुल 64.69 करोड़ रुपये की 02 योजनाएं, पर्यटन विभाग अन्तर्गत कुल 344.01 करोड़ रुपये की 07 योजनाएं, ऊर्जा विभाग अन्तर्गत कुल 663.61 करोड़ रुपये की 04 योजनाएं, जल संसाधन विभाग अन्तर्गत कुल 3645.67 करोड़ रुपये की 12 योजनाएं, स्वास्थ्य विभाग अन्तर्गत कुल 862.34 करोड़ रुपये की 02 योजनाओं की मंजूरी दी गई.

इनके अलावा शिक्षा विभाग अन्तर्गत कुल 56.8 करोड़ रुपये की 1 योजना, मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग अन्तर्गत कुल 42.37 करोड़ रुपये की 1 योजना, खेल विभाग अन्तर्गत कुल 153.89 करोड़ रुपये की 3 योजनाएं, पथ निर्माण विभाग अन्तर्गत कुल 6577.38 करोड़ रुपये की 42 योजनाएं, उद्योग विभाग अन्तर्गत कुल 236.25 करोड़ रुपये की 01 योजना मद्य निषेध, उत्पादन एवं निबंधन विभाग तथा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की एक-एक योजना की स्वीकृति दी गयी. मंत्रिपरिषद् के विगत बैठक में 39 योजनाओं पर मंत्रिपरिषद् द्वारा स्वीकृति दी गई थी.

बिहार: हर जिले की समस्या का समाधान… 6937 नये कर्मचारियों को CM नीतीश कुमार ने सौंपे नियुक्ति पत्र

मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 6,837 नवनियुक्त जूनियर इंजीनियरों और अनुदेशकों के नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में शामिल हुए. मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री ने सांकेतिक तौर पर 10 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किया. कुल मिलाकर आज विभिन्न विभागों के तहत नवनियुक्त 6,341 जेई एवं श्रम संसाधन विभाग के तहत 496 अनुदेशकों को लेटर दिये गये. जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल ने इस दौरान मुख्यमंत्री को पुष्पगुच्छ भेंटकर उनका अभिनंदन किया.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि खुशी की बात है कि आज विभिन्न विभागों के 6,837 स्टाफों को नियुक्ति पत्र प्रदान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मैं उन सभी विभागों को धन्यवाद देता हूं, जिनके द्वारा इन अभ्यर्थियों का चयन किया गया है.

बिहार में समस्याओं का ले रहे हैं जायजा

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम बिहार के सभी जिलों का दौरा कर रहे हैं और वहां की समस्याओं और जरूरतों से अवगत हो रहे हैं. हमलोगों को जिन समस्याओं या जरूरतों की जानकारी मिल रही है उनका यथाशीघ्र निराकरण किया जाएगा. बड़े पैमाने पर बहाली भी की जाएगी. इसके लिए विभागों में खाली पदों को चिन्हित किया जा रहा है. वर्ष 2005 के पहले बिहार की स्थिति काफी दयनीय थी जिससे आप सभी भंलीभांति अवगत हैं.

नवनियुक्त 6,341 जेई में जल संसाधन विभाग के 2,338 अभ्यर्थी, योजना एवं विकास विभाग तहत 1273 अभ्यर्थियों, ग्रामीण कार्य विभाग के 759 अभ्यर्थियों, पथ निर्माण विभाग के 530 अभ्यर्थियों, लघु जल संसाधन विभाग के 484 अभ्यर्थियों, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के 478 अभ्यर्थियों, भवन निर्माण विभाग के 430 अभ्यर्थियों, नगर विकास एवं आवास विभाग के 49 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया.

इन गणमान्य अतिथियों ने लिया हिस्सा

नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल ने स्वागत संबोधन किया जबकि श्रम संसाधन विभाग के सचिव दीपक आनंद ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, जल संसाधन सह संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, उर्जा, योजना एवं विकास मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी, नगर विकास एवं आवास मंत्री नितिन नवीन, लोक स्वास्थ्य एवं अभियंत्रण मंत्री नीरज कुमार सिंह, लघु जल संसाधन मंत्री संतोष कुमार सुमन, श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार सिंह उपस्थित थे.

उनके अलावा भवन निर्माण मंत्री जयंत राज, पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता, मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ० एस० सिद्धार्थ, जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव कुमार रवि, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित संबंधित विभागों के सचिव/ वरीय अधिकारी एवं नवचयनित अभ्यर्थी उपस्थित थे.

18 दिनों में राहुल गांधी का दूसरा बिहार दौरा! पार्टी में जान फूंकने की कोशिश

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पांच फरवरी को बिहार जाएंगे. जहां वो स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व मंत्री जगलाल चौधरी की जयंती समारोह में शामिल होंगे. पिछले 18 दिनों में यह दूसरा मौका है जब राहुल गांधी बिहार के दौरे पर आ रहे हैं, ऐसे में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या राहुल गांधी बिहार दौरा कर के पार्टी में नई ऊर्जा लाने की कोशिश कर रहे हैं.

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पिछले महीने 18 जनवरी को ही बिहार आए थे. तब उन्होंने राजधानी में आयोजित संविधान सुरक्षा कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। राहुल गांधी ने तब इस मौके पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राजद के शीर्ष नेतृत्व से भी पूर्व सीएम राबडी देवी के सरकारी आवास पर जाकर मुलाकात भी की थी.

जगलाल चौधरी की जयंती समारोह

दरअसल राहुल गांधी पूर्व मंत्री जगलाल चौधरी की जयंती समारोह में हिस्सा लेने के लिए आ रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार संजय उपाध्याय कहते हैं कि जगलाल चौधरी एससी क्लास से ताल्लुक रखते थे. राहुल अपने इस दौरे के माध्यम से इस वर्ग के लोगों को अपना संदेश देने की कोशिश कर सकते हैं. इससे पहले भी राहुल गांधी ने संविधान सुरक्षा कार्यक्रम के माध्यम से अपने उन वोटरों को संदेश देने की कोशिश की थी, जो धीरे धीरे कांग्रेस से दूर होते चले गए थे.

34 सालों से अपने दम पर सत्ता से दूर

दरअसल बिहार में कांग्रेस के साथ विडंबना यह है कि यह पार्टी करीब 34 सालों से अपने दम पर सत्ता में नहीं आ सकी है। यह पार्टी 34 साल पहले तक बिहार में एक छात्र राज करती थी. 1990 में जब लालू प्रसाद का बिहार की राजनीति में आगमन हुआ उसके बाद से कांग्रेस पार्टी धीरे-धीरे सिमटती चली गई. उसके वोटर भी उससे कटते चले गए. सन 2000 में जब बिहार का विभाजन हुआ और झारखंड बना, उसके बाद 2000 से लेकर के 2025 तक यह पार्टी जब भी महागठबंधन के घटक दल के रूप में शामिल होते हुए बिहार में सत्ता में आयी, वह राजद के बैसाखी पर ही टिकी रही. इसमें सन 2000 से 2005, सन 2015 से 2017 और 2023 से 2024 के शुरुआती महीने तक कांग्रेस, बिहार में सहयोगी दल के रूप में शामिल रही है।

सीटों को लेकर समीकरण

दरअसल राज्य में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. कांग्रेस पार्टी इस विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही है. 2020 में जब बिहार में विधानसभा चुनाव हुए थे तो कांग्रेस पार्टी ने 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार को उतारे थे. जिनमें से उनको 19 सीटों पर जीत हुई थी. कांग्रेस पार्टी का यह दवा 2024 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के बाद आया है. जिसमें कांग्रेस पार्टी ने तीन लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. कांग्रेस पार्टी नौ लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारी थी.

‘राहुल के दौरे से मिलती है ऊर्जा’

राहुल गांधी के बिहार दौरे पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह कहते हैं, राहुल गांधी के दौरे से कार्यकर्ताओं को नयी ऊर्जा मिलती है। ज्ञात हो कि अखिलेश प्रसाद सिंह ने पहले भी अपने संबोधन में कहा था कि मैंने पहले भी कहा था कि देश के अन्य राज्यों में जिस तरह आपका दौरा रहता है, वैसे ही अगर आप बिहार आएंगे तो कांग्रेस नयी ऊंचाई पर पहुंचेगी. अगर आप समय देंगे तो बिहार में कांग्रेस 1990 वाली कांग्रेस बन जाएगी.

‘सभी वर्ग में देते हैं संदेश’

राहुल गांधी के दौरे पर प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौर कहते हैं, उनका दौरा राजनीतिक नहीं है लेकिन जब कोई सियासी नेता दौरे पर आता है तो सियासी बातें होती हैं. वह कहते हैं कि राहुल जयंती समारोह में आ रहे हैं, जिनको वर्षों से बड़े पैमाने पर नहीं मनाया गया था. वह इस बात से नहीं नकारते हैं कि सियासी बातें नहीं होंगी. वह यह भी कहते हैं कि उनके आने का संदेश न केवल शेड्यूल कास्ट समाज में बल्कि समाज के सभी वर्ग के लोगों में देना है. राहुल गांधी लगातार सदन से सड़क तक आवाज उठाते रहे हैं. वह दलितों, महिला, पिछडा की आवाज बनते रहे हैं.व ह उन लोगों की आवाज बनते हैं जो समाज की मुख्य धारा से अभी तक नहीं जुड़ पाए हैं.

पिछले विधानसभा में AIMIM से भी कम था वोट प्रतिशत

दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 70 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा था। इसमें 19 सीटों पर उसके उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई थी। तब कांग्रेस को 9.48 प्रतिशत वोट मिला था। हालांकि कांग्रेस का प्रदर्शन एआइएमआइएम से नीचे था। तब एआइएमआइएम के पांच उम्मीदवार जीते थे और उसका वोट प्रतिशत 1.24 प्रतिशत था।

दलित वोटरों पर नजर

संजय उपाध्याय कहते हैं, दरअसल कांग्रेस पार्टी की नजर बिहार के दलित वोटरों पर है। बिहार में करीब 32 प्रतिशत दलित वोटर हैं। दलित वोटर कभी कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक रहे हैं लेकिन बडा सवाल यह भी है कि बिहार में चिराग पासवान और जीतन राम मांझी जैसे दो बडे दलित नेता भी हैं। ऐसे में यह देखना होगा कि राहुल गांधी इस जयंती के जरिये दलित वोटरों को साधने में कितना कामयाब हो पाते हैं।

अखिलेश पर लगते रहे हैं आरोप

संजय उपाध्याय यह भी कहते हैं, बिहार राहुल गांधी का दौरा कांग्रेस को पुर्नजीवित करने की कोशिश है। पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह लालू प्रसाद के स्कूल के प्रोडक्ट हैं। वह लालू प्रसाद के एजेंट है और कांग्रेस में भेजे गए हैं। पार्टी के भीतर एक और बात चल रही है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में अगर लालू प्रसाद कांग्रेस को उसके द्वारा मांगे गए सीटों के अनुरूप सीट नहीं दे तो पार्टी क्यों नहीं सभी 243 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लडे। लेकिन अभी यह कहना जल्दबाजी होगी।

हादसा नहीं मर्डर! पटना पुलिस ने खोली ट्रिपल मर्डर की साजिश की पोल, एक को बचाने में चली गईं 2 जानें

बिहार की राजधानी पटना में हुई सड़क दुर्घटना की पुलिस ने पोल खोल दी. दरअसल, पटना में सोमवार रात एक सड़क हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी, लेकिन जब पुलिस ने अपनी जांच के दायरे को आगे बढ़ाया तो सबकी आंखें खुली की खुली रह गईं. पुलिस ने पूरे मामले को 12 घंटे में ही सुलझा लेने का दावा किया.

पटना के बाढ़ अनुमंडल के अथमलगोला में सोमवार को देर रात सड़क हादसा हुआ था. इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी. मृतकों में पति-पत्नी शामिल थे. हादसे के बाद पुलिस मौके पर पहुंची थी. पुलिस ने अपनी जांच के दायरे को बढ़ाना शुरू किया. पुलिस ने मौके पर डॉग स्क्वॉयड और एसएफएल की टीम को बुलाया था.

बचाव करने पर हत्या

इस घटना में एक शख्य नवीन घायल हो गया था. जब पुलिस ने उससे पूछताछ कि तब नवीन ने बताया कि हादसे में मृतक सुजीत की हत्या की साजिश रची गई थी. इस साजिश में अन्य लोग भी शामिल थे. नवीन और अन्य दोस्त पहले सुजीत को उसके घर से बुलाए और अपने साथ लेकर गए. वहां सभी ने सुजीत पर हमला कर दिया. इसी बीच में एक पति पत्नी बीच-बचाव करने पहुंचे. इस पर उनके उपर भी चाकू से हमला कर उनकी हत्या कर दी गई.

शव को सड़क पर छोड़ दिया था

इस घटना को अंजाम देने के बाद इन सभी ने शव को सड़क पर ही छोड़ दिया था, ताकि सब को यह प्रतीत हो कि तीनों की मौत सड़क हादसे में हो गई है, लेकिन पुलिस ने अपनी जांच में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया. बहरहाल पुलिस ने एक आरोपी दोस्त को अपने गिरफ्त में ले लिया है और अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है. पुलिस अभी भी मामले की आगे की जांच में जुटी हुई है.

पुलिस ने खोली पोल

इस पूरी घटना के बारे में जानकारी देते हुए एसडीपीओ अभिषेक सिंह ने बताया कि एक व्यक्ति सड़क मार्ग के द्वारा जा रहे थे. इसी क्रम में उन्होंने देखा कि सड़क पर चार लोग दो पुरुष, एक महिला और एक बच्चा गिरे हुए हैं. वहां दो बाइक भी गिरी हुई थी. उनको ऐसा लगा कि सड़क हादसा हो गया है. सड़क पर जाने वाले व्यक्ति हादसे में घायल मनीष नाम के युवक को पहचानते थे. उन्होंने तत्काल मनीष के परिजनों को इसकी सूचना दी. मनीष के परिजन मनीष और उनकी पत्नी को लेकर इलाज के लिए बख्तियारपुर लेकर गए, लेकिन उनकी मृत्यु हो गई.

जख्म नहीं दे रहे थे गवाही

एसडीपीओ ने बताया कि सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और अपनी जांच को शुरू की. शरीर के जख्म से स्पष्ट नहीं पा रहा था. इसलिए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. जब घटनास्थल की जांच की गई तो वहां बाइक नहीं मिली. जांच में सामने आया कि धनहा गांव के निवासी मृतक मनीष कुमार के घर में वह मोटरसाइकिल लगी हुई थी, जिस पर खून की धब्बे भी थे.

बाइक नहीं थी क्षतिग्रस्त

उन्होंने बताया कि जब मोटरसाइकिल की जांच की गई तो मोटरसाइकिल क्षतिग्रस्त नहीं पाई गई, जिसके बाद संदेह पैदा हुआ. इसी क्रम में जब जांच की गई तो अन्य जो दो घायल व्यक्ति थे, उनको बाढ़ अस्पताल से पीएमसीएच रेफर किया गया था. इस क्रम में एक घायल नवीन कुमार से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि चार-पांच लोग लूट साबित करने के लिए मेरे मोबाइल को छीन करके भाग गए.

इसी क्रम में घटना हुई. मौके से नवीन कुमार के मोबाइल को घटनास्थल से बरामद किया गया. उससे संदेह हुआ. जब आगे जांच की गई तब पता चला कि मृतक सुजीत कुमार को मारने की योजना से नवीन कुमार और अन्य लोग वहां गए हुए थे. सुजीत को साथ लेकर थम्हा वाली सड़क पर आए. इसी रोड पर मारपीट की जा रही थी.

ससुराल से लौट रहे थे पति-पत्नी

एसडीपीओ ने बताया कि मारपीट जब हो रही थी, इसी क्रम में मनीष कुमार और उनकी पत्नी अपने ससुराल से लौट रहे थे. वह सुजीत कुमार के पहचानते थे तो उन्होंने बचाव करने की कोशिश की. नवीन कुमार और अन्य के द्वारा चाकूबाजी की गई. इस क्रम में सभी लोग घायल हो गए, जिसमें नवीन को भी चाकू लगा है.

नवीन कुमार का इलाज पुलिस कस्टडी में कराया जा रहा है. एक अन्य को हिरासत में लिया गया है. उसकी संलिपतता पाई गई है. उनको पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया जाएगा. एसएफएल की टीम मौके का निरीक्षण कर रही है. साक्ष्य संकलन किया जा रहा है. अन्य लोगों के बारे में सत्यापन किया जा रहा है. उनकी भी गिरफ्तारी जल्द की जाएगी.

एक्शन में कानपुर DM, ऑफिस में नहीं मिले CMO और डॉक्टर; 34 लोगों का रोका वेतन

उत्तर प्रदेश के कानपुर सीएमओ समेत 34 स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है. जिलाधिकारी सुबह अचानक जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर पहुंच गए. वहां सीएमओ, डॉक्टर और अन्य अधिकारी-कर्मचारी नदारद मिले. उन्होंने सभी का एक दिन का वेतन रोक दिया. साथ ही आगे लापरवाही बरतने पर विभागीय कार्रवाई की बात कही है. डीएम के औचक निरीक्षण से स्वास्थ्य महकमें में हड़कंप मच गया.

कानपुर जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर सीएमओ ऑफिस पहुंचे. वहां समय पर अधिकतर अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित नहीं थे. हैरत तब हुई जब खुद मुख्य चिकित्सा अधिकारी अपने कार्यालय में मौजूद नहीं थे. उन्होंने रजिस्टर की जांच की. इस दौरान उन्हें मौके पर कुछ ही डॉक्टर और कर्मचारी मिले. इस दौरान डीएम ने अनुपस्थित मिले सभी अधिकारी और कर्मचारियों के एक दिन का वेतन रोके जाने का आदेश दिया.

स्वास्थ्य महकमे में मचा हड़कंप

जिलाधिकारी को ऑफिस में सीएमओ समेत 34 लोग अनुपस्थित मिले. इस बीच उन्होंने उपस्थिति रजिस्टर की जांच पड़ताल भी की. जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने सीएमओ ऑफिस का औचक निरीक्षण के बाद सभी पर कार्रवाई करने की बात कही. उन्होंने सभी का एक दिन का वेतन रोकने के आदेश दे दिए. डीएम के अचानक सीएमओ ऑफिस पहुंचते ही कर्मचारियों में हड़कंप मच गया. इस दौरान सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी समेत 34 लाेग उन्हें अनुपस्थित मिले.

CMO, 5 डॉक्टर और कर्मचारी थे अनुपस्थित

जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि अधिकारी सरकार के आदेशों को दरकिनार कर अपनी मनमानी कर रहे हैं. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सीएमओ ऑफिस में निरीक्षण के दौरान उन्हें 10 से 5 डॉक्टर, 8 में से 7 कर्मचारी और 43 नियमित कर्मचारियों में से 13 अनुपस्थित मिले. उन्होंने बताया कि खुद इनके टीम लीडर सीएमओ 10 बजकर 20 मिनट तक मौजूद नहीं थे. उन्होंने बताया कि सुबह 10 बजे से 12 बजे तक सभी अधिकारी पब्लिक समस्याएं सुनने के लिए ऑफिस में मौजूद रहेंगे. इस दौरान अस्पताल के निरीक्षण में भी उन्होंने गंदगी पाए जाने पर कर्मचारियों को सीएमओ ऑफिस और कांशीराम अस्पताल में साफ-सफाई के लिए ध्यान रखने के लिए आदेश दिया.

सिर्फ गंगा में मिलता है ये तत्व, इसलिए खराब नहीं होता पानी; 12 साल चली रिसर्च में खुलासा

कई सालों से बहती आ रही गंगा नदी भारतीयों के लिए जितनी जीवनदायिनी है, उतना ही इस नदी का धार्मिक महत्व भी है. गंगा नदी का जिक्र कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. गंगा जल हिंदुओं के लिए बहुत पवित्र है. गंगा का पानी कभी खराब नहीं होता, लेकिन सवाल ये है कि हर साल लाखों श्रद्धालुओं के गंगा में स्नान करने के बावजूद भी गंगा का पानी साफ कैसे रहता है?

हिमालय से निकलने वाली गंगा नदी हिंदुओं के लिए पूजा का स्थान है. गंगा के पानी को कई महीनों तक स्टोर कर रखा जा सकता है. वह खराब नहीं होता. इतना ही नहीं, धार्मिक त्योहारों के दौरान हर साल लाखों श्रद्धालु स्नान करते हैं, फिर भी इससे कोई महामारी या बीमारी नहीं फैलती. गंगा अपने अंदर मौजूद तीन तत्व की वजह से साफ रहती है.

खुद को साफ रखने का गुण

‘राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी एवं अनुसंधान संस्थान’ (national institute of environmental engineering and research) के वैज्ञानिकों ने गंगा के ऊपर रिसर्च किया. इसमें सामने आया कि गंगा के पानी में खुद को साफ रखने का गुण है. गंगा के पानी में भारी मात्रा में ‘बैक्टीरियोफेज’ मौजूद होता है, जो गंगा जल को प्रदूषित होने से बचाता है. यह रिसर्च केंद्र सरकार के ‘स्वच्छ गंगा मिशन’ के तहत NIRI के रिसर्चर डॉ. कृष्ण खैरनार के नेतृत्व में किया गया. इस रिसर्च के लिए गंगा को तीन चरणों में बांटा गया. इनमें पहला गोमुख से हरिद्वार, दूसरा हरिद्वार से पटना और तीसरा पटना से गंगासागर है.

50 अलग-अलग जगहों से सैंपल

NIRI के रिसर्चर डॉ. कृष्ण खैरनार ने जवाब दिया है. रिसर्चर्स ने 50 अलग-अलग जगहों से गंगा का पानी और नदी तल की रेत और मिट्टी के सैंपल लिए. उन्होंने कहा कि हमने पाया कि गंगा नदी में खुद को शुद्ध करने के गुण हैं. रिसर्चर ने पिछले कुंभ मेले के दौरान भी सैंपल इकट्ठा किए थे. हमने गंगा जल में बैक्टीरियोफेज पाए, जो पानी में मौजूद कीटाणुओं को नष्ट करते हैं.

ऑक्सीजन की मात्रा काफी ज्यादा

कृष्णा खैरनार ने आगे कहा कि इसके साथ ही रिसर्च से पता चला है कि गंगा के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा काफी ज्यादा है. गंगा जल में ऑक्सीजन का स्तर 20 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पाया गया. इसके साथ ही, टेरपिन नामक एक फाइटोकेमिकल भी पाया गया. ये तीन सिद्धांत गंगा के पानी को शुद्ध रखते हैं. खैरनार ने कहा कि गंगा का पानी कभी खराब नहीं होता.

सिर्फ गंगा नदी में ही मौजूद

यही नहीं रिसर्चर ने ये भी पता लगा लिया है कि क्या ये सिद्धांत सिर्फ गंगा नदी में ही मौजूद हैं, जो अपने पानी को शुद्ध करने का गुण रखती है, या फिर और नदियों में भी मौजूद हैं. इसके लिए यमुना और नर्मदा नदियों के पानी पर भी रिसर्च किया गया. हालांकि, यह बात सामने आई कि गंगा जल में मौजूद तत्व इन नदियों के पानी में बहुत कम मात्रा में मौजूद है.

12 साल चली गंगा पर रिसर्च

इस समय उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आयोजन हो रहा है. महाकुंभ में पहुंचकर लाखों श्रद्धालु रोज गंगा में स्नान कर रहे हैं, लेकिन गंगा का पानी स्नान से पांच किलोमीटर दूर जाकर ही शुद्ध हो जाता है. गंगा नदी में खुद को शुद्ध करने का गुण है. इसलिए गंगा का पानी खराब नहीं होता. इस बात का पता नागपुर के रिसर्चर्स 12 सालों की कड़ी मेहनत और रिसर्च के जरिए लगाया है.

उत्तर प्रदेश: फतेहपुर में दो मालगाड़ियों की भिड़ंत, दो इंजन और गार्ड कोच बेपटरी; दो रेलवे अधिकारी घायल

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में दो मालगाड़ी आपस में टकरा गईं. एक मालगाड़ी ने दूसरी मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मार दी, जिससे दो इंजन और एक गार्ड कोच बेपटरी हो गया. हादसे में एक लोको पायलट समेत दो रेलवे अधिकारी घायल हुए हैं. हादसे की जानकारी मिलते ही रेलवे विभाग मे हड़कंप मच गया. घटनास्थल पर रेलवे अधिकारी और कर्मचारी पहुंच गए हैं. हादसे से रेलवे ट्रैक बाधित जो गया, राहत कार्य कर उसे सुचारू किया जा रहा है. हादसा खागा के समीप डीएफसी रेलवे ट्रैक पर हुआ है.

दोनों मालगाड़ी की टक्कर से इलाके में कोहराम मच गया. बड़ी संख्या में लोग घटनास्थल पर इकट्ठा हो गए. मौके पर पहुंचे रेलवे अधिकारी घटना की जांच कर रहे हैं. हादसा उस दौरान हुआ जब एक ही ट्रैक पर आगे-पीछे मालगाड़ी आ गईं और उनमें टक्कर हो गई. हादसे के बाद डीएफसी की अपलाइन हावड़ा-दिल्ली ट्रैक बाधित हुआ है.

पीछे से टकराई मालगाड़ी

जानकारी के मुताबिक, जिले के खागा थाना क्षेत्र के गांव पांभीपुर इलाके के न्यू रसूलाबाद और न्यू सुजातपुर के बीच डेडीकेटेड फ्रेंट कॉरिडोर लाइन पर मंगलवार सुबह हादसा हो गया. यहां कोयला से लदी खड़ी मालगाड़ी के पीछे से प्रयागराज-कानपुर की ओर से आ रही दूसरी मालगाड़ी ट्रेन पीछे से जा टकराई. दूसरी मालगाड़ी ट्रेन में भी कोयला लदा था. जोरदार टक्कर से तेज आवाज गूंज उठी. हादसे से दो इंजन और गार्ड कोच बेपटरी होकर ट्रैक से नीच उतर गए.

लोको पायलट और को-पायलट घायल

हादसे से डीएफसी की हावड़ा-दिल्ली अपलाइन बाधित हो गई. हादसे की जानकरी मिलते ही घटनास्थल पर रेलवे अधिकारी पहुंच गए. घायल लोको पायलट और को-पायलट को अस्पताल ले जाया गया. हादसा सुबह करीब 5 बजे हुआ. पीछे से टकराने वाली मालगाड़ी प्रयागराज-कानपुर की ओर से आ रही थी. उसी ट्रैक पर दूसरी मालगाड़ी कोयले से लदी खड़ी थी, तभी वह आपस में टकरा गईं और हादसा हो गया. राहत दल द्वारा ट्रैक को सुचारू किया जा रहा है.

उत्तर प्रदेश: सहारनपुर मेडिकल कॉलेज में बड़ा घोटाला, एक रुपये के लिफाफे को खरीदा गया 246 रुपये में

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के मेडिकल कॉलेज में स्टेशनरी घोटाले में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. यहां मेडिकल कॉलेज में हुए एक स्टेशनरी घोटाले में जांच के बाद पता चला कि कॉलेज में स्टेशनरी खरीद के नाम पर लाखों का घोटाला किया गया. घोटाला भी ऐसा जिसे सुनकर कोई भी हैरान हो जाए. बाजार में जिस लिफाफे की कीमत मात्र 1 रुपए है. उस लिफाफे को 246 और 123 रुपए में खरीदा गया है. आप भी यही सोच रहे होंगे कि इतना मंहगा तो अमेरिका में भी नहीं होगा. अब इस मामले में एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है. उसके बाद ही दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.

सहारनपुर के पिलखनी में शेख-उल हिंद मौलाना महमूद हसन मेडिकल कॉलेज है. यहां साल 2018 में टेंडर प्रक्रिया में बड़ी धांधली हुई, जिसके बाद स्टेशनरी घोटाले की खबर सामने आई थी. जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज में साल 2018 में स्टेशनरी और कंटीजेंसी के समान खरीदे गए थे और उन सभी समान का भुगतान कीमत से कई गुना ज्यादा किया गया था, जिस लिफाफे को बाजार से महज एक रुपये में खरीदा जा सकता था. उस लिफाफे को 123 रुपए से 246 रुपए तक खरीदा गया. इतना ही नहीं स्टेशनरी के अन्य समान को भी 30 प्रतिशत से ज्यादा कीमत देकर खरीदा गया.

जांच के लिए कमेटी का गठन

कॉलेज में हुए इस घोटाले की जांच फाइनेंस कंट्रोलर ने की. जांच में ये सारा गोलमाल देखकर वो भी चकरा गए, जिसके बाद एक रिपोर्ट बनाई गई और मेडिकल कॉलेज के आउटसोर्सिंग क्लर्क फैजान और जिग्नेश की तत्काल सेवाएं समाप्त कर दी गई. वहीं इस मामले में मेडिकल कालेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉक्टर अरविंद द्विवेदी भी जांच के घेरे में आ गए थे. तत्कालीन कमिश्नर संजय कुमार ने इस पूरे घोटाले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था, जिसके बाद कमेटी ने एक रिपोर्ट बनाकर कमिश्नर को भेजी और उस रिपोर्ट के आधार पर एक चार्जशीट बनाकर शासन को भेजी गई.

दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई

अब उस चार्जशीट पर एक आरोप पत्र शासन से नए कमिश्नर अटल कुमार राय को मिला है. बताया जा रहा है कि आरोप पत्र में तत्कालीन प्रिंसिपल दोषी पाए गए हैं. अब इस आरोप पत्र के आधार पर सहारनपुर कमिश्नर अटल कुमार राय ने तत्कालीन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर द्विवेदी से सबूत मांगे हैं. उन्हें पेश होने का आदेश दिया है. सहारनपुर के कमिश्नर अटल कुमार राय का कहना है कि इस मामले की एक फाइनल रिपोर्ट बनाकर जल्दी ही शासन को भेजी जाएगी और जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.