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अहमद अल-शरा बने सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति, बशर असद को सत्ता से किया था बेदखल

#ahmed_al_sharaa_becomes_the_syria_new_president

सीरिया में 50 वर्षों के असद शासन का अंत हो चुका है। पिछले साल दिसंबर में विद्रोहियों ने सीरिया में तख्तापलट कर दिया। इसके बाद यहां बशर अल-असल की सरकार गिर गई। जिसके बाद विद्रोही गुट हयात तहरीर-अल-शाम ने यहां सत्ता संभाली। इस गुट के नेता अहमद अल-शरा हैं। जिन्हें 29 जनवरी को देश का अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया और उन्हें विधायिका बनाने का दायित्व सौंपा गया।

बुधवार को देश के अंतरिम राष्ट्रपति की नियुक्त के संबंध में सीरिया की नयी सरकार के सैन्य संचालन क्षेत्र के प्रवक्ता ने जानकारी दी। सीरिया की नयी सरकार के सैन्य संचालन क्षेत्र के प्रवक्ता कर्नल हसन अब्दुल गनी ने कहा कि अहमद अल-शरा इस्लामी पूर्व विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम के नेता हैं। उन्हें देश के अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया है। शरा के इसी गुट ने पिछले महीने असद को सत्ता से बेदखल करने में मुख्य भूमिका निभाई थी।

बता दें कि अहमद अल-शरा के सत्ता में आने के बाद देश में 2012 के संविधान को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा असद सरकार की संसद को भंग कर दिया गया है। नई अस्थायी विधान परिषद का गठन किया जाएगा। शरा ने कहा कि उनकी प्राथमिकता देश में शांति स्थापित करना, संस्थानों का पुनर्निर्माण करना और एक स्थिर अर्थव्यवस्था का निर्माण करना होगा।

अहमद अल-शरा पहले अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नाम से जाने जाते थे। अल-शरा का जन्म 1982 में दमिश्क में हुआ। वह कुछ वक्त सऊदी अरब में रहे। यहां उनके पिता काम करते थे। इसके बाद उनकी परवरिश सीरिया में ही हुई। विद्रोही गुट में शामिल होने से पहले अहमद अल-शरा ने डॉक्टरी की पढ़ाई पढ़ी। साल 2011 में सीरिया में गृहयुद्ध शुरू हुआ। उन्होंने अल नुसरा फ्रंट बनाई. ये अल कायदा की ब्रांच है। इसी को बाद में हयात तहरीर अल-शाम नाम पड़ा। अमेरिका ने अल-शरा को कई सालों तक आतंकवादी करार दिया। उन पर उसने 10 मिलियन डॉलर का इनाम भी रखा। उन्होंने साल 2016 में अलकायदा से अपने आपको अलग कर लिया और एचटीएस को बढ़ाया। उन्होंने इसे राष्ट्रवादी फोर्स करार दिया। हाल के सालों में अल-शरा ने अपनी पगड़ी बदलकर सैनिक वर्दी पहन ली और अल्पसंख्यकों के साथ औरतों के हकों को महफूज करने की बात कही।

असद परिवार के करीब 50 वर्षीय शासन को सिर्फ 10 दिनों में विद्रोहियों ने हमला बोलकर खत्म कर दिया और अब राजनीतिक कैदियों को आजाद कराने के लिए जेलों व सुरक्षा सुविधाओं में तोड़फोड़ की। असद के पांच दशकों के कार्यकाल में सीरिया को अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, तुर्किये और सऊदी अरब जैसे कई बड़े देशों से विरोध झेलना पड़ा। जबकि रूस, इराक, मिस्र, लेबनान और ईरान ने असद का भरपूर साथ दिया।

वॉशिंगटन डीसी में बड़ा हादसा, सेना के हेलीकॉप्टर से टकराया यात्री विमान, 60 लोग थे सवार

#america_plane_crashes_in_near_ronald_region_washington_dc

अमेरिका में व्हाइट हाउस के पास बड़ा विमान हादसा हो गया है। हादसे के बाद विमान पोटोमैक नदी में गिर गया। विमान में 60 लोग सवार थे। जानकारी के मुताबिक, हादसा एक हेलीकॉप्टर से प्लेन के टकराने की वजह से हुआ। क्रैश के बाद यात्रियों से भरा विमान और हेलीकॉप्‍टर दोनों पोटोमैक नदी में गिर जा गिरे। नदी से दो शव निकाले गए हैं। सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। हादसे के बाद से रीगन नेशनल एयरपोर्ट पर सभी उड़ानें अस्थायी रूप से रोक दी गई हैं।

अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस के पास ये हादसा हुआ। वॉशिंगटन के रोनाल्ड रिगन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास ये हादसा हुआ है। यह विमान कंसास सिटी से वॉशिंगटन जा रहा था। लैंडिंग के दौरान यह हेलीकॉप्टर से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई।अमेरिकन एयरलाइंस ने पुष्टि की कि विमान में 60 यात्री और चार चालक दल के सदस्य सवार थे। समाचार एजेंसी एएफपी ने अमेरिकी सेना के हवाले से बताया कि ब्लैक हॉक सिकोरस्की एच-60 नामक हेलीकॉप्टर में तीन सैनिक सवार थे।

जहां पर मौजूद थे ट्रंप, वहां से कुछ दूर पर विमान हादसा

व्हाइट हाउस से एयरपोर्ट के बीच एयर डिस्टेंस तीन किलोमीटर से भी कम है। जिस समय यह हादसा हुआ, ट्रंप उस समय व्हाइट हाउस में मौजूद थे। यह हादसा है या साजिश, फिलहाल इसका पता नहीं चला है। मिलिट्री हेलीकॉप्टर के अचानक आने से कई सवाल उठे हैं।

राहत एवं बचाव कार्य जारी

इस बीच अमेरिकी गृह मंत्री ने कहा कि दुर्घटना के बाद राहत एवं बचाव कार्य के लिए तटरक्षक बल सभी उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल कर रहा है। संघीय विमानन प्रशासन (एफएए) ने बताया कि यह टक्कर पूर्वी मानक समयानुसार रात लगभग नौ बजे हुई, जब कंसास के विचिटा से उड़ान भरने वाला एक क्षेत्रीय विमान हवाई अड्डे के रनवे पर पहुंचते समय एक सैन्य ‘ब्लैकहॉक’ हेलीकॉप्टर से टकरा गया।

कनाडाई जांच एजेंसी ने कहा- निज्‍जर की हत्‍या में भारत क हाथ नहीं, ट्रूडो के आरोपों को किया खारिज

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कनाडा के निवर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को उन्हें के देश की जेंसी ने बड़ा झटका दिया है। विदेशी हस्तक्षेप पर कनाडा सरकार की तरफ से गठित मैरी जोसी हॉग आयोग ने भारत को बेदाग करार दिया है। कनाडा की जांच आयुक्त मैरी-जोसे हॉग ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोपों का खंडन किया है।

हॉग आयोग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर गलत सूचनाएं फैलाईं। हालांकि इसमें यह भी साफ कर दिया गया कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों के संबंध को साबित करने को लेकर कोई ठोस लिंक नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, यह हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में संदिग्ध भारतीय संलिप्तता के बारे में पीएम ट्रूडो की घोषणा के बाद चलाए गए गलत सूचना अभियान के मामले में हो सकता है। हालांकि, फिर भी किसी विदेशी संलिप्तता का कोई प्रमाणिक संबंध साबित नहीं हो सका। बता दें कि जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

123 पन्नों की रिपोर्ट में, छह भारतीय राजनयिकों को निष्काषित किए जाने का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 'अक्तूबर 2024 में, कनाडा ने भारत सरकार से जुड़े एजेंटों द्वारा कनाडाई नागरिकों के खिलाफ लक्षित अभियान की प्रतिक्रिया में छह भारतीय राजनयिकों और वाणिज्य दूतावास अधिकारियों को निष्काषित कर दिया।' हालांकि, भारत ने भी इसके जवाब में छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित किया और अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाने की घोषणा की।

वहीं, इस रिपोर्ट में भारत, रूस, चीन और पाकिस्तान को कनाडा के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें कहा गया है कि भारत ने चुनाव में तीन राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को चुपचाप पैसे से मदद की है। इसके लिए प्रॉक्सी एजेंटों का इस्तेमाल हुआ है।

हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारत के हस्तक्षेप संबंधी बातों को पूरी तरह से खारिज किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, हकीकत यह है कि कनाडा भारत के आंतरिक मामलों में लगातार हस्तक्षेप करता रहा है।

बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने नवंबर 2023 में देश की संसद में आरोप लगाया था कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय राजनयिक समेत कई लोग शामिल थे। ट्रूडो ने कहा था कि उनके पास इससे जुड़े सबूत भी हैं। कनाडाई प्रधानमंत्री के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया था।

प्रलय के और करीब पहुंची दुनिया डूम्सडे क्लाॅक में नया समय सेट आधी रात से 89 सेकंड पहले सेट किया गया

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

परमाणु वैज्ञानिकों ने डूम्सडे क्लाॅक ( प्रयल की घड़ी) को न‌ए सिरे से सटे किया। इस साल इसे आधी रात से 89 सेकंड पहले किया गया है। यह पिछले साल से एक सेकंड कम है। यह घड़ी अब तक के इतिहास में आधी रात के सबसे करीब पहुंच गई है। यानी हम दुनिया की तबाही के और पास पहुंच गए हैं। आधी रात ( 12 बजे) को प्रतीकात्मक रुपए से प्रयल का समय माना गया है। जब पृथ्वी इंसानों के रहने लायक नहीं रहेंगी और सर्वनाश हो जाएगा।

बुलेटिन आफ द एटाॅमिक साइंटिस्ट के अनुसार, 78 साल पहले 1947 में वैज्ञानिकों ने यह घड़ी बनाई थी। इस अनोखी घड़ी को प्रलय घड़ी कहा जाता है। यह प्रतीकात्मक प्रयास था कि मानवता दुनिया को नष्ट करने के कितने करीब है। यूक्रेन पर रुसी हमले, परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ने की आशंका,गाजा में इस्त्राइल - हमास के संघर्ष और जलवायु संकट के चलते पिछले दो सालों के लिए घड़ी को आधी रात से 90 सेकंड वाले सेट किया गया था। बुलेटिन आफ एटाॅमिक साइंटिस्ट के विज्ञान और सुरक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डेनियल होल्ज ने बताया कि हमने घड़ी को आधी रात के करीब सेट किया है क्योंकि हम परमाणु जोखिम, जलवायु परिवर्तन,जैविक खतरों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता ( एआई) जैसी विघटनकारी प्रौद्योगिकियों समेत वैश्विक चुनौतियों पर प्रर्याप्त, सकारात्मक प्रगति नहीं देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिन देशों के पास परमाणु हथियार हैं,वे अपने शस्त्रागार के भंडार और भूमिका को बढ़ा रहे हैं। ऐसे हथियारों में सैकड़ों अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं जो सभ्यता को क‌ई बार नष्ट कर कर सकते हैं।

ये हैं प्रलय घड़ी

बुलेटिन आफ एटाॅमिक साइंटिस्ट की स्थापना वैज्ञानिकों के एक समूह ने की थी। इन्होंने मैनहट्टन प्रोजेक्ट द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान परमाणु बस के विकास का कोड नाम था। मूल रूप से संगठन की कल्पना परमाणु खतरों को मापने के लिए की गई थी, लेकिन 2007 में इसने अपनी गणना में जलवायु परिवर्तन को शामिल करने का फैसला लिया। पिछले 78 सालों में, मानव जाति संपूर्ण विनाश के कितने करीब है,इस हिसाब से घड़ी का समय बदलता रहा है। कुछ वर्षों में समय बदल जाता है और कुछ वर्षों में नहीं बदलता।

पहली बार आइंस्टीन ने 1948 में किया था स्थापित

प्रयल घड़ी हर साल बुलेटिन आफ एटाॅमिक साइंटिस्ट के विज्ञान और सुरक्षा बोर्ड के विशेषज्ञों के इसके प्रायोजकों के बोर्ड के परामर्श से तय की जाती है। इसे पहली बार दिसंबर 1948 में अल्बर्ट आइंस्टीन की ओर से स्थापित किया गया था। बोर्ड में वर्तमान में नौ नोबेल पुरस्कार विजेता शामिल हैं।

घड़ी सटीक है

यह घड़ी कोई वास्तविक घंटी नहीं है। बल्कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का सांकेतिक सकते हैं,जो हमें बताता है हम मानव - निर्मित आपदा के कितने करीब है।

महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से एक और मौत, 16 नए मामले आए सामने, एक्टिव मरीजों की संख्या 127

#gbspatientsinmaharashtraonemoredied

महाराष्ट्र के पुणे में ‘गुइलेन-बैरे सिंड्रोम’ (जीबीएस) के रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। आलम यह है कि मरीजों की संख्या अब 127 तक पहुंच गई है। इस जीबीएस बीमारी से एक और शख्स की जान चली गई है। जिसके बाद इस संदिग्ध बीमारी से मरने वालों की संख्या दो हो गई है। साथ ही यहां बुधवार (29 जनवरी) को जीबीएस के 16 नए मामले सामने आए हैं।

महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 29 जनवरी तक, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के 127 संदिग्ध मामलों की पहचान की गई है, जिसमें 2 संदिग्ध मौतें भी शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पुणे की 56 वर्षीय महिला की सरकारी ससून जनरल अस्पताल में जीबीएस के कारण मौत हो गई। वह अन्य बीमारियों से भी ग्रस्त थी। स्वास्थ्य विभाग ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि अभी तक जीबीएस के 127 संदिग्ध मरीज मिले हैं। इसके अलावा एक और मरीज की बीमारी से मौत होने का संदेह है। इनमें से 72 मरीजों में जीबीएस की पुष्टि हुई है। 23 मरीज पुणे नगर निगम से हैं, 73 पीएमसी क्षेत्र में नए जोड़े गए गांवों से हैं, 13 पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम से हैं, 9 पुणे ग्रामीण से हैं और 9 अन्य जिलों से हैं। प्रभावित व्यक्तियों में से 20 वर्तमान में वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश संक्रमित मरीज पुणे शहर से नए जुड़े क्षेत्रों से हैं। इनमें से कम से कम 20 लोग पड़ोसी पिंपरी चिंचवाड़ से हैं। इस बीच आसपास के जिलों के 8 मरीजों का भी पुणे के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है।

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) एक दुर्लभ ऑटोइम्यून बीमारी है. यह आमतौर पर किसी संक्रमण के बाद होने वाली बीमारी है। यह कैम्पिलोबैक्टर के कारण होने वाले गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण के बाद होता है। इसमें तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम, सेप्सिस, निमोनिया, समेत कई अन्य तरह की समस्या हो सकती है। इस बीमारी का सटीक कारण अब तक पता नहीं चल पाया है। गुइलेन-बैरी सिंड्रोम एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही नसों पर हमला करती है। इससे कमजोरी, सुन्नता या पक्षाघात हो सकता है। इस स्थिति से पीड़ित अधिकांश लोगों को अस्पताल में इलाज की आवश्यकता होती है।

हरियाणा के सीएम ने पिया यमुना का पानी, केजरीवाल की चुनौती का यूं दिया जवाब

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द‍िल्‍ली में विधानसभा चुनाव के बीच यमुना के पानी पर संग्राम मचा हुआ है। पूर्व मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल की एक टिप्‍पणी को बीजेपी ने बड़ा मुद्दा बना ल‍िया है। केजरीवाल ने कहा था क‍ि हर‍ियाणा सरकार यमुना के पानी में जहर मिलाकर द‍िल्‍ली भेज रही है। सीएम आत‍िशी ने तो बीजेपी नेताओं को यह पानी पीने की चुनौती दे डाली। अब हर‍ियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने उनकी चुनौती स्‍वीकार करते हुए बुधवार को यमुना जल पीकर द‍िखाया।

हर‍ियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने दिल्ली के पल्ला गांव में सबके सामने यमुना का पानी पीकर दिखाया। यही नहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री ने केजरीवाल पर पलटवार भी किया। उन्होंने एक्स पर लिखा है, बेहिचक और बेझिझक पवित्र यमुना के जल का आचमन किया हरियाणा की सीमा पर। आतिशी जी तो आईं नहीं। कोई नया झूठ रच रही होंगी। झूठ के पांव नहीं होते। इसलिए आप-दा का झूठ चल नहीं पा रहा। दिल्ली की देवतुल्य जनता इन फ़रेबियों को पहचान चुकी है। 5 फ़रवरी को आप-दा के फरेब काल का अंत निश्चित है। दिल्ली के लोग हरियाणा के कपूत केजरीवाल को सज़ा देंगे क्योंकि हमारा भाईचारा सदियों से मजबूत है।

इससे पहले द‍िल्‍ली की सीएम आत‍िशी ने आरोप लगाया था क‍ि पिछले 10 दिनों से हरियाणा के प्याऊ मनियारी नामक स्थान से डीडी-8 नाले के माध्यम से प्रदूषित पानी यमुना नदी में डाला जा रहा है। इससे यमुना का जल जहरीला हो गया है। द‍िल्‍ली जल बोर्ड की सीईओ ने अपनी रिपोर्ट में दावा क‍िया क‍ि यमुना में अमोनिया का स्तर सर्दियों के मौसम में अक्टूबर से फरवरी के बीच स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है। जल बोर्ड के वाटर प्यूरिफिकेशन संयंत्र 1 पीपीएम तक के अमोनिया को ठीक से प्यूरीफाई करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। ज्‍यादा होने पर दिल्ली सब ब्रांच और कैरियर लाइन चैनल से प्राप्त पानी से मिलाकर प्‍यूरीफ‍िकेशन क‍िया जाता है. यह हर साल होता है। इसमें कुछ भी नया नहीं है।

अमेरिका से आने वाले सामानों पर टैक्स में कटौती करेगा भारत, क्या ट्रंप की धमकियों का है असर?

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अमेरिका की सत्ता में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी का असर दिखने लगा है। ट्रंप हमेशा से टैरिफ को लेकर आक्रामक रहे हैं। ट्रंप ने इलेक्शन कैंपेन के दौरान ब्रिक्स देशों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी भी दी थी। यही नहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को पदभार संभालने के बाद ब्रिक्स देशों, जिसमें भारत भी शामिल है उन्‍हें एक बार फिर से टैरिफ की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर सदस्य देश अपनी डि-डॉलराइजेशन की कोशिशें जारी रखते हैं, तो उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। इसका मतलब है कि अगर इन देशों ने डॉलर से बचने के लिए अपनी अलग मुद्रा बनाने की कोशिश की तो अमेरिका उनके प्रोडक्‍ट पर टैरिफ बढ़ा देगा। ट्रंप की इस धमकी का असर दिखना शुरू हो गया है। दरअसल, खबर है कि भारत अमेरिका से आयातित कुछ महंगे सामानों पर टैक्स में कमी कर सकता है। माना जा रहा है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से इस बार बजट पेश किए जाने पर इसकी पुष्टि हो सकती है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से टैक्स में कटौती की बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 1 फरवरी को निर्मला सीतारमण बजट पेश करने के दौरान इसकी घोषणा कर सकती हैं। स्टील, महंगी मोटरसाइकिल, इलेक्ट्रॉनिक सामान इस लिस्ट में हैं, जिनके टैरिफ में कटौती हो सकती है। भारत अमेरिका से 20 ऐसे सामान आयात करता है जिन पर 100 प्रतिशत से अधिक शुल्क लगता है। अमेरिका भारत का बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2023-24 में दोनों देशों के बीच व्यापार 118 अरब डॉलर से ज्यादा रहा था। इसमें भारत का ट्रेड सरप्लस 41 अरब डॉलर रहा था।

खास बात कि भारत की टैक्स में कटौती की खबर ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत, चीन और ब्राजील को 'जबरदस्त टैरिफ मेकर्स' बताया। तीनों ही देश तेजी से प्रभावशाली होते जा रहे ब्रिक्स ब्लॉक के संस्थापक सदस्य हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को फ्लोरिडा में एक कार्यक्रम में भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों पर हाई टैरिफ लगाने की धमकी दी। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि अमेरिका वापस उस सिस्टम को अपनाए जिसने उसे धनी और ताकतवर बनाया है। हम अमेरिका को सबसे पहले रखेंगे। ट्रंप ने उत्साहपूर्वक कहा कि हम उन बाहरी देशों और लोगों पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं जो वास्तव में हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। चीन एक जबरदस्त टैरिफ निर्माता है, और भारत, ब्राजील और कई अन्य देश भी। (लेकिन) हम ऐसा अब और नहीं होने देंगे... क्योंकि हम अमेरिका को सबसे पहले रखेंगे।

डीयू की 'आचारशाला' पहल: छात्रों को देशभक्ति और करुणा की अवधारणाएं सिखाने का प्रयास

दिल्ली विश्वविद्यालय ने बुधवार को कहा कि वह अपने "आचारशाला" कार्यक्रम के तहत छात्रों को देशभक्ति और करुणा जैसी अवधारणाएं और गुण सिखा रहा है। डीयू की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि विश्वविद्यालय ने "आचारशाला" कार्यक्रम के तहत अपने व्याख्यान श्रृंखला के तीसरे सत्र का आयोजन किया, जिसका आयोजन छात्र कल्याण के डीन के कार्यालय द्वारा किया गया।

इस व्याख्यान का विषय "मानव मूल्यों के विकास में दिल्ली विश्वविद्यालय का योगदान" था। "आचारशाला" पिछले साल नवंबर में दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा शुरू की गई एक पहल है, जिसका आयोजन छात्रों को विशेषज्ञों से सीधे सीखने और खुले विचार-विमर्श में शामिल होने के अवसर प्रदान करने के लिए हर पखवाड़े किया जाता है। इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए डीयू के छात्र कल्याण के डीन रंजन कुमार त्रिपाठी ने कहा कि व्याख्यान का उद्देश्य छात्रों में "स्वाभाविक रूप से देशभक्ति और करुणा की भावना विकसित करना" है।

बयान में कहा गया है, "आचारशाला दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। इस पहल का उद्देश्य छात्रों के व्यवहार में विश्वविद्यालय की गौरवशाली परंपराओं को प्रतिबिंबित करना है, जिसका लक्ष्य स्वाभाविक रूप से देशभक्ति और करुणा की भावनाओं को विकसित करना है।" बयान के अनुसार, तीसरे व्याख्यान कार्यक्रम के दौरान, मुख्य अतिथि, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित संस्थान के सीईओ राजीव गुप्ता ने मानवीय मूल्यों, अखंडता और नैतिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने में शैक्षणिक संस्थानों की अभिन्न भूमिका पर व्याख्यान दिया।

बयान में कहा गया है कि विशेष अतिथि के रूप में, दिल्ली विश्वविद्यालय में योजना प्रभाग के डीन निरंजन कुमार ने मानवीय मूल्यों के विकास में मानविकी और सामाजिक विज्ञान की भूमिका पर जोर दिया और शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार में अकादमिक उत्कृष्टता के महत्व पर चर्चा की। इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम के दौरान, डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन के सीईओ नंद कुमारम ने छात्रों और शिक्षकों के साथ प्रौद्योगिकी और मानवीय मूल्यों पर अपने विचार साझा किए। बयान में कहा गया है कि उन्होंने नैतिक सिद्धांतों का पालन करते हुए कर्तव्य की भावना के साथ प्रौद्योगिकी के उचित उपयोग पर जोर दिया। बयान के अनुसार, इस कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन, विभिन्न विभागों के कई संकाय सदस्यों और बड़ी संख्या में छात्रों और शोधकर्ताओं ने भी भाग लिया।

ट्रंप की बात मानने पर नए बॉस से ‘शर्मिंदा' हुए सीएनएन के कर्मचारी

सीएनएन के कर्मचारी अपने नए बॉस मार्क थॉम्पसन के चुनाव के बाद के निर्देशों से “शर्मिंदा” हैं, सूत्रों ने पेज सिक्स को बताया। अंदरूनी सूत्रों ने अपनी शिकायतें व्यक्त करते हुए दावा किया कि 67 वर्षीय सीईओ डोनाल्ड ट्रंप की चापलूसी कर रहे हैं। मौजूदा स्थिति के मद्देनजर, कुछ कर्मचारी नेटवर्क के लिए काम करने में “शर्मिंदा” महसूस करते हैं, जो खुद को “समाचारों में सबसे भरोसेमंद नाम” के रूप में पेश करता है।

सीएनएन के कर्मचारी ट्रम्प की बात मानने वाले नए सीईओ से ‘शर्मिंदा’ हैं, सूत्रों का कहना है। सीएनएन के अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों को पैसे देने पर कर्मचारी भड़के हुए हैं। लंबे समय से ट्रंप के आलोचक रहे जिम अकोस्टा के नेटवर्क से बाहर निकलने के बाद, आउटलेट को बताया कि “सीएनएन के लंबे समय से कर्मचारी, जो वास्तव में पत्रकार हैं, शर्मिंदा हैं।” 53 वर्षीय प्रसारक ने मंगलवार को नेटवर्क छोड़ने के अपने निर्णय की घोषणा की, जहाँ उन्होंने लगभग दो दशकों तक काम किया, अपने शो को देर रात के स्लॉट में स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद।

अकोस्टा की घोषणा के बाद, ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर एक तीखे बयान में प्रसारक की आलोचना की, उन्हें "पत्रकारिता के इतिहास में सबसे खराब और सबसे बेईमान पत्रकारों में से एक, एक बड़ा बदमाश" कहा। "कहा जा रहा है कि वह छोड़ना चाहता है, और यह और भी बेहतर होगा। जिम एक बड़ा हारने वाला व्यक्ति है जो चाहे जहाँ भी जाए असफल ही रहेगा। शुभकामनाएँ जिम!" राष्ट्रपति ने कहा।

यह स्पष्ट है कि वे ट्रम्प के सामने झुक रहे हैं, खासकर अकोस्टा के साथ जो उन्होंने किया। मनोबल गिर गया है!," CNN को भी अपनी रेटिंग के साथ कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है। एक और सूत्र ने कहा, "टेलीविजन में बहुत से लोग जानते और समझते हैं कि ट्रम्प चुने गए थे, और जब आप दर्शकों को आकर्षित करने के व्यवसाय में होते हैं, तो आपको इस नए प्रशासन के इर्द-गिर्द कुछ खास तरीके से कार्यक्रम बनाने होते हैं।" "लोग खुश नहीं हैं क्योंकि वे वह नहीं कर रहे हैं जो उन्हें पसंद है, और वे उन चीजों को करने में व्यस्त हैं जो उन्हें पसंद नहीं हैं," उन्होंने आगे कहा, "क्रिस के अधीन लोग बहुत खुश थे क्योंकि वह बहुत दूर रहते थे और प्रोग्रामिंग को बिल्कुल भी नहीं छूते थे। [थॉम्पसन] बस यही कर रहे हैं।" हालांकि, एक चौथे अंदरूनी सूत्र ने हाल की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए CNN के कर्मचारियों को "सबसे प्रेरित, प्रतिबद्ध और मेहनती" कहा।

शरिया कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची मुस्लिम महिला, बेटी को पूरी संपत्ति देना चाहती है महिला

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सुप्रीम कोर्ट में एक मुस्लिम महिला ने याचिका दायर कर मांग की है कि उसे शरीयत कानून में विश्वास नहीं है और वह चाहती है कि उस पर उत्तराधिकार कानून लागू हो। महिला ने खुद को 'गैर-आस्तिक' बताते हुए मांग की है कि उनके उत्तराधिकार से जुड़े मामलों में मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरिया कानून) की बजाय भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 लागू किया जाए। महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और सरकार का इस मुद्दे पर पक्ष पूछा है। 

केरल के अलप्पुझा की रहने वाली एक महिला साफिया पी एम ने यह याचिका दायर की है। वह अपनी पूरी संपत्ति अपनी बेटी को देना चाहती हैं, लेकिन शरिया कानून के तहत वह केवल 50 प्रतिशत संपत्ति ही दे सकती हैं। इसलिए वह 'सेक्युलर लॉ' यानी भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के तहत लाभ चाहती हैं।

सफिया पी एम ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह एक गैर-आस्तिक मुस्लिम महिला हैं। वह चाहती हैं कि उन्हें विरासत के मामलों में मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरिया कानून) की बजाय भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 के तहत माना जाए। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने केंद्र सरकार को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

सफिया पी एम का कहना है कि वह इस्लाम को नहीं मानती, लेकिन अभी भी उसने आधिकारिक रूप से इस्लाम को नहीं छोड़ा है। शरिया कानून के अनुसार, जो व्यक्ति इस्लाम छोड़ देता है, उसे समुदाय से बाहर कर दिया जाता है और उसे माता-पिता की संपत्ति में कोई विरासत का अधिकार नहीं मिलता। याचिका में यह भी कहा गया है कि शरिया कानून के तहत, एक मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति का एक तिहाई से अधिक हिस्सा वसीयत के माध्यम से नहीं दे सकता है। सफिया पी एम की एक बेटी है। उनकी चिंता है कि उनकी मौत के बाद, पूरी संपत्ति उनकी बेटी को नहीं मिलेगी, क्योंकि उनके पिता के भाइयों का भी उस पर दावा होगा।

केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 'याचिका में रोचक सवाल उठाया गया है।' मेहता ने कहा कि 'याचिकाकर्ता महिला एक पैदाइशी मुस्लिम है। उनका कहना है कि वे शरीयत कानून में विश्वास नहीं रखती और यह एक पिछड़ा हुआ कानून है।' पीठ ने कहा कि 'यह आस्था के खिलाफ है और आपको (केंद्र सरकार) इसके जवाब में हलफनामा दाखिल करना होगा।' इस पर सॉलिसिटर जरनल तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय मांगा। इस पर पीठ ने चार हफ्ते का समय देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 5 मई तय की। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल 29 अप्रैल को भी केंद्र सरकार और राज्य सरकार से जवाब मांगा था।