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ओबीसी आरक्षण मामला : पंचायती राज अधिनियम में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, जानिए पूरा मामला…

बिलासपुर-    ओबीसी आरक्षण मामले में हाईकोर्ट ने सूरजपुर जिला पंचायत उपाध्यक्ष की याचिका खारिज कर दी है. छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर डिवीजन बेंच में लंबी कानूनी बहस हुई. दोनों पक्षों को गंभीरता से सुनने के बाद हाईकोर्ट ने विधि संगत निर्णय लेते हुए मेरिट बेस पर याचिका को खारिज किया.

मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बैंच में मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शक्तिराज सिन्हा ने राज्य शासन द्वारा ओबीसी वर्ग को आरक्षण प्रदान करने वाली छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 129(ड.) की उपधारा (03) को विलोपित किए जाने और बीते वर्ष 3 दिसंबर 2024 को छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश 2024 को लेकर अपना पक्ष रखा.

राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने शासन का पक्ष रखते हुए इस मामले में नए अध्यादेश 23 जनवरी 2025 को जारी होने की बात कही. इसे सरकार की ओर से बजट सत्र में विधानसभा पटल में रखने की जानकारी दी. वहीं कोर्ट में संवैधानिक रूप से इस अध्यादेश को पारित होने को लेकर अनुच्छेद 213(2) के तहत राज्यपाल से सहमति पारित होने और विधानसभा के समक्ष पुनः समवेत होने से छह सप्ताह की समाप्ति पर या यदि उस अवधि की समाप्ति से पहले निरनुमोदन का प्रस्ताव पारित करने को लेकर पक्ष रखा.

इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शक्ति राज सिन्हा ने अपनी याचिका में कही बातों को दोहरा और आरक्षण संबंधी संशोधन के नियमों को लेकर पूर्व अध्यादेश पर अपनी बात रखी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के अध्यादेश को लेकर दिए गए निर्णय का संदर्भ दिया. इस पर महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने अपनी दलील रखी. वहीं कोर्ट ने इस मामले में उन निर्णयों के संदर्भ से संबंध नहीं देखते हुए विधि संगत निर्णय लिया.

जानिए पूरा मामला

हाईकोर्ट में जिला पंचायत सूरजपुर के उपाध्यक्ष नरेश रजवाड़े ने याचिका लगाई थी. याचिकाकर्ता के मुताबिक, पांचवी अनुसूची में शामिल जिलों में ओबीसी वर्ग को आरक्षण प्रदान करने वाली छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 129(ड.) की उपधारा (03) को लोप करने के लिए पिछले साल 3 दिसंबर को राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश 2024 को लाया. भारत के संविधान की अनुच्छेद 213 में निहित प्रावधान के तहत कोई भी अध्यादेश अधिकतम छह माह की अवधि तक ही क्रियाशील होता है अथवा विधानसभा के आगामी सत्र में अनिवार्य रूप से प्रस्ताव पारित कर अधिनियम का रूप दिलाना होता है, जिसमें छत्तीसगढ़ शासन ने गंभीर चूक की है.

अध्यादेश जारी होने के बाद 16 जनवरी 2024 से 20 जनवरी 2024 तक आहूत छत्तीसगढ़ विधानसभा के सत्र में इस महत्वपूर्ण अध्यादेश को पारित नहीं कराते हुए मात्र विधानसभा के पटल पर रखा गया है. इसके कारण अध्यादेश वर्तमान में विधिशून्य/औचित्यविहीन बताया गया. ऐसी स्थिति में वर्तमान में उक्त संशोधन के आधार छत्तीसगढ़ पंचायत निर्वाचन नियम (5) में दिनांक 24 दिसंबर 2024 को किया गया संशोधन पूर्णतः अवैधानिक है, लेकिन इस पूरे मामले में 20 जनवरी को सुनवाई हुई और सरकार को कैबिनेट में पारित करने के संवैधानिक अधिकार के तहत 6 सप्ताह का समय दिया. मामले की सुनवाई के दौरान शासन के अधिवक्ता ने बताया कि इसको लेकर नया अध्यादेश जारी किया गया है, इसलिए अब सरकार के पास अगली कैबिनेट में उसे रखने का समय है. इसे सरकार अगले बजट सत्र में विधानसभा पटल में रख सकती है. वहीं बैंच ने दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद अपना फैसला सुनाते हुए याचिका को मेरिट बेस पर खारिज कर दिया.

सड़क सुरक्षा को लेकर अनोखी पहल : पिता की पुण्यतिथि पर चलाया हेलमेट जागरूकता अभियान

डोंगरगढ़-  जब किसी प्रियजन की पुण्यतिथि को सेवा और समाजहित के कार्यों से जोड़ा जाता है, तो यह पहल समाज में प्रेरणा का स्रोत बन जाती है. ऐसा ही उदाहरण राजनांदगांव जिले के जारवाही गांव के धर्मेंद्र साहू और उनके परिवार ने पेश किया. स्वर्गीय पंचराम साहू की तृतीय पुण्यतिथि पर परिवार ने हेलमेट जागरूकता अभियान का आयोजन किया, जिसे स्थानीय लोग अब ‘हेलमेट संगवारी अभियान’ के नाम से जानते हैं.

इस कार्यक्रम में सड़क सुरक्षा का महत्व समझाते हुए 500 से अधिक लोगों को जागरूक किया गया. कार्यक्रम के दौरान न सिर्फ निःशुल्क हेलमेट बांटे गए, बल्कि 84 लोगों ने रक्तदान कर मानव सेवा में योगदान दिया. इतना ही नहीं मौके पर 157 लोगों ने ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवाया.

1500 से अधिक बांट चुके हैं हेलमेट

धर्मेंद्र साहू अब तक 1500 से अधिक लोगों को निःशुल्क हेलमेट बांट चुके हैं और 30 से अधिक सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं. इस अभियान को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है. इस विशेष अवसर पर धर्मेंद्र ने अपना 50वां रक्तदान किया, जबकि उनके भाइयों ने भी योगदान देते हुए क्रमशः अपना पहला, दूसरा और तीसरा रक्तदान किया.

धर्मेंद्र ने बताया कि हमारे पिता स्व. पंचराम साहू समाजसेवा के प्रति समर्पित थे. उनकी स्मृति को समाजहित के कार्यों से जोड़कर हम उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.

समाज के लिए प्रेरणा बनी पहल: कलेक्टर और एसपी ने की सराहना

कार्यक्रम में राजनांदगांव के कलेक्टर संजय अग्रवाल और पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग ने भी शिरकत की. कलेक्टर अग्रवाल ने धर्मेंद्र की इस पहल को सराहते हुए कहा कि यह अभियान प्रशासन के लिए प्रेरणा का स्रोत है. इस तरह की जागरूकता गतिविधियां समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का काम करती हैं.

एसपी मोहित गर्ग ने कहा कि सड़क सुरक्षा और सामाजिक जागरूकता के क्षेत्र में इस परिवार का प्रयास अनुकरणीय है. यदि समाज के अन्य लोग भी इस पहल से प्रेरणा लें, तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी.”

‘हेलमेट संगवारी’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ परिवार

धर्मेंद्र साहू के इस प्रयास में उनका पूरा परिवार सहभागी है. उनकी माता, पत्नी और भाई इस मिशन में कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं. यह परिवार अब पूरे क्षेत्र में ‘हेलमेट संगवारी परिवार’ के नाम से जाना जाता है.

सामाजिक जागरूकता और मानव सेवा का संगम

धर्मेंद्र साहू और उनके परिवार का यह प्रयास समाज में सड़क सुरक्षा और सेवा भाव को नई पहचान दे रहा है. पुण्यतिथि को इस तरह से मनाने का तरीका न सिर्फ अपने पूर्वजों को सच्ची श्रद्धांजलि देता है, बल्कि समाज के लिए नई राह भी दिखाता है.

समाज सेवा का संदेश

‘हेलमेट संगवारी परिवार’ का यह अभियान संदेश देता है कि यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर छोटे-छोटे प्रयास करे, तो समाज में बड़ा बदलाव संभव है. यह पहल न केवल सड़क दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करेगी, बल्कि समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी याद दिलाएगी.

…स्कूटी में सवार होकर नामांकन दाखिल करने पहुंचीं दीप्ति दुबे, रैली रद्द, शक्ति प्रदर्शन नहीं

रायपुर-  रायपुर नगर निगम में कांग्रेस महापौर पद की प्रत्याशी दीप्ति दुबे आज बिना किसी ताम-झाम के स्कूटी पर सवार होकर नामांकन दाखिल करने पहुंची. न कोई रैली, न कोई शक्ति प्रदर्शन. 

इस पर कांग्रेस महापौर प्रत्याशी दीप्ति दुबे ने कहा कि आज स्कूटी से हेलमेट पहन के आने का उद्देश्य यही के हम लोगों को मैसेज दे रहे हैं कि लोग ट्रैफिक नियमों का पूरी जिम्मेदारी के साथ पालन करें. आज हमने नामांकन जमा किया है. अब मैं लोगों के बीच में भी जाऊंगी. किसी को किसी प्रकार की कोई समस्या हो सीधे मुझसे संपर्क कर सकते हैं. मजबूती से चुनाव लड़ेंगे.

इसके पहले कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस भवन गांधी मैदान से रैली निकालने की योजना थी, जिसे स्थगित कर दिया गया. स्थल पर कार्यकर्ता इंतज़ार करते रहे. नामांकन दाखिल करने के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव, रायपुर शहर ज़िला कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश दुबे और पूर्व निगम सभापति प्रमोद दुबे भी मौजूद रहे.

छत्तीसगढ़ डॉक्टर फेडरेशन ने वेतन विसंगति और अन्य समस्याओं को लेकर स्वास्थ्य मंत्री को सौंपा ज्ञापन

रायपुर-   वेतन विसंगति और अन्य समस्याओं को लेकर छत्तीसगढ़ डॉक्टर फेडरेशन के अध्यक्ष ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री को समस्याओं से अवगत कराया. जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने प्राप्त पत्र के निराकरण के संबंध में निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य मंत्री कार्यालय ने संचालक चिकित्सा शिक्षा को निरीक्षण करने का आदेश जारी किया है. जिससे संबंधित समस्याओं का जल्द समाधान निकाले जाने की उम्मीद जताई गई है. 

दरअसल, छत्तीसगढ़ डॉक्टर फेडरेशन के अध्यक्ष डॉक्टर हीरा सिंह ने वेतन विसंगति दूर करने के संबंध में ज्ञापन सौंपा. जिसमें बताया गया कि विद्यार्थी एमबीबीएस और एमएस करके एमसीएच के अध्यन्न के लिए डीकेएस हॉस्पिटल में कार्यरत हैं. वेतन विसंगति के कारण वेतनमान एमबीबीएस करने के पश्चात एमएस कर रहे विद्यार्थियों के बराबर है. जो कि पड़ोसी राज्यों की तुलना में काफी कम है. 

वहीं फेडरेशन द्वारा एक तुलनात्मक आंकड़ा भी पेश किया गया, जिसमें बताया कि अन्य राज्यों के मुकाबले छत्तीसगढ़ में वेतन कम हैं.

1. छत्तीसगढ़

  • एमसीएच प्रथम वर्षः 67500/
  • एमसीएच द्वितीय वर्षका 71600
  • तृतीय तृतीय वर्षः 74600/

2. पं. बी.डी. शर्मा पीजीआई रोहतक, हरियाणा

  • प्रथम वर्षः 120777 –
  • द्वितीय वर्षः 124345 
  • तृतीय वर्षः 128091

3. एससीबी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल कटक

  • एमसीएच प्रथम वर्षका 78260
  • एमसीएच द्वितीय वर्षका 80784, 
  • एमसीएच तृतीय वर्षका 83308

4. बीटी मेडिकल कॉलेज गुजरात

  • प्रथम वर्षः 100800, 
  • तृतीय वर्षः 105000

5. उत्तर प्रदेश

  • प्रथम वर्षः 127260 

परीक्षण के निर्देश

नामांकन भरने से पहले भाजपा महापौर प्रत्याशी मीनल ने सीएम साय से लिया आशीर्वाद

रायपुर-  नगर निगम रायपुर की महापौर प्रत्याशी मीनल चौबे ने आज नामांकन भरने से पहले मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आशीर्वाद लिया. इस अवसर पर विधायक राजेश मूणत, पुरंदर मिश्रा और सुनील सोनी मौजूद रहे. बता दें कि आज नामांकन जमा करने का अंतिम दिन है. नगरीय निकाय चुनाव की वोटिंग 11 फरवरी को होगी और परिणाम 15 फरवरी को घोषित होंगे.

भाजपा ने रायपुर से मीनल चौबे को महापौर प्रत्याशी बनाया है. वे तीन बार पार्षद रह चुकी हैं. नगर निगम परिषद में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अपनी भूमिका निभा चुकी हैं. मीनल चौबे की पहचान भाजपा महिला मोर्चा के विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए एक प्रभावशाली और तेजतर्रार नेता के रूप में बनी है.

निकाय चुनाव 2025 : कांग्रेस ने रायपुर निगम में थोक में काटे पार्षदों के टिकट, भाजपा ने कसा तंज…

रायपुर- कांग्रेस ने रायपुर नगर निगम में थोक में चुने हुए पार्षदों के टिकट काटकर दूसरे को दे दिया है. ऐसे में एक तरफ कांग्रेस के भीतर टूट-फूट शुरू हो गई है, तो दूसरी ओर भाजपा के नेता कांग्रेस में मचे घमासान पर तंज कसने लगे हैं.

दरअसल, कांग्रेस ने रायपुर नगर निगम में थोक में सिटिंग पार्षदों के टिकट काटे हैं. इनमें वार्ड 27 से पार्षद सुरेश चन्नावार, वार्ड 28 से हरदीप सिंह होरा ‘बंटी’, वार्ड 29 से पुरुषोत्तम चंद्र बेहरा, वार्ड 35 से आकाश तिवारी, वार्ड 36 से अनवर हुसैन, वार्ड 37 से रितेश त्रिपाठी, वार्ड 40 से सीनियर पार्षद ज्ञानेश शर्मा और वार्ड 62 से पार्षद समीर अख़्तर का टिकट कटा है. वहीं महापौर और वार्ड 46 के पार्षद एजाज़ ढेबर को वार्ड 57 से टिकट दिया गया है.

व्यक्तिगत आकांक्षाओं के लिए राजनीति करते हैं कांग्रेसी

बीजेपी के प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने कांग्रेस में इस्तीफों के दौर पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस नेताधारी पार्टी है, जहां हर एक नेता अपने आदमी को बैठना चाहता है. कांग्रेस का यह कल्चर है, उनकी DNA में है. कांग्रेसी समाजसेवा के लिए नहीं, बल्कि व्यक्तिगत आकांक्षाओं के लिए राजनीति करते हैं. पार्टी से पहले स्वयं को महत्व देते हैं. यही होता रहता है. कुछ कार्यकर्ताओं के साथ गलत होता है, इसीलिए ऐसी स्थिति आती है.

कांग्रेस पार्षद प्रत्याशियों की सूची आने के बाद बवाल : महिला कांग्रेस के प्रदेश सचिव ने दिया इस्तीफा, पार्षद ने भी पार्टी को कहा अलविदा…

रायपुर- कांग्रेस ने देर रात रायपुर नगर निगम के पार्षद प्रत्याशियों की सूची जारी की है. कांग्रेस के पार्षद प्रत्याशियों की सूची आने के बाद बवाल भी शुरू हो गया है. टिकट नहीं मिलने से नाराज प्रदेश सचिव महिला कांग्रेस के पद से पूनम पांडे ने इस्तीफा दे दिया है. वहीं कांग्रेस के सक्रीय पार्षद एवं एमआईसी सदस्य रहे हरदीप सिंह उर्फ बंटी होरा ने पार्टी को अलविदा कह दिया है.

पूनम पांडे ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर लिखा है कि मैं पूनम पांडे वर्तमान पद प्रदेश सचिव महिला कांग्रेस के पद से आज से पद मुक्त होते हुए इस्तीफा देती हूं, क्योंकि मेरे लिए आत्मसम्मान से बड़ा कुछ नहीं है. लोगों के लिए जमीनी स्तर पर काम कर सकूं, इसके लिए मैं टिकट मांग रही थी. मैं पत्रकारिता छोड़कर लगातार कांग्रेस पार्टी में कई सालों से महिला कांग्रेस पद में रहते हुए पार्टी के साथ जुड़कर पार्टी के हित में काम किया. महिला कांग्रेस में अपनी सक्रियता और सहभागिता दिखाते हुए काम करती रही, पर आज जब मेरे साथ पार्टी ने अनदेखा किया है.

कांग्रेस के सक्रीय पार्षद रहे हरदीप सिंह उर्फ बंटी होरा ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है. बता दें कि बंटी होरा शहीद हेमू कालाणी वार्ड के पार्षद रहे हैं. टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल पर नाराजगी जताते हुए लिखा है कि मेरा तेरा पार्टी को मेरा अलविदा.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने लाला लाजपत राय की जयंती पर उन्हें किया नमन
रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय की जयंती पर उन्हें नमन किया है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि लाला लाजपत राय का जीवन देश के लिए समर्पण, बलिदान और संघर्ष का प्रतीक है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अंग्रेजी साम्राज्य के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। मुख्यमंत्री श्री साय ने लाला लाजपत राय के स्वतंत्रता संग्राम में अतुलनीय योगदान को याद करते हुए कहा कि लाला जी ने स्वाधीनता के लिए संघर्ष करते हुए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं की। लाला जी ने कहा था ‘मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी’। श्री साय ने कहा कि लाला जी की कही बात सच साबित हुई और उनकी शहादत ने आजादी की लड़ाई को एक नई दिशा दी। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि लाला लाजपत राय का देश के लिए बलिदान हमें देश की उन्नति के लिए काम करने की सदैव प्रेरणा देते रहेगा।
कांग्रेस ने खेला बड़ा दाव : भाजपा छोड़ कांग्रेस में आई नम्रता दास, 24 घंटे के भीतर पार्टी ने दिया नगर पंचायत अध्यक्ष का टिकट
खैरागढ़- जिले के छुईंखदान नगर पंचायत में निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है. कांग्रेस पार्टी ने यहां बड़ा दांव खेलते हुए भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस में आई नम्रता गिरिराज किशोर दास को नगर पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी घोषित कर दिया है.

नम्रता देवी भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला उपाध्यक्ष गिरिराज किशोर दास की पत्नी है. उन्होंने सोमवार को अपने पति के साथ भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था. कांग्रेस में शामिल होने के 24 घंटे के भीतर ही पार्टी ने उन्हें छुईंखदान नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. दूसरी ओर भाजपा ने छुईंखदान में वरिष्ठ भाजपा नेता खूबचंद पारख की बेटी शीतल जैन को टिकट दिया है. हालांकि, शीतल जैन को प्रत्याशी बनाए जाने के फैसले का स्थानीय स्तर पर भारी विरोध हो रहा है. भाजपा के कार्यकर्ताओं और स्थानीय जनता का एक वर्ग इस निर्णय से नाराज है, जिससे पार्टी के भीतर मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं.

नम्रता गिरिराज किशोर दास

गिरिराज का कांग्रेस में आना पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस का यह कदम भाजपा को कमजोर करने और स्थानीय जनता का समर्थन पाने के लिए उठाया गया है. गिरिराज किशोर दास का भाजपा में लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है और उनका कांग्रेस में आना पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. छुईंखदान नगर पंचायत के इस घटनाक्रम ने चुनावी माहौल को और भी गर्म कर दिया है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में हैं. अब देखना होगा कि जनता किस पार्टी और प्रत्याशी पर भरोसा जताती है.

भाजपा के लिए बड़ी चुनौती

स्थानीय जनता का कहना है कि इस चुनाव में व्यक्तिगत छवि, अनुभव और विकास कार्य प्रमुख मुद्दा होंगे. कांग्रेस के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी स्थानीय समीकरणों को साधने के लिए आक्रामक रणनीति अपना रही है. वहीं भाजपा को अपने अंदरूनी विरोध को शांत करते हुए जनता का भरोसा बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी. छुईंखदान नगर पंचायत चुनाव अब बेहद दिलचस्प हो चुका है. कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधे मुकाबले में दोनों पार्टियों की रणनीति और प्रत्याशियों की छवि आगामी चुनावी परिणाम को तय करेगी.

गिरीराज ने भाजपा पर अनदेखी और परिवारवाद का लगाया था आरोप

बता दें कि नगर पंचायत से दो बार अध्यक्ष रह चुके और भाजपा के जिला उपाध्यक्ष गिरीराज किशोरदास ने सोमवार को अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी. रायपुर में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपस्थिति में उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन किया था. गिरीराज किशोरदास ने कहा था कि भाजपा में अब कार्यकर्ताओं की अनदेखी और परिवारवाद हावी हो गया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि पार्टी नेतृत्व क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं की मेहनत और जनभावनाओं को दरकिनार कर निर्णय ले रही है. कांग्रेस की नीतियों और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व से प्रभावित होकर उन्होंने यह कदम उठाया है.

भाजपा प्रत्याशी शीतल जैन का बढ़ता विरोध

भाजपा ने छुईखदान नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए वरिष्ठ नेता खुबचंद पारख की बेटी शीतल जैन को प्रत्याशी घोषित किया है, लेकिन उनकी उम्मीदवारी का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है. भाजपा की पार्षद शैव्या वैष्णव ने भी शीतल जैन को टिकट देने का विरोध किया था. शैव्या ने पार्टी नेतृत्व पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और इसे क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं के सम्मान के खिलाफ बताया. इसके बाद गिरीराज किशोरदास के कांग्रेस में शामिल होने और भाजपा के भीतर बढ़ते विरोध ने छुईखदान में राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह से बदल दिया. कांग्रेस इस मौके को अपने लिए बड़ा लाभ मान रही है, जबकि भाजपा के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है.

रिएजेंट और मेडिकल उपकरण खरीदी में महाघोटाला, स्वास्थ्य संचालक और सीजीएमएससी की एमडी की मदद से मोक्षित कॉरपोरेशन ने सरकार को लगाई अरबों की चपत!

रायपुर- रिएजेंट और मेडिकल उपकरण खरीदी में सरकार को अरबों की चपत लगाने के मामले में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर दर्ज करने के बाद ईओडब्ल्यू ने घोटाले की स्क्रिप्ट लिखने वाले मोक्षित कॉरपोरेशन के कई ठिकानों पर आज दबिश दी है। खबर है कि ईओडब्ल्यू ने कई दस्तावेज बरामद किए हैं। ईओडब्ल्यू ने अपनी एफआईआर में स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारियों के खिलाफ भी अपराध दर्ज किया है। एफआईआर में स्वास्थ्य संचालक और सीजीएमएससी की एमडी पर गंभीर टिप्पणी की गई है। इस एफआईआर के बाद यह माना जा रहा है कि जांच की जद में कई आला अफसर आ सकते हैं। चर्चा है कि इस घोटाले में शामिल रहे लोगों की जल्द गिरफ्तारियां होंगी। ईओडब्ल्यू की शुरुआती जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि अफसरों की मिलीभगत से सरकार को अरबों रुपए की चपत लगाई गई।

राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और एंटी करप्शन ब्यूरो की एफआईआर के मुताबिक, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अंतर्गत वर्ष 2021 में हमर लैब की स्थापना (जिला स्तरीय एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तरीय) के तहत आवश्यक उपकरणों, मशीनों आदि की खरीद के लिए विभाग द्वारा निर्देश जारी किया गया था, जिसके तहत आवश्यक उपकरणों/मशीनों आदि का आकलन कर संचालक स्वास्थ्य सेवाएं के माध्यम से सीजीएमएससी को खरीदी कर आपूर्ति करने निर्देशित किया गया था।

एफआईआर के अनुसार, 11 जनवरी 2022 को संचालक स्वास्थ्य सेवाएं ने उक्त मशीन और रिएजेंट को खरीद कर आपूर्ति के लिए सीजीएमएससी को पत्र के माध्यम से सूचित किया था। सीजीएमएससी द्वारा मार्च-अप्रैल 2023 में मशीनों एवं रिएजेंट की खरीद की गई थी। रिएजेंट की आवश्यकता के समुचित आकलन किए बिना उक्त रिएजेंट की खरीद स्थापित प्रक्रियाओं का पालन न करते हुए की गई। वहीं संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं ने उपकरण और मशीनों की आवश्यकता के संबंध में आकलन करते समय जिलों के स्तर पर अध्ययन नहीं किया और मशीनों की स्थापना के लिए संबंधित संस्था में उचित स्थान की उपलब्धता, बिजली आपूर्ति, कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था का आकलन किए बिना मांग पत्र जारी किया गया।

एफआईआर के अनुसार, उपरोक्त मशीनों को उपयोग करने के लिए रिएजेंट की आवश्यकता होती है, इसके लिए रिएजेंट का स्पेसिफिकेशन, उसकी संस्थावार मात्रा का मूल्यांकन करने की जिम्मेदारी संचालक स्वास्थ्य सेवाएं की होती है। संचालक स्वास्थ्य सेवाएं के द्वारा संचालनालय स्तर पर विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। जिनके द्वारा रिएजेंट की मात्रा का निर्धारण संस्थावार किया गया। यह एक प्रकार का टेबल टॉप एक्सरसाइज था। किसी प्रकार की दवाई/रिएजेंट इत्यादि की आवश्यकता का निर्धारण की स्थापित पद्धति यह है कि संस्थावार अपनी आवश्यकता ऑनलाइन मॉडल DPDMIS में इंद्राज करती है, जिसका संकलन कर संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं की विशेषज्ञ समिति उसको अंतिम रूप देती है। रिएजेंट के लिए DPDMIS मॉडल नहीं था, किंतु संचालक स्वास्थ्य सेवाएं के द्वारा ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया जिससे संस्थावार रिएजेंट की आवश्यक मात्रा का एनालिसिस हो सके। संचालक स्वास्थ्य सेवाएं चाहती तो पहले DPDMIS में यह मॉडल डेवलप करवा सकती थीं या गूगल शीट से संस्थावार आवश्यक मात्रा की जानकारी आहूत कर सकती थीं। किंतु ऐसा नहीं किया गया, जिसके कारण आवश्यकता से कहीं अधिक रिएजेंट की खरीदी की मात्रा का निर्धारण किया गया।

यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि रिएजेंट कय करने हेतु जो इंडेंट दिया गया, उसे दिए जाने के पूर्व संचालक स्वास्थ्य सेवाएं के द्वारा न तो बजट उपलब्धता सुनिश्चित की गई और न ही किसी प्रकार का प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त किया गया। शासन को संज्ञान में लाए बिना लगभग 411 करोड़ की खरीदी शासन के ऊपर निर्मित की गई।

व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने 27 दिन में खरीदी की प्रक्रिया पूरी

एफआईआर के मुताबिक, सीजीएमएससी ने पूरी खरीद के लिए आदेश सिर्फ 26-27 दिन के अंतराल में जारी कर दिया था, लेकिन इन रिएजेंट की रख-रखाव की कोई व्यवस्था नहीं थी, फिर भी रिएजेंट प्रदायकर्ता के द्वारा संपूर्ण रिएजेंट एक ही जगह सभी निर्धारित स्वास्थ्य केंद्रों में भंडारण कर दिया गया। इस प्रकार सीजीएमएससी के अधिकारियों के द्वारा रिएजेंट के आपूर्तिकर्ता को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने की दृष्टि से शासन की स्थापित प्रक्रिया का पालन न करते हुए रिएजेंट के आपूर्तिकर्ता को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए कार्य किया गया।

एफआईआर के मुताबिक, जिन रिएजेंटों के भंडारण के लिए रेफ्रिजरेटर की आवश्यकता थी और उनका भंडारण 4°C पर किया जाना था, क्या इनके क्रय आदेश जारी करने के पूर्व आपके पास यह जानकारी थी कि सामग्री प्रदाय हेतु निर्धारित केंद्रों में रेफ्रिजरेटर उपलब्ध था? यदि नहीं, तो उक्त सामग्री कहां रखी गई है और क्या वह आज की तारीख में उपयोग के लायक है अथवा नहीं? इस संबंध में यह जानकारी स्पष्ट है कि सीजीएमएससी को 27 जून 2023 को यह ज्ञात था कि सुविधा केंद्रों में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। उनके द्वारा रिएजेंट का पहली बार खरीदी का आदेश जुलाई में जारी किया गया। इससे स्पष्ट है कि उनके द्वारा इस संबंध में पूरी जानकारी होते हुए भी ऐसे रिएजेंट का क्रय आदेश पूरी मात्रा में जारी किया गया। सीजीएमएससी के संज्ञान में यह बात थी और वह इस मामले की विशेषज्ञ संस्था है, इसलिए उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि भंडारण एवं वितरण का क्रम उपयुक्त रहे। यही त्रुटि रेफ्रिजरेटर की आपूर्ति और उनमें भंडारित होने वाले रिएजेंट के संबंध में की गई है। रेफ्रिजरेटर का प्रदाय आज तक नहीं किया जा सका है, लेकिन रिएजेंट की आपूर्ति जुलाई से दिसंबर के मध्य की जा चुकी है। इससे स्पष्ट रूप से सीजीएमएससी द्वारा वास्तविक तथ्यों की अनदेखी परिलक्षित हो रही है।

मामले की जांच में यह पाया गया कि उपरोक्त मशीनों को उपयोग करने के लिए रिएजेंट की आवश्यकता होती है। इसके लिए रिएजेंट का स्पेसिफिकेशन, उसकी संस्थावार मात्रा मूल्यांकन करने की जिम्मेदारी संचालक स्वास्थ्य सेवाएं की होती है। संचालक स्वास्थ्य सेवाएं के द्वारा संचालनालय स्तर पर विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया, जिनके द्वारा रिएजेंट की मात्रा का निर्धारण संस्थावार किया गया। यह एक प्रकार का टेबल टॉप एक्सरसाइज था। किसी प्रकार की दवाई/रिएजेंट इत्यादि की आवश्यकता का निर्धारण की स्थापित पद्धति यह है कि संस्थावार अपनी आवश्यकता ऑनलाइन DPDMIS में इंद्राज करती है। जिसका संकलन कर संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं की विशेषज्ञ समिति उसको अंतिम रूप देती है। जांच में यह बात भी सामने आई कि रिएजेंट के लिए DPDMIS मॉडल नहीं था, लेकिन संचालक स्वास्थ्य सेवाएं के द्वारा ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया जिससे संस्थावार रिएजेंट की आवश्यक मात्रा का एनालिसिस हो सके। संचालक स्वास्थ्य एवं सेवाएं चाहती तो पहले DPDMIS में मॉडल को डेवलप करवा सकती थी या गूगल शीट से संस्थावार आवश्यक मात्रा की जानकारी मंगवा सकती थी। हालांकि ऐसा नहीं किया गया, जिसके कारण आवश्यकता से कहीं अधिक रिएजेंट की खरीदी की मात्रा का निर्धारण किया गया।

उपरोक्त मात्रा का निर्धारण करने के बाद संचालक स्वास्थ्य एवं सेवाएं ने CGMSC को रिएजेंट की खरीद के लिए 10 जनवरी 2022 को इंडेंट दिया। इससे पहले पूर्व संचालक स्वास्थ्य एवं सेवाएं ने न तो बजट की उपलब्धता सुनिश्चित की और न ही किसी प्रकार का प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त किया। यानी बिना शासन के संज्ञान में लाए लगभग 411 करोड़ का liability शासन के ऊपर निर्मित की गई।

एफआईआर के मुताबिक, संचालक स्वास्थ्य एवं सेवाएं ने जो इंडेंट दिया था, उसमें उन्होंने यह उल्लेख किया कि खरीदी का आदेश 2 भागों में दिया जाए। लेकिन रिएजेंट की पूर्ति का शेड्यूल ऑफ डिलीवरी का निर्धारण न तो संचालक स्वास्थ्य एवं सेवाएं ने किया और न ही CGMSC ने किया। दूसरी ओर, CGMSC ने पूरी मात्रा की खरीदी का आदेश सिर्फ 26 से 27 दिनों के अंदर जारी कर दिया। इसके बाद रिएजेंट सप्लाई करने वाले ने पूरा माल एक ही जगह सभी निर्धारित स्वास्थ्य केंद्रों में भंडार कर दिया। लेकिन इन जगहों पर इनके रख-रखाव की कोई व्यवस्था नहीं थी। इससे ऐसा परिलक्षित होता है कि रिएजेंट के आपूर्तिकर्ता को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने की दृष्टि से निर्धारित सतर्कता एवं स्थापित शासन की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।

मूल्य से कहीं अधिक कीमत पर की गई खरीदी

एफआईआर के मुताबिक, जांच के दौरान यह बात सामने आई कि ब्लड सैंपल कलेक्शन करने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली EDTA ट्यूब को मोक्षित कॉरपोरेशन से 2352 रुपये प्रति नग के भाव से खरीदा गया है, जबकि अन्य संस्थाओं ने इसी सामग्री को अधिकतम 8.50 रुपये (अक्षरी – आठ रुपये पचास पैसा) की दर से क्रय किया। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन ने जनवरी 2022 से 31 अक्टूबर 2023 तक अरबों रुपये की खरीदी मोक्षित कॉरपोरेशन और CB कॉरपोरेशन के साथ सांठगांठ करके की है।

सिर्फ इतना ही नहीं, इसके अलावा छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन ने 300 करोड़ रुपये के रिएजेंट सिर्फ इसीलिए खरीद लिए ताकि मोक्षित कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड के पास उपलब्ध केमिकल्स की एक्सपायरी डेट नजदीक न आ जाए। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन ने मोक्षित कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड से 300 करोड़ रुपये के रिएजेंट खरीदकर राज्य के 200 से भी अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बिना मांग के ही भेज दिया। विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि उन स्वास्थ्य केंद्रों में उक्त रिएजेंट को उपयोग करने वाली CBC मशीन ही नहीं है। उक्त रिएजेंट की एक्सपायरी मात्र दो से तीन माह की बची हुई है और रिएजेंट खराब न हो, इसलिए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के द्वारा 600 फ्रिज खरीदने की भी तैयारी की जा रही है।

एफआईआर के मुताबिक, जांच के दौरान यह बात भी सामने आई कि CGMSC ने ईडीएल दवा और नॉन-ईडीएल/कंज्यूमेबल और टेस्ट किट आइटम/फूड बास्केट/प्रोप्राइटरी और नॉन-प्रोप्राइटरी कंज्यूमेबल आइटम/आयुष दवाइयां/उपकरण सामग्री की आपूर्ति करने और कालातीत औषधियों के निष्कासन के लिए प्रतिष्ठित फर्म से कोटेशन/खरीदी और दर अनुबंध के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए निविदा प्रक्रिया 26 अगस्त 2022 के लिए ई-निविदा जारी की गई। इस निविदा के लिए प्री-बिड मीटिंग के लिए 29 अगस्त 2022 निर्धारित किया गया था। इसके बाद 26 सितंबर तक निविदा दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए निर्देश दिए गए थे।

जांच के दौरान यह जानकारी सामने आई कि मेरिल डायग्नोस्टिक एवं ट्रांसएशिया बायोमेडिकल लिमिटेड ने अगस्त 2022 में एमडी, सीजीएमएससी लिमिटेड रायपुर को 26 अगस्त 2022 की निविदा प्रक्रिया के संबंध में पत्र लिखकर यह सूचित किया था कि आपके संगठन के द्वारा जिन मेडिकल इक्विपमेंट्स के संबंध में निविदा आमंत्रित की गई है, उनके स्पेसिफिकेशन टेलरमेड हैं और किसी कंपनी विशेष के स्पेसिफिकेशन से मिलते हैं। इस संबंध में इन दोनों कंपनियों ने सूचित किया था कि यदि इन मेडिकल इक्विपमेंट्स के स्पेसिफिकेशन में कुछ परिवर्तन किए जाएं तो इस निविदा प्रक्रिया में अधिक कंपनियां भाग ले सकेंगी, जिससे बेहतर क्वालिटी के मेडिकल इक्विपमेंट्स प्राप्त हो सकते हैं। इसके अलावा, निविदा में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से शासन को कम दर पर मेडिकल इक्विपमेंट्स प्राप्त हो सकते हैं।

संचालनालय स्वास्थ्य एवं सेवाएं के उप संचालक ने इस जानकारी के बाद सीजीएमएससीसीएल के प्रबंध संचालक को प्री-बिड के आयोजन के संबंध में जानकारी देते हुए यह बताया कि राज्य स्तरीय निरीक्षण और परीक्षण तकनीकी समिति के विषय-विशेषज्ञों के जिलों से प्राप्त स्पेसिफिकेशन का निर्धारण किया गया है, जिसमें कोई बदलाव न करते हुए टेंडर प्रक्रिया को पूर्ण करने का निर्देश दिया गया। इस निविदा के लिए मोक्षित कॉर्पोरेशन, रिकार्ड्स एवं मेडिकेयर सिस्टम और श्री शारदा इंडस्ट्रीज के द्वारा निविदा प्रक्रिया में भाग लिया गया। जिसमें निविदा समिति ने उपकरणों, रिएजेंट, कंज्यूमेबल्स व मशीनों के सीएमसी के एल-1 दर को मान्य किए जाने की अनुशंसा करते हुए मोक्षित कॉर्पोरेशन को 25 जनवरी 2023 को निविदा देने की अनुशंसा की, जो प्रबंध संचालक द्वारा स्वीकृत की गई।

एफआईआर के मुताबिक, सूचना की जांच में यह पाया गया कि CGMSC उपकरण निर्माता कंपनियों से मशीन खरीदने के लिए निविदा जारी करती है, लेकिन निविदा में मोक्षित कॉर्पोरेशन और उनकी अन्य दो कंपनियों के द्वारा प्रस्तुत निविदा को ही CGMSC की निविदा समिति पास करती है, जबकि बाकी कंपनियों को किसी न किसी तकनीकी कारण का हवाला देकर अपात्र कर दिया जाता है।

5 लाख की मशीन को 17 लाख में खरीदा

जांच में यह जानकारी सामने आई कि निर्माता कंपनियां खुले बाजार में जिस सीबीसी मशीन को मात्र 5 लाख रुपये में विक्रय करती हैं, उन्हीं मशीनों को मोक्षित कॉर्पोरेशन ने निविदा के माध्यम से दर अनुबंध करते हुए CGMSC को 17 लाख रुपये में दिया। CGMSC द्वारा मशीन एवं उपकरण निर्माता कंपनियों के साथ ही दर अनुबंध किया जाता है, जबकि मोक्षित कॉर्पोरेशन के पास अस्पताल में उपयोग होने वाले उपकरण बनाने की कोई फैक्ट्री (उत्पादन इकाई) नहीं है और न ही उपकरणों का निर्माण मोक्षित कॉर्पोरेशन द्वारा किया जाता है। इसके बावजूद अपने रसूख और कमीशन के प्रलोभन के दम पर मोक्षित कॉर्पोरेशन ने अधिकारियों से सैटिंग करके अधिकांश दर अनुबंध अपनी कंपनी के नाम पर करवा लिए।

इसके अलावा CB कॉर्पोरेशन के नाम से संचालित शेल कंपनी भी मोक्षित कॉर्पोरेशन ग्रुप की ही कंपनी है, जिसके नाम पर भी काफी सारे दर अनुबंध करवाए गए। मोक्षित कॉर्पोरेशन ने रिएजेंट और केमिकल्स को अधिकतम खुदरा मूल्य से भी अधिक के दाम पर दर अनुबंध करवाया। इस प्रकार 750 करोड़ रुपये से अधिक की खरीदी कर शासन के साथ धोखाधड़ी की गई।

एफआईआर के मुताबिक, 22 अगस्त 2022 की निविदा में दो पात्र फर्म, रिकार्ड्स एवं मेडिकेयर सिस्टम और श्री शारदा इंडस्ट्रीज ने मोक्षित कॉर्पोरेशन के कार्टेल बनाकर प्रतियोगिता में भाग लिया था। आश्चर्यजनक रूप से, तीनों फर्मों के द्वारा टेंडर दस्तावेज में जो टेस्ट बताए नहीं गए थे, उनके भी रेट कोट किए गए थे। तीनों फर्मों के टेस्ट के प्रकार, आवश्यक रिएजेंट और मात्रा जो बताई गई थी, वह एक समान थी। इस प्रकार तीनों निविदाकारों ने पूल टेंडरिंग की थी।

मेरिल डायग्नोस्टिक और ट्रांसएशिया बायोमेडिकल लिमिटेड ने अगस्त 2022 में एमडी, सीजीएमएससी लिमिटेड को निविदा के संबंध में पत्र लिखकर यह सूचित किया था कि आपके संगठन के द्वारा जिन मेडिकल इक्विपमेंट्स के संबंध में निविदा आमंत्रित की गई है, उनके स्पेसिफिकेशन टेलरमेड हैं और किसी कंपनी विशेष के स्पेसिफिकेशन से मिलते हैं। इस शिकायत को समिति ने अनदेखा कर दिया।

CGMSC के अधिकारियों ने बिना वजह की 411 करोड़ रुपये की खरीदी

इस प्रकार पाया गया कि संचालक स्वास्थ्य सेवाएं एवं सीजीएमएससी के अन्य अधिकारियों ने लोक सेवक के रूप में पदस्थ होते हुए अपने-अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान बेईमानी कर मोक्षित कॉर्पोरेशन, CB कॉर्पोरेशन, रिकार्ड्स एवं मेडिकेयर सिस्टम, और श्री शारदा इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचते हुए बिना वजह मशीनों और रिएजेंट की खरीद की। इस खरीदी के लिए उन्होंने न तो बजट की उपलब्धता सुनिश्चित की और न ही इस संबंध में कोई प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त किया। इस प्रकार शासन के संज्ञान में लाए बिना लगभग 411 करोड़ रुपये की देनदारी शासन पर निर्मित की गई।