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कांग्रेस पार्षद प्रत्याशियों की सूची आने के बाद बवाल : महिला कांग्रेस के प्रदेश सचिव ने दिया इस्तीफा, पार्षद ने भी पार्टी को कहा अलविदा…

रायपुर- कांग्रेस ने देर रात रायपुर नगर निगम के पार्षद प्रत्याशियों की सूची जारी की है. कांग्रेस के पार्षद प्रत्याशियों की सूची आने के बाद बवाल भी शुरू हो गया है. टिकट नहीं मिलने से नाराज प्रदेश सचिव महिला कांग्रेस के पद से पूनम पांडे ने इस्तीफा दे दिया है. वहीं कांग्रेस के सक्रीय पार्षद एवं एमआईसी सदस्य रहे हरदीप सिंह उर्फ बंटी होरा ने पार्टी को अलविदा कह दिया है.

पूनम पांडे ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर लिखा है कि मैं पूनम पांडे वर्तमान पद प्रदेश सचिव महिला कांग्रेस के पद से आज से पद मुक्त होते हुए इस्तीफा देती हूं, क्योंकि मेरे लिए आत्मसम्मान से बड़ा कुछ नहीं है. लोगों के लिए जमीनी स्तर पर काम कर सकूं, इसके लिए मैं टिकट मांग रही थी. मैं पत्रकारिता छोड़कर लगातार कांग्रेस पार्टी में कई सालों से महिला कांग्रेस पद में रहते हुए पार्टी के साथ जुड़कर पार्टी के हित में काम किया. महिला कांग्रेस में अपनी सक्रियता और सहभागिता दिखाते हुए काम करती रही, पर आज जब मेरे साथ पार्टी ने अनदेखा किया है.

कांग्रेस के सक्रीय पार्षद रहे हरदीप सिंह उर्फ बंटी होरा ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है. बता दें कि बंटी होरा शहीद हेमू कालाणी वार्ड के पार्षद रहे हैं. टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल पर नाराजगी जताते हुए लिखा है कि मेरा तेरा पार्टी को मेरा अलविदा.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने लाला लाजपत राय की जयंती पर उन्हें किया नमन
रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय की जयंती पर उन्हें नमन किया है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि लाला लाजपत राय का जीवन देश के लिए समर्पण, बलिदान और संघर्ष का प्रतीक है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अंग्रेजी साम्राज्य के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। मुख्यमंत्री श्री साय ने लाला लाजपत राय के स्वतंत्रता संग्राम में अतुलनीय योगदान को याद करते हुए कहा कि लाला जी ने स्वाधीनता के लिए संघर्ष करते हुए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं की। लाला जी ने कहा था ‘मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी’। श्री साय ने कहा कि लाला जी की कही बात सच साबित हुई और उनकी शहादत ने आजादी की लड़ाई को एक नई दिशा दी। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि लाला लाजपत राय का देश के लिए बलिदान हमें देश की उन्नति के लिए काम करने की सदैव प्रेरणा देते रहेगा।
कांग्रेस ने खेला बड़ा दाव : भाजपा छोड़ कांग्रेस में आई नम्रता दास, 24 घंटे के भीतर पार्टी ने दिया नगर पंचायत अध्यक्ष का टिकट
खैरागढ़- जिले के छुईंखदान नगर पंचायत में निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है. कांग्रेस पार्टी ने यहां बड़ा दांव खेलते हुए भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस में आई नम्रता गिरिराज किशोर दास को नगर पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी घोषित कर दिया है.

नम्रता देवी भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला उपाध्यक्ष गिरिराज किशोर दास की पत्नी है. उन्होंने सोमवार को अपने पति के साथ भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था. कांग्रेस में शामिल होने के 24 घंटे के भीतर ही पार्टी ने उन्हें छुईंखदान नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. दूसरी ओर भाजपा ने छुईंखदान में वरिष्ठ भाजपा नेता खूबचंद पारख की बेटी शीतल जैन को टिकट दिया है. हालांकि, शीतल जैन को प्रत्याशी बनाए जाने के फैसले का स्थानीय स्तर पर भारी विरोध हो रहा है. भाजपा के कार्यकर्ताओं और स्थानीय जनता का एक वर्ग इस निर्णय से नाराज है, जिससे पार्टी के भीतर मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं.

नम्रता गिरिराज किशोर दास

गिरिराज का कांग्रेस में आना पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस का यह कदम भाजपा को कमजोर करने और स्थानीय जनता का समर्थन पाने के लिए उठाया गया है. गिरिराज किशोर दास का भाजपा में लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है और उनका कांग्रेस में आना पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. छुईंखदान नगर पंचायत के इस घटनाक्रम ने चुनावी माहौल को और भी गर्म कर दिया है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में हैं. अब देखना होगा कि जनता किस पार्टी और प्रत्याशी पर भरोसा जताती है.

भाजपा के लिए बड़ी चुनौती

स्थानीय जनता का कहना है कि इस चुनाव में व्यक्तिगत छवि, अनुभव और विकास कार्य प्रमुख मुद्दा होंगे. कांग्रेस के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी स्थानीय समीकरणों को साधने के लिए आक्रामक रणनीति अपना रही है. वहीं भाजपा को अपने अंदरूनी विरोध को शांत करते हुए जनता का भरोसा बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी. छुईंखदान नगर पंचायत चुनाव अब बेहद दिलचस्प हो चुका है. कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधे मुकाबले में दोनों पार्टियों की रणनीति और प्रत्याशियों की छवि आगामी चुनावी परिणाम को तय करेगी.

गिरीराज ने भाजपा पर अनदेखी और परिवारवाद का लगाया था आरोप

बता दें कि नगर पंचायत से दो बार अध्यक्ष रह चुके और भाजपा के जिला उपाध्यक्ष गिरीराज किशोरदास ने सोमवार को अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी. रायपुर में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपस्थिति में उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन किया था. गिरीराज किशोरदास ने कहा था कि भाजपा में अब कार्यकर्ताओं की अनदेखी और परिवारवाद हावी हो गया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि पार्टी नेतृत्व क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं की मेहनत और जनभावनाओं को दरकिनार कर निर्णय ले रही है. कांग्रेस की नीतियों और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व से प्रभावित होकर उन्होंने यह कदम उठाया है.

भाजपा प्रत्याशी शीतल जैन का बढ़ता विरोध

भाजपा ने छुईखदान नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए वरिष्ठ नेता खुबचंद पारख की बेटी शीतल जैन को प्रत्याशी घोषित किया है, लेकिन उनकी उम्मीदवारी का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है. भाजपा की पार्षद शैव्या वैष्णव ने भी शीतल जैन को टिकट देने का विरोध किया था. शैव्या ने पार्टी नेतृत्व पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और इसे क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं के सम्मान के खिलाफ बताया. इसके बाद गिरीराज किशोरदास के कांग्रेस में शामिल होने और भाजपा के भीतर बढ़ते विरोध ने छुईखदान में राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह से बदल दिया. कांग्रेस इस मौके को अपने लिए बड़ा लाभ मान रही है, जबकि भाजपा के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है.

रिएजेंट और मेडिकल उपकरण खरीदी में महाघोटाला, स्वास्थ्य संचालक और सीजीएमएससी की एमडी की मदद से मोक्षित कॉरपोरेशन ने सरकार को लगाई अरबों की चपत!

रायपुर- रिएजेंट और मेडिकल उपकरण खरीदी में सरकार को अरबों की चपत लगाने के मामले में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर दर्ज करने के बाद ईओडब्ल्यू ने घोटाले की स्क्रिप्ट लिखने वाले मोक्षित कॉरपोरेशन के कई ठिकानों पर आज दबिश दी है। खबर है कि ईओडब्ल्यू ने कई दस्तावेज बरामद किए हैं। ईओडब्ल्यू ने अपनी एफआईआर में स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारियों के खिलाफ भी अपराध दर्ज किया है। एफआईआर में स्वास्थ्य संचालक और सीजीएमएससी की एमडी पर गंभीर टिप्पणी की गई है। इस एफआईआर के बाद यह माना जा रहा है कि जांच की जद में कई आला अफसर आ सकते हैं। चर्चा है कि इस घोटाले में शामिल रहे लोगों की जल्द गिरफ्तारियां होंगी। ईओडब्ल्यू की शुरुआती जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि अफसरों की मिलीभगत से सरकार को अरबों रुपए की चपत लगाई गई।

राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और एंटी करप्शन ब्यूरो की एफआईआर के मुताबिक, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अंतर्गत वर्ष 2021 में हमर लैब की स्थापना (जिला स्तरीय एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तरीय) के तहत आवश्यक उपकरणों, मशीनों आदि की खरीद के लिए विभाग द्वारा निर्देश जारी किया गया था, जिसके तहत आवश्यक उपकरणों/मशीनों आदि का आकलन कर संचालक स्वास्थ्य सेवाएं के माध्यम से सीजीएमएससी को खरीदी कर आपूर्ति करने निर्देशित किया गया था।

एफआईआर के अनुसार, 11 जनवरी 2022 को संचालक स्वास्थ्य सेवाएं ने उक्त मशीन और रिएजेंट को खरीद कर आपूर्ति के लिए सीजीएमएससी को पत्र के माध्यम से सूचित किया था। सीजीएमएससी द्वारा मार्च-अप्रैल 2023 में मशीनों एवं रिएजेंट की खरीद की गई थी। रिएजेंट की आवश्यकता के समुचित आकलन किए बिना उक्त रिएजेंट की खरीद स्थापित प्रक्रियाओं का पालन न करते हुए की गई। वहीं संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं ने उपकरण और मशीनों की आवश्यकता के संबंध में आकलन करते समय जिलों के स्तर पर अध्ययन नहीं किया और मशीनों की स्थापना के लिए संबंधित संस्था में उचित स्थान की उपलब्धता, बिजली आपूर्ति, कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था का आकलन किए बिना मांग पत्र जारी किया गया।

एफआईआर के अनुसार, उपरोक्त मशीनों को उपयोग करने के लिए रिएजेंट की आवश्यकता होती है, इसके लिए रिएजेंट का स्पेसिफिकेशन, उसकी संस्थावार मात्रा का मूल्यांकन करने की जिम्मेदारी संचालक स्वास्थ्य सेवाएं की होती है। संचालक स्वास्थ्य सेवाएं के द्वारा संचालनालय स्तर पर विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। जिनके द्वारा रिएजेंट की मात्रा का निर्धारण संस्थावार किया गया। यह एक प्रकार का टेबल टॉप एक्सरसाइज था। किसी प्रकार की दवाई/रिएजेंट इत्यादि की आवश्यकता का निर्धारण की स्थापित पद्धति यह है कि संस्थावार अपनी आवश्यकता ऑनलाइन मॉडल DPDMIS में इंद्राज करती है, जिसका संकलन कर संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं की विशेषज्ञ समिति उसको अंतिम रूप देती है। रिएजेंट के लिए DPDMIS मॉडल नहीं था, किंतु संचालक स्वास्थ्य सेवाएं के द्वारा ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया जिससे संस्थावार रिएजेंट की आवश्यक मात्रा का एनालिसिस हो सके। संचालक स्वास्थ्य सेवाएं चाहती तो पहले DPDMIS में यह मॉडल डेवलप करवा सकती थीं या गूगल शीट से संस्थावार आवश्यक मात्रा की जानकारी आहूत कर सकती थीं। किंतु ऐसा नहीं किया गया, जिसके कारण आवश्यकता से कहीं अधिक रिएजेंट की खरीदी की मात्रा का निर्धारण किया गया।

यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि रिएजेंट कय करने हेतु जो इंडेंट दिया गया, उसे दिए जाने के पूर्व संचालक स्वास्थ्य सेवाएं के द्वारा न तो बजट उपलब्धता सुनिश्चित की गई और न ही किसी प्रकार का प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त किया गया। शासन को संज्ञान में लाए बिना लगभग 411 करोड़ की खरीदी शासन के ऊपर निर्मित की गई।

व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने 27 दिन में खरीदी की प्रक्रिया पूरी

एफआईआर के मुताबिक, सीजीएमएससी ने पूरी खरीद के लिए आदेश सिर्फ 26-27 दिन के अंतराल में जारी कर दिया था, लेकिन इन रिएजेंट की रख-रखाव की कोई व्यवस्था नहीं थी, फिर भी रिएजेंट प्रदायकर्ता के द्वारा संपूर्ण रिएजेंट एक ही जगह सभी निर्धारित स्वास्थ्य केंद्रों में भंडारण कर दिया गया। इस प्रकार सीजीएमएससी के अधिकारियों के द्वारा रिएजेंट के आपूर्तिकर्ता को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने की दृष्टि से शासन की स्थापित प्रक्रिया का पालन न करते हुए रिएजेंट के आपूर्तिकर्ता को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए कार्य किया गया।

एफआईआर के मुताबिक, जिन रिएजेंटों के भंडारण के लिए रेफ्रिजरेटर की आवश्यकता थी और उनका भंडारण 4°C पर किया जाना था, क्या इनके क्रय आदेश जारी करने के पूर्व आपके पास यह जानकारी थी कि सामग्री प्रदाय हेतु निर्धारित केंद्रों में रेफ्रिजरेटर उपलब्ध था? यदि नहीं, तो उक्त सामग्री कहां रखी गई है और क्या वह आज की तारीख में उपयोग के लायक है अथवा नहीं? इस संबंध में यह जानकारी स्पष्ट है कि सीजीएमएससी को 27 जून 2023 को यह ज्ञात था कि सुविधा केंद्रों में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। उनके द्वारा रिएजेंट का पहली बार खरीदी का आदेश जुलाई में जारी किया गया। इससे स्पष्ट है कि उनके द्वारा इस संबंध में पूरी जानकारी होते हुए भी ऐसे रिएजेंट का क्रय आदेश पूरी मात्रा में जारी किया गया। सीजीएमएससी के संज्ञान में यह बात थी और वह इस मामले की विशेषज्ञ संस्था है, इसलिए उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि भंडारण एवं वितरण का क्रम उपयुक्त रहे। यही त्रुटि रेफ्रिजरेटर की आपूर्ति और उनमें भंडारित होने वाले रिएजेंट के संबंध में की गई है। रेफ्रिजरेटर का प्रदाय आज तक नहीं किया जा सका है, लेकिन रिएजेंट की आपूर्ति जुलाई से दिसंबर के मध्य की जा चुकी है। इससे स्पष्ट रूप से सीजीएमएससी द्वारा वास्तविक तथ्यों की अनदेखी परिलक्षित हो रही है।

मामले की जांच में यह पाया गया कि उपरोक्त मशीनों को उपयोग करने के लिए रिएजेंट की आवश्यकता होती है। इसके लिए रिएजेंट का स्पेसिफिकेशन, उसकी संस्थावार मात्रा मूल्यांकन करने की जिम्मेदारी संचालक स्वास्थ्य सेवाएं की होती है। संचालक स्वास्थ्य सेवाएं के द्वारा संचालनालय स्तर पर विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया, जिनके द्वारा रिएजेंट की मात्रा का निर्धारण संस्थावार किया गया। यह एक प्रकार का टेबल टॉप एक्सरसाइज था। किसी प्रकार की दवाई/रिएजेंट इत्यादि की आवश्यकता का निर्धारण की स्थापित पद्धति यह है कि संस्थावार अपनी आवश्यकता ऑनलाइन DPDMIS में इंद्राज करती है। जिसका संकलन कर संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं की विशेषज्ञ समिति उसको अंतिम रूप देती है। जांच में यह बात भी सामने आई कि रिएजेंट के लिए DPDMIS मॉडल नहीं था, लेकिन संचालक स्वास्थ्य सेवाएं के द्वारा ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया जिससे संस्थावार रिएजेंट की आवश्यक मात्रा का एनालिसिस हो सके। संचालक स्वास्थ्य एवं सेवाएं चाहती तो पहले DPDMIS में मॉडल को डेवलप करवा सकती थी या गूगल शीट से संस्थावार आवश्यक मात्रा की जानकारी मंगवा सकती थी। हालांकि ऐसा नहीं किया गया, जिसके कारण आवश्यकता से कहीं अधिक रिएजेंट की खरीदी की मात्रा का निर्धारण किया गया।

उपरोक्त मात्रा का निर्धारण करने के बाद संचालक स्वास्थ्य एवं सेवाएं ने CGMSC को रिएजेंट की खरीद के लिए 10 जनवरी 2022 को इंडेंट दिया। इससे पहले पूर्व संचालक स्वास्थ्य एवं सेवाएं ने न तो बजट की उपलब्धता सुनिश्चित की और न ही किसी प्रकार का प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त किया। यानी बिना शासन के संज्ञान में लाए लगभग 411 करोड़ का liability शासन के ऊपर निर्मित की गई।

एफआईआर के मुताबिक, संचालक स्वास्थ्य एवं सेवाएं ने जो इंडेंट दिया था, उसमें उन्होंने यह उल्लेख किया कि खरीदी का आदेश 2 भागों में दिया जाए। लेकिन रिएजेंट की पूर्ति का शेड्यूल ऑफ डिलीवरी का निर्धारण न तो संचालक स्वास्थ्य एवं सेवाएं ने किया और न ही CGMSC ने किया। दूसरी ओर, CGMSC ने पूरी मात्रा की खरीदी का आदेश सिर्फ 26 से 27 दिनों के अंदर जारी कर दिया। इसके बाद रिएजेंट सप्लाई करने वाले ने पूरा माल एक ही जगह सभी निर्धारित स्वास्थ्य केंद्रों में भंडार कर दिया। लेकिन इन जगहों पर इनके रख-रखाव की कोई व्यवस्था नहीं थी। इससे ऐसा परिलक्षित होता है कि रिएजेंट के आपूर्तिकर्ता को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने की दृष्टि से निर्धारित सतर्कता एवं स्थापित शासन की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।

मूल्य से कहीं अधिक कीमत पर की गई खरीदी

एफआईआर के मुताबिक, जांच के दौरान यह बात सामने आई कि ब्लड सैंपल कलेक्शन करने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली EDTA ट्यूब को मोक्षित कॉरपोरेशन से 2352 रुपये प्रति नग के भाव से खरीदा गया है, जबकि अन्य संस्थाओं ने इसी सामग्री को अधिकतम 8.50 रुपये (अक्षरी – आठ रुपये पचास पैसा) की दर से क्रय किया। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन ने जनवरी 2022 से 31 अक्टूबर 2023 तक अरबों रुपये की खरीदी मोक्षित कॉरपोरेशन और CB कॉरपोरेशन के साथ सांठगांठ करके की है।

सिर्फ इतना ही नहीं, इसके अलावा छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन ने 300 करोड़ रुपये के रिएजेंट सिर्फ इसीलिए खरीद लिए ताकि मोक्षित कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड के पास उपलब्ध केमिकल्स की एक्सपायरी डेट नजदीक न आ जाए। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन ने मोक्षित कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड से 300 करोड़ रुपये के रिएजेंट खरीदकर राज्य के 200 से भी अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बिना मांग के ही भेज दिया। विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि उन स्वास्थ्य केंद्रों में उक्त रिएजेंट को उपयोग करने वाली CBC मशीन ही नहीं है। उक्त रिएजेंट की एक्सपायरी मात्र दो से तीन माह की बची हुई है और रिएजेंट खराब न हो, इसलिए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के द्वारा 600 फ्रिज खरीदने की भी तैयारी की जा रही है।

एफआईआर के मुताबिक, जांच के दौरान यह बात भी सामने आई कि CGMSC ने ईडीएल दवा और नॉन-ईडीएल/कंज्यूमेबल और टेस्ट किट आइटम/फूड बास्केट/प्रोप्राइटरी और नॉन-प्रोप्राइटरी कंज्यूमेबल आइटम/आयुष दवाइयां/उपकरण सामग्री की आपूर्ति करने और कालातीत औषधियों के निष्कासन के लिए प्रतिष्ठित फर्म से कोटेशन/खरीदी और दर अनुबंध के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए निविदा प्रक्रिया 26 अगस्त 2022 के लिए ई-निविदा जारी की गई। इस निविदा के लिए प्री-बिड मीटिंग के लिए 29 अगस्त 2022 निर्धारित किया गया था। इसके बाद 26 सितंबर तक निविदा दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए निर्देश दिए गए थे।

जांच के दौरान यह जानकारी सामने आई कि मेरिल डायग्नोस्टिक एवं ट्रांसएशिया बायोमेडिकल लिमिटेड ने अगस्त 2022 में एमडी, सीजीएमएससी लिमिटेड रायपुर को 26 अगस्त 2022 की निविदा प्रक्रिया के संबंध में पत्र लिखकर यह सूचित किया था कि आपके संगठन के द्वारा जिन मेडिकल इक्विपमेंट्स के संबंध में निविदा आमंत्रित की गई है, उनके स्पेसिफिकेशन टेलरमेड हैं और किसी कंपनी विशेष के स्पेसिफिकेशन से मिलते हैं। इस संबंध में इन दोनों कंपनियों ने सूचित किया था कि यदि इन मेडिकल इक्विपमेंट्स के स्पेसिफिकेशन में कुछ परिवर्तन किए जाएं तो इस निविदा प्रक्रिया में अधिक कंपनियां भाग ले सकेंगी, जिससे बेहतर क्वालिटी के मेडिकल इक्विपमेंट्स प्राप्त हो सकते हैं। इसके अलावा, निविदा में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से शासन को कम दर पर मेडिकल इक्विपमेंट्स प्राप्त हो सकते हैं।

संचालनालय स्वास्थ्य एवं सेवाएं के उप संचालक ने इस जानकारी के बाद सीजीएमएससीसीएल के प्रबंध संचालक को प्री-बिड के आयोजन के संबंध में जानकारी देते हुए यह बताया कि राज्य स्तरीय निरीक्षण और परीक्षण तकनीकी समिति के विषय-विशेषज्ञों के जिलों से प्राप्त स्पेसिफिकेशन का निर्धारण किया गया है, जिसमें कोई बदलाव न करते हुए टेंडर प्रक्रिया को पूर्ण करने का निर्देश दिया गया। इस निविदा के लिए मोक्षित कॉर्पोरेशन, रिकार्ड्स एवं मेडिकेयर सिस्टम और श्री शारदा इंडस्ट्रीज के द्वारा निविदा प्रक्रिया में भाग लिया गया। जिसमें निविदा समिति ने उपकरणों, रिएजेंट, कंज्यूमेबल्स व मशीनों के सीएमसी के एल-1 दर को मान्य किए जाने की अनुशंसा करते हुए मोक्षित कॉर्पोरेशन को 25 जनवरी 2023 को निविदा देने की अनुशंसा की, जो प्रबंध संचालक द्वारा स्वीकृत की गई।

एफआईआर के मुताबिक, सूचना की जांच में यह पाया गया कि CGMSC उपकरण निर्माता कंपनियों से मशीन खरीदने के लिए निविदा जारी करती है, लेकिन निविदा में मोक्षित कॉर्पोरेशन और उनकी अन्य दो कंपनियों के द्वारा प्रस्तुत निविदा को ही CGMSC की निविदा समिति पास करती है, जबकि बाकी कंपनियों को किसी न किसी तकनीकी कारण का हवाला देकर अपात्र कर दिया जाता है।

5 लाख की मशीन को 17 लाख में खरीदा

जांच में यह जानकारी सामने आई कि निर्माता कंपनियां खुले बाजार में जिस सीबीसी मशीन को मात्र 5 लाख रुपये में विक्रय करती हैं, उन्हीं मशीनों को मोक्षित कॉर्पोरेशन ने निविदा के माध्यम से दर अनुबंध करते हुए CGMSC को 17 लाख रुपये में दिया। CGMSC द्वारा मशीन एवं उपकरण निर्माता कंपनियों के साथ ही दर अनुबंध किया जाता है, जबकि मोक्षित कॉर्पोरेशन के पास अस्पताल में उपयोग होने वाले उपकरण बनाने की कोई फैक्ट्री (उत्पादन इकाई) नहीं है और न ही उपकरणों का निर्माण मोक्षित कॉर्पोरेशन द्वारा किया जाता है। इसके बावजूद अपने रसूख और कमीशन के प्रलोभन के दम पर मोक्षित कॉर्पोरेशन ने अधिकारियों से सैटिंग करके अधिकांश दर अनुबंध अपनी कंपनी के नाम पर करवा लिए।

इसके अलावा CB कॉर्पोरेशन के नाम से संचालित शेल कंपनी भी मोक्षित कॉर्पोरेशन ग्रुप की ही कंपनी है, जिसके नाम पर भी काफी सारे दर अनुबंध करवाए गए। मोक्षित कॉर्पोरेशन ने रिएजेंट और केमिकल्स को अधिकतम खुदरा मूल्य से भी अधिक के दाम पर दर अनुबंध करवाया। इस प्रकार 750 करोड़ रुपये से अधिक की खरीदी कर शासन के साथ धोखाधड़ी की गई।

एफआईआर के मुताबिक, 22 अगस्त 2022 की निविदा में दो पात्र फर्म, रिकार्ड्स एवं मेडिकेयर सिस्टम और श्री शारदा इंडस्ट्रीज ने मोक्षित कॉर्पोरेशन के कार्टेल बनाकर प्रतियोगिता में भाग लिया था। आश्चर्यजनक रूप से, तीनों फर्मों के द्वारा टेंडर दस्तावेज में जो टेस्ट बताए नहीं गए थे, उनके भी रेट कोट किए गए थे। तीनों फर्मों के टेस्ट के प्रकार, आवश्यक रिएजेंट और मात्रा जो बताई गई थी, वह एक समान थी। इस प्रकार तीनों निविदाकारों ने पूल टेंडरिंग की थी।

मेरिल डायग्नोस्टिक और ट्रांसएशिया बायोमेडिकल लिमिटेड ने अगस्त 2022 में एमडी, सीजीएमएससी लिमिटेड को निविदा के संबंध में पत्र लिखकर यह सूचित किया था कि आपके संगठन के द्वारा जिन मेडिकल इक्विपमेंट्स के संबंध में निविदा आमंत्रित की गई है, उनके स्पेसिफिकेशन टेलरमेड हैं और किसी कंपनी विशेष के स्पेसिफिकेशन से मिलते हैं। इस शिकायत को समिति ने अनदेखा कर दिया।

CGMSC के अधिकारियों ने बिना वजह की 411 करोड़ रुपये की खरीदी

इस प्रकार पाया गया कि संचालक स्वास्थ्य सेवाएं एवं सीजीएमएससी के अन्य अधिकारियों ने लोक सेवक के रूप में पदस्थ होते हुए अपने-अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान बेईमानी कर मोक्षित कॉर्पोरेशन, CB कॉर्पोरेशन, रिकार्ड्स एवं मेडिकेयर सिस्टम, और श्री शारदा इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचते हुए बिना वजह मशीनों और रिएजेंट की खरीद की। इस खरीदी के लिए उन्होंने न तो बजट की उपलब्धता सुनिश्चित की और न ही इस संबंध में कोई प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त किया। इस प्रकार शासन के संज्ञान में लाए बिना लगभग 411 करोड़ रुपये की देनदारी शासन पर निर्मित की गई।

रायपुर निगम के लिए कांग्रेस के पार्षद प्रत्याशियों की सूची जारी
रायपुर- रायपुर नगर निगम के लिए भाजपा के बाद अब कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने पूरे 70 वार्डों में अपने प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है। प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज की सहमति से सभी पार्षद प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया गया है। आपको बता दें कि इससे पहले कांग्रेस ने रविवार को छत्तीसगढ़ के नगर निगमों में मेयर पद का उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन पार्षद प्रत्याशियों की लिस्ट जारी नहीं की थी। जिसको लेकर लगातार मंथन जारी था। तो वहीं लिस्ट जारी नहीं होने से कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी देखने को मिल रही थी। लेकिन अब प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज की सहमति से कांग्रेस ने रायपुर नगर निगम के लिए प्रत्याशियों की फाइन लिस्ट जारी कर दी है।
नगरीय निकाय चुनाव 2025: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से व्यय प्रेक्षकों को दिया गया प्रशिक्षण

रायपुर-  छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयुक्त अजय सिंह के निर्देश और सचिव डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के मार्गदर्शन में आगामी नगरीय निकाय चुनाव 2025 की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्य निर्वाचन आयोग ने व्यय प्रेक्षकों को प्रशिक्षण दिया। यह प्रशिक्षण आयोग के नवा रायपुर, अटल नगर स्थित कार्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संपन्न हुआ। इस सत्र में निर्वाचन के लिए नियुक्त सभी व्यय प्रेक्षकों ने भाग लिया।

बता दें कि व्यय प्रेक्षक निर्वाचन प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें यह सुनिश्चित करना होता है कि चुनावी गतिविधियों में निर्धारित सीमा से अधिक व्यय न हो और सभी खर्चों का विवरण नियमों के अनुरूप प्रस्तुत किया जाए। इसके मद्देनजर प्रशिक्षण के दौरान व्यय प्रेक्षकों को उनके दायित्वों और कर्तव्यों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। मुख्य रूप से उम्मीदवारों के चुनावी खर्च पर निगरानी, व्यय सीमा का पालन सुनिश्चित करना, और पारदर्शिता बनाए रखना इस प्रशिक्षण का केंद्र बिंदु था।

प्रशिक्षण में बताया गया कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार पांच लाख से अधिक की जनसंख्या वाले नगर निगम में महापौर पद के प्रत्याशी अधिकतम 25 लाख रुपये, तीन से पांच लाख जनसंख्या वाले नगर निगम में महापौर प्रत्याशी के लिए अधिकतम 20 लाख रुपये और तीन लाख से कम जनसंख्या होने पर महापौर प्रत्याशी अधिकतम 15 लाख रुपये खर्च कर सकते है। इसी प्रकार पचास हजार और उससे अधिक जनसंख्या वाले नगर पालिका के अध्यक्ष के लिए अधिकतम 10 लाख रुपये और पचास हजार के कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों के लिए अधिकतम 8 लाख रुपये खर्च की जा सकती है. वहीं नगर पंचायत के अध्यक्ष के लिए अधिकतम व्यय की सीमा 6 लाख रुपये तय की गई है।

निलंबित IAS रानू साहू और व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को झटका, हाईकोर्ट ने जमानत याचिका की खारिज

रायपुर-   छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कथित कोयला घोटाले में निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू और कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं। जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच ने दोनों मामलों पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया। इससे पहले ईडी की निचली अदालत ने भी रानू साहू की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया था।

बता दें कि कोयला घोटाला मामले में ईडी ने निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू और कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी की संलिप्तता का आरोप लगाया है, जिसमें 570 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध वसूली का दावा किया गया है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने इन आरोपों को निराधार बताया, लेकिन ईडी ने कहा कि घोटाले से जुड़े और भी साक्ष्य कोर्ट में प्रस्तुत किए जाएंगे।

गौरतलब है कि ईडी के अलावा, EOW ने इस मामले में निलंबित IAS रानू साहू, उप सचिव सौम्या चौरसिया और समीर बिश्नोई के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। ईडी का दावा है कि कोयला परिचालन और परमिट प्रक्रिया में गड़बड़ियों के जरिए राज्य में बड़े पैमाने पर अवैध वसूली की गई है। फिलहाल, इस मामले में 36 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

लोरमी नगर पालिका चुनाव : नामांकन रैली में बीजेपी ने दिखाई ताकत,डिप्टी सीएम अरुण साव की मौजूदगी में 18 पार्षद और अध्यक्ष प्रत्याशी ने भरा नामांकन

लोरमी- मुंगेली जिले के लोरमी में नगर पालिका चुनाव को लेकर कल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव के नेतृत्व में बीजेपी के अध्यक्ष प्रत्याशी सुजीत वर्मा सहित 18 पार्षद प्रत्याशियों ने आज गर्मजोशी के साथ नामांकन दाखिल किया है. इस दौरान नगर के फव्वारा चौक से लेकर एसडीएम कार्यालय तक रैली के रूप में बाजे-गाजे के साथ भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने आम लोगों से आशीर्वाद लेते हुए नामांकन भरने के लिए पहुंचे. जहां उपमुख्यमंत्री साव की मौजूदगी में 18 पार्षद सहित अध्यक्ष प्रत्याशी ने अपना नामांकन दाखिल किया. जहां बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी इस नामांकन रैली में शामिल हुए.

वहीं अध्यक्ष पालिका प्रत्याशी सुजीत वर्मा ने भी लोरमी नगर पालिका सीट अच्छे मतों से जीतने की बात कही है. इस दौरान उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि लोरमी नगर पंचायत को इस वर्ष नगर पालिका का दर्जा भी बीजेपी ने दिलाया है. साथ ही उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्षों तक लोरमी की जनता के लिए विकास के कुछ काम नहीं किए, पिछले 1 साल में जितने विकास के काम हुए हैं उतने कभी नहीं हुए हैं, जितना पिछले 50 सालों में काम नहीं हुआ है, उतना पिछले 1 साल में काम हुआ है और यह तो अभी केवल थोड़ा सा काम दिखा है. जो अन्य स्वीकृत काम हैं, वह जब मूर्त रूप लेगा, तब लोरमी की दशा और दिशा बदलते हुए दिखेगी. लोरमी की जनता को विकास चाहिए और यह केवल भारतीय जनता पार्टी ही कर सकती है. इस दौरान उन्होंने लोरमी की जनता के भरपूर आशीर्वाद और समर्थन को लेकर इस बार भी नगर पालिका सीट जीतने का दावा किया है.

लोरमी नगर पालिका क्षेत्र के 18 वार्डों में कुल 15,220 वोटर हैं, जिसमें 7,478 पुरुष सहित 7,742 महिला वोटर शामिल हैं, जो 18 पार्षद सहित नगर पालिका अध्यक्ष के भाग्य का फैसला करेंगे. हालांकि कांग्रेस के अनिल दास और बीजेपी के सुजीत वर्मा के द्वारा प्रचार-प्रसार जोरों पर शुरू कर दिया गया है. इसके साथ ही कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी के समर्थक और कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्र में प्रचार-प्रसार शुरू कर चुके हैं. बता दें बिलासपुर के सांसद एवं केंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू भी लोरमी विधानसभा के पूर्व संसदीय सचिव रहे हैं, इसके अलावा वर्तमान में बिलासपुर के सांसद एवं केंद्रीय राज्यमंत्री हैं. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा, हालांकि यह 15 फरवरी को मतगणना के दौरान ही स्पष्ट होगा कि लोरमी के नगर पालिका के इस बार पहले नव निर्वाचित अध्यक्ष कौन होंगे? इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.

नगरीय निकाय चुनाव 2025 : कांग्रेस ने 2 नगर निगम समेत 11 नगरीय निकायों के प्रत्याशियों का किया ऐलान, देखें सूची…

रायपुर- कांग्रेस ने नगरीय निकाय चुनाव के लिए पार्षद प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है, जिसमें 2 नगर निगम, 4 नगर पालिका परिषद और 5 नगर पंचायतों के प्रत्याशियों के नाम शामिल हैं.

कांग्रेस द्वारा जारी इस सूची में अंबिकापुर नगर निगम, कोरबा नगर निगम सहित नगर पालिका परिषद आरंग, मंदिर हसौद, महासमुंद, बागबाहरा साथ ही नगर पंचायत तुमगांव, पिथौरा, चंदखुरी समोदा और पथरिया के सभी वार्डों के प्रत्याशियों का नाम शामिल है.

देखिये लिस्ट-

पर्यटन स्थल के कॉटेज में लगी आग, लाखों के नुकसान की आशंका…

सूरजपुर-  छत्तीसगढ़ के सूरजपुर स्थित केनापारा पर्यटन स्थल में आज अचानक भीषण आग लग गई. यह आग पर्यटन स्थल पर बने कॉटेज में लगी. वहां मौजूद लोगों ने तत्काल आगजनी की सूचना दमकल विभाग को दी. जिसके बाद दमकल की टीम मौके पर पहुंची और कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया.

बता दें, आग इतनी भयावह थी कि सही समय पर अगर काबू नहीं पाया जाता तो बड़ी जन-धन की हानी भी हो सकती थी. मौके से लाखों के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है. आग लगने के कारणों का फिलहाल पता नहीं चल सका है. जयनगर थाना पुलिस इस मामले की जांच में जुटी हुई है.